Class 11 Biology Notes Chapter 18 (Chapter 18) – Examplar Problems (Hindi) Book

प्रिय विद्यार्थियों,
आज हम आपके जीव विज्ञान के अध्याय 18 'शरीर द्रव तथा परिसंचरण' का विस्तृत अध्ययन करेंगे, जो आपकी सरकारी परीक्षाओं की तैयारी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस अध्याय में हम शरीर के विभिन्न द्रवों, विशेषकर रक्त और लसीका, और उनके परिसंचरण तंत्र की कार्यप्रणाली को गहराई से समझेंगे।
अध्याय 18: शरीर द्रव तथा परिसंचरण
विस्तृत नोट्स
1. परिचय
हमारे शरीर की सभी कोशिकाओं को जीवित रहने और कार्य करने के लिए पोषक तत्वों, ऑक्सीजन और अन्य आवश्यक पदार्थों की निरंतर आपूर्ति की आवश्यकता होती है। साथ ही, उपापचयी क्रियाओं से उत्पन्न अपशिष्ट उत्पादों को शरीर से बाहर निकालना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। इस कार्य को शरीर के विशेष द्रव, जैसे रक्त और लसीका, तथा परिसंचरण तंत्र द्वारा संपन्न किया जाता है।
2. रक्त (Blood)
रक्त एक विशेष संयोजी ऊतक है जिसमें द्रव आधात्री (मैट्रिक्स) प्लाज्मा और संगठित पदार्थ (रक्त कोशिकाएँ) होते हैं। यह शरीर के कुल भार का लगभग 7-8% होता है।
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2.1 प्लाज्मा (Plasma):
- यह रक्त का लगभग 55% भाग बनाता है।
- यह हल्के पीले रंग का, गाढ़ा द्रव है।
- इसमें लगभग 90-92% जल होता है।
- इसमें 6-8% प्रोटीन (जैसे फाइब्रिनोजन, ग्लोब्युलिन, एल्ब्यूमिन) होते हैं।
- फाइब्रिनोजन: रक्त का थक्का बनाने में सहायक।
- ग्लोब्युलिन: शरीर की प्रतिरक्षा (एंटीबॉडी) में सहायक।
- एल्ब्यूमिन: परासरणी संतुलन (Osmotic balance) बनाए रखता है।
- प्लाज्मा में ग्लूकोज, अमीनो अम्ल, लिपिड, कोलेस्ट्रॉल, खनिज आयन (Na+, Ca2+, Mg2+, HCO3-, Cl-), यूरिया आदि भी होते हैं।
- सीरम (Serum): जब प्लाज्मा से स्कंदन कारक (फाइब्रिनोजन) को हटा दिया जाता है, तो शेष द्रव को सीरम कहते हैं।
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2.2 संगठित पदार्थ (Formed Elements):
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ये रक्त का लगभग 45% भाग बनाते हैं और इसमें लाल रक्त कोशिकाएँ (RBCs), श्वेत रक्त कोशिकाएँ (WBCs) और प्लेटलेट्स शामिल हैं।
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2.2.1 लाल रक्त कोशिकाएँ (Erythrocytes/RBCs):
- ये सबसे प्रचुर मात्रा में पाई जाने वाली कोशिकाएँ हैं (स्वस्थ वयस्क में 5-5.5 मिलियन/mm³)।
- ये उभयावतल (biconcave) होती हैं और इनमें केंद्रक नहीं होता (स्तनधारियों में)।
- इनका रंग लाल होता है क्योंकि इनमें लौह-युक्त जटिल प्रोटीन हीमोग्लोबिन (Hb) होता है।
- एक स्वस्थ वयस्क में प्रति 100 ml रक्त में 12-16 ग्राम हीमोग्लोबिन होता है।
- हीमोग्लोबिन ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड के परिवहन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- इनका निर्माण लाल अस्थि मज्जा (red bone marrow) में होता है (वयस्कों में)।
- इनका औसत जीवनकाल 120 दिन होता है।
- पुरानी RBCs प्लीहा (spleen) में नष्ट हो जाती हैं, इसलिए प्लीहा को RBCs का कब्रिस्तान कहा जाता है।
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2.2.2 श्वेत रक्त कोशिकाएँ (Leukocytes/WBCs):
- ये रंगहीन होती हैं क्योंकि इनमें हीमोग्लोबिन नहीं होता।
- ये केंद्रक-युक्त होती हैं।
- इनकी संख्या RBCs की तुलना में कम होती है (6000-8000/mm³)।
- ये शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली का हिस्सा हैं।
- इन्हें दो मुख्य श्रेणियों में बांटा गया है:
- कणिकामय (Granulocytes): इनके कोशिकाद्रव्य में कणिकाएँ होती हैं।
- न्यूट्रोफिल्स (Neutrophils): सबसे प्रचुर (60-65%), भक्षक कोशिकाएँ (Phagocytic), संक्रमण से लड़ती हैं।
- इओसिनोफिल्स (Eosinophils): 2-3%, एलर्जी प्रतिक्रियाओं और परजीवी संक्रमणों में शामिल।
- बेसोफिल्स (Basophils): सबसे कम (0.5-1%), हिस्टामिन, सेरोटोनिन, हेपरिन स्रावित करती हैं, जो सूजन प्रतिक्रियाओं में शामिल हैं।
- अकणिकामय (Agranulocytes): इनके कोशिकाद्रव्य में कणिकाएँ नहीं होती हैं।
- लिम्फोसाइट्स (Lymphocytes): 20-25%, दो मुख्य प्रकार (B और T लिम्फोसाइट्स), शरीर की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया के लिए जिम्मेदार।
- मोनोसाइट्स (Monocytes): 6-8%, भक्षक कोशिकाएँ, मैक्रोफेज में विकसित होती हैं।
- कणिकामय (Granulocytes): इनके कोशिकाद्रव्य में कणिकाएँ होती हैं।
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2.2.3 प्लेटलेट्स (Thrombocytes):
- ये अस्थि मज्जा में मेगाकैरियोसाइट्स (विशेष कोशिकाओं) के खंडन से उत्पन्न होती हैं।
- इनकी संख्या 1.5-3.5 लाख/mm³ होती है।
- ये रक्त स्कंदन (blood coagulation) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
- इनकी संख्या में कमी से रक्त का थक्का जमने में देरी होती है, जिससे अत्यधिक रक्तस्राव हो सकता है।
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3. रक्त समूह (Blood Groups)
रक्त समूहों का निर्धारण RBCs की सतह पर मौजूद एंटीजन (प्रतिजन) की उपस्थिति या अनुपस्थिति से होता है।
- 3.1 ABO रक्त समूह:
- यह सबसे व्यापक रूप से उपयोग किया जाने वाला रक्त समूह है।
- यह RBCs पर दो एंटीजन (A और B) और प्लाज्मा में दो एंटीबॉडी (एंटी-A और एंटी-B) पर आधारित है।
- रक्त आधान (Blood Transfusion): दाता और प्राप्तकर्ता के रक्त का मिलान करना आवश्यक है ताकि एंटीजन-एंटीबॉडी प्रतिक्रिया से रक्त का थक्का (clumping) न बने।
- सार्वभौमिक दाता (Universal Donor): O रक्त समूह (कोई एंटीजन नहीं)।
- सार्वभौमिक प्राप्तकर्ता (Universal Recipient): AB रक्त समूह (कोई एंटीबॉडी नहीं)।
| रक्त समूह | RBCs पर एंटीजन | प्लाज्मा में एंटीबॉडी | दाता समूह |
|---|---|---|---|
| A | A | एंटी-B | A, O |
| B | B | एंटी-A | B, O |
| AB | A, B | कोई नहीं | AB, A, B, O |
| O | कोई नहीं | एंटी-A, एंटी-B | O |
- 3.2 Rh रक्त समूह:
- Rh एंटीजन (Rh फैक्टर) एक और एंटीजन है जो RBCs की सतह पर मौजूद हो सकता है।
- जिन व्यक्तियों में Rh एंटीजन होता है वे Rh+ (Rh पॉजिटिव) होते हैं, और जिनमें नहीं होता वे Rh- (Rh नेगेटिव) होते हैं।
- Rh असंगति (Rh Incompatibility): यह तब होता है जब Rh- महिला Rh+ भ्रूण को जन्म देती है। पहली गर्भावस्था आमतौर पर सुरक्षित होती है, लेकिन दूसरी गर्भावस्था में Rh- माँ के रक्त में Rh+ एंटीबॉडी विकसित हो जाते हैं, जो भ्रूण की RBCs को नष्ट कर सकते हैं। इसे एरिथ्रोब्लास्टोसिस फीटेलिस (Erythroblastosis fetalis) कहते हैं। इसे रोकने के लिए माँ को पहली डिलीवरी के तुरंत बाद एंटी-Rh एंटीबॉडी (रोगाम) का इंजेक्शन दिया जाता है।
4. रक्त का थक्का जमना (Blood Coagulation/Clotting)
यह चोट लगने पर रक्त के अत्यधिक बहाव को रोकने की एक रक्षात्मक प्रक्रिया है।
- चोट लगने पर, क्षतिग्रस्त ऊतक और प्लेटलेट्स थ्रोम्बोकाइनेज नामक एंजाइम छोड़ते हैं।
- थ्रोम्बोकाइनेज प्रोथ्रोम्बिन (प्लाज्मा में निष्क्रिय प्रोटीन) को थ्रोम्बिन (सक्रिय एंजाइम) में बदलता है। इस प्रक्रिया के लिए कैल्शियम आयन (Ca2+) आवश्यक हैं।
- थ्रोम्बिन फाइब्रिनोजन (प्लाज्मा में घुलनशील प्रोटीन) को फाइब्रिन (अघुलनशील तंतु) में बदलता है।
- फाइब्रिन के तंतु एक जाल बनाते हैं जिसमें रक्त कोशिकाएँ फंस जाती हैं, जिससे थक्का बन जाता है।
5. लसीका (Lymph)
लसीका एक रंगहीन द्रव है जिसमें प्लाज्मा के समान संघटक होते हैं, लेकिन प्रोटीन की मात्रा कम होती है।
- यह रक्त केशिकाओं से बाहर निकलने वाले ऊतक द्रव (tissue fluid) से बनता है।
- इसमें विशेष लिम्फोसाइट्स होते हैं जो प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया के लिए जिम्मेदार होते हैं।
- कार्य:
- ऊतक कोशिकाओं और रक्त के बीच पोषक तत्वों, ऑक्सीजन और अपशिष्ट पदार्थों का आदान-प्रदान।
- वसा का अवशोषण (छोटी आंत में लेक्टियल्स द्वारा)।
- संक्रमण से लड़ना (लिम्फोसाइट्स द्वारा)।
- अतिरिक्त ऊतक द्रव को वापस रक्त में ले जाना।
- लसीका तंत्र (Lymphatic System): लसीका वाहिकाएँ, लसीका ग्रंथियाँ (lymph nodes), प्लीहा, टॉन्सिल आदि शामिल हैं।
6. परिसंचरण मार्ग (Circulatory Pathways)
- खुला परिसंचरण तंत्र (Open Circulatory System):
- रक्त हृदय से बाहर निकलकर सीधे कोशिकाओं और ऊतकों के संपर्क में आता है।
- रक्त वाहिकाएँ अनुपस्थित या कम विकसित होती हैं।
- उदाहरण: आर्थ्रोपोडा (कीट), मोलस्का।
- बंद परिसंचरण तंत्र (Closed Circulatory System):
- रक्त हमेशा रक्त वाहिकाओं के एक नेटवर्क के भीतर ही परिसंचरण करता है।
- रक्त और कोशिकाओं के बीच पदार्थों का आदान-प्रदान केशिकाओं के माध्यम से होता है।
- उदाहरण: एनेलिडा (केंचुआ), कशेरुकी।
7. मानव परिसंचरण तंत्र (Human Circulatory System)
मानव में एक बंद परिसंचरण तंत्र होता है जिसमें एक पेशीय हृदय, रक्त वाहिकाएँ और रक्त शामिल हैं।
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7.1 हृदय (Heart):
- यह एक मुट्ठी के आकार का, पेशीय अंग है जो फेफड़ों के बीच, वक्ष गुहा में थोड़ा बाईं ओर स्थित होता है।
- यह दोहरी दीवार वाली पेरिकार्डियम (हृदयावरण) द्वारा घिरा होता है, जिसके बीच पेरिकार्डियल द्रव होता है जो घर्षण को कम करता है।
- संरचना:
- इसमें चार कक्ष होते हैं: दो ऊपरी पतली दीवार वाले आलिंद (atria) और दो निचले मोटी दीवार वाले निलय (ventricles)।
- एक अंतर-आलिंदी पट (inter-atrial septum) दोनों आलिंदों को अलग करता है, और एक अंतर-निलयी पट (inter-ventricular septum) दोनों निलयों को अलग करता है।
- दायाँ आलिंद और दायाँ निलय एक ट्राइकस्पिड कपाट (tricuspid valve) द्वारा अलग होते हैं।
- बायाँ आलिंद और बायाँ निलय एक बाइकस्पिड कपाट (bicuspid valve) या मिट्रल कपाट (mitral valve) द्वारा अलग होते हैं।
- महाधमनी (aorta) और फुफ्फुसीय धमनी (pulmonary artery) के निकास द्वार पर अर्धचंद्राकार कपाट (semilunar valves) होते हैं। ये कपाट रक्त के पश्च प्रवाह को रोकते हैं।
- रक्त प्रवाह:
- दायाँ आलिंद शरीर से ऑक्सीजन रहित रक्त प्राप्त करता है (सुपीरियर और इन्फीरियर वेना कावा से)।
- दायाँ निलय ऑक्सीजन रहित रक्त को फुफ्फुसीय धमनी के माध्यम से फेफड़ों में पंप करता है।
- बायाँ आलिंद फेफड़ों से ऑक्सीजन युक्त रक्त प्राप्त करता है (फुफ्फुसीय शिराओं से)।
- बायाँ निलय ऑक्सीजन युक्त रक्त को महाधमनी के माध्यम से पूरे शरीर में पंप करता है।
- हृदय चक्र (Cardiac Cycle):
- हृदय के एक धड़कन में होने वाली घटनाओं का क्रम।
- इसमें आलिंद और निलय का सिस्टोल (संकुचन) और डायस्टोल (विश्राम) शामिल है।
- एक हृदय चक्र की अवधि लगभग 0.8 सेकंड होती है।
- हृदय निकास (Cardiac Output): प्रति मिनट प्रत्येक निलय द्वारा पंप किए गए रक्त की मात्रा (लगभग 5 लीटर)।
- हृदय की ध्वनि (Heart Sounds):
- 'लव' (Lub): ट्राइकस्पिड और बाइकस्पिड कपाटों के बंद होने से उत्पन्न होती है (सिस्टोल की शुरुआत में)।
- 'डब' (Dub): अर्धचंद्राकार कपाटों के बंद होने से उत्पन्न होती है (डायस्टोल की शुरुआत में)।
- स्वयं उत्तेजक हृदय (Auto-excitable Heart):
- मानव हृदय मायोजेनिक (myogenic) है, जिसका अर्थ है कि यह अपनी धड़कन स्वयं उत्पन्न करता है।
- SA नोड (Sino-atrial node): हृदय का 'पेसमेकर' कहलाता है। यह दाहिने आलिंद में स्थित होता है और हृदय की धड़कन उत्पन्न करता है।
- AV नोड (Atrio-ventricular node): दाहिने आलिंद और निलय के जंक्शन पर स्थित होता है।
- हिज का बंडल (Bundle of His): AV नोड से निकलकर अंतर-निलयी पट में फैलता है।
- पुर्किंजे तंतु (Purkinje fibres): हिज के बंडल से निकलकर निलय की दीवारों में फैलते हैं, जिससे निलय का संकुचन होता है।
- विद्युतहृद्लेखी (Electrocardiograph/ECG):
- यह हृदय की विद्युत गतिविधि का ग्राफिक रिकॉर्ड है।
- P तरंग: आलिंदों के विध्रुवण (depolarization) को दर्शाती है (आलिंद संकुचन)।
- QRS कॉम्प्लेक्स: निलयों के विध्रुवण (depolarization) को दर्शाता है (निलय संकुचन)।
- T तरंग: निलयों के पुनर्ध्रुवण (repolarization) को दर्शाती है (निलय विश्राम)।
- ECG हृदय की असामान्यताओं का पता लगाने में मदद करता है।
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7.2 रक्त वाहिकाएँ (Blood Vessels):
- धमनियाँ (Arteries): हृदय से ऑक्सीजन युक्त रक्त को शरीर के विभिन्न भागों तक ले जाती हैं (फुफ्फुसीय धमनी को छोड़कर, जो ऑक्सीजन रहित रक्त ले जाती है)। इनकी दीवारें मोटी और लचीली होती हैं।
- शिराएँ (Veins): शरीर के विभिन्न भागों से ऑक्सीजन रहित रक्त को हृदय तक ले जाती हैं (फुफ्फुसीय शिरा को छोड़कर, जो ऑक्सीजन युक्त रक्त ले जाती है)। इनकी दीवारें पतली होती हैं और इनमें रक्त के पश्च प्रवाह को रोकने के लिए कपाट होते हैं।
- केशिकाएँ (Capillaries): धमनियाँ और शिराएँ छोटी-छोटी वाहिकाओं में विभाजित होकर केशिकाएँ बनाती हैं। ये एक कोशिका मोटी होती हैं और रक्त तथा ऊतकों के बीच पदार्थों के आदान-प्रदान का स्थल हैं।
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7.3 दोहरा परिसंचरण (Double Circulation):
- मानव में रक्त हृदय से होकर दो बार गुजरता है, इसलिए इसे दोहरा परिसंचरण कहते हैं।
- फुफ्फुसीय परिसंचरण (Pulmonary Circulation):
- दाएँ निलय से ऑक्सीजन रहित रक्त फुफ्फुसीय धमनी द्वारा फेफड़ों में जाता है।
- फेफड़ों में रक्त ऑक्सीजन युक्त होता है और फुफ्फुसीय शिरा द्वारा बाएँ आलिंद में वापस आता है।
- दैहिक परिसंचरण (Systemic Circulation):
- बाएँ निलय से ऑक्सीजन युक्त रक्त महाधमनी द्वारा शरीर के सभी भागों में पंप किया जाता है।
- शरीर के ऊतकों में ऑक्सीजन का उपयोग होता है और कार्बन डाइऑक्साइड रक्त में मिल जाती है।
- ऑक्सीजन रहित रक्त महाशिराओं द्वारा दाएँ आलिंद में वापस आता है।
- महत्व: यह ऑक्सीजन युक्त और ऑक्सीजन रहित रक्त को मिलने से रोकता है, जिससे शरीर को उच्च दक्षता के साथ ऑक्सीजन की आपूर्ति होती है।
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7.4 पोर्टल परिसंचरण (Portal Circulation):
- यह एक विशेष प्रकार का परिसंचरण है जहाँ एक अंग से शिराएँ सीधे हृदय में जाने के बजाय दूसरे अंग में जाती हैं।
- यकृत निवाहिका तंत्र (Hepatic Portal System): यह आंतों से रक्त को सीधे यकृत में ले जाता है ताकि पोषक तत्वों और विषाक्त पदार्थों को संसाधित किया जा सके, इससे पहले कि रक्त सामान्य परिसंचरण में प्रवेश करे।
8. परिसंचरण का नियमन (Regulation of Circulatory System)
- तंत्रिका नियमन (Neural Regulation): मेडुला ऑब्लोंगेटा में एक कार्डियक सेंटर होता है जो स्वायत्त तंत्रिका तंत्र (ANS) के माध्यम से हृदय की गतिविधि को नियंत्रित करता है।
- अनुकंपी तंत्रिकाएँ (Sympathetic nerves): हृदय गति और संकुचन शक्ति को बढ़ाती हैं।
- परानुकंपी तंत्रिकाएँ (Parasympathetic nerves): हृदय गति और संकुचन शक्ति को कम करती हैं।
- हार्मोनल नियमन (Hormonal Regulation): एड्रिनलीन और नॉरएड्रिनलीन जैसे हार्मोन हृदय गति को बढ़ा सकते हैं।
9. परिसंचरण तंत्र के विकार (Disorders of Circulatory System)
- उच्च रक्तचाप (Hypertension): सामान्य रक्तचाप 120/80 mmHg होता है। यदि यह 140/90 mmHg या इससे अधिक लगातार बना रहता है, तो इसे उच्च रक्तचाप कहते हैं। यह हृदय रोग और अन्य जटिलताओं का कारण बन सकता है।
- कोरोनरी धमनी रोग (Coronary Artery Disease/CAD): इसे एथेरोस्क्लेरोसिस भी कहते हैं। इसमें हृदय की मांसपेशियों को रक्त की आपूर्ति करने वाली कोरोनरी धमनियों में वसा, कोलेस्ट्रॉल और रेशेदार ऊतक जमा हो जाते हैं, जिससे धमनियों की लुमेन संकरी हो जाती है।
- एनजाइना पेक्टोरिस (Angina Pectoris): यह सीने में दर्द है जो तब होता है जब हृदय की मांसपेशियों को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलती। यह CAD का एक लक्षण हो सकता है।
- हृदय पात (Heart Failure): यह वह स्थिति है जब हृदय शरीर की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त रक्त पंप नहीं कर पाता। इसे कभी-कभी 'कंजेस्टिव हार्ट फेलियर' भी कहते हैं क्योंकि फेफड़ों में रक्त का जमाव हो सकता है।
- हृदय गति रुकना (Cardiac Arrest): जब हृदय धड़कना बंद कर देता है।
- हृदय आघात (Heart Attack): जब हृदय की मांसपेशियों का एक हिस्सा रक्त आपूर्ति की कमी के कारण मर जाता है (मायोकार्डियल इन्फ्रक्शन)।
बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs)
1. मानव शरीर में रक्त के थक्के के निर्माण के लिए निम्नलिखित में से कौन सा आयन आवश्यक है?
a) सोडियम आयन
b) पोटेशियम आयन
c) कैल्शियम आयन
d) मैग्नीशियम आयन
2. 'लव' ध्वनि हृदय चक्र के दौरान किस घटना से संबंधित है?
a) अर्धचंद्राकार कपाटों का बंद होना
b) ट्राइकस्पिड और बाइकस्पिड कपाटों का बंद होना
c) निलयों का संकुचन
d) आलिंदों का संकुचन
3. निम्नलिखित में से कौन सा रक्त समूह सार्वभौमिक प्राप्तकर्ता (universal recipient) है?
a) A+
b) B-
c) AB+
d) O-
4. एरिथ्रोब्लास्टोसिस फीटेलिस की स्थिति में, Rh- माँ के लिए कौन सा उपचार सुझाया जाता है ताकि अगली Rh+ गर्भावस्था में जटिलताओं को रोका जा सके?
a) विटामिन K का इंजेक्शन
b) Rh एंटीबॉडी (रोगाम) का इंजेक्शन
c) आयरन सप्लीमेंट्स
d) रक्त आधान
5. हृदय का 'पेसमेकर' किसे कहा जाता है?
a) AV नोड
b) हिज का बंडल
c) पुर्किंजे तंतु
d) SA नोड
6. मानव हृदय में ऑक्सीजन रहित रक्त किस कक्ष में प्राप्त होता है?
a) बायाँ आलिंद
b) दायाँ आलिंद
c) बायाँ निलय
d) दायाँ निलय
7. रक्त प्लाज्मा में उपस्थित प्रोटीन जो रक्त स्कंदन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, वह है:
a) एल्ब्यूमिन
b) ग्लोब्युलिन
c) फाइब्रिनोजन
d) हीमोग्लोबिन
8. ECG में QRS कॉम्प्लेक्स क्या दर्शाता है?
a) आलिंदों का विध्रुवण
b) निलयों का विध्रुवण
c) निलयों का पुनर्ध्रुवण
d) आलिंदों का पुनर्ध्रुवण
9. लसीका के बारे में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही नहीं है?
a) इसमें रक्त प्लाज्मा की तुलना में कम प्रोटीन होते हैं।
b) यह वसा के अवशोषण में मदद करता है।
c) इसमें लाल रक्त कोशिकाएँ प्रचुर मात्रा में होती हैं।
d) इसमें लिम्फोसाइट्स होते हैं जो प्रतिरक्षा में सहायक होते हैं।
10. कोरोनरी धमनी रोग (CAD) का मुख्य कारण क्या है?
a) हृदय की मांसपेशियों का कमजोर होना
b) हृदय वाल्वों में खराबी
c) कोरोनरी धमनियों में वसा और कोलेस्ट्रॉल का जमाव
d) हृदय गति का अनियमित होना
उत्तर कुंजी (MCQs):
- c) कैल्शियम आयन
- b) ट्राइकस्पिड और बाइकस्पिड कपाटों का बंद होना
- c) AB+
- b) Rh एंटीबॉडी (रोगाम) का इंजेक्शन
- d) SA नोड
- b) दायाँ आलिंद
- c) फाइब्रिनोजन
- b) निलयों का विध्रुवण
- c) इसमें लाल रक्त कोशिकाएँ प्रचुर मात्रा में होती हैं। (लसीका में RBCs नहीं होती हैं)
- c) कोरोनरी धमनियों में वसा और कोलेस्ट्रॉल का जमाव
मुझे आशा है कि ये विस्तृत नोट्स और बहुविकल्पीय प्रश्न आपको इस अध्याय को समझने और सरकारी परीक्षाओं की तैयारी में मदद करेंगे। अपनी पढ़ाई जारी रखें और किसी भी संदेह के लिए पूछने में संकोच न करें।