Class 11 Biology Notes Chapter 11 (पौधों में परिवहन) – Jeev Vigyan Book

चलिए, आज हम कक्षा 11 जीव विज्ञान के अध्याय 11 'पौधों में परिवहन' का अध्ययन करेंगे। यह अध्याय प्रतियोगी परीक्षाओं की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। हम इसके मुख्य बिंदुओं को विस्तार से समझेंगे।
अध्याय 11: पौधों में परिवहन (Transport in Plants)
परिचय:
पौधों में, जंतुओं की तरह परिसंचरण तंत्र नहीं होता है, फिर भी उन्हें विभिन्न पदार्थों जैसे जल, खनिज लवण, भोजन (शर्करा) और पादप वृद्धि नियामकों (हार्मोन) को एक भाग से दूसरे भाग तक पहुँचाने की आवश्यकता होती है। कम दूरी के लिए परिवहन विसरण और कोशिकाद्रव्यी प्रवाह द्वारा हो सकता है, जबकि लंबी दूरी के लिए परिवहन संवहनी तंत्र (जाइलम और फ्लोएम) के माध्यम से होता है, जिसे स्थानान्तरण (Translocation) कहते हैं।
मुख्य बिंदु:
1. परिवहन के साधन (Means of Transport):
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अल्प दूरी परिवहन (Short Distance Transport):
- विसरण (Diffusion):
- पदार्थों का अपनी उच्च सांद्रता से निम्न सांद्रता की ओर गमन।
- यह एक धीमी प्रक्रिया है और जीवित तंत्र पर निर्भर नहीं करती।
- ऊर्जा की आवश्यकता नहीं होती (निष्क्रिय परिवहन)।
- गैसों और तरल पदार्थों में स्पष्ट होता है, लेकिन ठोस में भी संभव है।
- उदाहरण: पत्तियों में गैसीय विनिमय (CO2 और O2)।
- सुसाध्य विसरण (Facilitated Diffusion):
- इसमें पदार्थ झिल्ली के पार प्रोटीन (परिवहन प्रोटीन) की सहायता से गुजरते हैं।
- ऊर्जा (ATP) की आवश्यकता नहीं होती (निष्क्रिय परिवहन)।
- यह सांद्रता प्रवणता के अनुसार होता है (उच्च से निम्न)।
- यह विशिष्ट होता है (प्रोटीन विशेष अणु के लिए)।
- यह संतृप्त हो सकता है (जब सभी परिवहन प्रोटीन उपयोग में हों)।
- यह अवरोधकों (inhibitors) के प्रति संवेदनशील होता है।
- उदाहरण: कुछ आयनों और ग्लूकोज का परिवहन।
- सक्रिय परिवहन (Active Transport):
- इसमें झिल्ली प्रोटीन (पंप) का उपयोग होता है।
- ऊर्जा (ATP) की आवश्यकता होती है।
- यह सांद्रता प्रवणता के विरुद्ध होता है (निम्न से उच्च सांद्रता की ओर)।
- यह विशिष्ट होता है।
- यह संतृप्त हो सकता है।
- यह अवरोधकों के प्रति संवेदनशील होता है।
- उदाहरण: जड़ों द्वारा खनिज आयनों का अवशोषण।
- विसरण (Diffusion):
-
पादप-जल संबंध (Plant-Water Relations):
- जल विभव (Water Potential - Ψw):
- जल अणुओं की मुक्त ऊर्जा का माप है। यह निर्धारित करता है कि जल किस दिशा में गति करेगा।
- शुद्ध जल का जल विभव मानक तापमान और दाब पर शून्य (0) माना जाता है।
- जल हमेशा उच्च जल विभव से निम्न जल विभव की ओर गति करता है।
- Ψw = Ψs + Ψp
- विलेय विभव (Solute Potential - Ψs):
- जल में विलेय मिलाने पर जल विभव में कमी आती है। यह हमेशा ऋणात्मक (-) होता है।
- जितना अधिक विलेय, उतना ही कम (अधिक ऋणात्मक) Ψs।
- दाब विभव (Pressure Potential - Ψp):
- कोशिका में जल प्रवेश करने पर कोशिका भित्ति पर लगने वाला दाब (स्फीति दाब)।
- यह आमतौर पर धनात्मक (+) होता है।
- रंध्रों या जाइलम वाहिकाओं में ऋणात्मक दाब या तनाव हो सकता है।
- परासरण (Osmosis):
- जल या विलायक का अपनी उच्च सांद्रता (उच्च जल विभव) से निम्न सांद्रता (निम्न जल विभव) की ओर एक अर्धपारगम्य झिल्ली (semipermeable membrane) के माध्यम से विसरण।
- कोशिका का व्यवहार बाहरी घोल की सांद्रता पर निर्भर करता है:
- अल्पपरासरी विलयन (Hypotonic): बाहरी घोल की सांद्रता कम -> जल कोशिका में -> कोशिका स्फीत (turgid) होती है (अंतःपरासरण)।
- अतिपरासरी विलयन (Hypertonic): बाहरी घोल की सांद्रता अधिक -> जल कोशिका से बाहर -> कोशिका श्लथ (flaccid) या जीवद्रव्यकुंचित (plasmolysed) होती है (बहिःपरासरण)।
- समपरासरी विलयन (Isotonic): बाहरी घोल और कोशिकाद्रव्य की सांद्रता समान -> जल का शुद्ध प्रवाह नहीं -> कोशिका साम्यावस्था में।
- जीवद्रव्यकुंचन (Plasmolysis):
- जब कोशिका को अतिपरासरी विलयन में रखा जाता है, तो कोशिका से जल बाहर निकल जाता है, जिससे जीवद्रव्य झिल्ली कोशिका भित्ति से सिकुड़कर अलग हो जाती है।
- अंतःशोषण (Imbibition):
- ठोस पदार्थों (कोलॉइड्स) द्वारा जल का अधिशोषण (adsorption), जिससे उनके आयतन में वृद्धि होती है।
- यह एक प्रकार का विसरण है क्योंकि जल सांद्रता प्रवणता के अनुसार गति करता है।
- उदाहरण: बीजों का अंकुरण के लिए जल सोखना, सूखी लकड़ी का बरसात में फूलना।
- जल विभव (Water Potential - Ψw):
2. लंबी दूरी का परिवहन (Long Distance Transport):
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सामूहिक या थोक प्रवाह (Bulk Flow/Mass Flow):
- पदार्थों का एक स्थान से दूसरे स्थान पर दाब में अंतर के कारण सामूहिक रूप से बहना।
- यह विसरण से भिन्न है, जिसमें पदार्थ अलग-अलग गति करते हैं।
- जाइलम द्वारा जल और खनिजों का परिवहन (रसारोहण) और फ्लोएम द्वारा भोजन का परिवहन (स्थानान्तरण) सामूहिक प्रवाह के उदाहरण हैं।
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पादपों द्वारा जल का अवशोषण (Water Absorption by Plants):
- मुख्य रूप से मूल रोम (root hairs) द्वारा होता है।
- जल अवशोषण के दो मुख्य मार्ग:
- एपोप्लास्ट (Apoplast Pathway): जल कोशिका भित्तियों और अंतरकोशिकीय स्थानों के माध्यम से गति करता है, बिना कोशिका झिल्ली को पार किए। एंडोडर्मिस में कैस्पेरियन पट्टी (Casparian strip) के कारण यह मार्ग बाधित होता है।
- सिम्प्लास्ट (Symplast Pathway): जल कोशिका झिल्ली को पार करके कोशिकाद्रव्य में प्रवेश करता है और प्लाज्मोडेस्मेटा (plasmodesmata) के माध्यम से एक कोशिका से दूसरी कोशिका में जाता है।
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जल का ऊपर की ओर परिवहन - रसारोहण (Ascent of Sap):
- जाइलम वाहिकाओं और वाहिनिकाओं के माध्यम से जड़ों से पत्तियों तक जल का ऊपर की ओर चढ़ना।
- मूल दाब सिद्धांत (Root Pressure Theory): जड़ों द्वारा आयनों के सक्रिय अवशोषण से जाइलम में जल विभव कम होता है, जिससे जल जड़ों में प्रवेश करता है और एक धनात्मक दाब उत्पन्न होता है। यह कम ऊंचाई तक जल को धकेल सकता है और बिंदुस्राव (Guttation) का कारण बनता है। यह रसारोहण की मुख्य क्रियाविधि नहीं है।
- वाष्पोत्सर्जन-खिंचाव या संसंजन-तनाव सिद्धांत (Transpiration Pull or Cohesion-Tension Theory): (डिक्सन एवं जॉली द्वारा प्रस्तावित) यह सबसे मान्य सिद्धांत है।
- वाष्पोत्सर्जन (Transpiration): पत्तियों (मुख्य रूप से रंध्रों) से जल का वाष्प के रूप में उड़ना। यह जाइलम में एक ऋणात्मक दाब या खिंचाव (tension/pull) उत्पन्न करता है।
- संसंजन (Cohesion): जल अणुओं के बीच आपसी आकर्षण बल (हाइड्रोजन बंध के कारण)।
- आसंजन (Adhesion): जल अणुओं का ध्रुवीय सतहों (जैसे जाइलम वाहिकाओं की भित्ति) से आकर्षण।
- इन बलों (संसंजन, आसंजन और वाष्पोत्सर्जन खिंचाव) के कारण जाइलम में जल का एक अटूट स्तंभ बनता है जो जड़ों से पत्तियों तक खिंचता है।
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वाष्पोत्सर्जन (Transpiration):
- पौधों के वायवीय भागों (मुख्यतः पत्तियों के रंध्रों) से जल की वाष्प के रूप में हानि।
- रंध्र (Stomata): पत्तियों की बाह्यत्वचा में पाए जाने वाले छिद्र, जो दो द्वार कोशिकाओं (guard cells) से घिरे होते हैं। गैसों का विनिमय और अधिकांश वाष्पोत्सर्जन इन्हीं से होता है।
- रंध्रों का खुलना और बंद होना: द्वार कोशिकाओं की स्फीति (turgidity) में परिवर्तन के कारण होता है। जब द्वार कोशिकाएं स्फीत होती हैं (जल भरने से), रंध्र खुल जाते हैं; जब वे श्लथ होती हैं (जल निकलने से), रंध्र बंद हो जाते हैं। पोटैशियम आयनों (K+) की सांद्रता में परिवर्तन इसमें मुख्य भूमिका निभाता है।
- वाष्पोत्सर्जन को प्रभावित करने वाले कारक: प्रकाश, तापमान, आर्द्रता, हवा की गति, उपलब्ध मृदा जल, रंध्रों की संख्या और वितरण।
- महत्व: रसारोहण के लिए खिंचाव उत्पन्न करना, पौधों को ठंडा रखना, खनिज लवणों का परिवहन। इसे 'आवश्यक बुराई' (necessary evil) भी कहते हैं क्योंकि जल की हानि होती है।
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खनिज आयनों का उद्ग्रहण एवं परिवहन (Uptake and Transport of Mineral Ions):
- खनिज आयन मृदा से जड़ों द्वारा मुख्य रूप से सक्रिय परिवहन द्वारा अवशोषित होते हैं (क्योंकि मृदा में आयनों की सांद्रता जड़ों से कम होती है और आयन आवेशित होते हैं)। कुछ आयन निष्क्रिय रूप से भी अवशोषित हो सकते हैं।
- अवशोषित आयन जाइलम तक पहुँचते हैं और जल के साथ रसारोहण द्वारा पौधे के विभिन्न भागों तक पहुँचाए जाते हैं।
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फ्लोएम परिवहन: स्रोत से कुंड तक प्रवाह (Phloem Transport: Flow from Source to Sink):
- भोजन (मुख्य रूप से सुक्रोज) का स्रोत (Source) (जहाँ बनता है - पत्तियाँ) से कुंड (Sink) (जहाँ उपयोग या संग्रहीत होता है - जड़ें, फल, बीज, वृद्धि क्षेत्र) तक परिवहन।
- यह परिवहन फ्लोएम की चालनी नलिकाओं (sieve tubes) द्वारा होता है।
- दाब प्रवाह या सामूहिक प्रवाह परिकल्पना (Pressure Flow or Mass Flow Hypothesis): (मंच द्वारा प्रस्तावित) यह सबसे मान्य सिद्धांत है।
- स्रोत पर लोडिंग (Loading at Source): सुक्रोज पत्तियों की कोशिकाओं से सक्रिय परिवहन द्वारा फ्लोएम की चालनी नलिकाओं में लोड किया जाता है। इससे फ्लोएम में विलेय सांद्रता बढ़ती है और जल विभव कम होता है।
- परासरण द्वारा जल प्रवेश: निकटवर्ती जाइलम से जल परासरण द्वारा फ्लोएम में प्रवेश करता है, जिससे फ्लोएम में उच्च दाब उत्पन्न होता है।
- कुंड पर अनलोडिंग (Unloading at Sink): सुक्रोज सक्रिय परिवहन द्वारा फ्लोएम से कुंड की कोशिकाओं में अनलोड किया जाता है। इससे फ्लोएम में विलेय सांद्रता घटती है और जल विभव बढ़ता है।
- जल का फ्लोएम से निकास: जल फ्लोएम से निकलकर वापस जाइलम में चला जाता है।
- स्रोत पर उच्च दाब और कुंड पर निम्न दाब के कारण फ्लोएम रस (sap) सामूहिक रूप से स्रोत से कुंड की ओर बहता है।
- वलयन प्रयोग (Girdling Experiment): फ्लोएम परिवहन को प्रदर्शित करने के लिए किया जाता है। तने से छाल (फ्लोएम सहित) का एक वलय हटाने पर वलय के ऊपर भोजन जमा हो जाता है, जिससे पता चलता है कि भोजन का परिवहन फ्लोएम से नीचे की ओर होता है।
यह अध्याय पौधों में जीवन के लिए आवश्यक परिवहन प्रक्रियाओं की विस्तृत जानकारी देता है। इन सभी बिंदुओं को ध्यानपूर्वक समझें।
अभ्यास हेतु बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs):
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पौधों में जल का लंबी दूरी तक परिवहन मुख्यतः किसके द्वारा होता है?
(a) फ्लोएम
(b) जाइलम
(c) विसरण
(d) कोशिकाद्रव्यी प्रवाह -
रसारोहण का सर्वमान्य सिद्धांत कौन सा है?
(a) मूल दाब सिद्धांत
(b) वाष्पोत्सर्जन-खिंचाव सिद्धांत
(c) अंतःशोषण सिद्धांत
(d) कैपिलरी सिद्धांत -
रंध्रों के खुलने में कौन सी कोशिकाएं सहायक होती हैं?
(a) सहायक कोशिकाएं
(b) द्वार कोशिकाएं
(c) बाह्यत्वचीय कोशिकाएं
(d) मीजोफिल कोशिकाएं -
निम्नलिखित में से किस प्रक्रिया में ऊर्जा (ATP) की आवश्यकता होती है?
(a) विसरण
(b) सुसाध्य विसरण
(c) सक्रिय परिवहन
(d) परासरण -
जल विभव (Ψw) किसके बराबर होता है?
(a) Ψs - Ψp
(b) Ψp - Ψs
(c) Ψs + Ψp
(d) केवल Ψs -
जब किसी कोशिका को अतिपरासरी विलयन में रखा जाता है, तो क्या होता है?
(a) अंतःपरासरण
(b) बहिःपरासरण (जीवद्रव्यकुंचन)
(c) कोशिका स्फीत हो जाती है
(d) कोई परिवर्तन नहीं -
फ्लोएम द्वारा भोजन का परिवहन किस रूप में होता है?
(a) ग्लूकोज
(b) फ्रुक्टोज
(c) स्टार्च
(d) सुक्रोज -
दाब प्रवाह परिकल्पना (Pressure Flow Hypothesis) किसकी व्याख्या करती है?
(a) जाइलम में जल परिवहन
(b) फ्लोएम में भोजन परिवहन
(c) रंध्रों का खुलना और बंद होना
(d) जड़ों द्वारा खनिज अवशोषण -
मूल रोम द्वारा जल अवशोषण का वह मार्ग जो कोशिका भित्ति और अंतरकोशिकीय स्थानों से होकर गुजरता है, कहलाता है:
(a) सिम्प्लास्ट मार्ग
(b) एपोप्लास्ट मार्ग
(c) प्लाज्मोडेस्मेटा मार्ग
(d) रिक्तिका मार्ग -
बिंदुस्राव (Guttation) का मुख्य कारण क्या है?
(a) वाष्पोत्सर्जन
(b) मूल दाब
(c) प्रकाश संश्लेषण
(d) श्वसन
उत्तर:
- (b) जाइलम
- (b) वाष्पोत्सर्जन-खिंचाव सिद्धांत
- (b) द्वार कोशिकाएं
- (c) सक्रिय परिवहन
- (c) Ψs + Ψp
- (b) बहिःपरासरण (जीवद्रव्यकुंचन)
- (d) सुक्रोज
- (b) फ्लोएम में भोजन परिवहन
- (b) एपोप्लास्ट मार्ग
- (b) मूल दाब
इन नोट्स और प्रश्नों का अच्छे से अध्ययन करें। कोई शंका हो तो पूछ सकते हैं।