Class 11 Biology Notes Chapter 16 (Chapter 16) – Examplar Problems (Hindi) Book

प्रिय विद्यार्थियों,
आज हम कक्षा 11 के जीव विज्ञान के अध्याय 16, 'पाचन एवं अवशोषण' का विस्तृत अध्ययन करेंगे, जो आपकी सरकारी परीक्षाओं की तैयारी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह अध्याय मानव शरीर के सबसे मूलभूत कार्यों में से एक को समझाता है - भोजन को ऊर्जा और निर्माण खंडों में परिवर्तित करना।
अध्याय 16: पाचन एवं अवशोषण (Digestion and Absorption)
परिचय:
भोजन सभी सजीवों की मूलभूत आवश्यकता है। भोजन से हमें ऊर्जा, वृद्धि के लिए आवश्यक पदार्थ और ऊतकों की मरम्मत के लिए सामग्री मिलती है। हमारे द्वारा ग्रहण किए गए भोजन के मुख्य घटक कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और वसा हैं। विटामिन और खनिज भी भोजन में अल्प मात्रा में आवश्यक होते हैं। ये जटिल पोषक पदार्थ अपने मूल रूप में उपयोग नहीं किए जा सकते। इन्हें सरल, अवशोषण योग्य रूपों में तोड़ने की प्रक्रिया को पाचन (Digestion) कहते हैं। यह प्रक्रिया यांत्रिक और रासायनिक विधियों द्वारा संपन्न होती है।
1. मानव पाचन तंत्र (Human Digestive System):
मानव पाचन तंत्र में आहार नाल (Alimentary Canal) और संबंधित पाचक ग्रंथियाँ (Associated Digestive Glands) शामिल होती हैं।
A. आहार नाल (Alimentary Canal):
यह मुख से गुदा तक फैली एक लंबी, पेशीय नली होती है।
- मुख (Mouth): यह भोजन ग्रहण करने का द्वार है। इसमें मुख गुहा (Buccal Cavity) होती है।
- दाँत (Teeth): भोजन को चबाने और छोटे टुकड़ों में तोड़ने का कार्य करते हैं। मनुष्य में विषमदंती (Heterodont), गर्तदंती (Thecodont) और द्विबारदंती (Diphyodont) प्रकार के दाँत होते हैं। वयस्क मनुष्य में 32 दाँत होते हैं। दंत सूत्र: $\frac{2123}{2123}$ (I-छेदनक, C-रदनक, PM-अग्रचर्वणक, M-चर्वणक)।
- जिह्वा (Tongue): एक पेशीय अंग है जो भोजन को लार के साथ मिलाने और निगलने में मदद करता है। इस पर स्वाद कलिकाएँ (Taste Buds) होती हैं।
- ग्रसनी (Pharynx): यह मुख गुहा और ग्रासनली के बीच का छोटा मार्ग है। यह भोजन और वायु दोनों के लिए साझा मार्ग है। निगलते समय, एपिग्लॉटिस (Epiglottis) नामक उपास्थिमय प्रच्छद श्वास नली (Trachea) में भोजन के प्रवेश को रोकता है।
- ग्रासनली (Oesophagus): यह एक लंबी नली है जो ग्रसनी से आमाशय तक भोजन ले जाती है। इसमें क्रमानुकुंचन (Peristalsis) गतियाँ होती हैं।
- आमाशय (Stomach): यह J-आकार का एक पेशीय थैला है जो डायाफ्राम के नीचे उदर गुहा के ऊपरी बाएँ भाग में स्थित होता है। इसके चार मुख्य भाग होते हैं:
- जठरागम (Cardia): जहाँ ग्रासनली खुलती है।
- जठरनिधि (Fundus): ऊपरी गुंबद के आकार का भाग।
- काय (Body): मुख्य केंद्रीय भाग।
- जठरनिर्गमी (Pylorus): निचला भाग जो छोटी आँत में खुलता है।
- ग्रासनली और आमाशय के बीच जठर-ग्रासनली संकोचनी (Gastro-oesophageal sphincter) होती है। आमाशय और ग्रहणी के बीच जठरनिर्गमी संकोचनी (Pyloric sphincter) होती है।
- छोटी आँत (Small Intestine): यह आहार नाल का सबसे लंबा भाग है (लगभग 6-7 मीटर)। यह पाचन और अवशोषण का मुख्य स्थल है। इसके तीन भाग होते हैं:
- ग्रहणी (Duodenum): C-आकार का पहला भाग। इसमें यकृत और अग्नाशय से पाचक रस आते हैं।
- अग्रक्षुद्रांत्र (Jejunum): मध्य भाग।
- क्षुद्रांत्र (Ileum): अत्यधिक कुंडलित अंतिम भाग जो बड़ी आँत में खुलता है।
- क्षुद्रांत्र और अंधनाल (बड़ी आँत का भाग) के जोड़ पर इलियो-सीकल कपाट (Ileocaecal valve) होता है।
- बड़ी आँत (Large Intestine): यह छोटी आँत से छोटी लेकिन चौड़ी होती है। इसमें कोई महत्वपूर्ण पाचन नहीं होता, बल्कि जल, खनिज और कुछ दवाओं का अवशोषण होता है। इसके तीन भाग होते हैं:
- अंधनाल (Caecum): एक छोटी थैली जहाँ छोटी आँत खुलती है। इसमें एक छोटा, अंगुलीनुमा अवशेषी अंग कृमिरूप परिशेषिका (Vermiform appendix) जुड़ा होता है।
- वृहदांत्र (Colon): इसके आरोही (Ascending), अनुप्रस्थ (Transverse), अवरोही (Descending) और सिग्मॉइड (Sigmoid) भाग होते हैं।
- मलाशय (Rectum): यह वृहदांत्र का अंतिम भाग है जो अपचित भोजन को अस्थायी रूप से संग्रहित करता है।
- गुदा (Anus): यह आहार नाल का अंतिम छिद्र है जिसके माध्यम से अपचित भोजन (मल) शरीर से बाहर निकलता है। इसमें आंतरिक और बाहरी गुदा संकोचनी होती हैं।
B. पाचक ग्रंथियाँ (Digestive Glands):
ये ग्रंथियाँ पाचक रस स्रावित करती हैं जिनमें एंजाइम होते हैं।
- लार ग्रंथियाँ (Salivary Glands): मनुष्य में तीन जोड़ी लार ग्रंथियाँ होती हैं:
- कर्णपूर्व (Parotid): गालों में।
- अधोजंभ (Sub-maxillary/Sub-mandibular): निचले जबड़े के नीचे।
- अधोजिह्वा (Sub-lingual): जिह्वा के नीचे।
ये लार (Saliva) का स्राव करती हैं।
- यकृत (Liver): यह शरीर की सबसे बड़ी ग्रंथि है (लगभग 1.2-1.5 kg)। यह उदर गुहा में डायाफ्राम के नीचे स्थित होती है।
- यह पित्त रस (Bile juice) का स्राव करता है, जिसमें कोई एंजाइम नहीं होता, लेकिन यह वसा के इमल्सीकरण (Emulsification) में मदद करता है।
- पित्त रस पित्ताशय (Gallbladder) में संग्रहित होता है।
- यकृत की संरचनात्मक और कार्यात्मक इकाई यकृत पिंडक (Hepatic lobules) होते हैं।
- यकृत से निकलने वाली पित्त नलिका (Hepatic duct) और पित्ताशय से निकलने वाली पित्त नलिका मिलकर सामान्य पित्त नलिका (Common bile duct) बनाती हैं।
- अग्नाशय (Pancreas): यह एक पत्ती के आकार की मिश्रित ग्रंथि है जो बहिःस्रावी (Exocrine) और अंतःस्रावी (Endocrine) दोनों कार्य करती है। यह ग्रहणी के दोनों भुजाओं के बीच स्थित होती है।
- बहिःस्रावी भाग अग्नाशयी रस (Pancreatic juice) स्रावित करता है, जिसमें पाचक एंजाइम होते हैं।
- अंतःस्रावी भाग हार्मोन (इंसुलिन और ग्लूकागॉन) स्रावित करता है।
- सामान्य पित्त नलिका और अग्नाशयी नलिका मिलकर यकृत-अग्नाशयी नलिका (Hepato-pancreatic duct) बनाती हैं, जो ग्रहणी में खुलती है। इस नलिका के खुलने को ओडी की संकोचनी (Sphincter of Oddi) नियंत्रित करती है।
- जठर ग्रंथियाँ (Gastric Glands): आमाशय की भित्ति में स्थित होती हैं और जठर रस (Gastric juice) स्रावित करती हैं।
- आंत्र ग्रंथियाँ (Intestinal Glands): छोटी आँत की भित्ति में स्थित होती हैं और आंत्र रस (Succus entericus) स्रावित करती हैं।
2. भोजन का पाचन (Digestion of Food):
- मुख गुहा में पाचन:
- भोजन को दाँतों द्वारा चबाया जाता है और जिह्वा द्वारा लार के साथ मिलाया जाता है।
- लार में लार एमाइलेस (Salivary Amylase) या टायलिन (Ptyalin) एंजाइम होता है, जो कार्बोहाइड्रेट (स्टार्च) का लगभग 30% पाचन करता है।
- लार में लाइसोजाइम (Lysozyme) भी होता है जो जीवाणुनाशक होता है।
- स्टार्च $\xrightarrow{\text{लार एमाइलेस, pH 6.8}}$ माल्टोज
- निगला हुआ भोजन बोलस (Bolus) कहलाता है।
- आमाशय में पाचन:
- आमाशय की भित्ति में जठर ग्रंथियाँ होती हैं, जिनमें तीन प्रकार की कोशिकाएँ होती हैं:
- श्लेष्मा ग्रीवा कोशिकाएँ (Mucus Neck Cells): श्लेष्मा (Mucus) स्रावित करती हैं।
- मुख्य या पेप्टिक कोशिकाएँ (Chief or Peptic Cells): प्रोएंजाइम पेप्सिनोजन (Pepsinogen) और प्रोरेनिन (Prorennin) स्रावित करती हैं।
- भित्तीय या ऑक्सिन्टिक कोशिकाएँ (Parietal or Oxyntic Cells): HCl (हाइड्रोक्लोरिक अम्ल) और आंतरिक कारक (विटामिन B12 के अवशोषण के लिए आवश्यक) स्रावित करती हैं।
- HCl के कार्य:
- पेप्सिनोजन को सक्रिय पेप्सिन में बदलता है।
- भोजन के साथ आए जीवाणुओं को नष्ट करता है।
- भोजन को अम्लीय माध्यम (pH 1.8) प्रदान करता है।
- पेप्सिन (Pepsin): प्रोटीन को प्रोटीओज और पेप्टोन में तोड़ता है।
- रेनिन (Rennin): शिशुओं में दूध प्रोटीन (केसीन) का पाचन करता है।
- आमाशय में भोजन 4-5 घंटे रहता है और काइम (Chyme) कहलाता है।
- आमाशय की भित्ति में जठर ग्रंथियाँ होती हैं, जिनमें तीन प्रकार की कोशिकाएँ होती हैं:
- छोटी आँत में पाचन:
- यहां भोजन को अग्नाशयी रस, पित्त रस और आंत्र रस मिलते हैं।
- पित्त रस (Bile Juice): यकृत द्वारा स्रावित, पित्ताशय में संग्रहित। इसमें कोई एंजाइम नहीं होता।
- पित्त लवण (Bile Salts): वसा का इमल्सीकरण करते हैं (वसा को छोटी बूंदों में तोड़ते हैं)।
- यह लाइपेस एंजाइम को सक्रिय करता है।
- यह अम्लीय काइम को क्षारीय (pH 7.8) बनाता है।
- अग्नाशयी रस (Pancreatic Juice): अग्नाशय द्वारा स्रावित। इसमें निष्क्रिय एंजाइम होते हैं:
- ट्रिप्सिनोजन (Trypsinogen): आंत्र म्यूकोसा द्वारा स्रावित एंटरोकाइनेज (Enterokinase) द्वारा सक्रिय ट्रिप्सिन में बदलता है।
- काइमोट्रिप्सिनोजन (Chymotrypsinogen) और प्रोकार्बोक्सीपेप्टिडेस (Procarboxypeptidase): ट्रिप्सिन द्वारा सक्रिय होते हैं।
- अग्नाशयी एमाइलेस (Pancreatic Amylase): स्टार्च का पाचन करता है।
- लाइपेस (Lipases): वसा का पाचन करता है।
- न्यूक्लिएस (Nucleases): न्यूक्लिक अम्लों का पाचन करता है।
- आंत्र रस (Succus Entericus): छोटी आँत की भित्ति (ब्रश बॉर्डर कोशिकाएँ) द्वारा स्रावित। इसमें एंजाइम होते हैं:
- डाईसेकेराइडेस (Disaccharidases): माल्टेज, लैक्टेज, सुक्रेज।
- डाईपेप्टिडेस (Dipeptidases): डाईपेप्टाइड को अमीनो अम्ल में तोड़ते हैं।
- लाइपेस (Lipases): वसा को वसा अम्ल और ग्लिसरॉल में तोड़ते हैं।
- न्यूक्लियोसाइडेस (Nucleosidases): न्यूक्लियोसाइड को शर्करा और नाइट्रोजनी क्षार में तोड़ते हैं।
- पाचन का सारांश (छोटी आँत में):
- प्रोटीन, प्रोटीओज, पेप्टोन $\xrightarrow{\text{ट्रिप्सिन, काइमोट्रिप्सिन}}$ डाईपेप्टाइड
- डाईपेप्टाइड $\xrightarrow{\text{डाईपेप्टिडेस}}$ अमीनो अम्ल
- पॉलीसेकेराइड (स्टार्च) $\xrightarrow{\text{एमाइलेस}}$ डाईसेकेराइड
- डाईसेकेराइड $\xrightarrow{\text{डाईसेकेराइडेस}}$ मोनोसेकेराइड (ग्लूकोज, गैलेक्टोज, फ्रक्टोज)
- वसा $\xrightarrow{\text{लाइपेस}}$ डाईग्लिसराइड $\xrightarrow{\text{लाइपेस}}$ मोनोग्लिसराइड $\xrightarrow{\text{लाइपेस}}$ वसा अम्ल + ग्लिसरॉल
- न्यूक्लिक अम्ल $\xrightarrow{\text{न्यूक्लिएस}}$ न्यूक्लियोटाइड $\xrightarrow{\text{न्यूक्लियोटाइडेस}}$ न्यूक्लियोसाइड $\xrightarrow{\text{न्यूक्लियोसाइडेस}}$ शर्करा + नाइट्रोजनी क्षार
3. पचित भोजन का अवशोषण (Absorption of Digested Food):
यह वह प्रक्रिया है जिसमें पाचन के अंतिम उत्पाद आंत्र म्यूकोसा से होकर रक्त या लसिका में प्रवेश करते हैं।
- अवशोषण की विधियाँ:
- निष्क्रिय अवशोषण (Passive Absorption): सांद्रता प्रवणता के अनुसार, ऊर्जा की आवश्यकता नहीं। (जैसे- कुछ मोनोसेकेराइड, अमीनो अम्ल, क्लोराइड आयन)।
- सुसाध्य परिवहन (Facilitated Transport): वाहक प्रोटीन की मदद से, ऊर्जा की आवश्यकता नहीं। (जैसे- फ्रक्टोज, कुछ अमीनो अम्ल)।
- सक्रिय परिवहन (Active Transport): सांद्रता प्रवणता के विपरीत, ऊर्जा (ATP) की आवश्यकता। (जैसे- ग्लूकोज, अमीनो अम्ल, सोडियम आयन)।
- अवशोषण के स्थान:
- मुख: कुछ दवाएँ।
- आमाशय: जल, कुछ अल्कोहल, सरल शर्करा, कुछ दवाएँ।
- छोटी आँत: पाचन के सभी अंतिम उत्पादों (ग्लूकोज, फ्रक्टोज, गैलेक्टोज, अमीनो अम्ल, वसा अम्ल, ग्लिसरॉल, विटामिन, खनिज, जल) का मुख्य अवशोषण स्थल।
- छोटी आँत की आंतरिक भित्ति में हजारों छोटी उंगलीनुमा संरचनाएँ होती हैं जिन्हें विली (Villi) कहते हैं, जो अवशोषण सतह क्षेत्र को बढ़ाती हैं। विली में रक्त केशिकाओं का जाल और एक बड़ी लसिका वाहिका लैक्टियल (Lacteal) होती है।
- बड़ी आँत: जल, कुछ खनिज और कुछ दवाओं का अवशोषण।
- वसा अम्लों और ग्लिसरॉल का अवशोषण:
- ये जल में अघुलनशील होते हैं।
- ये पहले पित्त लवणों के साथ मिलकर माइसेल (Micelles) बनाते हैं।
- माइसेल आंत्र म्यूकोसा में अवशोषित होते हैं और फिर छोटी प्रोटीन-आच्छादित वसा कणिकाओं में पुनः संश्लेषित होते हैं जिन्हें काइलोमाइक्रोन (Chylomicrons) कहते हैं।
- काइलोमाइक्रोन लैक्टियल में प्रवेश करते हैं और फिर लसिका तंत्र के माध्यम से रक्त प्रवाह में पहुँचते हैं।
4. स्वांगीकरण (Assimilation):
अवशोषित पोषक तत्वों का कोशिकाओं द्वारा ऊर्जा उत्पादन, वृद्धि और मरम्मत के लिए उपयोग किया जाना स्वांगीकरण कहलाता है।
5. बहिर्क्षेपण (Egestion):
अपचित और अनावशोषित भोजन (मल) मलाशय में अस्थायी रूप से संग्रहित होता है और गुदा के माध्यम से शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है।
6. पाचन तंत्र के विकार (Disorders of Digestive System):
- पीलिया (Jaundice): यकृत प्रभावित होता है। पित्त वर्णकों के जमाव के कारण त्वचा और आँखें पीली पड़ जाती हैं।
- वमन (Vomiting): आमाशय की सामग्री का मुख के माध्यम से बाहर निकलना। यह एक प्रतिवर्ती क्रिया है।
- अतिसार (Diarrhoea): आँत में भोजन के अवशोषण में कमी के कारण मल त्याग की आवृत्ति में वृद्धि और मल का पतला होना।
- कब्ज (Constipation): वृहदांत्र में मल का अनियमित रूप से रुकना।
- अपच (Indigestion): भोजन का पूरी तरह से न पचना, जिससे पेट भरा हुआ महसूस होता है। इसके कारण अपर्याप्त एंजाइम स्राव, चिंता, अधिक भोजन करना आदि हो सकते हैं।
बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs)
निर्देश: सही विकल्प का चयन करें।
-
मानव शरीर की सबसे बड़ी ग्रंथि कौन सी है?
a) अग्नाशय
b) यकृत
c) लार ग्रंथि
d) थायराइड ग्रंथि -
निम्न में से कौन सा एंजाइम प्रोटीन के पाचन से संबंधित नहीं है?
a) पेप्सिन
b) ट्रिप्सिन
c) रेनिन
d) लाइपेस -
पित्त रस का मुख्य कार्य क्या है?
a) प्रोटीन का पाचन
b) कार्बोहाइड्रेट का पाचन
c) वसा का इमल्सीकरण
d) न्यूक्लिक अम्ल का पाचन -
मानव दंत सूत्र क्या है?
a) $\frac{2123}{2123}$
b) $\frac{2102}{2102}$
c) $\frac{2023}{2023}$
d) $\frac{2122}{2122}$ -
छोटी आँत की आंतरिक भित्ति पर पाए जाने वाले उंगलीनुमा प्रवर्ध जो अवशोषण सतह क्षेत्र बढ़ाते हैं, क्या कहलाते हैं?
a) क्रिप्ट्स ऑफ लिबरकुहन
b) विली
c) गैस्ट्रिक फोल्ड्स
d) ट्यूनिका मस्कुलरिस -
हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCl) का स्राव आमाशय की किन कोशिकाओं द्वारा होता है?
a) मुख्य कोशिकाएँ
b) श्लेष्मा ग्रीवा कोशिकाएँ
c) भित्तीय कोशिकाएँ
d) गोब्लेट कोशिकाएँ -
माइसेल किससे संबंधित हैं?
a) प्रोटीन अवशोषण
b) कार्बोहाइड्रेट अवशोषण
c) वसा अवशोषण
d) जल अवशोषण -
निम्न में से कौन सा एक अवशेषी अंग है?
a) अग्नाशय
b) यकृत
c) कृमिरूप परिशेषिका
d) पित्ताशय -
एंटरोकाइनेज एंजाइम का कार्य क्या है?
a) ट्रिप्सिनोजन को ट्रिप्सिन में सक्रिय करना
b) पेप्सिनोजन को पेप्सिन में सक्रिय करना
c) वसा का पाचन करना
d) स्टार्च का पाचन करना -
भोजन के पूरी तरह से न पचने की स्थिति को क्या कहते हैं, जिससे पेट भरा हुआ महसूस होता है?
a) पीलिया
b) अतिसार
c) कब्ज
d) अपच
उत्तर कुंजी:
- b) यकृत
- d) लाइपेस
- c) वसा का इमल्सीकरण
- a) $\frac{2123}{2123}$
- b) विली
- c) भित्तीय कोशिकाएँ
- c) वसा अवशोषण
- c) कृमिरूप परिशेषिका
- a) ट्रिप्सिनोजन को ट्रिप्सिन में सक्रिय करना
- d) अपच
मुझे आशा है कि ये विस्तृत नोट्स और बहुविकल्पीय प्रश्न आपकी सरकारी परीक्षाओं की तैयारी में सहायक सिद्ध होंगे। अपनी पढ़ाई जारी रखें और कोई भी संदेह होने पर पूछने में संकोच न करें।