Class 10 Hindi Notes Chapter 10 (स्वयं प्रकाश: नेताजी का चश्मा) – Kshitij-II Book
नमस्ते विद्यार्थियों!
आज हम क्षितिज-भाग 2 के गद्य खंड के एक महत्वपूर्ण पाठ, 'नेताजी का चश्मा', का अध्ययन करेंगे। इसके लेखक स्वयं प्रकाश जी हैं। यह पाठ देशभक्ति की भावना को बहुत ही सहज और रोचक ढंग से प्रस्तुत करता है। सरकारी परीक्षाओं की दृष्टि से यह पाठ अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे अक्सर प्रश्न पूछे जाते हैं। आइए, इसके विस्तृत नोट्स और कुछ बहुविकल्पीय प्रश्नों पर ध्यान केंद्रित करें।
पाठ: नेताजी का चश्मा
लेखक: स्वयं प्रकाश
लेखक परिचय:
स्वयं प्रकाश जी (जन्म: 1947, इंदौर) समकालीन हिंदी कहानी के एक प्रमुख हस्ताक्षर हैं। उनकी कहानियाँ अधिकतर मध्यमवर्गीय जीवन के अनुभवों, सामाजिक विसंगतियों और देशप्रेम की भावना को उजागर करती हैं। उनकी भाषा सहज, सरल और पात्रानुकूल होती है, जिसमें व्यंग्य का पुट भी देखने को मिलता है। 'सूरज कब निकलेगा', 'आएँगे अच्छे दिन भी', 'आदमी जात का आदमी' उनके प्रमुख कहानी संग्रह हैं।
पाठ का सार:
यह कहानी एक छोटे से कस्बे से गुजरने वाले हालदार साहब के अनुभवों पर आधारित है।
- कस्बा और मूर्ति: हालदार साहब हर पंद्रहवें दिन कंपनी के काम से एक कस्बे से गुजरते थे। कस्बे के मुख्य चौराहे पर नगरपालिका ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की संगमरमर की एक प्रतिमा लगवाई थी। मूर्ति सुंदर थी, लेकिन उस पर संगमरमर का चश्मा नहीं था।
- असली चश्मा: हालदार साहब ने पहली बार देखा कि मूर्ति पर पत्थर का चश्मा न होकर एक सामान्य, असली फ्रेम वाला चश्मा लगा हुआ था। उन्हें यह विचार अच्छा लगा कि कम से कम किसी ने नेताजी की मूर्ति को बिना चश्मे के नहीं रहने दिया।
- बदलता चश्मा: हालदार साहब जब भी कस्बे से गुजरते, मूर्ति पर लगा चश्मा बदला हुआ पाते। कभी गोल फ्रेम, कभी चौकोर फ्रेम। उनकी उत्सुकता बढ़ी।
- पानवाला और कैप्टन: उन्होंने चौराहे पर स्थित पानवाले से इसका कारण पूछा। पानवाले ने (मुँह में पान भरे हुए, हँसते हुए) बताया कि यह काम 'कैप्टन चश्मेवाला' करता है। जब किसी ग्राहक को मूर्ति पर लगे फ्रेम जैसा चश्मा चाहिए होता है, तो कैप्टन मूर्ति से वह फ्रेम उतारकर ग्राहक को दे देता है और मूर्ति पर दूसरा फ्रेम लगा देता है।
- कैप्टन का परिचय: हालदार साहब ने सोचा 'कैप्टन' कोई फौजी या नेताजी का साथी होगा। लेकिन पानवाले ने बताया कि वह एक बेहद बूढ़ा, मरियल-सा, लँगड़ा आदमी है जो फेरी लगाकर चश्मे बेचता है। उसका नाम कैप्टन है, पर वह फौज में नहीं था। पानवाले का कैप्टन का मजाक उड़ाना हालदार साहब को अच्छा नहीं लगा।
- हालदार साहब की भावना: हालदार साहब कैप्टन के प्रति श्रद्धा से भर उठे। उन्हें लगा कि इस व्यक्ति में देशभक्ति की प्रबल भावना है, जो नेताजी की मूर्ति को बिना चश्मे के देख नहीं सकता, भले ही वह गरीब और कमजोर है। वे कैप्टन को उसकी देशभक्ति के लिए सम्मान देते थे।
- कैप्टन की मृत्यु: लगभग दो साल तक हालदार साहब यह क्रम देखते रहे। एक बार जब वे कस्बे से गुजरे तो मूर्ति पर चश्मा नहीं था, पान की दुकान भी बंद थी। अगली बार पूछने पर पता चला कि कैप्टन मर गया। हालदार साहब बहुत दुखी हुए।
- निराशा और आशा: उन्होंने निश्चय किया कि अब वे चौराहे पर नहीं रुकेंगे और मूर्ति की तरफ देखेंगे भी नहीं, क्योंकि बिना चश्मे की मूर्ति उन्हें आहत करती थी और कैप्टन की याद दिलाती थी। लेकिन आदतवश चौराहे पर आते ही उनकी नज़र मूर्ति पर पड़ी और वे चीख पड़े, "रोको!"
- सरकंडे का चश्मा: उन्होंने देखा कि मूर्ति पर पत्थर या असली फ्रेम का चश्मा तो नहीं था, पर किसी बच्चे द्वारा बनाया गया सरकंडे का छोटा-सा चश्मा लगा हुआ था।
- भावुकता: यह देखकर हालदार साहब भावुक हो गए। उनकी आँखें भर आईं। उन्हें लगा कि देश की भावी पीढ़ी (बच्चों) में भी देशभक्ति की भावना जीवित है और देश का भविष्य सुरक्षित है।
प्रमुख विषय/संदेश:
- देशभक्ति: देशभक्ति केवल सैनिकों या बड़े लोगों तक सीमित नहीं है। एक साधारण नागरिक भी अपने छोटे-छोटे कार्यों से देशप्रेम प्रकट कर सकता है, जैसे कैप्टन करता था।
- स्वतंत्रता सेनानियों का सम्मान: हमें अपने स्वतंत्रता सेनानियों और महापुरुषों का सम्मान करना चाहिए। उनकी स्मृतियों को सहेज कर रखना हमारा कर्तव्य है।
- आम आदमी का योगदान: देश के निर्माण और उसकी अस्मिता को बनाए रखने में सामान्य लोगों की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
- भावी पीढ़ी से आशा: कहानी का अंत यह संदेश देता है कि बच्चों में देशप्रेम के बीज बोना आवश्यक है और यही बच्चे देश के भविष्य को उज्ज्वल बनाएंगे।
- उदासीनता पर व्यंग्य: पानवाले जैसे पात्रों के माध्यम से लेखक ने समाज में व्याप्त उदासीनता और देशभक्ति के प्रति उपेक्षा पर व्यंग्य किया है।
पात्र परिचय:
- हालदार साहब: एक जिम्मेदार, भावुक और देशभक्त नागरिक। वे जिज्ञासु हैं और कैप्टन की देशभक्ति का सम्मान करते हैं। कहानी उनके दृष्टिकोण से कही गई है।
- पानवाला: एक खुशमिजाज लेकिन काफी हद तक संवेदनहीन और उदासीन व्यक्ति। वह कैप्टन का मजाक उड़ाता है, पर कहानी में सूचना का स्रोत भी है।
- कैप्टन चश्मेवाला: कहानी का मुख्य पात्र (भले ही अप्रत्यक्ष रूप से)। वह एक गरीब, बूढ़ा, लंगड़ा चश्मे बेचने वाला है, लेकिन उसमें देशभक्ति कूट-कूट कर भरी है। वह नेताजी का बहुत सम्मान करता है। उसका कार्य प्रतीकात्मक है।
परीक्षा हेतु महत्वपूर्ण बिंदु:
- पाठ का शीर्षक 'नेताजी का चश्मा' क्यों सार्थक है? (उत्तर: क्योंकि पूरी कहानी नेताजी की मूर्ति और उस पर लगने वाले चश्मे के इर्द-गिर्द घूमती है, जो देशभक्ति का प्रतीक है।)
- कैप्टन कौन था? उसका चरित्र चित्रण। (उत्तर: गरीब, बूढ़ा, लँगड़ा फेरीवाला, सच्चा देशभक्त, नेताजी का प्रशंसक।)
- हालदार साहब के चरित्र की विशेषताएँ। (उत्तर: जिज्ञासु, भावुक, देशभक्त, संवेदनशील।)
- पानवाले का चरित्र चित्रण। (उत्तर: खुशमिजाज, बातूनी, उदासीन, थोड़ा संवेदनहीन।)
- "वह लँगड़ा क्या जाएगा फौज में! पागल है पागल!" - यह कथन किसने, किसके लिए और क्यों कहा? इससे वक्ता की किस मानसिकता का पता चलता है? (उत्तर: पानवाले ने कैप्टन के लिए कहा। यह उसकी संवेदनहीनता और देशभक्ति के प्रति उपेक्षा को दर्शाता है।)
- सरकंडे के चश्मे का क्या महत्व है? (उत्तर: यह दर्शाता है कि देशभक्ति की भावना मरी नहीं है, वह बच्चों में भी जीवित है और देश का भविष्य सुरक्षित हाथों में है।)
- कहानी का मूल संदेश क्या है? (उत्तर: देशभक्ति किसी विशेष वर्ग या व्यक्ति तक सीमित नहीं, यह हर नागरिक में होनी चाहिए और हमें अपने नायकों का सम्मान करना चाहिए।)
बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs):
-
'नेताजी का चश्मा' पाठ के लेखक कौन हैं?
(क) यशपाल
(ख) स्वयं प्रकाश
(ग) रामवृक्ष बेनीपुरी
(घ) सर्वेश्वर दयाल सक्सेना
उत्तर: (ख) स्वयं प्रकाश -
हालदार साहब को कस्बे से कितने दिनों बाद गुजरना पड़ता था?
(क) प्रतिदिन
(ख) सातवें दिन
(ग) पंद्रहवें दिन
(घ) महीने में एक बार
उत्तर: (ग) पंद्रहवें दिन -
कस्बे के चौराहे पर किसकी प्रतिमा लगी हुई थी?
(क) महात्मा गांधी
(ख) सरदार पटेल
(ग) भगत सिंह
(घ) नेताजी सुभाष चंद्र बोस
उत्तर: (घ) नेताजी सुभाष चंद्र बोस -
नेताजी की मूर्ति पर क्या कमी खटकती थी?
(क) रंग ठीक नहीं था
(ख) टोपी नहीं थी
(ग) चश्मा नहीं था
(घ) वर्दी पूरी नहीं थी
उत्तर: (ग) चश्मा नहीं था -
मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा देखकर हालदार साहब की क्या प्रतिक्रिया हुई?
(क) वे हँसने लगे
(ख) वे क्रोधित हो गए
(ग) वे भावुक हो गए
(घ) वे उदासीन रहे
उत्तर: (ग) वे भावुक हो गए -
नेताजी की मूर्ति पर चश्मा कौन बदलता था?
(क) पानवाला
(ख) हालदार साहब
(ग) कैप्टन चश्मेवाला
(घ) नगरपालिका का अध्यक्ष
उत्तर: (ग) कैप्टन चश्मेवाला -
पानवाले के अनुसार, कैप्टन चश्मेवाला कौन था?
(क) एक पूर्व सैनिक
(ख) एक शिक्षक
(ग) एक लँगड़ा, मरियल-सा बूढ़ा आदमी
(घ) नेताजी का साथी
उत्तर: (ग) एक लँगड़ा, मरियल-सा बूढ़ा आदमी -
"वह लँगड़ा क्या जाएगा फौज में! पागल है पागल!" - यह कथन किसने कहा?
(क) हालदार साहब ने
(ख) पानवाले ने
(ग) लेखक ने
(घ) कस्बे के किसी नागरिक ने
उत्तर: (ख) पानवाले ने -
कैप्टन की मृत्यु के बाद नेताजी की मूर्ति पर कैसा चश्मा लगा था?
(क) सोने का चश्मा
(ख) असली फ्रेम वाला चश्मा
(ग) सरकंडे से बना चश्मा
(घ) कोई चश्मा नहीं था
उत्तर: (ग) सरकंडे से बना चश्मा -
इस कहानी के माध्यम से लेखक क्या संदेश देना चाहते हैं?
(क) पान खाना बुरी बात है
(ख) कस्बे में घूमना चाहिए
(ग) देशभक्ति की भावना महत्वपूर्ण है
(घ) मूर्तियाँ साफ रखनी चाहिए
उत्तर: (ग) देशभक्ति की भावना महत्वपूर्ण है
मुझे उम्मीद है कि ये नोट्स और प्रश्न आपकी परीक्षा की तैयारी में सहायक होंगे। इस पाठ को ध्यान से पढ़ें और इसके मूल भाव को समझने का प्रयास करें। शुभकामनाएँ!