Class 11 Biology Notes Chapter 24 (Chapter 24) – Examplar Problems (Hindi) Book

Examplar Problems (Hindi)
प्रिय विद्यार्थियों, आज हम कक्षा 11 जीव विज्ञान के अध्याय 24, 'रासायनिक समन्वय तथा एकीकरण' का विस्तृत अध्ययन करेंगे, जो आपकी सरकारी परीक्षाओं की तैयारी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह अध्याय हमारे शरीर की विभिन्न जैविक प्रक्रियाओं को नियंत्रित करने वाले हार्मोन और अंतःस्रावी ग्रंथियों पर केंद्रित है।


अध्याय 24: रासायनिक समन्वय तथा एकीकरण (Chemical Coordination and Integration)

यह अध्याय शरीर में रासायनिक समन्वय और एकीकरण की अवधारणा को समझाता है, जो अंतःस्रावी तंत्र (Endocrine System) द्वारा नियंत्रित होता है। अंतःस्रावी ग्रंथियाँ नलिकाविहीन होती हैं और सीधे रक्तप्रवाह में हार्मोन स्रावित करती हैं।

1. अंतःस्रावी ग्रंथियाँ और हार्मोन:

  • हार्मोन: ये गैर-पोषक रसायन होते हैं जो अंतःस्रावी ग्रंथियों द्वारा बहुत कम मात्रा में उत्पादित होते हैं और अंतरकोशिकीय संदेशवाहक (intercellular messengers) के रूप में कार्य करते हैं।

2. मानव अंतःस्रावी तंत्र:

इसमें निम्नलिखित अंतःस्रावी ग्रंथियाँ शामिल हैं:

  • A. हाइपोथैलेमस (Hypothalamus):

    • यह डायएनसेफेलॉन के आधार पर स्थित होता है और पीयूष ग्रंथि को नियंत्रित करता है। यह तंत्रिका तंत्र और अंतःस्रावी तंत्र के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी है।
    • यह दो प्रकार के हार्मोन स्रावित करता है:
      • मोचक हार्मोन (Releasing Hormones): ये पीयूष ग्रंथि के हार्मोन के स्राव को उत्तेजित करते हैं (जैसे GnRH - गोनैडोट्रोपिन मोचक हार्मोन, जो LH और FSH के स्राव को प्रेरित करता है)।
      • अवरोधी हार्मोन (Inhibiting Hormones): ये पीयूष ग्रंथि के हार्मोन के स्राव को रोकते हैं (जैसे सोमैटोस्टेटिन - वृद्धि हार्मोन अवरोधी हार्मोन)।
  • B. पीयूष ग्रंथि (Pituitary Gland):

    • इसे 'मास्टर ग्रंथि' भी कहते हैं क्योंकि यह कई अन्य अंतःस्रावी ग्रंथियों को नियंत्रित करती है।
    • यह सेला टर्सिका (sella turcica) नामक हड्डी की गुहा में स्थित होती है और एक वृंत द्वारा हाइपोथैलेमस से जुड़ी होती है।
    • इसके दो भाग होते हैं:
      • एडीनोहाइपोफाइसिस (Adenohypophysis) - अग्र पीयूष:
        • वृद्धि हार्मोन (GH): शरीर की वृद्धि को नियंत्रित करता है। इसकी अधिकता से बच्चों में भीमकायता (Gigantism) और वयस्कों में एक्रोमेगेली (Acromegaly) होती है। कमी से बौनापन (Dwarfism) होता है।
        • प्रोलैक्टिन (PRL): स्तन ग्रंथियों की वृद्धि और दुग्ध उत्पादन को नियंत्रित करता है।
        • थायरॉइड प्रेरक हार्मोन (TSH): थायरॉइड ग्रंथि को थायरॉइड हार्मोन स्रावित करने के लिए उत्तेजित करता है।
        • एड्रिनोकोर्टिकोट्रोपिक हार्मोन (ACTH): अधिवृक्क वल्कुट को ग्लूकोकॉर्टिकॉइड्स स्रावित करने के लिए उत्तेजित करता है।
        • ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (LH): पुरुषों में लेडिग कोशिकाओं से टेस्टोस्टेरोन उत्पादन और महिलाओं में अंडोत्सर्ग (ovulation) को प्रेरित करता है तथा कॉर्पस ल्यूटियम के निर्माण में सहायक है।
        • पुटक प्रेरक हार्मोन (FSH): पुरुषों में शुक्राणुजनन (spermatogenesis) और महिलाओं में अंडाशय पुटिकाओं (ovarian follicles) के विकास को नियंत्रित करता है।
      • न्यूरोहाइपोफाइसिस (Neurohypophysis) - पश्च पीयूष:
        • यह हाइपोथैलेमस द्वारा संश्लेषित हार्मोन (ऑक्सीटोसिन और वैसोप्रेसिन) को संग्रहीत और स्रावित करता है।
        • ऑक्सीटोसिन (Oxytocin): गर्भाशय के चिकनी पेशियों के संकुचन (प्रसव के दौरान) और दुग्ध निष्कासन (milk ejection) को प्रेरित करता है।
        • वैसोप्रेसिन (ADH - एंटीडाइयूरेटिक हार्मोन): वृक्कों की दूरस्थ संवलित नलिकाओं (DCT) और संग्रह नलिकाओं (collecting ducts) में जल के पुनरावशोषण को बढ़ाता है, जिससे मूत्र पतला नहीं होता (मूत्र की सांद्रता बढ़ती है)। इसकी कमी से मधुमेह इनसिपिडस (Diabetes Insipidus) होता है, जिसमें अत्यधिक पतला मूत्र त्याग होता है।
  • C. पीनियल ग्रंथि (Pineal Gland):

    • यह अग्र मस्तिष्क के पृष्ठीय भाग में स्थित होती है।
    • मेलाटोनिन (Melatonin): शरीर की 24 घंटे की दैनिक लय (circadian rhythm) को नियंत्रित करता है, जैसे नींद-जागने के चक्र, शरीर के तापमान, चयापचय और रंजकता (pigmentation) को प्रभावित करता है।
  • D. थायरॉइड ग्रंथि (Thyroid Gland):

    • यह श्वासनली के दोनों ओर स्थित होती है। यह आयोडीन युक्त हार्मोन स्रावित करती है।
    • थायरॉइड हार्मोन (थायरोक्सिन - T4 और ट्राईआयोडोथायरोनिन - T3): बेसल मेटाबॉलिक रेट (BMR) को नियंत्रित करते हैं, RBCs के निर्माण, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और वसा के चयापचय को प्रभावित करते हैं। ये जल और इलेक्ट्रोलाइट संतुलन बनाए रखने में भी सहायक हैं।
    • थायरोकैल्सीटोनिन (TCT): रक्त में कैल्शियम के स्तर को कम करता है (हाइपोकैल्सीमिक हार्मोन)।
    • विकार:
      • हाइपोथायरायडिज्म (कमी): आयोडीन की कमी से गण्डमाला (Goitre) होता है। बच्चों में क्रेटिनिज्म (Cretinism) (मानसिक मंदता, बौनापन), वयस्कों में मिक्सोएडेमा (Myxedema) (सुस्ती, वजन बढ़ना)।
      • हाइपरथायरायडिज्म (अधिकता): एक्सोफ्थैल्मिक गण्डमाला (Exophthalmic Goitre) या ग्रेव्स रोग (Graves' disease) (आँखों का बाहर निकलना, BMR में वृद्धि)।
  • E. पैराथायरॉइड ग्रंथि (Parathyroid Gland):

    • थायरॉइड ग्रंथि के पश्च भाग में स्थित चार छोटी ग्रंथियाँ।
    • पैराथायरॉइड हार्मोन (PTH): रक्त में कैल्शियम के स्तर को बढ़ाता है (हाइपरकैल्सीमिक हार्मोन)। यह हड्डियों से कैल्शियम के पुनरावशोषण (resorption), वृक्कों द्वारा कैल्शियम के पुनरावशोषण और विटामिन D के साथ मिलकर आंतों द्वारा कैल्शियम के अवशोषण को बढ़ाता है।
  • F. थाइमस ग्रंथि (Thymus Gland):

    • यह हृदय और महाधमनी के बीच, उरोस्थि (sternum) के पीछे स्थित होती है।
    • थाइमोसिन (Thymosins): T-लिम्फोसाइट्स के विभेदन (differentiation) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जो कोशिका-मध्यस्थ प्रतिरक्षा (CMI - Cell-Mediated Immunity) के लिए जिम्मेदार होते हैं। वृद्धावस्था में यह ग्रंथि पतित हो जाती है, जिससे प्रतिरक्षा कमजोर हो जाती है।
  • G. अधिवृक्क ग्रंथि (Adrenal Gland):

    • प्रत्येक वृक्क के अग्र भाग पर स्थित होती है।
    • इसके दो भाग होते हैं:
      • अधिवृक्क वल्कुट (Adrenal Cortex):
        • ग्लूकोकॉर्टिकॉइड्स (जैसे कोर्टिसोल): कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और वसा के चयापचय को नियंत्रित करते हैं, ग्लूकोनियोजेनेसिस (gluconeogenesis) को बढ़ावा देते हैं, सूजन-रोधी प्रतिक्रियाएँ दिखाते हैं और प्रतिरक्षा दमन करते हैं।
        • मिनरलोकॉर्टिकॉइड्स (जैसे एल्डोस्टेरोन): वृक्कों में जल और इलेक्ट्रोलाइट संतुलन (सोडियम और पोटेशियम) को बनाए रखते हैं।
        • एण्ड्रोजेनिक स्टेरॉयड (Androgenic Steroids): यौवनारंभ में अक्षीय (axillary) और जघन (pubic) बाल विकास में भूमिका।
      • अधिवृक्क मध्यांश (Adrenal Medulla):
        • एड्रेनालिन (एपिनेफ्रीन) और नॉरएड्रेनालिन (नॉरएपिनेफ्रीन): इन्हें 'लड़ो और भागो' (fight or flight) हार्मोन या आपातकालीन हार्मोन कहते हैं। ये तनावपूर्ण स्थितियों में हृदय गति, रक्तचाप, ग्लूकोज स्तर को बढ़ाते हैं, पुतलियों का फैलाव और रोंगटे खड़े करते हैं।
  • H. अग्न्याशय (Pancreas):

    • यह एक विषमग्रंथि (heterocrine gland) है, यानी यह बहिःस्रावी (exocrine) और अंतःस्रावी (endocrine) दोनों कार्य करती है।
    • लैंगरहैंस के द्वीप (Islets of Langerhans): अंतःस्रावी भाग।
      • अल्फा कोशिकाएँ (Alpha cells): ग्लूकागॉन (Glucagon) स्रावित करती हैं। यह रक्त शर्करा के स्तर को बढ़ाता है (हाइपरग्लाइसेमिक हार्मोन) - ग्लाइकोजेनोलिसिस (glycogenolysis) और ग्लूकोनियोजेनेसिस को बढ़ावा देकर।
      • बीटा कोशिकाएँ (Beta cells): इंसुलिन (Insulin) स्रावित करती हैं। यह रक्त शर्करा के स्तर को कम करता है (हाइपोग्लाइसेमिक हार्मोन) - कोशिकाओं द्वारा ग्लूकोज के अवशोषण और उपयोग को बढ़ावा देकर।
    • विकार: इंसुलिन की कमी या क्रिया में कमी से मधुमेह मेलिटस (Diabetes Mellitus) होता है।
  • I. जनद (Gonads):

    • वृषण (Testis) (पुरुषों में):
      • एंड्रोजन (टेस्टोस्टेरोन): शुक्राणुजनन, द्वितीयक लैंगिक लक्षणों का विकास (जैसे आवाज का भारी होना, दाढ़ी-मूंछ का आना), पेशीय वृद्धि।
    • अंडाशय (Ovary) (महिलाओं में):
      • एस्ट्रोजन (Estrogen): अंडाशय पुटिकाओं का विकास, द्वितीयक लैंगिक लक्षणों का विकास (जैसे स्तन विकास, आवाज का पतला होना), मासिक धर्म चक्र का विनियमन।
      • प्रोजेस्टेरोन (Progesterone): गर्भावस्था बनाए रखने, गर्भाशय की एंडोमेट्रियम को तैयार करने और स्तन ग्रंथियों के विकास में भूमिका।

3. हार्मोन क्रिया की क्रियाविधि (Mechanism of Hormone Action):

  • हार्मोन अपने लक्ष्य कोशिकाओं (target cells) पर विशिष्ट रिसेप्टर्स (ग्राही) से बंधते हैं। ये रिसेप्टर्स कोशिका झिल्ली पर या कोशिका के अंदर (कोशिकाद्रव्य या केंद्रक में) हो सकते हैं।
  • प्रोटीन हार्मोन (जल-घुलनशील): ये कोशिका झिल्ली पर रिसेप्टर्स से बंधते हैं और द्वितीयक संदेशवाहक (secondary messengers) जैसे cAMP (चक्रीय AMP), IP3, Ca++ आदि उत्पन्न करते हैं, जो कोशिकीय प्रतिक्रियाओं को ट्रिगर करते हैं।
  • स्टेरॉयड हार्मोन (वसा-घुलनशील): ये कोशिका झिल्ली को पार करके कोशिका के अंदर (कोशिकाद्रव्य या केंद्रक में) रिसेप्टर्स से बंधते हैं। हार्मोन-रिसेप्टर कॉम्प्लेक्स केंद्रक में प्रवेश करता है और जीन अभिव्यक्ति (gene expression) को सीधे प्रभावित करके प्रोटीन संश्लेषण और कोशिकीय कार्यों को बदलता है।

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions - MCQs)

अब, इस अध्याय पर आधारित 10 महत्वपूर्ण बहुविकल्पीय प्रश्न देखें:

प्रश्न 1: निम्नलिखित में से कौन सी ग्रंथि 'मास्टर ग्रंथि' के रूप में जानी जाती है?
a) थायरॉइड
b) अधिवृक्क
c) पीयूष
d) अग्न्याशय

प्रश्न 2: रक्त में कैल्शियम के स्तर को कम करने वाला हार्मोन कौन सा है?
a) पैराथायरॉइड हार्मोन (PTH)
b) थायरोकैल्सीटोनिन (TCT)
c) थायरोक्सिन
d) कोर्टिसोल

प्रश्न 3: 'लड़ो और भागो' (Fight or Flight) हार्मोन किस ग्रंथि द्वारा स्रावित होते हैं?
a) पीयूष ग्रंथि
b) थायरॉइड ग्रंथि
c) अधिवृक्क ग्रंथि
d) अग्न्याशय

प्रश्न 4: इंसुलिन की कमी से होने वाला रोग कौन सा है?
a) गण्डमाला
b) मधुमेह इनसिपिडस
c) मधुमेह मेलिटस
d) मिक्सोएडेमा

प्रश्न 5: शरीर की 24 घंटे की दैनिक लय (circadian rhythm) को नियंत्रित करने वाला हार्मोन कौन सा है?
a) थायरोक्सिन
b) मेलाटोनिन
c) एड्रेनालिन
d) प्रोलैक्टिन

प्रश्न 6: वृक्कों में जल और इलेक्ट्रोलाइट संतुलन बनाए रखने के लिए कौन सा हार्मोन मुख्य रूप से जिम्मेदार है?
a) कोर्टिसोल
b) एल्डोस्टेरोन
c) ग्लूकागॉन
d) ऑक्सीटोसिन

प्रश्न 7: T-लिम्फोसाइट्स के विभेदन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली ग्रंथि कौन सी है?
a) पीनियल
b) थाइमस
c) पीयूष
d) थायरॉइड

प्रश्न 8: निम्नलिखित में से कौन सा हार्मोन रासायनिक रूप से प्रोटीन प्रकृति का नहीं है?
a) इंसुलिन
b) ग्लूकागॉन
c) टेस्टोस्टेरोन
d) वृद्धि हार्मोन

प्रश्न 9: गर्भावस्था को बनाए रखने और स्तन ग्रंथियों के विकास में कौन सा हार्मोन सहायक है?
a) एस्ट्रोजन
b) LH
c) FSH
d) प्रोजेस्टेरोन

प्रश्न 10: हाइपोथैलेमस द्वारा स्रावित होने वाला वह हार्मोन जो पीयूष ग्रंथि के हार्मोन के स्राव को उत्तेजित करता है, क्या कहलाता है?
a) अवरोधी हार्मोन
b) मोचक हार्मोन
c) सोमैटोस्टेटिन
d) वैसोप्रेसिन


उत्तर कुंजी (Answer Key):

  1. c) पीयूष
  2. b) थायरोकैल्सीटोनिन (TCT)
  3. c) अधिवृक्क ग्रंथि
  4. c) मधुमेह मेलिटस
  5. b) मेलाटोनिन
  6. b) एल्डोस्टेरोन
  7. b) थाइमस
  8. c) टेस्टोस्टेरोन (यह एक स्टेरॉयड हार्मोन है, प्रोटीन नहीं)
  9. d) प्रोजेस्टेरोन
  10. b) मोचक हार्मोन

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