Class 11 Biology Notes Chapter 2 (Chapter 2) – Examplar Problems (Hindi) Book

चलिए, आज हम कक्षा 11 जीव विज्ञान के अध्याय 2, 'जीव जगत का वर्गीकरण' के महत्वपूर्ण बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे जो आपकी सरकारी परीक्षाओं की तैयारी में सहायक होंगे।
अध्याय 2: जीव जगत का वर्गीकरण (Biological Classification)
वर्गीकरण की आवश्यकता:
पृथ्वी पर लाखों प्रकार के जीव पाए जाते हैं। इनका अलग-अलग अध्ययन करना असंभव है। इसलिए, जीवों को उनकी समानताओं और असमानताओं के आधार पर विभिन्न समूहों में व्यवस्थित करने की प्रक्रिया को वर्गीकरण कहते हैं। इससे जीवों की पहचान, अध्ययन और उनके बीच संबंध स्थापित करने में सुविधा होती है।
वर्गीकरण प्रणालियों का इतिहास:
- अरस्तू का वर्गीकरण: सबसे पहले वैज्ञानिक आधार पर वर्गीकरण का प्रयास अरस्तू ने किया। उन्होंने पादपों को आकारिकी के आधार पर शाक, झाड़ी और वृक्ष में तथा प्राणियों को लाल रक्त की उपस्थिति या अनुपस्थिति के आधार पर वर्गीकृत किया। यह प्रणाली सरल थी लेकिन इसमें कई कमियाँ थीं।
- लिनियस की द्विजगत प्रणाली (Two Kingdom System): कैरोलस लिनियस ने सभी जीवों को दो जगतों - प्लांटी (पादप) और एनिमेलिया (प्राणी) में विभाजित किया।
- कमियाँ: इस प्रणाली में प्रोकैरियोटिक (जैसे जीवाणु) और यूकैरियोटिक (जैसे कवक, शैवाल), एककोशिकीय और बहुकोशिकीय, तथा प्रकाशसंश्लेषी (हरे शैवाल) और अप्रकाशसंश्लेषी (कवक) जीवों के बीच अंतर स्पष्ट नहीं किया गया था।
व्हिटेकर की पंच जगत प्रणाली (Five Kingdom Classification):
- आर. एच. व्हिटेकर (R.H. Whittaker) ने 1969 में जीवों को पाँच जगतों में वर्गीकृत करने का प्रस्ताव रखा। यह वर्गीकरण अधिक वैज्ञानिक और मान्य है।
- वर्गीकरण का आधार:
- कोशिका संरचना (प्रोकैरियोटिक या यूकैरियोटिक)
- शारीरिक संगठन (एककोशिकीय या बहुकोशिकीय)
- पोषण की विधि (स्वपोषी या विषमपोषी)
- प्रजनन
- जातिवृत्तीय संबंध (Phylogenetic relationships)
- पाँच जगत:
- मोनेरा (Monera): प्रोकैरियोटिक जीव (जीवाणु)।
- प्रोटिस्टा (Protista): एककोशिकीय यूकैरियोटिक जीव।
- फंजाई (Fungi) / कवक: विषमपोषी यूकैरियोटिक जीव (अधिकांश बहुकोशिकीय, यीस्ट एककोशिकीय)।
- प्लांटी (Plantae): बहुकोशिकीय, स्वपोषी यूकैरियोटिक जीव (पादप)।
- एनिमेलिया (Animalia): बहुकोशिकीय, विषमपोषी यूकैरियोटिक जीव (प्राणी)।
1. जगत मोनेरा (Kingdom Monera):
- सभी प्रोकैरियोटिक जीव इस जगत में आते हैं। जीवाणु इसके मुख्य सदस्य हैं।
- आवास: ये सर्वव्यापी होते हैं - जल, थल, वायु, गर्म झरने, मरुस्थल, बर्फ, गहरे समुद्र, जीवों के शरीर में परजीवी के रूप में।
- आकार: गोलाकार (कोकस), छड़ाकार (बैसिलस), कोमा-आकार (विब्रियम), सर्पिलाकार (स्पाइरिलम)।
- संरचना: कोशिका भित्ति (पेप्टिडोग्लाइकन की बनी, माइकोप्लाज्मा में अनुपस्थित), कोशिका झिल्ली, कोशिका द्रव्य, राइबोसोम (70S), नग्न आनुवंशिक पदार्थ (न्यूक्लिऑइड), कशाभिका (यदि गतिशील हो)।
- पोषण: स्वपोषी (प्रकाशसंश्लेषी या रसायनसंश्लेषी) और विषमपोषी (परजीवी या मृतोपजीवी)।
- प्रकार:
- आद्य बैक्टीरिया (Archaebacteria): अत्यंत कठिन वास स्थानों में पाए जाते हैं।
- लवणरागी (Halophiles): अत्यधिक लवणीय क्षेत्र।
- तापअम्लरागी (Thermoacidophiles): गर्म झरने।
- मेथेनोजन (Methanogens): कच्छ क्षेत्र, जुगाली करने वाले पशुओं की आंत्र में (मीथेन गैस उत्पादन)। इनकी कोशिका भित्ति संरचना भिन्न होती है।
- यू बैक्टीरिया (Eubacteria) / वास्तविक जीवाणु: कठोर कोशिका भित्ति, कशाभिका (यदि गतिशील)। साइनोबैक्टीरिया (नील हरित शैवाल) इसी समूह में आते हैं; इनमें क्लोरोफिल 'a' होता है, ये प्रकाशसंश्लेषी स्वपोषी हैं। कुछ नाइट्रोजन स्थिरीकरण करते हैं (उदा. नॉस्टॉक, एनाबीना - हेटेरोसिस्ट नामक विशेष कोशिका में)। रसायनसंश्लेषी जीवाणु अकार्बनिक पदार्थों (नाइट्राइट, नाइट्रेट, अमोनिया) को ऑक्सीकृत कर ऊर्जा प्राप्त करते हैं। विषमपोषी जीवाणु अपघटक, परजीवी या सहजीवी होते हैं।
- आद्य बैक्टीरिया (Archaebacteria): अत्यंत कठिन वास स्थानों में पाए जाते हैं।
- प्रजनन: मुख्यतः द्विखंडन द्वारा। प्रतिकूल परिस्थितियों में बीजाणु बनाते हैं। लैंगिक जनन आदिम प्रकार का होता है (संयुग्मन, रूपांतरण, पारक्रमण द्वारा DNA का आदान-प्रदान)।
- माइकोप्लाज्मा (Mycoplasma): कोशिका भित्ति रहित, सबसे छोटी जीवित कोशिकाएँ, ऑक्सीजन के बिना जीवित रह सकती हैं, पादपों और जंतुओं में रोगजनक।
2. जगत प्रोटिस्टा (Kingdom Protista):
- सभी एककोशिकीय यूकैरियोटिक जीव।
- मुख्यतः जलीय।
- यह जगत पादप, कवक और प्राणी जगत के बीच कड़ी का काम करता है।
- समूह:
- क्राइसोफाइट (Chrysophytes): डायटम और सुनहरे शैवाल (डेस्मिड)। स्वच्छ और समुद्री जल में। सूक्ष्म प्लवक (Plankton)। डायटम की कोशिका भित्ति सिलिका की बनी होती है, जो दो कवचों (साबुनदानी की तरह) से बनी होती है। मरने पर डायटमी मृदा (Diatomaceous earth) बनाते हैं, जिसका उपयोग पॉलिश करने, तेलों और सिरप के निस्यंदन में होता है। ये समुद्र के मुख्य उत्पादक हैं।
- डाइनोफ्लैजेलेट (Dinoflagellates): मुख्यतः समुद्री, प्रकाशसंश्लेषी। पीले, हरे, भूरे, नीले या लाल रंग के (वर्णक पर निर्भर)। कोशिका भित्ति पर सेल्युलोज की कड़ी पट्टिकाएँ। दो कशाभिका (एक अनुदैर्ध्य, एक अनुप्रस्थ)। लाल डाइनोफ्लैजेलेट (उदा. गोनियोलैक्स) की संख्या में तीव्र वृद्धि से समुद्र लाल दिखता है (लाल तरंग - Red tide), ये जीवविष निकालते हैं।
- यूग्लीनॉइड (Euglenoids): अधिकांश स्वच्छ, स्थिर जल में। कोशिका भित्ति की जगह प्रोटीन युक्त पेलिकल। दो कशाभिका (एक छोटी, एक लंबी)। सूर्य के प्रकाश में प्रकाशसंश्लेषी, प्रकाश न होने पर परपोषी (मिक्सोट्रॉफिक पोषण)। उदा. यूग्लीना।
- अवकंप कवक (Slime Moulds): मृतोपजीवी प्रोटिस्ट। अनुकूल परिस्थितियों में समूह बनाकर प्लाज्मोडियम बनाते हैं, जो कई फीट तक फैल सकता है। प्रतिकूल परिस्थितियों में बीजाणु बनाते हैं, जिनका प्रकीर्णन वायु द्वारा होता है।
- प्रोटोजोआ (Protozoans): परपोषी (परभक्षी या परजीवी)। प्राणियों के पुरातन संबंधी।
- अमीबीय प्रोटोजोआ (Amoeba, Entamoeba): कूटपाद (Pseudopodia) से गति व भोजन ग्रहण। एंटअमीबा परजीवी है।
- कशाभी प्रोटोजोआ (Trypanosoma): कशाभिका उपस्थित। परजीवी, निद्रालु व्याधि (Sleeping sickness) रोग कारक।
- पक्ष्माभी प्रोटोजोआ (Paramoecium): पक्ष्माभ (Cilia) उपस्थित, गति व भोजन ग्रहण में सहायक। कोशिका मुख (Gullet) होता है।
- स्पोरोजोआ (Plasmodium): जीवन चक्र में संक्रमणकारी बीजाणु अवस्था। परजीवी, मलेरिया रोग कारक।
3. जगत फंजाई / कवक (Kingdom Fungi):
- विषमपोषी, यूकैरियोटिक जीव।
- आकारिकी और वास स्थान में विविधता।
- अधिकांश बहुकोशिकीय (यीस्ट एककोशिकीय)।
- शरीर पतले धागे जैसी संरचनाओं (कवक तंतु / Hyphae) से बना होता है; कवक तंतुओं का जाल कवक जाल (Mycelium) कहलाता है। कवक तंतु सतत नलिकाकार (संकोशिकी / Coenocytic) या पटयुक्त (Septate) हो सकते हैं।
- कोशिका भित्ति काइटिन और पॉलिसैकेराइड की बनी होती है।
- पोषण: मृतोपजीवी, परजीवी, सहजीवी (लाइकेन - शैवाल के साथ, माइकोराइजा - उच्च पादपों की जड़ों के साथ)।
- प्रजनन:
- कायिक: खंडन, विखंडन, मुकुलन।
- अलैंगिक: बीजाणु (कोनिडिया, बीजाणुधानी बीजाणु, चलबीजाणु)।
- लैंगिक: ऊस्पोर, एस्कोस्पोर, बेसिडियोस्पोर। लैंगिक चक्र में प्लाज्मोगैमी (जीवद्रव्य संलयन), केंद्रक संलयन (Karyogamy) और युग्मनज में अर्धसूत्री विभाजन होता है। एस्कोमाइसिटीज और बेसिडियोमाइसिटीज में द्विकेंद्रकी अवस्था (n+n) पाई जाती है।
- वर्ग:
- फाइकोमाइसिटीज (Phycomycetes): जलीय आवास, सड़ी-गली लकड़ी, नम स्थानों, पादपों पर अविकल्पी परजीवी। कवकजाल अपटीय व संकोशिकी। अलैंगिक जनन चलबीजाणु (motile) या अचलबीजाणु (aplanospores) द्वारा। लैंगिक जनन समयुग्मकी, असमयुग्मकी या विषमयुग्मकी। उदा. म्यूकर, राइजोपस (ब्रेड मोल्ड), एल्बूगो (सरसों पर परजीवी)।
- एस्कोमाइसिटीज (Ascomycetes) / थैली फंजाई: अधिकांश बहुकोशिकीय (पेनिसिलियम) या दुर्लभ एककोशिकीय (यीस्ट)। मृतोपजीवी, अपघटक, परजीवी या शमलरागी (गोबर पर उगने वाले)। कवकजाल शाखित व पटीय। अलैंगिक बीजाणु: कोनिडिया। लैंगिक बीजाणु: एस्कोस्पोर (थैलीनुमा एस्कस में अंतर्जात रूप से उत्पन्न)। फलनकाय: एस्कोकार्प। उदा. एस्पर्जिलस, क्लेविसेप्स, न्यूरोस्पोरा (जैव रसायन व आनुवंशिक प्रयोगों में उपयोगी), मॉरेल, ट्रफल (खाने योग्य)।
- बेसिडियोमाइसिटीज (Basidiomycetes) / क्लब फंजाई: मिट्टी, लट्ठों, वृक्षों के ठूंठों पर, परजीवी (किट/Rust और कंड/Smut)। कवकजाल पटीय व शाखित। अलैंगिक बीजाणु प्रायः अनुपस्थित। कायिक जनन खंडन द्वारा। लैंगिक जनन दो कायिक कोशिकाओं के संलयन से द्विकेंद्रकी संरचना बनाता है, जिससे बेसिडियम बनता है। बेसिडियम में केंद्रक संलयन व अर्धसूत्री विभाजन से चार बहिर्जात बेसिडियोस्पोर बनते हैं। फलनकाय: बेसिडियोकार्प। उदा. एगैरिकस (मशरूम), अस्टिलैगो (कंड), पक्सिनिया (किट फंजाई)।
- ड्यूटेरोमाइसिटीज (Deuteromycetes) / अपूर्ण कवक: केवल अलैंगिक या कायिक प्रावस्था ज्ञात है, लैंगिक प्रावस्था अज्ञात। अलैंगिक जनन कोनिडिया द्वारा। कवकजाल पटीय व शाखित। अधिकांश अपघटक (खनिज चक्रण में सहायक), कुछ परजीवी। उदा. आल्टरनेरिया, कोलेटोट्राइकम, ट्राइकोडर्मा।
4. जगत प्लांटी (Kingdom Plantae):
- यूकैरियोटिक, क्लोरोफिल युक्त, स्वपोषी जीव।
- कोशिका भित्ति मुख्यतः सेल्युलोज की।
- शैवाल, ब्रायोफाइट, टेरिडोफाइट, जिम्नोस्पर्म, एंजियोस्पर्म शामिल। (विस्तार अध्याय 3 में)
- जीवन चक्र में पीढ़ी एकांतरण (Alternation of generations) होता है।
5. जगत एनिमेलिया (Kingdom Animalia):
- यूकैरियोटिक, बहुकोशिकीय, विषमपोषी जीव।
- कोशिका भित्ति अनुपस्थित।
- निश्चित वृद्धि पैटर्न, अधिकांश गतिशील। (विस्तार अध्याय 4 में)
विषाणु, वाइरॉइड, प्रायोन्स और लाइकेन (Viruses, Viroids, Prions, and Lichens):
- इन्हें व्हिटेकर के पाँच जगत वर्गीकरण में स्थान नहीं मिला है।
- विषाणु (Viruses): अकोशिकीय, अविकल्पी परजीवी, पोषक कोशिका के बाहर निष्क्रिय। आनुवंशिक पदार्थ (RNA या DNA) प्रोटीन आवरण (कैप्सिड) से घिरा होता है। रोगकारक (मनुष्य में गलसुआ, चेचक, हर्पीज, इन्फ्लुएंजा, एड्स; पादपों में मोजेक, पर्ण वलन/कुंचन)। जीवाणुभोजी (Bacteriophages): जीवाणुओं को संक्रमित करने वाले विषाणु। खोज: डी. इवानोवस्की, नामकरण: एम. डब्ल्यू. बेजेरिनक (Contagium vivum fluidum), क्रिस्टलीकरण: डब्ल्यू. एम. स्टैनले।
- वाइरॉइड (Viroids): खोज: टी. ओ. डाइनर। विषाणु से छोटे, प्रोटीन आवरण रहित, केवल कम अणुभार वाला स्वतंत्र RNA। पोटैटो स्पिंडल ट्यूबर रोग कारक।
- प्रायोन्स (Prions): असामान्य रूप से वलित प्रोटीन कण, आकार लगभग विषाणु जितना। तंत्रिका संबंधी रोग उत्पन्न करते हैं - मवेशियों में बोवाइन स्पॉन्जीफॉर्म एन्सेफैलोपैथी (BSE - मैड काऊ रोग) और मनुष्यों में क्रुट्ज़फेल्ट-जैकब रोग (CJD)।
- लाइकेन (Lichens): शैवाल (शैवालांश/Phycobiont) और कवक (कवकांश/Mycobiont) के बीच सहजीवी संबंध। शैवाल भोजन बनाता है, कवक आश्रय व खनिज/जल अवशोषण करता है। प्रदूषण के अच्छे संकेतक (प्रदूषित क्षेत्रों में नहीं उगते)।
अभ्यास हेतु बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs):
प्रश्न 1: आर. एच. व्हिटेकर द्वारा प्रस्तावित पंच जगत वर्गीकरण निम्नलिखित में से किस पर आधारित नहीं है?
(a) पोषण की विधि
(b) काय संगठन की जटिलता
(c) कोशिका भित्ति की उपस्थिति या अनुपस्थिति
(d) प्रजनन की विधि
प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सा जीव जगत मोनेरा का सदस्य है और अत्यंत लवणीय क्षेत्रों में पाया जाता है?
(a) मेथेनोजन
(b) साइनोबैक्टीरिया
(c) लवणरागी (हैलोफिल्स)
(d) तापअम्लरागी (थर्मोएसिडोफिल्स)
प्रश्न 3: डायटमी मृदा (Diatomaceous earth) का निर्माण किन जीवों की कोशिका भित्ति के अवशेषों से होता है?
(a) डाइनोफ्लैजेलेट
(b) डायटम (क्राइसोफाइट)
(c) यूग्लीनॉइड
(d) अवकवक कवक
प्रश्न 4: कवक की कोशिका भित्ति मुख्यतः किससे बनी होती है?
(a) सेल्युलोज
(b) पेप्टिडोग्लाइकन
(c) काइटिन
(d) हेमिसेल्युलोज
प्रश्न 5: 'अपूर्ण कवक' (Imperfect fungi) किस वर्ग को कहा जाता है क्योंकि उनमें केवल अलैंगिक या कायिक प्रावस्था ही ज्ञात है?
(a) फाइकोमाइसिटीज
(b) एस्कोमाइसिटीज
(c) बेसिडियोमाइसिटीज
(d) ड्यूटेरोमाइसिटीज
प्रश्न 6: वाइरॉइड, विषाणु से किस प्रकार भिन्न हैं?
(a) वाइरॉइड में DNA होता है, विषाणु में RNA
(b) वाइरॉइड में प्रोटीन आवरण नहीं होता है
(c) वाइरॉइड केवल पादपों को संक्रमित करते हैं
(d) वाइरॉइड का आकार विषाणु से बड़ा होता है
प्रश्न 7: लाइकेन में सहजीवी संबंध किनके बीच होता है?
(a) कवक और जीवाणु
(b) शैवाल और जीवाणु
(c) शैवाल और कवक
(d) कवक और उच्च पादपों की जड़ें
प्रश्न 8: निम्नलिखित में से कौन प्रोटिस्टा जगत का सदस्य नहीं है?
(a) यूग्लीना
(b) पैरामीशियम
(c) यीस्ट
(d) अमीबा
प्रश्न 9: लाल तरंग (Red tide) उत्पन्न करने वाले जीव किस समूह से संबंधित हैं?
(a) क्राइसोफाइट
(b) डाइनोफ्लैजेलेट
(c) यूग्लीनॉइड
(d) प्रोटोजोआ
प्रश्न 10: माइकोराइजा (Mycorrhiza) किसका सहजीवी संबंध है?
(a) शैवाल और कवक
(b) कवक और उच्च पादपों की जड़ें
(c) शैवाल और जीवाणु
(d) कवक और जीवाणु
उत्तर:
- (c) कोशिका भित्ति की उपस्थिति या अनुपस्थिति (जबकि कोशिका संरचना - प्रोकैरियोटिक/यूकैरियोटिक, और भित्ति का संगठन आधार था)
- (c) लवणरागी (हैलोफिल्स)
- (b) डायटम (क्राइसोफाइट)
- (c) काइटिन
- (d) ड्यूटेरोमाइसिटीज
- (b) वाइरॉइड में प्रोटीन आवरण नहीं होता है
- (c) शैवाल और कवक
- (c) यीस्ट (यह कवक जगत का सदस्य है)
- (b) डाइनोफ्लैजेलेट
- (b) कवक और उच्च पादपों की जड़ें
इन नोट्स और प्रश्नों का अच्छे से अध्ययन करें। यह आपकी परीक्षा की तैयारी के लिए एक ठोस आधार प्रदान करेगा। अगर कोई शंका हो तो निसंकोच पूछें!