Class 11 Biology Notes Chapter 17 (Chapter 17) – Examplar Problems (Hindi) Book

Examplar Problems (Hindi)
प्रिय विद्यार्थियों,

आपके अनुरोध पर, कक्षा 11 जीव विज्ञान के अध्याय 17 'श्वसन और गैसों का विनिमय' के विस्तृत नोट्स और 10 बहुविकल्पीय प्रश्न यहाँ प्रस्तुत हैं, जो आपकी सरकारी परीक्षाओं की तैयारी में सहायक सिद्ध होंगे।


अध्याय 17: श्वसन और गैसों का विनिमय (Breathing and Exchange of Gases)

यह अध्याय जीवों में गैसों के आदान-प्रदान की प्रक्रिया, श्वसन अंगों की संरचना, श्वसन की क्रियाविधि, गैसों के परिवहन और श्वसन के नियमन पर केंद्रित है।

1. परिचय और श्वसन का महत्व

श्वसन वह प्रक्रिया है जिसमें जीव अपने पर्यावरण से ऑक्सीजन लेते हैं और कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ते हैं। यह गैसीय विनिमय शरीर की कोशिकाओं में होने वाली उपापचयी क्रियाओं के लिए आवश्यक है, जहाँ ग्लूकोज जैसे कार्बनिक पदार्थों का ऑक्सीकरण करके ऊर्जा (ATP) उत्पन्न की जाती है।

2. विभिन्न जीवों में श्वसन अंग

  • निम्न अकशेरुकी (स्पंज, सीलेन्ट्रेटा, प्लेटिहेल्मिन्थीज): शरीर की सामान्य सतह से विसरण द्वारा।
  • केंचुआ: अपनी नम त्वचा (त्वचीय श्वसन) द्वारा।
  • कीट (कॉकरोच): श्वासनली तंत्र (Tracheal system) द्वारा, जिसमें श्वास रंध्र (spiracles) और श्वासनलिकाएँ होती हैं।
  • जलीय आर्थ्रोपोड और मोलस्क: क्लोम (गिल्स) द्वारा।
  • मछलियाँ: क्लोम (गिल्स) द्वारा।
  • उभयचर (मेंढक): त्वचा, मुख-ग्रसनी गुहा और फेफड़ों द्वारा।
  • सरीसृप, पक्षी और स्तनधारी: फेफड़ों (फुफ्फुस) द्वारा।

3. मानव श्वसन तंत्र

मानव श्वसन तंत्र में एक वायु मार्ग और फेफड़े शामिल होते हैं।

अ. वायु मार्ग:

  1. बाह्य नासाछिद्र (External nostrils): नाक के बाहर खुलने वाले छिद्र।
  2. नासा मार्ग (Nasal passage): नासा गुहा तक जाता है, जो नासा पट द्वारा दो भागों में बंटा होता है। यहाँ हवा गर्म, नम और फिल्टर होती है।
  3. ग्रसनी (Pharynx): मुख गुहा और नासा गुहा के लिए एक सामान्य मार्ग। यह नासाग्रसनी, मुखग्रसनी और कंठग्रसनी में विभाजित होती है।
  4. कंठ (Larynx): इसे 'स्वर यंत्र' भी कहते हैं, क्योंकि यह ध्वनि उत्पन्न करता है। यह एक उपास्थिमय बक्सा है। भोजन निगलते समय एपिग्लॉटिस (एक उपास्थिमय पर्दा) श्वास नली में भोजन के प्रवेश को रोकता है।
  5. श्वास नली (Trachea): कंठ से शुरू होकर वक्ष गुहा तक जाती है। यह लगभग 10-12 cm लंबी होती है और 'C' आकार के उपास्थि वलयों से बनी होती है, जो इसे पिचकने से रोकते हैं।
  6. श्वसनी (Bronchi): श्वास नली वक्ष गुहा में पाँचवीं वक्षीय कशेरुका के स्तर पर दो प्राथमिक श्वसनियों (दाएँ और बाएँ) में विभाजित हो जाती है।
  7. श्वसनिकाएँ (Bronchioles): प्रत्येक प्राथमिक श्वसनी फेफड़ों में प्रवेश करके द्वितीयक और तृतीयक श्वसनियों में विभाजित होती है, जो अंततः पतली टर्मिनल श्वसनिकाओं में समाप्त होती हैं।
  8. कूपिकाएँ (Alveoli): टर्मिनल श्वसनिकाएँ अनियमित भित्ति वाली, संवहनीकृत (vascularised) थैलियों जैसी संरचनाओं में समाप्त होती हैं जिन्हें कूपिकाएँ कहते हैं। ये गैसों के विनिमय की प्राथमिक स्थल हैं।

ब. फेफड़े (Lungs):

  • मानव में एक जोड़ी फेफड़े होते हैं, जो वक्ष गुहा में स्थित होते हैं।
  • ये दोहरी झिल्ली वाले फुफ्फुसावरण (Pleura) से घिरे होते हैं, जिसके बीच फुफ्फुसीय द्रव (Pleural fluid) भरा होता है। यह द्रव फेफड़ों को घर्षण से बचाता है।
  • दायाँ फेफड़ा तीन पालियों में और बायाँ फेफड़ा दो पालियों में बंटा होता है।
  • श्वसनिकाएँ, रक्त वाहिकाएँ और तंत्रिकाएँ मिलकर फेफड़ों का निर्माण करती हैं।

स. श्वसन के चरण:

  1. श्वसन (Breathing या Pulmonary ventilation): वायुमंडलीय हवा का अंदर लेना (निःश्वसन) और कूपिका वाली हवा का बाहर छोड़ना (उच्च्श्वसन)।
  2. गैसों का विनिमय: कूपिका और रक्त के बीच O2 और CO2 का विनिमय।
  3. गैसों का परिवहन: रक्त द्वारा O2 और CO2 का परिवहन (कूपिका से ऊतकों तक और ऊतकों से कूपिका तक)।
  4. गैसों का विनिमय: रक्त और ऊतकों के बीच O2 और CO2 का विनिमय।
  5. कोशिकीय श्वसन: कोशिकाओं द्वारा O2 का उपयोग और CO2 का उत्पादन।

4. श्वसन की क्रियाविधि

श्वसन में निःश्वसन (inspiration) और उच्च्श्वसन (expiration) शामिल हैं। ये फेफड़ों के अंदर और बाहर हवा के प्रवाह के कारण होते हैं, जो फेफड़ों और वायुमंडल के बीच दाब प्रवणता (pressure gradient) के कारण होता है।

अ. निःश्वसन (Inspiration):

  • यह एक सक्रिय प्रक्रिया है।
  • डायाफ्राम (Diaphragm) संकुचित होता है, जिससे यह चपटा हो जाता है।
  • बाह्य इंटरकोस्टल पेशियाँ (External intercostal muscles) संकुचित होती हैं, जिससे पसलियाँ और उरोस्थि ऊपर और बाहर की ओर उठती हैं।
  • इन दोनों क्रियाओं से वक्ष गुहा का आयतन अग्र-पश्च (antero-posterior) और पृष्ठाधर (dorso-ventral) अक्ष पर बढ़ता है।
  • वक्ष गुहा का आयतन बढ़ने से फुफ्फुसीय आयतन (pulmonary volume) बढ़ता है, जिससे फुफ्फुसीय दाब (intra-pulmonary pressure) वायुमंडलीय दाब से कम हो जाता है।
  • दाब प्रवणता के कारण हवा फेफड़ों में प्रवेश करती है।

ब. उच्च्श्वसन (Expiration):

  • यह एक निष्क्रिय प्रक्रिया है (सामान्य उच्च्श्वसन)।
  • डायाफ्राम और बाह्य इंटरकोस्टल पेशियाँ शिथिल हो जाती हैं।
  • डायाफ्राम अपनी गुंबदाकार स्थिति में वापस आ जाता है, और पसलियाँ व उरोस्थि अपनी सामान्य स्थिति में आ जाते हैं।
  • इससे वक्ष गुहा का आयतन कम हो जाता है।
  • फुफ्फुसीय आयतन कम होने से फुफ्फुसीय दाब वायुमंडलीय दाब से अधिक हो जाता है।
  • दाब प्रवणता के कारण हवा फेफड़ों से बाहर निकल जाती है।
  • बलपूर्वक उच्च्श्वसन: आंतरिक इंटरकोस्टल पेशियाँ (Internal intercostal muscles) और उदर पेशियाँ (Abdominal muscles) संकुचित होती हैं, जिससे वक्ष गुहा का आयतन और भी कम हो जाता है।

5. श्वसन आयतन और क्षमताएँ

  • ज्वारीय आयतन (Tidal Volume, TV): सामान्य श्वसन के दौरान अंदर ली गई या बाहर निकाली गई हवा का आयतन। (लगभग 500 mL)
  • निःश्वसन आरक्षित आयतन (Inspiratory Reserve Volume, IRV): बलपूर्वक निःश्वसन के बाद अतिरिक्त हवा का आयतन जो अंदर लिया जा सकता है। (लगभग 2500-3000 mL)
  • उच्च्श्वसन आरक्षित आयतन (Expiratory Reserve Volume, ERV): बलपूर्वक उच्च्श्वसन के बाद अतिरिक्त हवा का आयतन जो बाहर निकाला जा सकता है। (लगभग 1000-1100 mL)
  • अवशिष्ट आयतन (Residual Volume, RV): बलपूर्वक उच्च्श्वसन के बाद भी फेफड़ों में बची हुई हवा का आयतन। (लगभग 1100-1200 mL)

श्वसन क्षमताएँ (Respiratory Capacities):

  • अंतःश्वसन क्षमता (Inspiratory Capacity, IC): सामान्य उच्च्श्वसन के बाद अंदर ली जा सकने वाली हवा की कुल मात्रा। IC = TV + IRV
  • क्रियाशील अवशिष्ट क्षमता (Functional Residual Capacity, FRC): सामान्य उच्च्श्वसन के बाद फेफड़ों में बची हुई हवा की मात्रा। FRC = ERV + RV
  • जैविक क्षमता (Vital Capacity, VC): बलपूर्वक निःश्वसन के बाद बाहर निकाली जा सकने वाली हवा की अधिकतम मात्रा, या बलपूर्वक उच्च्श्वसन के बाद अंदर ली जा सकने वाली अधिकतम मात्रा। VC = ERV + TV + IRV
  • कुल फुफ्फुसीय क्षमता (Total Lung Capacity, TLC): बलपूर्वक निःश्वसन के बाद फेफड़ों में समा सकने वाली हवा की अधिकतम मात्रा। TLC = RV + ERV + TV + IRV (या TLC = VC + RV)

6. गैसों का विनिमय

गैसों का विनिमय (O2 और CO2) मुख्य रूप से आंशिक दाब (partial pressure) की प्रवणता के आधार पर विसरण द्वारा होता है। विसरण झिल्ली की मोटाई और गैसों की विलेयता भी महत्वपूर्ण कारक हैं।

अ. आंशिक दाब (Partial Pressure):

  • किसी गैस मिश्रण में एक व्यक्तिगत गैस द्वारा डाला गया दाब।
  • कूपिका में: PO2 = 104 mmHg, PCO2 = 40 mmHg
  • विऑक्सीजनित रक्त में (ऊतकों से आता हुआ): PO2 = 40 mmHg, PCO2 = 45 mmHg
  • ऑक्सीजनित रक्त में (कूपिका से जाता हुआ): PO2 = 95 mmHg, PCO2 = 40 mmHg
  • ऊतकों में: PO2 = 40 mmHg, PCO2 = 45 mmHg

ब. विनिमय स्थल:

  1. कूपिका और रक्त के बीच:
    • कूपिका में PO2 (104 mmHg) रक्त में PO2 (40 mmHg) से अधिक होता है, इसलिए O2 कूपिका से रक्त में विसरित होती है।
    • रक्त में PCO2 (45 mmHg) कूपिका में PCO2 (40 mmHg) से अधिक होता है, इसलिए CO2 रक्त से कूपिका में विसरित होती है।
  2. रक्त और ऊतकों के बीच:
    • ऑक्सीजनित रक्त में PO2 (95 mmHg) ऊतकों में PO2 (40 mmHg) से अधिक होता है, इसलिए O2 रक्त से ऊतकों में विसरित होती है।
    • ऊतकों में PCO2 (45 mmHg) ऑक्सीजनित रक्त में PCO2 (40 mmHg) से अधिक होता है, इसलिए CO2 ऊतकों से रक्त में विसरित होती है।

स. विसरण झिल्ली:
यह तीन प्रमुख परतों से बनी होती है:

  1. कूपिका की शल्की उपकला (squamous epithelium)।
  2. कूपिका उपकला की आधार झिल्ली।
  3. रक्त केशिका की अंतःकला (endothelium)।
    इनकी कुल मोटाई 1 mm से बहुत कम होती है, जो गैसों के त्वरित विसरण को सुगम बनाती है।

7. गैसों का परिवहन

अ. ऑक्सीजन का परिवहन:

  • हीमोग्लोबिन द्वारा (लगभग 97%): रक्त में लाल रक्त कोशिकाओं (RBCs) में मौजूद हीमोग्लोबिन (Hb) ऑक्सीजन के साथ मिलकर ऑक्सीहीमोग्लोबिन (Oxyhaemoglobin) बनाता है। हीमोग्लोबिन के एक अणु में चार Fe2+ आयन होते हैं, इसलिए यह O2 के चार अणुओं को बांध सकता है।
  • प्लाज्मा में घुलित अवस्था में (लगभग 3%): ऑक्सीजन प्लाज्मा में घुलित अवस्था में भी परिवहन करती है।
  • ऑक्सीजन वियोजन वक्र (Oxygen Dissociation Curve): यह हीमोग्लोबिन की ऑक्सीजन संतृप्ति और PO2 के बीच का ग्राफ है, जो 'S' आकार का (सिग्मॉइड) होता है।
    • दाएँ खिसकना (Right shift): उच्च PCO2, उच्च H+ सांद्रता (कम pH), उच्च तापमान, और 2,3-बिसफॉस्फोग्लिसरेट (BPG) की उपस्थिति हीमोग्लोबिन की ऑक्सीजन के प्रति बंधुता को कम करती है, जिससे वक्र दाएँ खिसकता है और ऊतकों में O2 का मोचन आसान हो जाता है (बोहर प्रभाव)।
    • बाएँ खिसकना (Left shift): निम्न PCO2, निम्न H+ सांद्रता (उच्च pH), निम्न तापमान, हीमोग्लोबिन की ऑक्सीजन के प्रति बंधुता को बढ़ाता है, जिससे वक्र बाएँ खिसकता है और फेफड़ों में O2 का बंधन आसान हो जाता है।

ब. कार्बन डाइऑक्साइड का परिवहन:

  • बाईकार्बोनेट आयनों के रूप में (लगभग 70%): CO2 RBCs में प्रवेश करती है, जहाँ कार्बोनिक एनहाइड्रेज़ एंजाइम की उपस्थिति में पानी के साथ मिलकर कार्बोनिक एसिड (H2CO3) बनाती है। यह तुरंत H+ और HCO3- (बाईकार्बोनेट आयन) में टूट जाता है। HCO3- प्लाज्मा में चला जाता है, और संतुलन बनाए रखने के लिए क्लोराइड आयन (Cl-) RBCs में प्रवेश करते हैं (क्लोराइड शिफ्ट या हैम्बर्गर प्रभाव)।
  • कार्बामिनोहीमोग्लोबिन के रूप में (लगभग 20-25%): CO2 हीमोग्लोबिन के अमीनो समूहों से जुड़कर कार्बामिनोहीमोग्लोबिन बनाती है।
  • प्लाज्मा में घुलित अवस्था में (लगभग 7%): CO2 प्लाज्मा में घुलित अवस्था में भी परिवहन करती है।
  • हाल्डेन प्रभाव (Haldane effect): ऑक्सीजनित रक्त में CO2 को बांधने की क्षमता कम होती है, जबकि विऑक्सीजनित रक्त में CO2 को बांधने की क्षमता अधिक होती है। यह प्रभाव CO2 के परिवहन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

8. श्वसन का नियमन

मानव में श्वसन की लय को तंत्रिका तंत्र द्वारा नियंत्रित किया जाता है।

  • श्वसन लय केंद्र (Respiratory Rhythm Centre): यह मेडुला ऑब्लोंगेटा में स्थित होता है और श्वसन की प्राथमिक लय को नियंत्रित करता है।
  • न्यूमोटैक्सिक केंद्र (Pneumotaxic Centre): यह पॉन्स में स्थित होता है और श्वसन लय केंद्र के कार्यों को संशोधित करता है। यह निःश्वसन की अवधि को कम करके श्वसन दर को नियंत्रित कर सकता है।
  • रसायन संवेदी क्षेत्र (Chemosensitive Area): यह श्वसन लय केंद्र के पास मेडुला में स्थित होता है। यह CO2 और H+ आयनों की सांद्रता के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होता है। CO2 और H+ की वृद्धि श्वसन लय केंद्र को उत्तेजित करती है, जिससे श्वसन दर और गहराई बढ़ जाती है ताकि इन पदार्थों को बाहर निकाला जा सके।
  • महाधमनी चाप और कैरोटिड धमनी में रिसेप्टर: ये भी CO2 और H+ आयनों की सांद्रता में परिवर्तन को पहचानते हैं और श्वसन लय केंद्र को आवश्यक संकेत भेजते हैं।

9. श्वसन संबंधी विकार

  • अस्थमा (दमा): श्वसनिकाओं की सूजन और ऐंठन के कारण साँस लेने में कठिनाई होती है, जिससे घरघराहट की आवाज आती है। यह अक्सर एलर्जी के कारण होता है।
  • वातस्फीति (Emphysema): इसमें कूपिका की दीवारें क्षतिग्रस्त हो जाती हैं, जिससे गैसीय विनिमय के लिए सतह क्षेत्र कम हो जाता है। इसका मुख्य कारण सिगरेट पीना है।
  • व्यावसायिक श्वसन संबंधी विकार (Occupational Respiratory Disorders): कुछ उद्योगों में (जैसे पत्थर तोड़ने या पीसने वाले उद्योग) धूल के कणों के लगातार संपर्क में रहने से फेफड़ों में फाइब्रोसिस (रेशेदार ऊतक का प्रसार) हो जाता है। इससे बचाव के लिए मास्क पहनना आवश्यक है। उदाहरण: सिलिकोसिस, एस्बेस्टोसिस।

बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs)

निर्देश: सही विकल्प का चयन करें।

  1. मानव श्वसन तंत्र में, वायु मार्ग का सही क्रम क्या है?
    अ) नासाछिद्र → ग्रसनी → कंठ → श्वास नली → श्वसनी → श्वसनिकाएँ → कूपिकाएँ
    ब) नासाछिद्र → कंठ → ग्रसनी → श्वास नली → श्वसनी → श्वसनिकाएँ → कूपिकाएँ
    स) नासाछिद्र → ग्रसनी → श्वास नली → कंठ → श्वसनी → श्वसनिकाएँ → कूपिकाएँ
    द) नासाछिद्र → कंठ → श्वास नली → ग्रसनी → श्वसनी → श्वसनिकाएँ → कूपिकाएँ

  2. सामान्य निःश्वसन के दौरान, डायाफ्राम और बाह्य इंटरकोस्टल पेशियों में क्या परिवर्तन होता है?
    अ) डायाफ्राम शिथिल होता है, बाह्य इंटरकोस्टल पेशियाँ संकुचित होती हैं।
    ब) डायाफ्राम संकुचित होता है, बाह्य इंटरकोस्टल पेशियाँ शिथिल होती हैं।
    स) डायाफ्राम और बाह्य इंटरकोस्टल पेशियाँ दोनों संकुचित होती हैं।
    द) डायाफ्राम और बाह्य इंटरकोस्टल पेशियाँ दोनों शिथिल होती हैं।

  3. ऑक्सीजन वियोजन वक्र का आकार कैसा होता है?
    अ) U-आकार का
    ब) J-आकार का
    स) S-आकार का (सिग्मॉइड)
    द) सीधी रेखा

  4. CO2 का रक्त द्वारा परिवहन मुख्य रूप से किस रूप में होता है?
    अ) कार्बामिनोहीमोग्लोबिन के रूप में
    ब) प्लाज्मा में घुलित अवस्था में
    स) बाईकार्बोनेट आयनों के रूप में
    द) कार्बोनिक एसिड के रूप में

  5. निम्न में से कौन सा कारक हीमोग्लोबिन की ऑक्सीजन के प्रति बंधुता को कम करता है और ऑक्सीजन वियोजन वक्र को दाएँ खिसकाता है?
    अ) उच्च PO2
    ब) निम्न PCO2
    स) उच्च H+ सांद्रता (कम pH)
    द) निम्न तापमान

  6. वह श्वसन क्षमता जो बलपूर्वक उच्च्श्वसन के बाद भी फेफड़ों में बची हुई हवा की मात्रा को दर्शाती है, क्या कहलाती है?
    अ) ज्वारीय आयतन (TV)
    ब) अवशिष्ट आयतन (RV)
    स) जैविक क्षमता (VC)
    द) क्रियाशील अवशिष्ट क्षमता (FRC)

  7. वातस्फीति (Emphysema) का मुख्य कारण क्या है?
    अ) एलर्जी
    ब) जीवाणु संक्रमण
    स) सिगरेट पीना
    द) अत्यधिक व्यायाम

  8. श्वसन लय केंद्र मानव मस्तिष्क के किस भाग में स्थित होता है?
    अ) प्रमस्तिष्क (Cerebrum)
    ब) अनुमस्तिष्क (Cerebellum)
    स) मेडुला ऑब्लोंगेटा
    द) पॉन्स

  9. कूपिका में ऑक्सीजन का आंशिक दाब (PO2) कितना होता है?
    अ) 40 mmHg
    ब) 45 mmHg
    स) 95 mmHg
    द) 104 mmHg

  10. क्लोराइड शिफ्ट (Hamburger effect) का संबंध किससे है?
    अ) ऑक्सीजन के परिवहन से
    ब) कार्बन डाइऑक्साइड के परिवहन से
    स) नाइट्रोजन के परिवहन से
    द) जल के अवशोषण से


उत्तर कुंजी:

मुझे आशा है कि ये विस्तृत नोट्स और प्रश्न आपकी तैयारी में अत्यंत सहायक होंगे। शुभकामनाएँ!

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