Class 11 Biology Notes Chapter 20 (गमन एवं संचलन) – Jeev Vigyan Book

चलिए, आज हम कक्षा 11 जीव विज्ञान के अध्याय 20, 'गमन एवं संचलन' का विस्तृत अध्ययन करेंगे, जो प्रतियोगी परीक्षाओं की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। यह अध्याय मानव शरीर की गति और कंकाल तंत्र की संरचना एवं कार्यों पर केंद्रित है।
अध्याय 20: गमन एवं संचलन (Locomotion and Movement)
1. परिचय (Introduction)
- संचलन (Movement): जीव के शरीर के किसी भाग की स्थिति में परिवर्तन संचलन कहलाता है। यह कोशिकीय स्तर (जैसे अमीबीय गति) से लेकर अंग स्तर (जैसे जबड़ों का हिलना) तक हो सकता है।
- गमन (Locomotion): जब संचलन के कारण जीव का स्थान परिवर्तन होता है, तो उसे गमन कहते हैं। जैसे चलना, दौड़ना, तैरना, उड़ना।
- सभी गमन संचलन होते हैं, परन्तु सभी संचलन गमन नहीं होते।
- मानव शरीर में गतियों के प्रकार:
- अमीबीय गति (Amoeboid Movement): कोशिका द्रव्य की प्रवाह गति द्वारा कूटपादों (Pseudopodia) की सहायता से। उदाहरण: महाभक्षकाणु (Macrophages) और श्वेताणु (Leucocytes)।
- पक्ष्माभी गति (Ciliary Movement): पक्ष्माभों (Cilia) की समन्वित गति द्वारा। उदाहरण: श्वासनली में श्लेष्मा को बाहर धकेलना, डिंबवाहिनी में अंडाणु की गति।
- पेशीय गति (Muscular Movement): पेशियों के संकुचन और शिथिलन द्वारा। उदाहरण: हाथ-पैर हिलाना, जबड़े की गति, जिह्वा की गति। गमन के लिए पेशीय गति आवश्यक है।
2. पेशी (Muscle)
- विशेषताएँ: उत्तेजनशीलता (Excitability), संकुचनशीलता (Contractility), प्रसार्यता (Extensibility), प्रत्यास्थता (Elasticity)।
- पेशियों के प्रकार:
- कंकाल पेशी (Skeletal Muscle):
- ये अस्थियों से कंडराओं (Tendons) द्वारा जुड़ी होती हैं।
- संरचना में रेखित (Striated) होती हैं (गहरे और हल्के बैंड)।
- कार्य में ऐच्छिक (Voluntary) होती हैं (तंत्रिका तंत्र द्वारा नियंत्रित)।
- बहुकेंद्रकीय (Syncytial) होती हैं।
- मुख्यतः गमन और शारीरिक मुद्रा बनाए रखने में सहायक।
- अंतरांग पेशी (Visceral Muscle) / चिकनी पेशी (Smooth Muscle) / अरेखित पेशी (Unstriated Muscle):
- आंतरिक अंगों (जैसे आहार नाल, रक्त वाहिनियाँ, मूत्राशय) की भित्ति में पाई जाती हैं।
- संरचना में अरेखित (Non-striated) और तर्कुरूपी (Spindle-shaped) होती हैं।
- कार्य में अनैच्छिक (Involuntary) होती हैं।
- एककेंद्रकीय (Uninucleated) होती हैं।
- हृद पेशी (Cardiac Muscle):
- केवल हृदय की भित्ति में पाई जाती हैं।
- संरचना में रेखित (Striated) और शाखित (Branched) होती हैं।
- कार्य में अनैच्छिक (Involuntary) होती हैं।
- एककेंद्रकीय (Uninucleated) होती हैं।
- इनमें अंतर्विष्ट डिस्क (Intercalated discs) पाई जाती हैं जो कोशिकाओं के बीच संचार और संकुचन की लयबद्धता में मदद करती हैं।
- कंकाल पेशी (Skeletal Muscle):
3. कंकाल पेशी की संरचना (Structure of Skeletal Muscle)
- पेशी बंडल (Muscle Bundle) या पूलिका (Fascicle): अनेक पेशी रेशों (Muscle fibres) से मिलकर बना होता है, जो संयोजी ऊतक (फासिया - Fascia) से घिरा रहता है।
- पेशी रेशा (Muscle Fibre): यह एक पेशी कोशिका है, जो लंबी, बेलनाकार और बहुकेंद्रकीय होती है। इसकी झिल्ली को सार्कोलेमा (Sarcolemma) और कोशिका द्रव्य को सार्कोप्लाज्म (Sarcoplasm) कहते हैं। सार्कोप्लाज्म में माइटोकॉन्ड्रिया और एंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम (सार्कोप्लाज्मिक रेटिकुलम - Sarcoplasmic Reticulum) प्रचुर मात्रा में होते हैं। सार्कोप्लाज्मिक रेटिकुलम कैल्शियम आयनों (Ca++) का भंडार गृह है।
- पेशी तंतुक (Myofibril): प्रत्येक पेशी रेशे में अनेक समानांतर व्यवस्थित तंतुक होते हैं। इन पर एकांतर क्रम में गहरे (A-बैंड) और हल्के (I-बैंड) पट्टियाँ होती हैं, जो पेशी को रेखित रूप देती हैं।
- सार्कोमियर (Sarcomere): दो क्रमिक Z-रेखाओं के बीच का क्षेत्र। यह पेशी संकुचन की संरचनात्मक और क्रियात्मक इकाई है।
- A-बैंड (Anisotropic band): गहरा बैंड, इसमें मोटे (मायोसिन) और पतले (एक्टिन) दोनों तंतु होते हैं। इसके मध्य में एक हल्का क्षेत्र H-जोन (Hensen's zone) होता है, जिसमें केवल मोटे तंतु होते हैं। H-जोन के मध्य में M-रेखा (M-line) होती है।
- I-बैंड (Isotropic band): हल्का बैंड, इसमें केवल पतले (एक्टिन) तंतु होते हैं। इसके मध्य में एक गहरी Z-रेखा (Z-line) होती है, जिससे एक्टिन तंतु जुड़े रहते हैं।
4. संकुचनशील प्रोटीन की संरचना (Structure of Contractile Proteins)
- एक्टिन (पतला तंतु - Thin Filament):
- यह दो F-एक्टिन (तंतुमय एक्टिन) रज्जुकों से बना होता है, जो परस्पर लिपटे रहते हैं। प्रत्येक F-एक्टिन, G-एक्टिन (गोलाकार एक्टिन) इकाइयों का बहुलक है।
- इसके साथ दो अन्य प्रोटीन, ट्रोपोमायोसिन (Tropomyosin) और ट्रोपोनिन (Troponin) भी होते हैं।
- ट्रोपोमायोसिन, F-एक्टिन के ऊपर लिपटा रहता है और विश्राम अवस्था में मायोसिन के जुड़ने वाले स्थानों को ढकता है।
- ट्रोपोनिन (तीन उपइकाइयों का बना) ट्रोपोमायोसिन पर नियमित अंतराल पर स्थित होता है। इसकी एक उपइकाई कैल्शियम आयनों से जुड़ती है।
- मायोसिन (मोटा तंतु - Thick Filament):
- यह एक बहुलक प्रोटीन है, जिसकी एकलक इकाई मेरोमायोसिन (Meromyosin) कहलाती है।
- प्रत्येक मेरोमायोसिन के दो भाग होते हैं:
- भारी मेरोमायोसिन (Heavy Meromyosin - HMM): गोलाकार सिर (Head) और छोटी भुजा (Arm) बनाता है। सिर में ATP बंधन स्थल और ATPase एंजाइम गतिविधि होती है। सिर एक्टिन से जुड़ने का स्थल भी है और इसे क्रॉस-भुजा (Cross-arm) कहते हैं।
- हल्का मेरोमायोसिन (Light Meromyosin - LMM): पूंछ (Tail) बनाता है।
- मोटे तंतु में अनेक मेरोमायोसिन अणु इस प्रकार व्यवस्थित होते हैं कि उनके सिर और भुजाएँ बाहर की ओर निकले रहते हैं।
5. पेशी संकुचन की क्रियाविधि (Mechanism of Muscle Contraction)
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सर्पी तंतु सिद्धांत (Sliding Filament Theory): ह्यू हक्सले और ए. एफ. हक्सले द्वारा प्रस्तावित। इसके अनुसार, पेशी संकुचन मोटे तंतुओं (मायोसिन) के ऊपर पतले तंतुओं (एक्टिन) के सरकने (sliding) से होता है।
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प्रमुख चरण:
- तंत्रिका आवेग: केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (CNS) से एक प्रेरक तंत्रिका (Motor neuron) द्वारा संकेत पेशी तक पहुँचता है।
- तंत्रिका-पेशी संगम (Neuromuscular Junction / Motor End Plate): प्रेरक तंत्रिका का अंतिम सिरा और पेशी रेशे की सार्कोलेमा के बीच का संधि स्थल।
- न्यूरोट्रांसमीटर का मुक्त होना: तंत्रिका आवेग के पहुँचने पर तंत्रिका के अंतिम सिरे से एसिटाइलकोलीन (Acetylcholine) नामक न्यूरोट्रांसमीटर मुक्त होकर संधि दरार (Synaptic cleft) में आता है।
- सार्कोलेमा में विभव उत्पन्न होना: एसिटाइलकोलीन सार्कोलेमा पर स्थित ग्राहियों से जुड़कर क्रिया विभव (Action potential) उत्पन्न करता है, जो पूरी पेशी रेशे पर फैल जाता है।
- कैल्शियम आयनों का मुक्त होना: क्रिया विभव सार्कोप्लाज्मिक रेटिकुलम को उत्तेजित करता है, जिससे कैल्शियम आयन (Ca++) सार्कोप्लाज्म में मुक्त होते हैं।
- एक्टिन पर सक्रिय स्थलों का खुलना: Ca++ आयन ट्रोपोनिन की उपइकाई से जुड़ते हैं। इससे ट्रोपोनिन-ट्रोपोमायोसिन सम्मिश्र में संरचनात्मक परिवर्तन होता है और एक्टिन पर मायोसिन के जुड़ने के लिए सक्रिय स्थल खुल जाते हैं।
- क्रॉस-सेतु (Cross-bridge) का निर्माण: ऊर्जा (ATP के जल अपघटन से प्राप्त ADP + Pi) का उपयोग करके मायोसिन का सिर एक्टिन के सक्रिय स्थल से जुड़कर क्रॉस-सेतु बनाता है।
- तंतुओं का सरकना (Power Stroke): क्रॉस-सेतु बनने के बाद, मायोसिन सिर घूमता है (power stroke) और जुड़े हुए एक्टिन तंतु को A-बैंड के केंद्र की ओर खींचता है। इससे Z-रेखाएँ अंदर की ओर खिंचती हैं और सार्कोमियर छोटा हो जाता है, जिससे पेशी संकुचित होती है। इस प्रक्रिया में ADP और Pi मुक्त होते हैं।
- क्रॉस-सेतु का टूटना: एक नया ATP अणु मायोसिन सिर से जुड़ता है, जिससे मायोसिन सिर एक्टिन से अलग हो जाता है।
- पुनः सक्रियण: मायोसिन सिर पर उपस्थित ATPase एंजाइम ATP को पुनः ADP + Pi में तोड़ता है और ऊर्जा मुक्त होती है। मायोसिन सिर पुनः सक्रिय होकर अगले क्रॉस-सेतु चक्र के लिए तैयार हो जाता है।
- शिथिलन (Relaxation): जब तंत्रिका आवेग समाप्त हो जाता है, तो Ca++ आयनों को सक्रिय रूप से वापस सार्कोप्लाज्मिक रेटिकुलम में पंप कर दिया जाता है। Ca++ की कमी होने पर ट्रोपोनिन-ट्रोपोमायोसिन पुनः एक्टिन के सक्रिय स्थलों को ढक लेते हैं। क्रॉस-सेतु टूट जाते हैं और पेशी शिथिल होकर अपनी मूल लंबाई में लौट आती है।
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संकुचन के दौरान परिवर्तन:
- सार्कोमियर की लंबाई कम होती है।
- I-बैंड की लंबाई कम होती है।
- H-जोन लगभग गायब हो जाता है।
- A-बैंड की लंबाई अपरिवर्तित रहती है।
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पेशी थकान (Muscle Fatigue): लगातार संकुचन से लैक्टिक अम्ल के जमाव के कारण पेशी में दर्द और संकुचन क्षमता में कमी।
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ऑक्सीजन ऋण (Oxygen Debt): तीव्र व्यायाम के दौरान लैक्टिक अम्ल को तोड़ने के लिए आवश्यक अतिरिक्त ऑक्सीजन।
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पेशी के प्रकार (फाइबर): लाल पेशी तंतु (मायोग्लोबिन अधिक, माइटोकॉन्ड्रिया अधिक, धीमा संकुचन, लंबे समय तक कार्य) और श्वेत पेशी तंतु (मायोग्लोबिन कम, माइटोकॉन्ड्रिया कम, तेज संकुचन, जल्दी थकना)।
6. कंकाल तंत्र (Skeletal System)
- यह अस्थियों (Bones) और उपास्थियों (Cartilages) का बना ढाँचा है।
- कार्य: शरीर को आकृति और सहारा देना, कोमल अंगों की सुरक्षा करना (जैसे खोपड़ी मस्तिष्क की, पसलियाँ फेफड़ों व हृदय की), गमन में सहायता करना, रक्त कोशिकाओं का निर्माण (अस्थि मज्जा में), खनिज लवणों (कैल्शियम, फॉस्फेट) का भंडारण।
- वयस्क मानव में कुल अस्थियाँ: 206
- कंकाल तंत्र के भाग:
- अक्षीय कंकाल (Axial Skeleton): शरीर के मुख्य अक्ष पर स्थित (80 अस्थियाँ)
- खोपड़ी (Skull): 29 अस्थियाँ
- कपाल (Cranium): 8 अस्थियाँ (फ्रंटल-1, पैराइटल-2, टेम्पोरल-2, ऑक्सीपिटल-1, स्फेनॉइड-1, एथमॉइड-1) - मस्तिष्क की सुरक्षा।
- आननी (Facial): 14 अस्थियाँ (मैक्सिला-2, जाइगोमैटिक-2, नेसल-2, लैक्रिमल-2, पैलेटाइन-2, इन्फीरियर नेसल कोंका-2, मैंडिबल-1, वोमर-1)।
- कर्ण अस्थिकाएँ (Ear Ossicles): प्रत्येक कान में 3 (मैलियस, इन्कस, स्टेपीज) - कुल 6। स्टेपीज शरीर की सबसे छोटी अस्थि है।
- हायॉइड अस्थि (Hyoid Bone): 1 अस्थि (U-आकार की, मुख गुहा के आधार पर)।
- कशेरुक दंड (Vertebral Column): 26 कशेरुकाएँ (प्रारंभ में 33)
- ग्रीवा (Cervical): 7 (C1-एटलस, C2-एक्सिस)
- वक्षीय (Thoracic): 12 (इनसे पसलियाँ जुड़ती हैं)
- कटि (Lumbar): 5 (सबसे बड़ी और मजबूत)
- त्रिक (Sacral): 1 (5 कशेरुकाओं के संलयन से बनी)
- अनुत्रिक (Coccygeal): 1 (4 कशेरुकाओं के संलयन से बनी, अवशेषी पूंछ)
- कशेरुक सूत्र: C7 T12 L5 S(5) C(4) (बच्चों में) / C7 T12 L5 S1 Co1 (वयस्क में)
- कार्य: शरीर को सीधा रखना, मेरुरज्जु की सुरक्षा, सिर को सहारा देना, पसलियों के जुड़ने का स्थान।
- उरोस्थि (Sternum): 1 चपटी अस्थि (वक्ष के मध्य में)।
- पसलियाँ (Ribs): 12 जोड़ी
- वास्तविक पसलियाँ (True Ribs): प्रथम 7 जोड़ी (पृष्ठ में कशेरुक दंड से और अधर में सीधे उरोस्थि से जुड़ी)।
- अवास्तविक/कूट पसलियाँ (False Ribs): 8वीं, 9वीं, 10वीं जोड़ी (पृष्ठ में कशेरुक दंड से और अधर में 7वीं पसली की उपास्थि से जुड़ी)।
- प्लावी पसलियाँ (Floating Ribs): 11वीं, 12वीं जोड़ी (पृष्ठ में कशेरुक दंड से जुड़ी, अधर में मुक्त)।
- पसली पिंजर (Rib cage): वक्षीय कशेरुकाएँ, पसलियाँ और उरोस्थि मिलकर बनाते हैं; हृदय और फेफड़ों की सुरक्षा।
- खोपड़ी (Skull): 29 अस्थियाँ
- उपांगीय कंकाल (Appendicular Skeleton): पादों (Limbs) और मेखलाओं (Girdles) से मिलकर बना (126 अस्थियाँ)
- अग्र पाद (Forelimb): प्रत्येक में 30 अस्थियाँ (कुल 60)
- ह्यूमरस (Humerus): 1 (ऊपरी बाहु)
- रेडियस और अल्ना (Radius & Ulna): 1+1 (अग्र बाहु)
- कार्पल्स (Carpals): 8 (कलाई की अस्थियाँ)
- मेटाकार्पल्स (Metacarpals): 5 (हथेली की अस्थियाँ)
- फैलेंजेज (Phalanges): 14 (अंगुलियों की अस्थियाँ - अंगूठे में 2, अन्य में 3-3)
- पश्च पाद (Hindlimb): प्रत्येक में 30 अस्थियाँ (कुल 60)
- फीमर (Femur): 1 (जांघ की अस्थि - शरीर की सबसे लंबी और मजबूत अस्थि)
- टिबिआ और फिबुला (Tibia & Fibula): 1+1 (निचली टांग)
- पटेला (Patella): 1 (घुटने की टोपी - कंदरास्थि/Sesamoid bone)
- टार्सल्स (Tarsals): 7 (टखने की अस्थियाँ)
- मेटाटार्सल्स (Metatarsals): 5 (तलवे की अस्थियाँ)
- फैलेंजेज (Phalanges): 14 (पैर की अंगुलियों की अस्थियाँ - अंगूठे में 2, अन्य में 3-3)
- अंस मेखला (Pectoral Girdle): 4 अस्थियाँ (प्रत्येक ओर 2)
- स्कैपुला (Scapula): 1 (बड़ी, त्रिकोणीय, चपटी अस्थि - पृष्ठ भाग में) - इसमें ग्लीनॉइड गुहा (Glenoid cavity) होती है जिसमें ह्यूमरस का सिर जुड़ता है।
- क्लैविकल (Clavicle) / कॉलर बोन: 1 (पतली, लंबी अस्थि - अग्र भाग में)
- श्रोणि मेखला (Pelvic Girdle): 2 अस्थियाँ (कूल्हे की अस्थियाँ - Coxal bones)
- प्रत्येक कूल्हे की अस्थि तीन अस्थियों के संलयन से बनती है: इलियम (Ilium), इस्चियम (Ischium), प्यूबिस (Pubis)।
- संलयन स्थल पर एसिटाबुलम (Acetabulum) नामक गुहा होती है जिसमें फीमर का सिर जुड़ता है।
- दोनों कूल्हे की अस्थियाँ मिलकर श्रोणि बनाती हैं।
- अग्र पाद (Forelimb): प्रत्येक में 30 अस्थियाँ (कुल 60)
- अक्षीय कंकाल (Axial Skeleton): शरीर के मुख्य अक्ष पर स्थित (80 अस्थियाँ)
7. संधियाँ (Joints)
- अस्थियों या अस्थि और उपास्थि के बीच का संयोजन स्थल। गमन और संचलन के लिए आवश्यक।
- संरचना और गतिशीलता के आधार पर प्रकार:
- रेशेदार संधि (Fibrous Joint) / अचल संधि (Immovable Joint):
- अस्थियाँ घने रेशेदार संयोजी ऊतक की मदद से जुड़ी रहती हैं।
- कोई गति नहीं होती।
- उदाहरण: खोपड़ी की अस्थियों के बीच सीवन (Sutures)।
- उपास्थिल संधि (Cartilaginous Joint) / अपूर्ण चल संधि (Slightly Movable Joint):
- अस्थियाँ उपास्थि की सहायता से जुड़ी होती हैं।
- सीमित गति होती है।
- उदाहरण: कशेरुकाओं के बीच अंतरकशेरुकी डिस्क (Intervertebral discs), प्यूबिक सिम्फाइसिस।
- साइनोवियल संधि (Synovial Joint) / पूर्ण चल संधि (Freely Movable Joint):
- सबसे अधिक गतिशीलता वाली संधि।
- विशेषताएँ: दो अस्थियों के संधि वाले सिरों के बीच साइनोवियल गुहा (Synovial cavity) होती है, जिसमें साइनोवियल द्रव (Synovial fluid) भरा रहता है (स्नेहक का कार्य करता है)। संधि स्थल साइनोवियल झिल्ली और रेशेदार कैप्सूल से घिरा रहता है। अस्थियों के सिरे उपास्थि से ढके रहते हैं।
- प्रकार:
- कंदुक-खल्लिका संधि (Ball and Socket Joint): एक अस्थि का गेंद जैसा सिरा दूसरी अस्थि की प्यालेनुमा गुहा में फिट होता है। सभी दिशाओं में गति संभव। उदाहरण: कंधे की संधि (ह्यूमरस और ग्लीनॉइड गुहा), कूल्हे की संधि (फीमर और एसिटाबुलम)।
- कब्जा संधि (Hinge Joint): केवल एक तल में गति (जैसे दरवाजे का कब्जा)। उदाहरण: घुटने की संधि, कोहनी की संधि, अंगुलियों की संधियाँ।
- धुराग्र संधि (Pivot Joint): एक अस्थि दूसरी अस्थि के ऊपर धुरी की तरह घूमती है। उदाहरण: एटलस (C1) और एक्सिस (C2) कशेरुकाओं के बीच संधि (सिर का घूमना)।
- विसर्पी संधि (Gliding Joint): अस्थियाँ एक-दूसरे पर फिसलती हैं। उदाहरण: कार्पल्स (कलाई) के बीच, टार्सल्स (टखने) के बीच।
- सैडल संधि (Saddle Joint): काठी के आकार की संधि। उदाहरण: अंगूठे के कार्पल और मेटाकार्पल के बीच संधि।
- रेशेदार संधि (Fibrous Joint) / अचल संधि (Immovable Joint):
8. पेशीय एवं कंकाल तंत्र के विकार (Disorders of Muscular and Skeletal System)
- मायस्थेनिया ग्रेविस (Myasthenia Gravis): एक स्वप्रतिरक्षित (Autoimmune) विकार जिसमें तंत्रिका-पेशी संगम प्रभावित होता है। शरीर एंटीबॉडीज बनाता है जो एसिटाइलकोलीन ग्राहियों को अवरुद्ध कर देती हैं। लक्षण: पेशियों में कमजोरी, थकान, पक्षाघात।
- पेशीय दुष्पोषण (Muscular Dystrophy): आनुवंशिक विकार जिसमें धीरे-धीरे कंकाल पेशियों का अपह्रास (Degeneration) होता जाता है।
- अपतानिका (Tetany): शरीर में कैल्शियम आयनों (Ca++) की कमी के कारण पेशियों में तीव्र ऐंठन (Wild contractions) या अनियंत्रित संकुचन।
- संधिशोथ (Arthritis): संधियों में सूजन (Inflammation)। कई प्रकार का होता है, जैसे ऑस्टियोआर्थराइटिस (उम्र के साथ उपास्थि घिसना), रूमेटॉइड आर्थराइटिस (स्वप्रतिरक्षित विकार), गाउटी आर्थराइटिस।
- अस्थि सुषिरता (Osteoporosis): उम्र से संबंधित विकार जिसमें अस्थि द्रव्यमान (Bone mass) कम हो जाता है और अस्थि भंग (Fracture) की संभावना बढ़ जाती है। एस्ट्रोजन हार्मोन की कमी (विशेषकर रजोनिवृत्ति के बाद महिलाओं में) एक प्रमुख कारण है। कैल्शियम और विटामिन डी की कमी भी योगदान करती है।
- गाउट (Gout): यूरिक अम्ल (Uric acid) के क्रिस्टल संधियों में जमा होने के कारण संधियों में सूजन और तीव्र दर्द। यह यूरिक अम्ल के उपापचय में गड़बड़ी के कारण होता है।
अभ्यास हेतु बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs):
प्रश्न 1: मानव शरीर में पक्ष्माभी गति (Ciliary movement) कहाँ पाई जाती है?
(a) महाभक्षकाणु में
(b) श्वासनली में
(c) कंकाल पेशियों में
(d) लाल रक्त कणिकाओं में
प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सी पेशी अनैच्छिक (Involuntary) नहीं है?
(a) हृद पेशी
(b) चिकनी पेशी
(c) कंकाल पेशी
(d) अंतरांग पेशी
प्रश्न 3: सार्कोमियर की सीमा का निर्धारण कौन सी रेखा करती है?
(a) M-रेखा
(b) Z-रेखा
(c) H-जोन
(d) A-बैंड
प्रश्न 4: पेशी संकुचन के दौरान क्रॉस-सेतु (Cross-bridge) बनाने के लिए एक्टिन से कौन जुड़ता है?
(a) ट्रोपोनिन
(b) ट्रोपोमायोसिन
(c) मायोसिन का सिर
(d) मायोसिन की पूंछ
प्रश्न 5: पेशी संकुचन के लिए सार्कोप्लाज्मिक रेटिकुलम से कौन सा आयन मुक्त होता है?
(a) सोडियम (Na+)
(b) पोटैशियम (K+)
(c) कैल्शियम (Ca++)
(d) मैग्नीशियम (Mg++)
प्रश्न 6: निम्नलिखित में से कौन सी अस्थि अक्षीय कंकाल (Axial skeleton) का भाग है?
(a) ह्यूमरस
(b) फीमर
(c) उरोस्थि (Sternum)
(d) स्कैपुला
प्रश्न 7: मानव शरीर की सबसे लंबी अस्थि कौन सी है?
(a) टिबिआ
(b) ह्यूमरस
(c) फीमर
(d) कशेरुक दंड
प्रश्न 8: कोहनी की संधि (Elbow joint) किस प्रकार की संधि का उदाहरण है?
(a) कंदुक-खल्लिका संधि
(b) कब्जा संधि
(c) धुराग्र संधि
(d) विसर्पी संधि
प्रश्न 9: मायस्थेनिया ग्रेविस किस प्रकार का विकार है?
(a) आनुवंशिक विकार
(b) स्वप्रतिरक्षित विकार
(c) जीवाणु संक्रमण
(d) हार्मोनल असंतुलन
प्रश्न 10: एक सामान्य वयस्क मनुष्य में कुल कितनी पसलियाँ (Ribs) होती हैं?
(a) 12
(b) 24
(c) 14
(d) 22
उत्तर कुंजी:
- (b)
- (c)
- (b)
- (c)
- (c)
- (c)
- (c)
- (b)
- (b)
- (b) (12 जोड़ी = 24 पसलियाँ)
यह विस्तृत नोट्स और प्रश्न आपकी परीक्षा की तैयारी में सहायक होंगे। ध्यानपूर्वक अध्ययन करें और अवधारणाओं को समझें। शुभकामनाएँ!