Class 11 Accountancy Notes Chapter 2 (Chapter 2) – Lekhashashtra-II Book

Lekhashashtra-II
चलिए, आज हम कक्षा 11 की लेखाशास्त्र-II पुस्तक के अध्याय 2, 'वित्तीय विवरण - II' का अध्ययन करेंगे। यह अध्याय सरकारी परीक्षाओं की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें वित्तीय विवरणों को तैयार करते समय आवश्यक समायोजनों (Adjustments) की विस्तृत चर्चा की गई है। ये समायोजन व्यवसाय की सही लाभप्रदता और वित्तीय स्थिति जानने के लिए अनिवार्य हैं।

अध्याय 2: वित्तीय विवरण - II (समायोजनों सहित)

परिचय:
पिछले अध्याय में हमने बिना समायोजनों के वित्तीय विवरण (व्यापारिक खाता, लाभ-हानि खाता और तुलन-पत्र) बनाना सीखा। हालाँकि, वास्तविक व्यवहार में, लेखांकन अवधि के अंत में कई ऐसे लेन-देन या घटनाएँ होती हैं जिनका लेखांकन पुस्तकों में होना बाकी रहता है या जिनका प्रभाव दो लेखांकन अवधियों पर पड़ता है। व्यवसाय का सही लाभ-हानि और सही वित्तीय स्थिति दर्शाने के लिए इन मदों का समायोजन आवश्यक है।

समायोजन की आवश्यकता (Need for Adjustments):

  1. मिलान अवधारणा (Matching Principle): इस अवधारणा के अनुसार, एक लेखांकन अवधि की आय की तुलना उसी अवधि के व्ययों से की जानी चाहिए। समायोजन यह सुनिश्चित करते हैं कि चालू वर्ष के सभी व्यय (चाहे भुगतान हुए हों या नहीं) और सभी आय (चाहे प्राप्त हुई हो या नहीं) का लेखा किया जाए।
  2. उपार्जन अवधारणा (Accrual Concept): लेखांकन उपार्जन आधार पर किया जाता है, जिसका अर्थ है कि आय को तब दर्ज किया जाता है जब वह अर्जित हो जाती है (न कि जब नकदी प्राप्त होती है) और व्ययों को तब दर्ज किया जाता है जब वे देय हो जाते हैं (न कि जब नकदी का भुगतान किया जाता है)। समायोजन इसी अवधारणा का पालन सुनिश्चित करते हैं।
  3. सही और उचित चित्रण (True and Fair View): वित्तीय विवरण व्यवसाय की सही और उचित वित्तीय स्थिति और प्रदर्शन को दर्शाएं, इसके लिए सभी आवश्यक समायोजन करने अनिवार्य हैं।

प्रमुख समायोजन एवं उनका लेखांकन व्यवहार (Major Adjustments and their Accounting Treatment):

प्रत्येक समायोजन के दो प्रभाव होते हैं, इसलिए इसे वित्तीय विवरणों में दो स्थानों पर दर्शाया जाता है।

  1. अंतिम रहतिया (Closing Stock):

    • अर्थ: लेखांकन अवधि के अंत में बिना बिका हुआ माल।
    • मूल्यांकन: लागत मूल्य या शुद्ध वसूली योग्य मूल्य (बाजार मूल्य), जो भी कम हो (Valuation: Cost or Net Realizable Value, whichever is lower)।
    • लेखांकन व्यवहार:
      • (a) व्यापारिक खाते (Trading Account) के क्रेडिट पक्ष में।
      • (b) तुलन-पत्र (Balance Sheet) के सम्पत्ति पक्ष (Assets side) में।
    • समायोजन प्रविष्टि (Journal Entry):
      Closing Stock A/c Dr.
      To Trading A/c
  2. अदत्त व्यय (Outstanding Expenses):

    • अर्थ: वे व्यय जो चालू लेखांकन अवधि से सम्बंधित हैं लेकिन जिनका भुगतान अवधि के अंत तक नहीं किया गया है (जैसे - अदत्त वेतन, अदत्त किराया)।
    • लेखांकन व्यवहार:
      • (a) सम्बंधित व्यय में जोड़ें (व्यापारिक या लाभ-हानि खाते के डेबिट पक्ष में)।
      • (b) तुलन-पत्र के दायित्व पक्ष (Liabilities side) में दर्शाएं।
    • समायोजन प्रविष्टि:
      Respective Expense A/c Dr.
      To Outstanding Expense A/c
  3. पूर्वदत्त व्यय (Prepaid Expenses):

    • अर्थ: वे व्यय जिनका भुगतान चालू लेखांकन अवधि में कर दिया गया है, लेकिन उनका लाभ अगली लेखांकन अवधि या अवधियों में मिलेगा (जैसे - अग्रिम बीमा प्रीमियम)।
    • लेखांकन व्यवहार:
      • (a) सम्बंधित व्यय से घटाएं (लाभ-हानि खाते के डेबिट पक्ष में)।
      • (b) तुलन-पत्र के सम्पत्ति पक्ष में दर्शाएं।
    • समायोजन प्रविष्टि:
      Prepaid Expense A/c Dr.
      To Respective Expense A/c
  4. उपार्जित आय (Accrued Income):

    • अर्थ: वह आय जो चालू लेखांकन अवधि में अर्जित कर ली गई है, लेकिन अवधि के अंत तक प्राप्त नहीं हुई है (जैसे - उपार्जित ब्याज)।
    • लेखांकन व्यवहार:
      • (a) सम्बंधित आय में जोड़ें (लाभ-हानि खाते के क्रेडिट पक्ष में)।
      • (b) तुलन-पत्र के सम्पत्ति पक्ष में दर्शाएं।
    • समायोजन प्रविष्टि:
      Accrued Income A/c Dr.
      To Respective Income A/c
  5. अनुपार्जित आय / अग्रिम प्राप्त आय (Unearned Income / Income Received in Advance):

    • अर्थ: वह आय जो चालू लेखांकन अवधि में प्राप्त हो गई है, लेकिन यह अगली लेखांकन अवधि से सम्बंधित है। यह एक दायित्व है।
    • लेखांकन व्यवहार:
      • (a) सम्बंधित आय से घटाएं (लाभ-हानि खाते के क्रेडिट पक्ष में)।
      • (b) तुलन-पत्र के दायित्व पक्ष में दर्शाएं।
    • समायोजन प्रविष्टि:
      Respective Income A/c Dr.
      To Unearned Income A/c
  6. ह्रास (Depreciation):

    • अर्थ: स्थायी सम्पत्तियों (भूमि को छोड़कर) के मूल्य में उपयोग, समय बीतने या अप्रचलन के कारण होने वाली क्रमिक एवं स्थायी कमी।
    • लेखांकन व्यवहार:
      • (a) लाभ-हानि खाते (Profit & Loss Account) के डेबिट पक्ष में दर्शाएं।
      • (b) तुलन-पत्र के सम्पत्ति पक्ष में सम्बंधित सम्पत्ति के मूल्य से घटाएं।
    • समायोजन प्रविष्टि:
      Depreciation A/c Dr.
      To Respective Asset A/c
  7. अशोध्य ऋण (Bad Debts):

    • अर्थ: देनदारों (Debtors) से वह राशि जो अब वसूल नहीं हो सकती। यदि तलपट बनाने के बाद अतिरिक्त अशोध्य ऋण का पता चलता है, तो समायोजन आवश्यक है।
    • लेखांकन व्यवहार (Additional Bad Debts):
      • (a) लाभ-हानि खाते के डेबिट पक्ष में दर्शाएं (यदि पहले से प्रावधान है तो उसमें समायोजित करें)।
      • (b) तुलन-पत्र में देनदारों से घटाएं।
    • समायोजन प्रविष्टि:
      Bad Debts A/c Dr.
      To Sundry Debtors A/c
  8. संदिग्ध ऋणों के लिए प्रावधान (Provision for Doubtful Debts):

    • अर्थ: रूढ़िवादिता की अवधारणा के अनुसार, भविष्य में संभावित अशोध्य ऋणों के लिए लाभ में से एक अनुमानित राशि का प्रावधान करना। यह प्रावधान 'अच्छे' देनदारों (Further Bad Debts घटाने के बाद बची राशि) पर एक निश्चित प्रतिशत के रूप में किया जाता है।
    • लेखांकन व्यवहार:
      • (a) लाभ-हानि खाते के डेबिट पक्ष में दर्शाएं (पुराने प्रावधान को समायोजित करते हुए)।
      • (b) तुलन-पत्र में देनदारों से घटाएं (Further Bad Debts घटाने के बाद)।
    • समायोजन प्रविष्टि:
      Profit & Loss A/c Dr.
      To Provision for Doubtful Debts A/c
  9. देनदारों पर छूट के लिए प्रावधान (Provision for Discount on Debtors):

    • अर्थ: अच्छे देनदारों को शीघ्र भुगतान के लिए प्रेरित करने हेतु दी जाने वाली संभावित छूट के लिए प्रावधान करना। यह प्रावधान अशोध्य ऋण और संदिग्ध ऋणों के प्रावधान को घटाने के बाद शेष देनदारों पर किया जाता है।
    • लेखांकन व्यवहार:
      • (a) लाभ-हानि खाते के डेबिट पक्ष में दर्शाएं।
      • (b) तुलन-पत्र में देनदारों से घटाएं (Provision for Doubtful Debts घटाने के बाद)।
    • समायोजन प्रविष्टि:
      Profit & Loss A/c Dr.
      To Provision for Discount on Debtors A/c
  10. पूँजी पर ब्याज (Interest on Capital):

    • अर्थ: व्यवसाय द्वारा स्वामी को उसकी पूँजी के प्रयोग के बदले दिया जाने वाला ब्याज। यह व्यवसाय के लिए व्यय है।
    • लेखांकन व्यवहार:
      • (a) लाभ-हानि खाते के डेबिट पक्ष में दर्शाएं।
      • (b) तुलन-पत्र में पूँजी (Capital) में जोड़ें।
    • समायोजन प्रविष्टि:
      Interest on Capital A/c Dr.
      To Capital A/c
  11. आहरण पर ब्याज (Interest on Drawings):

    • अर्थ: व्यवसाय द्वारा स्वामी से उसके द्वारा किये गए आहरण (Drawings) पर लिया जाने वाला ब्याज। यह व्यवसाय के लिए आय है।
    • लेखांकन व्यवहार:
      • (a) लाभ-हानि खाते के क्रेडिट पक्ष में दर्शाएं।
      • (b) तुलन-पत्र में पूँजी से घटाएं (या आहरण में जोड़ें)।
    • समायोजन प्रविष्टि:
      Drawings A/c (or Capital A/c) Dr.
      To Interest on Drawings A/c
  12. माल की असामान्य हानि (Abnormal Loss of Stock):

    • अर्थ: आग, चोरी, दुर्घटना आदि से माल की हानि।
    • लेखांकन व्यवहार:
      • (a) हानि हुए माल की पूरी लागत व्यापारिक खाते के क्रेडिट पक्ष में (या क्रय से घटाएं)।
      • (b) यदि माल का बीमा था और दावा स्वीकार हुआ है:
        • जितनी राशि का दावा स्वीकार हुआ: तुलन-पत्र के सम्पत्ति पक्ष में (Insurance Claim Receivable)।
        • हानि की वह राशि जो दावे से पूरी नहीं हुई (Net Loss): लाभ-हानि खाते के डेबिट पक्ष में।
      • (c) यदि माल का बीमा नहीं था: पूरी हानि लाभ-हानि खाते के डेबिट पक्ष में।
    • समायोजन प्रविष्टि (उदाहरण: आग से हानि, बीमा नहीं):
      Loss by Fire A/c Dr. (Total Cost)
      To Trading A/c (or Purchases A/c)
      Profit & Loss A/c Dr. (Total Cost)
      To Loss by Fire A/c
  13. निजी प्रयोग हेतु लिया गया माल (Goods taken for Personal Use - Drawings):

    • अर्थ: स्वामी द्वारा व्यवसाय से निजी प्रयोग के लिए माल निकालना।
    • लेखांकन व्यवहार:
      • (a) व्यापारिक खाते में क्रय (Purchases) से घटाएं।
      • (b) तुलन-पत्र में पूँजी से घटाएं (आहरण के रूप में)।
    • समायोजन प्रविष्टि:
      Drawings A/c Dr.
      To Purchases A/c
  14. नमूने के रूप में वितरित माल (Goods Distributed as Free Samples):

    • अर्थ: विज्ञापन या प्रचार के उद्देश्य से माल का मुफ्त वितरण।
    • लेखांकन व्यवहार:
      • (a) व्यापारिक खाते में क्रय (Purchases) से घटाएं।
      • (b) लाभ-हानि खाते के डेबिट पक्ष में विज्ञापन व्यय (Advertisement Exp.) के रूप में दिखाएं।
    • समायोजन प्रविष्टि:
      Advertisement A/c Dr.
      To Purchases A/c
  15. प्रबंधक का कमीशन (Manager's Commission):

    • अर्थ: प्रबंधक को लाभ पर दिया जाने वाला कमीशन। यह दो प्रकार से हो सकता है:
      • (i) कमीशन घटाने से पूर्व के लाभ पर (Commission on Net Profit before charging such commission):
        Commission = (Net Profit before Commission) x (Rate/100)
      • (ii) कमीशन घटाने के बाद के लाभ पर (Commission on Net Profit after charging such commission):
        Commission = (Net Profit before Commission) x (Rate / (100 + Rate))
    • लेखांकन व्यवहार:
      • (a) लाभ-हानि खाते के डेबिट पक्ष में दर्शाएं।
      • (b) यदि कमीशन का भुगतान नहीं हुआ है, तो तुलन-पत्र के दायित्व पक्ष में 'Outstanding Commission' के रूप में दर्शाएं।
    • समायोजन प्रविष्टि (यदि अदत्त है):
      Manager's Commission A/c Dr.
      To Outstanding Commission A/c

समायोजनों के पश्चात वित्तीय विवरण तैयार करना:
सभी समायोजनों के लिए जर्नल प्रविष्टियाँ करने के बाद (या सीधे कार्य-पत्र/Worksheet का प्रयोग करके), संशोधित राशियों के साथ व्यापारिक खाता, लाभ-हानि खाता और तुलन-पत्र तैयार किया जाता है। इससे व्यवसाय का सही शुद्ध लाभ/हानि और सही वित्तीय स्थिति का पता चलता है।

सरकारी परीक्षाओं के लिए महत्व:
लेखांकन से सम्बंधित लगभग सभी सरकारी परीक्षाओं (जैसे अकाउंटेंट, ऑडिटर, SSC CGL AAO, आदि) में समायोजनों से सम्बंधित प्रश्न अनिवार्य रूप से पूछे जाते हैं। समायोजन प्रविष्टियाँ, उनका वित्तीय विवरणों पर प्रभाव, और विभिन्न प्रावधानों (जैसे संदिग्ध ऋण) की गणना अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इस अध्याय की गहन समझ आपको परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने में मदद करेगी।


अभ्यास हेतु बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs):

प्रश्न 1: अंतिम रहतिया का मूल्यांकन किस पर किया जाता है?
(क) लागत मूल्य
(ख) बाजार मूल्य
(ग) लागत मूल्य या बाजार मूल्य, जो भी अधिक हो
(घ) लागत मूल्य या शुद्ध वसूली योग्य मूल्य, जो भी कम हो

प्रश्न 2: अदत्त वेतन (Outstanding Salary) को दिखाया जाता है:
(क) लाभ-हानि खाते के डेबिट में वेतन से घटाकर और तुलन-पत्र के सम्पत्ति पक्ष में
(ख) लाभ-हानि खाते के डेबिट में वेतन में जोड़कर और तुलन-पत्र के दायित्व पक्ष में
(ग) केवल लाभ-हानि खाते के डेबिट में
(घ) केवल तुलन-पत्र के दायित्व पक्ष में

प्रश्न 3: पूर्वदत्त बीमा (Prepaid Insurance) कहाँ दर्शाया जाता है?
(क) व्यापारिक खाते के डेबिट में
(ख) लाभ-हानि खाते के क्रेडिट में
(ग) तुलन-पत्र के सम्पत्ति पक्ष में
(घ) तुलन-पत्र के दायित्व पक्ष में

प्रश्न 4: देनदारों पर संदिग्ध ऋणों के लिए प्रावधान की गणना की जाती है:
(क) कुल देनदारों पर
(ख) कुल लेनदारों पर
(ग) अतिरिक्त अशोध्य ऋण घटाने के बाद शेष देनदारों पर
(घ) पूँजी पर

प्रश्न 5: पूँजी पर ब्याज व्यवसाय के लिए है:
(क) आय
(ख) व्यय
(ग) सम्पत्ति
(घ) दायित्व

प्रश्न 6: स्वामी द्वारा निजी प्रयोग हेतु लिए गए माल का लेखांकन करते समय क्रेडिट किया जाता है:
(क) विक्रय खाता
(ख) आहरण खाता
(ग) क्रय खाता
(घ) पूँजी खाता

प्रश्न 7: समायोजनों का मुख्य उद्देश्य क्या है?
(क) तलपट का मिलान करना
(ख) रोकड़ बही का शेष निकालना
(ग) मिलान अवधारणा और उपार्जन अवधारणा का पालन करना
(घ) देनदारों से वसूली करना

प्रश्न 8: उपार्जित कमीशन (Accrued Commission) को दिखाया जाएगा:
(क) लाभ-हानि खाते के डेबिट में और तुलन-पत्र के दायित्व पक्ष में
(ख) लाभ-हानि खाते के क्रेडिट में कमीशन में जोड़कर और तुलन-पत्र के सम्पत्ति पक्ष में
(ग) केवल तुलन-पत्र के सम्पत्ति पक्ष में
(घ) केवल लाभ-हानि खाते के क्रेडिट पक्ष में

प्रश्न 9: यदि प्रबंधक को कमीशन घटाने के बाद के शुद्ध लाभ पर 10% कमीशन देय है और कमीशन घटाने से पूर्व का लाभ ₹1,10,000 है, तो कमीशन की राशि क्या होगी?
(क) ₹11,000
(ख) ₹10,000
(ग) ₹1,100
(घ) ₹12,100

प्रश्न 10: स्थायी सम्पत्ति पर ह्रास लगाने के लिए समायोजन प्रविष्टि में किस खाते को डेबिट किया जाता है?
(क) सम्पत्ति खाता
(ख) लाभ-हानि खाता
(ग) ह्रास खाता
(घ) बैंक खाता


उत्तरमाला (MCQs):

  1. (घ)
  2. (ख)
  3. (ग)
  4. (ग)
  5. (ख)
  6. (ग)
  7. (ग)
  8. (ख)
  9. (ख) [गणना: 1,10,000 * (10 / (100 + 10)) = 1,10,000 * (10/110) = 10,000]
  10. (ग)

इन नोट्स और प्रश्नों का ध्यानपूर्वक अध्ययन करें। समायोजनों का अभ्यास करने के लिए व्यावहारिक प्रश्न हल करना भी महत्वपूर्ण है। शुभकामनाएँ!

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