Class 10 Hindi Notes Chapter 2 (मीरा: पद्य) – Sparsh Book
नमस्ते विद्यार्थियो। आज हम कक्षा 10 की 'स्पर्श' पाठ्यपुस्तक के दूसरे पाठ, 'मीरा के पद', का गहन अध्ययन करेंगे, जो आपकी सरकारी परीक्षाओं की तैयारी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। मीराबाई भक्तिकाल की एक महान कवयित्री थीं और उनके पद भगवान कृष्ण के प्रति उनके अनन्य प्रेम और समर्पण को दर्शाते हैं।
पाठ 2: मीरा के पद - विस्तृत नोट्स
कवयित्री परिचय: मीराबाई (लगभग 1498-1546)
- जन्म: मेड़ता (राजस्थान) के पास कुड़की गाँव में।
- भक्ति: कृष्णभक्ति शाखा की प्रमुख कवयित्री। बचपन से ही कृष्ण के प्रति गहरी आस्था थी।
- विवाह: मेवाड़ के महाराणा सांगा के पुत्र भोजराज से हुआ, परन्तु कुछ समय बाद पति का देहांत हो गया।
- जीवन: पति की मृत्यु के बाद मीरा का मन संसार से विरक्त हो गया और वे पूरी तरह कृष्ण भक्ति में लीन हो गईं। उन्होंने साधु-संतों की संगति की, भजन गाए और नृत्य किया। राजपरिवार ने उनके इस व्यवहार का विरोध किया और उन्हें कष्ट दिए, यहाँ तक कि विष देने का प्रयास भी किया।
- भाषा: मीरा के पदों की भाषा में राजस्थानी, ब्रज और गुजराती का मिश्रण पाया जाता है। इसमें पंजाबी, खड़ी बोली और पूर्वी के प्रयोग भी मिलते हैं। भाषा सीधी, सरल और भावानुकूल है।
- रचनाएँ: मीराबाई की पदावली प्रसिद्ध है।
पद 1: "हरि आप हरो जन री भीर"
- प्रसंग: इस पद में मीराबाई भगवान श्रीकृष्ण से अपने भक्तों के दुखों को दूर करने की प्रार्थना करती हैं। वे विभिन्न उदाहरण देकर बताती हैं कि कैसे भगवान ने अपने भक्तों की रक्षा की है।
- व्याख्या:
- "हरि आप हरो जन री भीर।": मीरा कहती हैं - हे हरि (भगवान कृष्ण), आप अपने भक्तों (जन) के कष्टों (भीर/पीड़ा) को दूर कीजिए।
- "द्रोपदी री लाज राखी, आप बढ़ायो चीर।": आपने द्रौपदी की इज्जत (लाज) बचाई थी, जब दुःशासन भरी सभा में उनका चीर हरण कर रहा था, तब आपने वस्त्र (चीर) को बढ़ाकर उनकी रक्षा की।
- "भगत कारण रूप नरहरि, धरयो आप सरीर।": अपने भक्त प्रहलाद के लिए आपने नरसिंह (आधा मनुष्य, आधा सिंह) का रूप धारण किया और हिरण्यकशिपु का वध करके प्रहलाद की रक्षा की। (नरहरि = नरसिंह, सरीर = शरीर)
- "बूड़तो गजराज राख्यो, काटी कुण्जर पीर।": डूबते हुए ऐरावत हाथी (गजराज) को मगरमच्छ के मुँह से बचाया और उस हाथी (कुण्जर) की पीड़ा (पीर) को काटा (दूर किया)।
- "दासी मीराँ लाल गिरधर, हरो म्हारी भीर।": मीराबाई कहती हैं कि हे गिरिधर (पर्वत को धारण करने वाले कृष्ण), मैं आपकी दासी हूँ, मेरी पीड़ा (म्हारी भीर) भी दूर कीजिए।
- विशेष:
- मीरा की अनन्य भक्ति और विश्वास प्रकट होता है।
- भगवान के भक्तवत्सल रूप का चित्रण है।
- उदाहरण अलंकार का प्रयोग (द्रौपदी, प्रहलाद, गजराज)।
- भाषा सरल, राजस्थानी मिश्रित ब्रजभाषा है।
- 'र' वर्ण की आवृत्ति (हरि, हरो, जन री, भीर, राखी, बढ़ायो चीर, कारण, रूप, नरहरि, धरयो, सरीर, गजराज, राख्यो, कुण्जर, पीर, मीराँ, गिरधर, म्हारी) के कारण अनुप्रास अलंकार है।
- पद गेय (गाने योग्य) है।
पद 2: "स्याम म्हाने चाकर राखो जी"
- प्रसंग: इस पद में मीराबाई श्रीकृष्ण की सेविका (चाकर) बनकर उनके समीप रहने की इच्छा व्यक्त करती हैं। वे चाकरी करने के लाभ और कृष्ण के रूप-सौंदर्य का वर्णन करती हैं।
- व्याख्या:
- "स्याम म्हाने चाकर राखो जी।": मीरा कहती हैं - हे श्याम (कृष्ण), मुझे अपनी दासी (चाकर) बनाकर रख लीजिए।
- "चाकर रहसूँ बाग लगासूँ, नित उठ दरसण पासूँ।": दासी बनकर मैं आपके लिए बाग-बगीचे लगाऊँगी और रोज़ सुबह उठकर आपके दर्शन (दरसण) पाऊँगी।
- "बिन्दरावन री कुंज गली में, गोविंद लीला गासूँ।": वृन्दावन (बिन्दरावन) की संकरी गलियों (कुंज गली) में मैं गोविंद (कृष्ण) की लीलाओं का गान करूँगी।
- "चाकरी में दरसण पासूँ, सुमरण पासूँ खरची।": चाकरी (सेवा) करने से मुझे तीन लाभ होंगे - पहला, आपके दर्शन मिलेंगे; दूसरा, आपका नाम स्मरण (सुमरण) करने का अवसर मिलेगा जो मेरी जेबखर्च (खरची) के समान होगा (अर्थात नाम-स्मरण रूपी धन मिलेगा);
- "भाव भगति जागीरी पासूँ, तीनूँ बाताँ सरसी।": तीसरा, भावपूर्ण भक्ति की जागीर (संपत्ति) प्राप्त होगी। इस प्रकार ये तीनों बातें (बाताँ) मेरे लिए बहुत अच्छी (सरसी) रहेंगी।
- रूप-सौंदर्य वर्णन:
- "मोर मुगट पीताम्बर सोहै, गल वैजन्ती माला।": आपके मस्तक पर मोर पंख का मुकुट (मुगट) और शरीर पर पीले वस्त्र (पीताम्बर) सुशोभित (सोहै) हो रहे हैं, गले में वैजन्ती फूलों की माला है।
- "बिन्दरावन में धेनु चरावे, मोहन मुरली वाला।": आप वृन्दावन में गायें (धेनु) चराते हैं, हे मन को मोहने वाले मुरलीधर!
- "ऊँचा ऊँचा महल बणावम बिच बिच राखूँ बारी।": मैं आपके लिए ऊँचे-ऊँचे महल बनवाऊँगी और बीच-बीच में खिड़कियाँ (बारी/फुलवारी) रखूँगी।
- "साँवरिया रा दरसण पासूँ, पहर कुसुम्बी साड़ी।": मैं कुसुम्बी (लाल) रंग की साड़ी पहनकर अपने साँवले प्रभु (साँवरिया) के दर्शन पाऊँगी।
- "आधी रात प्रभु दरसण, दीज्यो जमना जी रे तीरा।": हे प्रभु, मुझे आधी रात के समय यमुना (जमना) जी के किनारे (तीरा) अपने दर्शन देना।
- "मीराँ रा प्रभु गिरधर नागर, हिवड़ो घणो अधीरा।": मीरा कहती हैं कि मेरे प्रभु तो चतुर गिरिधर नागर (कृष्ण) हैं, मेरा हृदय (हिवड़ो) उनके दर्शन के लिए बहुत व्याकुल (अधीरा) है।
- विशेष:
- मीरा की दास्य भक्ति भावना प्रकट होती है।
- कृष्ण के मनमोहक रूप का सजीव चित्रण है।
- सेवा, स्मरण और दर्शन की अभिलाषा है।
- भाषा में राजस्थानी का पुट अधिक है।
- अनुप्रास अलंकार (जैसे - 'कुंज गली', 'मोहन मुरली', 'ऊँचा ऊँचा', 'बिच बिच')।
- रूपक अलंकार ('भाव भगति जागीरी')।
- पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार ('ऊँचा ऊँचा', 'बिच बिच')।
- पद में गेयता और संगीतात्मकता है।
परीक्षा की दृष्टि से महत्व:
- भक्तिकाल की काव्य प्रवृत्तियों (विशेषकर कृष्ण भक्ति) को समझने में सहायक।
- मीराबाई के जीवन और काव्य की विशेषताओं का ज्ञान।
- पदों की व्याख्या, काव्य सौंदर्य (रस, अलंकार, भाषा) और शब्दार्थ से संबंधित प्रश्न पूछे जा सकते हैं।
- मीरा की भक्ति-भावना (माधुर्य और दास्य भाव) को समझना महत्वपूर्ण है।
अब, इस पाठ पर आधारित कुछ बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs) हल करते हैं, जिससे आपकी तैयारी और पुख्ता हो सके।
बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs)
प्रश्न 1: मीराबाई ने 'हरि' से किसकी 'भीर' (पीड़ा) हरने की प्रार्थना की है?
(क) अपनी
(ख) राजा की
(ग) जन (भक्तों) की
(घ) द्रौपदी की
प्रश्न 2: मीराबाई के अनुसार, भगवान ने नरसिंह का रूप किसके लिए धारण किया था?
(क) गजराज के लिए
(ख) द्रौपदी के लिए
(ग) प्रहलाद के लिए
(घ) मीरा के लिए
प्रश्न 3: दूसरे पद में मीराबाई श्रीकृष्ण की 'चाकर' बनकर क्या करना चाहती हैं?
(क) महल बनवाना
(ख) बाग लगाना और दर्शन पाना
(ग) यमुना किनारे घूमना
(घ) केवल लीला गाना
प्रश्न 4: 'स्याम म्हाने चाकर राखो जी' - इस पंक्ति में 'चाकर' शब्द का क्या अर्थ है?
(क) मित्र
(ख) स्वामी
(ग) सेवक/नौकर
(घ) रक्षक
प्रश्न 5: मीराबाई चाकरी के बदले कौन-से तीन लाभ पाना चाहती हैं?
(क) धन, महल, वस्त्र
(ख) दर्शन, सुमरण, भाव-भक्ति की जागीरी
(ग) गायें, बाग, मुरली
(घ) मान, सम्मान, सुख
प्रश्न 6: मीराबाई ने श्रीकृष्ण के रूप-सौंदर्य का वर्णन करते हुए उनके गले में किस माला का उल्लेख किया है?
(क) मोतियों की माला
(ख) फूलों की माला
(ग) वैजन्ती माला
(घ) तुलसी माला
प्रश्न 7: 'बूड़तो गजराज राख्यो, काटी कुण्जर पीर' - इस पंक्ति में 'कुण्जर' शब्द का क्या अर्थ है?
(क) मगरमच्छ
(ख) हिरण्यकशिपु
(ग) हाथी
(घ) भक्त
प्रश्न 8: मीराबाई आधी रात को प्रभु के दर्शन कहाँ पाना चाहती हैं?
(क) महल की खिड़की से
(ख) वृन्दावन की गलियों में
(ग) यमुना जी के किनारे
(घ) मंदिर के द्वार पर
प्रश्न 9: मीरा के पदों की मुख्य भाषा कौन-सी है?
(क) शुद्ध खड़ी बोली
(ख) अवधी
(ग) राजस्थानी मिश्रित ब्रजभाषा
(घ) मैथिली
प्रश्न 10: 'भाव भगति जागीरी पासूँ' - इस पंक्ति में कौन-सा अलंकार प्रमुख है?
(क) उपमा
(ख) यमक
(ग) श्लेष
(घ) रूपक
उत्तरमाला:
- (ग) जन (भक्तों) की
- (ग) प्रहलाद के लिए
- (ख) बाग लगाना और दर्शन पाना
- (ग) सेवक/नौकर
- (ख) दर्शन, सुमरण, भाव-भक्ति की जागीरी
- (ग) वैजन्ती माला
- (ग) हाथी
- (ग) यमुना जी के किनारे
- (ग) राजस्थानी मिश्रित ब्रजभाषा
- (घ) रूपक (भाव-भक्ति को जागीर का रूप दिया गया है)
इन नोट्स और प्रश्नों का अच्छे से अध्ययन करें। मीरा के पदों में उनकी भक्ति की गहराई और काव्य सौंदर्य को समझने का प्रयास करें। कोई शंका हो तो अवश्य पूछें। आपकी परीक्षा के लिए शुभकामनाएँ!