Class 11 Biology Notes Chapter 22 (Chapter 22) – Examplar Problems (Hindi) Book

प्रिय विद्यार्थियों,
आज हम कक्षा 11 जीव विज्ञान के अध्याय 22 'रासायनिक समन्वय तथा एकीकरण' का विस्तृत अध्ययन करेंगे। यह अध्याय आपकी विभिन्न सरकारी परीक्षाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें मानव शरीर के हार्मोनल नियंत्रण और समन्वय से संबंधित मूलभूत अवधारणाएँ शामिल हैं। हम प्रत्येक अंतःस्रावी ग्रंथि, उसके द्वारा स्रावित हार्मोन, उनके कार्यों और उनसे संबंधित विकारों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
अध्याय 22: रासायनिक समन्वय तथा एकीकरण (Chemical Coordination and Integration)
मानव शरीर में तंत्रिका तंत्र के साथ-साथ अंतःस्रावी तंत्र भी विभिन्न शारीरिक क्रियाओं का समन्वय और नियंत्रण करता है। अंतःस्रावी तंत्र में नलिकाविहीन ग्रंथियाँ (अंतःस्रावी ग्रंथियाँ) होती हैं जो हार्मोन नामक रासायनिक संदेशवाहकों को सीधे रक्त में स्रावित करती हैं।
1. अंतःस्रावी ग्रंथियाँ और हार्मोन की प्रकृति:
- अंतःस्रावी ग्रंथियाँ: ये नलिकाविहीन ग्रंथियाँ होती हैं जो अपने स्राव (हार्मोन) को सीधे रक्त में छोड़ती हैं।
- हार्मोन: ये गैर-पोषक रसायन होते हैं जो अंतःकोशिकीय संदेशवाहकों के रूप में कार्य करते हैं और बहुत कम मात्रा में स्रावित होते हैं। इनकी रासायनिक प्रकृति प्रोटीन, स्टेरॉयड, आयोडोथायरोनिन या अमीनो अम्ल व्युत्पन्न हो सकती है।
2. मानव अंतःस्रावी तंत्र:
A. हाइपोथैलेमस (Hypothalamus):
- स्थान: अग्र मस्तिष्क के डायएनसिफेलॉन का आधार भाग।
- कार्य: यह पीयूष ग्रंथि को नियंत्रित करता है। यह न्यूरोस्रावी कोशिकाओं से हार्मोन स्रावित करता है।
- हार्मोन:
- मोचक हार्मोन (Releasing Hormones): ये अग्र पीयूष ग्रंथि के हार्मोन के स्राव को उत्तेजित करते हैं। उदाहरण: गोनैडोट्रोपिन मोचक हार्मोन (GnRH) - LH और FSH के स्राव को उत्तेजित करता है।
- निरोधी हार्मोन (Inhibiting Hormones): ये अग्र पीयूष ग्रंथि के हार्मोन के स्राव को रोकते हैं। उदाहरण: सोमैटोस्टेटिन (ग्रोथ हार्मोन निरोधी हार्मोन) - वृद्धि हार्मोन के स्राव को रोकता है।
- विशेषता: हाइपोथैलेमिक हार्मोन पोर्टल परिसंचरण तंत्र के माध्यम से पीयूष ग्रंथि तक पहुँचते हैं।
B. पीयूष ग्रंथि (Pituitary Gland):
- स्थान: स्फेनॉइड हड्डी के सेला टर्सिका नामक गड्ढे में स्थित।
- भाग:
- अग्र पीयूष (Adenohypophysis): पार्स डिस्टैलिस (अग्र पीयूष) और पार्स इंटरमीडिया।
- पश्च पीयूष (Neurohypophysis): पार्स नर्वोसा।
- अग्र पीयूष द्वारा स्रावित हार्मोन (पार्स डिस्टैलिस):
- वृद्धि हार्मोन (GH - Growth Hormone): शरीर की वृद्धि को नियंत्रित करता है।
- अल्पस्राव: वामनता (Dwarfism) - असामान्य रूप से छोटी काया।
- अतिस्राव:
- बच्चों में: भीमकायता (Gigantism) - अत्यधिक वृद्धि।
- वयस्कों में: एक्रोमेगेली (Acromegaly) - चेहरे, हाथ-पैर की हड्डियों का अत्यधिक बढ़ना।
- प्रोलैक्टिन (PRL): स्तन ग्रंथियों की वृद्धि और दुग्ध उत्पादन को नियंत्रित करता है।
- थायरॉइड प्रेरक हार्मोन (TSH - Thyroid Stimulating Hormone): थायरॉइड ग्रंथि को थायरॉइड हार्मोन स्रावित करने के लिए उत्तेजित करता है।
- एड्रिनोकॉर्टिकोट्रोपिक हार्मोन (ACTH): अधिवृक्क कॉर्टेक्स को ग्लूकोकॉर्टिकॉइड्स स्रावित करने के लिए उत्तेजित करता है।
- ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (LH):
- पुरुषों में: लेडिग कोशिकाओं को एण्ड्रोजन स्रावित करने के लिए उत्तेजित करता है।
- महिलाओं में: अंडोत्सर्ग, कॉर्पस ल्यूटियम के निर्माण और प्रोजेस्टेरॉन स्राव को प्रेरित करता है।
- पुटक प्रेरक हार्मोन (FSH - Follicle Stimulating Hormone):
- पुरुषों में: शुक्राणुजनन को नियंत्रित करता है।
- महिलाओं में: अंडाशय में पुटक वृद्धि और विकास को उत्तेजित करता है।
- वृद्धि हार्मोन (GH - Growth Hormone): शरीर की वृद्धि को नियंत्रित करता है।
- पार्स इंटरमीडिया द्वारा स्रावित हार्मोन:
- मेलेनोसाइट प्रेरक हार्मोन (MSH): त्वचा के वर्णकता को नियंत्रित करता है।
- पश्च पीयूष द्वारा स्रावित हार्मोन (वास्तव में हाइपोथैलेमस द्वारा संश्लेषित और यहाँ संग्रहित):
- ऑक्सीटोसिन (Oxytocin): गर्भाशय के चिकने पेशियों के संकुचन (प्रसव के दौरान) और दुग्ध निष्कासन में सहायक।
- वैसोप्रेसिन (Vasopressin) या एंटी-डाइयूरेटिक हार्मोन (ADH): वृक्क नलिकाओं से जल के पुनरावशोषण को बढ़ाता है, जिससे मूत्र पतला नहीं होता और रक्तचाप बढ़ता है।
- अल्पस्राव: मधुमेह इन्सिपिडस (Diabetes Insipidus) - अत्यधिक पतला मूत्र और प्यास।
C. पीनियल ग्रंथि (Pineal Gland):
- स्थान: अग्र मस्तिष्क के पृष्ठीय भाग में।
- हार्मोन: मेलाटोनिन।
- कार्य: शरीर की 24 घंटे की दैनिक लय (circadian rhythm) को नियंत्रित करता है, जैसे नींद-जागने का चक्र, शरीर का तापमान, उपापचय, वर्णकता, मासिक धर्म चक्र और प्रतिरक्षा क्षमता।
D. थायरॉइड ग्रंथि (Thyroid Gland):
- स्थान: श्वासनली के दोनों ओर।
- संरचना: दो पालियों से बनी, जो इस्थमस नामक संयोजी ऊतक से जुड़ी होती हैं। पुटिकाओं (follicles) और स्ट्रोमल ऊतक से बनी होती है। पुटिका कोशिकाएँ थायरॉइड हार्मोन संश्लेषित करती हैं।
- हार्मोन:
- थायरोक्सिन (T4 - टेट्राआयोडोथायरोनिन) और ट्राईआयोडोथायरोनिन (T3): इनके संश्लेषण के लिए आयोडीन आवश्यक है।
- कार्य: बेसल मेटाबॉलिक रेट (BMR) का नियमन, RBC निर्माण, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और वसा उपापचय का नियंत्रण, जल और विद्युत अपघट्य संतुलन।
- थायरोकैल्सिटोनिन (TCT): रक्त में कैल्शियम स्तर को कम करता है।
- थायरोक्सिन (T4 - टेट्राआयोडोथायरोनिन) और ट्राईआयोडोथायरोनिन (T3): इनके संश्लेषण के लिए आयोडीन आवश्यक है।
- विकार:
- हाइपोथायरॉइडिज्म (Hypothyroidism - अल्पस्राव):
- आयोडीन की कमी से: गॉइटर (Goitre) - थायरॉइड ग्रंथि का बढ़ना।
- गर्भावस्था में: क्रेटिनिज्म (Cretinism) - बच्चों में मानसिक मंदता, बौनापन, त्वचा का सूखापन।
- वयस्कों में: मिक्सोएडेमा (Myxedema) - सुस्ती, वजन बढ़ना, त्वचा का मोटा होना।
- हाइपरथायरॉइडिज्म (Hyperthyroidism - अतिस्राव):
- ग्रेव्स रोग (Graves' disease) या एक्सोफ्थैल्मिक गॉइटर (Exophthalmic Goitre) - थायरॉइड ग्रंथि का बढ़ना, आँखों का बाहर निकलना, BMR बढ़ना, वजन कम होना।
- हाइपोथायरॉइडिज्म (Hypothyroidism - अल्पस्राव):
E. पैराथायरॉइड ग्रंथि (Parathyroid Gland):
- स्थान: थायरॉइड ग्रंथि की पश्च सतह पर चार छोटी ग्रंथियाँ।
- हार्मोन: पैराथायरॉइड हार्मोन (PTH)।
- कार्य: रक्त में कैल्शियम के स्तर को बढ़ाता है (हाइपरकैल्सीमिक हार्मोन)। यह हड्डियों से कैल्शियम के पुनरावशोषण, वृक्क नलिकाओं से कैल्शियम के पुनरावशोषण और पाचन तंत्र से कैल्शियम के अवशोषण को बढ़ाता है।
- विशेषता: PTH और TCT मिलकर रक्त में कैल्शियम संतुलन बनाए रखते हैं।
F. थाइमस ग्रंथि (Thymus Gland):
- स्थान: फेफड़ों के बीच, उरोस्थि के पीछे।
- हार्मोन: थाइमोसिन।
- कार्य: T-लिम्फोसाइट्स के विभेदन और परिपक्वन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो कोशिका-मध्यस्थ प्रतिरक्षा (CMI) के लिए जिम्मेदार हैं। यह एंटीबॉडी उत्पादन को भी बढ़ावा देता है। उम्र के साथ यह ग्रंथि पतली होती जाती है, जिससे वृद्धावस्था में प्रतिरक्षा कम हो जाती है।
G. अधिवृक्क ग्रंथि (Adrenal Gland):
- स्थान: प्रत्येक वृक्क के ऊपरी भाग पर।
- भाग:
- अधिवृक्क कॉर्टेक्स (Adrenal Cortex): बाहरी परत, जो तीन क्षेत्रों में विभाजित है - ज़ोना ग्लोमेरुलोसा, ज़ोना फैसिकुलाटा, ज़ोना रेटिकुलरिस।
- अधिवृक्क मेडुला (Adrenal Medulla): आंतरिक परत।
- अधिवृक्क कॉर्टेक्स द्वारा स्रावित हार्मोन (कॉर्टिकॉइड्स):
- मिनरलोकॉर्टिकॉइड्स (Mineralocorticoids): जल और विद्युत अपघट्य संतुलन को नियंत्रित करते हैं।
- एल्डोस्टेरॉन (Aldosterone): वृक्क नलिकाओं से Na+ और जल के पुनरावशोषण तथा K+ और फॉस्फेट आयनों के उत्सर्जन को नियंत्रित करता है।
- ग्लूकोकॉर्टिकॉइड्स (Glucocorticoids): कार्बोहाइड्रेट, वसा और प्रोटीन उपापचय को नियंत्रित करते हैं।
- कॉर्टिसोल (Cortisol): ग्लूकोनियोजेनेसिस, लिपोलाइसिस और प्रोटियोलाइसिस को प्रेरित करता है। एंटी-इंफ्लेमेटरी (सूजन-रोधी) और प्रतिरक्षादमनकारी (immunosuppressive) प्रभाव होते हैं। तनाव के प्रति प्रतिक्रिया में महत्वपूर्ण।
- गोनैडोकॉर्टिकॉइड्स (Gonadocorticoids): बहुत कम मात्रा में स्रावित होते हैं, जैसे एण्ड्रोजन। यौवनारंभ में अक्षीय बालों, जघन बालों और चेहरे के बालों की वृद्धि में भूमिका।
- मिनरलोकॉर्टिकॉइड्स (Mineralocorticoids): जल और विद्युत अपघट्य संतुलन को नियंत्रित करते हैं।
- अधिवृक्क मेडुला द्वारा स्रावित हार्मोन:
- एड्रेनालिन (Adrenaline) या एपिनेफ्रीन (Epinephrine)।
- नॉर-एड्रेनालिन (Nor-adrenaline) या नॉर-एपिनेफ्रीन (Nor-epinephrine)।
- कार्य: आपातकालीन हार्मोन या 'लड़ो या उड़ो' (fight or flight) हार्मोन। हृदय गति, रक्तचाप, ग्लूकोज स्तर बढ़ाते हैं। पुतलियों का फैलाव, रोमों का खड़ा होना, पसीना आना आदि।
- विकार:
- एडीसन रोग (Addison's Disease): अधिवृक्क कॉर्टेक्स के अल्पस्राव से होता है, जिससे इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन, थकान और त्वचा का पिगमेंटेशन होता है।
- कुशिंग सिंड्रोम (Cushing's Syndrome): कॉर्टिसोल के अतिस्राव से होता है, जिससे चेहरे पर सूजन (मून फेस), मोटापा, उच्च रक्तचाप और मांसपेशियों की कमजोरी होती है।
H. अग्न्याशय (Pancreas):
- स्थान: आमाशय के पीछे स्थित, मिश्रित ग्रंथि (बहिःस्रावी और अंतःस्रावी दोनों)।
- अंतःस्रावी भाग: लैंगरहैंस के द्वीप समूह (Islets of Langerhans)।
- अल्फा कोशिकाएँ: ग्लूकागॉन स्रावित करती हैं।
- बीटा कोशिकाएँ: इंसुलिन स्रावित करती हैं।
- हार्मोन:
- ग्लूकागॉन (Glucagon): रक्त शर्करा के स्तर को बढ़ाता है (हाइपरग्लाइसेमिक हार्मोन)। ग्लाइकोजेनोलिसिस और ग्लूकोनियोजेनेसिस को प्रेरित करता है।
- इंसुलिन (Insulin): रक्त शर्करा के स्तर को कम करता है (हाइपोग्लाइसेमिक हार्मोन)। ग्लूकोज के कोशिकीय अवशोषण और उपयोग को बढ़ाता है, ग्लाइकोजेनेसिस को प्रेरित करता है।
- विकार:
- मधुमेह मेलिटस (Diabetes Mellitus): इंसुलिन के अल्पस्राव या क्रिया में कमी के कारण होता है। रक्त शर्करा का स्तर बढ़ जाता है (हाइपरग्लाइसेमिया), मूत्र में ग्लूकोज और कीटोन पिंड दिखाई देते हैं।
I. वृषण (Testis - पुरुषों में):
- स्थान: वृषण कोष में।
- हार्मोन: एण्ड्रोजन (मुख्यतः टेस्टोस्टेरॉन)।
- कार्य: नर गौण लैंगिक लक्षणों का विकास (जैसे आवाज का भारी होना, चेहरे और शरीर पर बालों का बढ़ना), शुक्राणुजनन, मांसपेशियों की वृद्धि, आक्रामकता।
J. अंडाशय (Ovary - महिलाओं में):
- स्थान: उदर गुहा में।
- हार्मोन:
- एस्ट्रोजन (Estrogen): मादा गौण लैंगिक लक्षणों का विकास (जैसे स्तन विकास, आवाज का पतला होना), अंडाशय पुटिकाओं का विकास।
- प्रोजेस्टेरॉन (Progesterone): गर्भावस्था के रखरखाव, स्तन ग्रंथियों के विकास और दुग्ध स्राव की तैयारी में महत्वपूर्ण।
3. अन्य अंगों द्वारा स्रावित हार्मोन:
- हृदय: एट्रियल नैट्रियुरेटिक फैक्टर (ANF) - रक्तचाप कम करता है।
- वृक्क: एरिथ्रोपोइटिन (Erythropoietin) - RBC निर्माण को उत्तेजित करता है।
- जठरांत्र संबंधी मार्ग: गैस्ट्रिन, सेक्रेटिन, कोलिसिस्टोकाइनिन (CCK), गैस्ट्रिक इनहिबिटरी पेप्टाइड (GIP) - पाचन क्रिया को नियंत्रित करते हैं।
4. हार्मोन की क्रियाविधि (Mechanism of Hormone Action):
हार्मोन अपने विशिष्ट ग्राही (receptors) से जुड़कर लक्ष्य कोशिकाओं पर कार्य करते हैं। ग्राही प्रोटीन के बने होते हैं और लक्ष्य कोशिकाओं में या उनकी सतह पर स्थित होते हैं।
- झिल्ली-बद्ध ग्राही (Membrane-bound receptors): प्रोटीन और पेप्टाइड हार्मोन, कैटेकोलामाइन। ये हार्मोन कोशिका झिल्ली में प्रवेश नहीं कर सकते। ग्राही से जुड़कर द्वितीयक संदेशवाहकों (जैसे cAMP, IP3, Ca++) का उत्पादन करते हैं, जो कोशिकीय प्रतिक्रियाओं को प्रेरित करते हैं।
- अंतःकोशिकीय ग्राही (Intracellular receptors): स्टेरॉयड हार्मोन, थायरॉइड हार्मोन। ये हार्मोन कोशिका झिल्ली में प्रवेश कर सकते हैं। ग्राही से जुड़कर हार्मोन-ग्राही कॉम्प्लेक्स बनाते हैं, जो जीनोम के साथ अंतःक्रिया करके जीन अभिव्यक्ति को नियंत्रित करता है।
बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions - MCQs)
निर्देश: प्रत्येक प्रश्न के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प चुनें।
-
निम्नलिखित में से कौन सा हार्मोन 'लड़ो या उड़ो' (fight or flight) हार्मोन के रूप में जाना जाता है?
a) थायरोक्सिन
b) इंसुलिन
c) एड्रेनालिन
d) ऑक्सीटोसिन -
पीयूष ग्रंथि के अल्पस्राव के कारण बच्चों में होने वाला विकार है:
a) एक्रोमेगेली
b) भीमकायता
c) वामनता
d) गॉइटर -
रक्त में कैल्शियम के स्तर को कम करने वाला हार्मोन कौन सा है?
a) पैराथायरॉइड हार्मोन (PTH)
b) थायरोकैल्सिटोनिन (TCT)
c) कॉर्टिसोल
d) ग्लूकागॉन -
मधुमेह इन्सिपिडस किस हार्मोन की कमी के कारण होता है?
a) इंसुलिन
b) ग्लूकागॉन
c) वैसोप्रेसिन (ADH)
d) थायरोक्सिन -
लैंगरहैंस के द्वीप समूह की बीटा कोशिकाएँ कौन सा हार्मोन स्रावित करती हैं?
a) ग्लूकागॉन
b) इंसुलिन
c) सोमैटोस्टेटिन
d) गैस्ट्रिन -
थाइमस ग्रंथि द्वारा स्रावित हार्मोन का मुख्य कार्य क्या है?
a) रक्त शर्करा का नियमन
b) T-लिम्फोसाइट्स का परिपक्वन
c) दुग्ध उत्पादन
d) रक्तचाप का नियंत्रण -
निम्नलिखित में से कौन सा हार्मोन स्टेरॉयड प्रकृति का है?
a) इंसुलिन
b) ग्लूकागॉन
c) एस्ट्रोजन
d) ऑक्सीटोसिन -
एल्डोस्टेरॉन का मुख्य कार्य क्या है?
a) रक्त शर्करा का नियमन
b) जल और विद्युत अपघट्य संतुलन का नियमन
c) प्रोटीन उपापचय
d) प्रजनन अंगों का विकास -
मेलाटोनिन हार्मोन किस ग्रंथि द्वारा स्रावित होता है और इसका मुख्य कार्य क्या है?
a) पीयूष ग्रंथि; वृद्धि का नियमन
b) थायरॉइड ग्रंथि; उपापचय का नियमन
c) पीनियल ग्रंथि; दैनिक लय का नियमन
d) अधिवृक्क ग्रंथि; तनाव प्रतिक्रिया -
गर्भावस्था के रखरखाव के लिए कौन सा हार्मोन आवश्यक है?
a) एस्ट्रोजन
b) प्रोजेस्टेरॉन
c) LH
d) FSH
उत्तर कुंजी (Answer Key):
- c) एड्रेनालिन
- c) वामनता
- b) थायरोकैल्सिटोनिन (TCT)
- c) वैसोप्रेसिन (ADH)
- b) इंसुलिन
- b) T-लिम्फोसाइट्स का परिपक्वन
- c) एस्ट्रोजन
- b) जल और विद्युत अपघट्य संतुलन का नियमन
- c) पीनियल ग्रंथि; दैनिक लय का नियमन
- b) प्रोजेस्टेरॉन
मुझे आशा है कि ये विस्तृत नोट्स और बहुविकल्पीय प्रश्न आपकी सरकारी परीक्षाओं की तैयारी में सहायक होंगे। शुभकामनाएँ!