Class 11 Biology Notes Chapter 20 (Chapter 20) – Examplar Problems (Hindi) Book

प्रिय विद्यार्थियों,
आज हम कक्षा 11 जीव विज्ञान के अध्याय 20 'गमन एवं संचलन' का विस्तार से अध्ययन करेंगे। यह अध्याय सरकारी परीक्षाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, और हम इसे इस प्रकार समझेंगे कि आपके सभी मूलभूत अवधारणाएँ स्पष्ट हो जाएँ।
अध्याय 20: गमन एवं संचलन (Locomotion and Movement)
परिचय:
गमन (Locomotion) और संचलन (Movement) जीव विज्ञान में दो संबंधित लेकिन भिन्न अवधारणाएँ हैं।
- संचलन (Movement): यह शरीर के किसी भी भाग या पूरे शरीर की स्थिति में परिवर्तन को संदर्भित करता है। यह एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के लिए आवश्यक नहीं है (जैसे पलकें झपकाना, हृदय का धड़कना)।
- गमन (Locomotion): यह एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने की क्रिया है। सभी गमन संचलन होते हैं, लेकिन सभी संचलन गमन नहीं होते।
संचलन के प्रकार:
जीवों में मुख्य रूप से तीन प्रकार के संचलन पाए जाते हैं:
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अमीबीय संचलन (Amoeboid Movement):
- यह कूटपादों (pseudopodia) के निर्माण द्वारा होता है, जो कोशिकाद्रव्य के प्रवाह (cytoplasmic streaming) के कारण बनते हैं।
- उदाहरण: अमीबा, मैक्रोफेज (महाभक्षक कोशिकाएँ), ल्यूकोसाइट्स (श्वेत रक्त कोशिकाएँ)।
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पक्ष्माभी संचलन (Ciliary Movement):
- यह पक्ष्माभों (cilia) की समन्वित गति के कारण होता है।
- उदाहरण: ट्रैकिया (श्वास नली) में धूल के कणों को बाहर निकालना, डिंबवाहिनी नलिका (fallopian tube) में डिंब का परिवहन।
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पेशीय संचलन (Muscular Movement):
- यह पेशियों के संकुचन और शिथिलन द्वारा होता है।
- उदाहरण: हाथ-पैर की गति, जबड़े की गति, हृदय का धड़कना, पाचन तंत्र में भोजन का संचलन।
पेशी (Muscle):
पेशियाँ शरीर का लगभग 40-50% भार बनाती हैं और संचलन के लिए महत्वपूर्ण होती हैं।
- उत्पत्ति: पेशियाँ मुख्य रूप से मीसोडर्मल (मध्यजनस्तरीय) उत्पत्ति की होती हैं।
- गुण:
- उत्तेजनशीलता (Excitability): बाहरी उद्दीपनों के प्रति प्रतिक्रिया करने की क्षमता।
- संकुचनशीलता (Contractility): उत्तेजित होने पर छोटी और मोटी होने की क्षमता।
- विस्तारणशीलता (Extensibility): अपनी सामान्य लंबाई से अधिक खींचने की क्षमता।
- प्रत्यास्थता (Elasticity): खींचने के बाद अपनी मूल लंबाई में लौटने की क्षमता।
पेशियों के प्रकार:
संरचना, स्थान और कार्य के आधार पर पेशियाँ तीन प्रकार की होती हैं:
-
कंकाल पेशी (Skeletal Muscle):
- स्थान: हड्डियों से जुड़ी होती हैं।
- नियंत्रण: ऐच्छिक (हमारी इच्छा के अधीन)।
- संरचना: रेखित (धारीदार) दिखती हैं, बहु-केंद्रकीय।
- कार्य: गमन और शरीर की मुद्रा बनाए रखना।
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चिकनी पेशी (Smooth Muscle) / अंतरंग पेशी (Visceral Muscle):
- स्थान: आंतरिक अंगों (जैसे आहार नाल, रक्त वाहिकाएँ, मूत्राशय) की दीवारों में।
- नियंत्रण: अनैच्छिक (हमारी इच्छा के अधीन नहीं)।
- संरचना: अरेखित (धारीदार नहीं), एक-केंद्रकीय, तर्कु-आकार की कोशिकाएँ।
- कार्य: आंतरिक अंगों में पदार्थ का संचलन (जैसे पेरिस्टालसिस)।
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हृदय पेशी (Cardiac Muscle):
- स्थान: केवल हृदय की दीवारों में।
- नियंत्रण: अनैच्छिक।
- संरचना: रेखित, एक-केंद्रकीय (या कभी-कभी दो), शाखित, अंतरकैलेरी डिस्क (Intercalated discs) उपस्थित।
- कार्य: हृदय की लयबद्ध पंपिंग क्रिया।
कंकाल पेशी की संरचना:
- पेशी बंडल (Fascicles): पूरी पेशी कई पेशी बंडलों से बनी होती है, जो कोलेजन से बने संयोजी ऊतक आवरण (पेशी आवरण या Fascia) से घिरे होते हैं।
- पेशी रेशा (Muscle Fiber) / पेशी कोशिका: प्रत्येक पेशी बंडल में कई पेशी रेशे होते हैं।
- सारकोलेमा (Sarcolemma): पेशी रेशे की प्लाज्मा झिल्ली।
- सारकोप्लाज्म (Sarcoplasm): पेशी रेशे का कोशिकाद्रव्य।
- सारकोप्लाज्मिक रेटिकुलम (Sarcoplasmic Reticulum): एंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम का संशोधित रूप, जो कैल्शियम आयनों (Ca++) का भंडार होता है।
- माइटोकॉन्ड्रिया: ऊर्जा उत्पादन के लिए प्रचुर मात्रा में मौजूद होते हैं।
- मायोफाइब्रिल (Myofibril): प्रत्येक पेशी रेशे में कई समानांतर व्यवस्थित तंतु होते हैं जिन्हें मायोफाइब्रिल कहते हैं।
- मायोफाइब्रिल पर गहरे (A-बैंड या अनिसोट्रोपिक बैंड) और हल्के (I-बैंड या आइसोट्रोपिक बैंड) बैंड एकांतर क्रम में होते हैं, जो पेशी को रेखित स्वरूप देते हैं।
- A-बैंड: गहरे होते हैं और मायोसिन के मोटे तंतुओं से बने होते हैं। इसमें एक्टिन के पतले तंतु भी आंशिक रूप से ओवरलैप करते हैं।
- I-बैंड: हल्के होते हैं और केवल एक्टिन के पतले तंतुओं से बने होते हैं।
- Z-रेखा (Z-line): I-बैंड के केंद्र में एक लोचदार रेखा होती है जिसे Z-रेखा कहते हैं। यह एक्टिन तंतुओं को जोड़ती है।
- सार्कोमियर (Sarcomere): दो क्रमागत Z-रेखाओं के बीच की दूरी को सार्कोमियर कहते हैं। यह पेशी संकुचन की कार्यात्मक इकाई है।
- H-क्षेत्र (H-zone): A-बैंड के मध्य में एक केंद्रीय क्षेत्र जहां एक्टिन तंतु अनुपस्थित होते हैं (केवल मायोसिन तंतु होते हैं)।
- M-रेखा (M-line): H-क्षेत्र के मध्य में एक पतली झिल्लीदार रेखा जो मायोसिन तंतुओं को जोड़े रखती है।
संकुचनशील प्रोटीन (Contractile Proteins):
मायोफाइब्रिल दो मुख्य संकुचनशील प्रोटीन से बने होते हैं:
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एक्टिन (Actin) - पतला तंतु:
- यह दो F-एक्टिन (फिलामेंटस एक्टिन) के कुंडलित रूप से व्यवस्थित होने से बनता है।
- प्रत्येक F-एक्टिन कई G-एक्टिन (गोलाकार एक्टिन) इकाइयों का बहुलक होता है।
- एक्टिन तंतु के साथ दो अन्य प्रोटीन भी जुड़े होते हैं:
- ट्रोपोमायोसिन (Tropomyosin): यह F-एक्टिन के खांचों में चलता है और आराम की स्थिति में मायोसिन के लिए एक्टिन के सक्रिय स्थलों को ढँक लेता है।
- ट्रोपोनिन (Troponin): यह ट्रोपोमायोसिन पर अनियमित अंतरालों पर स्थित होता है। इसमें कैल्शियम आयनों (Ca++) के लिए बंधन स्थल होते हैं।
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मायोसिन (Myosin) - मोटा तंतु:
- यह कई मोनोमेरिक प्रोटीन, मेरोमायोसिन (meromyosin) का बहुलक होता है।
- प्रत्येक मेरोमायोसिन के दो मुख्य भाग होते हैं:
- भारी मेरोमायोसिन (HMM) / शीर्ष (Head): यह गोलाकार शीर्ष और एक छोटी भुजा से बना होता है। इसमें ATP-बंधन स्थल और एक्टिन के लिए सक्रिय बंधन स्थल होते हैं।
- हल्का मेरोमायोसिन (LMM) / पूँछ (Tail): यह एक लंबी पूँछ होती है।
पेशी संकुचन की क्रियाविधि - सर्पी तंतु सिद्धांत (Sliding Filament Theory):
यह सिद्धांत बताता है कि पेशी संकुचन के दौरान पतले एक्टिन तंतु मोटे मायोसिन तंतुओं पर खिसकते हैं, जिससे सार्कोमियर छोटा हो जाता है।
- तंत्रिका संकेत: केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (CNS) से एक मोटर न्यूरॉन (प्रेरक तंत्रिका कोशिका) पेशी रेशे तक एक तंत्रिका आवेग (क्रिया विभव) लाता है।
- न्यूरोमस्कुलर जंक्शन: मोटर न्यूरॉन और पेशी रेशे के बीच के संधि स्थल को न्यूरोमस्कुलर जंक्शन (या मोटर एंड प्लेट) कहते हैं।
- न्यूरोट्रांसमीटर का मुक्त होना: तंत्रिका आवेग के पहुँचने पर, न्यूरोट्रांसमीटर (एसिटाइलकोलीन) मुक्त होता है, जो सारकोलेमा पर क्रिया विभव उत्पन्न करता है।
- Ca++ का मुक्त होना: यह क्रिया विभव सारकोलेमा के माध्यम से फैलकर सारकोप्लाज्मिक रेटिकुलम तक पहुँचता है, जिससे उसमें से Ca++ आयन सारकोप्लाज्म में मुक्त होते हैं।
- एक्टिन के सक्रिय स्थलों का अनावरण: Ca++ आयन ट्रोपोनिन से जुड़ते हैं, जिससे ट्रोपोनिन का संरूपण बदल जाता है और यह ट्रोपोमायोसिन को खींचता है। इससे मायोसिन के लिए एक्टिन के सक्रिय बंधन स्थल अनावृत हो जाते हैं।
- क्रॉस-ब्रिज का निर्माण: मायोसिन का शीर्ष (जो ATP-एन्जाइम के रूप में कार्य करता है) ATP को ADP और Pi में जल-अपघटित करता है और इस ऊर्जा का उपयोग करके एक्टिन के अनावृत सक्रिय स्थलों से जुड़ जाता है, जिससे क्रॉस-ब्रिज (cross-bridge) बनता है।
- पावर स्ट्रोक (Power Stroke): ADP और Pi मुक्त होते हैं, और मायोसिन शीर्ष एक्टिन तंतु को M-रेखा की ओर खींचता है। इससे एक्टिन तंतु मोटे तंतुओं पर खिसकते हैं, और सार्कोमियर छोटा हो जाता है।
- क्रॉस-ब्रिज का टूटना: एक नया ATP अणु मायोसिन शीर्ष से जुड़ता है, जिससे क्रॉस-ब्रिज टूट जाता है।
- पुनः सक्रियण: मायोसिन शीर्ष फिर से ATP को जल-अपघटित करता है और अगले एक्टिन सक्रिय स्थल से जुड़ने के लिए तैयार हो जाता है। यह चक्र तब तक दोहराया जाता है जब तक Ca++ आयन सारकोप्लाज्म में मौजूद रहते हैं।
- शिथिलन: जब तंत्रिका आवेग समाप्त हो जाता है, तो Ca++ आयन सक्रिय परिवहन द्वारा सारकोप्लाज्मिक रेटिकुलम में वापस पंप कर दिए जाते हैं। इससे ट्रोपोनिन-ट्रोपोमायोसिन कॉम्प्लेक्स फिर से एक्टिन के सक्रिय स्थलों को ढँक लेता है, क्रॉस-ब्रिज टूट जाते हैं, और पेशी शिथिल हो जाती है।
पेशी संकुचन के दौरान परिवर्तन:
- सार्कोमियर छोटा हो जाता है।
- I-बैंड छोटे हो जाते हैं।
- H-क्षेत्र गायब हो जाता है।
- A-बैंड की लंबाई अपरिवर्तित रहती है।
लाल और श्वेत पेशी तंतु (Red and White Muscle Fibers):
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लाल पेशी तंतु (Red Muscle Fibers):
- मायोग्लोबिन: प्रचुर मात्रा में (लाल रंग)। मायोग्लोबिन ऑक्सीजन का भंडार करता है।
- माइटोकॉन्ड्रिया: अधिक संख्या में।
- श्वसन: वायवीय श्वसन पर निर्भर।
- संकुचन: धीमी गति से और लंबे समय तक संकुचित होती हैं।
- थकान: थकान प्रतिरोधी।
- उदाहरण: पीठ की पेशियाँ।
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श्वेत पेशी तंतु (White Muscle Fibers):
- मायोग्लोबिन: कम मात्रा में (हल्का रंग)।
- माइटोकॉन्ड्रिया: कम संख्या में।
- सारकोप्लाज्मिक रेटिकुलम: अधिक विकसित (Ca++ के तीव्र मुक्त होने के लिए)।
- श्वसन: अवायवीय श्वसन पर निर्भर।
- संकुचन: तेज गति से और कम समय के लिए संकुचित होती हैं।
- थकान: जल्दी थक जाती हैं।
- उदाहरण: आँखों की पेशियाँ।
कंकाल तंत्र (Skeletal System):
यह शरीर को सहारा देने वाला एक कठोर ढाँचा है।
- कार्य:
- शरीर को आकार और सहारा प्रदान करना।
- आंतरिक अंगों की सुरक्षा करना।
- गमन में सहायता करना (पेशियों के लिए आधार)।
- खनिज (कैल्शियम, फॉस्फेट) का भंडार।
- रक्त कोशिकाओं का उत्पादन (अस्थि मज्जा में)।
कंकाल तंत्र के भाग:
मानव कंकाल तंत्र में कुल 206 हड्डियाँ होती हैं, जिन्हें दो मुख्य भागों में बांटा गया है:
-
अक्षीय कंकाल (Axial Skeleton) - 80 हड्डियाँ:
- खोपड़ी (Skull): 29 हड्डियाँ।
- कपाल (Cranium): 8 हड्डियाँ (मस्तिष्क को घेरती हैं)।
- आननी (Facial): 14 हड्डियाँ (चेहरे का ढाँचा बनाती हैं)।
- कर्ण अस्थिकाएँ (Ear Ossicles): 6 हड्डियाँ (प्रत्येक कान में 3 - मैलियस, इन्कस, स्टेपीज़)।
- हायॉइड (Hyoid): 1 हड्डी (U-आकार की, गले में)।
- कशेरुक दंड (Vertebral Column): 26 हड्डियाँ।
- ग्रीवा (Cervical): 7 कशेरुकाएँ (गर्दन)।
- वक्षीय (Thoracic): 12 कशेरुकाएँ (छाती)।
- कटि (Lumbar): 5 कशेरुकाएँ (कमर)।
- त्रिक (Sacral): 1 संलयित कशेरुका (5 कशेरुकाओं का संलयन)।
- अनुत्रिक (Coccygeal): 1 संलयित कशेरुका (4 कशेरुकाओं का संलयन)।
- पसलियाँ (Ribs): 12 जोड़ी (24 हड्डियाँ)।
- वास्तविक पसलियाँ (True Ribs): पहली 7 जोड़ी पसलियाँ, जो सीधे उरोस्थि (sternum) से जुड़ी होती हैं।
- आभासी पसलियाँ (False Ribs): 8वीं, 9वीं और 10वीं जोड़ी पसलियाँ, जो सीधे उरोस्थि से न जुड़कर 7वीं पसली की उपास्थि से जुड़ती हैं।
- मुक्त या तैरती पसलियाँ (Floating Ribs): 11वीं और 12वीं जोड़ी पसलियाँ, जो उरोस्थि से जुड़ी नहीं होतीं।
- उरोस्थि (Sternum): 1 हड्डी (छाती के बीच में)।
- खोपड़ी (Skull): 29 हड्डियाँ।
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उपांगीय कंकाल (Appendicular Skeleton) - 126 हड्डियाँ:
- अग्रपाद (Forelimbs) - 60 हड्डियाँ (प्रत्येक हाथ में 30):
- ह्यूमरस (Humerus): 1 (ऊपरी बांह)।
- रेडियस (Radius): 1 (अग्रबांह)।
- अल्ना (Ulna): 1 (अग्रबांह)।
- कार्पल्स (Carpals): 8 (कलाई)।
- मेटाकार्पल्स (Metacarpals): 5 (हथेली)।
- फैलेंजेज (Phalanges): 14 (उँगलियाँ)।
- पश्चपाद (Hindlimbs) - 60 हड्डियाँ (प्रत्येक पैर में 30):
- फीमर (Femur): 1 (जांघ की हड्डी, सबसे लंबी)।
- पटेला (Patella): 1 (घुटने की टोपी)।
- टिबिया (Tibia): 1 (निचला पैर)।
- फिबुला (Fibula): 1 (निचला पैर)।
- टार्सल्स (Tarsals): 7 (टखना)।
- मेटाटार्सल्स (Metatarsals): 5 (पैर का तलवा)।
- फैलेंजेज (Phalanges): 14 (पैर की उँगलियाँ)।
- मेखलाएँ (Girdles):
- अंश मेखला (Pectoral Girdle) - 4 हड्डियाँ:
- क्लाविकल (Clavicle) / कॉलर बोन: 2।
- स्कैपुला (Scapula) / शोल्डर ब्लेड: 2।
- श्रोणि मेखला (Pelvic Girdle) - 2 हड्डियाँ:
- कोक्सल हड्डी (Coxal bone): 2 (प्रत्येक एक इलियम, इस्कियम और प्यूबिस के संलयन से बनती है)।
- अंश मेखला (Pectoral Girdle) - 4 हड्डियाँ:
- अग्रपाद (Forelimbs) - 60 हड्डियाँ (प्रत्येक हाथ में 30):
संधियाँ (Joints):
संधियाँ हड्डियों को एक-दूसरे से जोड़ती हैं और गमन में सहायता करती हैं।
- प्रकार:
- तंतुमय संधि (Fibrous Joints):
- अचल या बहुत कम गति वाली।
- हड्डियाँ घने तंतुमय संयोजी ऊतक द्वारा कसकर जुड़ी होती हैं।
- उदाहरण: कपाल की हड्डियाँ (सूचर)।
- उपास्थिमय संधि (Cartilaginous Joints):
- सीमित गति वाली।
- हड्डियाँ उपास्थि द्वारा जुड़ी होती हैं।
- उदाहरण: कशेरुकाओं के बीच की संधि (अंतरकशेरुकी डिस्क)।
- साइनोवियल संधि (Synovial Joints):
- स्वतंत्र रूप से गतिशील।
- दो हड्डियों के बीच एक साइनोवियल गुहा होती है जिसमें साइनोवियल द्रव भरा होता है, जो घर्षण कम करता है।
- उदाहरण और प्रकार:
- कंदुक-खल्लिका संधि (Ball and Socket Joint): कंधे और कूल्हे की संधि।
- कब्जा संधि (Hinge Joint): कोहनी और घुटने की संधि।
- धुराग्र संधि (Pivot Joint): एटलस और अक्ष कशेरुका के बीच।
- विसर्पी संधि (Gliding Joint): कार्पल्स के बीच।
- सैडल संधि (Saddle Joint): अंगूठे का कार्पो-मेटाकार्पल संधि।
- तंतुमय संधि (Fibrous Joints):
पेशीय एवं कंकालीय तंत्र के विकार (Disorders of Muscular and Skeletal System):
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मायस्थेनिया ग्रेविस (Myasthenia Gravis):
- एक स्व-प्रतिरक्षित विकार (Autoimmune disorder)।
- तंत्रिका-पेशी संधि (neuromuscular junction) को प्रभावित करता है।
- थकान, कमजोरी और कंकाल पेशियों का पक्षाघात।
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पेशीय दुष्पोषण (Muscular Dystrophy):
- एक आनुवंशिक विकार।
- प्रगतिशील पेशी अपह्रास (progressive degeneration of skeletal muscle)।
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पेशी-संकुचन (Tetany):
- रक्त में कैल्शियम आयनों (Ca++) के निम्न स्तर के कारण होता है।
- पेशियों में तीव्र ऐंठन (rapid spasms) या संकुचन।
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गठिया (Arthritis):
- संधियों में सूजन (inflammation of joints)।
- कई प्रकार के होते हैं, जैसे ऑस्टियोआर्थराइटिस, रूमेटॉइड आर्थराइटिस।
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अस्थिसुषिरता (Osteoporosis):
- आयु-संबंधित विकार।
- अस्थि द्रव्यमान (bone mass) में कमी और फ्रैक्चर की संभावना में वृद्धि।
- एस्ट्रोजन हार्मोन की कमी एक सामान्य कारण है, खासकर महिलाओं में रजोनिवृत्ति के बाद।
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गाउट (Gout):
- संधियों में यूरिक अम्ल क्रिस्टल के जमाव के कारण होता है।
- संधियों में दर्दनाक सूजन।
बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs):
-
मानव शरीर में सबसे लंबी हड्डी कौन सी है?
A) टिबिया
B) फीमर
C) ह्यूमरस
D) रेडियस -
पेशी संकुचन की कार्यात्मक इकाई क्या है?
A) मायोफाइब्रिल
B) सार्कोमियर
C) सारकोलेमा
D) सारकोप्लाज्म -
मायस्थेनिया ग्रेविस नामक विकार किससे संबंधित है?
A) हड्डियों के फ्रैक्चर
B) संधियों की सूजन
C) तंत्रिका-पेशी संधि का विकार
D) यूरिक अम्ल का जमाव -
कंकाल पेशियों के संकुचन के लिए आवश्यक कैल्शियम आयन (Ca++) कहाँ से मुक्त होते हैं?
A) माइटोकॉन्ड्रिया
B) सारकोप्लाज्मिक रेटिकुलम
C) सारकोलेमा
D) ट्रोपोनिन -
निम्न में से कौन सी संधि स्वतंत्र रूप से गतिशील होती है?
A) तंतुमय संधि
B) उपास्थिमय संधि
C) साइनोवियल संधि
D) उपरोक्त सभी -
मानव कशेरुक दंड में कितनी कशेरुकाएँ होती हैं?
A) 33
B) 26
C) 24
D) 7 -
पेशी संकुचन के सर्पी तंतु सिद्धांत के अनुसार, कौन सा बैंड संकुचन के दौरान अपनी लंबाई नहीं बदलता?
A) I-बैंड
B) A-बैंड
C) H-क्षेत्र
D) Z-रेखा -
एक्टिन तंतुओं पर मायोसिन के बंधन स्थलों को आराम की स्थिति में कौन सा प्रोटीन ढँक कर रखता है?
A) ट्रोपोनिन
B) ट्रोपोमायोसिन
C) मेरोमायोसिन
D) एक्टिन -
मानव शरीर में पसलियों की कितनी जोड़ी वास्तविक पसलियाँ होती हैं?
A) 12
B) 10
C) 7
D) 3 -
अस्थिसुषिरता (Osteoporosis) का एक सामान्य कारण क्या है?
A) यूरिक अम्ल का जमाव
B) कैल्शियम की कमी
C) एस्ट्रोजन का निम्न स्तर
D) विटामिन डी की अधिकता
उत्तरमाला:
- B) फीमर
- B) सार्कोमियर
- C) तंत्रिका-पेशी संधि का विकार
- B) सारकोप्लाज्मिक रेटिकुलम
- C) साइनोवियल संधि
- B) 26
- B) A-बैंड
- B) ट्रोपोमायोसिन
- C) 7
- C) एस्ट्रोजन का निम्न स्तर
मुझे उम्मीद है कि ये विस्तृत नोट्स और बहुविकल्पीय प्रश्न आपको इस अध्याय को गहराई से समझने और सरकारी परीक्षाओं की तैयारी में मदद करेंगे। शुभकामनाएँ!