Class 11 Biology Notes Chapter 22 (रासायनिक समन्वय तथा एकीकरण) – Jeev Vigyan Book

Jeev Vigyan
नमस्ते विद्यार्थियों।

आज हम कक्षा 11 जीव विज्ञान के अध्याय 22, 'रासायनिक समन्वय तथा एकीकरण' (Chemical Coordination and Integration) का अध्ययन करेंगे। यह अध्याय प्रतियोगी परीक्षाओं की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह हमारे शरीर की जटिल कार्यप्रणाली को समझने में मदद करता है। जिस प्रकार तंत्रिका तंत्र तीव्र समन्वय स्थापित करता है, उसी प्रकार हमारा अंतःस्रावी तंत्र (Endocrine System) हॉर्मोन (Hormones) नामक रसायनों के माध्यम से धीमा किन्तु व्यापक समन्वय और एकीकरण सुनिश्चित करता है।

चलिए, इस अध्याय के मुख्य बिंदुओं को विस्तार से समझते हैं:

1. अंतःस्रावी ग्रंथियां और हॉर्मोन (Endocrine Glands and Hormones):

  • अंतःस्रावी तंत्र: यह नलिकाविहीन ग्रंथियों (Ductless glands) का समूह है जो अपना स्राव (हॉर्मोन) सीधे रक्त में छोड़ती हैं, जिससे यह शरीर के विभिन्न भागों तक पहुँचता है।
  • हॉर्मोन: ये अपोषक रसायन (Non-nutrient chemicals) हैं जो अंतरकोशिकीय संदेशवाहक (Intercellular messengers) के रूप में कार्य करते हैं और बहुत कम मात्रा में उत्पन्न होते हैं। ये लक्ष्य अंगों (Target organs) की कोशिकाओं पर स्थित विशिष्ट ग्राही (Receptors) से बंधकर अपना प्रभाव डालते हैं।
  • बहिःस्रावी ग्रंथियां (Exocrine glands): ये नलिका युक्त ग्रंथियां होती हैं (जैसे लार ग्रंथि, स्वेद ग्रंथि) जो अपना स्राव नलिकाओं के माध्यम से शरीर की सतह या गुहाओं में पहुंचाती हैं।

2. मानव अंतःस्रावी तंत्र (Human Endocrine System):

मानव शरीर में व्यवस्थित अंतःस्रावी ग्रंथियां इस प्रकार हैं:

  • हाइपोथैलेमस (Hypothalamus):

    • स्थान: अग्र मस्तिष्क (Forebrain) के डाइएनसेफलॉन (Diencephalon) का भाग।
    • कार्य: यह पीयूष ग्रंथि (Pituitary gland) के स्रावण का नियंत्रण करता है। यह दो प्रकार के हॉर्मोन स्रावित करता है:
      • मोचक हॉर्मोन (Releasing Hormones): पीयूष ग्रंथि को हॉर्मोन स्रावित करने के लिए प्रेरित करते हैं (जैसे GnRH - गोनैडोट्रॉपिन रिलीजिंग हॉर्मोन)।
      • निरोधी हॉर्मोन (Inhibiting Hormones): पीयूष ग्रंथि के हॉर्मोन स्रावण को रोकते हैं (जैसे सोमैटोस्टैटिन - वृद्धि हॉर्मोन के स्रावण को रोकता है)।
    • ये हॉर्मोन तंत्रिका स्रावी कोशिकाओं (Neurosecretory cells) द्वारा स्रावित होते हैं और पोर्टल परिसंचरण तंत्र द्वारा अग्र पीयूष ग्रंथि तक पहुँचते हैं। पश्च पीयूष ग्रंथि का नियंत्रण सीधे तंत्रिकीय नियमन द्वारा होता है।
  • पीयूष ग्रंथि (Pituitary Gland):

    • स्थान: मस्तिष्क में हाइपोथैलेमस के नीचे एक अस्थि गुहा 'सेला टर्सिका' (Sella turcica) में स्थित।
    • भाग:
      • एडिनोहाइपोफाइसिस (Adenohypophysis) (अग्र पीयूष): दो भाग - पार्स डिस्टेलिस (Pars distalis) और पार्स इंटरमीडिया (Pars intermedia)।
        • पार्स डिस्टेलिस से स्रावित हॉर्मोन:
          • वृद्धि हॉर्मोन (GH): शारीरिक वृद्धि। (अल्पस्राव - बौनापन; अतिस्राव - भीमकायता, एक्रोमिगेली)
          • प्रोलेक्टिन (PRL): दुग्ध ग्रंथियों की वृद्धि और दुग्ध निर्माण।
          • थायरॉइड प्रेरक हॉर्मोन (TSH): थायरॉइड ग्रंथि को हॉर्मोन स्रावण हेतु प्रेरित करना।
          • एड्रिनोकोर्टिकोट्रॉपिक हॉर्मोन (ACTH): एड्रीनल कॉर्टेक्स को ग्लूकोकॉर्टिकॉइड स्रावित करने हेतु प्रेरित करना।
          • ल्यूटीनाइजिंग हॉर्मोन (LH) और फॉलिकल स्टिमुलेटिंग हॉर्मोन (FSH) (गोनैडोट्रॉपिन्स): जनदों (Gonads) की क्रियाओं का नियंत्रण। (LH पुरुषों में एंड्रोजन स्रावण, महिलाओं में अंडोत्सर्ग व कॉर्पस ल्यूटियम निर्माण; FSH पुरुषों में शुक्रजनन, महिलाओं में अंडाशयी पुटकों की वृद्धि)।
        • पार्स इंटरमीडिया से स्रावित हॉर्मोन:
          • मेलानोसाइट प्रेरक हॉर्मोन (MSH): त्वचा की वर्णकता (Pigmentation) का नियमन (मनुष्यों में लगभग विलयित)।
      • न्यूरोहाइपोफाइसिस (Neurohypophysis) (पश्च पीयूष): यह हॉर्मोन बनाता नहीं, बल्कि हाइपोथैलेमस में बने हॉर्मोन का संग्रह और स्रावण करता है।
        • ऑक्सीटोसिन (Oxytocin): गर्भाशय की चिकनी पेशियों का संकुचन (प्रसव के समय), दुग्ध ग्रंथियों से दुग्ध स्राव।
        • वैसोप्रेसिन (Vasopressin) या एंटीडाइयूरेटिक हॉर्मोन (ADH): वृक्क नलिकाओं से जल का पुनरावशोषण, मूत्र द्वारा जल हानि को कम करना। (कमी से - डायबिटीज इन्सिपिडस)।
  • पीनियल ग्रंथि (Pineal Gland):

    • स्थान: अग्र मस्तिष्क के पृष्ठीय भाग में।
    • हॉर्मोन: मेलाटोनिन (Melatonin)।
    • कार्य: शरीर की दैनिक लय (24-घंटे की लय - Diurnal rhythm) का नियमन (सोना-जागना चक्र), शरीर का तापमान, उपापचय, वर्णकता, मासिक चक्र, प्रतिरक्षा क्षमता को प्रभावित करना।
  • थायरॉइड ग्रंथि (Thyroid Gland):

    • स्थान: गर्दन में श्वास नली (Trachea) के दोनों ओर स्थित दो पालियों (Lobes) से बनी, जो इस्थमस (Isthmus) नामक संयोजी ऊतक से जुड़ी होती हैं।
    • संरचना: पुटकों (Follicles) और भरण ऊतक (Stromal tissues) से निर्मित। पुटक कोशिकाएं हॉर्मोन बनाती हैं।
    • हॉर्मोन:
      • टेट्राआयोडोथायरोनिन या थायरॉक्सिन (T4) और ट्राईआयोडोथायरोनिन (T3): आयोडीन संश्लेषण के लिए आवश्यक।
      • थायरोकैल्सिटोनिन (TCT): रक्त में कैल्शियम स्तर को कम करता है (हाइपोकैल्सिमिक हॉर्मोन)।
    • कार्य (T3/T4): आधारीय उपापचयी दर (BMR) का नियमन, लाल रक्त कणिकाओं (RBC) के निर्माण में सहायक, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और वसा के उपापचय का नियंत्रण, जल और विद्युत अपघट्यों (Electrolytes) का संतुलन।
    • विकार:
      • अल्पस्राव (Hypothyroidism): गलगंड/घेंघा (Goitre - आयोडीन की कमी से), क्रेटिनिज्म (Cretinism - गर्भावस्था में अल्पस्राव से बच्चे में अविकसित वृद्धि, मंदबुद्धि), मिक्सोडीमा (Myxoedema - वयस्कों में)।
      • अतिस्राव (Hyperthyroidism): नेत्रोत्सेधी गलगंड (Exophthalmic goitre) या ग्रेव्स रोग (Graves' disease) - BMR बढ़ना, नेत्र गोलक बाहर आना, वजन कम होना।
  • पैराथायरॉइड ग्रंथि (Parathyroid Gland):

    • स्थान: थायरॉइड ग्रंथि की पृष्ठीय सतह पर स्थित चार छोटी ग्रंथियां।
    • हॉर्मोन: पैराथायरॉइड हॉर्मोन (PTH) या पैराथॉर्मोन।
    • कार्य: रक्त में कैल्शियम आयनों (Ca++) के स्तर को बढ़ाता है (हाइपरकैल्सिमिक हॉर्मोन)। यह अस्थियों से कैल्शियम के अवशोषण, वृक्क नलिकाओं द्वारा Ca++ के पुनरावशोषण और भोजन से Ca++ के अवशोषण को प्रेरित करता है। यह TCT के साथ मिलकर कैल्शियम संतुलन बनाए रखता है।
  • थाइमस ग्रंथि (Thymus Gland):

    • स्थान: उरोस्थि (Sternum) के पीछे, महाधमनी (Aorta) के अधर भाग में स्थित।
    • हॉर्मोन: थाइमोसिन (Thymosins) (पेप्टाइड हॉर्मोन)।
    • कार्य: टी-लिम्फोसाइट्स (T-lymphocytes) के विभेदन में मुख्य भूमिका, जो कोशिका-माध्यित प्रतिरक्षा (Cell-mediated immunity - CMI) प्रदान करते हैं। यह प्रतिपिंड (Antibody) उत्पादन (तरल प्रतिरक्षा - Humoral immunity) के लिए बी-लिम्फोसाइट्स को भी प्रेरित करते हैं।
    • विशेषता: वृद्धावस्था में यह ग्रंथि अपहसित (Degenerate) हो जाती है, जिससे प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया कमजोर हो जाती है।
  • अधिवृक्क ग्रंथि (Adrenal Gland):

    • स्थान: प्रत्येक वृक्क (Kidney) के अग्र भाग पर स्थित (टोपीनुमा संरचना)।
    • भाग: बाहरी एड्रीनल कॉर्टेक्स (Adrenal Cortex) और भीतरी एड्रीनल मेड्यूला (Adrenal Medulla)।
      • एड्रीनल कॉर्टेक्स: तीन परतें - जोना रेटिकुलैरिस (आंतरिक), जोना फैसिकुलैटा (मध्य), जोना ग्लोमेरुलोसा (बाहरी)।
        • हॉर्मोन: कॉर्टिकॉइड्स।
          • ग्लूकोकॉर्टिकॉइड्स (मुख्यतः कॉर्टिसोल): कार्बोहाइड्रेट उपापचय (ग्लूकोनियोजेनेसिस, लाइपोलिसिस, प्रोटियोलिसिस), शोथरोधी (Anti-inflammatory) प्रभाव, प्रतिरक्षा निरोधक (Immunosuppressive), RBC उत्पादन में सहायक। (ACTH द्वारा नियंत्रित)।
          • मिनरलोकॉर्टिकॉइड्स (मुख्यतः एल्डोस्टेरॉन): वृक्क नलिकाओं पर कार्य कर Na+ और जल का पुनरावशोषण तथा K+ और फॉस्फेट आयनों का उत्सर्जन। रक्तदाब और परासरणी दाब का नियमन।
          • लिंग कॉर्टिकॉइड्स (Androgenic steroids): अल्प मात्रा में स्रावित, यौवनारम्भ में अक्षीय रोम, जघन रोम और मुखीय रोम की वृद्धि में भूमिका।
        • विकार: एडिसन रोग (Addison's disease - कॉर्टिकॉइड्स का अल्पस्राव), कुशिंग सिंड्रोम (Cushing's syndrome - कॉर्टिसोल का अतिस्राव)।
      • एड्रीनल मेड्यूला:
        • हॉर्मोन: एड्रिनेलिन (एपिनेफ्रीन) और नॉरएड्रिनेलिन (नॉरएपिनेफ्रीन) (कैटेकोलएमीन्स - Catecholamines)।
        • कार्य: आपातकालीन हॉर्मोन (Emergency hormones) या 'लड़ो या भागो' (Fight or Flight) हॉर्मोन। ये संकटकालीन परिस्थितियों में स्रावित होते हैं और सतर्कता, पुतली का फैलना, रोंगटे खड़े होना, पसीना आना, हृदय स्पंदन दर, श्वसन दर, रक्त शर्करा स्तर बढ़ाना आदि प्रभाव उत्पन्न करते हैं।
  • अग्न्याशय (Pancreas):

    • प्रकृति: मिश्रित ग्रंथि (अंतःस्रावी और बहिःस्रावी)।
    • अंतःस्रावी भाग: लैंगरहैंस के द्वीप समूह (Islets of Langerhans) (1-2 मिलियन)।
      • α-कोशिकाएं: ग्लूकागॉन (Glucagon) हॉर्मोन स्रावित करती हैं।
      • β-कोशिकाएं: इंसुलिन (Insulin) हॉर्मोन स्रावित करती हैं।
    • कार्य: रक्त शर्करा का नियमन।
      • ग्लूकागॉन: हाइपरग्लाइसेमिक हॉर्मोन (रक्त शर्करा स्तर बढ़ाता है)। यकृत कोशिकाओं पर कार्य कर ग्लाइकोजेनोलिसिस (Glycogenolysis) और ग्लूकोनियोजेनेसिस (Gluconeogenesis) को प्रेरित करता है।
      • इंसुलिन: हाइपोग्लाइसेमिक हॉर्मोन (रक्त शर्करा स्तर कम करता है)। यकृत और वसा ऊतक की कोशिकाओं द्वारा ग्लूकोज ग्रहण और उपयोग को बढ़ाता है (ग्लाइकोजेनेसिस - Glycogenesis)।
    • विकार: डायबिटीज मेलिटस (Diabetes Mellitus) - इंसुलिन की कमी या अप्रभावीता से रक्त शर्करा स्तर का बढ़ना (हाइपरग्लाइसीमिया), मूत्र में शर्करा का आना (ग्लाइकोसूरिया), कीटोन बॉडीज का निर्माण।
  • जनद (Gonads):

    • वृषण (Testis) (पुरुष):
      • स्थान: वृषण कोष (Scrotal sac) में।
      • अंतःस्रावी कार्य: अंतराली कोशिकाएं (Interstitial cells) या लेडिग कोशिकाएं (Leydig cells) एंड्रोजन (Androgens) समूह का हॉर्मोन, मुख्यतः टेस्टोस्टेरॉन (Testosterone) स्रावित करती हैं।
      • कार्य: पुरुष सहायक लैंगिक अंगों का परिवर्धन, परिपक्वन और क्रियाशीलता; शुक्राणुजनन (Spermatogenesis) का प्रेरण; पुरुष लैंगिक व्यवहार (Libido); पेशीय वृद्धि, रोम वृद्धि, आक्रामक व्यवहार जैसे द्वितीयक लैंगिक लक्षणों का विकास; प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट पर उपचय (Anabolic) प्रभाव। (FSH और LH द्वारा नियंत्रित)।
    • अंडाशय (Ovary) (महिला):
      • स्थान: उदर गुहा में।
      • अंतःस्रावी कार्य: अंडाशयी पुटक (Ovarian follicle) एस्ट्रोजन (Estrogen) स्रावित करते हैं। अंडोत्सर्ग के बाद बचा पुटक कॉर्पस ल्यूटियम (Corpus luteum) बनाता है जो मुख्यतः प्रोजेस्टेरॉन (Progesterone) स्रावित करता है।
      • कार्य:
        • एस्ट्रोजन: महिला सहायक लैंगिक अंगों का परिवर्धन और क्रियाशीलता; अंडाशयी पुटकों की वृद्धि; महिला द्वितीयक लैंगिक लक्षणों (उच्च तारत्व की आवाज, स्तन ग्रंथियों का विकास) का विकास; महिला लैंगिक व्यवहार।
        • प्रोजेस्टेरॉन: गर्भावस्था को बनाए रखना; स्तन ग्रंथियों पर कार्य कर कूपिकाओं (Alveoli) के निर्माण और दुग्ध स्राव को प्रेरित करना। (FSH और LH द्वारा नियंत्रित)।

3. हृदय, वृक्क और जठर-आंत्रीय पथ के हॉर्मोन (Hormones of Heart, Kidney and Gastrointestinal Tract):

अंतःस्रावी ग्रंथियों के अलावा कुछ अन्य ऊतक भी हॉर्मोन स्रावित करते हैं:

  • हृदय (अलिंद भित्ति): एट्रियल नेट्रीयूरेटिक फैक्टर (ANF) - रक्त दाब बढ़ने पर स्रावित होता है और रक्त वाहिकाओं को विस्फारित कर रक्त दाब कम करता है।
  • वृक्क (जूक्सटाग्लोमेरुलर कोशिकाएं): एरिथ्रोपोइटिन (Erythropoietin) - RBC निर्माण (एरिथ्रोपोएसिस) को प्रेरित करता है।
  • जठर-आंत्रीय पथ: गैस्ट्रिन (Gastrin), सीक्रेटिन (Secretin), कोलिसिस्टोकाइनिन (CCK), गैस्ट्रिक इन्हिबिटरी पेप्टाइड (GIP) - ये पाचन रसों और एंजाइमों के स्रावण को नियंत्रित करते हैं।

4. हॉर्मोन क्रिया की क्रियाविधि (Mechanism of Hormone Action):

  • हॉर्मोन लक्ष्य कोशिकाओं की झिल्ली पर या कोशिका के अंदर स्थित विशिष्ट प्रोटीन ग्राही (Hormone receptors) से बंधकर अपना प्रभाव उत्पन्न करते हैं।
  • प्रत्येक ग्राही केवल एक विशेष हॉर्मोन के लिए विशिष्ट होता है।
  • हॉर्मोन-ग्राही सम्मिश्र (Hormone-receptor complex) बनने से लक्ष्य कोशिका में जैव-रासायनिक परिवर्तन होते हैं।
  • रासायनिक प्रकृति के आधार पर हॉर्मोन समूह:
    • पेप्टाइड, पॉलीपेप्टाइड, प्रोटीन हॉर्मोन: (जैसे, इंसुलिन, ग्लूकागॉन, पीयूष हॉर्मोन, हाइपोथैलेमिक हॉर्मोन)। ये झिल्ली-बद्ध ग्राही (Membrane-bound receptors) से जुड़ते हैं।
    • स्टेरॉइड्स: (जैसे, कॉर्टिसोल, टेस्टोस्टेरॉन, एस्ट्रोजन, प्रोजेस्टेरॉन)। ये अंतःकोशिकीय ग्राही (Intracellular receptors), मुख्यतः केंद्रकीय ग्राही से जुड़ते हैं।
    • आयोडोथायरोनिन्स: (थायरॉइड हॉर्मोन)। ये अंतःकोशिकीय ग्राही से जुड़ते हैं।
    • अमीनो-अम्ल व्युत्पन्न: (जैसे, एड्रिनेलिन)। ये झिल्ली-बद्ध ग्राही से जुड़ते हैं।
  • क्रियाविधि:
    • झिल्ली-बद्ध ग्राही (पेप्टाइड हॉर्मोन, कैटेकोलएमीन्स): ये कोशिका में प्रवेश नहीं करते। ग्राही से बंधने पर द्वितीयक संदेशवाहक (Secondary messengers) जैसे चक्रीय AMP (cAMP), IP3, Ca++ आदि उत्पन्न होते हैं, जो कोशिका के अंदर संदेश पहुंचाते हैं और कोशिकीय उपापचय को नियंत्रित करते हैं।
    • अंतःकोशिकीय ग्राही (स्टेरॉइड, थायरॉइड हॉर्मोन): ये कोशिका झिल्ली को पार कर केंद्रक में प्रवेश करते हैं। वहां ये ग्राही से बंधकर हॉर्मोन-ग्राही सम्मिश्र बनाते हैं। यह सम्मिश्र जीनोम (क्रोमेटिन) से बंधकर विशिष्ट जीन की अभिव्यक्ति (mRNA निर्माण और फिर प्रोटीन संश्लेषण) को नियंत्रित करता है, जिससे शारीरिक कार्यिकी में परिवर्तन आता है।

यह इस अध्याय का विस्तृत सारांश है। इसे ध्यानपूर्वक पढ़ें और मुख्य बिंदुओं को याद रखें।


अभ्यास हेतु बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs):

प्रश्न 1: निम्नलिखित में से कौन सी ग्रंथि नलिकाविहीन नहीं है?
(a) थायरॉइड
(b) अधिवृक्क
(c) पीयूष
(d) लार ग्रंथि

प्रश्न 2: हाइपोथैलेमस द्वारा स्रावित कौन सा हॉर्मोन पीयूष ग्रंथि के वृद्धि हॉर्मोन के स्रावण को रोकता है?
(a) GnRH
(b) सोमैटोस्टैटिन
(c) ऑक्सीटोसिन
(d) TSH

प्रश्न 3: रक्त में कैल्शियम के स्तर को बढ़ाने वाला हॉर्मोन कौन सा है?
(a) कैल्सिटोनिन (TCT)
(b) पैराथायरॉइड हॉर्मोन (PTH)
(c) थायरॉक्सिन
(d) इंसुलिन

प्रश्न 4: 'लड़ो या भागो' (Fight or Flight) प्रतिक्रिया के लिए कौन से हॉर्मोन उत्तरदायी हैं?
(a) इंसुलिन और ग्लूकागॉन
(b) एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरॉन
(c) एपिनेफ्रीन और नॉरएपिनेफ्रीन
(d) कॉर्टिसोल और एल्डोस्टेरॉन

प्रश्न 5: डायबिटीज मेलिटस किस हॉर्मोन की कमी या अप्रभावीता के कारण होता है?
(a) ग्लूकागॉन
(b) इंसुलिन
(c) थायरॉक्सिन
(d) वृद्धि हॉर्मोन

प्रश्न 6: टी-लिम्फोसाइट्स के विभेदन में किस ग्रंथि द्वारा स्रावित हॉर्मोन महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है?
(a) थायरॉइड
(b) अधिवृक्क
(c) थाइमस
(d) पीनियल

प्रश्न 7: निम्नलिखित में से कौन सा हॉर्मोन स्टेरॉइड प्रकृति का है?
(a) इंसुलिन
(b) ऑक्सीटोसिन
(c) कॉर्टिसोल
(d) ग्लूकागॉन

प्रश्न 8: वृषण की लेडिग कोशिकाएं कौन सा हॉर्मोन स्रावित करती हैं?
(a) एस्ट्रोजन
(b) प्रोजेस्टेरॉन
(c) टेस्टोस्टेरॉन
(d) FSH

प्रश्न 9: एट्रियल नेट्रीयूरेटिक फैक्टर (ANF) कहाँ से स्रावित होता है?
(a) वृक्क
(b) हृदय की अलिंद भित्ति
(c) पीयूष ग्रंथि
(d) अधिवृक्क कॉर्टेक्स

प्रश्न 10: हॉर्मोन क्रिया की क्रियाविधि में द्वितीयक संदेशवाहक (जैसे cAMP) का उपयोग किस प्रकार के हॉर्मोन करते हैं?
(a) स्टेरॉइड हॉर्मोन
(b) आयोडोथायरोनिन्स
(c) पेप्टाइड हॉर्मोन
(d) उपरोक्त सभी


उत्तर कुंजी:

  1. (d) लार ग्रंथि
  2. (b) सोमैटोस्टैटिन
  3. (b) पैराथायरॉइड हॉर्मोन (PTH)
  4. (c) एपिनेफ्रीन और नॉरएपिनेफ्रीन
  5. (b) इंसुलिन
  6. (c) थाइमस
  7. (c) कॉर्टिसोल
  8. (c) टेस्टोस्टेरॉन
  9. (b) हृदय की अलिंद भित्ति
  10. (c) पेप्टाइड हॉर्मोन

इन नोट्स और प्रश्नों का अच्छी तरह से अध्ययन करें। यदि कोई शंका हो तो अवश्य पूछें। आपकी परीक्षा की तैयारी के लिए शुभकामनाएँ!

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