Class 11 Biology Notes Chapter 12 (खनिज पोषण) – Jeev Vigyan Book

चलिए, आज हम कक्षा 11 जीव विज्ञान के अध्याय 12, 'खनिज पोषण' का अध्ययन करेंगे। यह अध्याय प्रतियोगी परीक्षाओं की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे पौधों की वृद्धि और विकास के लिए आवश्यक खनिज तत्वों, उनकी भूमिका, कमी के लक्षण और नाइट्रोजन चक्र जैसे मूलभूत विषयों पर प्रश्न पूछे जाते हैं।
अध्याय 12: खनिज पोषण (Mineral Nutrition)
विस्तृत नोट्स:
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परिचय:
- सभी जीवधारियों की तरह, पौधों को भी अपनी वृद्धि, विकास और जीवन चक्र पूरा करने के लिए विभिन्न अकार्बनिक तत्वों की आवश्यकता होती है।
- ये तत्व मुख्यतः मृदा से आयनों के रूप में अवशोषित किए जाते हैं और 'खनिज तत्व' कहलाते हैं।
- पौधों द्वारा इन खनिज तत्वों के अवशोषण और उपयोग का अध्ययन 'खनिज पोषण' कहलाता है।
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पौधों में खनिज अनिवार्यता ज्ञात करने की विधियाँ:
- जल संवर्धन (Hydroponics):
- यह पौधों को मृदा-रहित, परिभाषित खनिज पोषक विलयन में उगाने की तकनीक है।
- 1860 में, जर्मन वनस्पतिशास्त्री जूलियस वॉन सैक्स (Julius von Sachs) ने पहली बार इस तकनीक का प्रदर्शन किया।
- इस विधि द्वारा किसी तत्व की अनिवार्यता, उसकी कमी से होने वाले लक्षणों का अध्ययन किया जा सकता है।
- विलयन का वातन (aeration) आवश्यक है ताकि जड़ों को ऑक्सीजन मिल सके।
- व्यावसायिक स्तर पर टमाटर, खीरा, सलाद (lettuce) जैसी सब्जियां उगाने में यह तकनीक उपयोगी है।
- जल संवर्धन (Hydroponics):
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अनिवार्य खनिज तत्व (Essential Mineral Elements):
- पौधों में पाए जाने वाले 105 से अधिक तत्वों में से केवल कुछ ही उनकी वृद्धि और विकास के लिए अनिवार्य होते हैं।
- अनिवार्यता की कसौटी (Criteria for Essentiality): (आर्नन द्वारा प्रस्तावित)
- तत्व पौधे की सामान्य वृद्धि और जनन के लिए नितांत आवश्यक हो, जिसके बिना पौधे अपना जीवन चक्र पूरा न कर सकें।
- तत्व की आवश्यकता विशिष्ट हो, यानी इसकी कमी को किसी अन्य तत्व द्वारा पूरा न किया जा सके।
- तत्व पौधे के उपापचय (metabolism) में प्रत्यक्ष रूप से सम्मिलित हो।
- इन कसौटियों के आधार पर अब तक 17 तत्व पौधों के लिए अनिवार्य माने गए हैं।
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अनिवार्य तत्वों का वर्गीकरण:
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मात्रात्मक आवश्यकता के आधार पर:
- वृहत् पोषक (Macronutrients): इनकी आवश्यकता अधिक मात्रा में होती है (आमतौर पर > 10 mmole kg⁻¹ शुष्क भार)।
- उदाहरण: कार्बन (C), हाइड्रोजन (H), ऑक्सीजन (O), नाइट्रोजन (N), फॉस्फोरस (P), पोटैशियम (K), सल्फर (S), कैल्शियम (Ca), मैग्नीशियम (Mg)। (C, H, O मुख्यतः वायुमंडल और जल से प्राप्त होते हैं, शेष मृदा से खनिज पोषण के रूप में।)
- सूक्ष्म पोषक (Micronutrients) या लेश तत्व (Trace elements): इनकी आवश्यकता बहुत कम मात्रा में होती है (आमतौर पर ≤ 10 mmole kg⁻¹ शुष्क भार)।
- उदाहरण: आयरन (Fe), मैंगनीज (Mn), कॉपर (Cu), मोलिब्डेनम (Mo), जिंक (Zn), बोरॉन (B), क्लोरीन (Cl), निकेल (Ni)।
- वृहत् पोषक (Macronutrients): इनकी आवश्यकता अधिक मात्रा में होती है (आमतौर पर > 10 mmole kg⁻¹ शुष्क भार)।
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कार्यात्मक भूमिका के आधार पर:
- संरचनात्मक तत्व: कोशिका भित्ति और जीवद्रव्य के घटक (जैसे C, H, O, N)।
- ऊर्जा-संबंधी रासायनिक यौगिकों के घटक: जैसे क्लोरोफिल में मैग्नीशियम (Mg), ATP में फॉस्फोरस (P)।
- एंजाइम सक्रियक या अवरोधक: जैसे Mg²⁺ (RuBisCO, PEPcase का सक्रियक), Zn²⁺ (एल्कोहल डिहाइड्रोजनेज का सक्रियक), Mo (नाइट्रोजिनेज का सक्रियक)।
- परासरणी विभव नियंत्रक: जैसे रंध्रों के खुलने और बंद होने में पोटैशियम (K⁺) आयनों की भूमिका।
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वृहत् एवं सूक्ष्म पोषकों की भूमिका (Roles of Macro- and Micronutrients):
- नाइट्रोजन (N):
- अवशोषण: NO₃⁻ (मुख्यतः), NO₂⁻, NH₄⁺ के रूप में।
- आवश्यकता: सर्वाधिक मात्रा में।
- भूमिका: सभी प्रोटीनों, न्यूक्लिक अम्लों (DNA, RNA), विटामिनों, हॉर्मोनों और क्लोरोफिल का मुख्य घटक। विभज्योतकी ऊतकों और सक्रिय उपापचयी कोशिकाओं के लिए आवश्यक।
- फॉस्फोरस (P):
- अवशोषण: H₂PO₄⁻ या HPO₄²⁻ के रूप में।
- भूमिका: कोशिका झिल्ली (फॉस्फोलिपिड), न्यूक्लिक अम्लों, ATP, NADP का घटक। सभी फॉस्फोराइलेशन क्रियाओं के लिए आवश्यक।
- पोटैशियम (K):
- अवशोषण: K⁺ आयन के रूप में।
- आवश्यकता: विभज्योतकी ऊतकों, कलिकाओं, पत्तियों, मूल शीर्षों में अधिक।
- भूमिका: कोशिकाओं में धनायन-ऋणायन संतुलन, प्रोटीन संश्लेषण, रंध्रों का खुलना व बंद होना, एंजाइम सक्रियण, कोशिकाओं की स्फीति बनाए रखना।
- कैल्शियम (Ca):
- अवशोषण: Ca²⁺ आयन के रूप में।
- भूमिका: कोशिका भित्ति (कैल्शियम पैक्टेट) का घटक, समसूत्री तर्कु निर्माण, पुरानी पत्तियों में संचय, कोशिका झिल्ली की सामान्य क्रियाशीलता, कुछ एंजाइमों का सक्रियण।
- मैग्नीशियम (Mg):
- अवशोषण: Mg²⁺ आयन के रूप में।
- भूमिका: क्लोरोफिल अणु की वलय संरचना का केंद्रीय भाग, राइबोसोम की संरचना बनाए रखना, श्वसन और प्रकाश संश्लेषण के अनेक एंजाइमों का सक्रियक, DNA व RNA संश्लेषण में सहायक।
- सल्फर (S):
- अवशोषण: SO₄²⁻ (सल्फेट) के रूप में।
- भूमिका: दो अमीनो अम्लों (सिस्टीन, मेथियोनीन) का घटक, अनेक विटामिनों (थायमिन, बायोटिन), कोएंजाइम A और फेरेडॉक्सिन का मुख्य घटक।
- आयरन (Fe):
- अवशोषण: Fe³⁺ (फेरिक) आयन के रूप में, लेकिन उपयोग Fe²⁺ (फेरस) के रूप में होता है।
- आवश्यकता: अन्य सूक्ष्म पोषकों की तुलना में अधिक।
- भूमिका: फेरेडॉक्सिन और साइटोक्रोम जैसे प्रोटीनों का भाग (इलेक्ट्रॉन स्थानांतरण में महत्वपूर्ण), क्लोरोफिल संश्लेषण के लिए आवश्यक, कैटालेज एंजाइम का सक्रियक।
- मैंगनीज (Mn):
- अवशोषण: Mn²⁺ (मैंगनस) आयन के रूप में।
- भूमिका: प्रकाश-संश्लेषण, श्वसन और नाइट्रोजन उपापचय के अनेक एंजाइमों का सक्रियक। प्रकाश संश्लेषण के दौरान जल के विखंडन (photolysis of water) के लिए प्रमुख तत्व।
- जिंक (Zn):
- अवशोषण: Zn²⁺ आयन के रूप में।
- भूमिका: विभिन्न एंजाइमों (विशेषकर कार्बोक्सिलेज) का सक्रियक, ऑक्सिन (वृद्धि हॉर्मोन) के संश्लेषण के लिए आवश्यक।
- कॉपर (Cu):
- अवशोषण: Cu²⁺ (क्यूप्रिक) आयन के रूप में।
- भूमिका: रेडॉक्स अभिक्रियाओं से जुड़े एंजाइमों के लिए आवश्यक (जैसे साइटोक्रोम ऑक्सीडेज), Fe की तरह इलेक्ट्रॉन स्थानांतरण में शामिल।
- बोरॉन (B):
- अवशोषण: BO₃³⁻ या B₄O₇²⁻ के रूप में।
- भूमिका: Ca²⁺ के उपयोग और धारण, झिल्ली कार्यशीलता, पराग अंकुरण, कोशिका दीर्घीकरण, कोशिका विभेदन, कार्बोहाइड्रेट स्थानांतरण के लिए आवश्यक।
- मोलिब्डेनम (Mo):
- अवशोषण: MoO₂²⁺ (मोलिब्डेट) आयन के रूप में।
- भूमिका: नाइट्रोजन उपापचय में महत्वपूर्ण एंजाइमों (नाइट्रोजिनेज और नाइट्रेट रिडक्टेज) का घटक।
- क्लोरीन (Cl):
- अवशोषण: Cl⁻ आयन के रूप में।
- भूमिका: K⁺ और Na⁺ के साथ मिलकर कोशिका में विलेय सांद्रता और धनायन-ऋणायन संतुलन निर्धारण में सहायक। प्रकाश संश्लेषण में जल विखंडन अभिक्रिया के लिए आवश्यक (Mn²⁺ के साथ)।
- निकेल (Ni):
- अवशोषण: Ni²⁺ आयन के रूप में।
- भूमिका: यूरिएज एंजाइम का घटक।
- नाइट्रोजन (N):
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अपरिहार्य तत्वों की अपर्याप्तता के लक्षण (Deficiency Symptoms):
- क्रांतिक सांद्रता (Critical Concentration): किसी अनिवार्य तत्व की वह सांद्रता जिससे कम होने पर पौधे की वृद्धि अवरुद्ध हो जाती है।
- अपर्याप्तता लक्षण: जब तत्व क्रांतिक सांद्रता से कम होते हैं, तो पौधों में आकारिकीय परिवर्तन (morphological changes) दिखते हैं, जिन्हें अपर्याप्तता लक्षण कहते हैं।
- सामान्य लक्षण: हरिमाहीनता (Chlorosis - क्लोरोफिल का ह्रास, पत्तियां पीली पड़ना), ऊतकक्षय (Necrosis - ऊतकों की मृत्यु, धब्बे बनना), अवरुद्ध वृद्धि, पुष्पन में देरी, पत्तियों व फलों का समयपूर्व गिरना, कोशिका विभाजन रुकना।
- लक्षणों का प्रकट होना और तत्वों की गतिशीलता:
- गतिशील तत्व (Mobile Elements): N, P, K, Mg जैसे तत्व पौधों में गतिशील होते हैं। इनकी कमी के लक्षण पहले पुरानी या जीर्णमान पत्तियों में दिखते हैं, क्योंकि ये तत्व नई या तरुण पत्तियों की ओर चले जाते हैं।
- अगतिशील तत्व (Immobile Elements): Ca, S जैसे तत्व संरचनात्मक घटक होने के कारण अगतिशील होते हैं। इनकी कमी के लक्षण पहले नई या तरुण पत्तियों में प्रकट होते हैं।
- विशिष्ट तत्वों की कमी के लक्षण:
- हरिमाहीनता: N, K, Mg, S, Fe, Mn, Zn, Mo की कमी से।
- ऊतकक्षय: Ca, Mg, Cu, K की कमी से।
- कोशिका विभाजन में बाधा: N, K, S, Mo की कमी से।
- पुष्पन में देरी: N, S, Mo की कमी से।
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सूक्ष्म पोषकों की विषाक्तता (Toxicity of Micronutrients):
- सूक्ष्म पोषकों की अनिवार्यता बहुत कम सांद्रता में होती है। सांद्रता में थोड़ी सी वृद्धि भी विषाक्तता (toxicity) उत्पन्न कर सकती है।
- विषाक्तता स्तर का निर्धारण करना कठिन है क्योंकि यह अलग-अलग पौधों के लिए भिन्न होता है।
- किसी तत्व की अधिकता दूसरे तत्व के अवशोषण या कार्य में बाधा डाल सकती है।
- उदाहरण: मैंगनीज (Mn) की विषाक्तता:
- लक्षण: पत्तियों पर भूरे धब्बे, शिराओं का क्लोरोसिस।
- Mn, आयरन (Fe) और मैग्नीशियम (Mg) के साथ अवशोषण के लिए प्रतिस्पर्धा करता है।
- Mn, Mg के साथ एंजाइम में जुड़ने के लिए भी प्रतिस्पर्धा करता है।
- Mn, कैल्शियम (Ca) के प्ररोह शीर्ष में स्थानांतरण को बाधित करता है।
- अतः Mn की अधिकता वास्तव में Fe, Mg और Ca की कमी के लक्षण उत्पन्न करती है।
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खनिज आयनों का अवशोषण (Mechanism of Absorption):
- खनिज आयनों का अवशोषण मुख्यतः जड़ों द्वारा दो चरणों में होता है:
- प्रथम चरण (निष्क्रिय अवशोषण - Passive Absorption): आयन तेजी से कोशिका भित्ति और अंतरकोशिकीय स्थानों (एपॉप्लास्ट) में प्रवेश करते हैं। यह एक भौतिक प्रक्रिया है और इसमें ऊर्जा व्यय नहीं होती (विसरण)।
- द्वितीय चरण (सक्रिय अवशोषण - Active Absorption): आयन कोशिका झिल्ली को पार कर कोशिका के आंतरिक स्थान (सिम्प्लास्ट) में प्रवेश करते हैं। यह एक धीमी प्रक्रिया है, इसमें झिल्ली की वाहक प्रोटीनों (carrier proteins) की आवश्यकता होती है और ऊर्जा (ATP) व्यय होती है। यह चयनात्मक (selective) होती है।
- पथ (Pathways):
- एपॉप्लास्ट पथ: कोशिका भित्ति और अंतरकोशिकीय स्थानों का तंत्र।
- सिम्प्लास्ट पथ: जीवद्रव्य तंतुओं (plasmodesmata) द्वारा जुड़े जीवद्रव्यों का तंत्र।
- खनिज आयनों का अवशोषण मुख्यतः जड़ों द्वारा दो चरणों में होता है:
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विलेयों का स्थानांतरण (Translocation of Solutes):
- खनिज आयन जड़ों में अवशोषित होने के बाद जाइलम (Xylem) के माध्यम से वाष्पोत्सर्जन धारा (transpiration stream) के साथ पौधे के ऊपरी भागों (तना, पत्तियां, वृद्धि क्षेत्र) तक पहुँचते हैं।
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मृदा: अनिवार्य तत्वों का भंडार (Soil as Reservoir):
- अधिकांश खनिज तत्व पौधों को मृदा से प्राप्त होते हैं।
- ये तत्व चट्टानों के अपक्षय (weathering) से मृदा में आते हैं।
- मृदा न केवल खनिज प्रदान करती है, बल्कि नाइट्रोजन स्थिरीकरण करने वाले जीवाणु और अन्य सूक्ष्मजीवों को आश्रय देती है, जल धारण करती है और जड़ों को श्वसन के लिए ऑक्सीजन उपलब्ध कराती है।
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नाइट्रोजन उपापचय (Nitrogen Metabolism):
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नाइट्रोजन जीवों के लिए एक अत्यावश्यक पोषक तत्व है (अमीनो अम्ल, प्रोटीन, न्यूक्लिक अम्ल, हॉर्मोन, विटामिन आदि का घटक)।
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वायुमंडल में नाइट्रोजन गैस (N₂) प्रचुर मात्रा (लगभग 78%) में है, परन्तु पौधे इसे सीधे गैसीय रूप में उपयोग नहीं कर सकते। वे इसे नाइट्रेट (NO₃⁻), नाइट्राइट (NO₂⁻) या अमोनियम (NH₄⁺) आयनों के रूप में ही अवशोषित करते हैं।
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नाइट्रोजन चक्र (Nitrogen Cycle): वायुमंडलीय नाइट्रोजन का अमोनिया में बदलना, उसका कार्बनिक यौगिकों में स्वांगीकरण और फिर अपघटन द्वारा वापस वायुमंडल में जाने का चक्र।
- नाइट्रोजन स्थिरीकरण (Nitrogen Fixation): वायुमंडलीय N₂ का अमोनिया (NH₃) में परिवर्तन।
- जैविक नाइट्रोजन स्थिरीकरण (Biological N₂ Fixation): सूक्ष्मजीवों (जीवाणु, सायनोबैक्टीरिया) द्वारा N₂ को अमोनिया में बदलना। यह कुल स्थिरीकरण का बड़ा भाग है।
- औद्योगिक स्थिरीकरण: उर्वरक बनाने में।
- विद्युतीय स्थिरीकरण: बिजली चमकने से।
- अमोनीकरण (Ammonification): मृत कार्बनिक पदार्थों (प्रोटीन आदि) का सूक्ष्मजीवों द्वारा अपघटन होकर अमोनिया का मुक्त होना।
- नाइट्रीकरण (Nitrification): अमोनिया का नाइट्रेट में ऑक्सीकरण। यह दो चरणों में होता है और विशिष्ट जीवाणुओं द्वारा किया जाता है:
- 2NH₃ + 3O₂ → 2NO₂⁻ + 2H⁺ + 2H₂O (जीवाणु: नाइट्रोसोमोनास, नाइट्रोकोकस)
- 2NO₂⁻ + O₂ → 2NO₃⁻ (जीवाणु: नाइट्रोबैक्टर)
- ये जीवाणु रसोस्वपोषी (chemoautotrophs) होते हैं।
- विनाइट्रीकरण (Denitrification): मृदा में उपस्थित नाइट्रेट का वापस नाइट्रोजन गैस (N₂) में परिवर्तन। यह अवायवीय स्थितियों में होता है। (जीवाणु: स्यूडोमोनास, थायोबैसिलस)
- नाइट्रोजन स्थिरीकरण (Nitrogen Fixation): वायुमंडलीय N₂ का अमोनिया (NH₃) में परिवर्तन।
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जैविक नाइट्रोजन स्थिरीकरण (Biological Nitrogen Fixation):
- केवल कुछ प्रोकैरियोटिक जीव ही N₂ स्थिरीकरण कर सकते हैं, जिन्हें नाइट्रोजन-स्थिरीकारक (diazotrophs) कहते हैं।
- एंजाइम: नाइट्रोजिनेज (Nitrogenase)। यह Mo-Fe प्रोटीन है और आण्विक ऑक्सीजन के प्रति अत्यंत संवेदनशील है।
- अभिक्रिया: N₂ + 8e⁻ + 8H⁺ + 16ATP → 2NH₃ + H₂ + 16ADP + 16Pi
- प्रकार:
- स्वतंत्रजीवी (Free-living):
- वायवीय जीवाणु: एजेटोबैक्टर, बीजरिंकिया
- अवायवीय जीवाणु: रोडोस्पाइरिलम
- सायनोबैक्टीरिया (नील-हरित शैवाल): नॉस्टॉक, एनाबीना
- सहजीवी (Symbiotic):
- राइजोबियम (Rhizobium): लेग्यूम (फलीदार) पौधों (जैसे अल्फाल्फा, सोयाबीन, तिपतिया घास, मटर, चना) की जड़ों में ग्रंथिका (nodule) बनाकर।
- फ्रैंकिया (Frankia): गैर-लेग्यूम पौधों (जैसे एल्नस) की जड़ों में ग्रंथिका बनाकर।
- स्वतंत्रजीवी (Free-living):
- लेग्यूम-राइजोबियम सहजीवन और ग्रंथिका निर्माण:
- राइजोबियम जीवाणु मृदा में स्वतंत्र रूप से रहते हैं, लेकिन नाइट्रोजन स्थिरीकरण केवल सहजीवी अवस्था में करते हैं।
- जड़ें विशिष्ट रसायनों का स्राव करती हैं जो राइजोबियम को आकर्षित करते हैं।
- जीवाणु मूलरोम से चिपककर उसे मोड़ देते हैं (हुक बनाते हैं) और कोशिका भित्ति को भेदकर अंदर प्रवेश करते हैं।
- एक संक्रमण धागा (infection thread) बनता है जो जीवाणुओं को जड़ के वल्कुट (cortex) तक ले जाता है।
- वल्कुट और परिरंभ (pericycle) की कोशिकाएं विभाजित होकर ग्रंथिका (nodule) बनाती हैं।
- ग्रंथिकाओं का सीधा संवहनी संबंध (vascular connection) मेजबान पौधे से होता है।
- लेगहीमोग्लोबिन (Leghaemoglobin): ग्रंथिकाओं में पाया जाने वाला गुलाबी रंग का वर्णक। यह ऑक्सीजन अपमार्जक (oxygen scavenger) का कार्य करता है और नाइट्रोजिनेज एंजाइम को ऑक्सीजन से बचाता है, क्योंकि यह एंजाइम ऑक्सीजन की उपस्थिति में निष्क्रिय हो जाता है।
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अमोनिया की नियति (Fate of Ammonia):
- नाइट्रोजिनेज द्वारा बनी अमोनिया (NH₃) प्रोटोनीकृत होकर अमोनियम आयन (NH₄⁺) बनाती है, जो पौधों के लिए विषाक्त होता है।
- पौधे NH₄⁺ का उपयोग अमीनो अम्लों के संश्लेषण में करते हैं:
- अपचयोपचय एमीनीकरण (Reductive Amination): अमोनिया, α-कीटोग्लूटेरिक अम्ल से क्रिया करके ग्लूटेमिक अम्ल बनाती है। एंजाइम: ग्लूटेमेट डिहाइड्रोजनेज।
α-कीटोग्लूटेरिक अम्ल + NH₄⁺ + NADPH → ग्लूटेमेट + H₂O + NADP⁺ - विपक्षएमीनीकरण / पारएमीनीकरण (Transamination): एक अमीनो अम्ल (जैसे ग्लूटेमिक अम्ल) से अमीनो समूह (–NH₂) का एक कीटो अम्ल के कीटो समूह (=O) पर स्थानांतरण। एंजाइम: ट्रांसएमिनेज। इससे अन्य अमीनो अम्ल बनते हैं।
ग्लूटेमिक अम्ल + ऑक्जेलोएसिटिक अम्ल ⇌ α-कीटोग्लूटेरिक अम्ल + एस्पार्टिक अम्ल
- अपचयोपचय एमीनीकरण (Reductive Amination): अमोनिया, α-कीटोग्लूटेरिक अम्ल से क्रिया करके ग्लूटेमिक अम्ल बनाती है। एंजाइम: ग्लूटेमेट डिहाइड्रोजनेज।
- एमाइड्स (Amides): एस्पार्टिक अम्ल और ग्लूटेमिक अम्ल से क्रमशः एस्पार्जीन और ग्लूटेमीन नामक एमाइड बनते हैं। इनमें नाइट्रोजन की मात्रा अमीनो अम्लों से अधिक होती है। ये पौधे के जाइलम वाहिकाओं द्वारा अन्य भागों तक पहुँचाए जाते हैं।
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अभ्यास हेतु बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs):
प्रश्न 1: पौधों को मृदा-रहित पोषक विलयन में उगाने की विधि क्या कहलाती है?
(a) जल संवर्धन (Hydroponics)
(b) मृदा संवर्धन (Geoponics)
(c) वायु संवर्धन (Aeroponics)
(d) ऊतक संवर्धन (Tissue culture)
प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सा तत्व पौधों के लिए एक वृहत् पोषक (Macronutrient) है?
(a) आयरन (Fe)
(b) मैंगनीज (Mn)
(c) जिंक (Zn)
(d) पोटैशियम (K)
प्रश्न 3: क्लोरोफिल अणु की वलय संरचना का केंद्रीय धातु आयन कौन सा है?
(a) आयरन (Fe)
(b) मैग्नीशियम (Mg)
(c) कॉपर (Cu)
(d) मैंगनीज (Mn)
प्रश्न 4: पौधों में गतिशील तत्व (जैसे N, K, Mg) की कमी के लक्षण सबसे पहले कहाँ दिखाई देते हैं?
(a) तरुण पत्तियों में
(b) पुरानी (जीर्णमान) पत्तियों में
(c) पुष्प कलिकाओं में
(d) जड़ों में
प्रश्न 5: नाइट्रोजिनेज एंजाइम, जो नाइट्रोजन स्थिरीकरण के लिए आवश्यक है, का एक महत्वपूर्ण घटक कौन सा तत्व है?
(a) जिंक (Zn)
(b) कॉपर (Cu)
(c) मोलिब्डेनम (Mo)
(d) बोरॉन (B)
प्रश्न 6: प्रकाश संश्लेषण के दौरान जल के प्रकाशीय विखंडन (Photolysis of water) के लिए कौन सा तत्व अनिवार्य है?
(a) मैग्नीशियम (Mg)
(b) मैंगनीज (Mn)
(c) आयरन (Fe)
(d) जिंक (Zn)
प्रश्न 7: लेग्यूम पौधों की जड़ ग्रंथिकाओं में पाया जाने वाला 'लेगहीमोग्लोबिन' का क्या कार्य है?
(a) नाइट्रोजन का स्थिरीकरण करना
(b) ऑक्सीजन का परिवहन करना
(c) ऑक्सीजन अपमार्जन (scavenging) द्वारा नाइट्रोजिनेज की सुरक्षा करना
(d) जीवाणुओं को पोषण प्रदान करना
प्रश्न 8: नाइट्रीकरण (Nitrification) प्रक्रिया में नाइट्राइट (NO₂⁻) को नाइट्रेट (NO₃⁻) में ऑक्सीकृत करने वाला जीवाणु कौन सा है?
(a) नाइट्रोसोमोनास (Nitrosomonas)
(b) नाइट्रोबैक्टर (Nitrobacter)
(c) राइजोबियम (Rhizobium)
(d) स्यूडोमोनास (Pseudomonas)
प्रश्न 9: निम्नलिखित में से कौन सा तत्व ऑक्सिन (Auxin) हॉर्मोन के संश्लेषण के लिए आवश्यक है?
(a) बोरॉन (B)
(b) जिंक (Zn)
(c) कॉपर (Cu)
(d) आयरन (Fe)
प्रश्न 10: मैंगनीज (Mn) की विषाक्तता से पौधों में प्रायः किन तत्वों की कमी के लक्षण प्रकट होते हैं?
(a) N, P, K
(b) Fe, Mg, Ca
(c) Zn, Cu, Mo
(d) S, B, Cl
उत्तर कुंजी:
- (a)
- (d)
- (b)
- (b)
- (c)
- (b)
- (c)
- (b)
- (b)
- (b)
यह विस्तृत नोट्स और MCQ आपकी परीक्षा की तैयारी में सहायक होंगे। ध्यानपूर्वक अध्ययन करें और अवधारणाओं को समझें। शुभकामनाएँ!