Class 10 Hindi Notes Chapter 16 (Chapter 16) – Sparsh Book
नमस्ते विद्यार्थियों। आज हम कक्षा 10 की 'स्पर्श भाग 2' पुस्तक के पाठ 16, 'पतझर में टूटी पत्तियाँ' का अध्ययन करेंगे। यह पाठ रवींद्र केलेकर जी द्वारा लिखा गया है और इसमें दो लघु प्रसंग हैं - 'गिन्नी का सोना' और 'झेन की देन'। ये दोनों ही प्रसंग हमें जीवन के महत्वपूर्ण मूल्यों और मानसिक शांति के बारे में सोचने पर विवश करते हैं। सरकारी परीक्षाओं की दृष्टि से यह पाठ महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे जीवन-दर्शन और व्यावहारिक ज्ञान से जुड़े प्रश्न बन सकते हैं।
आइए, अब इस पाठ के विस्तृत नोट्स देखते हैं:
पाठ 16: पतझर में टूटी पत्तियाँ
लेखक: रवींद्र केलेकर
पाठ का परिचय:
इस पाठ में लेखक ने दो अलग-अलग प्रसंगों के माध्यम से जीवन के गहरे सत्यों को उजागर किया है। पहला प्रसंग 'गिन्नी का सोना' आदर्श और व्यवहार के संतुलन पर केंद्रित है, जबकि दूसरा प्रसंग 'झेन की देन' आधुनिक जीवन की भागदौड़ और मानसिक शांति की खोज पर आधारित है।
भाग 1: गिन्नी का सोना
- मूल विचार: इस अंश में लेखक ने शुद्ध सोने (आदर्श) और गिन्नी के सोने (व्यवहारिकता मिश्रित आदर्श) के बीच का अंतर स्पष्ट किया है।
- शुद्ध सोना: यह विशुद्ध आदर्शों का प्रतीक है। इसमें कोई मिलावट नहीं होती। ऐसे आदर्श समाज के लिए मूल्यवान होते हैं, लेकिन शायद पूरी तरह व्यावहारिक न लगें।
- गिन्नी का सोना: इसमें शुद्ध सोने के साथ थोड़ा ताँबा मिलाया जाता है, जिससे यह अधिक मजबूत और टिकाऊ (व्यावहारिक) बन जाता है। यह उन लोगों का प्रतीक है जो आदर्शों के साथ व्यवहारिकता का मिश्रण करते हैं।
- लेखक की चिंता: लेखक कहते हैं कि लोग अक्सर 'प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट' (Practical Idealist) यानी व्यवहारवादी आदर्शवादी बन जाते हैं। वे आदर्शों की बात तो करते हैं, पर अपने लाभ के लिए उनमें व्यवहारिकता का मिश्रण कर देते हैं, जिससे आदर्श धीरे-धीरे पीछे छूट जाते हैं और व्यवहारिकता (या स्वार्थ) हावी हो जाती है।
- गांधीजी का उदाहरण: लेखक गांधीजी जैसे नेताओं का उदाहरण देते हैं जो शुद्ध आदर्शों पर चलते थे और व्यवहारिकता को आदर्शों से नीचे रखते थे। वे कभी आदर्शों को व्यवहारिकता के स्तर पर नहीं उतारते थे, बल्कि व्यवहारिकता को आदर्शों के स्तर पर उठाने का प्रयास करते थे।
- संदेश: लेखक का मानना है कि हमें शुद्ध आदर्शों को बनाए रखना चाहिए। भले ही वे पूरी तरह प्राप्त न हों, पर वे हमें सही दिशा दिखाते हैं। आदर्शों में व्यवहारिकता का मिश्रण उन्हें कमजोर कर देता है और अंततः समाज का नुकसान होता है। हमें आदर्शों को महत्व देना चाहिए, न कि केवल तात्कालिक लाभ या व्यवहारिकता को। शाश्वत मूल्य हमेशा महत्वपूर्ण होते हैं।
भाग 2: झेन की देन
- पृष्ठभूमि: यह प्रसंग जापान की 'झेन' परंपरा और उसकी देन 'चा-नो-यू' (चाय पीने की विधि) पर आधारित है।
- आधुनिक जीवन की समस्या: लेखक बताते हैं कि आधुनिक जीवन, विशेषकर जापान जैसे विकसित देशों में, अत्यधिक तेज गति और प्रतिस्पर्धा से भरा है। लोग भविष्य की योजनाओं या बीते हुए कल की यादों में उलझे रहते हैं, वर्तमान में नहीं जीते। इससे मानसिक तनाव, अवसाद और अन्य मानसिक रोग बढ़ रहे हैं।
- झेन परंपरा: यह बौद्ध धर्म की एक ध्यान पद्धति है जो व्यक्ति को वर्तमान क्षण में जीना सिखाती है और मानसिक शांति प्रदान करती है।
- चा-नो-यू (टी-सेरेमनी):
- यह जापान की एक विशेष चाय पीने की रस्म है।
- स्थान: एक शांत, पर्णकुटी जैसा स्थान।
- प्रतिभागी: एक बार में केवल तीन लोगों को प्रवेश दिया जाता है।
- वातावरण: अत्यंत शांत और गरिमामय।
- प्रक्रिया: चाय बनाने वाला (चाजीन) बहुत धीमी और सधी हुई गति से बर्तन साफ करता है, पानी उबालता है, और चाय बनाकर प्यालों में डालता है। इसमें काफी समय लगता है।
- प्रभाव: इस धीमी प्रक्रिया और शांत वातावरण में समय मानो रुक सा जाता है। दिमाग की रफ्तार धीमी पड़ जाती है। व्यक्ति भूतकाल और भविष्य काल की चिंताओं से मुक्त होकर केवल वर्तमान क्षण में जीता है। यह अनुभव अनंत काल जितना विस्तृत महसूस होता है।
- संदेश: लेखक इस अनुभव के माध्यम से बताते हैं कि जीवन की सार्थकता वर्तमान क्षण में जीने में है। अत्यधिक तेज गति और भविष्य की चिंता हमें मानसिक रूप से बीमार बना देती है। हमें जीवन में शांति और ठहराव के क्षण लाने चाहिए, ताकि हम वास्तविक सुख और शांति का अनुभव कर सकें। 'झेन की देन' यही है - वर्तमान में जीना और मानसिक शांति पाना।
परीक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण बिंदु:
- लेखक का नाम: रवींद्र केलेकर।
- पाठ के दो भाग: 'गिन्नी का सोना' और 'झेन की देन'।
- 'गिन्नी का सोना' का अर्थ: व्यवहारिकता मिश्रित आदर्श।
- 'शुद्ध सोना' का अर्थ: विशुद्ध आदर्श।
- 'प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट' की अवधारणा: आदर्शों में व्यवहारिकता का मिश्रण करने वाले लोग।
- 'झेन' क्या है: जापान की एक ध्यान परंपरा।
- 'चा-नो-यू' क्या है: जापान की विशेष चाय पीने की विधि/रस्म।
- 'चा-नो-यू' का उद्देश्य: मानसिक शांति प्रदान करना, वर्तमान में जीना सिखाना।
- आधुनिक जीवन की मुख्य समस्या (पाठ के अनुसार): अत्यधिक तेज गति, प्रतिस्पर्धा और मानसिक तनाव।
- दोनों भागों का केंद्रीय संदेश: आदर्शों की महत्ता और मानसिक शांति के लिए वर्तमान में जीने की आवश्यकता।
अभ्यास हेतु बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs):
प्रश्न 1: 'पतझर में टूटी पत्तियाँ' पाठ के लेखक कौन हैं?
(क) महादेवी वर्मा
(ख) रवींद्र केलेकर
(ग) प्रेमचंद
(घ) हजारी प्रसाद द्विवेदी
उत्तर: (ख) रवींद्र केलेकर
प्रश्न 2: 'गिन्नी का सोना' पाठ में 'गिन्नी का सोना' किसका प्रतीक है?
(क) शुद्ध आदर्श का
(ख) केवल व्यवहारिकता का
(ग) आदर्श और व्यवहार के मिश्रण का
(घ) अत्यधिक धन का
उत्तर: (ग) आदर्श और व्यवहार के मिश्रण का
प्रश्न 3: लेखक के अनुसार, 'प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट' क्या करते हैं?
(क) केवल आदर्शों पर चलते हैं।
(ख) केवल व्यवहारिकता पर चलते हैं।
(ग) आदर्शों में व्यवहारिकता का मिश्रण कर उन्हें कमजोर करते हैं।
(घ) समाज सुधार का कार्य करते हैं।
उत्तर: (ग) आदर्शों में व्यवहारिकता का मिश्रण कर उन्हें कमजोर करते हैं।
प्रश्न 4: 'गिन्नी का सोना' पाठ के अनुसार, समाज के पास यदि शाश्वत मूल्यों जैसा कुछ है, तो वह किसका परिणाम है?
(क) व्यवहारवादी लोगों का
(ख) आदर्शवादी लोगों का
(ग) प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट लोगों का
(घ) धनी लोगों का
उत्तर: (ख) आदर्शवादी लोगों का
प्रश्न 5: 'झेन की देन' किस देश की परंपरा से संबंधित है?
(क) चीन
(ख) भारत
(ग) जापान
(घ) कोरिया
उत्तर: (ग) जापान
प्रश्न 6: 'चा-नो-यू' क्या है?
(क) एक जापानी त्योहार
(ख) एक जापानी ध्यान विधि
(ग) जापान की चाय पीने की एक विशेष विधि
(घ) एक जापानी मार्शल आर्ट
उत्तर: (ग) जापान की चाय पीने की एक विशेष विधि
प्रश्न 7: 'झेन की देन' पाठ के अनुसार, जापानियों के मानसिक रोग का मुख्य कारण क्या है?
(क) अत्यधिक गरीबी
(ख) जीवन की अत्यधिक तेज गति और प्रतिस्पर्धा
(ग) प्राकृतिक आपदाएँ
(घ) पारिवारिक झगड़े
उत्तर: (ख) जीवन की अत्यधिक तेज गति और प्रतिस्पर्धा
प्रश्न 8: 'चा-नो-यू' विधि में एक साथ अधिकतम कितने लोगों को प्रवेश दिया जाता है?
(क) दो
(ख) तीन
(ग) चार
(घ) पाँच
उत्तर: (ख) तीन
प्रश्न 9: 'झेन की देन' पाठ का मुख्य संदेश क्या है?
(क) तेजी से काम करना चाहिए।
(ख) भूतकाल के बारे में सोचना चाहिए।
(ग) भविष्य की योजना बनानी चाहिए।
(घ) वर्तमान क्षण में जीना चाहिए और मानसिक शांति पानी चाहिए।
उत्तर: (घ) वर्तमान क्षण में जीना चाहिए और मानसिक शांति पानी चाहिए।
प्रश्न 10: लेखक के अनुसार, कौन-सा काल मिथ्या होता है?
(क) केवल वर्तमान काल
(ख) केवल भूतकाल
(ग) केवल भविष्य काल
(घ) भूतकाल और भविष्य काल दोनों
उत्तर: (घ) भूतकाल और भविष्य काल दोनों
इन नोट्स और प्रश्नों का अच्छे से अध्ययन करें। यह आपकी परीक्षा की तैयारी में सहायक सिद्ध होंगे। शुभकामनाएँ!