Class 11 Biology Notes Chapter 14 (Chapter 14) – Examplar Problems (Hindi) Book

Examplar Problems (Hindi)
प्रिय विद्यार्थियों,

आज हम कक्षा 11 जीव विज्ञान के अध्याय 14, 'पादप श्वसन' का विस्तृत अध्ययन करेंगे। यह अध्याय सरकारी परीक्षाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें ऊर्जा उत्पादन के मूलभूत जैविक प्रक्रियाओं की चर्चा की गई है। आइए, इसके मुख्य बिंदुओं को गहराई से समझते हैं:


अध्याय 14: पादप श्वसन (Plant Respiration)

1. श्वसन (Respiration): एक परिचय

  • परिभाषा: श्वसन एक अपचयी (catabolic) प्रक्रिया है जिसमें जटिल कार्बनिक पदार्थों का ऑक्सीकरण होता है, जिससे कार्बन डाइऑक्साइड (CO2), जल (H2O) और ऊर्जा (ATP के रूप में) मुक्त होती है। यह ऊर्जा विभिन्न जैविक गतिविधियों के लिए उपयोग की जाती है।
  • श्वसनीय क्रियाधार (Respiratory Substrates): वे यौगिक जिनका श्वसन के दौरान ऑक्सीकरण होता है।
    • मुख्य: कार्बोहाइड्रेट (जैसे ग्लूकोज)।
    • अन्य: वसा, प्रोटीन (जब कार्बोहाइड्रेट की कमी हो), और कभी-कभी कार्बनिक अम्ल।
  • श्वसन के प्रकार:
    • वायवीय श्वसन (Aerobic Respiration): ऑक्सीजन की उपस्थिति में होता है। इसमें कार्बनिक पदार्थों का पूर्ण ऑक्सीकरण होता है और अधिक ऊर्जा उत्पन्न होती है।
    • अवायवीय श्वसन (Anaerobic Respiration): ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में होता है। इसमें कार्बनिक पदार्थों का अपूर्ण ऑक्सीकरण होता है और कम ऊर्जा उत्पन्न होती है।

2. ग्लाइकोलाइसिस (Glycolysis)

  • परिभाषा: यह श्वसन का पहला चरण है, जो वायवीय और अवायवीय दोनों श्वसन में सामान्य है। इसमें ग्लूकोज (6 कार्बन अणु) का आंशिक ऑक्सीकरण होकर पाइरुविक अम्ल (3 कार्बन अणु) के दो अणु बनते हैं।
  • स्थान: कोशिकाद्रव्य (Cytoplasm)।
  • ऑक्सीजन की आवश्यकता: नहीं।
  • मुख्य चरण: यह 10 चरणों की एक श्रृंखला है, जिसमें ATP का उपयोग (ऊर्जा निवेश चरण) और ATP का उत्पादन (ऊर्जा निष्कर्षण चरण) दोनों शामिल हैं।
  • उत्पाद:
    • 2 अणु पाइरुविक अम्ल (Pyruvic acid)
    • 2 अणु ATP (शुद्ध लाभ, क्योंकि 2 ATP का उपयोग होता है और 4 ATP बनते हैं)
    • 2 अणु NADH + H+
  • महत्व: यह श्वसन का प्रारंभिक पथ है और पाइरुविक अम्ल को आगे की प्रक्रियाओं के लिए तैयार करता है।

3. किण्वन (Fermentation)

  • परिभाषा: यह अवायवीय श्वसन का एक प्रकार है जो ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में होता है। इसमें पाइरुविक अम्ल का अपूर्ण ऑक्सीकरण होता है।
  • स्थान: कोशिकाद्रव्य।
  • मुख्य उद्देश्य: NADH + H+ को NAD+ में पुनरुत्पादित करना ताकि ग्लाइकोलाइसिस जारी रह सके।
  • प्रकार:
    • अल्कोहलिक किण्वन (Alcoholic Fermentation):
      • पाइरुविक अम्ल → एसिटैल्डिहाइड → एथेनॉल (शराब) + CO2
      • उदाहरण: यीस्ट (Yeast) में।
    • लैक्टिक अम्ल किण्वन (Lactic Acid Fermentation):
      • पाइरुविक अम्ल → लैक्टिक अम्ल
      • उदाहरण: कुछ बैक्टीरिया, हमारी मांसपेशियों की कोशिकाओं में ऑक्सीजन की कमी होने पर।
  • ऊर्जा उत्पादन: बहुत कम (केवल 2 ATP प्रति ग्लूकोज अणु, जो ग्लाइकोलाइसिस से प्राप्त होते हैं)।

4. वायवीय श्वसन (Aerobic Respiration)

  • परिभाषा: ऑक्सीजन की उपस्थिति में होता है, जिसमें पाइरुविक अम्ल का पूर्ण ऑक्सीकरण होकर CO2 और H2O बनता है और बड़ी मात्रा में ऊर्जा मुक्त होती है।
  • स्थान: मुख्य रूप से माइटोकॉन्ड्रिया (Mitochondria)।
  • चरण:
    • पाइरुविक अम्ल का ऑक्सीकरणी विकार्बोक्सिलीकरण (Oxidative Decarboxylation of Pyruvic Acid):
      • ग्लाइकोलाइसिस से प्राप्त पाइरुविक अम्ल (कोशिकाद्रव्य में) माइटोकॉन्ड्रिया मैट्रिक्स में प्रवेश करता है।
      • यहां यह एसिटाइल CoA (Acetyl Coenzyme A) में परिवर्तित होता है।
      • इस प्रक्रिया को 'गेटवे रिएक्शन' या 'लिंक रिएक्शन' भी कहते हैं।
      • उत्पाद: 2 अणु एसिटाइल CoA, 2 अणु CO2, 2 अणु NADH + H+ (प्रति ग्लूकोज अणु)।
    • क्रेब्स चक्र / सिट्रिक अम्ल चक्र / TCA चक्र (Krebs Cycle / Citric Acid Cycle / TCA Cycle):
      • स्थान: माइटोकॉन्ड्रिया मैट्रिक्स।
      • एसिटाइल CoA (2 कार्बन) ऑक्सैलोएसिटिक अम्ल (OAA, 4 कार्बन) के साथ मिलकर सिट्रिक अम्ल (6 कार्बन) बनाता है।
      • यह एक चक्रीय पथ है जिसमें CO2 मुक्त होती है और NADH + H+ तथा FADH2 का उत्पादन होता है।
      • उत्पाद (प्रति एसिटाइल CoA अणु): 2 अणु CO2, 3 अणु NADH + H+, 1 अणु FADH2, 1 अणु GTP (जो बाद में ATP में बदल जाता है)।
      • कुल उत्पाद (प्रति ग्लूकोज अणु): 4 अणु CO2, 6 अणु NADH + H+, 2 अणु FADH2, 2 अणु GTP/ATP।
    • इलेक्ट्रॉन परिवहन तंत्र (Electron Transport System - ETS) और ऑक्सीकरणी फॉस्फोरिलीकरण (Oxidative Phosphorylation):
      • स्थान: माइटोकॉन्ड्रिया की आंतरिक झिल्ली।
      • NADH + H+ और FADH2 में संचित ऊर्जा का उपयोग ATP बनाने के लिए होता है।
      • इलेक्ट्रॉन विभिन्न वाहकों (कॉम्प्लेक्स I, II, III, IV) से गुजरते हैं, जिससे प्रोटॉन (H+) माइटोकॉन्ड्रिया की आंतरिक झिल्ली के पार इंटरमेम्ब्रेन स्पेस में पंप होते हैं।
      • यह प्रोटॉन प्रवणता (Proton gradient) ATP सिंथेज (Complex V) के माध्यम से ATP संश्लेषण को संचालित करती है।
      • ऑक्सीजन की भूमिका: आणविक ऑक्सीजन (O2) अंतिम इलेक्ट्रॉन ग्राही (final electron acceptor) के रूप में कार्य करती है और जल (H2O) बनाती है।
      • ATP उत्पादन:
        • 1 अणु NADH + H+ से लगभग 3 ATP बनते हैं।
        • 1 अणु FADH2 से लगभग 2 ATP बनते हैं।

5. श्वसन संतुलन शीट (Respiratory Balance Sheet)

  • वायवीय श्वसन में ग्लूकोज के एक अणु के पूर्ण ऑक्सीकरण से कुल ATP का शुद्ध लाभ।
  • कुल ATP: 36 या 38 ATP अणु। (यह इस बात पर निर्भर करता है कि ग्लाइकोलाइसिस से उत्पन्न NADH माइटोकॉन्ड्रिया में प्रवेश करने के लिए किस शटल प्रणाली (मैलेट-एस्पार्टेट या ग्लिसरॉल-3-फॉस्फेट) का उपयोग करता है।)
    • ग्लाइकोलाइसिस: 2 ATP (शुद्ध) + 2 NADH (6 ATP) = 8 ATP
    • पाइरुविक अम्ल का ऑक्सीकरणी विकार्बोक्सिलीकरण: 2 NADH (6 ATP) = 6 ATP
    • क्रेब्स चक्र: 2 GTP/ATP + 6 NADH (18 ATP) + 2 FADH2 (4 ATP) = 24 ATP
    • कुल = 8 + 6 + 24 = 38 ATP (यदि मैलेट-एस्पार्टेट शटल का उपयोग होता है)
  • अवायवीय श्वसन में केवल 2 ATP का शुद्ध लाभ होता है (जो ग्लाइकोलाइसिस से प्राप्त होते हैं)।

6. उभयचर पथ (Amphibolic Pathway)

  • श्वसन एक उभयचर पथ है, जिसका अर्थ है कि यह अपचयी (catabolic - पदार्थों का विखंडन) और उपचयी (anabolic - पदार्थों का संश्लेषण) दोनों प्रक्रियाओं में शामिल होता है।
  • अपचयी: कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन का विखंडन।
  • उपचयी: श्वसन मध्यवर्ती (जैसे एसिटाइल CoA, ऑक्सैलोएसिटिक अम्ल) का उपयोग वसा अम्ल, अमीनो अम्ल, क्लोरोफिल आदि के संश्लेषण में होता है।

7. श्वसन गुणांक (Respiratory Quotient - RQ)

  • परिभाषा: श्वसन के दौरान मुक्त हुई CO2 की मात्रा और उपयोग की गई O2 की मात्रा का अनुपात।
    • RQ = मुक्त हुई CO2 का आयतन / उपयोग की गई O2 का आयतन
  • महत्व: यह बताता है कि किस प्रकार के श्वसनीय क्रियाधार का उपयोग किया जा रहा है।
  • विभिन्न क्रियाधारों के लिए RQ मान:
    • कार्बोहाइड्रेट: 1 (जैसे ग्लूकोज: C6H12O6 + 6O2 → 6CO2 + 6H2O; RQ = 6/6 = 1)
    • वसा: 1 से कम (आमतौर पर 0.7)
    • प्रोटीन: 1 से कम (आमतौर पर 0.8 या 0.9)
    • कार्बनिक अम्ल (जैसे ऑक्सैलिक अम्ल): 1 से अधिक (जैसे 4)
    • अवायवीय श्वसन: अनंत (क्योंकि O2 का उपयोग नहीं होता है)।

अभ्यास प्रश्न (MCQs)

निर्देश: सही विकल्प का चयन करें।

  1. श्वसन का वह चरण जो कोशिकाद्रव्य में होता है और ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में भी जारी रह सकता है:
    a) क्रेब्स चक्र
    b) इलेक्ट्रॉन परिवहन तंत्र
    c) ग्लाइकोलाइसिस
    d) ऑक्सीकरणी फॉस्फोरिलीकरण

  2. वायवीय श्वसन में ग्लूकोज के एक अणु के पूर्ण ऑक्सीकरण से अधिकतम कितने ATP अणु प्राप्त होते हैं?
    a) 2
    b) 8
    c) 38
    d) 4

  3. क्रेब्स चक्र कहाँ होता है?
    a) कोशिकाद्रव्य
    b) माइटोकॉन्ड्रिया की बाहरी झिल्ली
    c) माइटोकॉन्ड्रिया मैट्रिक्स
    d) माइटोकॉन्ड्रिया की आंतरिक झिल्ली

  4. अंतिम इलेक्ट्रॉन ग्राही (final electron acceptor) वायवीय श्वसन में कौन होता है?
    a) CO2
    b) H2O
    c) O2
    d) NAD+

  5. यदि श्वसनीय क्रियाधार वसा है, तो श्वसन गुणांक (RQ) का मान क्या होगा?
    a) 1
    b) 0.7 से कम
    c) 1 से अधिक
    d) अनंत

  6. अल्कोहलिक किण्वन में, पाइरुविक अम्ल किसमें परिवर्तित होता है?
    a) लैक्टिक अम्ल
    b) एसिटाइल CoA
    c) एथेनॉल और CO2
    d) सिट्रिक अम्ल

  7. ग्लाइकोलाइसिस के अंत में, ग्लूकोज के एक अणु से कितने पाइरुविक अम्ल के अणु बनते हैं?
    a) 1
    b) 2
    c) 3
    d) 4

  8. इलेक्ट्रॉन परिवहन तंत्र (ETS) कहाँ स्थित होता है?
    a) माइटोकॉन्ड्रिया मैट्रिक्स
    b) कोशिकाद्रव्य
    c) माइटोकॉन्ड्रिया की आंतरिक झिल्ली
    d) माइटोकॉन्ड्रिया की बाहरी झिल्ली

  9. श्वसन को एक उभयचर पथ क्यों कहा जाता है?
    a) क्योंकि यह केवल अपचयी प्रक्रिया है।
    b) क्योंकि यह केवल उपचयी प्रक्रिया है।
    c) क्योंकि यह अपचयी और उपचयी दोनों प्रक्रियाओं में शामिल है।
    d) क्योंकि यह केवल पादपों में होता है।

  10. एक अणु NADH + H+ से इलेक्ट्रॉन परिवहन तंत्र में कितने ATP बनते हैं?
    a) 2
    b) 3
    c) 1
    d) 4


उत्तरमाला:

  1. c) ग्लाइकोलाइसिस
  2. c) 38
  3. c) माइटोकॉन्ड्रिया मैट्रिक्स
  4. c) O2
  5. b) 0.7 से कम
  6. c) एथेनॉल और CO2
  7. b) 2
  8. c) माइटोकॉन्ड्रिया की आंतरिक झिल्ली
  9. c) क्योंकि यह अपचयी और उपचयी दोनों प्रक्रियाओं में शामिल है।
  10. b) 3

मुझे आशा है कि ये विस्तृत नोट्स और अभ्यास प्रश्न आपको इस अध्याय को समझने और सरकारी परीक्षाओं की तैयारी में मदद करेंगे। अपनी पढ़ाई जारी रखें और कोई भी संदेह होने पर पूछने में संकोच न करें।

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