Class 10 Hindi Notes Chapter 8 (कैफी आज़मी: कर चले हम फ़िदा) – Sparsh Book
नमस्ते विद्यार्थियों। आज हम कक्षा 10 की 'स्पर्श' पाठ्यपुस्तक के पाठ 8, 'कैफ़ी आज़मी' द्वारा रचित गीत 'कर चले हम फ़िदा' का अध्ययन करेंगे। यह गीत सरकारी परीक्षाओं की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें देशभक्ति, बलिदान और राष्ट्रीय एकता जैसे विषयों को उजागर किया गया है। आइए, इसके विस्तृत नोट्स देखें:
पाठ 8: कर चले हम फ़िदा
कवि: कैफ़ी आज़मी
गीत का संदर्भ:
यह गीत सन् 1962 के भारत-चीन युद्ध की पृष्ठभूमि पर बनी फ़िल्म 'हक़ीकत' के लिए लिखा गया था। इस गीत में युद्धभूमि में देश के लिए प्राण न्योछावर करने वाले सैनिकों के हृदय की आवाज़ को व्यक्त किया गया है। वे मरते-मरते भी देशवासियों से देश की रक्षा की अपेक्षा करते हैं।
विस्तृत व्याख्या (पद-अनुसार):
-
"कर चले हम फ़िदा जानो-तन साथियो,
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो।"- व्याख्या: युद्धभूमि में घायल और मरणासन्न सैनिक अपने अन्य साथियों और देशवासियों को संबोधित करते हुए कहते हैं कि हमने तो अपना शरीर और प्राण (जानो-तन) देश के लिए बलिदान (फ़िदा) कर दिए हैं। अब इस देश (वतन) की रक्षा का भार तुम्हारे हवाले (सुपुर्द) है। यह उनकी अंतिम इच्छा और आह्वान है।
-
"साँस थमती गई, नब्ज़ जमती गई,
फिर भी बढ़ते कदम को न रुकने दिया,
कट गए सर हमारे तो कुछ गम नहीं,
सर हिमालय का हमने न झुकने दिया।"- व्याख्या: सैनिक बताते हैं कि अत्यंत विपरीत परिस्थितियों में, जब उनकी साँसें रुक रही थीं और ठंड के कारण नब्ज़ (नाड़ी) जमती जा रही थी, तब भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और आगे बढ़ते कदमों को रुकने नहीं दिया। उन्हें अपने सिर कट जाने का कोई दुख (गम) नहीं है, उन्हें संतोष है कि उन्होंने भारत के गौरव के प्रतीक हिमालय का सिर (मान-सम्मान) झुकने नहीं दिया।
-
"मरते-मरते रहा बाँकपन साथियो,
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो।"- व्याख्या: सैनिक कहते हैं कि मरते समय भी उनका शौर्य और जोश (बाँकपन) बना रहा। वे वीरतापूर्वक लड़े और अब देश की रक्षा का दायित्व देशवासियों पर सौंप रहे हैं।
-
"ज़िंदा रहने के मौसम बहुत हैं मगर,
जान देने की रुत रोज़ आती नहीं,
हुस्न और इश्क़ दोनों को रुस्वा करे,
वो जवानी जो खूँ में नहाती नहीं।"- व्याख्या: सैनिक जीवन के मोह को त्यागकर देश पर बलिदान होने को अधिक महत्व देते हैं। वे कहते हैं कि जीवन जीने के अवसर (मौसम) तो बहुत मिलते हैं, परंतु देश के लिए प्राण देने का पवित्र अवसर (रुत) रोज़-रोज़ नहीं आता। वह जवानी व्यर्थ है जो देश के लिए अपना खून न बहाए। ऐसी जवानी सुंदरता (हुस्न) और प्रेम (इश्क़) दोनों को बदनाम (रुस्वा) करती है, क्योंकि देशप्रेम इन सबसे ऊपर है।
-
"आज धरती बनी है दुलहन साथियो,
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो।"- व्याख्या: सैनिक कहते हैं कि आज युद्धभूमि की धरती शहीदों के खून से नहाकर ऐसी लग रही है मानो कोई नई नवेली दुल्हन हो, जिसने लाल जोड़ा पहन रखा हो। वे देशवासियों से इस दुल्हन रूपी धरती की रक्षा करने का आह्वान करते हैं।
-
"राह कुर्बानियों की न वीरान हो,
तुम सजाते ही रहना नए काफ़िले,
फतह का जश्न इस जश्न के बाद है,
ज़िंदगी मौत से मिल रही है गले।"- व्याख्या: सैनिक कामना करते हैं कि देश के लिए बलिदान देने वालों की परंपरा (राह कुर्बानियों की) कभी सूनी (वीरान) न हो। देशवासी निरंतर बलिदान के लिए तैयार रहें और नए-नए जत्थे (काफ़िले) बनाकर देश की रक्षा के लिए आगे आते रहें। वे बताते हैं कि अभी तो वे मौत को गले लगा रहे हैं (यानी बलिदान दे रहे हैं), इस बलिदान के बाद ही जीत का उत्सव (फतह का जश्न) मनाया जाएगा। यहाँ जीवन और मृत्यु का अद्भुत मिलन दिखाया गया है।
-
"बाँध लो अपने सर से कफ़न साथियो,
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो।"- व्याख्या: सैनिक देशवासियों से कहते हैं कि तुम भी बलिदान देने के लिए तैयार हो जाओ और अपने सिर पर कफ़न बाँध लो (अर्थात् मौत से न डरो)। देश की रक्षा का भार अब तुम्हारे कंधों पर है।
-
"खींच दो अपने खूँ से ज़मीं पर लकीर,
इस तरफ़ आने पाए न रावन कोई,
तोड़ दो हाथ अगर हाथ उठने लगे,
छू न पाए सीता का दामन कोई।"- व्याख्या: सैनिक देशवासियों से आह्वान करते हैं कि वे अपने खून से धरती पर लक्ष्मण रेखा जैसी एक रेखा खींच दें, जिसे पार करके कोई भी शत्रु रूपी रावण (आक्रमणकारी) देश की सीमा में प्रवेश न कर सके। यदि कोई हाथ देश के सम्मान (सीता का दामन) को छूने की कोशिश करे, तो उसे तोड़ दो। यहाँ भारत माता को सीता और उसकी अस्मिता को 'सीता का दामन' कहा गया है।
-
"राम भी तुम, तुम्हीं लक्ष्मण साथियो,
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो।"- व्याख्या: अंत में सैनिक देशवासियों में विश्वास जताते हुए कहते हैं कि तुम ही राम हो और तुम ही लक्ष्मण। अर्थात्, तुम ही देश की रक्षा करने वाले हो और तुम ही उसकी अस्मिता को बचाने वाले हो। देश की रक्षा का पूरा दायित्व अब तुम्हारा है।
प्रमुख भाव एवं संदेश:
- देशभक्ति: गीत में सैनिकों की अटूट देशभक्ति झलकती है।
- बलिदान की प्रेरणा: यह गीत देशवासियों को देश के लिए सर्वस्व न्योछावर करने की प्रेरणा देता है।
- कर्तव्य बोध: सैनिकों ने अपना कर्तव्य निभाया और अब देशवासियों को उनके कर्तव्य का बोध करा रहे हैं।
- राष्ट्रीय एकता: देश की रक्षा केवल सैनिकों का ही नहीं, बल्कि समस्त देशवासियों का सामूहिक दायित्व है।
- शौर्य और वीरता: सैनिकों की वीरता और मरते दम तक लड़ने के जज्बे का वर्णन है।
काव्य-सौंदर्य:
- भाषा: सरल, प्रवाहमयी, उर्दू शब्दावली (फ़िदा, वतन, रुस्वा, खूँ, काफ़िले, फतह) युक्त खड़ी बोली।
- रस: वीर रस तथा करुण रस का अद्भुत संगम।
- गुण: ओज गुण।
- शैली: गीत शैली, संबोधन शैली।
- प्रतीक: 'हिमालय' देश के मान-सम्मान का, 'धरती दुल्हन' शहीदों के रक्त से सजी भूमि का, 'सीता का दामन' देश की अस्मिता का, 'रावण' आक्रमणकारी शत्रु का प्रतीक है।
- अलंकार: अनुप्रास (तम तुम्हारे, बढ़ते कदम), रूपक (धरती बनी है दुल्हन), पुनरुक्ति प्रकाश (मरते-मरते)।
- लय और गेयता: गीत में अद्भुत लय और गेयता है, जो इसे प्रभावशाली बनाती है।
परीक्षा की दृष्टि से महत्व:
यह गीत देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत है और अक्सर परीक्षाओं में इससे संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं, जैसे - गीत का मूल भाव, सैनिकों का संदेश, प्रतीकों का अर्थ, काव्य-सौंदर्य आदि।
अभ्यास हेतु बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs):
-
'कर चले हम फ़िदा' गीत किस युद्ध की पृष्ठभूमि पर आधारित है?
(क) 1965 भारत-पाक युद्ध
(ख) 1971 भारत-पाक युद्ध
(ग) 1962 भारत-चीन युद्ध
(घ) कारगिल युद्ध -
गीत में 'हिमालय का सर न झुकने देने' का क्या आशय है?
(क) हिमालय पर्वत की रक्षा करना
(ख) देश के मान-सम्मान की रक्षा करना
(ग) बर्फीले तूफानों से लड़ना
(घ) ऊंचाई पर चढ़ाई करना -
सैनिकों ने 'जान देने की रुत' किसे कहा है?
(क) वसंत ऋतु को
(ख) वर्षा ऋतु को
(ग) देश के लिए बलिदान होने के अवसर को
(घ) जवानी के दिनों को -
'आज धरती बनी है दुलहन साथियो' पंक्ति में धरती के दुल्हन बनने का क्या कारण है?
(क) वसंत ऋतु का आगमन
(ख) सैनिकों के रक्त से धरती का लाल होना
(ग) नई फसल का उगना
(घ) बारिश का होना -
'राह कुर्बानियों की न वीरान हो' से कवि का क्या तात्पर्य है?
(क) सड़कें सूनी न हों
(ख) बलिदान देने वालों की कमी न हो
(ग) काफिले चलते रहें
(घ) रास्ते आबाद रहें -
गीत में 'सीता का दामन' किसका प्रतीक है?
(क) सीता के वस्त्र का
(ख) भारतीय नारी का
(ग) देश की धरती का
(घ) देश की इज्जत और अस्मिता का -
'राम भी तुम, तुम्हीं लक्ष्मण साथियो' कहकर सैनिक देशवासियों से क्या अपेक्षा करते हैं?
(क) राम और लक्ष्मण की पूजा करने की
(ख) देश की रक्षा और उसकी अस्मिता बचाने की
(ग) रामायण का पाठ करने की
(घ) अयोध्या जाने की -
'कर चले हम फ़िदा' गीत के रचयिता कौन हैं?
(क) साहिर लुधियानवी
(ख) कैफ़ी आज़मी
(ग) गुलज़ार
(घ) जावेद अख़्तर -
गीत में सैनिक अपना 'वतन' किसके हवाले कर रहे हैं?
(क) सरकार के
(ख) सेना के अधिकारियों के
(ग) अपने परिवार के
(घ) देशवासियों के -
'खींच दो अपने खूँ से ज़मीं पर लकीर' पंक्ति में 'खूँ से लकीर खींचने' का क्या अर्थ है?
(क) जमीन पर खून गिराना
(ख) खून से चित्र बनाना
(ग) अपने बलिदान से देश की सीमा सुरक्षित करना
(घ) स्याही से रेखा खींचना
उत्तरमाला:
- (ग), 2. (ख), 3. (ग), 4. (ख), 5. (ख), 6. (घ), 7. (ख), 8. (ख), 9. (घ), 10. (ग)
इन नोट्स और प्रश्नों का अच्छे से अध्ययन करें। यह आपकी परीक्षा की तैयारी में सहायक सिद्ध होंगे। शुभकामनाएँ!