Class 11 Accountancy Notes Chapter 8 (विनिमय विपत्र) – Lekhashashtra-I Book

Lekhashashtra-I
चलिए, आज हम कक्षा 11 के लेखाशास्त्र विषय के एक महत्वपूर्ण अध्याय 'विनिमय विपत्र' (Bills of Exchange) का अध्ययन करेंगे। यह अध्याय सरकारी परीक्षाओं की दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण है, इसलिए हम इसके मुख्य बिंदुओं को विस्तार से समझेंगे।

अध्याय 8: विनिमय विपत्र (Bills of Exchange)

1. परिचय एवं परिभाषा:
जब व्यापार में माल उधार बेचा या खरीदा जाता है, तो विक्रेता (लेनदार) क्रेता (देनदार) पर एक निश्चित राशि के भुगतान के लिए एक लिखित आदेश लिखता है। जब क्रेता इस आदेश को स्वीकार कर लेता है, तो यह 'विनिमय विपत्र' कहलाता है।

  • भारतीय विनिमय साध्य विलेख अधिनियम, 1881 के अनुसार: "विनिमय विपत्र एक शर्त रहित लिखित आज्ञापत्र है, जिस पर लेखक हस्ताक्षर करता है तथा जिसमें वह किसी व्यक्ति विशेष को यह आज्ञा देता है कि वह एक निश्चित धनराशि, स्वयं उसे या उसकी आज्ञानुसार किसी अन्य व्यक्ति को या उस विपत्र के वाहक को भुगतान करे।"

मुख्य विशेषताएँ:

  • यह लिखित होता है।
  • इसमें भुगतान की आज्ञा होती है (प्रार्थना नहीं)।
  • आज्ञा शर्त रहित होती है।
  • इसमें एक निश्चित राशि का उल्लेख होता है।
  • इस पर लेखक (आहर्ता) के हस्ताक्षर होते हैं।
  • भुगतान पाने वाला व्यक्ति निश्चित होता है।
  • भुगतान की तिथि निश्चित होती है।
  • यह देनदार (स्वीकर्ता) द्वारा स्वीकृत होना चाहिए।
  • इस पर नियमानुसार स्टाम्प लगा होना चाहिए।

2. विनिमय विपत्र के पक्षकार:

  • आहर्ता/लेखक (Drawer): वह व्यक्ति जो विपत्र लिखता है (सामान्यतः विक्रेता/लेनदार)।
  • स्वीकर्ता/आहार्यी (Drawee/Acceptor): वह व्यक्ति जिस पर विपत्र लिखा जाता है और जो भुगतान करने के लिए अपनी स्वीकृति देता है (सामान्यतः क्रेता/देनदार)। स्वीकृति के बाद वह 'स्वीकर्ता' कहलाता है।
  • आदाता (Payee): वह व्यक्ति जिसे विपत्र की राशि प्राप्त करने का अधिकार होता है। आहर्ता स्वयं आदाता हो सकता है या वह किसी अन्य व्यक्ति को भुगतान करने का आदेश दे सकता है।

3. प्रतिज्ञा पत्र (Promissory Note):
यह भी एक विनिमय साध्य विलेख है।

  • परिभाषा: "प्रतिज्ञा पत्र एक लिखित प्रपत्र है (बैंक नोट या करेंसी नोट नहीं), जिसमें लिखने वाला व्यक्ति किसी निश्चित व्यक्ति को या उसके आदेशानुसार किसी अन्य व्यक्ति को या उस प्रपत्र के वाहक को एक निश्चित धनराशि देने की शर्त रहित प्रतिज्ञा करता है।"
  • पक्षकार:
    • लेखक (Maker): जो प्रतिज्ञा पत्र लिखता है और भुगतान करने का वचन देता है (देनदार)।
    • आदाता (Payee): जिसे भुगतान प्राप्त करना होता है (लेनदार)।
  • विनिमय विपत्र और प्रतिज्ञा पत्र में मुख्य अंतर:
    • आज्ञा बनाम प्रतिज्ञा: विनिमय विपत्र में भुगतान की आज्ञा होती है, जबकि प्रतिज्ञा पत्र में भुगतान का वचन होता है।
    • लेखक: विनिमय विपत्र लेनदार लिखता है, प्रतिज्ञा पत्र देनदार लिखता है।
    • स्वीकृति: विनिमय विपत्र में स्वीकर्ता की स्वीकृति आवश्यक है, प्रतिज्ञा पत्र में स्वीकृति की आवश्यकता नहीं होती।
    • पक्षकार: विनिमय विपत्र में तीन पक्षकार होते हैं (आहर्ता, स्वीकर्ता, आदाता), प्रतिज्ञा पत्र में दो पक्षकार होते हैं (लेखक, आदाता)।

4. विनिमय विपत्र की परिपक्वता तिथि (Maturity Date):
वह तिथि जिस पर विपत्र का भुगतान देय होता है, परिपक्वता तिथि कहलाती है।

  • गणना: विपत्र की अवधि समाप्त होने के बाद तीन दिन अतिरिक्त दिए जाते हैं, जिन्हें अनुग्रह दिवस (Days of Grace) कहते हैं।
  • 'तिथि के बाद' देय विपत्र (Bill payable 'after date'): अवधि की गणना विपत्र लिखने की तिथि से की जाती है।
  • 'दर्शन के बाद' देय विपत्र (Bill payable 'after sight'): अवधि की गणना विपत्र की स्वीकृति की तिथि से की जाती है।
  • अवकाश: यदि परिपक्वता तिथि सार्वजनिक अवकाश (रविवार सहित) के दिन पड़ती है, तो भुगतान एक दिन पहले किया जाएगा। यदि अचानक अवकाश घोषित हो जाता है, तो भुगतान अगले कार्य दिवस पर देय होगा।

5. विपत्र का उपयोग/व्यवहार:
आहर्ता (जिसके पास विपत्र है) परिपक्वता तिथि तक विपत्र का निम्न प्रकार से उपयोग कर सकता है:

  • (क) विपत्र को परिपक्वता तिथि तक अपने पास रखना (Retaining the bill till maturity): आहर्ता तिथि आने पर स्वयं स्वीकर्ता से भुगतान प्राप्त करता है।
  • (ख) विपत्र को बैंक से भुनाना (Discounting the bill from bank): यदि आहर्ता को तिथि से पहले धन की आवश्यकता हो, तो वह विपत्र को बैंक से कुछ कटौती (Discount) पर भुना सकता है। बैंक कटौती काटकर शेष राशि आहर्ता को दे देता है और परिपक्वता तिथि पर स्वीकर्ता से पूरी राशि वसूल करता है।
    • कटौती की गणना: कटौती = (विपत्र की राशि × दर × शेष अवधि) / 100
  • (ग) विपत्र का बेचान करना (Endorsement of the bill): आहर्ता अपने किसी लेनदार को भुगतान के रूप में विपत्र हस्तांतरित कर सकता है। इसे बेचान कहते हैं। जो बेचान करता है वह बेचानकर्ता (Endorser) और जिसे बेचान किया जाता है वह बेचानिती (Endorsee) कहलाता है।
  • (घ) विपत्र को संग्रहण हेतु बैंक भेजना (Sending the bill for collection): आहर्ता विपत्र को अपनी बैंक के पास इस निर्देश के साथ भेज सकता है कि परिपक्वता तिथि पर वह स्वीकर्ता से राशि वसूल कर उसके खाते में जमा कर दे।

6. विपत्र का अनादरण (Dishonour of a Bill):
जब स्वीकर्ता परिपक्वता तिथि पर विपत्र का भुगतान करने में असफल रहता है, तो इसे विपत्र का अनादरण कहते हैं।

  • निकाई व्यय (Noting Charges): विपत्र के अनादरण को प्रमाणित करने के लिए इसे एक सरकारी अधिकारी 'नोटरी पब्लिक' के पास प्रस्तुत किया जाता है। नोटरी पब्लिक द्वारा विपत्र अनादरण को प्रमाणित करने के लिए लिया जाने वाला शुल्क निकाई व्यय कहलाता है। यह व्यय पहले विपत्र का धारक चुकाता है, परन्तु अंततः यह स्वीकर्ता से ही वसूला जाता है (क्योंकि अनादरण उसी के कारण हुआ है)।
  • अनादरण की दशा में लेखांकन: अनादरण होने पर, आहर्ता की पुस्तकों में स्वीकर्ता को पुनः देनदार बनाया जाता है (कुल राशि = विपत्र राशि + निकाई व्यय) और विपत्र/बैंक/बेचानिती/संग्रहण हेतु भेजे गए विपत्र खाते को क्रेडिट किया जाता है (जिस स्थिति में विपत्र था)। स्वीकर्ता की पुस्तकों में देय विपत्र खाता डेबिट, निकाई व्यय खाता डेबिट और आहर्ता का खाता क्रेडिट किया जाता है।

7. विपत्र का नवीनीकरण (Renewal of a Bill):
जब स्वीकर्ता परिपक्वता तिथि पर भुगतान करने में असमर्थ होता है, तो वह आहर्ता से पुराना विपत्र रद्द करके कुछ ब्याज के साथ एक नया विपत्र लिखने का अनुरोध कर सकता है। इसे विपत्र का नवीनीकरण कहते हैं।

  • प्रक्रिया:
    1. पुराने विपत्र का अनादरण (Noting Charges सहित, यदि हों)।
    2. शेष अवधि के लिए ब्याज की गणना और लेखांकन। ब्याज नकद मिल सकता है या नए विपत्र की राशि में जोड़ा जा सकता है।
    3. नई शर्तों के साथ नया विपत्र लिखना और स्वीकार करना।

8. विपत्र का समय पूर्व भुगतान/निवृत्ति (Retiring of a Bill):
यदि स्वीकर्ता परिपक्वता तिथि से पहले ही विपत्र का भुगतान कर देता है, तो इसे विपत्र का रिटायर होना कहते हैं। ऐसा करने पर आहर्ता स्वीकर्ता को कुछ छूट (Rebate) प्रदान कर सकता है। यह छूट शेष अवधि के लिए एक निश्चित दर पर निकाली जाती है।

9. प्राप्य विपत्र एवं देय विपत्र (Bills Receivable & Bills Payable):

  • प्राप्य विपत्र (Bills Receivable - B/R): यह आहर्ता (लेनदार) के लिए एक सम्पत्ति है, क्योंकि उसे इसके बदले भविष्य में राशि प्राप्त होनी है।
  • देय विपत्र (Bills Payable - B/P): यह स्वीकर्ता (देनदार) के लिए एक दायित्व है, क्योंकि उसे इसके बदले भविष्य में राशि का भुगतान करना है।

10. सहायता विपत्र (Accommodation Bill):
ये विपत्र बिना किसी वास्तविक व्यापारिक लेन-देन के केवल एक-दूसरे की आर्थिक सहायता के लिए लिखे व स्वीकार किए जाते हैं। एक पक्ष विपत्र लिखकर दूसरे से स्वीकार करा लेता है और फिर उसे बैंक से भुनाकर प्राप्त राशि का प्रयोग करता है या दोनों पक्ष आपस में बाँट लेते हैं। परिपक्वता पर भुगतान की व्यवस्था आपसी सहमति से की जाती है। इनका उद्देश्य केवल ऋण प्राप्त करना होता है।


अभ्यास हेतु बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs):

  1. विनिमय विपत्र किसके द्वारा लिखा जाता है?
    (क) देनदार
    (ख) लेनदार
    (ग) बैंक
    (घ) आदाता

  2. विनिमय विपत्र में कितने पक्षकार होते हैं?
    (क) दो
    (ख) तीन
    (ग) चार
    (घ) एक

  3. प्रतिज्ञा पत्र में भुगतान करने का वचन कौन देता है?
    (क) लेनदार
    (ख) देनदार (लेखक)
    (ग) स्वीकर्ता
    (घ) बैंक

  4. विनिमय विपत्र की परिपक्वता तिथि ज्ञात करते समय कितने अनुग्रह दिवस जोड़े जाते हैं?
    (क) 1 दिन
    (ख) 2 दिन
    (ग) 3 दिन
    (घ) 4 दिन

  5. जब आहर्ता विपत्र को परिपक्वता तिथि से पूर्व बैंक से नकदी प्राप्त कर लेता है, तो इसे कहते हैं:
    (क) विपत्र का बेचान
    (ख) विपत्र का संग्रहण
    (ग) विपत्र का अनादरण
    (घ) विपत्र का भुनाना

  6. विपत्र के अनादरण पर दिया जाने वाला 'निकाई व्यय' अंततः किसके द्वारा वहन किया जाता है?
    (क) आहर्ता
    (ख) स्वीकर्ता
    (ग) बैंक
    (घ) नोटरी पब्लिक

  7. पुराने विपत्र को रद्द करके उसके स्थान पर नया विपत्र लिखना कहलाता है:
    (क) विपत्र का रिटायर करना
    (ख) विपत्र का नवीनीकरण
    (ग) विपत्र का बेचान
    (घ) विपत्र का भुनाना

  8. परिपक्वता तिथि से पूर्व विपत्र का भुगतान करने पर मिलने वाली छूट को कहते हैं:
    (क) कटौती (Discount)
    (ख) ब्याज (Interest)
    (ग) रिबेट (Rebate)
    (घ) कमीशन (Commission)

  9. आहर्ता के लिए, प्राप्त विपत्र एक ______ है।
    (क) दायित्व
    (ख) आय
    (ग) व्यय
    (घ) सम्पत्ति

  10. निम्नलिखित में से कौन सा विलेख शर्त रहित प्रतिज्ञा है?
    (क) विनिमय विपत्र
    (ख) चेक
    (ग) प्रतिज्ञा पत्र
    (घ) बैंक ड्राफ्ट


उत्तरमाला (MCQs):

  1. (ख) लेनदार
  2. (ख) तीन
  3. (ख) देनदार (लेखक)
  4. (ग) 3 दिन
  5. (घ) विपत्र का भुनाना
  6. (ख) स्वीकर्ता
  7. (ख) विपत्र का नवीनीकरण
  8. (ग) रिबेट (Rebate)
  9. (घ) सम्पत्ति
  10. (ग) प्रतिज्ञा पत्र

मुझे उम्मीद है कि ये नोट्स और प्रश्न आपकी परीक्षा की तैयारी में सहायक होंगे। यदि कोई विशेष बिंदु समझ न आया हो या आप कुछ और जानना चाहें, तो पूछ सकते हैं।

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