Class 11 Accountancy Notes Chapter 1 (Chapter 1) – Lekhashashtra-II Book

Lekhashashtra-II
नमस्ते विद्यार्थियों!

आज हम कक्षा 11 की लेखाशास्त्र-II पुस्तक के पहले अध्याय, 'वित्तीय विवरण - 1' (Financial Statements - 1), का अध्ययन करेंगे। यह अध्याय आपकी सरकारी परीक्षाओं की तैयारी के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह लेखांकन प्रक्रिया के अंतिम उत्पाद और व्यावसायिक परिणामों को समझने का आधार है। चलिए, विस्तार से इसके मुख्य बिंदुओं को समझते हैं।

अध्याय 1: वित्तीय विवरण - 1 (Financial Statements - 1) - विस्तृत नोट्स

1. वित्तीय विवरण का अर्थ (Meaning of Financial Statements):
वित्तीय विवरण लेखांकन प्रक्रिया का अंतिम उत्पाद होते हैं। ये ऐसे प्रलेख हैं जो एक निश्चित अवधि के अंत में किसी व्यावसायिक इकाई की वित्तीय स्थिति (Financial Position) और उस अवधि के दौरान उसके परिचालन के परिणामों (Operational Results) को दर्शाते हैं। सरल शब्दों में, ये बताते हैं कि व्यवसाय ने कितना लाभ कमाया या हानि उठाई और वर्ष के अंत में उसकी संपत्ति और देनदारियां कितनी हैं।

2. वित्तीय विवरण के उद्देश्य (Objectives of Financial Statements):

  • परिचालन परिणामों का निर्धारण (Determining Operational Results): एक निश्चित लेखांकन अवधि के लिए व्यवसाय द्वारा अर्जित सकल लाभ/हानि (Gross Profit/Loss) और शुद्ध लाभ/हानि (Net Profit/Loss) की गणना करना।
  • वित्तीय स्थिति का आकलन (Assessing Financial Position): एक विशिष्ट तिथि पर व्यवसाय की संपत्तियों (Assets), देनदारियों (Liabilities) और पूंजी (Capital) की स्थिति को दर्शाना।
  • उपयोगकर्ताओं को सूचना प्रदान करना (Providing Information to Users): प्रबंधन, निवेशकों, लेनदारों, सरकार, कर्मचारियों आदि जैसे विभिन्न उपयोगकर्ताओं को निर्णय लेने हेतु प्रासंगिक जानकारी उपलब्ध कराना।
  • तरलता और शोधन क्षमता का मूल्यांकन (Evaluating Liquidity and Solvency): व्यवसाय की अल्पकालिक और दीर्घकालिक देनदारियों को चुकाने की क्षमता का आकलन करने में सहायता करना।
  • प्रबंधकीय निर्णयों में सहायक (Aiding Managerial Decisions): प्रबंधन को योजना बनाने, नियंत्रण करने और महत्वपूर्ण व्यावसायिक निर्णय लेने के लिए आवश्यक वित्तीय जानकारी प्रदान करना।

3. वित्तीय विवरण के उपयोगकर्ता (Users of Financial Statements):
वित्तीय विवरणों के उपयोगकर्ताओं को दो मुख्य श्रेणियों में बांटा जा सकता है:

  • आंतरिक उपयोगकर्ता (Internal Users):
    • स्वामी (Owners): व्यवसाय की लाभप्रदता और वित्तीय सुदृढ़ता जानने के लिए।
    • प्रबंधन (Management): योजना बनाने, नियंत्रण रखने और निर्णय लेने के लिए।
  • बाह्य उपयोगकर्ता (External Users):
    • निवेशक (Investors): निवेश की सुरक्षा और लाभप्रदता का आकलन करने के लिए।
    • लेनदार (Creditors): (जैसे आपूर्तिकर्ता, बैंक) ऋण चुकाने की क्षमता (शोधनाक्षमता) जानने के लिए।
    • सरकार (Government): कर निर्धारण (Taxation) और नियमों के अनुपालन की जांच के लिए।
    • कर्मचारी (Employees): वेतन वृद्धि, बोनस और नौकरी की सुरक्षा के बारे में जानने के लिए।
    • शोधकर्ता (Researchers): अध्ययन और विश्लेषण के लिए।

4. वित्तीय विवरण के अंग (Components of Financial Statements - बिना समायोजन के):
इस अध्याय में हम बिना समायोजन वाले अंतिम खाते बनाना सीखते हैं, जिनमें मुख्य रूप से शामिल हैं:

  • (क) व्यापारिक खाता (Trading Account):

    • उद्देश्य: एक निश्चित लेखांकन अवधि के लिए सकल लाभ (Gross Profit) या सकल हानि (Gross Loss) की गणना करना। सकल लाभ = शुद्ध विक्रय - बेचे गए माल की लागत (Cost of Goods Sold)।
    • मदें (Items):
      • डेबिट पक्ष: प्रारंभिक स्टॉक (Opening Stock), क्रय (Purchases) (शुद्ध), प्रत्यक्ष व्यय (Direct Expenses - जैसे मजदूरी, ढुलाई भाड़ा/आवक गाड़ी भाड़ा, कारखाना व्यय आदि)।
      • क्रेडिट पक्ष: विक्रय (Sales) (शुद्ध), अंतिम स्टॉक (Closing Stock)।
    • परिणाम: यदि क्रेडिट पक्ष का योग डेबिट पक्ष से अधिक है तो 'सकल लाभ' होता है, जिसे लाभ-हानि खाते में हस्तांतरित किया जाता है। यदि डेबिट पक्ष का योग अधिक है तो 'सकल हानि' होती है।
  • (ख) लाभ-हानि खाता (Profit and Loss Account):

    • उद्देश्य: व्यापारिक खाते द्वारा दर्शाए गए सकल लाभ/हानि को ध्यान में रखते हुए, एक निश्चित लेखांकन अवधि के लिए शुद्ध लाभ (Net Profit) या शुद्ध हानि (Net Loss) की गणना करना।
    • मदें (Items):
      • डेबिट पक्ष: सकल हानि (यदि हो), सभी अप्रत्यक्ष व्यय (Indirect Expenses - जैसे वेतन, किराया, विज्ञापन, ब्याज, मूल्यह्रास, कार्यालय व्यय आदि) और हानियाँ।
      • क्रेडिट पक्ष: सकल लाभ (यदि हो), सभी अप्रत्यक्ष आय (Indirect Incomes - जैसे प्राप्त कमीशन, प्राप्त किराया, प्राप्त छूट, निवेश पर ब्याज आदि) और लाभ।
    • परिणाम: यदि क्रेडिट पक्ष का योग डेबिट पक्ष से अधिक है तो 'शुद्ध लाभ' होता है, जिसे पूंजी में जोड़ा जाता है। यदि डेबिट पक्ष का योग अधिक है तो 'शुद्ध हानि' होती है, जिसे पूंजी से घटाया जाता है।
  • (ग) तुलन पत्र/स्थिति विवरण (Balance Sheet):

    • उद्देश्य: यह एक 'विवरण' है, खाता नहीं। यह एक निश्चित तिथि पर व्यवसाय की वित्तीय स्थिति को दर्शाता है, अर्थात उसकी संपत्तियां, देनदारियां और पूंजी कितनी है।
    • प्रारूप (Format): इसके दो पक्ष होते हैं - बायां पक्ष 'देनदारियां और पूंजी' (Liabilities & Capital) और दायां पक्ष 'संपत्तियां' (Assets)। दोनों पक्षों का योग हमेशा बराबर होता है (लेखांकन समीकरण: संपत्तियां = देनदारियां + पूंजी)।
    • मदें (Items):
      • देनदारियां (Liabilities): बाहरी पक्षों के प्रति व्यवसाय के दायित्व। इन्हें दीर्घकालिक (Long-term) और चालू (Current) देनदारियों में बांटा जाता है (जैसे लेनदार, देय बिल, बैंक अधिविकर्ष, ऋण)।
      • पूंजी (Capital): व्यवसाय में स्वामी का निवेश (प्रारंभिक पूंजी + अतिरिक्त पूंजी + शुद्ध लाभ - आहरण - शुद्ध हानि)।
      • संपत्तियां (Assets): व्यवसाय के आर्थिक संसाधन। इन्हें स्थायी/गैर-चालू (Fixed/Non-Current - जैसे भूमि, भवन, मशीनरी, फर्नीचर) और चालू (Current - जैसे स्टॉक, देनदार, प्राप्य बिल, रोकड़, बैंक शेष) संपत्तियों में बांटा जाता है।

5. महत्वपूर्ण अवधारणाएं (Relevant Accounting Concepts):

  • मिलान अवधारणा (Matching Principle): एक अवधि के आगम (Revenue) का मिलान उसी अवधि के व्ययों (Expenses) से किया जाना चाहिए ताकि सही लाभ/हानि ज्ञात हो सके।
  • चालू व्यवसाय अवधारणा (Going Concern Concept): यह माना जाता है कि व्यवसाय निकट भविष्य में चलता रहेगा, इसीलिए संपत्तियों को उनके ऐतिहासिक लागत पर दिखाया जाता है (मूल्यह्रास घटाकर)।
  • उपार्जन आधार (Accrual Basis): आय और व्यय को तब दर्ज किया जाता है जब वे उपार्जित होते हैं या देय होते हैं, न कि जब नकदी प्राप्त होती है या भुगतान किया जाता है।

6. पूंजीगत बनाम आयगत (Capital vs. Revenue):

  • पूंजीगत व्यय (Capital Expenditure): स्थायी संपत्तियों को खरीदने या उनकी क्षमता बढ़ाने पर किया गया व्यय। इसका लाभ कई वर्षों तक मिलता है। इसे तुलन पत्र में संपत्ति पक्ष में दिखाया जाता है (जैसे मशीनरी खरीदना)।
  • आयगत व्यय (Revenue Expenditure): व्यवसाय के दिन-प्रतिदिन के संचालन पर किया गया व्यय, जिसका लाभ उसी लेखांकन वर्ष में मिलता है। इसे व्यापारिक या लाभ-हानि खाते में दिखाया जाता है (जैसे वेतन, किराया देना)।
  • पूंजीगत प्राप्तियां (Capital Receipts): ये स्थायी संपत्तियों की बिक्री या ऋण लेने से प्राप्त होती हैं। ये सामान्य व्यावसायिक गतिविधियों से नहीं होतीं (जैसे मशीनरी बेचकर प्राप्त राशि, बैंक से ऋण)।
  • आयगत प्राप्तियां (Revenue Receipts): ये व्यवसाय की सामान्य गतिविधियों से प्राप्त होती हैं (जैसे माल की बिक्री से प्राप्त राशि, प्राप्त कमीशन)।

यह अध्याय वित्तीय विवरणों की नींव रखता है। अगले अध्याय ('वित्तीय विवरण - 2') में हम समायोजनों (Adjustments) के साथ वित्तीय विवरण बनाना सीखेंगे।


अभ्यास हेतु बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs):

प्रश्न 1: वित्तीय विवरणों का मुख्य उद्देश्य क्या है?
(क) रोकड़ प्रवाह दिखाना
(ख) व्यवसाय की लाभप्रदता और वित्तीय स्थिति बताना
(ग) केवल देनदारों की सूची बनाना
(घ) केवल संपत्तियों का मूल्यांकन करना
उत्तर: (ख)

प्रश्न 2: व्यापारिक खाता (Trading Account) तैयार करने का उद्देश्य क्या है?
(क) शुद्ध लाभ ज्ञात करना
(ख) वित्तीय स्थिति ज्ञात करना
(ग) सकल लाभ या सकल हानि ज्ञात करना
(घ) रोकड़ शेष ज्ञात करना
उत्तर: (ग)

प्रश्न 3: निम्नलिखित में से कौन सा एक प्रत्यक्ष व्यय (Direct Expense) है?
(क) वेतन (Salary)
(ख) किराया (Rent)
(ग) मजदूरी (Wages)
(घ) विज्ञापन (Advertisement)
उत्तर: (ग)

प्रश्न 4: लाभ-हानि खाता (Profit and Loss Account) क्या दर्शाता है?
(क) केवल आय
(ख) केवल व्यय
(ग) एक निश्चित तिथि पर संपत्ति और देनदारी
(घ) एक निश्चित अवधि के लिए शुद्ध लाभ या शुद्ध हानि
उत्तर: (घ)

प्रश्न 5: तुलन पत्र (Balance Sheet) क्या है?
(क) एक खाता
(ख) एक विवरण
(ग) लाभ की गणना
(घ) व्यय की सूची
उत्तर: (ख)

प्रश्न 6: तुलन पत्र में निम्नलिखित में से किसे देनदारी (Liability) पक्ष में दिखाया जाता है?
(क) देनदार (Debtors)
(ख) मशीनरी (Machinery)
(ग) लेनदार (Creditors)
(घ) स्टॉक (Stock)
उत्तर: (ग)

प्रश्न 7: अंतिम स्टॉक (Closing Stock) का मूल्यांकन सामान्यतः किस पर किया जाता है?
(क) लागत मूल्य पर
(ख) बाजार मूल्य पर
(ग) लागत मूल्य या बाजार मूल्य, जो भी कम हो
(घ) लागत मूल्य या बाजार मूल्य, जो भी अधिक हो
उत्तर: (ग)

प्रश्न 8: मशीनरी की खरीद पर किया गया व्यय किस प्रकार का व्यय है?
(क) आयगत व्यय
(ख) पूंजीगत व्यय
(ग) आस्थगित आयगत व्यय
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर: (ख)

प्रश्न 9: निम्नलिखित में से कौन वित्तीय विवरणों का आंतरिक उपयोगकर्ता (Internal User) है?
(क) लेनदार
(ख) निवेशक
(ग) प्रबंधन
(घ) सरकार
उत्तर: (ग)

प्रश्न 10: लेखांकन समीकरण (Accounting Equation) क्या है?
(क) संपत्तियां = देनदारियां - पूंजी
(ख) संपत्तियां = पूंजी - देनदारियां
(ग) संपत्तियां = देनदारियां + पूंजी
(घ) पूंजी = संपत्तियां + देनदारियां
उत्तर: (ग)

इन नोट्स और प्रश्नों का अच्छी तरह से अध्ययन करें। यह आपकी परीक्षा की तैयारी में बहुत सहायक होगा। कोई शंका हो तो अवश्य पूछें। शुभकामनाएँ!

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