Class 10 Science Notes Chapter 6 (Chapter 6) – Lab Manual (Hindi) Book

चलिए, आज हम कक्षा 10 विज्ञान के प्रयोगशाला पुस्तिका के अध्याय 6, जो 'जैव प्रक्रम' से संबंधित प्रयोगों पर आधारित है, के महत्वपूर्ण बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा करते हैं। ये नोट्स आपकी सरकारी परीक्षाओं की तैयारी में बहुत सहायक सिद्ध होंगे।
अध्याय 6: जैव प्रक्रम (प्रयोग)
इस अध्याय में मुख्य रूप से प्रकाश संश्लेषण और श्वसन से संबंधित प्रयोग शामिल हैं।
प्रयोग 1: यह दर्शाने के लिए प्रयोग करना कि प्रकाश-संश्लेषण के लिए प्रकाश आवश्यक है (पत्ती में स्टार्च/मंड की उपस्थिति का परीक्षण)
- उद्देश्य: यह सिद्ध करना कि पौधों में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया के लिए सूर्य का प्रकाश अनिवार्य है, जिसके फलस्वरूप स्टार्च (मंड) का निर्माण होता है।
- सिद्धांत: पौधे प्रकाश संश्लेषण की क्रिया द्वारा अपना भोजन (ग्लूकोज) बनाते हैं। यह अतिरिक्त ग्लूकोज पत्तियों में स्टार्च (मंड) के रूप में संग्रहित हो जाता है। स्टार्च आयोडीन विलयन के संपर्क में आने पर नीला-काला रंग देता है।
- आवश्यक सामग्री: गमले में लगा स्वस्थ पौधा (चौड़ी पत्ती वाला), काला कागज़, क्लिप, बीकर, परखनली, जल, एथिल अल्कोहल (या स्प्रिट), आयोडीन विलयन, पेट्री डिश, बर्नर/स्पिरिट लैंप, ट्राइपॉड स्टैंड, तार की जाली, जल ऊष्मक (Water bath)।
- कार्यविधि (संक्षेप में):
- गमले में लगे पौधे को लगभग 48-72 घंटे के लिए पूर्ण अंधकार में रखें ताकि उसकी पत्तियों से स्टार्च समाप्त हो जाए (Destarching)।
- पौधे की एक स्वस्थ पत्ती के दोनों ओर के कुछ भाग को काले कागज़ से क्लिप की सहायता से ढक दें। सुनिश्चित करें कि कागज़ अच्छी तरह लगा हो और प्रकाश अंदर न जा सके।
- अब पौधे को 4-6 घंटे के लिए सूर्य के प्रकाश में रखें।
- ढकी हुई पत्ती को पौधे से तोड़ लें और काले कागज़ को हटा दें।
- पत्ती को उबलते हुए जल में कुछ मिनटों के लिए डालें ताकि कोशिका भित्ति टूट जाए और कोशिकाएँ मर जाएँ।
- अब पत्ती को अल्कोहल युक्त परखनली में डालें और इस परखनली को जल से भरे बीकर (जल ऊष्मक) में रखकर गर्म करें। अल्कोहल में क्लोरोफिल घुल जाएगा और पत्ती रंगहीन हो जाएगी। (अल्कोहल को सीधे गर्म न करें क्योंकि यह ज्वलनशील होता है)।
- रंगहीन पत्ती को गर्म पानी से धोकर नरम करें और पेट्री डिश में फैलाएं।
- पत्ती पर आयोडीन विलयन की कुछ बूँदें डालें।
- अवलोकन: पत्ती का वह भाग जो काले कागज़ से ढका नहीं था (प्रकाश में था), वह आयोडीन विलयन डालने पर नीला-काला हो जाता है। पत्ती का वह भाग जो काले कागज़ से ढका था, उस पर आयोडीन विलयन का कोई प्रभाव नहीं होता या वह पीला-भूरा रहता है।
- निष्कर्ष: इससे सिद्ध होता है कि पत्ती के केवल उन्हीं भागों में स्टार्च बना जहाँ प्रकाश उपलब्ध था। अतः प्रकाश संश्लेषण के लिए प्रकाश आवश्यक है।
- सावधानियाँ:
- अल्कोहल को सीधे आग पर गर्म न करें, हमेशा जल ऊष्मक का प्रयोग करें।
- आयोडीन विलयन सावधानी से प्रयोग करें।
- पत्ती को अल्कोहल में उबालते समय सावधानी बरतें।
प्रयोग 2: यह दर्शाने के लिए प्रयोग करना कि प्रकाश-संश्लेषण के लिए कार्बन डाइऑक्साइड आवश्यक है
- उद्देश्य: यह सिद्ध करना कि पौधों में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया के लिए कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) गैस अनिवार्य है।
- सिद्धांत: पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड (KOH) विलयन कार्बन डाइऑक्साइड गैस को अवशोषित कर लेता है। यदि पौधे को CO2 उपलब्ध नहीं होगी, तो प्रकाश संश्लेषण नहीं होगा और स्टार्च का निर्माण नहीं होगा।
- आवश्यक सामग्री: समान आकार के दो स्वस्थ गमले में लगे पौधे, दो बेल जार, काँच की दो प्लेटें, वैसलीन, एक वॉच ग्लास में पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड (KOH) विलयन, अल्कोहल, आयोडीन विलयन, तथा स्टार्च परीक्षण के लिए अन्य सामग्री।
- कार्यविधि (संक्षेप में):
- दोनों पौधों को 48-72 घंटे के लिए अंधेरे में रखें ताकि वे स्टार्च रहित हो जाएँ।
- प्रत्येक पौधे को अलग-अलग काँच की प्लेट पर रखें।
- एक पौधे (सेटअप A) के साथ बेल जार के अंदर वॉच ग्लास में KOH विलयन रखें। दूसरे पौधे (सेटअप B) के साथ कुछ नहीं रखें (या पानी रख सकते हैं नियंत्रण के लिए)।
- दोनों पौधों को बेल जार से ढक दें। बेल जार के किनारों पर वैसलीन लगाकर वायुरोधी (airtight) बना दें ताकि बाहर की हवा अंदर न जा सके।
- दोनों सेटअप को 4-6 घंटे के लिए सूर्य के प्रकाश में रखें।
- दोनों पौधों से एक-एक पत्ती तोड़ें और उपरोक्त प्रयोग 1 में बताई गई विधि के अनुसार स्टार्च का परीक्षण करें।
- अवलोकन: सेटअप A (जिसमें KOH था) की पत्ती में स्टार्च उपस्थित नहीं होता (आयोडीन डालने पर नीला-काला रंग नहीं आता)। सेटअप B (नियंत्रण) की पत्ती में स्टार्च उपस्थित होता है (आयोडीन डालने पर नीला-काला रंग आता है)।
- निष्कर्ष: चूँकि KOH ने सेटअप A में उपस्थित सारी CO2 अवशोषित कर ली थी, इसलिए वहाँ प्रकाश संश्लेषण नहीं हुआ और स्टार्च नहीं बना। इससे सिद्ध होता है कि प्रकाश संश्लेषण के लिए CO2 आवश्यक है।
- सावधानियाँ:
- बेल जार को वैसलीन लगाकर पूरी तरह वायुरोधी बनाना आवश्यक है।
- KOH संक्षारक (corrosive) होता है, इसे सावधानी से प्रयोग करें।
- दोनों पौधे लगभग एक जैसे होने चाहिए।
प्रयोग 3: यह दर्शाने के लिए प्रयोग करना कि श्वसन के दौरान कार्बन डाइऑक्साइड गैस निकलती है
- उद्देश्य: यह सिद्ध करना कि सजीव (जैसे अंकुरित बीज या मनुष्य) श्वसन क्रिया के दौरान कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) गैस उत्सर्जित करते हैं।
- सिद्धांत: कार्बन डाइऑक्साइड गैस चूने के पानी (कैल्शियम हाइड्रॉक्साइड, Ca(OH)2) के साथ क्रिया करके कैल्शियम कार्बोनेट (CaCO3) का अविलेय सफेद अवक्षेप बनाती है, जिससे चूने का पानी दूधिया हो जाता है।
Ca(OH)2 (aq) + CO2 (g) → CaCO3 (s) + H2O (l) - आवश्यक सामग्री:
- विधि 1 (अंकुरित बीज): शंक्वाकार फ्लास्क, अंकुरित होते बीज (चने या मूंग के), एक परखनली, ताज़ा तैयार चूने का पानी, एक मुड़ी हुई काँच की नली, कॉर्क, पानी।
- विधि 2 (मनुष्य द्वारा): एक परखनली, ताज़ा तैयार चूने का पानी, एक स्ट्रॉ या काँच की नली।
- कार्यविधि (संक्षेप में):
- विधि 1:
- एक शंक्वाकार फ्लास्क में थोड़े से अंकुरित बीज लें और थोड़ा पानी छिड़क कर नम रखें।
- फ्लास्क के मुँह पर कॉर्क लगाएं जिसमें एक मुड़ी हुई काँच की नली लगी हो।
- नली का दूसरा सिरा चूने के पानी से भरी परखनली में डुबो दें।
- सेटअप को कुछ घंटों के लिए छोड़ दें। (एक नियंत्रण सेटअप भी बना सकते हैं जिसमें उबले हुए बीज हों)।
- विधि 2:
- एक परखनली में ताज़ा तैयार चूने का पानी लें।
- स्ट्रॉ या नली की सहायता से चूने के पानी में धीरे-धीरे हवा फूँकें।
- विधि 1:
- अवलोकन:
- विधि 1: कुछ समय बाद, परखनली में मौजूद चूने का पानी दूधिया हो जाता है। (नियंत्रण सेटअप में ऐसा नहीं होता)।
- विधि 2: चूने के पानी में हवा फूँकने पर वह तुरंत दूधिया हो जाता है।
- निष्कर्ष: अंकुरित बीज (जो श्वसन कर रहे हैं) और मनुष्य द्वारा छोड़ी गई साँस में कार्बन डाइऑक्साइड गैस उपस्थित होती है, जो चूने के पानी को दूधिया कर देती है। अतः श्वसन में CO2 निकलती है।
- सावधानियाँ:
- चूने का पानी ताज़ा तैयार होना चाहिए।
- विधि 1 में फ्लास्क का कॉर्क वायुरोधी होना चाहिए।
- अंकुरित बीज नम होने चाहिए।
प्रयोग 4: खमीर (यीस्ट) द्वारा शर्करा के विलयन में अवायवीय श्वसन (किण्वन) का अध्ययन करना
- उद्देश्य: यह दर्शाना कि यीस्ट अवायवीय परिस्थितियों में शर्करा का किण्वन करके कार्बन डाइऑक्साइड और इथेनॉल बनाता है।
- सिद्धांत: यीस्ट एककोशिकीय कवक है जो ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में शर्करा (जैसे ग्लूकोज) का अपूर्ण ऑक्सीकरण करता है। इस प्रक्रिया को किण्वन (अवायवीय श्वसन) कहते हैं। इसमें इथेनॉल (अल्कोहल) और कार्बन डाइऑक्साइड गैस उत्पन्न होती है।
C6H12O6 (ग्लूकोज) ---(यीस्ट)---> 2C2H5OH (इथेनॉल) + 2CO2 (कार्बन डाइऑक्साइड) + ऊर्जा - आवश्यक सामग्री: परखनली, शर्करा (चीनी) का विलयन (लगभग 10%), यीस्ट पाउडर, ताज़ा तैयार चूने का पानी, एक मुड़ी हुई काँच की नली, कॉर्क, गर्म पानी (गुनगुना)।
- कार्यविधि (संक्षेप में):
- एक परखनली में लगभग 10 मिली शर्करा का विलयन लें।
- इसमें एक चुटकी यीस्ट पाउडर मिलाएं और अच्छी तरह हिलाएं।
- परखनली के मुँह पर कॉर्क लगाएं जिसमें एक मुड़ी हुई काँच की नली लगी हो।
- नली का दूसरा सिरा चूने के पानी से भरी दूसरी परखनली में डुबो दें।
- सेटअप को किसी गर्म स्थान पर (या गुनगुने पानी में) कुछ समय के लिए रखें।
- अवलोकन:
- कुछ समय बाद चूने के पानी वाली परखनली में गैस के बुलबुले निकलते दिखाई देते हैं और चूने का पानी धीरे-धीरे दूधिया हो जाता है।
- यीस्ट और शर्करा विलयन वाली परखनली से अल्कोहल (इथेनॉल) जैसी गंध आती है।
- निष्कर्ष: यीस्ट शर्करा के विलयन का किण्वन करता है, जिससे कार्बन डाइऑक्साइड गैस (जो चूने के पानी को दूधिया करती है) और इथेनॉल उत्पन्न होता है।
- सावधानियाँ:
- सेटअप वायुरोधी होना चाहिए ताकि हवा अंदर न जाए।
- तापमान बहुत अधिक या बहुत कम नहीं होना चाहिए (यीस्ट के लिए अनुकूलतम तापमान आवश्यक है)।
- चूने का पानी ताज़ा होना चाहिए।
अभ्यास हेतु बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs):
-
पत्ती में स्टार्च की उपस्थिति का परीक्षण करने के लिए किस रसायन का उपयोग किया जाता है?
(a) अल्कोहल
(b) आयोडीन विलयन
(c) पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड
(d) चूने का पानी -
प्रकाश संश्लेषण के लिए प्रकाश आवश्यक है, यह सिद्ध करने वाले प्रयोग में पत्ती को अल्कोहल में क्यों उबाला जाता है?
(a) स्टार्च घोलने के लिए
(b) पत्ती को नरम करने के लिए
(c) क्लोरोफिल हटाने के लिए
(d) कोशिकाओं को मारने के लिए -
उस रसायन का नाम बताइए जो प्रकाश संश्लेषण के प्रयोग में कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करने के लिए प्रयोग किया जाता है?
(a) Ca(OH)2
(b) KOH
(c) NaOH
(d) HCl -
श्वसन के दौरान निकलने वाली गैस, जो चूने के पानी को दूधिया कर देती है, वह कौन सी है?
(a) ऑक्सीजन (O2)
(b) नाइट्रोजन (N2)
(c) कार्बन डाइऑक्साइड (CO2)
(d) हाइड्रोजन (H2) -
अवायवीय श्वसन (किण्वन) में यीस्ट शर्करा को किसमें परिवर्तित करता है?
(a) लैक्टिक अम्ल और CO2
(b) इथेनॉल और CO2
(c) इथेनॉल और O2
(d) लैक्टिक अम्ल और O2 -
स्टार्च परीक्षण से पहले पौधे को अंधेरे में रखने की प्रक्रिया क्या कहलाती है?
(a) प्रकाश संश्लेषण
(b) श्वसन
(c) विस्टार्चन (Destarching)
(d) किण्वन -
स्टार्च आयोडीन के साथ कौन सा रंग देता है?
(a) लाल
(b) हरा
(c) पीला-भूरा
(d) नीला-काला -
अंकुरित बीजों द्वारा श्वसन में CO2 उत्सर्जन दर्शाने वाले प्रयोग में, यदि बीजों को उबालकर प्रयोग किया जाए तो क्या परिणाम होगा?
(a) चूने का पानी तुरंत दूधिया हो जाएगा।
(b) चूने का पानी दूधिया नहीं होगा।
(c) चूने का पानी नीला हो जाएगा।
(d) प्रयोग सफल नहीं होगा। -
पत्ती को अल्कोहल में उबालने के लिए सीधे गर्म करने की बजाय जल ऊष्मक (Water bath) का प्रयोग क्यों करते हैं?
(a) अल्कोहल महंगा होता है।
(b) अल्कोहल ज्वलनशील होता है।
(c) अल्कोहल पानी में अघुलनशील है।
(d) सीधे गर्म करने से पत्ती जल जाती है। -
प्रकाश संश्लेषण के लिए CO2 आवश्यक है, यह दर्शाने वाले प्रयोग में नियंत्रण (Control) सेटअप में KOH क्यों नहीं रखा जाता?
(a) यह सुनिश्चित करने के लिए कि CO2 की अनुपस्थिति का प्रभाव देखा जा सके।
(b) यह सुनिश्चित करने के लिए कि पौधे को CO2 मिलती रहे और प्रकाश संश्लेषण हो।
(c) क्योंकि KOH महंगा है।
(d) क्योंकि KOH हानिकारक है।
उत्तर:
- (b) आयोडीन विलयन
- (c) क्लोरोफिल हटाने के लिए
- (b) KOH
- (c) कार्बन डाइऑक्साइड (CO2)
- (b) इथेनॉल और CO2
- (c) विस्टार्चन (Destarching)
- (d) नीला-काला
- (b) चूने का पानी दूधिया नहीं होगा। (उबले बीज मृत होते हैं और श्वसन नहीं करते)
- (b) अल्कोहल ज्वलनशील होता है।
- (b) यह सुनिश्चित करने के लिए कि पौधे को CO2 मिलती रहे और प्रकाश संश्लेषण हो। (ताकि तुलना की जा सके)
मुझे उम्मीद है कि ये विस्तृत नोट्स और प्रश्न आपकी परीक्षा की तैयारी में उपयोगी होंगे। ध्यानपूर्वक अध्ययन करें और सिद्धांतों को समझने पर जोर दें। शुभकामनाएँ!