Class 11 Biology Notes Chapter 15 (Chapter 15) – Examplar Problems (Hindi) Book

Examplar Problems (Hindi)
प्रिय विद्यार्थियों,

आज हम कक्षा 11 जीव विज्ञान के अध्याय 15 'पादप वृद्धि एवं परिवर्धन' का विस्तृत अध्ययन करेंगे। यह अध्याय सरकारी परीक्षाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है और इसमें से कई प्रश्न पूछे जाते हैं। आइए, इसके प्रमुख बिंदुओं को गहराई से समझते हैं ताकि आप इस विषय पर अपनी पकड़ मजबूत कर सकें।


अध्याय 15: पादप वृद्धि एवं परिवर्धन (Plant Growth and Development) - विस्तृत नोट्स

1. परिचय:

  • वृद्धि (Growth): यह एक अपरिवर्तनीय, स्थायी और आकार, भार, आयतन, कोशिका संख्या आदि में वृद्धि है। यह उपापचयी प्रक्रियाओं का परिणाम है।
  • परिवर्धन (Development): यह एक पौधे के जीवन चक्र में होने वाले सभी परिवर्तनों का योग है, जिसमें अंकुरण से लेकर जीर्णता और मृत्यु तक की सभी वृद्धि और विभेदन प्रक्रियाएं शामिल हैं।

2. पादप वृद्धि (Plant Growth):

  • विशेषताएँ:

    • अपरिमित वृद्धि: पौधों में मेरिस्टेम (विभज्योतक) की उपस्थिति के कारण जीवन भर वृद्धि की क्षमता होती है।
    • स्थानीयकृत वृद्धि: वृद्धि कुछ विशिष्ट क्षेत्रों (जैसे मूल शीर्ष, प्ररोह शीर्ष) तक ही सीमित होती है।
  • वृद्धि की माप: वृद्धि को कई तरीकों से मापा जा सकता है, जैसे लंबाई, क्षेत्रफल, आयतन, कोशिका संख्या, शुष्क भार आदि में वृद्धि।

  • वृद्धि की प्रावस्थाएँ (Phases of Growth):

    1. मेरिस्टेमेटिक प्रावस्था (Meristematic Phase): मूल शीर्ष और प्ररोह शीर्ष के मेरिस्टेमेटिक कोशिकाओं में लगातार कोशिका विभाजन होता है। ये कोशिकाएँ प्रोटोप्लाज्म से भरपूर होती हैं और इनमें बड़े केंद्रक होते हैं।
    2. दीर्घीकरण प्रावस्था (Elongation Phase): मेरिस्टेमेटिक क्षेत्र से दूर की कोशिकाएँ आकार में तेजी से बढ़ती हैं। इनमें रसधानीकरण (vacuolation) बढ़ता है और कोशिका भित्ति का नया जमाव होता है।
    3. परिपक्वन प्रावस्था (Maturation Phase): दीर्घीकृत कोशिकाएँ अपने अधिकतम आकार तक पहुँच जाती हैं और विशिष्ट कार्य करने के लिए विभेदित हो जाती हैं।
  • वृद्धि दर (Growth Rates):

    • अंकगणितीय वृद्धि (Arithmetic Growth): इसमें एक कोशिका विभाजित होती है, एक पुत्री कोशिका परिपक्व होती है जबकि दूसरी पुत्री कोशिका मेरिस्टेमेटिक बनी रहती है। वृद्धि दर स्थिर होती है। इसका ग्राफ एक सीधी रेखा होता है (L_t = L_0 + rt)।
    • ज्यामितीय वृद्धि (Geometric Growth): इसमें सभी कोशिकाएँ विभाजित होती हैं और वृद्धि करती हैं। यह प्रारंभिक अवस्था में धीमी और बाद में तेजी से होती है। इसका ग्राफ S-आकार का (सिग्मोइड) होता है। यह अधिकांश जैविक प्रणालियों में देखी जाती है।

3. विभेदन, निर्विभेदन और पुनर्विभेदन (Differentiation, Dedifferentiation and Redifferentiation):

  • विभेदन (Differentiation): मेरिस्टेमेटिक कोशिकाओं का परिपक्व होकर विशिष्ट कार्य करने वाली स्थायी कोशिकाओं में बदलना। उदाहरण: जाइलम वाहिकाओं का बनना।
  • निर्विभेदन (Dedifferentiation): स्थायी कोशिकाओं का अपनी विभाजन की क्षमता को पुनः प्राप्त करना और मेरिस्टेमेटिक बनना। उदाहरण: कॉर्क कैम्बियम और इंटरफेसिकुलर कैम्बियम का बनना।
  • पुनर्विभेदन (Redifferentiation): निर्विभेदित कोशिकाओं का फिर से विभाजन क्षमता खोकर विशिष्ट स्थायी कोशिकाओं में बदलना। उदाहरण: द्वितीयक जाइलम और फ्लोएम का बनना।

4. परिवर्धन (Development):

  • यह वृद्धि और विभेदन दोनों का योग है।
  • प्लास्टिसिटी (Plasticity): पौधों की पर्यावरण के अनुसार विभिन्न प्रकार की संरचनाएँ बनाने की क्षमता।
    • उदाहरण: कपास, धनिया और बटरकप में पत्तियों के विभिन्न आकार। जलकुंभी में जल में और भूमि पर अलग-अलग पत्तियाँ।

5. पादप वृद्धि नियामक (Plant Growth Regulators - PGRs):
ये छोटे, सरल अणु होते हैं जो पौधों की वृद्धि और परिवर्धन को नियंत्रित करते हैं। इन्हें पादप हार्मोन या फाइटोहोर्मोन भी कहते हैं। इन्हें दो समूहों में बांटा गया है:
* वृद्धि प्रवर्तक (Growth Promoters): ऑक्सिन, जिबरेलिन, साइटोकाइनिन।
* वृद्धि अवरोधक (Growth Inhibitors): एब्सिसिक अम्ल, एथिलीन (कभी-कभी प्रवर्तक भी)।

  • A. ऑक्सिन (Auxins):

    • खोज: चार्ल्स डार्विन और फ्रांसिस डार्विन (कैनरी घास के कोलियोप्टाइल में प्रकाशानुवर्तन), एफ.डब्ल्यू. वेंट (ओट के कोलियोप्टाइल से अलग किया)।
    • प्राकृतिक ऑक्सिन: इंडोल-3-एसिटिक एसिड (IAA), इंडोल ब्यूटिरिक एसिड (IBA)।
    • कृत्रिम ऑक्सिन: NAA (नेफ्थलीन एसिटिक एसिड), 2,4-D (2,4-डाइक्लोरोफेनोक्सीएसिटिक एसिड)।
    • कार्य:
      • कोशिका दीर्घीकरण।
      • शीर्ष प्रभाविता (Apical dominance) को बढ़ावा देना।
      • जड़ निर्माण को बढ़ावा देना (कटिंग में)।
      • अनिषेकफलन (Parthenocarpy) को प्रेरित करना (टमाटर)।
      • पत्तियों और फलों के विगलन (abscission) को रोकना।
      • 2,4-D का उपयोग डाइकोट खरपतवारों को नष्ट करने में (मोनोकॉट को नहीं)।
      • जाइलम विभेदन को नियंत्रित करना।
  • B. जिबरेलिन (Gibberellins - GAs):

    • खोज: कुरोसावा (जापानी वैज्ञानिक) ने चावल के पौधों में 'बकाने' (फूलीश सीडलिंग) रोग का अध्ययन करते हुए पाया कि यह जिबरेला फुजिकुरोई नामक कवक के कारण होता है। याबुटा और सुमिकी ने इसे अलग किया।
    • प्रकार: GA1, GA2, GA3... (अब तक 100 से अधिक ज्ञात)। GA3 सबसे अधिक अध्ययन किया गया।
    • कार्य:
      • तना दीर्घीकरण (गन्ने में)।
      • बोल्टिंग (Bolting) को प्रेरित करना (पत्तीदार सब्जियों जैसे पत्तागोभी में)।
      • बीज अंकुरण को बढ़ावा देना (एमाइलेज एंजाइम उत्पादन)।
      • फलों का आकार बढ़ाना (सेब)।
      • शराब उद्योग में माल्टिंग प्रक्रिया को तेज करना।
      • जीर्णता में देरी।
  • C. साइटोकाइनिन (Cytokinins):

    • खोज: एफ. स्कूग और उनके सहकर्मियों ने तंबाकू के मज्जा ऊतक संवर्धन में काइनेटिन (काइनेटिन एक प्राकृतिक पादप हार्मोन नहीं है) की खोज की। लेथम ने मक्के के दाने से पहला प्राकृतिक साइटोकाइनिन, ज़िएटिन (Zeatin) अलग किया।
    • कार्य:
      • कोशिका विभाजन (साइटोकाइनेसिस) को बढ़ावा देना।
      • पार्श्व कलिका वृद्धि को बढ़ावा देना (शीर्ष प्रभाविता को तोड़ना)।
      • पत्तियों की जीर्णता में देरी करना (रिचमंड-लेंग प्रभाव)।
      • पोषक तत्वों के संचलन को बढ़ावा देना।
      • क्लोरोप्लास्ट के विकास में मदद।
  • D. एथिलीन (Ethylene):

    • यह एक गैसीय हार्मोन है।
    • खोज: कजिन्स ने पाया कि संतरे से निकलने वाला वाष्प पास रखे अनानास को पकाता है।
    • कार्य:
      • फलों को पकाने में सबसे महत्वपूर्ण हार्मोन।
      • जीर्णता और विगलन (पत्तियों और फूलों का गिरना) को बढ़ावा देना।
      • जड़ों की वृद्धि और जड़ रोमों के निर्माण को बढ़ावा देना।
      • पुष्पन को प्रेरित करना (अनानास, आम)।
      • पानी में डूबे चावल के पौधों में तने का दीर्घीकरण।
  • E. एब्सिसिक अम्ल (Abscisic Acid - ABA):

    • खोज: एडिकॉट ने कपास से 'एब्सिसिन II' और वेयरिंग ने 'डोरमिन' नाम से अलग किया। बाद में इन सभी को एब्सिसिक अम्ल कहा गया।
    • कार्य:
      • तनाव हार्मोन (Stress hormone): प्रतिकूल परिस्थितियों में पौधों को अनुकूलन में मदद करता है।
      • बीज प्रसुप्ति (Seed dormancy) को प्रेरित करना।
      • रंध्रों को बंद करना (पानी की कमी होने पर)।
      • विगलन और जीर्णता को बढ़ावा देना।
      • वृद्धि अवरोधक के रूप में कार्य करता है।

6. दीप्तिकालिता (Photoperiodism):

  • पौधों द्वारा पुष्पन के लिए दिन/रात की सापेक्ष अवधि के प्रति अनुक्रिया।
  • अल्पप्रकाशी पादप (Short-day plants - SDPs): इन्हें पुष्पन के लिए एक निश्चित क्रांतिक दीप्तिकाल (critical photoperiod) से कम प्रकाश अवधि की आवश्यकता होती है (और लंबी अंधेरी अवधि की)। उदाहरण: तंबाकू, सोयाबीन, गुलदाउदी।
  • दीर्घप्रकाशी पादप (Long-day plants - LDPs): इन्हें पुष्पन के लिए क्रांतिक दीप्तिकाल से अधिक प्रकाश अवधि की आवश्यकता होती है। उदाहरण: गेहूं, जौ, मूली, पालक।
  • दिवस-तटस्थ पादप (Day-neutral plants - DNPs): इन पर प्रकाश अवधि का कोई प्रभाव नहीं पड़ता। उदाहरण: टमाटर, मक्का, खीरा।
  • महत्व: पुष्पन के लिए अंधेरे की अवधि अधिक महत्वपूर्ण होती है, न कि प्रकाश की।

7. वसंतीकरण (Vernalisation):

  • कुछ पौधों में पुष्पन को प्रेरित करने के लिए कम तापमान (0-5°C) के संपर्क में आने की आवश्यकता।
  • उदाहरण: शीतकालीन राई, जौ, गेहूं की किस्में, द्विवार्षिक पौधे (गाजर, पत्तागोभी)।
  • महत्व: यह पौधों को अल्पकालिक वृद्धि के बाद पुष्पन से रोकता है, जिससे उन्हें परिपक्व होने का पर्याप्त समय मिलता है।

8. बीज प्रसुप्ति (Seed Dormancy):

  • बीज की वह अवस्था जिसमें अनुकूल पर्यावरणीय परिस्थितियाँ होने पर भी वह अंकुरित नहीं होता।
  • कारण:
    • कठोर या अभेद्य बीज आवरण।
    • रासायनिक अवरोधक (जैसे एब्सिसिक अम्ल, फेनोलिक अम्ल)।
    • अपरिपक्व भ्रूण।
  • प्रसुप्ति भंग करने के तरीके:
    • स्कैरीफिकेशन (Scarification): बीज आवरण को यांत्रिक रूप से खुरचना या रासायनिक रूप से नरम करना।
    • स्तरीकरण (Stratification): बीजों को कम तापमान पर नमी में रखना।
    • रासायनिक उपचार (जिबरेलिन, नाइट्रेट)।
    • पानी धोना (अवरोधकों को हटाने के लिए)।

10 बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions - MCQs)

1. पादप वृद्धि नियामक (PGR) जो गैसीय प्रकृति का होता है:
a) ऑक्सिन
b) जिबरेलिन
c) एथिलीन
d) साइटोकाइनिन

2. शीर्ष प्रभाविता (Apical dominance) के लिए कौन सा हार्मोन जिम्मेदार है?
a) एथिलीन
b) एब्सिसिक अम्ल
c) ऑक्सिन
d) जिबरेलिन

3. बोल्टिंग (Bolting) की प्रक्रिया को कौन सा पादप हार्मोन प्रेरित करता है?
a) ऑक्सिन
b) जिबरेलिन
c) साइटोकाइनिन
d) एब्सिसिक अम्ल

4. 'तनाव हार्मोन' (Stress hormone) के रूप में किसे जाना जाता है?
a) एब्सिसिक अम्ल
b) एथिलीन
c) साइटोकाइनिन
d) ऑक्सिन

5. पुष्पन के लिए क्रांतिक दीप्तिकाल से कम प्रकाश अवधि की आवश्यकता वाले पौधे क्या कहलाते हैं?
a) दीर्घप्रकाशी पादप
b) अल्पप्रकाशी पादप
c) दिवस-तटस्थ पादप
d) इनमें से कोई नहीं

6. काइनेटिन की खोज किसने की थी?
a) एफ.डब्ल्यू. वेंट
b) ई. कुरोसावा
c) एफ. स्कूग और मिलर
d) कजिन्स

7. फलों को पकाने में सबसे प्रभावी पादप हार्मोन कौन सा है?
a) जिबरेलिन
b) ऑक्सिन
c) एथिलीन
d) साइटोकाइनिन

8. वसंतीकरण (Vernalisation) का संबंध किससे है?
a) बीज प्रसुप्ति
b) पुष्पन के लिए कम तापमान की आवश्यकता
c) पत्तियों का गिरना
d) फलों का पकना

9. 2,4-D का उपयोग किस रूप में किया जाता है?
a) वृद्धि प्रवर्तक
b) खरपतवारनाशक
c) फल पकाने वाला
d) बीज प्रसुप्ति तोड़ने वाला

10. प्लास्टिसिटी (Plasticity) का सबसे अच्छा उदाहरण है:
a) शीर्ष प्रभाविता
b) बटरकप में पत्तियों के विभिन्न आकार
c) बीज प्रसुप्ति
d) तना दीर्घीकरण


उत्तर कुंजी (Answer Key):

  1. c) एथिलीन
  2. c) ऑक्सिन
  3. b) जिबरेलिन
  4. a) एब्सिसिक अम्ल
  5. b) अल्पप्रकाशी पादप
  6. c) एफ. स्कूग और मिलर
  7. c) एथिलीन
  8. b) पुष्पन के लिए कम तापमान की आवश्यकता
  9. b) खरपतवारनाशक
  10. b) बटरकप में पत्तियों के विभिन्न आकार

मुझे आशा है कि ये विस्तृत नोट्स और बहुविकल्पीय प्रश्न आपको इस अध्याय को समझने और सरकारी परीक्षाओं की तैयारी में सहायक होंगे। अपनी पढ़ाई जारी रखें और किसी भी संदेह के लिए पूछने में संकोच न करें। शुभकामनाएँ!

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