Class 10 Science Notes Chapter 4 (Chapter 4) – Examplar Problems (Hindi) Book

Examplar Problems (Hindi)
चलिए, आज हम कक्षा 10 विज्ञान के अध्याय 4 'कार्बन एवं उसके यौगिक' के महत्वपूर्ण बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे, जो आपकी सरकारी परीक्षा की तैयारी में बहुत सहायक होंगे। यह अध्याय रसायन विज्ञान की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है।

अध्याय 4: कार्बन एवं उसके यौगिक (Carbon and its Compounds)

1. कार्बन का परिचय:

  • प्रतीक: C
  • परमाणु संख्या: 6
  • इलेक्ट्रॉनिक विन्यास: K कोश में 2, L कोश में 4 (2, 4)
  • संयोजकता: 4 (चतुःसंयोजक - Tetravalent)। कार्बन के बाहरी कोश में 4 इलेक्ट्रॉन होते हैं, अतः स्थायी विन्यास प्राप्त करने के लिए इसे 4 इलेक्ट्रॉन या तो ग्रहण करने होंगे या त्यागने होंगे, या साझा करने होंगे। ऊर्जा संबंधी कारणों से यह 4 इलेक्ट्रॉनों का साझा करता है।
  • आवर्त सारणी में स्थान: समूह 14, आवर्त 2
  • उपस्थिति: भूपर्पटी में खनिजों (कार्बोनेट, हाइड्रोजनकार्बोनेट, कोयला, पेट्रोलियम) के रूप में 0.02% तथा वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड के रूप में 0.03% उपस्थित है। सभी सजीव संरचनाएँ कार्बन यौगिकों पर आधारित हैं।

2. कार्बन में आबंधन - सहसंयोजी आबंध (Covalent Bond):

  • कार्बन परमाणु न तो 4 इलेक्ट्रॉन खोकर धनायन (C⁴⁺) बना सकता है और न ही 4 इलेक्ट्रॉन प्राप्त कर ऋणायन (C⁴⁻) बना सकता है, क्योंकि दोनों ही प्रक्रियाओं के लिए अत्यधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
  • अतः कार्बन अपने संयोजकता इलेक्ट्रॉनों का अन्य परमाणुओं (कार्बन या अन्य तत्व) के साथ साझा (Sharing) करके आबंध बनाता है।
  • इस प्रकार साझा किए गए इलेक्ट्रॉनों से बने आबंध को सहसंयोजी आबंध कहते हैं।
  • सहसंयोजी आबंध परमाणुओं के बीच इलेक्ट्रॉनों की साझेदारी से बनते हैं और ये साझे के इलेक्ट्रॉन दोनों परमाणुओं के बाहरी कोश का हिस्सा माने जाते हैं, जिससे दोनों परमाणु उत्कृष्ट गैस विन्यास प्राप्त कर लेते हैं।
  • उदाहरण:
    • हाइड्रोजन (H₂) में एकल आबंध (H-H)
    • ऑक्सीजन (O₂) में द्वि-आबंध (O=O)
    • नाइट्रोजन (N₂) में त्रि-आबंध (N≡N)
    • मेथेन (CH₄) में कार्बन के 4 एकल आबंध हाइड्रोजन के साथ (C-H)
    • एथीन (C₂H₄) में कार्बन-कार्बन द्वि-आबंध (C=C)
    • एथाइन (C₂H₂) में कार्बन-कार्बन त्रि-आबंध (C≡C)
  • सहसंयोजी यौगिकों के गुणधर्म:
    • इनका गलनांक एवं क्वथनांक कम होता है (क्योंकि परमाणुओं के बीच अंतराअणुक बल कमजोर होता है)।
    • ये सामान्यतः विद्युत के कुचालक होते हैं (क्योंकि इलेक्ट्रॉनों की साझेदारी होती है, आयन नहीं बनते)।

3. कार्बन की सर्वतोमुखी प्रकृति (Versatile Nature of Carbon):
कार्बनिक यौगिकों की विशाल संख्या के दो मुख्य कारण हैं:

  • (i) श्रृंखलन (Catenation): कार्बन में कार्बन के ही अन्य परमाणुओं के साथ आबंध बनाने की अद्वितीय क्षमता होती है जिससे लंबी श्रृंखला (Long chains), शाखित श्रृंखला (Branched chains) और वलय (Rings) संरचना वाले अणुओं का निर्माण होता है। कार्बन-कार्बन आबंध अत्यंत प्रबल और स्थायी होता है।
  • (ii) चतुःसंयोजकता (Tetravalency): कार्बन की संयोजकता 4 होती है, जिसके कारण यह कार्बन के चार अन्य परमाणुओं अथवा कुछ अन्य एकसंयोजक तत्वों (जैसे H, Cl) या द्विसंयोजक (जैसे O) या त्रिसंयोजक (जैसे N) तत्वों के परमाणुओं के साथ आबंधन कर सकता है। इससे विभिन्न प्रकार के यौगिक बनते हैं।

4. कार्बन के अपररूप (Allotropes of Carbon):
किसी तत्व के भिन्न-भिन्न रूप जिनके भौतिक गुणधर्म भिन्न होते हैं परन्तु रासायनिक गुणधर्म समान होते हैं, अपररूप कहलाते हैं।

  • (i) हीरा (Diamond):
    • संरचना: प्रत्येक कार्बन परमाणु चार अन्य कार्बन परमाणुओं से प्रबल सहसंयोजी आबंधों द्वारा जुड़कर एक दृढ़ त्रि-आयामी (Tetrahedral) संरचना बनाता है।
    • गुण: यह ज्ञात सबसे कठोर प्राकृतिक पदार्थ है, विद्युत का कुचालक (कोई मुक्त इलेक्ट्रॉन नहीं), उच्च गलनांक।
    • उपयोग: आभूषण बनाने में, काटने और पीसने के औजारों में।
  • (ii) ग्रेफाइट (Graphite):
    • संरचना: प्रत्येक कार्बन परमाणु तीन अन्य कार्बन परमाणुओं से जुड़कर षट्कोणीय तल (Hexagonal layers) बनाता है। ये तल एक-दूसरे पर व्यवस्थित होते हैं और दुर्बल वांडर वाल्स बलों द्वारा जुड़े रहते हैं। प्रत्येक कार्बन का चौथा संयोजी इलेक्ट्रॉन मुक्त रहता है।
    • गुण: चिकना तथा फिसलनशील, विद्युत का सुचालक (मुक्त इलेक्ट्रॉनों के कारण), मुलायम।
    • उपयोग: स्नेहक (Lubricant) के रूप में, पेंसिल लेड बनाने में, इलेक्ट्रोड बनाने में।
  • (iii) फुलेरीन (Fullerenes):
    • संरचना: कार्बन परमाणुओं के गोलाकार अणु, जिनमें C-60 (बकमिंस्टरफुलेरीन) सबसे प्रसिद्ध है, जिसकी संरचना फुटबॉल जैसी होती है (इसमें षट्कोणीय और पंचकोणीय फलक होते हैं)।
    • खोज: हाल ही में खोजा गया अपररूप।

5. हाइड्रोकार्बन (Hydrocarbons):
केवल कार्बन और हाइड्रोजन से बने यौगिक हाइड्रोकार्बन कहलाते हैं।

  • (i) संतृप्त हाइड्रोकार्बन (Saturated Hydrocarbons - एल्केन/Alkane):
    • इनमें कार्बन परमाणुओं के बीच केवल एकल आबंध (Single bond) होता है।
    • सामान्य सूत्र: C<0xE2><0x82><0x99>H₂<0xE2><0x82><0x99>₊₂ (जहाँ n = कार्बन परमाणुओं की संख्या)
    • उदाहरण: मेथेन (CH₄), एथेन (C₂H₆), प्रोपेन (C₃H₈), ब्यूटेन (C₄H₁₀) आदि।
    • ये अपेक्षाकृत कम अभिक्रियाशील होते हैं।
  • (ii) असंतृप्त हाइड्रोकार्बन (Unsaturated Hydrocarbons):
    • इनमें कार्बन परमाणुओं के बीच कम से कम एक द्वि-आबंध (Double bond) या त्रि-आबंध (Triple bond) उपस्थित होता है।
    • एल्कीन (Alkene): कम से कम एक कार्बन-कार्बन द्वि-आबंध (C=C) होता है।
      • सामान्य सूत्र: C<0xE2><0x82><0x99>H₂<0xE2><0x82><0x99>
      • उदाहरण: एथीन (C₂H₄), प्रोपीन (C₃H₆) आदि।
    • एल्काइन (Alkyne): कम से कम एक कार्बन-कार्बन त्रि-आबंध (C≡C) होता है।
      • सामान्य सूत्र: C<0xE2><0x82><0x99>H₂<0xE2><0x82><0x99>₋₂
      • उदाहरण: एथाइन (C₂H₂), प्रोपाइन (C₃H₄) आदि।
    • ये संतृप्त हाइड्रोकार्बन की तुलना में अधिक अभिक्रियाशील होते हैं।

6. कार्बन यौगिकों का नामकरण (Nomenclature - IUPAC):
(International Union of Pure and Applied Chemistry)

  • कार्बन परमाणुओं की संख्या के आधार पर मूल शब्द (Prefix): 1C- मेथ, 2C- एथ, 3C- प्रोप, 4C- ब्यूट, 5C- पेंट, 6C- हेक्स...
  • प्रकार्यात्मक समूह (Functional Group) के आधार पर अनुलग्न (Suffix) या पूर्वलग्न (Prefix):
    • एल्केन: -एन (-ane)
    • एल्कीन: -ईन (-ene)
    • एल्काइन: -आइन (-yne)
    • ऐल्कोहॉल (-OH): -ऑल (-ol)
    • ऐल्डिहाइड (-CHO): -ऐल (-al)
    • कीटोन (>C=O): -ओन (-one)
    • कार्बोक्सिलिक अम्ल (-COOH): -ओइक अम्ल (-oic acid)
    • हैलोजन (-Cl, -Br): क्लोरो-, ब्रोमो- (पૂર્વलग्न)
  • उदाहरण:
    • CH₄: मेथ + एन = मेथेन
    • C₂H₄: एथ + ईन = एथीन
    • CH₃OH: मेथ + एन + ऑल = मेथेनॉल
    • CH₃COOH: एथ + एन + ओइक अम्ल = एथेनोइक अम्ल
    • CH₃COCH₃: प्रोप + एन + ओन = प्रोपेनोन

7. प्रकार्यात्मक समूह (Functional Group):

  • किसी कार्बनिक यौगिक में उपस्थित वह परमाणु या परमाणुओं का समूह जो उसके रासायनिक गुणधर्मों के लिए उत्तरदायी होता है।
  • उदाहरण: -OH (ऐल्कोहॉल), -CHO (ऐल्डिहाइड), >C=O (कीटोन), -COOH (कार्बोक्सिलिक अम्ल), -X (हैलोजन), C=C (एल्कीन), C≡C (एल्काइन)।

8. समजातीय श्रेणी (Homologous Series):

  • यौगिकों की ऐसी श्रृंखला जिसमें कार्बन श्रृंखला में स्थित हाइड्रोजन को एक ही प्रकार का प्रकार्यात्मक समूह प्रतिस्थापित करता है।
  • विशेषताएँ:
    • सभी सदस्यों को एक सामान्य सूत्र द्वारा दर्शाया जा सकता है।
    • किन्हीं दो क्रमागत सदस्यों के बीच -CH₂ समूह का अंतर होता है।
    • क्रमागत सदस्यों के आणविक द्रव्यमान में 14u का अंतर होता है।
    • रासायनिक गुणधर्मों में समानता होती है।
    • भौतिक गुणधर्मों (जैसे गलनांक, क्वथनांक) में आणविक द्रव्यमान बढ़ने के साथ क्रमिक परिवर्तन होता है।
  • उदाहरण: एल्केन श्रेणी (CH₄, C₂H₆, C₃H₈...), ऐल्कोहॉल श्रेणी (CH₃OH, C₂H₅OH, C₃H₇OH...)।

9. कार्बन यौगिकों के रासायनिक गुणधर्म:

  • (i) दहन (Combustion):
    • कार्बन यौगिक ऑक्सीजन में जलकर ऊष्मा एवं प्रकाश के साथ CO₂ और H₂O देते हैं।
    • CH₄ + 2O₂ → CO₂ + 2H₂O + ऊष्मा एवं प्रकाश
    • C₂H₅OH + 3O₂ → 2CO₂ + 3H₂O + ऊष्मा एवं प्रकाश
    • संतृप्त हाइड्रोकार्बन सामान्यतः स्वच्छ ज्वाला (Non-sooty flame) देते हैं।
    • असंतृप्त हाइड्रोकार्बन काले धुएँ वाली पीली ज्वाला (Sooty flame) देते हैं (अपूर्ण दहन)।
  • (ii) ऑक्सीकरण (Oxidation):
    • क्षारीय पोटैशियम परमैंगनेट (KMnO₄) या अम्लीकृत पोटैशियम डाइक्रोमेट (K₂Cr₂O₇) जैसे ऑक्सीकारकों की उपस्थिति में ऐल्कोहॉल कार्बोक्सिलिक अम्ल में ऑक्सीकृत हो जाते हैं।
    • C₂H₅OH (एथेनॉल) --[क्षारीय KMnO₄ + ऊष्मा]--> CH₃COOH (एथेनोइक अम्ल)
  • (iii) संकलन अभिक्रिया (Addition Reaction):
    • निकैल (Ni) या पैलेडियम (Pd) जैसे उत्प्रेरकों की उपस्थिति में असंतृप्त हाइड्रोकार्बन हाइड्रोजन से जुड़कर संतृप्त हाइड्रोकार्बन बनाते हैं। इसे हाइड्रोजनीकरण (Hydrogenation) कहते हैं।
    • CH₂=CH₂ (एथीन) + H₂ --[Ni उत्प्रेरक]--> CH₃-CH₃ (एथेन)
    • अनुप्रयोग: वनस्पति तेलों (असंतृप्त वसा) से वनस्पति घी (संतृप्त वसा) का निर्माण।
    • असंतृप्तता का परीक्षण: ब्रोमीन जल (Bromine water) का रंग उड़ा देना।
  • (iv) प्रतिस्थापन अभिक्रिया (Substitution Reaction):
    • संतृप्त हाइड्रोकार्बन सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में हैलोजन (जैसे क्लोरीन) से अभिक्रिया करते हैं, जिसमें हाइड्रोजन परमाणु एक-एक करके हैलोजन परमाणु द्वारा प्रतिस्थापित हो जाते हैं।
    • CH₄ (मेथेन) + Cl₂ --[सूर्य का प्रकाश]--> CH₃Cl (क्लोरोमेथेन) + HCl

10. कुछ महत्वपूर्ण कार्बन यौगिक:

  • (i) एथेनॉल (Ethanol - C₂H₅OH):
    • सामान्य नाम: ऐल्कोहॉल
    • गुण: रंगहीन द्रव, जल में घुलनशील, अच्छा विलायक, ज्वलनशील, नशीला प्रभाव।
    • अभिक्रियाएँ:
      • सोडियम से अभिक्रिया: 2Na + 2C₂H₅OH → 2C₂H₅ONa (सोडियम एथॉक्साइड) + H₂↑
      • निर्जलीकरण (Dehydration): सांद्र H₂SO₄ के साथ 443 K पर गर्म करने पर एथीन बनता है। C₂H₅OH --[सांद्र H₂SO₄, 443K]--> CH₂=CH₂ + H₂O
    • उपयोग: विलायक, टिंक्चर आयोडीन, कफ सीरप, टॉनिक, पेय पदार्थों में, ईंधन के रूप में।
    • हानिकारक प्रभाव: केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है, यकृत रोग।
    • विकृत ऐल्कोहॉल (Denatured Alcohol): पीने के लिए अयोग्य बनाने हेतु इसमें मेथेनॉल जैसे जहरीले पदार्थ मिला दिए जाते हैं।
  • (ii) एथेनोइक अम्ल (Ethanoic Acid - CH₃COOH):
    • सामान्य नाम: ऐसीटिक अम्ल (Acetic acid)
    • गुण: रंगहीन द्रव, खट्टा स्वाद, सिरके जैसी गंध, जल में घुलनशील। 3-4% विलयन सिरका (Vinegar) कहलाता है। शुद्ध एथेनोइक अम्ल ठण्ड में जम जाता है, इसलिए इसे ग्लेशियल ऐसीटिक अम्ल कहते हैं। यह एक दुर्बल अम्ल है।
    • अभिक्रियाएँ:
      • एस्टरीकरण (Esterification): ऐल्कोहॉल के साथ अम्ल उत्प्रेरक की उपस्थिति में अभिक्रिया करके एस्टर (मीठी गंध वाले पदार्थ) बनाता है।
        CH₃COOH + C₂H₅OH --[अम्ल]--> CH₃COOC₂H₅ (एथिल एथेनोएट/एस्टर) + H₂O
      • क्षारक से अभिक्रिया (उदासीनीकरण): NaOH + CH₃COOH → CH₃COONa (सोडियम एथेनोएट/लवण) + H₂O
      • कार्बोनेट एवं हाइड्रोजनकार्बोनेट से अभिक्रिया: CO₂ गैस (बुदबुदाहट के साथ) उत्पन्न होती है।
        2CH₃COOH + Na₂CO₃ → 2CH₃COONa + H₂O + CO₂↑
        CH₃COOH + NaHCO₃ → CH₃COONa + H₂O + CO₂↑
    • उपयोग: सिरका बनाने में, अचार में परिरक्षक के रूप में, विलायक के रूप में।

11. साबुन और अपमार्जक (Soaps and Detergents):

  • साबुन (Soap): लंबी श्रृंखला वाले कार्बोक्सिलिक अम्लों (वसा अम्लों) के सोडियम (Na⁺) या पोटैशियम (K⁺) लवण होते हैं। उदाहरण: सोडियम स्टीयरेट (C₁₇H₃₅COONa)।
  • साबुन के अणु की संरचना: इसके दो भाग होते हैं:
    • जलरागी (Hydrophilic) सिरा: आयनिक भाग (-COO⁻Na⁺), जो जल में घुलनशील है।
    • जलविरागी (Hydrophobic) पूँछ: लंबी हाइड्रोकार्बन श्रृंखला, जो तेल/ग्रीस (मैले) में घुलनशील है।
  • साबुन की सफाई प्रक्रिया:
    • जब साबुन पानी में घोला जाता है, तो अणु स्वयं को इस प्रकार व्यवस्थित करते हैं कि जलविरागी पूँछ अंदर की ओर (तेल/मैले की बूंद की ओर) और जलरागी सिरा बाहर पानी की ओर होता है। इस संरचना को मिसेल (Micelle) कहते हैं।
    • मिसेल मैले के कण (तेल/ग्रीस) को चारों ओर से घेर लेती है।
    • पानी से धोने पर मिसेल मैले के कण के साथ बह जाती है, और कपड़ा साफ हो जाता है।
  • साबुन की सीमा: यह कठोर जल (Hard water) में प्रभावी रूप से कार्य नहीं करता। कठोर जल में उपस्थित कैल्शियम (Ca²⁺) और मैग्नीशियम (Mg²⁺) आयन साबुन से अभिक्रिया करके अघुलनशील पदार्थ स्कम (Scum) बनाते हैं, जो सफाई में बाधा डालता है।
  • अपमार्जक (Detergent): लंबी श्रृंखला वाले सल्फोनिक अम्लों के सोडियम लवण या अमोनियम लवण होते हैं।
  • अपमार्जक के लाभ: ये कठोर जल में भी प्रभावी ढंग से कार्य करते हैं क्योंकि इनके कैल्शियम और मैग्नीशियम लवण जल में घुलनशील होते हैं और स्कम नहीं बनाते।
  • संरचना और क्रियाविधि: साबुन के समान ही (जलरागी सिरा, जलविरागी पूँछ, मिसेल निर्माण)।
  • पर्यावरणीय चिंता: कुछ अपमार्जक जैव-अनिम्नीकरणीय (Non-biodegradable) होते हैं, जो जल प्रदूषण का कारण बनते हैं।

अभ्यास हेतु बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs):

  1. कार्बन की संयोजकता कितनी होती है?
    (a) 1
    (b) 2
    (c) 3
    (d) 4

  2. मेथेन (CH₄) अणु में किस प्रकार के आबंध होते हैं?
    (a) आयनिक आबंध
    (b) सहसंयोजी आबंध
    (c) धात्विक आबंध
    (d) हाइड्रोजन आबंध

  3. कार्बन परमाणुओं की लंबी श्रृंखलाएँ, शाखित श्रृंखलाएँ और वलय बनाने की क्षमता क्या कहलाती है?
    (a) चतुःसंयोजकता
    (b) अपररूपता
    (c) श्रृंखलन
    (d) समजातीयता

  4. निम्नलिखित में से कौन सा कार्बन का सबसे कठोर अपररूप है?
    (a) ग्रेफाइट
    (b) हीरा
    (c) फुलेरीन
    (d) कोयला

  5. एल्कीन श्रेणी का सामान्य सूत्र क्या है?
    (a) C<0xE2><0x82><0x99>H₂<0xE2><0x82><0x99>₊₂
    (b) C<0xE2><0x82><0x99>H₂<0xE2><0x82><0x99>
    (c) C<0xE2><0x82><0x99>H₂<0xE2><0x82><0x99>₋₂
    (d) C<0xE2><0x82><0x99>H<0xE2><0x82><0x99>

  6. एथेनॉल (C₂H₅OH) में उपस्थित प्रकार्यात्मक समूह कौन सा है?
    (a) -COOH (कार्बोक्सिलिक अम्ल)
    (b) -CHO (ऐल्डिहाइड)
    (c) >C=O (कीटोन)
    (d) -OH (ऐल्कोहॉल)

  7. जब एथीन (CH₂=CH₂) हाइड्रोजन से अभिक्रिया करके एथेन (CH₃-CH₃) बनाती है, तो यह किस प्रकार की अभिक्रिया है?
    (a) प्रतिस्थापन अभिक्रिया
    (b) संकलन अभिक्रिया
    (c) ऑक्सीकरण अभिक्रिया
    (d) दहन अभिक्रिया

  8. एथेनॉल के ऑक्सीकरण से कौन सा यौगिक बनता है?
    (a) एथेन
    (b) एथीन
    (c) एथेनोइक अम्ल
    (d) मेथेनॉल

  9. साबुन कठोर जल में प्रभावी क्यों नहीं होते हैं?
    (a) वे कठोर जल में घुलते नहीं हैं।
    (b) वे कठोर जल के Ca²⁺ और Mg²⁺ आयनों से अभिक्रिया कर स्कम बनाते हैं।
    (c) वे मिसेल नहीं बना पाते हैं।
    (d) उनकी जलरागी पूँछ छोटी होती है।

  10. यौगिक CH₃COOH का IUPAC नाम क्या है?
    (a) मेथेनोइक अम्ल
    (b) एथेनोइक अम्ल
    (c) प्रोपेनोइक अम्ल
    (d) मेथेनॉल

उत्तर:

  1. (d), 2. (b), 3. (c), 4. (b), 5. (b), 6. (d), 7. (b), 8. (c), 9. (b), 10. (b)

इन नोट्स को ध्यान से पढ़ें और समझें। यदि कोई शंका हो तो अवश्य पूछें। नियमित अभ्यास करते रहें!

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