Class 10 Science Notes Chapter 4 (Chapter 4) – Lab Manual (Hindi) Book

Lab Manual (Hindi)
नमस्ते विद्यार्थियों!

आज हम कक्षा 10 विज्ञान के अध्याय 4, 'कार्बन एवं उसके यौगिक' के महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा करेंगे, जो आपकी सरकारी परीक्षाओं की तैयारी के लिए अत्यंत उपयोगी होंगे। यह अध्याय रसायन विज्ञान की नींव है और इससे कई प्रश्न पूछे जाते हैं। चलिए, विस्तार से इसके नोट्स बनाते हैं।

अध्याय 4: कार्बन एवं उसके यौगिक - विस्तृत नोट्स

1. कार्बन में आबंधन - सहसंयोजी आबंध (Covalent Bonding)

  • परिचय: कार्बन एक अधातु है जिसका प्रतीक 'C' और परमाणु संख्या 6 है। इसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 4 है।
  • अष्टक प्राप्ति: बाहरी कोश में 4 इलेक्ट्रॉन होने के कारण, कार्बन न तो 4 इलेक्ट्रॉन खोकर C⁴⁺ धनायन बना सकता है (अत्यधिक ऊर्जा की आवश्यकता) और न ही 4 इलेक्ट्रॉन प्राप्त कर C⁴⁻ ऋणायन बना सकता है (नाभिक के लिए 10 इलेक्ट्रॉनों को धारण करना मुश्किल)।
  • सहसंयोजी आबंध: इसलिए, कार्बन अपने बाहरी कोश के इलेक्ट्रॉनों की साझेदारी अन्य परमाणुओं (कार्बन या अन्य तत्व) के साथ करके आबंध बनाता है। इस प्रकार की साझेदारी से बनने वाले आबंध को 'सहसंयोजी आबंध' कहते हैं।
  • विशेषताएँ:
    • ये आबंध अणुओं के भीतर प्रबल होते हैं, लेकिन इनका अंतराणुक बल (intermolecular force) दुर्बल होता है।
    • इससे यौगिकों के गलनांक एवं क्वथनांक कम होते हैं।
    • ये सामान्यतः विद्युत के कुचालक होते हैं क्योंकि इलेक्ट्रॉनों की साझेदारी होती है, आयन नहीं बनते।
  • उदाहरण: H₂, O₂, N₂, CH₄, CO₂ आदि में सहसंयोजी आबंध पाए जाते हैं।

2. कार्बन की सर्वतोमुखी प्रकृति (Versatile Nature of Carbon)

कार्बन में बड़ी संख्या में यौगिक बनाने की अद्वितीय क्षमता होती है। इसके दो मुख्य कारण हैं:

  • श्रृंखलन (Catenation): कार्बन में कार्बन के ही अन्य परमाणुओं के साथ आबंध बनाकर लंबी श्रृंखलाएँ (सीधी, शाखित) या वलय (ring) बनाने की अद्वितीय क्षमता होती है। यह गुण 'श्रृंखलन' कहलाता है। कार्बन-कार्बन आबंध अत्यंत स्थायी होता है।
  • चतुःसंयोजकता (Tetravalency): कार्बन की संयोजकता 4 होती है। अतः यह कार्बन के चार अन्य परमाणुओं अथवा कुछ अन्य संयोजक तत्वों (जैसे H, O, N, S, हैलोजन) के परमाणुओं के साथ आबंधन कर सकता है, जिससे विशाल विविधता वाले यौगिक बनते हैं।

3. कार्बन के अपररूप (Allotropes of Carbon)

जब कोई तत्व प्रकृति में भिन्न-भिन्न भौतिक गुणों के साथ विभिन्न रूपों में पाया जाता है, तो इन रूपों को अपररूप कहते हैं। कार्बन के मुख्य अपररूप हैं:

  • हीरा (Diamond):
    • प्रत्येक कार्बन परमाणु चार अन्य कार्बन परमाणुओं से जुड़कर एक दृढ़ त्रि-आयामी (3D) संरचना बनाता है।
    • यह अब तक ज्ञात सर्वाधिक कठोर प्राकृतिक पदार्थ है।
    • विद्युत का कुचालक होता है (कोई मुक्त इलेक्ट्रॉन नहीं)।
    • उपयोग: आभूषण, काटने के उपकरण।
  • ग्रेफाइट (Graphite):
    • प्रत्येक कार्बन परमाणु तीन अन्य कार्बन परमाणुओं से षट्कोणीय व्यूह (hexagonal array) में जुड़ा होता है, जो परतदार संरचना बनाते हैं।
    • यह चिकना तथा फिसलनशील होता है।
    • विद्युत का सुचालक होता है (एक मुक्त इलेक्ट्रॉन प्रति कार्बन परमाणु)।
    • उपयोग: पेंसिल लेड, स्नेहक (lubricant), इलेक्ट्रोड।
  • फुलरीन (Fullerene):
    • यह कार्बन अपररूप का एक अन्य वर्ग है। सबसे पहले C-60 की पहचान की गई जिसमें कार्बन के परमाणु फुटबॉल की संरचना में व्यवस्थित होते हैं।
    • इसे बकमिंस्टरफुलरीन भी कहते हैं।

4. हाइड्रोकार्बन (Hydrocarbons)

केवल कार्बन और हाइड्रोजन से बने यौगिक हाइड्रोकार्बन कहलाते हैं।

  • संतृप्त हाइड्रोकार्बन (Saturated Hydrocarbons):
    • इनमें कार्बन परमाणुओं के बीच केवल एकल आबंध (single bond) होता है।
    • इन्हें 'एल्केन' (Alkane) भी कहते हैं।
    • सामान्य सूत्र: C<0xE2><0x82><0x99>H₂<0xE2><0x82><0x99>₊₂ (जहाँ n = कार्बन परमाणुओं की संख्या)
    • उदाहरण: मेथेन (CH₄), एथेन (C₂H₆), प्रोपेन (C₃H₈)
    • ये कम अभिक्रियाशील होते हैं।
  • असंतृप्त हाइड्रोकार्बन (Unsaturated Hydrocarbons):
    • इनमें कार्बन परमाणुओं के बीच कम से कम एक द्वि-आबंध (double bond) या त्रि-आबंध (triple bond) उपस्थित होता है।
    • एल्कीन (Alkene): कम से कम एक द्वि-आबंध वाले। सामान्य सूत्र: C<0xE2><0x82><0x99>H₂<0xE2><0x82><0x99>। उदाहरण: एथीन (C₂H₄), प्रोपीन (C₃H₆)।
    • एल्काइन (Alkyne): कम से कम एक त्रि-आबंध वाले। सामान्य सूत्र: C<0xE2><0x82><0x99>H₂<0xE2><0x82><0x99>₋₂। उदाहरण: एथाइन (C₂H₂), प्रोपाइन (C₃H₄)।
    • ये संतृप्त हाइड्रोकार्बन की तुलना में अधिक अभिक्रियाशील होते हैं।

5. प्रकार्यात्मक समूह (Functional Groups)

  • हाइड्रोकार्बन श्रृंखला में, एक या अधिक हाइड्रोजन को प्रतिस्थापित करने वाले परमाणु या परमाणुओं का समूह, जो यौगिक को विशिष्ट रासायनिक गुण प्रदान करता है, 'प्रकार्यात्मक समूह' कहलाता है।
  • मुख्य प्रकार्यात्मक समूह:
    • हैलोजन (Halo-): -Cl, -Br, -I (पूर्वलग्न: क्लोरो-, ब्रोमो-, आयोडो-)
    • ऐल्कोहॉल (Alcohol): -OH (अनुलग्न: -ऑल)
    • ऐल्डिहाइड (Aldehyde): -CHO (अनुलग्न: -ऐल)
    • कीटोन (Ketone): >C=O (अनुलग्न: -ओन) (यह हमेशा श्रृंखला के मध्य में होता है)
    • कार्बोक्सिलिक अम्ल (Carboxylic Acid): -COOH (अनुलग्न: -ओइक अम्ल)
    • द्वि-आबंध: >C=C< (अनुलग्न: -ईन)
    • त्रि-आबंध: -C≡C- (अनुलग्न: -आइन)

6. समजातीय श्रेणी (Homologous Series)

  • यौगिकों की ऐसी श्रृंखला जिसमें कार्बन श्रृंखला में स्थित हाइड्रोजन को एक ही प्रकार का प्रकार्यात्मक समूह प्रतिस्थापित करता है, उसे समजातीय श्रेणी कहते हैं।
  • विशेषताएँ:
    • सभी सदस्यों को एक सामान्य सूत्र द्वारा दर्शाया जा सकता है।
    • किन्हीं दो क्रमागत सदस्यों के बीच -CH₂ इकाई का अंतर होता है।
    • क्रमागत सदस्यों के आणविक द्रव्यमान में 14u का अंतर होता है।
    • श्रेणी के सदस्यों के रासायनिक गुणधर्मों में समानता होती है (क्योंकि प्रकार्यात्मक समूह समान होता है)।
    • भौतिक गुणधर्मों (जैसे गलनांक, क्वथनांक, विलेयता) में आणविक द्रव्यमान बढ़ने के साथ क्रमिक परिवर्तन होता है।

7. कार्बन यौगिकों के रासायनिक गुणधर्म

  • दहन (Combustion):
    • कार्बन यौगिक ऑक्सीजन में जलकर ऊष्मा एवं प्रकाश के साथ कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) और जल (H₂O) देते हैं।
    • CH₄ + 2O₂ → CO₂ + 2H₂O + ऊष्मा एवं प्रकाश
    • संतृप्त हाइड्रोकार्बन सामान्यतः स्वच्छ ज्वाला देते हैं, जबकि असंतृप्त हाइड्रोकार्बन काले धुएँ वाली पीली ज्वाला देते हैं (अपूर्ण दहन)।
  • ऑक्सीकरण (Oxidation):
    • क्षारीय पोटैशियम परमैंगनेट (KMnO₄) या अम्लीकृत पोटैशियम डाइक्रोमेट (K₂Cr₂O₇) जैसे ऑक्सीकारकों की उपस्थिति में ऐल्कोहॉल कार्बोक्सिलिक अम्ल में ऑक्सीकृत हो जाते हैं।
    • CH₃CH₂OH (एथेनॉल) + [O] (क्षारीय KMnO₄/ऊष्मा) → CH₃COOH (एथेनोइक अम्ल) + H₂O
  • संकलन अभिक्रिया (Addition Reaction):
    • निकेल (Ni) या पैलेडियम (Pd) जैसे उत्प्रेरकों की उपस्थिति में असंतृप्त हाइड्रोकार्बन हाइड्रोजन से जुड़कर संतृप्त हाइड्रोकार्बन बनाते हैं।
    • CH₂=CH₂ (एथीन) + H₂ (Ni उत्प्रेरक) → CH₃-CH₃ (एथेन)
    • इस अभिक्रिया का उपयोग वनस्पति तेलों (असंतृप्त वसा) से वनस्पति घी (संतृप्त वसा) बनाने में होता है (हाइड्रोजनीकरण)।
  • प्रतिस्थापन अभिक्रिया (Substitution Reaction):
    • संतृप्त हाइड्रोकार्बन सामान्यतः कम अभिक्रियाशील होते हैं, परन्तु सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में ये हैलोजन (जैसे क्लोरीन) के साथ तीव्र अभिक्रिया करते हैं, जिसमें एक-एक करके हाइड्रोजन परमाणु हैलोजन परमाणु द्वारा प्रतिस्थापित हो जाते हैं।
    • CH₄ + Cl₂ (सूर्य का प्रकाश) → CH₃Cl + HCl
    • CH₃Cl + Cl₂ → CH₂Cl₂ + HCl (यह अभिक्रिया आगे भी जारी रह सकती है)

8. कुछ महत्वपूर्ण कार्बन यौगिक

  • एथेनॉल (Ethanol - C₂H₅OH):
    • सामान्य नाम: ऐल्कोहॉल।
    • गुण: रंगहीन द्रव, जल में घुलनशील, अच्छा विलायक।
    • रासायनिक अभिक्रियाएँ:
      • सोडियम से अभिक्रिया: 2Na + 2CH₃CH₂OH → 2CH₃CH₂ONa (सोडियम एथॉक्साइड) + H₂
      • निर्जलीकरण (Dehydration): सांद्र H₂SO₄ की उपस्थिति में गर्म करने पर एथीन बनता है। C₂H₅OH (सांद्र H₂SO₄, 443K) → CH₂=CH₂ + H₂O
    • उपयोग: पेय पदार्थों में, टिंक्चर आयोडीन, कफ सीरप, टॉनिक आदि औषधियों में, विलायक के रूप में, ईंधन के रूप में।
    • हानिकारक प्रभाव: यकृत रोग, तंत्रिका तंत्र को क्षति। मेथेनॉल (CH₃OH) की थोड़ी मात्रा भी घातक हो सकती है।
  • एथेनोइक अम्ल (Ethanoic Acid - CH₃COOH):
    • सामान्य नाम: ऐसीटिक अम्ल।
    • गुण: रंगहीन द्रव, स्वाद में खट्टा, सिरके जैसी गंध। इसके 3-4% जलीय विलयन को सिरका (Vinegar) कहते हैं। शुद्ध एथेनोइक अम्ल का गलनांक 290K होता है, इसलिए ठंडी जलवायु में शीत के दिनों में जम जाता है, इसे ग्लेशियल ऐसीटिक अम्ल कहते हैं।
    • रासायनिक अभिक्रियाएँ:
      • एस्टरीकरण (Esterification): अम्ल उत्प्रेरक की उपस्थिति में एथेनॉल से अभिक्रिया कर एस्टर बनाता है। CH₃COOH + C₂H₅OH (अम्ल) ⇌ CH₃COOC₂H₅ (एथिल एथेनोएट/एस्टर) + H₂O (एस्टर की गंध मृदु होती है)।
      • क्षारक से अभिक्रिया (उदासीनीकरण): NaOH + CH₃COOH → CH₃COONa (सोडियम एथेनोएट/सोडियम ऐसीटेट) + H₂O
      • कार्बोनेट एवं हाइड्रोजनकार्बोनेट से अभिक्रिया:
        2CH₃COOH + Na₂CO₃ → 2CH₃COONa + H₂O + CO₂
        CH₃COOH + NaHCO₃ → CH₃COONa + H₂O + CO₂ (CO₂ गैस बुदबुदाहट के साथ निकलती है)
    • उपयोग: सिरका बनाने में (परिरक्षक के रूप में), विलायक के रूप में, एस्टर बनाने में।

9. साबुन और अपमार्जक (Soaps and Detergents)

  • साबुन (Soap): लंबी श्रृंखला वाले कार्बोक्सिलिक अम्लों (वसा अम्लों) के सोडियम (Na⁺) या पोटैशियम (K⁺) लवण होते हैं।
    • निर्माण (साबुनीकरण - Saponification): वसा या तेल को सोडियम हाइड्रॉक्साइड (NaOH) या पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड (KOH) विलयन के साथ गर्म करने पर साबुन तथा ग्लिसरॉल बनता है।
    • वसा/तेल + NaOH → साबुन (सोडियम लवण) + ग्लिसरॉल
  • साबुन का अणु: इसके दो भाग होते हैं:
    • लंबी हाइड्रोकार्बन पूँछ: जलविरागी (Hydrophobic) - जल से दूर भागती है, तेल/मैले में घुलनशील।
    • आयनिक सिरा (-COO⁻Na⁺): जलरागी (Hydrophilic) - जल की ओर आकर्षित होता है।
  • सफाई प्रक्रिया (मिसेल निर्माण - Micelle Formation):
    • जब साबुन जल में घोला जाता है, तो साबुन के अणु इस प्रकार व्यवस्थित होते हैं कि हाइड्रोकार्बन पूँछ अंदर की ओर (तेल/मैल की बूंद की ओर) और आयनिक सिरा बाहर (जल की ओर) होता है। यह गुच्छानुमा संरचना 'मिसेल' कहलाती है।
    • मिसेल मैल/तेल को पानी में घोलने में मदद करता है और कपड़े धुल जाते हैं।
  • कठोर जल में साबुन: कठोर जल में कैल्शियम (Ca²⁺) और मैग्नीशियम (Mg²⁺) के लवण होते हैं। साबुन इन आयनों से अभिक्रिया करके अघुलनशील पदार्थ (स्कम/अवक्षेप) बनाता है, जिससे झाग मुश्किल से बनता है और सफाई ठीक से नहीं होती।
  • अपमार्जक (Detergent): लंबी श्रृंखला वाले सल्फोनिक अम्लों या अमोनियम लवणों के सोडियम लवण होते हैं।
    • इनका आयनिक सिरा (-SO₃⁻Na⁺ या -N(CH₃)₃⁺Cl⁻) कठोर जल में उपस्थित Ca²⁺ और Mg²⁺ आयनों के साथ अघुलनशील अवक्षेप नहीं बनाता है।
    • इसलिए, अपमार्जक कठोर जल में भी प्रभावी रूप से सफाई करते हैं।
    • उपयोग: शैम्पू, कपड़े धोने के उत्पाद बनाने में।

अभ्यास हेतु बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs)

प्रश्न 1: कार्बन की संयोजकता कितनी होती है?
(a) 1
(b) 2
(c) 3
(d) 4

प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सा कार्बन का अपररूप विद्युत का सुचालक है?
(a) हीरा
(b) ग्रेफाइट
(c) फुलरीन
(d) कोयला

प्रश्न 3: एल्केन श्रेणी का सामान्य सूत्र क्या है?
(a) C<0xE2><0x82><0x99>H₂<0xE2><0x82><0x99>
(b) C<0xE2><0x82><0x99>H₂<0xE2><0x82><0x99>₊₂
(c) C<0xE2><0x82><0x99>H₂<0xE2><0x82><0x99>₋₂
(d) C<0xE2><0x82><0x99>H₂<0xE2><0x82><0x99>₊₁

प्रश्न 4: एथेनॉल का प्रकार्यात्मक समूह कौन सा है?
(a) -CHO
(b) -COOH
(c) -OH
(d) >C=O

प्रश्न 5: वनस्पति तेलों के हाइड्रोजनीकरण में किस उत्प्रेरक का उपयोग किया जाता है?
(a) लोहा (Fe)
(b) निकेल (Ni)
(c) ताँबा (Cu)
(d) जिंक (Zn)

प्रश्न 6: सिरका निम्नलिखित में से किसका तनु विलयन है?
(a) मेथेनोइक अम्ल
(b) एथेनोइक अम्ल
(c) प्रोपेनोइक अम्ल
(d) ब्यूटेनोइक अम्ल

प्रश्न 7: साबुन के अणु में होता है:
(a) एक जलरागी सिरा और एक जलरागी पूँछ
(b) एक जलविरागी सिरा और एक जलविरागी पूँछ
(c) एक जलरागी सिरा और एक जलविरागी पूँछ
(d) एक जलविरागी सिरा और एक जलरागी पूँछ

प्रश्न 8: निम्नलिखित में से कौन सा यौगिक संकलन अभिक्रिया दर्शाएगा?
(a) C₂H₆ (एथेन)
(b) C₃H₈ (प्रोपेन)
(c) C₂H₄ (एथीन)
(d) CH₄ (मेथेन)

प्रश्न 9: एथेनोइक अम्ल की सोडियम हाइड्रोजनकार्बोनेट से अभिक्रिया पर कौन सी गैस उत्पन्न होती है?
(a) हाइड्रोजन (H₂)
(b) ऑक्सीजन (O₂)
(c) कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂)
(d) नाइट्रोजन (N₂)

प्रश्न 10: यौगिकों की वह श्रेणी जिसके सदस्यों में एक ही प्रकार्यात्मक समूह होता है और किन्हीं दो क्रमागत सदस्यों के बीच -CH₂ का अंतर होता है, कहलाती है:
(a) अपररूप श्रेणी
(b) समजातीय श्रेणी
(c) संतृप्त श्रेणी
(d) असंतृप्त श्रेणी


उत्तरमाला (MCQs):

  1. (d) 4
  2. (b) ग्रेफाइट
  3. (b) C<0xE2><0x82><0x99>H₂<0xE2><0x82><0x99>₊₂
  4. (c) -OH
  5. (b) निकेल (Ni)
  6. (b) एथेनोइक अम्ल
  7. (c) एक जलरागी सिरा और एक जलविरागी पूँछ
  8. (c) C₂H₄ (एथीन)
  9. (c) कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂)
  10. (b) समजातीय श्रेणी

इन नोट्स का अच्छे से अध्ययन करें और प्रश्नों का अभ्यास करें। आपकी परीक्षा के लिए शुभकामनाएँ!

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