Class 11 Accountancy Notes Chapter 6 (तलपट एवं अशुद्धियों का शोधन) – Lekhashashtra-I Book

Lekhashashtra-I
चलिए, आज हम कक्षा 11 के लेखाशास्त्र के एक बहुत महत्वपूर्ण अध्याय - 'तलपट एवं अशुद्धियों का शोधन' का अध्ययन करेंगे। यह अध्याय न केवल आपकी कक्षा की परीक्षा के लिए बल्कि विभिन्न सरकारी परीक्षाओं की तैयारी के दृष्टिकोण से भी अत्यंत उपयोगी है।

अध्याय 6: तलपट एवं अशुद्धियों का शोधन (Trial Balance and Rectification of Errors)

1. तलपट (Trial Balance): अर्थ एवं परिभाषा

  • अर्थ: तलपट एक विवरण पत्र (Statement) है, न कि खाता (Account)। इसे एक निश्चित तिथि को खाता बही (Ledger) के सभी खातों के डेबिट (Dr.) और क्रेडिट (Cr.) शेषों या योगों की सूची बनाकर तैयार किया जाता है।
  • उद्देश्य: इसका मुख्य उद्देश्य खाता बही में की गई खतौनी (Posting) की अंकगणितीय शुद्धता (Arithmetical Accuracy) की जाँच करना है। यदि तलपट के दोनों पक्षों (डेबिट और क्रेडिट कॉलम) का योग बराबर आता है, तो यह माना जाता है कि खतौनी अंकगणितीय रूप से शुद्ध है।
  • परिभाषा (जे. आर. बाटलीबॉय के अनुसार): "तलपट खाता बही से निकाले गये डेबिट व क्रेडिट शेषों की एक सूची है जिसका उद्देश्य खातों की अंकगणितीय शुद्धता को जाँचना होता है।"

2. तलपट बनाने के उद्देश्य (Objectives of Preparing Trial Balance)

  • अंकगणितीय शुद्धता की जाँच: यह खाता बही में खतौनी की गणितीय शुद्धता को सत्यापित करता है।
  • अशुद्धियों का पता लगाने में सहायक: यदि तलपट का मिलान नहीं होता है, तो यह इंगित करता है कि खातों में कहीं न कहीं कोई गणितीय त्रुटि हुई है, जिसे ढूँढना आवश्यक हो जाता है।
  • अंतिम खाते बनाने का आधार: तलपट में दिखाए गए सभी खातों के शेषों के आधार पर ही व्यापारिक खाता (Trading Account), लाभ-हानि खाता (Profit & Loss Account) तथा चिट्ठा/स्थिति विवरण (Balance Sheet) तैयार किए जाते हैं।
  • खातों के शेषों का सारांश: यह एक ही स्थान पर सभी खाता बही खातों के शेषों का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत करता है।

3. तलपट बनाने की विधियाँ (Methods of Preparing Trial Balance)

  • योग विधि (Totals Method): इस विधि में खाता बही के प्रत्येक खाते के डेबिट पक्ष और क्रेडिट पक्ष के योग को तलपट के क्रमशः डेबिट और क्रेडिट कॉलम में लिखा जाता है। यह विधि आजकल प्रचलन में कम है।
  • शेष विधि (Balances Method): यह सबसे प्रचलित विधि है। इसमें खाता बही के प्रत्येक खाते का शेष (Balance) निकाला जाता है और डेबिट शेष को तलपट के डेबिट कॉलम में तथा क्रेडिट शेष को क्रेडिट कॉलम में लिखा जाता है। संपत्ति, व्यय, हानि, आहरण खातों के शेष सामान्यतः डेबिट होते हैं तथा दायित्व, पूँजी, आय, लाभ खातों के शेष सामान्यतः क्रेडिट होते हैं।
  • योग व शेष विधि (Totals-cum-Balances Method): इस विधि में योग विधि और शेष विधि, दोनों का एक साथ प्रयोग किया जाता है। इसमें चार कॉलम होते हैं - दो योग के लिए (डेबिट योग, क्रेडिट योग) और दो शेष के लिए (डेबिट शेष, क्रेडिट शेष)।

4. तलपट की सीमाएँ (Limitations of Trial Balance)

तलपट का मिलान हो जाना खातों की पूर्ण शुद्धता की गारंटी नहीं है। कुछ अशुद्धियाँ ऐसी होती हैं जिनके होने के बावजूद तलपट के दोनों पक्षों का योग मिल जाता है। ये अशुद्धियाँ तलपट द्वारा प्रकट नहीं होतीं। मुख्य सीमाएँ हैं:

  • यह केवल अंकगणितीय शुद्धता बताता है, सैद्धांतिक शुद्धता नहीं।
  • कुछ प्रकार की अशुद्धियाँ (जैसे भूल की अशुद्धि, सैद्धांतिक अशुद्धि) तलपट द्वारा प्रकट नहीं होतीं।

5. लेखांकन अशुद्धियाँ (Accounting Errors)

लेखांकन प्रक्रिया के दौरान मानवीय भूलों के कारण अशुद्धियाँ हो सकती हैं। इन्हें मुख्यतः दो वर्गों में बाँटा जा सकता है:

(क) वे अशुद्धियाँ जो तलपट के मिलान को प्रभावित नहीं करतीं (Errors Not Affecting the Trial Balance): इन अशुद्धियों के होने पर भी तलपट के डेबिट और क्रेडिट पक्षों का योग बराबर रहता है।

  • भूल की अशुद्धियाँ (Errors of Omission):
    • पूर्ण भूल: जब किसी सौदे को प्रारंभिक लेखे की पुस्तकों (जैसे रोजनामचा या सहायक बहियों) में लिखना ही भूल जाते हैं, तो उसकी खतौनी भी नहीं होती और तलपट मिल जाता है। (उदाहरण: 5,000 रु. का उधार माल खरीदा, जिसे क्रय बही में लिखा ही नहीं गया)।
  • हिसाब की अशुद्धियाँ/लेखे की अशुद्धियाँ (Errors of Commission):
    • गलत खाते में सही पक्ष पर खतौनी: जब किसी सौदे की राशि सही पक्ष में परन्तु गलत खाते में लिख दी जाए। (उदाहरण: राम को भुगतान किए 1,000 रु. को श्याम के खाते में डेबिट कर दिया)। राशि सही पक्ष (डेबिट) में ही लिखी गई है, इसलिए तलपट मिल जाएगा।
    • प्रारंभिक लेखे की बही में गलत राशि लिखना: यदि रोजनामचा या सहायक बही में ही राशि गलत लिख दी गई है, तो खतौनी भी उसी गलत राशि से होगी और तलपट मिल जाएगा। (उदाहरण: 540 रु. की बिक्री को विक्रय बही में 450 रु. लिख दिया)।
  • सैद्धांतिक अशुद्धियाँ (Errors of Principle): जब लेखांकन के सिद्धांतों का उल्लंघन होता है। इसमें पूँजीगत व्यय को आयगत मान लेना या आयगत को पूँजीगत मान लेना शामिल है। (उदाहरण: मशीनरी की मरम्मत पर हुए व्यय को मशीनरी खाते में डेबिट कर देना, जबकि इसे मरम्मत खाते में डेबिट करना चाहिए था)। इससे खातों का वर्गीकरण गलत हो जाता है, पर डेबिट और क्रेडिट बराबर रहने से तलपट मिल जाता है।
  • क्षतिपूरक अशुद्धियाँ (Compensating Errors): जब दो या दो से अधिक अशुद्धियाँ इस प्रकार होती हैं कि एक अशुद्धि का प्रभाव दूसरी अशुद्धि द्वारा समाप्त हो जाता है। (उदाहरण: राम का खाता 100 रु. से कम डेबिट किया गया और साथ ही श्याम का खाता 100 रु. से कम क्रेडिट किया गया)। एक गलती डेबिट पक्ष को कम करती है, दूसरी क्रेडिट पक्ष को, अतः तलपट मिल जाता है।

(ख) वे अशुद्धियाँ जो तलपट के मिलान को प्रभावित करती हैं (Errors Affecting the Trial Balance): इन अशुद्धियों के कारण तलपट के डेबिट और क्रेडिट पक्षों का योग बराबर नहीं आता।

  • योग की गलती (Errors of Casting): सहायक बहियों या खाता बही के खातों के योग में गलती होना। (उदाहरण: विक्रय बही का योग 1,000 रु. अधिक लगा देना)।
  • गलत पक्ष में खतौनी (Posting to the Wrong Side): खाते के सही पक्ष के बजाय गलत पक्ष में खतौनी करना। (उदाहरण: राम को भुगतान किए 500 रु. को उसके खाते में डेबिट करने के बजाय क्रेडिट कर देना)।
  • गलत राशि की खतौनी (Posting of Wrong Amount): प्रारंभिक लेखे की बही से खाता बही में खतौनी करते समय गलत राशि लिख देना (केवल एक खाते में)। (उदाहरण: मोहन से प्राप्त 200 रु. को उसके खाते में 20 रु. क्रेडिट करना)।
  • एक पक्ष की खतौनी छूट जाना (Omission of Posting one aspect): किसी सौदे के एक पहलू (डेबिट या क्रेडिट) की खतौनी करना भूल जाना। (उदाहरण: नकद बिक्री 500 रु. की, रोकड़ बही में डेबिट तो किया पर विक्रय खाते में क्रेडिट करना भूल गए)।
  • शेष निकालने में गलती (Error in Balancing): खाता बही के किसी खाते का शेष गलत निकालना।
  • तलपट में खाते को लिखने से भूल जाना या गलत राशि लिखना या गलत पक्ष में लिखना।

6. अशुद्धियों का पता लगाना (Locating Errors)

जब तलपट का मिलान नहीं होता, तो अशुद्धियों का पता लगाने के लिए निम्न कदम उठाए जा सकते हैं:

  • तलपट के दोनों कॉलमों के योग की पुनः जाँच करना।
  • तलपट में सभी खातों के शेषों को सही कॉलम (डेबिट/क्रेडिट) में लिखा गया है या नहीं, इसकी जाँच करना।
  • खाता बही के प्रत्येक खाते के शेष की पुनः गणना करना।
  • प्रारंभिक लेखे की बहियों से खाता बही में की गई खतौनी की जाँच करना।
  • रोकड़ बही के शेष की बैंक समाधान विवरण से तुलना करना।
  • पिछले वर्ष के तलपट से चालू वर्ष के तलपट में लाए गए शेषों की जाँच करना।
  • यदि अंतर छोटी राशि का है, तो यह देखना कि कहीं उतनी राशि का कोई सौदा लिखने से छूट तो नहीं गया।
  • अंतर की राशि को 2 से भाग देकर देखना, कहीं उतनी राशि की कोई खतौनी गलत पक्ष में तो नहीं हो गई।

7. उचंत खाता/संदेह खाता (Suspense Account)

  • जब काफी प्रयास के बाद भी तलपट के न मिलने का कारण बनी अशुद्धि का पता नहीं चलता है, तो अंतिम खाते बनाने में देरी से बचने के लिए, तलपट के दोनों पक्षों का योग बराबर करने हेतु अंतर की राशि एक अस्थायी खाते में लिख दी जाती है, जिसे 'उचंत खाता' या 'संदेह खाता' कहते हैं।
  • यदि डेबिट पक्ष का योग कम है, तो अंतर की राशि उचंत खाते के डेबिट में लिखी जाती है। यदि क्रेडिट पक्ष का योग कम है, तो अंतर की राशि उचंत खाते के क्रेडिट में लिखी जाती है।
  • जब अशुद्धि का पता चल जाता है, तो उसका सुधार प्रविष्टि (Rectification Entry) करके उचंत खाते को बंद कर दिया जाता है। यदि सभी अशुद्धियाँ सुधर जाएँ तो उचंत खाते का शेष शून्य हो जाता है।

8. अशुद्धियों का शोधन (Rectification of Errors)

अशुद्धियों का पता लगने के बाद उन्हें सुधारना आवश्यक होता है। शोधन की प्रक्रिया इस बात पर निर्भर करती है कि अशुद्धि का पता कब चला:

  • तलपट बनाने से पहले: यदि अशुद्धि का पता तलपट बनाने से पहले चल जाता है, तो संबंधित खाते में जाकर गलत राशि को काटकर सही राशि लिख दी जाती है या आवश्यक टिप्पणी दे दी जाती है। इसके लिए अलग से रोजनामचा प्रविष्टि की आवश्यकता नहीं होती।
  • तलपट बनाने के बाद (किन्तु अंतिम खाते बनाने से पहले): इस स्तर पर अशुद्धियों को सुधारने के लिए रोजनामचा प्रविष्टियाँ (Journal Entries) की जाती हैं।
    • दो-पक्षीय अशुद्धियाँ (Two-sided Errors): ये वे अशुद्धियाँ हैं जो दो या अधिक खातों को प्रभावित करती हैं (जैसे सैद्धांतिक अशुद्धि, गलत खाते में खतौनी)। इनके सुधार के लिए एक पूर्ण रोजनामचा प्रविष्टि की जाती है, जिसमें एक खाते को डेबिट और दूसरे को क्रेडिट किया जाता है। उचंत खाते का प्रयोग नहीं होता।
      • उदाहरण: मशीनरी की स्थापना पर दिए 500 रु. मजदूरी खाते में डेबिट कर दिए गए (सैद्धांतिक अशुद्धि)।
        • गलत प्रविष्टि हुई: Wages A/c Dr. 500, To Cash A/c 500
        • सही प्रविष्टि होनी थी: Machinery A/c Dr. 500, To Cash A/c 500
        • सुधार प्रविष्टि: Machinery A/c Dr. 500, To Wages A/c 500
          (मशीनरी को डेबिट किया क्योंकि व्यय पूँजीगत था, और मजदूरी खाते को क्रेडिट करके उसका गलत डेबिट प्रभाव समाप्त किया)
    • एक-पक्षीय अशुद्धियाँ (One-sided Errors): ये वे अशुद्धियाँ हैं जो केवल एक खाते को प्रभावित करती हैं (जैसे योग की गलती, गलत पक्ष में खतौनी, एक पक्ष की खतौनी भूलना)। तलपट बनाने के बाद इनके सुधार के लिए 'उचंत खाते' (Suspense Account) का प्रयोग किया जाता है। जिस खाते में गलती हुई है, उसे सही करने के लिए डेबिट या क्रेडिट किया जाता है और दूसरा प्रभाव उचंत खाते पर डाला जाता है।
      • उदाहरण: विक्रय बही का योग 1,000 रु. कम लगाया गया।
        • प्रभाव: विक्रय खाते (Sales A/c) में 1,000 रु. कम क्रेडिट हुए। यह एक-पक्षीय अशुद्धि है।
        • सुधार प्रविष्टि: Suspense A/c Dr. 1,000, To Sales A/c 1,000
          (विक्रय खाते को सही करने के लिए 1,000 रु. से क्रेडिट किया गया और डेबिट प्रभाव उचंत खाते में डाला गया)
  • अंतिम खाते बनाने के बाद (अगले लेखा वर्ष में): यदि अशुद्धि का पता अगले लेखा वर्ष में चलता है, तो आय और व्यय से संबंधित अशुद्धियों के सुधार के लिए 'लाभ-हानि समायोजन खाते' (Profit & Loss Adjustment Account) का प्रयोग किया जाता है। (यह सामान्यतः कक्षा 12 के पाठ्यक्रम में अधिक विस्तृत होता है)।

निष्कर्ष: तलपट लेखांकन प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण चरण है जो खातों की अंकगणितीय शुद्धता जाँचता है और अंतिम खाते बनाने का आधार प्रदान करता है। हालाँकि, यह सभी प्रकार की अशुद्धियों को प्रकट नहीं करता। अशुद्धियों का पता लगाकर उनका उचित रोजनामचा प्रविष्टियों द्वारा शोधन करना आवश्यक है ताकि वित्तीय विवरण सही और उचित तस्वीर प्रस्तुत कर सकें।


अभ्यास हेतु बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs):

  1. तलपट तैयार किया जाता है:
    (क) खातों की सैद्धांतिक शुद्धता जाँचने हेतु
    (ख) खातों की अंकगणितीय शुद्धता जाँचने हेतु
    (ग) लाभ-हानि ज्ञात करने हेतु
    (घ) वित्तीय स्थिति ज्ञात करने हेतु

  2. निम्नलिखित में से कौन-सी अशुद्धि तलपट द्वारा प्रकट नहीं होगी?
    (क) विक्रय बही का योग 100 रु. कम लगाना
    (ख) राम को दिए 500 रु. श्याम के खाते में डेबिट करना
    (ग) क्रय खाते का शेष तलपट में लिखने से भूल जाना
    (घ) मोहन से प्राप्त 200 रु. उसके खाते में 20 रु. क्रेडिट करना

  3. मशीनरी की मरम्मत पर हुए 500 रु. को मशीनरी खाते में डेबिट करना, किस प्रकार की अशुद्धि है?
    (क) भूल की अशुद्धि
    (ख) हिसाब की अशुद्धि
    (ग) सैद्धांतिक अशुद्धि
    (घ) क्षतिपूरक अशुद्धि

  4. जब तलपट का मिलान नहीं होता है, तो अंतर की राशि अस्थायी तौर पर किस खाते में लिखी जाती है?
    (क) पूँजी खाता
    (ख) लाभ-हानि खाता
    (ग) उचंत खाता
    (घ) विविध व्यय खाता

  5. एक पक्षीय अशुद्धि के सुधार हेतु किस खाते का प्रयोग किया जाता है (तलपट बनाने के बाद)?
    (क) संबंधित खाता
    (ख) रोकड़ खाता
    (ग) लाभ-हानि समायोजन खाता
    (घ) उचंत खाता

  6. क्रय बही का योग 1,000 रु. अधिक लग गया। इसके सुधार हेतु प्रविष्टि होगी:
    (क) Sales A/c Dr. To Suspense A/c
    (ख) Suspense A/c Dr. To Purchases A/c
    (ग) Purchases A/c Dr. To Suspense A/c
    (घ) Suspense A/c Dr. To Sales A/c

  7. तलपट है एक:
    (क) खाता
    (ख) विवरण
    (ग) सहायक बही
    (घ) रोजनामचा

  8. 5,000 रु. का पुराना फर्नीचर बेचा, जिसकी प्रविष्टि विक्रय बही में कर दी गई। यह अशुद्धि है:
    (क) भूल की अशुद्धि
    (ख) सैद्धांतिक अशुद्धि
    (ग) क्षतिपूरक अशुद्धि
    (घ) योग की अशुद्धि

  9. यदि तलपट का डेबिट पक्ष, क्रेडिट पक्ष से 150 रु. कम है, तो उचंत खाते में लिखा जाएगा:
    (क) 150 रु. डेबिट शेष
    (ख) 150 रु. क्रेडिट शेष
    (ग) 300 रु. डेबिट शेष
    (घ) 300 रु. क्रेडिट शेष

  10. तलपट का मिलान होना _______ का प्रमाण है।
    (क) पूर्ण शुद्धता
    (ख) सैद्धांतिक शुद्धता
    (ग) अंकगणितीय शुद्धता
    (घ) इनमें से कोई नहीं

उत्तरमाला (MCQs):

  1. (ख)
  2. (ख)
  3. (ग)
  4. (ग)
  5. (घ)
  6. (ख) (क्रय खाते का डेबिट शेष होता है, योग अधिक लगने से डेबिट अधिक हो गया, उसे कम करने के लिए क्रेडिट करेंगे)
  7. (ख)
  8. (ख) (पूँजीगत प्राप्ति को आयगत मान लिया गया)
  9. (क) (डेबिट पक्ष कम है, तो बराबर करने के लिए उचंत खाते को डेबिट करेंगे)
  10. (ग)

मुझे उम्मीद है कि ये नोट्स और प्रश्न आपकी परीक्षा की तैयारी में सहायक होंगे। ध्यानपूर्वक अध्ययन करें और अभ्यास करते रहें!

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