Class 10 Hindi Notes Chapter 14 (मन्नू भंडारी: एक कहानी यह भी) – Kshitij-II Book
चलिए, आज हम कक्षा 10 की क्षितिज-II पुस्तक के पाठ 14, मन्नू भंडारी द्वारा रचित 'एक कहानी यह भी' का गहन अध्ययन करेंगे। यह पाठ प्रतियोगी परीक्षाओं की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है, अतः इसके मुख्य बिंदुओं को ध्यान से समझें।
पाठ: एक कहानी यह भी (लेखिका: मन्नू भंडारी)
विधा: यह रचना 'आत्मकथ्य' शैली में लिखी गई है, जिसमें लेखिका अपने जीवन के कुछ महत्वपूर्ण अंशों, विशेषकर अपने व्यक्तित्व निर्माण में सहायक रहे व्यक्तियों और परिस्थितियों पर प्रकाश डालती हैं। यह पूरी आत्मकथा न होकर उसका एक अंश है।
मूल भाव एवं उद्देश्य:
इस पाठ के माध्यम से मन्नू भंडारी यह दर्शाना चाहती हैं कि किसी व्यक्ति, विशेषकर एक लेखिका के व्यक्तित्व का निर्माण कैसे होता है। वे अपने बचपन, अपने माता-पिता के स्वभाव, तत्कालीन सामाजिक-राजनीतिक परिस्थितियों और अपनी शिक्षिका शीला अग्रवाल के प्रभाव का विश्लेषण करती हैं। इसका उद्देश्य यह दिखाना है कि हमारे आस-पास का परिवेश और लोग हमारे विचारों और व्यक्तित्व को किस प्रकार गढ़ते हैं।
पाठ के विस्तृत महत्वपूर्ण बिंदु:
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जन्म और बचपन:
- लेखिका का जन्म मध्य प्रदेश के भानपुरा गाँव में हुआ था, परन्तु उनकी यादें अजमेर के ब्रह्मपुरी मोहल्ले के दो-मंजिला मकान से शुरू होती हैं।
- उनके पिता इंदौर में प्रतिष्ठित व्यक्ति थे, कांग्रेस से जुड़े थे, समाज सुधार के कार्यों में भाग लेते थे, शिक्षा को महत्व देते थे। परन्तु आर्थिक झटके के कारण वे इंदौर छोड़कर अजमेर आ गए और अपनी महत्वाकांक्षाओं के अधूरेपन के कारण शक्की और क्रोधी स्वभाव के हो गए।
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पिता का प्रभाव:
- सकारात्मक: लेखिका के पिता चाहते थे कि उनकी बेटी देश-दुनिया को जाने, समझे और जागरूक बने। वे रसोई को 'भटियारखाना' कहते थे और नहीं चाहते थे कि उनकी बेटी अपनी प्रतिभा रसोई में बर्बाद करे। वे घर में होने वाली राजनीतिक बहसों में मन्नू को शामिल करते थे।
- नकारात्मक: पिता का शक्की और क्रोधी स्वभाव, लेखिका की तुलना उनकी गोरी और स्वस्थ बड़ी बहन सुशीला से करना, जिससे लेखिका में हीन भावना (inferiority complex) घर कर गई। पिता यश और प्रतिष्ठा चाहते थे, पर साथ ही दकियानूसी विचार भी रखते थे (लड़कियों का दायरे में रहना)। यह विरोधाभास लेखिका के व्यक्तित्व का भी हिस्सा बना।
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माँ का प्रभाव:
- माँ अत्यंत धैर्यवान, सहनशील और त्यागमयी थीं। वे पिता की हर ज्यादती को सहजता से स्वीकार करती थीं। वे अनपढ़ थीं और उनका अपना कोई व्यक्तित्व नहीं था।
- लेखिका अपनी माँ के त्याग और सहनशीलता का सम्मान करती थीं, पर उनके जैसा व्यक्तित्व कभी अपनाना नहीं चाहा। माँ उनके लिए कभी आदर्श नहीं बन सकीं।
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अजमेर का माहौल और स्वतंत्रता आंदोलन:
- उस समय देश में स्वतंत्रता आंदोलन का जोर था। अजमेर भी इससे अछूता नहीं था। लेखिका अपने घर के आस-पास होने वाली प्रभात फेरियों, जुलूसों, भाषणों से प्रभावित हुईं।
- पिता के कहने पर वे इन गतिविधियों में सीधे भाग न लेकर घर की छत से देखती थीं, पर धीरे-धीरे उनमें देशभक्ति की भावना प्रबल होती गई।
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शीला अग्रवाल का प्रभाव:
- कॉलेज में हिंदी की प्राध्यापिका शीला अग्रवाल का लेखिका के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा। उन्होंने न केवल लेखिका की साहित्यिक समझ का दायरा बढ़ाया (प्रेमचंद से आगे बढ़कर जैनेंद्र, अज्ञेय, यशपाल, भगवतीचरण वर्मा आदि को पढ़ने के लिए प्रेरित किया), बल्कि उनमें आत्मविश्वास भी जगाया।
- शीला अग्रवाल ने ही लेखिका को देश की वास्तविक स्थिति से परिचित कराया और उन्हें सक्रिय रूप से स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के लिए प्रेरित किया। उनकी जोशीली बातों ने लेखिका की रगों में बहते लावा को जैसे अभिव्यक्ति का रास्ता दे दिया।
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सक्रिय भागीदारी और पिता से टकराव:
- शीला अग्रवाल की प्रेरणा से मन्नू भंडारी ने खुलकर स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेना शुरू कर दिया – भाषण देना, हड़तालें करवाना, लड़कों के साथ शहर में घूमना।
- कॉलेज प्रिंसिपल ने अनुशासनहीनता के लिए उनके पिता को बुलाया। पिता गुस्से में गए, पर प्रिंसिपल द्वारा यह बताए जाने पर कि मन्नू के एक इशारे पर लड़कियाँ बाहर आ जाती हैं और कॉलेज चलाना मुश्किल हो जाता है, पिता गर्वित होकर लौटे। यह घटना पिता के विरोधाभासी चरित्र को दर्शाती है।
- एक अन्य घटना में, पिता के एक मित्र ने उनकी बेटी की गतिविधियों की शिकायत की, जिससे पिता क्रोधित हुए। यह दिखाता है कि पिता सामाजिक प्रतिष्ठा को लेकर कितने संवेदनशील थे।
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लेखन यात्रा की पृष्ठभूमि:
- यह आत्मकथ्य दर्शाता है कि लेखिका के विचारों, उनके विद्रोही स्वभाव और लेखन के पीछे उनके पिता का विरोधाभासी व्यक्तित्व, माँ की सहनशीलता (जिसके प्रति उनमें विद्रोह था), शीला अग्रवाल की प्रेरणा और तत्कालीन राजनीतिक माहौल का बड़ा हाथ था। इन्हीं अनुभवों ने उनके लेखन को विषय और दृष्टि प्रदान की।
परीक्षा की दृष्टि से विशेष ध्यान देने योग्य बातें:
- लेखिका के पिता का दोहरा चरित्र (आधुनिकता और दकियानूसीपन का मिश्रण)।
- लेखिका में हीन भावना के कारण।
- माँ के व्यक्तित्व की विशेषताएँ और लेखिका पर उसका प्रभाव।
- शीला अग्रवाल की भूमिका (साहित्यिक रुचि जगाना और राजनीतिक सक्रियता के लिए प्रेरित करना)।
- तत्कालीन स्वतंत्रता आंदोलन का माहौल और लेखिका की भागीदारी।
- 'भटियारखाना' शब्द का प्रयोग किसके लिए और क्यों किया गया।
- पिता के गर्व और क्रोध के क्षण (प्रिंसिपल से मिलने की घटना, मित्र द्वारा शिकायत की घटना)।
अभ्यास हेतु 10 महत्वपूर्ण बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs):
प्रश्न 1: 'एक कहानी यह भी' पाठ की साहित्यिक विधा क्या है?
(क) कहानी
(ख) रेखाचित्र
(ग) आत्मकथ्य
(घ) संस्मरण
सही उत्तर: (ग) आत्मकथ्य
प्रश्न 2: लेखिका मन्नू भंडारी का बचपन मुख्यतः किस शहर में बीता, जिसकी यादें पाठ में वर्णित हैं?
(क) भानपुरा
(ख) इंदौर
(ग) अजमेर
(घ) कानपुर
सही उत्तर: (ग) अजमेर
प्रश्न 3: लेखिका के पिता रसोईघर को क्या कहकर पुकारते थे?
(क) पाकशाला
(ख) अन्नपूर्णा का मंदिर
(ग) भटियारखाना
(घ) भोजन कक्ष
सही उत्तर: (ग) भटियारखाना
प्रश्न 4: लेखिका में बचपन में किस भावना ने ग्रंथि का रूप ले लिया था?
(क) आत्मविश्वास
(ख) हीन भावना
(ग) ईर्ष्या
(घ) क्रोध
सही उत्तर: (ख) हीन भावना
प्रश्न 5: लेखिका के व्यक्तित्व निर्माण में किस प्राध्यापिका का महत्वपूर्ण योगदान था?
(क) महादेवी वर्मा
(ख) सुभद्रा कुमारी चौहान
(ग) शीला अग्रवाल
(घ) सावित्री सिन्हा
सही उत्तर: (ग) शीला अग्रवाल
प्रश्न 6: लेखिका के पिता के व्यक्तित्व की मुख्य विरोधाभासी विशेषता क्या थी?
(क) वे क्रोधी थे पर दयालु भी थे।
(ख) वे अमीर थे पर कंजूस थे।
(ग) वे आधुनिक बनना चाहते थे पर दकियानूसी भी थे।
(घ) वे देशभक्त थे पर अंग्रेजों के प्रशंसक थे।
सही उत्तर: (ग) वे आधुनिक बनना चाहते थे पर दकियानूसी भी थे।
प्रश्न 7: लेखिका की माँ का स्वभाव कैसा था?
(क) विद्रोही और मुखर
(ख) शिक्षित और आधुनिक
(ग) धैर्यवान और सहनशील
(घ) शक्की और क्रोधी
सही उत्तर: (ग) धैर्यवान और सहनशील
प्रश्न 8: कॉलेज प्रिंसिपल ने लेखिका के पिता को किसलिए बुलाया था?
(क) उनकी फीस जमा न होने के कारण
(ख) उनकी साहित्यिक प्रतिभा की प्रशंसा करने के लिए
(ग) उनकी अनुशासनहीनता और हड़तालों में भागीदारी की शिकायत करने के लिए
(घ) उन्हें कॉलेज के वार्षिकोत्सव में मुख्य अतिथि बनाने के लिए
सही उत्तर: (ग) उनकी अनुशासनहीनता और हड़तालों में भागीदारी की शिकायत करने के लिए
प्रश्न 9: शीला अग्रवाल ने लेखिका को किन साहित्यकारों को पढ़ने के लिए प्रेरित किया?
(क) केवल प्रेमचंद
(ख) केवल धार्मिक ग्रंथ
(ग) प्रेमचंद से आगे बढ़कर जैनेंद्र, अज्ञेय, यशपाल आदि
(घ) केवल अंग्रेजी साहित्यकार
सही उत्तर: (ग) प्रेमचंद से आगे बढ़कर जैनेंद्र, अज्ञेय, यशपाल आदि
प्रश्न 10: पाठ के अनुसार, लेखिका के पिता किस बात से गर्व अनुभव करते थे?
(क) लेखिका के अच्छे अंक लाने पर
(ख) लेखिका के घर के काम करने पर
(ग) जब प्रिंसिपल ने बताया कि लेखिका के इशारे पर लड़कियाँ कॉलेज बंद करवा देती हैं
(घ) जब लेखिका ने उनसे बहस की
सही उत्तर: (ग) जब प्रिंसिपल ने बताया कि लेखिका के इशारे पर लड़कियाँ कॉलेज बंद करवा देती हैं
इन नोट्स और प्रश्नों का ध्यानपूर्वक अध्ययन करें। यह आपको परीक्षा में अवश्य सहायक सिद्ध होगा। कोई और प्रश्न हो तो पूछ सकते हैं।