Class 11 Accountancy Notes Chapter 7 (ह्रास; प्रावधान और संचय) – Lekhashashtra-I Book

Lekhashashtra-I
चलिए, आज हम लेखाशास्त्र के एक बहुत महत्वपूर्ण अध्याय - 'ह्रास; प्रावधान और संचय' (Chapter 7: Depreciation; Provisions and Reserves) का अध्ययन करेंगे। यह अध्याय न केवल आपकी कक्षा 11 की परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि विभिन्न सरकारी परीक्षाओं के लेखांकन खंड के लिए भी अत्यंत उपयोगी है।

अध्याय 7: ह्रास; प्रावधान और संचय - विस्तृत नोट्स

1. ह्रास (Depreciation)

  • अर्थ: ह्रास का अर्थ है स्थायी परिसंपत्तियों (Fixed Assets) के मूल्य में विभिन्न कारणों से धीरे-धीरे और स्थायी रूप से होने वाली कमी। यह एक गैर-नकद व्यय (Non-cash Expense) है, लेकिन इसे व्यवसाय के लाभ-हानि खाते में व्यय के रूप में दिखाया जाता है।
  • ह्रास के कारण:
    • निरंतर प्रयोग (Wear and Tear): संपत्ति के लगातार उपयोग से उसमें टूट-फूट होती है, जिससे उसका मूल्य कम हो जाता है।
    • समय व्यतीत होना (Passage of Time): चाहे संपत्ति का उपयोग हो या न हो, समय बीतने के साथ उसका मूल्य कम होता जाता है (जैसे पेटेंट, कॉपीराइट)।
    • अप्रचलन (Obsolescence): नई तकनीक या आविष्कार के कारण पुरानी संपत्ति अनुपयोगी या कम उपयोगी हो जाती है, जिससे उसका बाज़ार मूल्य गिर जाता है।
    • दुर्घटना (Accident): किसी दुर्घटना के कारण संपत्ति को क्षति पहुँच सकती है, जिससे उसका मूल्य कम हो जाता है।
    • रिक्तीकरण (Depletion): प्राकृतिक संसाधनों (जैसे खान, तेल के कुएं) के भंडार में कमी आने को रिक्तीकरण कहते हैं, यह भी ह्रास का ही एक रूप है।
  • ह्रास की आवश्यकता/उद्देश्य:
    • सही लाभ-हानि ज्ञात करना: ह्रास एक व्यय है। इसे लाभ-हानि खाते में डेबिट करके ही व्यवसाय का सही लाभ या हानि ज्ञात की जा सकती है (मिलान अवधारणा - Matching Concept)।
    • सही वित्तीय स्थिति दर्शाना: तुलन पत्र (Balance Sheet) में संपत्ति को उसके अपलिखित मूल्य (Written Down Value) पर दिखाने के लिए ह्रास आवश्यक है, ताकि व्यवसाय की सही और उचित वित्तीय स्थिति पता चल सके।
    • उत्पादन की सही लागत ज्ञात करना: ह्रास उत्पादन लागत का एक हिस्सा है। इसे शामिल करके ही उत्पाद की सही लागत निकाली जा सकती है।
    • संपत्ति के प्रतिस्थापन हेतु कोष की व्यवस्था करना: ह्रास के रूप में लाभ से निकाली गई राशि को जमा करके भविष्य में पुरानी संपत्ति के स्थान पर नई संपत्ति खरीदने के लिए फंड जुटाया जा सकता है।
    • कानूनी आवश्यकताएं पूरी करना: कंपनी अधिनियम और आयकर अधिनियम के अनुसार ह्रास लगाना अनिवार्य है।
  • ह्रास की राशि को प्रभावित करने वाले तत्व:
    • संपत्ति की कुल लागत (Total Cost of Asset): इसमें संपत्ति का क्रय मूल्य, ढुलाई व्यय, स्थापना व्यय आदि शामिल होते हैं।
    • संपत्ति का अनुमानित उपयोगी जीवनकाल (Estimated Useful Life): यह वह अवधि है जितने समय तक संपत्ति के व्यवसाय में उपयोगी रहने की संभावना है।
    • संपत्ति का अनुमानित अवशिष्ट मूल्य (Estimated Scrap/Residual Value): यह वह मूल्य है जो संपत्ति के उपयोगी जीवनकाल के अंत में उसे बेचने से प्राप्त होने का अनुमान है।
  • ह्रास लगाने की विधियाँ (Methods of Depreciation):
    • स्थायी किस्त पद्धति (Straight Line Method - SLM):
      • इस विधि में संपत्ति की मूल लागत में से अवशिष्ट मूल्य घटाकर प्राप्त राशि को उसके अनुमानित जीवनकाल से भाग देकर वार्षिक ह्रास की गणना की जाती है।
      • सूत्र: वार्षिक ह्रास = (संपत्ति की कुल लागत - अनुमानित अवशिष्ट मूल्य) / अनुमानित उपयोगी जीवनकाल
      • इस विधि में प्रतिवर्ष ह्रास की राशि समान रहती है।
      • संपत्ति का मूल्य शून्य या अवशिष्ट मूल्य के बराबर हो जाता है।
    • क्रमागत ह्रास पद्धति या अपलिखित मूल्य पद्धति (Written Down Value Method - WDV / Diminishing Balance Method):
      • इस विधि में ह्रास की गणना प्रतिवर्ष संपत्ति के अपलिखित मूल्य (पुस्तक मूल्य) पर एक निश्चित दर से की जाती है।
      • जैसे-जैसे संपत्ति का पुस्तक मूल्य कम होता जाता है, वार्षिक ह्रास की राशि भी घटती जाती है।
      • संपत्ति का मूल्य कभी भी शून्य नहीं होता।
      • आयकर अधिनियम इसी विधि को मान्यता देता है।
  • ह्रास का लेखांकन (Accounting for Depreciation):
    • ह्रास को लाभ-हानि खाते के डेबिट पक्ष में दिखाया जाता है।
    • तुलन पत्र में संबंधित संपत्ति के मूल्य में से घटाकर दिखाया जाता है (या अलग से 'प्रावधान' खाते में क्रेडिट किया जाता है)।

2. प्रावधान (Provisions)

  • अर्थ: प्रावधान भविष्य में होने वाले किसी ज्ञात दायित्व (Known Liability) या संपत्ति के मूल्य में होने वाली कमी, जिसकी राशि का सटीक निर्धारण नहीं किया जा सकता, के लिए लाभ में से अलग रखी गई राशि है। यह लाभ पर एक प्रभार (Charge against Profit) है, अर्थात् इसे लाभ-हानि की गणना करते समय व्यय माना जाता है, चाहे व्यवसाय में लाभ हो या हानि।
  • प्रावधान बनाने के उद्देश्य:
    • किसी ज्ञात दायित्व या हानि के लिए व्यवस्था करना जिसका भुगतान भविष्य में करना है (जैसे - देनदारों पर डूबत ऋण के लिए प्रावधान)।
    • संपत्ति के मूल्य में होने वाली कमी के लिए व्यवस्था करना (जैसे - ह्रास के लिए प्रावधान)।
  • प्रावधान के उदाहरण:
    • संदिग्ध ऋणों के लिए प्रावधान (Provision for Doubtful Debts)
    • ह्रास के लिए प्रावधान (Provision for Depreciation)
    • करों के लिए प्रावधान (Provision for Taxation)
    • मरम्मत और नवीनीकरण के लिए प्रावधान (Provision for Repairs and Renewals)
  • विशेषताएं:
    • यह लाभ पर प्रभार है।
    • यह ज्ञात देनदारियों या हानियों के लिए बनाया जाता है जिनकी राशि अनिश्चित होती है।
    • इसे लाभ-हानि खाते के डेबिट पक्ष में दिखाया जाता है।

3. संचय (Reserves)

  • अर्थ: संचय लाभ का वह हिस्सा है जिसे भविष्य की अज्ञात हानियों, आकस्मिकताओं या व्यवसाय की वित्तीय स्थिति को मजबूत करने के लिए लाभ में से अलग रखा जाता है। यह लाभ का नियोजन (Appropriation of Profit) है, अर्थात् इसे केवल तभी बनाया जा सकता है जब व्यवसाय में लाभ हो।
  • संचय बनाने के उद्देश्य:
    • व्यवसाय की वित्तीय स्थिति को सुदृढ़ करना।
    • भविष्य की अज्ञात हानियों या आकस्मिकताओं का सामना करना।
    • व्यवसाय के विस्तार के लिए धन उपलब्ध कराना।
    • लाभांश की दर को स्थिर रखना (लाभांश समानीकरण कोष)।
    • विशिष्ट उद्देश्यों की पूर्ति करना (जैसे - ऋणपत्र शोधन कोष)।
  • संचय के प्रकार:
    • आयगत संचय (Revenue Reserves): ये व्यवसाय के सामान्य संचालन से अर्जित लाभों में से बनाए जाते हैं।
      • सामान्य संचय (General Reserve): इसका उपयोग किसी विशिष्ट उद्देश्य के लिए नहीं होता, बल्कि व्यवसाय की सामान्य वित्तीय मजबूती के लिए होता है।
      • विशिष्ट संचय (Specific Reserve): ये किसी विशेष उद्देश्य के लिए बनाए जाते हैं (जैसे - लाभांश समानीकरण कोष, ऋणपत्र शोधन कोष, विनियोग उतार-चढ़ाव कोष)।
    • पूंजीगत संचय (Capital Reserves): ये पूंजीगत लाभों (Capital Profits) से बनाए जाते हैं, जो व्यवसाय के सामान्य संचालन से उत्पन्न नहीं होते (जैसे - स्थायी संपत्ति के विक्रय पर लाभ, अंशों या ऋणपत्रों के निर्गमन पर प्राप्त प्रीमियम, कंपनी के समामेलन से पूर्व का लाभ)। सामान्यतः इनका उपयोग लाभांश बांटने के लिए नहीं किया जा सकता।
  • गुप्त संचय (Secret Reserve): यह ऐसा संचय है जिसका अस्तित्व तुलन पत्र में प्रकट नहीं होता। यह संपत्तियों का अवमूल्यन (Under-valuation) या दायित्वों का अधिमूल्यन (Over-valuation) करके बनाया जाता है। यह अच्छी लेखांकन प्रथा नहीं मानी जाती।

प्रावधान और संचय में अंतर (Difference between Provision and Reserve)

आधार प्रावधान (Provision) संचय (Reserve)
अर्थ ज्ञात दायित्व/हानि हेतु लाभ पर प्रभार। वित्तीय मजबूती/अज्ञात हानि हेतु लाभ का नियोजन।
उद्देश्य ज्ञात दायित्व/हानि या संपत्ति मूल्य में कमी हेतु। वित्तीय सुदृढ़ता, विस्तार, अज्ञात हानि, लाभांश हेतु।
प्रकृति लाभ पर प्रभार (Charge against Profit)। लाभ का नियोजन (Appropriation of Profit)।
अनिवार्यता बनाना अनिवार्य है (सही लाभ-हानि हेतु)। बनाना ऐच्छिक है (प्रबंधन नीति पर निर्भर)।
लाभ पर निर्भरता लाभ हो या हानि, बनाना आवश्यक है। केवल लाभ होने पर ही बनाया जा सकता है।
लाभांश वितरण इसमें से लाभांश नहीं बांटा जा सकता। सामान्य संचय से लाभांश बांटा जा सकता है (कुछ शर्तों के साथ)।
प्रस्तुतिकरण लाभ-हानि खाते में डेबिट या तुलन पत्र में संपत्ति से घटाकर/दायित्व पक्ष में। लाभ-हानि नियोजन खाते में डेबिट और तुलन पत्र में 'संचय एवं आधिक्य' शीर्षक में।

अभ्यास हेतु बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs)

प्रश्न 1: स्थायी संपत्ति के मूल्य में धीरे-धीरे और स्थायी कमी को क्या कहते हैं?
(क) प्रावधान
(ख) संचय
(ग) ह्रास
(घ) व्यय

प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सा ह्रास का कारण नहीं है?
(क) निरंतर प्रयोग
(ख) अप्रचलन
(ग) मुद्रास्फीति
(घ) समय व्यतीत होना

प्रश्न 3: किस ह्रास पद्धति में प्रतिवर्ष ह्रास की राशि समान रहती है?
(क) क्रमागत ह्रास पद्धति
(ख) स्थायी किस्त पद्धति
(ग) वार्षिकी पद्धति
(घ) रिक्तीकरण पद्धति

प्रश्न 4: लाभ पर प्रभार (Charge against Profit) किसे माना जाता है?
(क) सामान्य संचय
(ख) पूंजीगत संचय
(ग) प्रावधान
(घ) लाभांश समानीकरण कोष

प्रश्न 5: संदिग्ध ऋणों के लिए बनाया गया कोष क्या कहलाता है?
(क) संचय
(ख) प्रावधान
(ग) व्यय
(घ) आय

प्रश्न 6: लाभ का नियोजन (Appropriation of Profit) क्या है?
(क) ह्रास
(ख) कर के लिए प्रावधान
(ग) संचय
(घ) डूबत ऋण

प्रश्न 7: क्रमागत ह्रास पद्धति में ह्रास की गणना किस पर की जाती है?
(क) संपत्ति की मूल लागत पर
(ख) संपत्ति के बाजार मूल्य पर
(ग) संपत्ति के अपलिखित मूल्य (पुस्तक मूल्य) पर
(घ) संपत्ति के अवशिष्ट मूल्य पर

प्रश्न 8: निम्नलिखित में से कौन सा पूंजीगत संचय का उदाहरण है?
(क) सामान्य संचय
(ख) ऋणपत्र शोधन कोष
(ग) अंशों के निर्गमन पर प्राप्त प्रीमियम
(घ) कर के लिए प्रावधान

प्रश्न 9: ह्रास लगाने का मुख्य उद्देश्य क्या है?
(क) कर बचाना
(ख) लाभ कम दिखाना
(ग) सही लाभ-हानि ज्ञात करना और सही वित्तीय स्थिति दर्शाना
(घ) रोकड़ शेष बढ़ाना

प्रश्न 10: प्रावधान और संचय में मुख्य अंतर किस आधार पर किया जाता है?
(क) राशि की निश्चितता
(ख) उद्देश्य और लाभ पर प्रकृति (प्रभार या नियोजन)
(ग) लेखांकन वर्ष
(घ) उपयोग की अवधि

उत्तर कुंजी:

  1. (ग)
  2. (ग)
  3. (ख)
  4. (ग)
  5. (ख)
  6. (ग)
  7. (ग)
  8. (ग)
  9. (ग)
  10. (ख)

मुझे उम्मीद है कि ये नोट्स और प्रश्न आपकी परीक्षा की तैयारी में सहायक होंगे। इनको अच्छी तरह समझें और अभ्यास करें। शुभकामनाएँ!

Read more

Class 11 Accountancy Notes Chapter 6 (तलपट एवं अशुद्धियों का शोधन) – Lekhashashtra-I Book

चलिए, आज हम कक्षा 11 के लेखाशास्त्र के एक बहुत महत्वपूर्ण अध्याय - 'तलपट एवं अशुद्धियों का शोधन' का अध्ययन करेंगे। यह अध्याय न केवल आपकी

By Philoid