Class 11 Biology Notes Chapter 3 (Chapter 3) – Examplar Problems (Hindi) Book

Examplar Problems (Hindi)
चलिए, आज हम कक्षा 11 जीव विज्ञान के अध्याय 3, 'वनस्पति जगत' के महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा करेंगे, जो सरकारी परीक्षाओं की तैयारी के लिए अत्यंत उपयोगी हैं। यह अध्याय पादपों के विभिन्न समूहों और उनके वर्गीकरण पर केंद्रित है।

अध्याय 3: वनस्पति जगत (Plant Kingdom) - विस्तृत नोट्स

1. वर्गीकरण पद्धतियाँ (Classification Systems):

  • कृत्रिम वर्गीकरण (Artificial Classification): यह पद्धति मुख्य रूप से कायिक लक्षणों या पुंकेसर के चक्र पर आधारित थी (जैसे लीनियस की पद्धति)। इसमें केवल कुछ ही आकारिकीय लक्षणों को आधार बनाया गया था। यह समान लक्षणों वाले जीवों को अलग और भिन्न लक्षणों वाले जीवों को एक साथ रख सकती थी।
  • प्राकृतिक वर्गीकरण (Natural Classification): यह जीवों के बीच प्राकृतिक संबंधों पर आधारित होती है। इसमें बाह्य लक्षणों के साथ-साथ आंतरिक लक्षण जैसे शारीरिकी (anatomy), भ्रूणविज्ञान (embryology), और पादपरसायन (phytochemistry) को भी आधार बनाया जाता है। (जैसे बेंथम और हूकर की पद्धति)।
  • जातिवृत्तीय वर्गीकरण (Phylogenetic Classification): यह जीवों के बीच विकासीय संबंधों (evolutionary relationships) पर आधारित है। यह मानती है कि एक टैक्सा के जीव एक ही पूर्वज से विकसित हुए हैं। इसके लिए जीवाश्म रिकॉर्ड महत्वपूर्ण प्रमाण होते हैं।
  • अन्य सहायक स्रोत:
    • संख्यात्मक वर्गिकी (Numerical Taxonomy): कंप्यूटर का उपयोग कर सभी अवलोकनीय लक्षणों पर आधारित। प्रत्येक लक्षण को एक संख्या और कोड दिया जाता है, और फिर डेटा संसाधित किया जाता है।
    • कोशिका वर्गिकी (Cytotaxonomy): कोशिका संबंधी जानकारी जैसे गुणसूत्र संख्या, संरचना और व्यवहार पर आधारित।
    • रसायन वर्गिकी (Chemotaxonomy): पादपों के रासायनिक घटकों (जैसे विशिष्ट प्रोटीन, डीएनए अनुक्रम) का उपयोग वर्गीकरण के लिए किया जाता है।

2. शैवाल (Algae):

  • सामान्य लक्षण:
    • क्लोरोफिल युक्त, सरल, थैलाभ (thalloid - जड़, तना, पत्ती में विभेदित नहीं), स्वपोषी (autotrophic) और मुख्यतः जलीय (अलवणीय और लवणीय जल दोनों)।
    • कुछ नम पत्थरों, मिट्टी और लकड़ी पर भी पाए जाते हैं। कुछ कवक (लाइकेन में) और प्राणियों (स्लॉथ बेयर पर) के साथ सहजीवी रूप में रहते हैं।
    • आकार और माप में भिन्नता: सूक्ष्म एककोशिकीय (क्लैमाइडोमोनास) से लेकर कॉलोनियल (वॉल्वॉक्स) और तंतुमयी (यूलोथ्रिक्स, स्पाइरोगाइरा) तक। कुछ समुद्री शैवाल जैसे केल्प (Kelps) विशालकाय होते हैं।
  • जनन (Reproduction):
    • कायिक जनन (Vegetative): विखंडन (fragmentation) द्वारा। प्रत्येक खंड एक नए थैलेस का निर्माण करता है।
    • अलैंगिक जनन (Asexual): विभिन्न प्रकार के बीजाणुओं (spores) द्वारा, मुख्यतः चलबीजाणु (zoospores)। चलबीजाणुओं में कशाभिका (flagella) होती है और ये गतिशील होते हैं।
    • लैंगिक जनन (Sexual): युग्मकों (gametes) के संलयन द्वारा।
      • समयुग्मकी (Isogamous): युग्मक आकार में समान (चल - क्लैमाइडोमोनास, अचल - स्पाइरोगाइरा)।
      • असमयुग्मकी (Anisogamous): युग्मक आकार में भिन्न (क्लैमाइडोमोनास की कुछ प्रजातियाँ)।
      • विषमयुग्मकी (Oogamous): मादा युग्मक बड़ा, अचल; नर युग्मक छोटा, चल (वॉल्वॉक्स, फ्यूकस)।
  • शैवालों का वर्गीकरण (प्रमुख वर्ग):
    • क्लोरोफाइसी (Chlorophyceae - हरे शैवाल):
      • वर्णक: क्लोरोफिल a तथा b (प्रभावी)।
      • संचित भोजन: स्टार्च। कुछ तेल बूंदों के रूप में भी।
      • कोशिका भित्ति: आंतरिक परत सेलुलोज, बाहरी परत पेक्टोज।
      • कशाभिका: 2-8, समान, शीर्षस्थ।
      • आवास: मुख्यतः अलवणीय जल, कुछ समुद्री।
      • उदाहरण: क्लैमाइडोमोनास, वॉल्वॉक्स, यूलोथ्रिक्स, स्पाइरोगाइरा, कारा।
    • फियोफाइसी (Phaeophyceae - भूरे शैवाल):
      • वर्णक: क्लोरोफिल a, c तथा फ्यूकोजैन्थिन (fucoxanthin - प्रभावी, जिसके कारण रंग जैतूनी हरे से भूरा होता है)।
      • संचित भोजन: मैनिटॉल तथा लैमिनेरिन (जटिल कार्बोहाइड्रेट)।
      • कोशिका भित्ति: सेलुलोज और एल्गिन (algin) का बाहरी जिलेटिनी आवरण।
      • कशाभिका: 2, असमान, पार्श्वीय रूप से जुड़े हुए।
      • आवास: मुख्यतः समुद्री।
      • शरीर प्रायः स्थापन अंग (holdfast), वृंत (stipe) और पत्ती सदृश प्रकाश संश्लेषी अंग - फ्रॉन्ड (frond) में विभेदित।
      • उदाहरण: एक्टोकार्पस, डिक्ट्योटा, लैमिनेरिया, सरगासम, फ्यूकस।
    • रोडोफाइसी (Rhodophyceae - लाल शैवाल):
      • वर्णक: क्लोरोफिल a, d तथा फाइकोएरिथ्रिन (phycoerythrin - प्रभावी, जिसके कारण लाल रंग)।
      • संचित भोजन: फ्लोरिडियन स्टार्च (संरचना में एमाइलोपेक्टिन और ग्लाइकोजन के समान)।
      • कोशिका भित्ति: सेलुलोज, पेक्टिन और पॉलीसल्फेट एस्टर।
      • कशाभिका: अनुपस्थित।
      • आवास: मुख्यतः समुद्री, विशेषकर गर्म क्षेत्रों में। सतह और गहराई दोनों में पाए जाते हैं।
      • जनन: अलैंगिक (अचल बीजाणु), लैंगिक (विषमयुग्मकी, अचल युग्मक)।
      • उदाहरण: पॉलीसाइफोनिया, पोरफाइरा, ग्रेसिलेरिया, जेलीडियम।
  • आर्थिक महत्व (Economic Importance):
    • पृथ्वी पर कुल CO2 स्थिरीकरण का लगभग आधा भाग शैवाल करते हैं।
    • जलीय पारितंत्र में प्राथमिक उत्पादक।
    • पोरफाइरा, लैमिनेरिया, सरगासम आदि भोजन के रूप में उपयोग होते हैं।
    • समुद्री भूरे और लाल शैवाल कैरागीन (लाल शैवाल) और एल्गिन (भूरे शैवाल) जैसे हाइड्रोकोलॉइड (जल धारण करने वाले पदार्थ) उत्पन्न करते हैं, जिनका व्यावसायिक उपयोग होता है।
    • जेलीडियम और ग्रेसिलेरिया से अगर (Agar) प्राप्त होता है, जिसका उपयोग सूक्ष्मजीवों के संवर्धन और आइसक्रीम/जेली बनाने में होता है।
    • क्लोरेला और स्पिरुलिना प्रोटीन युक्त होते हैं और अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा भोजन के रूप में उपयोग किए जाते हैं।

3. ब्रायोफाइटा (Bryophyta):

  • सामान्य लक्षण:
    • इन्हें 'पादप जगत के उभयचर' (Amphibians of the plant kingdom) कहा जाता है क्योंकि ये भूमि पर जीवित रह सकते हैं, परन्तु लैंगिक जनन के लिए जल पर निर्भर होते हैं।
    • नम, छायादार स्थानों, पहाड़ियों पर पाए जाते हैं।
    • मुख्य पादप काय अगुणित (haploid) और युग्मकोद्भिद् (gametophyte) होता है। यह प्रकाशसंश्लेषी और स्वतंत्र होता है।
    • इनमें वास्तविक जड़, तना या पत्तियाँ नहीं होतीं, लेकिन जड़-समान (मूलाभास - rhizoids), तना-समान और पत्ती-समान संरचनाएँ हो सकती हैं। मूलाभास एककोशिकीय या बहुकोशिकीय हो सकते हैं।
    • मुख्य पादप काय पर लैंगिक अंग विकसित होते हैं: पुंधानी (antheridium - नर) और स्त्रीधानी (archegonium - मादा)। पुंधानी द्विकशाभिकीय पुंमणु (antherozoids) उत्पन्न करती है। स्त्रीधानी फ्लास्क के आकार की होती है और एक अंड (egg) उत्पन्न करती है।
    • पुंमणु पानी में तैरकर स्त्रीधानी तक पहुँचते हैं और अंड से संलयित होकर युग्मनज (zygote) बनाते हैं।
    • युग्मनज से बहुकोशिकीय बीजाणुद्भिद् (sporophyte) विकसित होता है। बीजाणुद्भिद् मुक्तजीवी नहीं होता, बल्कि प्रकाशसंश्लेषी युग्मकोद्भिद् से जुड़ा रहता है और उससे पोषण प्राप्त करता है।
    • बीजाणुद्भिद् की कुछ कोशिकाएँ अर्धसूत्री विभाजन (meiosis) द्वारा अगुणित बीजाणु (spores) बनाती हैं। ये बीजाणु अंकुरित होकर पुनः युग्मकोद्भिद् बनाते हैं।
  • वर्गीकरण:
    • लिवरवर्ट (Liverworts):
      • उदाहरण: मार्केन्शिया (Marchantia)।
      • थैलस पृष्ठाधार रूप से चपटा होता है।
      • अलैंगिक जनन विखंडन या विशिष्ट संरचनाओं 'जेमा' (gemmae) द्वारा होता है। जेमा कप (gemma cups) में विकसित होते हैं।
      • बीजाणुद्भिद् पाद (foot), सीटा (seta) और कैप्सूल (capsule) में विभेदित होता है।
    • मॉस (Moss):
      • उदाहरण: फ्यूनेरिया (Funaria), पॉलीट्राइकम (Polytrichum), स्फैग्नम (Sphagnum)।
      • जीवन चक्र में दो अवस्थाएँ होती हैं: प्रथम तंतु (protonema) अवस्था (बीजाणु अंकुरण से विकसित, विसर्पी, हरी, शाखित) और पत्तीमय अवस्था (द्वितीयक प्रथम तंतु से पार्श्व कली के रूप में विकसित, जिसमें सीधे अक्ष पर सर्पिल रूप से व्यवस्थित पत्तियाँ होती हैं)।
      • कायिक जनन द्वितीयक प्रथम तंतु के विखंडन और मुकुलन द्वारा।
      • बीजाणुद्भिद् लिवरवर्ट की अपेक्षा अधिक विकसित होता है (पाद, सीटा, कैप्सूल)।
  • आर्थिक महत्व:
    • कुछ मॉस शाकाहारी प्राणियों को भोजन प्रदान करते हैं।
    • स्फैग्नम (पीट मॉस) ईंधन के रूप में और पैकिंग सामग्री (जल धारण क्षमता के कारण) के रूप में उपयोग होता है।
    • लाइकेन के साथ मॉस चट्टानों पर उगने वाले पहले जीव हैं, जो मृदा निर्माण में सहायक होते हैं (पारिस्थितिक अनुक्रमण में महत्व)।
    • मृदा अपरदन को रोकते हैं।

4. टेरिडोफाइटा (Pteridophyta):

  • सामान्य लक्षण:
    • ये प्रथम स्थलीय पादप हैं जिनमें संवहन ऊतक - जाइलम (xylem) और फ्लोएम (phloem) पाए जाते हैं।
    • ठंडे, नम, छायादार स्थानों पर पाए जाते हैं। कुछ रेतीली मिट्टी में भी उगते हैं।
    • मुख्य पादप काय द्विगुणित (diploid) और बीजाणुद्भिद् (sporophyte) होता है, जो वास्तविक जड़, तना और पत्तियों में विभेदित होता है।
    • पत्तियाँ छोटी (सूक्ष्मपर्णी - microphylls, जैसे सिलेजिनेला) या बड़ी (वृहत्पर्णी - macrophylls, जैसे फर्न) हो सकती हैं।
    • बीजाणुद्भिद् पर बीजाणुधानी (sporangia) होती हैं, जो पत्ती-जैसी उपांगों - बीजाणुपर्ण (sporophylls) पर लगी रहती हैं। कुछ में बीजाणुपर्ण सघन होकर शंकु (cones or strobili) बनाते हैं (जैसे सिलेजिनेला, इक्वीसिटम)।
    • बीजाणुधानी में बीजाणु मातृ कोशिकाओं से अर्धसूत्री विभाजन द्वारा अगुणित बीजाणु बनते हैं।
    • बीजाणु अंकुरित होकर छोटे, बहुकोशिकीय, मुक्तजीवी, अधिकांशतः प्रकाशसंश्लेषी, थैलाभ युग्मकोद्भिद् बनाते हैं जिसे प्रोथैलस (prothallus) कहते हैं।
    • प्रोथैलस को उगने के लिए नम, छायादार स्थान चाहिए। इस पर नर (पुंधानी) और मादा (स्त्रीधानी) अंग विकसित होते हैं।
    • जनन के लिए जल आवश्यक है (पुंमणु के स्त्रीधानी तक पहुँचने के लिए)।
    • निषेचन के बाद युग्मनज बनता है, जिससे बहुकोशिकीय बीजाणुद्भिद् विकसित होता है (प्रभावी अवस्था)।
  • बीजाणु प्रकार:
    • समबीजाणुक (Homosporous): अधिकांश टेरिडोफाइट एक ही प्रकार के बीजाणु उत्पन्न करते हैं।
    • विषमबीजाणुक (Heterosporous): कुछ टेरिडोफाइट (जैसे सिलेजिनेला, साल्वीनिया) दो प्रकार के बीजाणु उत्पन्न करते हैं - लघुबीजाणु (microspores, नर) और गुरुबीजाणु (megaspores, मादा)।
      • लघुबीजाणु नर युग्मकोद्भिद् और गुरुबीजाणु मादा युग्मकोद्भिद् बनाते हैं।
      • मादा युग्मकोद्भिद् पोषण के लिए पैतृक बीजाणुद्भिद् पर कुछ समय के लिए निर्भर रहता है। युग्मनज का विकास मादा युग्मकोद्भिद् में ही होता है। यह घटना 'बीज प्रकृति' (seed habit) की ओर एक महत्वपूर्ण कदम मानी जाती है।
  • वर्गीकरण (प्रमुख वर्ग):
    • साइलोप्सिडा (Psilopsida) - साइलोटम
    • लाइकोप्सिडा (Lycopsida) - सिलेजिनेला, लाइकोपोडियम
    • स्फेनोप्सिडा (Sphenopsida) - इक्वीसिटम (हॉर्सटेल)
    • टेरोप्सिडा (Pteropsida) - ड्राइओप्टेरिस, टेरिस, एडिएन्टम (फर्न)
  • आर्थिक महत्व:
    • औषधीय उपयोग।
    • मृदा बंधक (soil binders)।
    • सजावटी पौधे (फर्न)।

5. जिम्नोस्पर्म (Gymnospermae - अनावृतबीजी):

  • सामान्य लक्षण:
    • इनमें बीजांड (ovules) किसी अंडाशय भित्ति (ovary wall) द्वारा ढके नहीं होते और निषेचन से पहले व बाद में भी अनावृत रहते हैं। इसलिए इनके बीज नग्न (naked) होते हैं।
    • मध्यम आकार के वृक्षों से लेकर लंबे वृक्ष और झाड़ियाँ शामिल हैं। सिकोया (रेडवुड वृक्ष) सबसे लंबा वृक्ष है।
    • जड़ें प्रायः मूसला मूल (tap roots) होती हैं। कुछ में कवक मूल (mycorrhiza - पाइनस) या प्रवाल मूल (coralloid roots - साइकस, N2 स्थिरीकरण करने वाले सायनोबैक्टीरिया के साथ सहजीवी) पाई जाती हैं।
    • तना अशाखित (साइकस) या शाखित (पाइनस, सिड्रस) हो सकता है।
    • पत्तियाँ सरल या संयुक्त हो सकती हैं। साइकस में पिच्छाकार पत्तियाँ कुछ वर्षों तक रहती हैं। शंकुवृक्षों (conifers) में पत्तियाँ सुई जैसी होती हैं (सतही क्षेत्रफल कम, मोटी क्यूटिकल, गर्तिक रंध्र - पानी की हानि कम करने हेतु अनुकूलन)।
    • मुख्य पादप काय बीजाणुद्भिद् (sporophyte) होता है।
    • ये विषमबीजाणुक होते हैं - अगुणित लघुबीजाणु और गुरुबीजाणु बनाते हैं।
    • बीजाणुधानी बीजाणुपर्णों पर विकसित होती हैं, जो सर्पिल रूप से व्यवस्थित होकर शंकु (cones) बनाते हैं - लघुबीजाणुपर्ण (नर शंकु) और गुरुबीजाणुपर्ण (मादा शंकु)।
    • लघुबीजाणुधानी से परागकण (pollen grains - नर युग्मकोद्भिद्) विकसित होते हैं।
    • गुरुबीजाणुधानी (बीजांड) में गुरुबीजाणु मातृ कोशिका से अर्धसूत्री विभाजन द्वारा चार अगुणित गुरुबीजाणु बनते हैं, जिनमें से एक मादा युग्मकोद्भिद् (भ्रूणकोष) में विकसित होता है।
    • परागकण हवा द्वारा मादा शंकु तक पहुँचते हैं (परागण)। पराग नलिका नर युग्मकों को स्त्रीधानी (मादा युग्मकोद्भिद् में) तक ले जाती है।
    • निषेचन के बाद युग्मनज भ्रूण में और बीजांड बीज में विकसित होता है।
  • उदाहरण: साइकस, पाइनस, जिन्कगो, सिड्रस (देवदार), इफेड्रा।
  • आर्थिक महत्व: इमारती लकड़ी, कागज लुगदी, रेजिन, तारपीन तेल।

6. पादप जीवन चक्र और पीढ़ी एकान्तरण (Plant Life Cycles and Alternation of Generations):

पादपों में अगुणित (n) युग्मकोद्भिद् और द्विगुणित (2n) बीजाणुद्भिद् अवस्थाओं के बीच पीढ़ी एकान्तरण होता है।

  • अगुणितक जीवन चक्र (Haplontic Life Cycle):
    • प्रभावी अवस्था मुक्तजीवी, प्रकाशसंश्लेषी युग्मकोद्भिद् (n) होती है।
    • बीजाणुद्भिद् पीढ़ी केवल एककोशिकीय युग्मनज (2n) द्वारा निरूपित होती है।
    • युग्मनज में अर्धसूत्री विभाजन होता है, जिससे अगुणित बीजाणु बनते हैं, जो अंकुरित होकर युग्मकोद्भिद् बनाते हैं।
    • उदाहरण: अधिकांश शैवाल जैसे वॉल्वॉक्स, स्पाइरोगाइरा, क्लैमाइडोमोनास की कुछ प्रजातियाँ।
  • द्विगुणितक जीवन चक्र (Diplontic Life Cycle):
    • प्रभावी अवस्था मुक्तजीवी, प्रकाशसंश्लेषी बीजाणुद्भिद् (2n) होती है।
    • युग्मकोद्भिद् पीढ़ी अत्यंत ह्रासित, कुछ कोशिकीय या एककोशिकीय होती है और पोषण के लिए बीजाणुद्भिद् पर निर्भर करती है।
    • युग्मकजनन के समय ही अर्धसूत्री विभाजन होता है।
    • उदाहरण: सभी बीज वाले पौधे (जिम्नोस्पर्म और एंजियोस्पर्म), फ्यूकस (शैवाल)।
  • अगुणितक-द्विगुणितक जीवन चक्र (Haplo-diplontic Life Cycle):
    • दोनों अवस्थाएँ (युग्मकोद्भिद् और बीजाणुद्भिद्) बहुकोशिकीय होती हैं और प्रायः मुक्तजीवी होती हैं (हालांकि प्रभावी अवस्था भिन्न हो सकती है)।
    • ब्रायोफाइटा में: प्रभावी अवस्था अगुणित युग्मकोद्भिद् (मुक्तजीवी, प्रकाशसंश्लेषी)। द्विगुणित बीजाणुद्भिद् अल्पजीवी और युग्मकोद्भिद् पर पूर्णतः या आंशिक रूप से निर्भर।
    • टेरिडोफाइटा में: प्रभावी अवस्था द्विगुणित बीजाणुद्भिद् (मुक्तजीवी, प्रकाशसंश्लेषी, संवहनी)। अगुणित युग्मकोद्भिद् (प्रोथैलस) भी मुक्तजीवी लेकिन अल्पजीवी।
    • कुछ शैवाल (एक्टोकार्पस, पॉलीसाइफोनिया, केल्प) भी यह चक्र दर्शाते हैं।

अभ्यास हेतु बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs):

प्रश्न 1: बेंथम और हूकर द्वारा दी गई वर्गीकरण पद्धति किस प्रकार की है?
(क) कृत्रिम
(ख) प्राकृतिक
(ग) जातिवृत्तीय
(घ) संख्यात्मक

प्रश्न 2: फ्यूकोजैन्थिन वर्णक मुख्य रूप से किस शैवाल वर्ग में पाया जाता है?
(क) क्लोरोफाइसी (हरे शैवाल)
(ख) रोडोफाइसी (लाल शैवाल)
(ग) फियोफाइसी (भूरे शैवाल)
(घ) सायनोफाइसी (नील-हरित शैवाल)

प्रश्न 3: 'पादप जगत के उभयचर' किन्हें कहा जाता है?
(क) शैवाल
(ख) ब्रायोफाइटा
(ग) टेरिडोफाइटा
(घ) जिम्नोस्पर्म

प्रश्न 4: ब्रायोफाइटा में मुख्य पादप काय होता है:
(क) द्विगुणित बीजाणुद्भिद्
(ख) अगुणित युग्मकोद्भिद्
(ग) द्विगुणित युग्मकोद्भिद्
(घ) अगुणित बीजाणुद्भिद्

प्रश्न 5: प्रथम स्थलीय पादप जिनमें संवहन ऊतक (जाइलम व फ्लोएम) पाए गए:
(क) शैवाल
(ख) ब्रायोफाइटा
(ग) टेरिडोफाइटा
(घ) जिम्नोस्पर्म

प्रश्न 6: टेरिडोफाइटा में युग्मकोद्भिद् पीढ़ी को क्या कहते हैं?
(क) प्रथम तंतु (प्रोटोनीमा)
(ख) प्रोथैलस
(ग) जेमा
(घ) शंकु

प्रश्न 7: विषमबीजाणुकता (Heterospory) निम्नलिखित में से किसमें पाई जाती है?
(क) फ्यूनेरिया
(ख) मार्केन्शिया
(ग) ड्राइओप्टेरिस
(घ) सिलेजिनेला

प्रश्न 8: अनावृत बीजांड (Naked ovules) किस समूह का लक्षण है?
(क) ब्रायोफाइटा
(ख) टेरिडोफाइटा
(ग) जिम्नोस्पर्म
(घ) एंजियोस्पर्म

प्रश्न 9: अगुणितक (Haplontic) जीवन चक्र का उदाहरण है:
(क) फ्यूकस
(ख) पाइनस
(ग) स्पाइरोगाइरा
(घ) फ्यूनेरिया

प्रश्न 10: लाल शैवालों में संचित भोजन किस रूप में होता है?
(क) स्टार्च
(ख) मैनिटॉल
(ग) फ्लोरिडियन स्टार्च
(घ) ग्लाइकोजन


उत्तर कुंजी:

  1. (ख)
  2. (ग)
  3. (ख)
  4. (ख)
  5. (ग)
  6. (ख)
  7. (घ)
  8. (ग)
  9. (ग)
  10. (ग)

इन नोट्स और प्रश्नों का ध्यानपूर्वक अध्ययन आपकी परीक्षा की तैयारी में सहायक होगा। शुभकामनाएँ!

Read more