Class 11 Accountancy Notes Chapter 4 (लेन-देनों का अभिलेखन-2) – Lekhashashtra-I Book

नमस्ते विद्यार्थियो,
आज हम कक्षा 11 के लेखाशास्त्र विषय के अध्याय 4, 'लेन-देनों का अभिलेखन-2' का अध्ययन करेंगे। यह अध्याय प्रतियोगी परीक्षाओं की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें लेखांकन प्रक्रिया के अगले महत्वपूर्ण चरणों - सहायक बहियों और खाता बही - की विस्तृत चर्चा की गई है।
आइए, इस अध्याय के मुख्य बिंदुओं को विस्तार से समझते हैं:
अध्याय 4: लेन-देनों का अभिलेखन-2 (Recording of Transactions - 2)
1. सहायक बहियों की आवश्यकता (Need for Subsidiary Books):
- जब व्यवसाय का आकार छोटा होता है, तो सभी लेन-देनों को रोज़नामचा (Journal) में लिखना संभव होता है।
- परन्तु, जैसे-जैसे व्यवसाय का विस्तार होता है और लेन-देनों की संख्या बढ़ती है, विशेषकर एक ही प्रकृति के लेन-देन (जैसे नकद लेन-देन, उधार क्रय, उधार विक्रय) बार-बार होते हैं, तो केवल रोज़नामचा रखना अव्यावहारिक और असुविधाजनक हो जाता है।
- इस समस्या के समाधान के लिए रोज़नामचा का उप-विभाजन (Sub-division) किया जाता है। एक ही प्रकृति के लेन-देनों को लिखने के लिए अलग-अलग पुस्तकें रखी जाती हैं, जिन्हें सहायक बहियाँ (Subsidiary Books) या विशेष रोज़नामचा (Special Journals) या मूल प्रविष्टि की पुस्तकें (Books of Original Entry) कहा जाता है।
सहायक बहियों के लाभ:
- श्रम विभाजन (Division of Work): अलग-अलग सहायक बहियों को अलग-अलग व्यक्ति संभाल सकते हैं, जिससे कार्य शीघ्रता और कुशलता से होता है।
- समय की बचत (Saving of Time): लेन-देनों को सीधे संबंधित बही में लिखने से समय बचता है।
- सुविधाजनक (Convenience): एक ही प्रकृति के लेन-देन एक स्थान पर मिल जाते हैं।
- त्रुटियों में कमी (Reduction in Errors): श्रम विभाजन और विशेषीकरण से गलतियों की संभावना कम होती है।
- उत्तरदायित्व निर्धारण (Fixing Responsibility): किसी विशेष बही में गलती होने पर संबंधित कर्मचारी को उत्तरदायी ठहराया जा सकता है।
- खाता बही में खतौनी में आसानी (Ease in Posting): सहायक बहियों से खाता बही में खतौनी करना सरल हो जाता है।
2. प्रमुख सहायक बहियाँ (Major Subsidiary Books):
मुख्य सहायक बहियाँ निम्नलिखित हैं:
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(i) रोकड़ बही (Cash Book): इसमें सभी नकद और बैंक संबंधी लेन-देनों का लेखा किया जाता है। यह रोज़नामचा और खाता बही (नकद व बैंक खाते के लिए) दोनों का कार्य करती है। - सरल रोकड़ बही (Simple Cash Book): इसमें केवल नकद लेन-देनों के लिए एक राशि का कॉलम होता है।
- द्वि-स्तम्भीय रोकड़ बही (Double Column Cash Book): इसमें राशि के दो कॉलम होते हैं - सामान्यतः नकद और छूट (Cash & Discount) या नकद और बैंक (Cash & Bank)।
- नकद व बैंक कॉलम वाली बही: इसमें बैंक में जमा कराने (Deposit) और बैंक से निकालने (Withdrawal) पर विपरीत प्रविष्टि (Contra Entry) की जाती है, जिसे 'C' से दर्शाते हैं। ऐसी प्रविष्टि का लेखा रोकड़ बही के दोनों पक्षों (Debit और Credit) में होता है और इसकी खतौनी खाता बही में नहीं होती।
 
- त्रि-स्तम्भीय रोकड़ बही (Triple Column Cash Book): इसमें राशि के तीन कॉलम होते हैं - छूट, नकद और बैंक (Discount, Cash, Bank)। यह सबसे प्रचलित है।
- खुदरा रोकड़ बही (Petty Cash Book): छोटे-मोटे खर्चों (जैसे स्टेशनरी, डाक व्यय, जलपान व्यय) का हिसाब रखने के लिए बनाई जाती है। इसे प्रायः अग्रदाय प्रणाली (Imprest System) के आधार पर रखा जाता है, जिसमें मुख्य रोकड़िया एक निश्चित अवधि के लिए एक निश्चित राशि खुदरा रोकड़िया को देता है और अवधि के अंत में खर्च की गई राशि की प्रतिपूर्ति कर देता है।
 
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(ii) क्रय बही (Purchases Book / Purchases Day Book): इसमें केवल माल (Goods) के उधार क्रय का लेखा किया जाता है। नकद क्रय रोकड़ बही में और सम्पत्तियों का उधार क्रय मुख्य रोज़नामचा में लिखा जाता है। इसका आधार बीजक (Invoice) होता है। 
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(iii) विक्रय बही (Sales Book / Sales Day Book): इसमें केवल माल (Goods) के उधार विक्रय का लेखा किया जाता है। नकद विक्रय रोकड़ बही में और सम्पत्तियों का उधार विक्रय मुख्य रोज़नामचा में लिखा जाता है। इसका आधार भी बीजक (Invoice) होता है। 
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(iv) क्रय वापसी बही (Purchases Return Book / Return Outward Book): इसमें उधार खरीदे गए माल को आपूर्तिकर्ताओं (Suppliers) को वापस करने का लेखा किया जाता है। इसका आधार नाम पत्र (Debit Note) होता है। 
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(v) विक्रय वापसी बही (Sales Return Book / Return Inward Book): इसमें ग्राहकों (Customers) द्वारा उधार बेचे गए माल को वापस करने का लेखा किया जाता है। इसका आधार जमा पत्र (Credit Note) होता है। 
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(vi) प्राप्य बिल बही (Bills Receivable Book): इसमें प्राप्त होने वाले विनिमय बिलों (Bills of Exchange) और प्रतिज्ञा पत्रों (Promissory Notes) का लेखा किया जाता है। 
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(vii) देय बिल बही (Bills Payable Book): इसमें स्वीकार किए गए विनिमय बिलों और लिखे गए प्रतिज्ञा पत्रों का लेखा किया जाता है। 
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(viii) मुख्य रोज़नामचा (Journal Proper): वे सभी लेन-देन जो उपरोक्त किसी भी सहायक बही में नहीं लिखे जाते, उन्हें मुख्य रोज़नामचा में लिखा जाता है। जैसे: - प्रारम्भिक प्रविष्टियाँ (Opening Entries)
- समापन प्रविष्टियाँ (Closing Entries)
- समायोजन प्रविष्टियाँ (Adjustment Entries)
- सुधार प्रविष्टियाँ (Rectification Entries)
- सम्पत्तियों का उधार क्रय व विक्रय (Credit Purchase/Sale of Assets)
- असाधारण हानियाँ (Abnormal Losses)
- अन्तरण प्रविष्टियाँ (Transfer Entries)
 
3. खाता बही (Ledger):
- खाता बही लेखांकन की प्रधान पुस्तक (Principal Book) होती है।
- इसमें सभी खाते (व्यक्तिगत, वास्तविक, नाममात्र) एक स्थान पर खोले जाते हैं।
- रोज़नामचा या सहायक बहियों से लेन-देनों को संबंधित खातों में वर्गीकृत करके लिखने की क्रिया को खतौनी (Posting) कहते हैं।
- प्रारूप (Format): खाता बही का प्रत्येक खाता 'T' आकार का होता है, जिसके दो पक्ष होते हैं - बायाँ पक्ष नाम पक्ष (Debit Side - Dr.) और दायाँ पक्ष जमा पक्ष (Credit Side - Cr.)। प्रत्येक पक्ष में दिनांक (Date), विवरण (Particulars), रोज़नामचा पृष्ठ संख्या (Journal Folio - J.F.), और राशि (Amount) के कॉलम होते हैं।
- खतौनी के नियम:
- रोज़नामचा प्रविष्टि में डेबिट किए गए खाते के डेबिट पक्ष में संबंधित क्रेडिट खाते का नाम 'To' (हिंदी में 'से') शब्द लगाकर लिखते हैं।
- रोज़नामचा प्रविष्टि में क्रेडिट किए गए खाते के क्रेडिट पक्ष में संबंधित डेबिट खाते का नाम 'By' (हिंदी में 'द्वारा') शब्द लगाकर लिखते हैं।
- सहायक बहियों से खतौनी करते समय, व्यक्तिगत खातों में प्रतिदिन या नियमित अंतराल पर और संबंधित मुख्य खाते (जैसे कुल क्रय, कुल विक्रय) में सामान्यतः महीने के अंत में एकमुश्त खतौनी की जाती है।
 
- खातों का शेष निकालना (Balancing of Accounts):
- निश्चित अवधि (सामान्यतः माह या वर्ष) के अंत में प्रत्येक खाते के दोनों पक्षों (डेबिट और क्रेडिट) के योग का अंतर निकाला जाता है, जिसे शेष (Balance) कहते हैं।
- यदि डेबिट पक्ष का योग अधिक है, तो अंतर को क्रेडिट पक्ष में 'By Balance c/d' (शेष आगे ले गए) लिखकर दोनों पक्षों का योग बराबर किया जाता है। यह डेबिट शेष (Debit Balance) कहलाता है। अगले दिन इसे डेबिट पक्ष में 'To Balance b/d' (शेष आगे लाए) लिखकर दर्शाया जाता है।
- यदि क्रेडिट पक्ष का योग अधिक है, तो अंतर को डेबिट पक्ष में 'To Balance c/d' लिखकर योग बराबर किया जाता है। यह क्रेडिट शेष (Credit Balance) कहलाता है। अगले दिन इसे क्रेडिट पक्ष में 'By Balance b/d' लिखकर दर्शाया जाता है।
- नाममात्र खातों (आय/व्यय) को वर्ष के अंत में व्यापारिक एवं लाभ-हानि खाते में स्थानांतरित करके बंद कर दिया जाता है, उनका शेष आगे नहीं ले जाया जाता।
 
यह अध्याय लेखांकन चक्र की महत्वपूर्ण कड़ी है, जो लेन-देनों को दर्ज करने से लेकर खातों में वर्गीकृत करने तक की प्रक्रिया को स्पष्ट करता है। खाता बही में निकाले गए शेषों की सहायता से ही अगला चरण, यानी तलपट (Trial Balance) तैयार किया जाता है।
अभ्यास हेतु बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs):
प्रश्न 1: रोकड़ बही (Cash Book) अभिलेखित करती है:
(क) केवल नकद प्राप्तियाँ
(ख) केवल नकद भुगतान
(ग) सभी नकद प्राप्तियाँ और भुगतान
(घ) केवल उधार लेन-देन
उत्तर: (ग) सभी नकद प्राप्तियाँ और भुगतान
प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सी एक सहायक बही नहीं है?
(क) विक्रय बही
(ख) रोकड़ बही
(ग) खाता बही
(घ) क्रय बही
उत्तर: (ग) खाता बही (खाता बही प्रधान पुस्तक है, सहायक बही नहीं)
प्रश्न 3: क्रय बही (Purchases Book) में लेखा किया जाता है:
(क) सभी क्रय का
(ख) माल के सभी क्रय का
(ग) माल के उधार क्रय का
(घ) सम्पत्तियों के उधार क्रय का
उत्तर: (ग) माल के उधार क्रय का
प्रश्न 4: बैंक कॉलम वाली रोकड़ बही में, बैंक में नकद जमा कराने पर की जाने वाली प्रविष्टि कहलाती है:
(क) समायोजन प्रविष्टि
(ख) विपरीत प्रविष्टि (Contra Entry)
(ग) प्रारम्भिक प्रविष्टि
(घ) समापन प्रविष्टि
उत्तर: (ख) विपरीत प्रविष्टि (Contra Entry)
प्रश्न 5: उधार बेचे गए माल की ग्राहक द्वारा वापसी पर कौन सा प्रपत्र (document) तैयार किया जाता है?
(क) बीजक (Invoice)
(ख) नाम पत्र (Debit Note)
(ग) जमा पत्र (Credit Note)
(घ) रोकड़ मीमो (Cash Memo)
उत्तर: (ग) जमा पत्र (Credit Note)
प्रश्न 6: खुदरा रोकड़ बही सामान्यतः किस प्रणाली पर आधारित होती है?
(क) नकद प्रणाली
(ख) उपार्जन प्रणाली
(ग) अग्रदाय प्रणाली (Imprest System)
(घ) मिश्रित प्रणाली
उत्तर: (ग) अग्रदाय प्रणाली (Imprest System)
प्रश्न 7: रोज़नामचा या सहायक बहियों से खातों में लेन-देनों को लिखने की प्रक्रिया कहलाती है:
(क) योग करना (Totalling)
(ख) शेष निकालना (Balancing)
(ग) खतौनी (Posting)
(घ) अभिलेखन (Recording)
उत्तर: (ग) खतौनी (Posting)
प्रश्न 8: यदि किसी खाते के डेबिट पक्ष का योग क्रेडिट पक्ष के योग से अधिक है, तो शेष कहलाता है:
(क) क्रेडिट शेष
(ख) डेबिट शेष
(ग) शून्य शेष
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर: (ख) डेबिट शेष
प्रश्न 9: मशीनरी का उधार क्रय किस बही में लिखा जायेगा?
(क) क्रय बही
(ख) रोकड़ बही
(ग) मुख्य रोज़नामचा (Journal Proper)
(घ) विक्रय बही
उत्तर: (ग) मुख्य रोज़नामचा (Journal Proper) (क्योंकि यह माल का क्रय नहीं, सम्पत्ति का क्रय है)
प्रश्न 10: खाता बही के किसी खाते में शेष को अगली अवधि में आगे ले जाने के लिए प्रयोग किया जाता है:
(क) शेष आ.ला. (Balance b/d)
(ख) शेष आ.ले. (Balance c/d)
(ग) योग (Total)
(घ) अंतर (Difference)
उत्तर: (ख) शेष आ.ले. (Balance c/d) (c/d - Carried down / आगे ले गए)
इन नोट्स और प्रश्नों का ध्यानपूर्वक अध्ययन करें। यह आपकी परीक्षा की तैयारी में सहायक सिद्ध होंगे। यदि कोई शंका हो तो अवश्य पूछें।
 
            