Class 10 Hindi Notes Chapter 1 (माता का आँचल) – Kritika Book

Kritika
नमस्ते विद्यार्थियों।

आज हम कक्षा 10 की कृतिका पुस्तक के पहले पाठ 'माता का आँचल', जिसके लेखक शिवपूजन सहाय जी हैं, का विस्तृत अध्ययन करेंगे। यह पाठ परीक्षा की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है, विशेषकर इसके आंचलिक परिवेश, बाल मनोविज्ञान और मार्मिक प्रस्तुति के कारण।

पाठ: माता का आँचल (लेखक: शिवपूजन सहाय)

लेखक परिचय:
शिवपूजन सहाय (1893-1963) हिंदी के प्रसिद्ध उपन्यासकार, कहानीकार, निबंधकार और संपादक थे। उनकी भाषा में आंचलिक शब्दों का प्रयोग सहज रूप से मिलता है। 'देहाती दुनिया' उनका प्रसिद्ध आंचलिक उपन्यास है, और 'माता का आँचल' उसी उपन्यास का एक अंश है।

पाठ का सार:
यह पाठ लेखक शिवपूजन सहाय के बचपन की स्मृतियों पर आधारित है। इसमें लेखक ने अपने बचपन के नाम 'तारकेश्वरनाथ' और पिता द्वारा प्यार से पुकारे जाने वाले नाम 'भोलानाथ' का जिक्र किया है। पाठ में भोलानाथ के अपने पिता के साथ गहरे और स्नेहपूर्ण संबंधों का सुंदर चित्रण है। सुबह उठने से लेकर रात सोने तक, भोलानाथ का अधिकांश समय पिता के साथ ही बीतता था - नहलाना, पूजा-पाठ में बैठाना, कंधे पर बैठाकर गंगा जी ले जाना, मछलियों को दाना खिलाना, कुश्ती लड़ना आदि। पिता का स्नेह मित्रवत था।

वहीं, माँ का संबंध वात्सल्य और ममता से परिपूर्ण था। माँ भोलानाथ को पकड़कर सिर में तेल डालती, नाभि और माथे पर काजल की बिंदी लगाती, चोटी गूँथती और रंगीन कुर्ता-टोपी पहनाती थी। भोलानाथ को जबर्दस्ती पकड़कर विभिन्न कौर (तोता, मैना, कबूतर, हंस, मोर के नाम पर) खिलाती थी।

पाठ में भोलानाथ और उसके साथियों द्वारा खेले जाने वाले तत्कालीन ग्रामीण खेलों का जीवंत वर्णन है - घर बनाना, मिठाई की दुकान लगाना, खेती करना, बारात निकालना आदि। ये खेल ग्रामीण जीवन का प्रतिबिंब थे। एक घटना में, बच्चे मूसन तिवारी नामक व्यक्ति को चिढ़ा देते हैं, जिसकी शिकायत पर गुरुजी द्वारा भोलानाथ की पिटाई होती है। पिता उसे बचाकर लाते हैं।

पाठ का चरमोत्कर्ष तब आता है जब बच्चे खेल-खेल में एक साँप को देख लेते हैं। डर के मारे सभी बच्चे रोते-चिल्लाते भागते हैं। भोलानाथ लहूलुहान अवस्था में घर पहुँचता है और सीधे पिता की पुकार को अनसुना कर माँ की गोद में, उसके आँचल में छिप जाता है। माँ भयभीत बच्चे को देखकर सब काम छोड़कर उसे सीने से लगा लेती है, उसके घावों पर हल्दी लगाती है। उस समय भोलानाथ को पिता की गोद की अपेक्षा माँ का आँचल ही अधिक सुरक्षित और शांत आश्रय लगता है।

प्रमुख पात्र:

  1. भोलानाथ (तारकेश्वरनाथ): कहानी का मुख्य पात्र और कथावाचक। वह एक भोला-भाला, शरारती और अपने माता-पिता, विशेषकर पिता से अत्यधिक जुड़ा हुआ बच्चा है। डर लगने पर उसे माँ की गोद ही सबसे सुरक्षित लगती है।
  2. पिताजी: भोलानाथ के पिता स्नेही, धार्मिक प्रवृत्ति के और बच्चे के साथ मित्रवत व्यवहार करने वाले व्यक्ति हैं। वे भोलानाथ के खेलों में शामिल होते हैं और उसका पूरा ध्यान रखते हैं।
  3. माताजी: भोलानाथ की माँ ममता और वात्सल्य की प्रतिमूर्ति हैं। वे बच्चे के खान-पान, श्रृंगार का पूरा ध्यान रखती हैं। विपत्ति के समय उनका आँचल बच्चे के लिए दुनिया का सबसे सुरक्षित स्थान बन जाता है।
  4. भोलानाथ की मित्र-मंडली: ये बच्चे भोलानाथ के खेलों और शरारतों के साथी हैं, जो तत्कालीन ग्रामीण बच्चों के जीवन का प्रतिनिधित्व करते हैं।

महत्वपूर्ण बिंदु एवं प्रसंग:

  • पिता के साथ भोलानाथ का दैनिक जीवन: सुबह नहाना, पूजा करना, गंगा तट जाना, कुश्ती लड़ना।
  • माँ का वात्सल्य: जबरदस्ती खाना खिलाना, सजाना-सँवारना।
  • बच्चों के ग्रामीण खेल: तत्कालीन समाज और संस्कृति का चित्रण।
  • मूसन तिवारी को चिढ़ाना: बच्चों की शरारतें और परिणाम।
  • साँप निकलने की घटना: बच्चों का डर और भागना।
  • माँ के आँचल में शरण: पाठ का केंद्रीय भाव - संकट के समय माँ की गोद ही परम आश्रय है।

पाठ का संदेश/मूल भाव:

  • पाठ दर्शाता है कि बच्चे का अपने माता-पिता दोनों से लगाव होता है, परन्तु माँ की गोद और उसका आँचल बच्चे को भावनात्मक सुरक्षा और संकट के समय अद्भुत शांति प्रदान करता है।
  • पिता का स्नेह चाहे कितना भी गहरा क्यों न हो, माँ के वात्सल्य और सुरक्षा बोध का स्थान नहीं ले सकता।
  • पाठ में तत्कालीन ग्रामीण जीवन, संस्कृति और बच्चों के प्राकृतिक खेलों का सजीव चित्रण है।
  • यह पाठ बाल मनोविज्ञान को गहराई से प्रस्तुत करता है।

भाषा-शैली:

  • सरल, सहज और प्रवाहपूर्ण भाषा।
  • आंचलिक (ग्रामीण) शब्दों का प्रचुर प्रयोग (जैसे - भभूत, गोरस, अमोल, आदि)।
  • वर्णनात्मक शैली, जिसमें दृश्यों को सजीव किया गया है।
  • संवादात्मक अंश भी हैं।

परीक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण:

  • 'माता का आँचल' शीर्षक की सार्थकता।
  • भोलानाथ का चरित्र चित्रण।
  • पिता और माँ के स्नेह में अंतर।
  • तत्कालीन ग्रामीण खेलों का वर्णन।
  • साँप वाली घटना का महत्व।
  • पाठ की आंचलिकता।

अभ्यास हेतु बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs):

प्रश्न 1: 'माता का आँचल' पाठ के लेखक कौन हैं?
(क) प्रेमचंद
(ख) शिवपूजन सहाय
(ग) कमलेश्वर
(घ) यशपाल

प्रश्न 2: लेखक के बचपन का वास्तविक नाम क्या था?
(क) भोलानाथ
(ख) शिवपूजन
(ग) तारकेश्वरनाथ
(घ) रामनाथ

प्रश्न 3: पिताजी लेखक को प्यार से क्या कहकर बुलाते थे?
(क) तारकेश्वर
(ख) बेटा
(ग) मुन्ना
(घ) भोलानाथ

प्रश्न 4: भोलानाथ के पिता आटे की गोलियाँ किसे खिलाते थे?
(क) गाय को
(ख) कुत्तों को
(ग) मछलियों को
(घ) चिड़ियों को

प्रश्न 5: माँ भोलानाथ के सिर में कौन-सा तेल डाल देती थी?
(क) नारियल का
(ख) सरसों का
(ग) बादाम का
(घ) चमेली का

प्रश्न 6: बच्चों ने बारात के जुलूस में किस चीज़ की शहनाई बनाई थी?
(क) पत्ते की
(ख) बाँसुरी की
(ग) अमोले (आम के उगते हुए पौधे) को घिसकर
(घ) कनस्तर की

प्रश्न 7: किस व्यक्ति को चिढ़ाने पर भोलानाथ की पिटाई हुई थी?
(क) गाँव के मुखिया को
(ख) मूसन तिवारी को
(ग) स्कूल के मास्टर जी को
(घ) अपने पिता को

प्रश्न 8: साँप से डरकर भोलानाथ ने अंततः कहाँ शरण ली?
(क) पिता की गोद में
(ख) घर के कोने में
(ग) पेड़ के पीछे
(घ) माता के आँचल में

प्रश्न 9: पिताजी पूजा करते समय भोलानाथ के मस्तक पर किसका तिलक लगाते थे?
(क) चंदन का
(ख) रोली का
(ग) भभूत का
(घ) हल्दी का

प्रश्न 10: 'माता का आँचल' पाठ मुख्य रूप से किस भाव को प्रकट करता है?
(क) पिता-पुत्र का स्नेह
(ख) ग्रामीण जीवन का यथार्थ
(ग) बालकों के खेल
(घ) माँ की ममता और बच्चे की सुरक्षा की भावना


उत्तरमाला:

  1. (ख) शिवपूजन सहाय
  2. (ग) तारकेश्वरनाथ
  3. (घ) भोलानाथ
  4. (ग) मछलियों को
  5. (ख) सरसों का
  6. (ग) अमोले (आम के उगते हुए पौधे) को घिसकर
  7. (ख) मूसन तिवारी को
  8. (घ) माता के आँचल में
  9. (ग) भभूत का
  10. (घ) माँ की ममता और बच्चे की सुरक्षा की भावना

इन नोट्स और प्रश्नों का अच्छे से अध्ययन करें। यह पाठ आपको न केवल परीक्षा में अंक दिलाएगा, बल्कि बचपन की मासूमियत और माँ के स्नेह के महत्व को भी समझाएगा। कोई शंका हो तो अवश्य पूछें।

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