Class 11 Accountancy Notes Chapter 1 (लेखांकन-एक परिचय) – Lekhashashtra-I Book

चलिए, आज हम लेखांकन के पहले अध्याय, 'लेखांकन-एक परिचय' को विस्तार से समझते हैं। यह अध्याय सरकारी परीक्षाओं की तैयारी के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह लेखांकन के आधारभूत सिद्धांतों और अवधारणाओं की नींव रखता है।
अध्याय 1: लेखांकन-एक परिचय (विस्तृत नोट्स)
1. लेखांकन का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning and Definition of Accounting):
- अर्थ: लेखांकन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें व्यावसायिक लेन-देनों की पहचान करना, उन्हें मुद्रा के रूप में मापना, अभिलेखित करना (रिकॉर्ड करना), वर्गीकृत करना, सारांशित करना, विश्लेषण करना, निर्वचन करना तथा प्राप्त सूचनाओं को उसके उपयोगकर्ताओं तक संप्रेषित करना शामिल है।
- 'व्यवसाय की भाषा': लेखांकन को 'व्यवसाय की भाषा' भी कहा जाता है क्योंकि यह व्यवसाय के परिणामों (लाभ या हानि) और उसकी वित्तीय स्थिति को संबंधित पक्षों तक पहुँचाता है।
- अमेरिकन इंस्टीट्यूट ऑफ सर्टिफाइड पब्लिक अकाउंटेंट्स (AICPA) के अनुसार: "लेखांकन उन सौदों और घटनाओं को, जो कम से कम आंशिक रूप से वित्तीय प्रकृति के होते हैं, मुद्रा के रूप में प्रभावपूर्ण तरीके से लिखने, वर्गीकृत करने, सारांशित करने और उनके परिणामों की व्याख्या करने की कला है।"
2. लेखांकन प्रक्रिया के चरण (Steps in Accounting Process):
लेखांकन एक व्यवस्थित प्रक्रिया है जिसमें निम्नलिखित चरण शामिल हैं:
- (i) पहचान (Identification): केवल उन्हीं लेन-देनों और घटनाओं की पहचान करना जो वित्तीय प्रकृति के हैं (जिन्हें मुद्रा में मापा जा सकता है)।
- (ii) मापन (Measuring): पहचाने गए लेन-देनों को मुद्रा (जैसे रुपये) में मापना।
- (iii) अभिलेखन (Recording): मौद्रिक लेन-देनों को कालक्रमानुसार (chronologically) प्रारंभिक प्रविष्टि की पुस्तकों, मुख्यतः 'रोज़नामचा' (Journal) में लिखना।
- (iv) वर्गीकरण (Classifying): एक प्रकृति के समस्त लेन-देनों को एक स्थान पर एकत्रित करना। यह कार्य 'खाता बही' (Ledger) में खाते खोलकर किया जाता है।
- (v) संक्षिप्तीकरण (Summarizing): वर्गीकृत सूचनाओं को इस प्रकार प्रस्तुत करना कि वे प्रबंधकों एवं अन्य उपयोगकर्ताओं के लिए समझने योग्य व उपयोगी हों। इसमें शामिल हैं:
- तलपट (Trial Balance) बनाना।
- व्यापार एवं लाभ-हानि खाता (Trading and Profit & Loss Account) बनाना (आय विवरण)।
- तुलन पत्र / चिट्ठा (Balance Sheet) बनाना (स्थिति विवरण)।
- (vi) विश्लेषण एवं निर्वचन (Analysis & Interpretation): वित्तीय विवरणों (लाभ-हानि खाता और तुलन पत्र) में प्रस्तुत आँकड़ों का विश्लेषण और निर्वचन करना ताकि व्यवसाय की लाभप्रदता और वित्तीय स्थिति का पता लगाया जा सके।
- (vii) संप्रेषण (Communicating): विश्लेषित सूचनाओं को उपयोगकर्ताओं (जैसे प्रबंधक, निवेशक, लेनदार आदि) तक पहुँचाना।
3. लेखांकन के उद्देश्य (Objectives of Accounting):
- व्यवस्थित अभिलेख रखना: सभी व्यावसायिक लेन-देनों का पूर्ण एवं व्यवस्थित रिकॉर्ड रखना।
- लाभ-हानि ज्ञात करना: एक निश्चित अवधि के दौरान व्यवसाय के परिचालन के परिणाम, अर्थात् लाभ हुआ या हानि, का निर्धारण करना (लाभ-हानि खाते द्वारा)।
- वित्तीय स्थिति ज्ञात करना: एक निश्चित तिथि पर व्यवसाय की वित्तीय स्थिति (संपत्तियाँ, देयताएँ, पूँजी) का पता लगाना (तुलन पत्र द्वारा)।
- उपयोगकर्ताओं को सूचना प्रदान करना: विभिन्न उपयोगकर्ताओं को उनकी आवश्यकतानुसार वित्तीय सूचनाएँ उपलब्ध कराना।
- संपत्तियों की सुरक्षा: संपत्तियों का उचित रिकॉर्ड रखकर उन पर नियंत्रण रखना और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना।
- कानूनी आवश्यकताओं को पूरा करना: विभिन्न कानूनों (जैसे कंपनी अधिनियम, आयकर अधिनियम) की आवश्यकताओं को पूरा करना।
4. लेखांकन की भूमिका (Role of Accounting):
- यह व्यवसाय की भाषा के रूप में कार्य करता है।
- यह एक ऐतिहासिक अभिलेख प्रदान करता है।
- यह शुद्ध लाभ या हानि निर्धारित करने में मदद करता है।
- यह वित्तीय स्थिति को दर्शाता है।
- यह एक सूचना प्रणाली के रूप में कार्य करता है।
- यह एक सेवा कार्य है जो उपयोगकर्ताओं को निर्णय लेने में मदद करता है।
5. लेखांकन के प्रकार/शाखाएँ (Branches/Types of Accounting):
- (i) वित्तीय लेखांकन (Financial Accounting): इसका मुख्य उद्देश्य व्यावसायिक लेन-देनों का लेखा करना, लाभ-हानि ज्ञात करना और वित्तीय स्थिति दर्शाने वाले वित्तीय विवरण तैयार करना है। यह ऐतिहासिक प्रकृति का होता है।
- (ii) लागत लेखांकन (Cost Accounting): इसका उद्देश्य उत्पादित वस्तुओं या प्रदान की गई सेवाओं की लागत ज्ञात करना तथा लागत पर नियंत्रण रखना है।
- (iii) प्रबंधकीय लेखांकन (Management Accounting): यह प्रबंधकों को नीतियाँ निर्धारित करने और व्यावसायिक संचालन को सुचारु रूप से चलाने हेतु निर्णय लेने के लिए आवश्यक लेखांकन सूचनाएँ प्रदान करता है। यह भविष्योन्मुखी होता है।
- (iv) सामाजिक उत्तरदायित्व लेखांकन (Social Responsibility Accounting): यह व्यवसाय द्वारा समाज को प्रदान किए गए लाभों और समाज पर पड़ने वाले लागतों (जैसे प्रदूषण) की पहचान, मापन और सूचना देने से संबंधित है।
- (v) मानव संसाधन लेखांकन (Human Resource Accounting): यह संगठन के मानव संसाधनों के मूल्य की पहचान और मापन से संबंधित है (हालांकि यह अभी विकासशील अवस्था में है)।
6. पुस्तपालन (Book-keeping) और लेखांकन (Accounting) में अंतर:
| आधार | पुस्तपालन (Book-keeping) | लेखांकन (Accounting) |
|---|---|---|
| क्षेत्र | संकुचित; लेखांकन का एक भाग है। | विस्तृत; इसमें पुस्तपालन शामिल है। |
| स्तर | प्राथमिक स्तर का कार्य। | द्वितीयक स्तर का कार्य; जहाँ पुस्तपालन समाप्त होता है, वहाँ से लेखांकन शुरू होता है। |
| उद्देश्य | लेन-देनों का व्यवस्थित अभिलेख रखना। | शुद्ध परिणाम और वित्तीय स्थिति ज्ञात करना, विश्लेषण व निर्वचन करना, सूचना संप्रेषित करना। |
| प्रकृति | लिपिकीय (Clerical) और नियमित प्रकृति का कार्य। | विश्लेषणात्मक और गतिशील प्रकृति का कार्य। |
| ज्ञान | सीमित ज्ञान की आवश्यकता। | उच्च स्तरीय ज्ञान, कौशल और वैचारिक समझ की आवश्यकता। |
| कार्य | पहचान, मापन, अभिलेखन, वर्गीकरण। | संक्षिप्तीकरण, विश्लेषण, निर्वचन, संप्रेषण। |
7. लेखांकन सूचना के उपयोगकर्ता (Users of Accounting Information):
- (i) आंतरिक उपयोगकर्ता (Internal Users):
- स्वामी/निवेशक (Owners/Investors): लाभप्रदता और सुरक्षा जानने के लिए।
- प्रबंधक (Management): योजना बनाने, नियंत्रण करने और निर्णय लेने के लिए।
- कर्मचारी (Employees): बोनस, वेतन वृद्धि, नौकरी की सुरक्षा आदि के लिए।
- (ii) बाह्य उपयोगकर्ता (External Users):
- बैंक एवं वित्तीय संस्थान (Banks & Financial Institutions): ऋण देने की क्षमता का आकलन करने के लिए।
- लेनदार (Creditors): उधार चुकाने की क्षमता (साख) जानने के लिए।
- संभावित निवेशक (Potential Investors): निवेश करने या न करने का निर्णय लेने के लिए।
- सरकार एवं कर अधिकारी (Government & Tax Authorities): कर निर्धारण और नियमों के अनुपालन के लिए।
- शोधकर्ता (Researchers): अध्ययन और विश्लेषण के लिए।
- जनता (Public): व्यवसाय के सामाजिक योगदान और प्रभाव को जानने के लिए।
8. लेखांकन सूचना की गुणात्मक विशेषताएँ (Qualitative Characteristics of Accounting Information):
लेखांकन सूचना को उपयोगी बनाने के लिए उसमें निम्नलिखित गुण होने चाहिए:
- (i) विश्वसनीयता (Reliability): सूचना त्रुटि रहित, पक्षपात रहित और सत्य होनी चाहिए। उपयोगकर्ता उस पर विश्वास कर सकें। यह सत्यापन योग्य होनी चाहिए।
- (ii) प्रासंगिकता (Relevance): सूचना उपयोगकर्ताओं के निर्णयों को प्रभावित करने वाली होनी चाहिए। इसमें भविष्य के पूर्वानुमान लगाने (Predictive Value) और पिछली भविष्यवाणियों की पुष्टि करने (Feedback Value) की क्षमता होनी चाहिए तथा यह समय पर (Timeliness) उपलब्ध होनी चाहिए।
- (iii) बोधगम्यता (Understandability): सूचना इस प्रकार प्रस्तुत की जानी चाहिए कि सामान्य समझ रखने वाले उपयोगकर्ता उसे आसानी से समझ सकें।
- (iv) तुलनीयता (Comparability): सूचना ऐसी होनी चाहिए कि उपयोगकर्ता उसकी तुलना उसी फर्म के पिछले वर्षों के आँकड़ों से (Intra-firm comparison) या अन्य फर्मों के आँकड़ों से (Inter-firm comparison) कर सकें। इसके लिए समान लेखांकन नीतियों का पालन आवश्यक है।
9. लेखांकन के आधार (Bases of Accounting):
आय और व्यय को दर्ज करने के दो मुख्य आधार हैं:
- (i) नकद आधार (Cash Basis): आय को तभी आय माना जाता है जब वह नकद में प्राप्त हो, और व्यय को तभी व्यय माना जाता है जब उसका नकद में भुगतान किया गया हो। यह सरल है लेकिन व्यवसाय की सही लाभप्रदता और वित्तीय स्थिति नहीं दर्शाता। पेशेवर लोग (डॉक्टर, वकील) इसे अपना सकते हैं।
- (ii) उपार्जन आधार (Accrual Basis): आय को तब आय माना जाता है जब वह अर्जित कर ली जाती है (चाहे नकद प्राप्त हुआ हो या नहीं), और व्यय को तब व्यय माना जाता है जब वह देय हो जाता है (चाहे नकद भुगतान किया गया हो या नहीं)। कंपनी अधिनियम, 2013 इसी आधार को अनिवार्य करता है। यह व्यवसाय की सही लाभप्रदता और वित्तीय स्थिति दर्शाता है और यही सर्वमान्य आधार है।
10. लेखांकन के लाभ (Advantages of Accounting):
- वित्तीय जानकारी प्रदान करता है।
- प्रबंधन को निर्णय लेने में सहायक।
- स्मरण शक्ति का स्थान लेता है।
- तुलनात्मक अध्ययन में सहायक।
- न्यायालय में प्रमाण के रूप में उपयोगी।
- ऋण लेने में सहायक।
- व्यवसाय बेचने में सहायक।
- कर निर्धारण में सहायक।
11. लेखांकन की सीमाएँ (Limitations of Accounting):
- गुणात्मक पहलुओं की अनदेखी: यह केवल मौद्रिक लेन-देनों का लेखा करता है, कर्मचारियों की योग्यता, प्रबंधकीय कुशलता जैसे गुणात्मक पहलुओं को अनदेखा करता है।
- व्यक्तिगत निर्णयों से प्रभावित: कुछ अनुमानों (जैसे डूबत ऋण के लिए प्रावधान, ह्रास की विधि) में व्यक्तिगत निर्णय का प्रभाव पड़ता है।
- मूल्य स्तर परिवर्तनों की अनदेखी: लेखांकन ऐतिहासिक लागत पर आधारित होता है और मुद्रा के मूल्य में होने वाले परिवर्तनों (मुद्रास्फीति) को ध्यान में नहीं रखता।
- बनावटी दिखावे (Window Dressing) की संभावना: लाभों या वित्तीय स्थिति को बेहतर दिखाने के लिए आँकड़ों में हेरफेर किया जा सकता है।
- अपूर्ण सूचना: कई आँकड़े अनुमानों पर आधारित होते हैं (जैसे संपत्तियों का उपयोगी जीवनकाल)।
अभ्यास हेतु बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs):
प्रश्न 1: लेखांकन प्रक्रिया का अंतिम चरण क्या है?
(क) लेन-देनों का अभिलेखन
(ख) सूचनाओं का विश्लेषण एवं निर्वचन
(ग) सूचनाओं का उपयोगकर्ताओं तक संप्रेषण
(घ) तलपट तैयार करना
प्रश्न 2: पुस्तपालन का मुख्य कार्य क्या है?
(क) वित्तीय विवरणों का विश्लेषण करना
(ख) वित्तीय लेन-देनों का अभिलेखन करना
(ग) प्रबंधकों को सलाह देना
(घ) निर्णय लेना
प्रश्न 3: निम्नलिखित में से कौन लेखांकन सूचना का बाह्य उपयोगकर्ता नहीं है?
(क) लेनदार
(ख) सरकार
(ग) प्रबंधक
(घ) निवेशक
प्रश्न 4: किस अवधारणा के अनुसार व्यवसाय और उसके स्वामी का अस्तित्व पृथक-पृथक माना जाता है? (यह अगले अध्याय से संबंधित है, पर परिचय में भी इसका जिक्र आता है)
(क) मुद्रा मापन अवधारणा
(ख) व्यावसायिक इकाई अवधारणा
(ग) लागत अवधारणा
(घ) द्विपक्षीय अवधारणा
प्रश्न 5: लेखांकन सूचना की 'तुलनीयता' की विशेषता के लिए क्या आवश्यक है?
(क) सूचना का समय पर उपलब्ध होना
(ख) सूचना का सत्यापन योग्य होना
(ग) एक समान लेखांकन नीतियों का पालन करना
(घ) सूचना का समझने योग्य होना
प्रश्न 6: जब आय अर्जित होने पर (नकद प्राप्ति पर नहीं) और व्यय देय होने पर (नकद भुगतान पर नहीं) लेखा किया जाता है, तो उसे कहते हैं:
(क) नकद आधार लेखांकन
(ख) उपार्जन आधार लेखांकन
(ग) मिश्रित आधार लेखांकन
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं
प्रश्न 7: लेखांकन का प्राथमिक उद्देश्य क्या है?
(क) लागत कम करना
(ख) कर बचाना
(ग) व्यवस्थित वित्तीय अभिलेख रखना
(घ) कर्मचारियों को प्रेरित करना
प्रश्न 8: लाभ-हानि खाते का उद्देश्य क्या ज्ञात करना है?
(क) व्यवसाय की वित्तीय स्थिति
(ख) व्यवसाय की रोकड़ स्थिति
(ग) एक निश्चित अवधि का शुद्ध लाभ या हानि
(घ) व्यवसाय की कुल संपत्ति
प्रश्न 9: निम्नलिखित में से कौन सी लेखांकन की एक सीमा है?
(क) यह प्रबंधन में सहायक है
(ख) यह गुणात्मक पहलुओं की अनदेखी करता है
(ग) यह तुलनात्मक अध्ययन में सहायक है
(घ) यह व्यवस्थित अभिलेख प्रदान करता है
प्रश्न 10: लेखांकन को अक्सर कहा जाता है:
(क) व्यवसाय का हृदय
(ख) व्यवसाय की भाषा
(ग) व्यवसाय का भविष्य
(घ) व्यवसाय का दर्पण
उत्तरमाला (MCQs):
- (ग)
- (ख)
- (ग)
- (ख)
- (ग)
- (ख)
- (ग)
- (ग)
- (ख)
- (ख)
मुझे उम्मीद है कि ये विस्तृत नोट्स और प्रश्न आपके लिए उपयोगी सिद्ध होंगे। सरकारी परीक्षाओं के लिए इन मूलभूत अवधारणाओं को समझना बहुत आवश्यक है। अगर कोई और प्रश्न हो तो अवश्य पूछें।