Class 11 Biology Notes Chapter 10 (Chapter 10) – Examplar Problems (Hindi) Book

Examplar Problems (Hindi)
चलिए, आज हम कक्षा 11 जीव विज्ञान के अध्याय 10 'कोशिका चक्र और कोशिका विभाजन' का अध्ययन करेंगे। यह अध्याय सरकारी परीक्षाओं की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे कोशिका विभाजन की मूलभूत प्रक्रियाओं और उनके महत्व को समझने में मदद मिलती है।

अध्याय 10: कोशिका चक्र और कोशिका विभाजन (Cell Cycle and Cell Division)

परिचय:
सभी जीव कोशिकाओं से बने होते हैं। जीवों की वृद्धि, मरम्मत और प्रजनन के लिए कोशिकाओं का विभाजन आवश्यक है। कोशिका विभाजन एक जटिल प्रक्रिया है जिसके द्वारा एक जनक कोशिका विभाजित होकर दो या अधिक संतति कोशिकाएँ बनाती है। यह प्रक्रिया एक क्रमबद्ध तरीके से होती है जिसे कोशिका चक्र कहते हैं।

कोशिका चक्र (Cell Cycle):
कोशिका चक्र उन घटनाओं का अनुक्रम है जिसमें एक कोशिका अपने जीनोम का द्विगुणन करती है, अन्य संघटकों का संश्लेषण करती है और अंततः विभाजित होकर दो संतति कोशिकाओं का निर्माण करती है। कोशिका चक्र की दो मुख्य प्रावस्थाएँ होती हैं:

  1. अंतरावस्था (Interphase):

    • यह कोशिका विभाजन की तैयारी की अवस्था है और सबसे लंबी अवधि की होती है (लगभग 95% समय)।
    • इसे विश्राम अवस्था कहना गलत है, क्योंकि इस दौरान कोशिका उपापचयी रूप से अत्यधिक सक्रिय रहती है और कोशिका वृद्धि तथा डीएनए प्रतिकृति होती है।
    • इसे तीन उप-अवस्थाओं में बांटा गया है:
      • G1 प्रावस्था (Gap 1 / पश्च समसूत्री विभाजन अंतर्काल):
        • समसूत्री विभाजन और डीएनए प्रतिकृति के बीच का अंतराल।
        • कोशिका उपापचयी रूप से सक्रिय होती है एवं लगातार वृद्धि करती है।
        • प्रोटीन और RNA का संश्लेषण होता है।
        • डीएनए प्रतिकृति नहीं होती।
      • S प्रावस्था (Synthesis / संश्लेषण प्रावस्था):
        • इस अवस्था में डीएनए का संश्लेषण या प्रतिकृतिकरण (Replication) होता है।
        • डीएनए की मात्रा दोगुनी हो जाती है (यदि 2C थी तो 4C हो जाती है), लेकिन गुणसूत्रों की संख्या में वृद्धि नहीं होती (यदि 2n है तो 2n ही रहती है)।
        • प्राणी कोशिका में, तारककेंद्र (Centriole) का द्विगुणन कोशिकाद्रव्य में होता है।
        • हिस्टोन प्रोटीन का संश्लेषण होता है।
      • G2 प्रावस्था (Gap 2 / पूर्व समसूत्री विभाजन अंतर्काल):
        • कोशिका वृद्धि जारी रहती है।
        • समसूत्री विभाजन हेतु आवश्यक प्रोटीन का संश्लेषण होता है।
        • कोशिकांगों (जैसे माइटोकॉन्ड्रिया, क्लोरोप्लास्ट) का द्विगुणन होता है।
  2. एम प्रावस्था (M Phase / Mitosis Phase):

    • यह वास्तविक कोशिका विभाजन की अवस्था है।
    • इसमें केंद्रक विभाजन (Karyokinesis) और कोशिकाद्रव्य विभाजन (Cytokinesis) शामिल हैं।
    • इसे समसूत्री विभाजन (Mitosis) या अर्धसूत्री विभाजन (Meiosis) में विभाजित किया जा सकता है।

समसूत्री विभाजन (Mitosis):

  • इसे कायिक कोशिका विभाजन भी कहते हैं क्योंकि यह मुख्यतः कायिक कोशिकाओं (Somatic cells) में होता है।
  • इसे समीकरणी विभाजन (Equational division) भी कहते हैं, क्योंकि संतति कोशिकाओं में गुणसूत्रों की संख्या जनक कोशिका के समान बनी रहती है (2n -> 2n)।
  • यह वृद्धि, मरम्मत, और अलैंगिक जनन (कुछ जीवों में) के लिए महत्वपूर्ण है।
  • केंद्रक विभाजन (Karyokinesis) की अवस्थाएँ:
    • पूर्वावस्था (Prophase):
      • क्रोमेटिन पदार्थ संघनित होकर स्पष्ट गुणसूत्र बनाते हैं।
      • प्रत्येक गुणसूत्र दो अर्धगुणसूत्रों (Chromatids) का बना होता है जो गुणसूत्रबिंदु (Centromere) से जुड़े रहते हैं।
      • तारककाय (Centrosome) विपरीत ध्रुवों की ओर गमन करते हैं और तर्कुतंतुओं (Spindle fibers) का निर्माण शुरू करते हैं।
      • केंद्रिका (Nucleolus) और केंद्रक झिल्ली (Nuclear membrane) विलुप्त होने लगती है।
    • मध्यावस्था (Metaphase):
      • केंद्रक झिल्ली पूर्णतः विलुप्त हो जाती है।
      • गुणसूत्र कोशिका के मध्य में एक तल पर (मध्यावस्था पट्टिका / Metaphase plate) व्यवस्थित हो जाते हैं।
      • प्रत्येक गुणसूत्र का गुणसूत्रबिंदु तर्कुतंतुओं द्वारा दोनों ध्रुवों से जुड़ जाता है। गुणसूत्रों का आकारिकी अध्ययन करने के लिए यह सर्वोत्तम अवस्था है।
    • पश्चावस्था (Anaphase):
      • गुणसूत्रबिंदु विभाजित होते हैं और अर्धगुणसूत्र (अब संतति गुणसूत्र कहलाते हैं) पृथक होकर विपरीत ध्रुवों की ओर गमन करते हैं।
      • गुणसूत्रों की संख्या दोगुनी हो जाती है (कुछ समय के लिए)।
    • अंत्यावस्था (Telophase):
      • संतति गुणसूत्र विपरीत ध्रुवों पर पहुँच जाते हैं।
      • गुणसूत्र असंघनित होकर पुनः क्रोमेटिन जाल बनाते हैं।
      • केंद्रक झिल्ली और केंद्रिका पुनः प्रकट हो जाते हैं।
      • तर्कुतंतु विलुप्त हो जाते हैं।
  • कोशिकाद्रव्य विभाजन (Cytokinesis):
    • केंद्रक विभाजन के बाद कोशिकाद्रव्य का विभाजन होता है, जिससे दो संतति कोशिकाएँ बनती हैं।
    • प्राणी कोशिका में: कोशिका झिल्ली में बाहर से अंदर की ओर एक खांच (Furrow) बनती है जो गहरी होकर कोशिका को दो भागों में बाँट देती है।
    • पादप कोशिका में: केंद्र में कोशिका पट्टिका (Cell plate) का निर्माण होता है जो बाहर की ओर बढ़कर कोशिका भित्ति से जुड़ जाती है और कोशिका को दो भागों में बाँट देती है।

समसूत्री विभाजन का महत्व:

  • जीवों में वृद्धि।
  • क्षतिग्रस्त ऊतकों की मरम्मत।
  • पुरानी कोशिकाओं का प्रतिस्थापन।
  • कुछ निम्न श्रेणी के जीवों में अलैंगिक जनन।
  • गुणसूत्रों की संख्या पीढ़ी दर पीढ़ी समान बनाए रखना (कायिक कोशिकाओं में)।

अर्धसूत्री विभाजन (Meiosis):

  • यह जनन कोशिकाओं (Germ cells) में होता है और युग्मकों (Gametes) के निर्माण के लिए आवश्यक है।

  • इसमें गुणसूत्रों की संख्या आधी हो जाती है (2n -> n), इसलिए इसे न्यूनकारी विभाजन (Reductional division) कहते हैं।

  • यह लैंगिक जनन करने वाले जीवों में पीढ़ी दर पीढ़ी गुणसूत्रों की संख्या निश्चित बनाए रखने तथा आनुवंशिक विभिन्नता लाने के लिए आवश्यक है।

  • इसमें दो चरण होते हैं: अर्धसूत्री विभाजन I और अर्धसूत्री विभाजन II।

  • अर्धसूत्री विभाजन I (Meiosis I): न्यूनकारी विभाजन

    • पूर्वावस्था I (Prophase I): यह सबसे लंबी और जटिल अवस्था है। इसे 5 उप-अवस्थाओं में बांटा गया है:
      • तनुपट्ट (Leptotene): गुणसूत्र पतले धागे जैसे दिखते हैं और संघनन प्रारंभ होता है।
      • युग्मपट्ट (Zygotene): समजात गुणसूत्र (Homologous chromosomes) जोड़े बनाना प्रारंभ करते हैं (सूत्रयुग्मन / Synapsis)। इन जोड़ों को युगल (Bivalent) या चतुष्क (Tetrad) कहते हैं। सिनेप्टोनीमल सम्मिश्र (Synaptonemal complex) का निर्माण होता है।
      • स्थूलपट्ट (Pachytene): सूत्रयुग्मन पूर्ण हो जाता है। समजात गुणसूत्रों के नॉन-सिस्टर क्रोमेटिड्स के बीच जीन विनिमय (Crossing over) होता है, जिससे आनुवंशिक पदार्थों का आदान-प्रदान होता है। यह एंजाइम रिकॉम्बिनेज द्वारा उत्प्रेरित होता है। जीन विनिमय स्थल पर पुनर्योजन ग्रंथिका (Recombination nodule) बनती है।
      • द्विपट्ट (Diplotene): सिनेप्टोनीमल सम्मिश्र विघटित हो जाता है। समजात गुणसूत्र अलग होने लगते हैं, लेकिन जीन विनिमय वाले स्थान पर 'X' आकार की संरचना बनाते हैं जिसे काएज्मेटा (Chiasmata) कहते हैं।
      • पारगतिक्रम (Diakinesis): काएज्मेटा का उपांतीभवन (Terminalization) होता है। गुणसूत्र पूर्ण संघनित हो जाते हैं। केंद्रक झिल्ली और केंद्रिका विलुप्त हो जाते हैं। तर्कुतंतु बनने लगते हैं।
    • मध्यावस्था I (Metaphase I): युगल गुणसूत्र (Bivalents) कोशिका की मध्य रेखा (Metaphase plate) पर व्यवस्थित हो जाते हैं। प्रत्येक समजात गुणसूत्र का गुणसूत्रबिंदु विपरीत ध्रुवों के तर्कुतंतुओं से जुड़ता है।
    • पश्चावस्था I (Anaphase I): समजात गुणसूत्र पृथक होकर विपरीत ध्रुवों की ओर जाते हैं। (ध्यान दें: यहाँ गुणसूत्रबिंदु विभाजित नहीं होता, अर्धगुणसूत्र जुड़े रहते हैं)। इसे वास्तविक न्यूनकारी अवस्था कहते हैं।
    • अंत्यावस्था I (Telophase I): गुणसूत्र ध्रुवों पर एकत्रित हो जाते हैं। केंद्रक झिल्ली और केंद्रिका पुनः बन सकते हैं (या नहीं भी)। कोशिकाद्रव्य विभाजन होता है और दो अगुणित (haploid, n) कोशिकाएँ बनती हैं।
  • अर्धसूत्री विभाजन II (Meiosis II): समीकरणी विभाजन (समसूत्री विभाजन जैसा)

    • यह अर्धसूत्री विभाजन I से बनी दो अगुणित कोशिकाओं में होता है।
    • पूर्वावस्था II (Prophase II): गुणसूत्र पुनः संघनित होते हैं। केंद्रक झिल्ली और केंद्रिका (यदि बने थे) विलुप्त हो जाते हैं।
    • मध्यावस्था II (Metaphase II): गुणसूत्र मध्य रेखा पर व्यवस्थित हो जाते हैं। प्रत्येक गुणसूत्र के दोनों अर्धगुणसूत्रों के गुणसूत्रबिंदु विपरीत ध्रुवों के तर्कुतंतुओं से जुड़ते हैं।
    • पश्चावस्था II (Anaphase II): गुणसूत्रबिंदु विभाजित होता है और अर्धगुणसूत्र (अब संतति गुणसूत्र) पृथक होकर विपरीत ध्रुवों की ओर गमन करते हैं।
    • अंत्यावस्था II (Telophase II): गुणसूत्र ध्रुवों पर पहुँच जाते हैं। केंद्रक झिल्ली और केंद्रिका पुनः बन जाते हैं। कोशिकाद्रव्य विभाजन होता है।
    • परिणाम: कुल चार अगुणित (haploid, n) संतति कोशिकाएँ बनती हैं।

अर्धसूत्री विभाजन का महत्व:

  • लैंगिक जनन करने वाले जीवों में युग्मक (शुक्राणु, अंडाणु) निर्माण।
  • पीढ़ी दर पीढ़ी गुणसूत्रों की संख्या को स्थिर बनाए रखना।
  • जीन विनिमय (Crossing over) के कारण आनुवंशिक विभिन्नताएँ उत्पन्न करना, जो जैव विकास के लिए महत्वपूर्ण है।

कोशिका चक्र का नियमन (Regulation of Cell Cycle):
कोशिका चक्र का नियंत्रण विभिन्न जांच बिंदुओं (Checkpoints) द्वारा होता है (जैसे G1 checkpoint, G2 checkpoint, M checkpoint)। ये सुनिश्चित करते हैं कि चक्र की घटनाएँ सही क्रम में और पूर्ण रूप से हों। साइक्लिन (Cyclins) और साइक्लिन-आश्रित काइनेज (Cyclin-dependent kinases - CDKs) नामक प्रोटीन इस नियमन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

असूत्री विभाजन (Amitosis):
यह एक प्रकार का प्रत्यक्ष कोशिका विभाजन है जिसमें केंद्रक और कोशिकाद्रव्य बिना किसी विशेष अवस्था (जैसे पूर्वावस्था, मध्यावस्था आदि) के सीधे विभाजित हो जाते हैं। इसमें तर्कुतंतुओं का निर्माण नहीं होता। यह कुछ निम्न श्रेणी के जीवों जैसे जीवाणु, यीस्ट, अमीबा आदि में पाया जाता है।


अभ्यास हेतु बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs):

  1. कोशिका चक्र की किस प्रावस्था में डीएनए का संश्लेषण होता है?
    (a) G1 प्रावस्था
    (b) S प्रावस्था
    (c) G2 प्रावस्था
    (d) M प्रावस्था

  2. समसूत्री विभाजन की किस अवस्था में गुणसूत्र मध्य रेखा पर व्यवस्थित होते हैं?
    (a) पूर्वावस्था (Prophase)
    (b) मध्यावस्था (Metaphase)
    (c) पश्चावस्था (Anaphase)
    (d) अंत्यावस्था (Telophase)

  3. जीन विनिमय (Crossing over) अर्धसूत्री विभाजन की किस उप-अवस्था में होता है?
    (a) तनुपट्ट (Leptotene)
    (b) युग्मपट्ट (Zygotene)
    (c) स्थूलपट्ट (Pachytene)
    (d) द्विपट्ट (Diplotene)

  4. अर्धसूत्री विभाजन I की पश्चावस्था I में क्या पृथक होता है?
    (a) समजात गुणसूत्र (Homologous chromosomes)
    (b) अर्धगुणसूत्र (Sister chromatids)
    (c) गुणसूत्रबिंदु (Centromere)
    (d) तारककाय (Centrosome)

  5. पादप कोशिकाओं में कोशिकाद्रव्य विभाजन किसके द्वारा होता है?
    (a) खांच विधि (Furrowing)
    (b) कोशिका पट्टिका (Cell plate)
    (c) असूत्री विभाजन (Amitosis)
    (d) तर्कुतंतु (Spindle fibers)

  6. यदि एक द्विगुणित कोशिका (2n=20) समसूत्री विभाजन करती है, तो प्रत्येक संतति कोशिका में गुणसूत्रों की संख्या क्या होगी?
    (a) 10
    (b) 20
    (c) 40
    (d) 5

  7. अर्धसूत्री विभाजन का मुख्य महत्व क्या है?
    (a) शरीर की वृद्धि
    (b) ऊतकों की मरम्मत
    (c) आनुवंशिक विभिन्नता उत्पन्न करना
    (d) अलैंगिक जनन

  8. काएज्मेटा (Chiasmata) का निर्माण किस अवस्था में स्पष्ट दिखाई देता है?
    (a) स्थूलपट्ट (Pachytene)
    (b) द्विपट्ट (Diplotene)
    (c) पारगतिक्रम (Diakinesis)
    (d) युग्मपट्ट (Zygotene)

  9. कोशिका चक्र की सबसे लंबी प्रावस्था कौन सी है?
    (a) पूर्वावस्था (Prophase)
    (b) मध्यावस्था (Metaphase)
    (c) अंतरावस्था (Interphase)
    (d) पश्चावस्था (Anaphase)

  10. अर्धसूत्री विभाजन II की पश्चावस्था II में क्या पृथक होता है?
    (a) समजात गुणसूत्र (Homologous chromosomes)
    (b) अर्धगुणसूत्र (Sister chromatids)
    (c) युगल (Bivalents)
    (d) कोशिका भित्ति (Cell wall)

उत्तर:

  1. (b) S प्रावस्था
  2. (b) मध्यावस्था (Metaphase)
  3. (c) स्थूलपट्ट (Pachytene)
  4. (a) समजात गुणसूत्र (Homologous chromosomes)
  5. (b) कोशिका पट्टिका (Cell plate)
  6. (b) 20
  7. (c) आनुवंशिक विभिन्नता उत्पन्न करना
  8. (b) द्विपट्ट (Diplotene)
  9. (c) अंतरावस्था (Interphase)
  10. (b) अर्धगुणसूत्र (Sister chromatids)

ये नोट्स और प्रश्न आपको इस अध्याय को समझने और परीक्षा की तैयारी में मदद करेंगे। ध्यानपूर्वक पढ़ें और महत्वपूर्ण बिंदुओं को याद रखें। कोई शंका हो तो अवश्य पूछें।

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