Class 10 Hindi Notes Chapter 11 (सीताराम सेक्सरिया: डायरी का एक पन्ना) – Sparsh Book

नमस्ते विद्यार्थियो। आज हम आपकी पाठ्यपुस्तक 'स्पर्श भाग 2' के गद्य खंड से एक अत्यंत महत्वपूर्ण पाठ का अध्ययन करेंगे - 'डायरी का एक पन्ना'। इसके लेखक हैं सीताराम सेकसरिया जी। यह पाठ केवल परीक्षा की दृष्टि से ही नहीं, बल्कि हमारे देश के गौरवशाली स्वतंत्रता संग्राम को समझने के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है। यह पाठ वास्तव में सीताराम सेकसरिया जी द्वारा लिखी गई डायरी का एक अंश है, जो 26 जनवरी 1931 के दिन कलकत्ता (अब कोलकाता) में हुए स्वतंत्रता दिवस समारोह का आँखों देखा वर्णन प्रस्तुत करता है।
आइए, अब इस पाठ के विस्तृत नोट्स और महत्वपूर्ण बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करें जो आपकी सरकारी परीक्षाओं की तैयारी में सहायक होंगे।
पाठ 11: सीताराम सेकसरिया - डायरी का एक पन्ना
लेखक परिचय:
- सीताराम सेकसरिया (1892-1982): इनका जन्म राजस्थान के नवलगढ़ में हुआ था, परन्तु कार्यक्षेत्र मुख्यतः कलकत्ता रहा।
- ये केवल एक उद्योगपति और व्यापारी ही नहीं, बल्कि एक समर्पित स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक, शिक्षा प्रेमी और साहित्यकार भी थे।
- इन्होंने महात्मा गांधी के आह्वान पर स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया। कई बार जेल भी गए।
- इन्हें समाज सेवा के लिए 1962 में 'पद्मश्री' सम्मान से सम्मानित किया गया।
- इनकी प्रमुख कृतियाँ हैं: 'स्मृति कण', 'मन की बात', 'नई याद', 'बीता युग' आदि। इनकी डायरियाँ ऐतिहासिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण हैं।
पाठ का सार एवं संदर्भ:
- ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: दिसंबर 1929 में लाहौर में पंडित जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में हुए कांग्रेस अधिवेशन में 'पूर्ण स्वराज' का प्रस्ताव पारित हुआ था। यह तय किया गया था कि 26 जनवरी 1930 को पूरे हिंदुस्तान में 'स्वतंत्रता दिवस' (पहला) मनाया जाएगा।
- पाठ का संदर्भ: प्रस्तुत पाठ सीताराम सेकसरिया की डायरी का 26 जनवरी 1931 का लेखा-जोखा है। यह कलकत्ता में मनाए गए दूसरे स्वतंत्रता दिवस का वर्णन है।
- कलकत्ता में तैयारी: लेखक बताते हैं कि 26 जनवरी 1931 को कलकत्ता में इस दिन को मनाने की विशेष तैयारी की गई थी। प्रचार पर लगभग ₹2000 खर्च किए गए थे (उस समय यह एक बड़ी राशि थी)। लोगों को घर-घर जाकर समझाया गया था।
- पुलिस की सख्ती: अंग्रेज सरकार इस आयोजन को विफल करना चाहती थी। पुलिस कमिश्नर ने नोटिस निकाला था कि सभा करना या जुलूस निकालना कानून के विरुद्ध होगा। पुलिस शहर में गश्त लगा रही थी और महत्वपूर्ण स्थानों पर तैनात थी।
- झंडारोहण और उत्साह: सरकारी सख्ती के बावजूद, कलकत्ता के लोगों में अभूतपूर्व उत्साह था। जगह-जगह राष्ट्रीय ध्वज फहराए गए। श्रद्धानंद पार्क में बंगाल प्रांतीय विद्यार्थी संघ के मंत्री अविनाश बाबू ने झंडा फहराया, लेकिन पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया। तारा सुंदरी पार्क में बड़ा बाजार कांग्रेस कमेटी के युद्ध मंत्री हरिश्चंद्र सिंह ने झंडा फहराया, पर वे अंदर न जा सके। अनेक मकानों पर राष्ट्रीय झंडा शान से लहरा रहा था।
- महिलाओं की भागीदारी: इस आंदोलन की विशेष बात महिलाओं की अभूतपूर्व भागीदारी थी। मारवाड़ी बालिका विद्यालय की लड़कियों ने झंडोत्सव मनाया। जानकी देवी (लेखक की पत्नी), मदालसा बजाज आदि कई महिलाओं ने जुलूस निकाले और गिरफ्तारियाँ दीं। गुजराती सेविका संघ की ओर से निकले जुलूस में भी कई लड़कियाँ गिरफ्तार हुईं।
- मोनुमेंट (शहीद मीनार) पर संघर्ष: मुख्य कार्यक्रम शाम को मोनुमेंट के नीचे होना था, जहाँ सुभाष चंद्र बोस को सभा करनी थी और प्रतिज्ञा पढ़नी थी। पुलिस ने पहले से ही पूरे मैदान को घेर रखा था।
- सुभाष बाबू का नेतृत्व: ठीक 4 बजकर 24 मिनट पर सुभाष बाबू विशाल जुलूस के साथ मैदान पर पहुँचे। पुलिस ने लाठियाँ चलानी शुरू कर दीं। भीड़ 'वंदे मातरम्' और 'इंकलाब जिंदाबाद' के नारे लगा रही थी।
- पुलिस का दमन: पुलिस ने निर्ममता से लाठीचार्ज किया। सुभाष बाबू पर भी लाठियाँ पड़ीं, लेकिन वे साहसपूर्वक आगे बढ़ते रहे। कई लोग घायल हुए, सिर फट गए, खून बहने लगा। क्षितीश चटर्जी का सिर फट गया, इंद्रिणी देवी घायल हुईं।
- गिरफ्तारियाँ: सुभाष बाबू को गिरफ्तार कर लिया गया। लगभग 105 स्त्रियाँ भी पकड़ी गईं। कुल मिलाकर बहुत बड़ी संख्या में लोग गिरफ्तार हुए और घायल हुए। लेखक के अनुसार, कलकत्ता के नाम पर यह कलंक था कि यहाँ स्वतंत्रता का काम नहीं हो रहा है, वह इस दिन काफी हद तक धुल गया।
- निष्कर्ष: यह डायरी का पन्ना उस दिन के कलकत्ता के माहौल, लोगों के जोश, साहस, एकता, विशेषकर महिलाओं की सक्रिय भागीदारी और अंग्रेजी हुकूमत के दमन का जीवंत दस्तावेज है। यह बताता है कि आजादी आसानी से नहीं मिली, इसके लिए अनगिनत लोगों ने कुर्बानियाँ दीं।
परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण बिंदु:
- तिथि: 26 जनवरी 1931 (दूसरा स्वतंत्रता दिवस)।
- स्थान: कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता)।
- घटना: स्वतंत्रता दिवस का आयोजन और ब्रिटिश पुलिस द्वारा उसका दमन।
- लेखक: सीताराम सेकसरिया (प्रत्यक्षदर्शी और प्रतिभागी)।
- प्रमुख नेता: सुभाष चंद्र बोस।
- मुख्य स्थल: मोनुमेंट (वर्तमान शहीद मीनार)।
- प्रमुख संगठन: बंगाल प्रांतीय विद्यार्थी संघ, बड़ा बाजार कांग्रेस कमेटी, गुजराती सेविका संघ।
- महिलाओं की भूमिका: अत्यंत सक्रिय और महत्वपूर्ण (जानकी देवी, मदालसा, इंद्रिणी देवी आदि)।
- पुलिस की कार्रवाई: नोटिस निकालना, गश्त, लाठीचार्ज, गिरफ्तारियाँ।
- पाठ का महत्व: स्वतंत्रता संग्राम में कलकत्ता के योगदान और आम जनता (विशेषकर महिलाओं) के साहस का प्रमाण।
- शैली: डायरी लेखन शैली, तथ्यात्मक, वर्णनात्मक।
बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs):
-
सीताराम सेकसरिया द्वारा वर्णित 'डायरी का एक पन्ना' किस तिथि की घटना का वर्णन करता है?
(क) 15 अगस्त 1947
(ख) 26 जनवरी 1930
(ग) 26 जनवरी 1931
(घ) 2 अक्टूबर 1930 -
यह घटना किस शहर में घटित हुई थी?
(क) दिल्ली
(ख) लाहौर
(ग) मुंबई
(घ) कलकत्ता -
26 जनवरी 1931 को कलकत्ता में किस महत्वपूर्ण दिवस के रूप में मनाया जा रहा था?
(क) गणतंत्र दिवस
(ख) स्वतंत्रता दिवस
(ग) शहीद दिवस
(घ) बाल दिवस -
मोनुमेंट के नीचे होने वाली सभा का नेतृत्व कौन करने वाले थे?
(क) महात्मा गांधी
(ख) जवाहरलाल नेहरू
(ग) सुभाष चंद्र बोस
(घ) सीताराम सेकसरिया -
पुलिस ने जुलूस और सभा को रोकने के लिए क्या कार्रवाई की?
(क) केवल चेतावनी दी
(ख) लाठीचार्ज किया
(ग) पानी की बौछार की
(घ) बातचीत से समझाया -
श्रद्धानंद पार्क में झंडा किसने फहराया था?
(क) सुभाष चंद्र बोस
(ख) हरिश्चंद्र सिंह
(ग) अविनाश बाबू
(घ) जानकी देवी -
इस आंदोलन की एक प्रमुख विशेषता क्या थी?
(क) केवल पुरुषों की भागीदारी
(ख) बच्चों की बड़ी संख्या में उपस्थिति
(ग) महिलाओं की अभूतपूर्व भागीदारी
(घ) अंग्रेजों का सहयोग -
'डायरी का एक पन्ना' पाठ किस विधा में लिखा गया है?
(क) कहानी
(ख) निबंध
(ग) डायरी
(घ) संस्मरण -
पुलिस कमिश्नर ने क्या नोटिस निकाला था?
(क) स्वतंत्रता दिवस मनाने का आदेश
(ख) सभा और जुलूस पर प्रतिबंध
(ग) सुभाष बोस की गिरफ्तारी का वारंट
(घ) शहर में कर्फ्यू लगाने का आदेश -
लेखक के अनुसार, 26 जनवरी 1931 की घटना ने कलकत्ता के बारे में किस धारणा को बदला?
(क) कलकत्ता एक शांत शहर है।
(ख) कलकत्ता में स्वतंत्रता के लिए काम नहीं हो रहा है।
(ग) कलकत्ता व्यापार का प्रमुख केंद्र है।
(घ) कलकत्ता में महिलाओं की भागीदारी कम है।
उत्तरमाला:
- (ग), 2. (घ), 3. (ख), 4. (ग), 5. (ख), 6. (ग), 7. (ग), 8. (ग), 9. (ख), 10. (ख)
मुझे उम्मीद है कि ये नोट्स और प्रश्न आपकी परीक्षा की तैयारी में बहुत मददगार साबित होंगे। इस पाठ को केवल तथ्यों के रूप में न देखें, बल्कि उस दौर के देशभक्तों के जोश, जुनून और त्याग को महसूस करने का प्रयास करें। शुभकामनाएँ!