Class 11 Biology Notes Chapter 12 (Chapter 12) – Examplar Problems (Hindi) Book

Examplar Problems (Hindi)
नमस्ते विद्यार्थियों!

आज हम कक्षा 11 जीव विज्ञान के अध्याय 12, 'खनिज पोषण' (Mineral Nutrition) का अध्ययन करेंगे। यह अध्याय प्रतियोगी परीक्षाओं की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे पौधों की वृद्धि और विकास के लिए आवश्यक खनिज तत्वों, उनकी भूमिका, कमी के लक्षण और नाइट्रोजन चक्र जैसे विषयों से प्रश्न पूछे जाते हैं। चलिए, विस्तार से इसके महत्वपूर्ण बिंदुओं को समझते हैं।

अध्याय 12: खनिज पोषण (Mineral Nutrition)

1. परिचय:
सभी जीवों की तरह, पौधों को भी अपनी वृद्धि, विकास और जीवन चक्र पूरा करने के लिए विभिन्न अकार्बनिक तत्वों और यौगिकों की आवश्यकता होती है। इन आवश्यक अकार्बनिक तत्वों को खनिज तत्व कहा जाता है और इनके अधिग्रहण तथा उपयोग की प्रक्रिया खनिज पोषण कहलाती है। पौधे इन्हें मुख्यतः मृदा से आयनों के रूप में अवशोषित करते हैं।

2. पादपों में खनिज अनिवार्यता:

  • अनिवार्य तत्व (Essential Elements): पौधों की सामान्य वृद्धि और जनन के लिए कुछ तत्व नितांत आवश्यक होते हैं। इनकी कमी होने पर पौधे अपना जीवन चक्र पूरा नहीं कर पाते और विशिष्ट कमी के लक्षण दर्शाते हैं।
  • अनिवार्यता के मापदंड (Criteria for Essentiality - आर्नन एवं स्टाउट द्वारा):
    • तत्व पौधे की सामान्य वृद्धि और जनन के लिए आवश्यक हो, उसकी अनुपस्थिति में पौधा जीवन चक्र पूरा न कर पाए।
    • तत्व की कमी के लक्षण विशिष्ट हों और उस तत्व की पूर्ति करने पर ही दूर हों।
    • तत्व पौधे के उपापचय (Metabolism) में सीधे तौर पर सम्मिलित हो।
  • अब तक पौधों के लिए 17 अनिवार्य तत्व ज्ञात हैं।

3. अनिवार्य तत्वों का वर्गीकरण:
पौधों द्वारा अपेक्षित मात्रा के आधार पर अनिवार्य तत्वों को दो श्रेणियों में बांटा गया है:

  • वृहत् पोषक तत्व (Macronutrients): इनकी आवश्यकता अधिक मात्रा में होती है (आमतौर पर >10 mmole kg⁻¹ शुष्क भार)।
    • उदाहरण: कार्बन (C), हाइड्रोजन (H), ऑक्सीजन (O), नाइट्रोजन (N), फॉस्फोरस (P), पोटैशियम (K), सल्फर (S), कैल्शियम (Ca), मैग्नीशियम (Mg)।
    • (C, H, O मुख्यतः CO₂ और H₂O से प्राप्त होते हैं, शेष मृदा से खनिज के रूप में।)
  • सूक्ष्म पोषक तत्व (Micronutrients) या लेश तत्व (Trace Elements): इनकी आवश्यकता बहुत कम मात्रा में होती है (आमतौर पर <10 mmole kg⁻¹ शुष्क भार)।
    • उदाहरण: आयरन (Fe), मैंगनीज (Mn), कॉपर (Cu), मोलिब्डेनम (Mo), जिंक (Zn), बोरॉन (B), क्लोरीन (Cl), निकिल (Ni)।

4. वृहत् एवं सूक्ष्म पोषकों की भूमिका:
प्रत्येक अनिवार्य तत्व पौधों में एक या अधिक विशिष्ट संरचनात्मक या कार्यात्मक भूमिका निभाता है:

  • नाइट्रोजन (N): अमीनो अम्ल, प्रोटीन, न्यूक्लिक अम्ल, विटामिन, हॉर्मोन, पर्णहरित का मुख्य घटक। पौधे इसे मुख्यतः नाइट्रेट (NO₃⁻) के रूप में अवशोषित करते हैं।
  • फॉस्फोरस (P): कोशिका झिल्ली, न्यूक्लिक अम्ल, ATP, NADP का घटक। फॉस्फेट आयनों (H₂PO₄⁻ या HPO₄²⁻) के रूप में अवशोषण।
  • पोटैशियम (K): रंध्रों के खुलने व बंद होने, प्रोटीन संश्लेषण, एंजाइम सक्रियण में सहायक। पोटैशियम आयन (K⁺) के रूप में अवशोषण।
  • कैल्शियम (Ca): कोशिका भित्ति (मध्य पटलिका में कैल्शियम पेक्टेट), कोशिका विभाजन, झिल्ली की पारगम्यता बनाए रखना। कैल्शियम आयन (Ca²⁺) के रूप में अवशोषण।
  • मैग्नीशियम (Mg): पर्णहरित की संरचना का केंद्रीय तत्व, श्वसन व प्रकाश संश्लेषण के एंजाइमों को सक्रिय करना, राइबोसोम की संरचना बनाए रखना। मैग्नीशियम आयन (Mg²⁺) के रूप में अवशोषण।
  • सल्फर (S): कुछ अमीनो अम्ल (सिस्टीन, मेथियोनीन), विटामिन (थायमिन, बायोटिन), कोएंजाइम A का घटक। सल्फेट आयन (SO₄²⁻) के रूप में अवशोषण।
  • आयरन (Fe): फेरेडॉक्सिन, साइटोक्रोम जैसे प्रोटीन का भाग, पर्णहरित संश्लेषण के लिए आवश्यक, एंजाइम सक्रियण। फेरिक आयन (Fe³⁺) के रूप में अवशोषण (उपयोग फेरस Fe²⁺ के रूप में)।
  • मैंगनीज (Mn): प्रकाश संश्लेषण में जल के विखंडन के लिए आवश्यक, अनेक एंजाइमों का सक्रियक। मैंगनस आयन (Mn²⁺) के रूप में अवशोषण।
  • जिंक (Zn): ऑक्सिन (वृद्धि हॉर्मोन) संश्लेषण के लिए आवश्यक, कार्बोक्सिलेज एंजाइम का सक्रियक। जिंक आयन (Zn²⁺) के रूप में अवशोषण।
  • कॉपर (Cu): रेडॉक्स अभिक्रियाओं से जुड़े एंजाइमों (जैसे साइटोक्रोम ऑक्सीडेज) के लिए आवश्यक। क्यूप्रिक आयन (Cu²⁺) के रूप में अवशोषण।
  • बोरॉन (B): पराग अंकुरण, कोशिका दीर्घीकरण, कोशिका विभेदन, कार्बोहाइड्रेट स्थानांतरण के लिए आवश्यक। बोरेट आयनों (BO₃³⁻ या B₄O₇²⁻) के रूप में अवशोषण।
  • मोलिब्डेनम (Mo): नाइट्रोजिनेज और नाइट्रेट रिडक्टेज एंजाइमों का घटक (नाइट्रोजन उपापचय में महत्वपूर्ण)। मोलिब्डेट आयन (MoO₂²⁺) के रूप में अवशोषण।
  • क्लोरीन (Cl): जल विखंडन (प्रकाश संश्लेषण), परासरण दाब संतुलन में सहायक। क्लोराइड आयन (Cl⁻) के रूप में अवशोषण।
  • निकिल (Ni): यूरिएज एंजाइम का घटक। निकिल आयन (Ni²⁺) के रूप में अवशोषण।

5. अपर्याप्तता के लक्षण (Deficiency Symptoms):

  • क्रांतिक सांद्रता (Critical Concentration): अनिवार्य तत्व की वह सांद्रता जिससे कम होने पर पौधे की वृद्धि अवरुद्ध हो जाती है।
  • जब अनिवार्य तत्वों की आपूर्ति सीमित हो जाती है, तो पौधों में विशिष्ट संरचनात्मक और कार्यात्मक परिवर्तन होते हैं, जिन्हें अभाव या अपर्याप्तता के लक्षण कहते हैं।
  • प्रमुख लक्षण:
    • हरिमाहीनता (Chlorosis): पत्तियों का पीला पड़ना (N, K, Mg, S, Fe, Mn, Zn, Mo की कमी से)।
    • ऊतकक्षय (Necrosis): ऊतकों की मृत्यु, विशेषकर पत्तियों में (Ca, Mg, Cu, K की कमी से)।
    • अवरुद्ध वृद्धि (Stunted Growth): पौधे का बौना रह जाना।
    • पुष्पन में देरी (Delayed Flowering): N, S, Mo की कमी से।
    • कोशिका विभाजन रुकना: N, K, S, Mo की कमी से।
  • तत्वों की गतिशीलता (Mobility of Elements):
    • गतिशील तत्व (N, P, K, Mg): ये पुराने परिपक्व अंगों से नए विकासशील भागों की ओर गतिशील होते हैं। अतः इनकी कमी के लक्षण पहले पुरानी पत्तियों में दिखाई देते हैं।
    • अगतिशील तत्व (Ca, S): ये संरचनात्मक घटक होने के कारण आसानी से गतिशील नहीं होते। अतः इनकी कमी के लक्षण पहले नई (तरुण) पत्तियों में प्रकट होते हैं।

6. सूक्ष्म पोषकों की आविषता (Toxicity of Micronutrients):

  • सूक्ष्म पोषक तत्वों की अनिवार्यता बहुत कम सांद्रता में होती है। थोड़ी सी अधिकता भी आविष (Toxic) हो सकती है।
  • किसी खनिज आयन की वह सांद्रता जो ऊतक के शुष्क भार में 10% तक कमी करे, उसे आविष माना जाता है।
  • उदाहरण: मैंगनीज (Mn) की अधिकता से आयरन (Fe), मैग्नीशियम (Mg) के अवशोषण में कमी आती है तथा कैल्शियम (Ca) के तने में स्थानांतरण में बाधा आती है। Mn की आविषता के लक्षण वास्तव में Fe, Mg, Ca की कमी के लक्षण हो सकते हैं (जैसे भूरे धब्बे, हरिमाहीन शिराएं)।

7. तत्वों के अवशोषण की क्रियाविधि (Mechanism of Absorption):

  • पौधे मृदा से खनिज आयनों का अवशोषण मुख्यतः जड़ों द्वारा करते हैं। यह प्रक्रिया दो चरणों में होती है:
    • प्रथम चरण (Apoplast Pathway): आयनों का जड़ की कोशिकाओं के बाह्य स्थान (कोशिका भित्ति, अंतरकोशिकीय अवकाश) में तेजी से प्रवेश। यह एक निष्क्रिय (Passive) प्रक्रिया है (ऊर्जा की आवश्यकता नहीं)।
    • द्वितीय चरण (Symplast Pathway): आयनों का कोशिकाओं के आंतरिक स्थान (कोशिका झिल्ली को पार करके कोशिका द्रव्य) में प्रवेश। यह एक सक्रिय (Active) प्रक्रिया है (ATP ऊर्जा की आवश्यकता होती है) और आयन चैनलों या वाहक प्रोटीनों के माध्यम से होती है।
  • निष्क्रिय अवशोषण: सांद्रता प्रवणता के अनुसार बिना ऊर्जा व्यय के।
  • सक्रिय अवशोषण: सांद्रता प्रवणता के विरुद्ध ऊर्जा (ATP) का उपयोग करके।

8. विलेयों का स्थानांतरण (Translocation of Solutes):

  • खनिज आयन जड़ों द्वारा अवशोषित होने के बाद जाइलम (Xylem) के माध्यम से पौधे के ऊपरी वायवीय भागों (तना, पत्तियां) तक पहुंचते हैं। यह स्थानांतरण जल के वाष्पोत्सर्जन खिंचाव (Transpiration Pull) के साथ होता है।

9. नाइट्रोजन उपापचय (Nitrogen Metabolism):
नाइट्रोजन जीवों के लिए अत्यंत आवश्यक है, लेकिन वायुमंडलीय नाइट्रोजन (N₂) का सीधे उपयोग अधिकांश जीव नहीं कर सकते।

  • नाइट्रोजन चक्र (Nitrogen Cycle): प्रकृति में नाइट्रोजन के विभिन्न रूपों के बीच चक्रीय प्रवाह।
    • नाइट्रोजन स्थिरीकरण (Nitrogen Fixation): वायुमंडलीय N₂ का अमोनिया (NH₃) में परिवर्तन। यह जैविक (Biological) या अजैविक (Industrial, Electrical) हो सकता है।
    • अमोनीकरण (Ammonification): मृत कार्बनिक पदार्थों (प्रोटीन आदि) का सूक्ष्मजीवों द्वारा अपघटन कर अमोनिया मुक्त करना।
    • नाइट्रीकरण (Nitrification): अमोनिया का पहले नाइट्राइट (NO₂⁻) और फिर नाइट्रेट (NO₃⁻) में ऑक्सीकरण। यह जीवाणुओं (नाइट्रोसोमोनास, नाइट्रोबैक्टर) द्वारा होता है।
      • 2NH₃ + 3O₂ → 2NO₂⁻ + 2H⁺ + 2H₂O (नाइट्रोसोमोनास)
      • 2NO₂⁻ + O₂ → 2NO₃⁻ (नाइट्रोबैक्टर)
    • विनाइट्रीकरण (Denitrification): नाइट्रेट का वापस गैसीय नाइट्रोजन (N₂) में परिवर्तन (स्यूडोमोनास, थायोबैसिलस जीवाणु)।
  • जैविक नाइट्रोजन स्थिरीकरण (Biological Nitrogen Fixation - BNF):
    • केवल कुछ प्रोकैरियोटिक जीव (जीवाणु, सायनोबैक्टीरिया) ही वायुमंडलीय N₂ को अमोनिया में बदल सकते हैं। इन्हें नाइट्रोजन-स्थिरकारक (Nitrogen-fixers) कहते हैं।
    • एंजाइम: नाइट्रोजिनेज (Nitrogenase) - यह एंजाइम N₂ को NH₃ में अपचयित करता है। यह केवल अवायवीय (Anaerobic) परिस्थितियों में ही सक्रिय रहता है।
      • N₂ + 8e⁻ + 8H⁺ + 16ATP → 2NH₃ + H₂ + 16ADP + 16Pi
    • प्रकार:
      • असहजीवी (Free-living): एजोटोबैक्टर, बीजरिंकिया (वायवीय जीवाणु); रोडोस्पाइरिलम (अवायवीय); नॉस्टॉक, एनाबीना (सायनोबैक्टीरिया)।
      • सहजीवी (Symbiotic):
        • राइजोबियम (Rhizobium): लेग्यूम (दलहनी) पौधों (जैसे मटर, सेम, चना) की जड़ों में ग्रंथिका (Nodule) बनाकर।
        • फ्रैंकिया (Frankia): गैर-लेग्यूम पौधों (जैसे एलनस) की जड़ों में।
    • ग्रंथिका निर्माण (Nodule Formation in Legumes): जड़ों द्वारा स्रावित रसायनों से राइजोबियम आकर्षित होते हैं → मूलरोम का संक्रमण → संक्रमण धागे (Infection thread) का निर्माण → जीवाणु कॉर्टेक्स कोशिकाओं तक पहुँचते हैं → कोशिका विभाजन प्रेरित होता है → ग्रंथिका का निर्माण। जीवाणु बैक्टीरॉइड (Bacteroid) में रूपांतरित होकर N₂ स्थिरीकरण करते हैं।
    • लेगहीमोग्लोबिन (Leghaemoglobin): ग्रंथिका कोशिकाओं में पाया जाने वाला गुलाबी वर्णक। यह ऑक्सीजन अपमार्जक (Oxygen scavenger) का कार्य करता है और नाइट्रोजिनेज एंजाइम को ऑक्सीजन से बचाता है।
  • अमोनिया का भविष्य (Fate of Ammonia):
    • अमोनिया (NH₃) प्रोटोनीकृत होकर अमोनियम आयन (NH₄⁺) बनाती है, जो पौधों के लिए विषाक्त हो सकता है।
    • पौधे NH₄⁺ का उपयोग अमीनो अम्ल बनाने में करते हैं:
      • अपचयोपचय एमीनीकरण (Reductive Amination): अमोनिया, α-कीटोग्लूटेरिक अम्ल से क्रिया करके ग्लूटेमिक अम्ल बनाती है (एंजाइम: ग्लूटेमेट डीहाइड्रोजिनेज)।
      • विपक्ष-एमीनीकरण / ट्रांसएमीनेशन (Transamination): ग्लूटेमिक अम्ल से अमीनो समूह (–NH₂) का अन्य कीटो अम्लों पर स्थानांतरण होकर नए अमीनो अम्ल बनते हैं (एंजाइम: ट्रांसएमिनेज)।
    • एमाइड्स (Amides): जैसे एस्पार्जीन और ग्लूटेमीन, अमीनो अम्लों से बनते हैं। इनमें नाइट्रोजन की मात्रा अधिक होती है और ये नाइट्रोजन के परिवहन में मदद करते हैं।

यह अध्याय पौधों के पोषण संबंधी आधार को समझने के लिए महत्वपूर्ण है। इन नोट्स को अच्छी तरह समझें और याद करें।


अभ्यास हेतु बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs):

  1. निम्नलिखित में से कौन सा तत्व पौधों के लिए वृहत् पोषक तत्व नहीं है?
    (a) नाइट्रोजन (N)
    (b) फॉस्फोरस (P)
    (c) आयरन (Fe)
    (d) पोटैशियम (K)

  2. पर्णहरित (Chlorophyll) अणु की संरचना का केंद्रीय धातु आयन कौन सा है?
    (a) आयरन (Fe)
    (b) मैग्नीशियम (Mg)
    (c) मैंगनीज (Mn)
    (d) जिंक (Zn)

  3. पौधों में कैल्शियम (Ca) की कमी के लक्षण सबसे पहले कहाँ दिखाई देते हैं?
    (a) पुरानी पत्तियों में
    (b) तरुण (नई) पत्तियों में
    (c) तने में
    (d) जड़ों में

  4. प्रकाश संश्लेषण के दौरान जल के विखंडन के लिए कौन सा तत्व आवश्यक है?
    (a) कॉपर (Cu)
    (b) मोलिब्डेनम (Mo)
    (c) मैंगनीज (Mn)
    (d) जिंक (Zn)

  5. नाइट्रोजिनेज (Nitrogenase) एंजाइम, जो जैविक नाइट्रोजन स्थिरीकरण के लिए उत्तरदायी है, किस धातु आयन की उपस्थिति में सक्रिय होता है?
    (a) आयरन (Fe)
    (b) मोलिब्डेनम (Mo)
    (c) मैग्नीशियम (Mg)
    (d) जिंक (Zn)

  6. लेग्यूम पौधों की जड़ ग्रंथिकाओं में पाया जाने वाला लेगहीमोग्लोबिन (Leghaemoglobin) का क्या कार्य है?
    (a) नाइट्रोजन स्थिरीकरण करना
    (b) ऑक्सीजन का परिवहन करना
    (c) ऑक्सीजन अपमार्जन (बचाव) करना
    (d) ग्रंथिका को गुलाबी रंग देना

  7. अमोनिया का α-कीटोग्लूटेरिक अम्ल से क्रिया करके ग्लूटेमिक अम्ल बनाने की प्रक्रिया क्या कहलाती है?
    (a) नाइट्रीकरण
    (b) विपक्ष-एमीनीकरण
    (c) अपचयोपचय एमीनीकरण
    (d) विनाइट्रीकरण

  8. निम्नलिखित में से कौन सा जीवाणु एक असहजीवी (Free-living) नाइट्रोजन-स्थिरकारक है?
    (a) राइजोबियम
    (b) फ्रैंकिया
    (c) एजोटोबैक्टर
    (d) नाइट्रोबैक्टर

  9. पौधों में बोरॉन (B) की कमी से मुख्यतः कौन सी प्रक्रिया प्रभावित होती है?
    (a) प्रोटीन संश्लेषण
    (b) वसा संश्लेषण
    (c) पराग अंकुरण और शर्करा स्थानांतरण
    (d) रंध्रों का खुलना

  10. सूक्ष्म पोषक तत्वों की आविषता (Toxicity) तब होती है जब:
    (a) उनकी सांद्रता क्रांतिक सांद्रता से कम हो जाती है।
    (b) उनकी सांद्रता आवश्यकता से थोड़ी अधिक हो जाती है।
    (c) पौधे उन्हें अवशोषित नहीं कर पाते हैं।
    (d) वे मृदा में अनुपस्थित होते हैं।

उत्तर:

  1. (c) आयरन (Fe) - यह सूक्ष्म पोषक है।
  2. (b) मैग्नीशियम (Mg)
  3. (b) तरुण (नई) पत्तियों में - क्योंकि कैल्शियम अगतिशील है।
  4. (c) मैंगनीज (Mn) - (क्लोरीन भी सहायक है)
  5. (b) मोलिब्डेनम (Mo) - (आयरन भी घटक है, पर Mo विशेष रूप से महत्वपूर्ण)
  6. (c) ऑक्सीजन अपमार्जन (बचाव) करना
  7. (c) अपचयोपचय एमीनीकरण
  8. (c) एजोटोबैक्टर
  9. (c) पराग अंकुरण और शर्करा स्थानांतरण
  10. (b) उनकी सांद्रता आवश्यकता से थोड़ी अधिक हो जाती है।

इन नोट्स और प्रश्नों का अच्छे से अध्ययन करें। कोई शंका हो तो अवश्य पूछें। शुभकामनाएँ!

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