Class 10 Hindi Notes Chapter 5 (सुमित्रानंदन पंत: पर्वत प्रदेश में प्रवास) – Sparsh Book

Sparsh
नमस्ते विद्यार्थियो। आज हम कक्षा १० की 'स्पर्श' पाठ्यपुस्तक के पाठ ५, सुमित्रानंदन पंत जी द्वारा रचित कविता 'पर्वत प्रदेश में पावस' का अध्ययन करेंगे। यह कविता प्रकृति के सुकुमार कवि पंत जी की अद्भुत रचना है, जिसमें उन्होंने वर्षा ऋतु में पर्वतीय प्रदेश की बदलती छटा का मनमोहक चित्रण किया है। परीक्षा की दृष्टि से यह पाठ अत्यंत महत्वपूर्ण है, तो चलिए इसके विस्तृत नोट्स और कुछ बहुविकल्पीय प्रश्न देखते हैं।

कक्षा १० - स्पर्श (भाग २)
पाठ ५: सुमित्रानंदन पंत - पर्वत प्रदेश में पावस
(परीक्षा उपयोगी विस्तृत नोट्स)

कवि परिचय:

  • नाम: सुमित्रानंदन पंत
  • जन्म: २० मई १९००, कौसानी, अल्मोड़ा (उत्तराखंड)
  • मृत्यु: २८ दिसंबर १९७७
  • विशेषता: पंत जी को 'प्रकृति का सुकुमार कवि' कहा जाता है। वे छायावाद के प्रमुख स्तंभों में से एक हैं। उनकी कविताओं में प्रकृति के कोमल और सजीव चित्र मिलते हैं। उन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।

कविता का सार (Detailed Summary):

यह कविता वर्षा ऋतु में पहाड़ों पर पल-पल बदलते प्राकृतिक दृश्यों का सजीव चित्रण करती है।

  1. पर्वत का विशाल रूप और दर्पण: कवि कहते हैं कि वर्षा ऋतु में पर्वतीय प्रदेश की प्रकृति हर पल अपना रूप बदल रही है। पहाड़ करधनी (कमर में पहनने वाला आभूषण) के आकार में दूर-दूर तक फैले हैं। उन पर खिले हजारों फूल ऐसे लग रहे हैं मानो वे पहाड़ की आँखें हों। पहाड़ अपने नीचे फैले विशाल तालाब रूपी दर्पण में अपने इन हजार पुष्प रूपी नेत्रों से अपने विशाल आकार को निहार रहा है।
  2. मोती समान झरने: पहाड़ों के हृदय से उठ-उठ कर बहने वाले झरने मोती की लड़ियों के समान सुंदर लग रहे हैं। उनकी झर-झर की आवाज़ मन में उत्साह और प्रसन्नता भर देती है। ऐसा लगता है मानो ये झरने अपनी मधुर ध्वनि से पर्वतों का गुणगान कर रहे हों।
  3. आकाश को छूते वृक्ष: पहाड़ों पर उगे ऊँचे-ऊँचे वृक्ष (जैसे चीड़, देवदारु) गंभीर चिंता में डूबे हुए शांत आकाश को लगातार अपलक देख रहे हैं। उन्हें देखकर ऐसा लगता है मानो वे आकाश की ऊँचाइयों को छू लेना चाहते हों, अपनी ऊँची आकांक्षाओं को पूरा करना चाहते हों।
  4. मौसम का अचानक बदलना: अचानक मौसम बदल जाता है। घने बादल आकाश में छा जाते हैं, जिससे पहाड़ अदृश्य हो जाते हैं, जैसे वे बादलों के पंख लगाकर कहीं उड़ गए हों। झरनों का बहना तो जारी रहता है, पर बादलों के कारण वे दिखाई नहीं देते, केवल उनकी आवाज़ ही सुनाई देती है (रव ही शेष रह जाता है)।
  5. प्रकृति का भयभीत रूप: इस बदलते मौसम और मूसलाधार वर्षा से भयभीत होकर शाल के विशाल वृक्ष ऐसे लगते हैं मानो डरकर धरती में धँस गए हों। तालाब से उठता हुआ कोहरा धुएँ के समान प्रतीत होता है, जिससे लगता है कि तालाब में आग लग गई हो।
  6. इंद्र का जादू: कवि को लगता है कि इस प्रकार आकाश में बादल रूपी विमान पर घूम-घूम कर वर्षा के देवता इंद्र अपना जादू दिखा रहे हैं, जिसके कारण पर्वतों पर क्षण-क्षण में इतने अद्भुत और आश्चर्यजनक परिवर्तन हो रहे हैं।

काव्य सौंदर्य / शिल्प सौंदर्य:

  • भाषा: कविता की भाषा शुद्ध, साहित्यिक, तत्सम शब्दों से युक्त खड़ी बोली है। भाषा अत्यंत सरस, मधुर और प्रवाहमयी है।
  • शैली: चित्रात्मक शैली का प्रयोग है। शब्दों के माध्यम से कवि आँखों के सामने पर्वतीय प्रदेश का सजीव चित्र प्रस्तुत कर देते हैं।
  • अलंकार:
    • मानवीकरण: पूरी कविता में प्रकृति का मानवीकरण किया गया है। जैसे - पर्वत का तालाब में देखना, पेड़ों का चिंतामग्न होकर आकाश को ताकना, शाल के पेड़ों का डरकर धँसना आदि।
    • उपमा: 'मोती की लड़ियों से सुन्दर झरने', 'पारावार के पर' (पारे के समान चमकीले पंख)।
    • रूपक: 'सहस्र दृग-सुमन' (हजारों फूल रूपी आँखें), 'ताल-दर्पण' (तालाब रूपी दर्पण), 'जलद-यान' (बादल रूपी विमान)।
    • पुनरुक्ति प्रकाश: 'गिरिवर के उर से उठ-उठ कर', 'विचर-विचर'।
    • ध्वन्यात्मकता: झरनों की 'रव' (आवाज़) का वर्णन ध्वनि बिंब प्रस्तुत करता है।
  • बिंब: कविता में दृश्य बिंब (पहाड़, झरने, पेड़, बादल, तालाब) और श्रव्य बिंब (झरनों की आवाज़) का सुंदर प्रयोग है।
  • लय और संगीत: कविता में गेयता और संगीतात्मकता का गुण विद्यमान है।

मूल भाव / केंद्रीय विचार:

इस कविता का मूल भाव वर्षा ऋतु में पर्वतीय प्रदेश की मनमोहक सुंदरता और उसके पल-पल बदलते रहस्यमयी स्वरूप का चित्रण करना है। कवि ने प्रकृति को एक सजीव सत्ता के रूप में प्रस्तुत किया है, जो विभिन्न क्रियाएँ करती हुई प्रतीत होती है।

महत्वपूर्ण शब्दार्थ:

  • पावस ऋतु - वर्षा ऋतु
  • मेखलाकार - करधनी के आकार की पहाड़ की ढाल
  • सहस्र - हजार
  • दृग-सुमन - आँख रूपी पुष्प
  • अवलोक रहा है - देख रहा है
  • ताल - तालाब
  • दर्पण - आईना
  • गिरिवर - ऊँचा पहाड़
  • उर - हृदय
  • मद - मस्ती, नशा
  • उच्चाकांक्षा - ऊँची आकांक्षा या इच्छा
  • तरुवर - बड़े पेड़
  • नीरव नभ - शांत आकाश
  • अनिमेष - अपलक, बिना पलक झपकाए
  • अटल - स्थिर
  • भूधर - पहाड़
  • फड़का अपार - अत्यधिक फड़कना या खुलना
  • पारद के पर - पारे के समान चमकीले पंख
  • रव-शेष - केवल आवाज़ का बाकी रह जाना
  • विचरना - घूमना
  • जलद-यान - बादल रूपी विमान
  • इंद्रजाल - जादू

परीक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण बिंदु:

  • कवि सुमित्रानंदन पंत और कविता 'पर्वत प्रदेश में पावस' का नाम याद रखें।
  • कविता में प्रकृति के मानवीकरण के उदाहरणों को समझें।
  • प्रमुख उपमाओं, रूपकों और अन्य अलंकारों को पहचानना सीखें।
  • कविता में वर्णित वर्षा ऋतु के विभिन्न दृश्यों (पर्वत, झरने, पेड़, बादल, तालाब) और उनके बदलते स्वरूप को ध्यान में रखें।
  • 'प्रकृति के सुकुमार कवि' किसे कहा जाता है, यह याद रखें।

अभ्यास हेतु बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs):

प्रश्न 1: 'पर्वत प्रदेश में पावस' कविता के रचयिता कौन हैं?
(क) सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'
(ख) महादेवी वर्मा
(ग) सुमित्रानंदन पंत
(घ) जयशंकर प्रसाद

प्रश्न 2: कविता के अनुसार, पर्वत अपना विशाल आकार कहाँ देख रहा है?
(क) नदी के जल में
(ख) आकाश में
(ग) अपने चरणों में स्थित तालाब रूपी दर्पण में
(घ) झरनों के पानी में

प्रश्न 3: 'सहस्र दृग-सुमन' से कवि का क्या तात्पर्य है?
(क) हजारों तारे
(ख) पर्वत पर खिले हजारों फूल रूपी आँखें
(ग) हजारों दीपक
(घ) हजारों कमल के फूल

प्रश्न 4: झरने किसकी गौरव गाथा गा रहे हैं?
(क) वृक्षों की
(ख) बादलों की
(ग) पर्वतों की
(घ) इंद्र देवता की

प्रश्न 5: ऊँचे वृक्ष आकाश की ओर किस भावना से देख रहे हैं?
(क) भय की भावना से
(ख) ऊँची आकांक्षाओं की पूर्ति की भावना से
(ग) उदासी की भावना से
(घ) क्रोध की भावना से

प्रश्न 6: अचानक बादलों के छा जाने पर पर्वत कैसे प्रतीत होते हैं?
(क) अधिक सुंदर
(ख) अधिक ऊँचे
(ग) जैसे वे कहीं उड़ गए हों (अदृश्य)
(घ) काले रंग के

प्रश्न 7: 'टूट पड़ा भू पर अंबर' - इस पंक्ति का क्या अर्थ है?
(क) आकाश धरती पर गिर गया
(ख) ओले गिरने लगे
(ग) मूसलाधार वर्षा होने लगी
(घ) भूकंप आ गया

प्रश्न 8: कौन-सा वृक्ष भयभीत होकर धरती में धँसा हुआ प्रतीत होता है?
(क) चीड़ का वृक्ष
(ख) देवदारु का वृक्ष
(ग) शाल का वृक्ष
(घ) आम का वृक्ष

प्रश्न 9: 'यों जलद-यान पर विचर-विचर था इंद्र खेलता इंद्रजाल' - पंक्ति में 'जलद-यान' किसे कहा गया है?
(क) इंद्र के रथ को
(ख) हवाई जहाज को
(ग) बादल रूपी विमान को
(घ) उड़न खटोले को

प्रश्न 10: 'पर्वत प्रदेश में पावस' कविता में मुख्य रूप से किस ऋतु का वर्णन है?
(क) वसंत ऋतु
(ख) ग्रीष्म ऋतु
(ग) शरद ऋतु
(घ) वर्षा ऋतु

उत्तरमाला:

  1. (ग)
  2. (ग)
  3. (ख)
  4. (ग)
  5. (ख)
  6. (ग)
  7. (ग)
  8. (ग)
  9. (ग)
  10. (घ)

आशा है कि इन नोट्स और प्रश्नों से आपको परीक्षा की तैयारी में सहायता मिलेगी। इस कविता को ध्यान से पढ़ें और प्रकृति के इस अद्भुत चित्रण का आनंद लें। शुभकामनाएँ!

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