Class 11 Biology Notes Chapter 6 (Chapter 6) – Examplar Problems (Hindi) Book

चलिए, आज हम कक्षा 11 जीव विज्ञान के NCERT Exemplar (Hindi) के अध्याय 6, 'पुष्पी पादपों का शारीर' (Anatomy of Flowering Plants) के महत्वपूर्ण बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे जो आपकी सरकारी परीक्षाओं की तैयारी में सहायक होंगे।
अध्याय 6: पुष्पी पादपों का शारीर (Anatomy of Flowering Plants) - विस्तृत नोट्स
परिचय:
पादप शारीर (Plant Anatomy) जीव विज्ञान की वह शाखा है जिसमें पादपों की आंतरिक संरचना, विशेष रूप से ऊतकों (Tissues) और ऊतक तंत्रों (Tissue Systems) का अध्ययन किया जाता है। ऊतक समान उत्पत्ति और कार्य वाली कोशिकाओं का समूह होता है।
1. ऊतक (Tissues):
पादपों में ऊतक मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं:
* विभज्योतकी ऊतक (Meristematic Tissue):
* इन कोशिकाओं में लगातार विभाजन की क्षमता होती है।
* ये कोशिकाएँ छोटी, समव्यासी, पतली कोशिका भित्ति वाली और सघन जीवद्रव्य युक्त होती हैं। रिक्तिकाएँ छोटी या अनुपस्थित होती हैं।
* प्रकार (स्थिति के आधार पर):
* शीर्षस्थ विभज्योतक (Apical Meristem): जड़ तथा तने के शीर्ष पर स्थित, प्राथमिक वृद्धि (लंबाई में वृद्धि) के लिए उत्तरदायी।
* अंतर्वेशी विभज्योतक (Intercalary Meristem): स्थायी ऊतकों के बीच में पाया जाता है (जैसे घास के पर्ण आधार के ऊपर), यह भी प्राथमिक वृद्धि में सहायक है।
* पार्श्वीय विभज्योतक (Lateral Meristem): तने तथा मूल की परिधि में स्थित, द्वितीयक वृद्धि (मोटाई में वृद्धि) के लिए उत्तरदायी। उदाहरण: संवहनी कैंबियम (Vascular Cambium), कॉर्क कैंबियम (Cork Cambium/Phellogen)।
* स्थायी ऊतक (Permanent Tissue):
* ये विभज्योतकी ऊतकों से विकसित होते हैं और विभाजन की क्षमता खो देते हैं (या कुछ समय के लिए खो देते हैं)।
* ये कोशिकाएँ विशिष्ट कार्य करने के लिए विभेदित हो जाती हैं।
* प्रकार:
* सरल स्थायी ऊतक (Simple Permanent Tissue): एक ही प्रकार की कोशिकाओं से बने होते हैं।
* मृदूतक (Parenchyma): जीवित, पतली सेलुलोज भित्ति वाली, समव्यासी कोशिकाएँ। मुख्य कार्य: प्रकाश संश्लेषण (क्लोरेन्काइमा), संचय, स्रावण।
* स्थूलकोण ऊतक (Collenchyma): जीवित, कोनों पर सेलुलोज, हेमिसेलुलोज और पेक्टिन के स्थूलन युक्त कोशिकाएँ। कार्य: बढ़ते हुए अंगों (जैसे पर्णवृंत, तरुण तना) को यांत्रिक सहारा प्रदान करना। द्विबीजपत्री तनों की बाह्यत्वचा के नीचे पाया जाता है।
* दृढ़ ऊतक (Sclerenchyma): मृत, मोटी लिग्निन युक्त भित्ति वाली कोशिकाएँ। कार्य: यांत्रिक सहारा प्रदान करना। प्रकार: रेशे (Fibers - लंबे, नुकीले सिरे वाले) और दृढ़ कोशिकाएँ/स्क्लेरीड (Sclereids - छोटी, अनियमित आकार की, जैसे फलों की भित्ति, बीजावरण में)।
* जटिल स्थायी ऊतक (Complex Permanent Tissue): एक से अधिक प्रकार की कोशिकाओं से मिलकर बने होते हैं और एक इकाई के रूप में कार्य करते हैं।
* दारु (Xylem): जल और खनिज लवणों का संवहन, यांत्रिक सहारा। घटक: वाहिनिकाएँ (Tracheids), वाहिकाएँ (Vessels), दारु मृदूतक (Xylem Parenchyma), दारु रेशे (Xylem Fibers)। (नोट: जिम्नोस्पर्म में वाहिकाएँ सामान्यतः अनुपस्थित होती हैं)।
* पोषवाह (Phloem): भोज्य पदार्थों (मुख्यतः शर्करा) का संवहन। घटक: चालनी नलिका तत्व (Sieve tube elements), सह कोशिकाएँ (Companion cells), पोषवाह मृदूतक (Phloem Parenchyma), पोषवाह रेशे (Phloem Fibers)। (नोट: जिम्नोस्पर्म और टेरिडोफाइट्स में चालनी नलिकाओं और सह कोशिकाओं के स्थान पर चालनी कोशिकाएँ और एल्बुमिनी कोशिकाएँ होती हैं)।
2. ऊतक तंत्र (Tissue System):
पादप शरीर में ऊतकों की स्थिति और संरचना के आधार पर तीन ऊतक तंत्र पहचाने गए हैं:
* बाह्यत्वचीय ऊतक तंत्र (Epidermal Tissue System):
* पादप शरीर का सबसे बाहरी आवरण बनाता है।
* घटक: बाह्यत्वचा (Epidermis), रंध्र (Stomata), बाह्यत्वचीय उपांग (मूलरोम - Root hairs, त्वचारोम - Trichomes)।
* बाह्यत्वचा: एकल परत, मृदूतकीय कोशिकाएँ, बाहरी सतह पर प्रायः उपचर्म (Cuticle) का आवरण (जल ह्रास रोकना)।
* रंध्र: पत्तियों की बाह्यत्वचा पर उपस्थित छिद्र, वाष्पोत्सर्जन और गैसीय विनिमय में सहायक। प्रत्येक रंध्र दो द्वार कोशिकाओं (Guard cells) से घिरा होता है (द्विबीजपत्री में वृक्काकार, एकबीजपत्री/घास में डंबलाकार)।
* मूलरोम: जड़ों की बाह्यत्वचीय कोशिकाओं के एककोशिकीय दीर्घीकरण, जल एवं खनिज अवशोषण।
* त्वचारोम: तने की बाह्यत्वचा पर बहुकोशिकीय रोम, वाष्पोत्सर्जन कम करना, सुरक्षा।
* भरण ऊतक तंत्र (Ground Tissue System):
* बाह्यत्वचा और संवहन बंडलों को छोड़कर शेष सभी ऊतक इसमें आते हैं।
* मुख्यतः सरल ऊतकों (मृदूतक, स्थूलकोण ऊतक, दृढ़ ऊतक) से बना होता है।
* घटक: वल्कुट (Cortex), परिरंभ (Pericycle), मज्जा (Pith), मज्जा किरणें (Medullary rays)।
* पत्तियों में इसे पर्णमध्योतक (Mesophyll) कहते हैं, जिसमें खंभ मृदूतक (Palisade parenchyma) और स्पंजी मृदूतक (Spongy parenchyma) होते हैं (द्विबीजपत्री में)।
* संवहनी ऊतक तंत्र (Vascular Tissue System):
* जटिल ऊतक दारु (Xylem) और पोषवाह (Phloem) से मिलकर बना होता है।
* दारु और पोषवाह मिलकर संवहन बंडल (Vascular Bundle) बनाते हैं।
* संवहन बंडलों के प्रकार:
* अरीय (Radial): दारु और पोषवाह एकांतर तरीके से भिन्न त्रिज्याओं पर स्थित (जड़ों में)।
* संयुक्त (Conjoint): दारु और पोषवाह एक ही त्रिज्या पर स्थित (तनों और पत्तियों में)।
* संपार्श्विक (Collateral): पोषवाह बाहर की ओर, दारु अंदर की ओर (अधिकांश तनों में)।
* उभयपोषवाही (Bicollateral): दारु के दोनों ओर (बाहर और अंदर) पोषवाह (कुकरबिटेसी कुल के तनों में)।
* खुले (Open): दारु और पोषवाह के बीच कैंबियम उपस्थित (द्विबीजपत्री तनों में)। द्वितीयक वृद्धि संभव।
* बंद (Closed): दारु और पोषवाह के बीच कैंबियम अनुपस्थित (एकबीजपत्री तनों और जड़ों में)। द्वितीयक वृद्धि नहीं होती।
3. द्विबीजपत्री तथा एकबीजपत्री पादपों का शारीर:
* **द्विबीजपत्री मूल (Dicot Root):**
* बाह्यत्वचा (मूलरोम युक्त), वल्कुट (मृदूतकीय), अंतस्त्वचा (Endodermis - कैस्पेरी पट्टियाँ युक्त), परिरंभ (Pericycle - पार्श्व जड़ों की उत्पत्ति, द्वितीयक वृद्धि के दौरान संवहन कैंबियम का निर्माण), संवहन बंडल (अरीय, दारु एक्जार्क/Exarch, संख्या 2-6), मज्जा (अल्पविकसित या अनुपस्थित)।
* **एकबीजपत्री मूल (Monocot Root):**
* संरचना द्विबीजपत्री मूल के समान, परन्तु संवहन बंडलों की संख्या अधिक (6 से ज्यादा, बहुआदिदारुक/Polyarch), मज्जा सुविकसित। द्वितीयक वृद्धि अनुपस्थित।
* **द्विबीजपत्री तना (Dicot Stem):**
* बाह्यत्वचा (उपचर्म युक्त, त्वचारोम हो सकते हैं), अधस्त्वचा (Hypodermis - स्थूलकोण ऊतकीय), वल्कुट (मृदूतकीय), अंतस्त्वचा (स्टार्च शीथ के रूप में हो सकती है), परिरंभ (दृढ़ ऊतकीय पैच के रूप में), संवहन बंडल (संयुक्त, संपार्श्विक, खुले, वलय में व्यवस्थित), मज्जा (सुविकसित, मृदूतकीय), मज्जा किरणें उपस्थित। द्वितीयक वृद्धि होती है।
* **एकबीजपत्री तना (Monocot Stem):**
* बाह्यत्वचा (उपचर्म युक्त), अधस्त्वचा (दृढ़ ऊतकीय), भरण ऊतक (अविभेदित, मृदूतकीय), संवहन बंडल (संयुक्त, संपार्श्विक, बंद, भरण ऊतक में बिखरे हुए, परिधि की ओर छोटे, केंद्र की ओर बड़े, प्रत्येक बंडल दृढ़ ऊतकीय पूलीय आच्छद से घिरा), मज्जा अविभेदित। द्वितीयक वृद्धि अनुपस्थित।
* **पृष्ठाधार पत्ती (Dorsiventral Leaf - Dicot Leaf):**
* ऊपरी बाह्यत्वचा (अधिक रंध्र), निचली बाह्यत्वचा (कम रंध्र)। पर्णमध्योतक खंभ मृदूतक (ऊपरी बाह्यत्वचा के नीचे) और स्पंजी मृदूतक (निचली बाह्यत्वचा के ऊपर) में विभेदित। संवहन बंडल संयुक्त, संपार्श्विक, बंद।
* **समद्विपार्श्विक पत्ती (Isobilateral Leaf - Monocot Leaf):**
* दोनों बाह्यत्वचाओं पर रंध्रों की संख्या लगभग समान। पर्णमध्योतक अविभेदित (केवल स्पंजी मृदूतक)। कुछ घासों में आवर्ध त्वक् कोशिकाएँ (Bulliform cells) उपस्थित (जल अभाव में पत्ती मोड़ने में सहायक)। संवहन बंडल संयुक्त, संपार्श्विक, बंद।
4. द्वितीयक वृद्धि (Secondary Growth):
- अधिकांश द्विबीजपत्री पादपों तथा जिम्नोस्पर्म के तनों और जड़ों की मोटाई में वृद्धि पार्श्वीय विभज्योतकों (संवहनी कैंबियम और कॉर्क कैंबियम) की क्रियाशीलता के कारण होती है। एकबीजपत्री में सामान्यतः अनुपस्थित।
- संवहनी कैंबियम (Vascular Cambium):
- तने में यह अंतःपूलिय कैंबियम (Intrafascicular cambium - प्राथमिक) और अंतरपूलिय कैंबियम (Interfascicular cambium - द्वितीयक) से मिलकर एक पूर्ण वलय (कैंबियम वलय) बनाती है।
- यह अंदर की ओर द्वितीयक दारु (Secondary Xylem) और बाहर की ओर द्वितीयक पोषवाह (Secondary Phloem) बनाती है। द्वितीयक दारु का निर्माण अधिक होता है।
- वार्षिक वलय (Annual Rings): शीतोष्ण क्षेत्रों में कैंबियम की क्रियाशीलता वातावरणीय कारकों से प्रभावित होती है। वसंत में बनी काष्ठ (Spring wood/Early wood - चौड़ी वाहिकाएँ, हल्का रंग) और शरद में बनी काष्ठ (Autumn wood/Late wood - संकरी वाहिकाएँ, गहरा रंग) मिलकर एक वार्षिक वलय बनाती है, जिससे वृक्ष की आयु का अनुमान लगाया जा सकता है।
- अंतःकाष्ठ (Heartwood): तने का केंद्रीय, गहरा भूरा, कठोर, लिग्निन व अन्य पदार्थों (टैनिन, रेजिन आदि) के जमाव युक्त, मृत भाग। यह यांत्रिक सहारा देता है, जल संवहन नहीं करता।
- रसदारु (Sapwood): तने का परिधीय, हल्का रंगीन, जीवित भाग। यह जल और खनिजों का संवहन करता है।
- कॉर्क कैंबियम (Cork Cambium / Phellogen / कागजन):
- यह सामान्यतः वल्कुट क्षेत्र में विकसित होता है।
- यह बाहर की ओर कॉर्क (Cork / Phellem / काग) और अंदर की ओर द्वितीयक वल्कुट (Secondary Cortex / Phelloderm / कागअस्तर) बनाता है।
- कागजन + काग + कागअस्तर = परित्वक् (Periderm)।
- छाल (Bark): संवहन कैंबियम के बाहर स्थित सभी ऊतक (द्वितीयक पोषवाह, प्राथमिक वल्कुट, परित्वक् आदि) छाल कहलाते हैं।
- वात रंध्र (Lenticels): छाल में उपस्थित लेंस के आकार के छिद्र जो गैसीय विनिमय में सहायक होते हैं।
महत्वपूर्ण बिंदु (परीक्षा की दृष्टि से):
- विभिन्न ऊतकों के प्रकार, संरचना और कार्य।
- दारु और पोषवाह के घटक और उनके कार्य।
- विभिन्न प्रकार के संवहन बंडल और उनकी उपस्थिति (जड़/तना, एकबीजपत्री/द्विबीजपत्री)।
- एकबीजपत्री और द्विबीजपत्री मूल, तना, पत्ती की आंतरिक संरचना में मुख्य अंतर (कैस्पेरी पट्टी, संवहन बंडल संख्या/व्यवस्था, कैंबियम, पर्णमध्योतक विभेदन, अधस्त्वचा प्रकार आदि)।
- द्वितीयक वृद्धि: संवहनी कैंबियम और कॉर्क कैंबियम की क्रियाशीलता, वार्षिक वलय, अंतःकाष्ठ व रसदारु में अंतर, परित्वक्, छाल, वात रंध्र।
- विशिष्ट संरचनाएँ: कैस्पेरी पट्टियाँ, आवर्ध त्वक् कोशिकाएँ, रंध्रों के प्रकार।
अभ्यास हेतु बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs):
प्रश्न 1: जड़ों में जल अवशोषण करने वाली मुख्य संरचना है:
(क) बाह्यत्वचा
(ख) मूलरोम
(ग) अंतस्त्वचा
(घ) परिरंभ
प्रश्न 2: द्विबीजपत्री तने में संवहन बंडल होते हैं:
(क) अरीय तथा बंद
(ख) संयुक्त, संपार्श्विक तथा बंद
(ग) संयुक्त, संपार्श्विक तथा खुले
(घ) संयुक्त, उभयपोषवाही तथा खुले
प्रश्न 3: मूल की अंतस्त्वचा (Endodermis) की कोशिकाओं पर पाई जाने वाली कैस्पेरी पट्टियाँ (Casparian strips) बनी होती हैं:
(क) सेलुलोज की
(ख) लिग्निन की
(ग) सुबेरिन की
(घ) क्यूटिन की
प्रश्न 4: निम्नलिखित में से कौन सा ऊतक पादप के बढ़ते हुए भागों को यांत्रिक सहारा प्रदान करता है?
(क) मृदूतक
(ख) स्थूलकोण ऊतक
(ग) दृढ़ ऊतक
(घ) पोषवाह
प्रश्न 5: एकबीजपत्री तने की अधस्त्वचा (Hypodermis) बनी होती है:
(क) मृदूतक से
(ख) स्थूलकोण ऊतक से
(ग) दृढ़ ऊतक से
(घ) विभज्योतक से
प्रश्न 6: द्वितीयक वृद्धि के दौरान संवहनी कैंबियम की सक्रियता से अंदर की ओर बनता है:
(क) प्राथमिक दारु
(ख) द्वितीयक दारु
(ग) प्राथमिक पोषवाह
(घ) द्वितीयक पोषवाह
प्रश्न 7: घासों की पत्तियों में पाई जाने वाली आवर्ध त्वक् कोशिकाएँ (Bulliform cells) सहायक होती हैं:
(क) प्रकाश संश्लेषण में
(ख) जल संचय एवं पत्ती के मुड़ने/खुलने में
(ग) रंध्रों के खुलने/बंद होने में
(घ) यांत्रिक सहारे में
प्रश्न 8: परित्वक् (Periderm) में सम्मिलित हैं:
(क) कागजन और काग
(ख) काग और कागअस्तर
(ग) कागजन, काग और कागअस्तर
(घ) केवल कागजन
प्रश्न 9: तने का वह केंद्रीय, मृत, कठोर और गहरे रंग का भाग जो जल संवहन नहीं करता, कहलाता है:
(क) रसदारु
(ख) अंतःकाष्ठ
(ग) द्वितीयक वल्कुट
(घ) मज्जा
प्रश्न 10: रंध्र उपकरण (Stomatal apparatus) में सम्मिलित होते हैं:
(क) केवल द्वार कोशिकाएँ
(ख) द्वार कोशिकाएँ और सहायक कोशिकाएँ
(ग) द्वार कोशिकाएँ, रंध्रीय छिद्र और सहायक कोशिकाएँ
(घ) केवल रंध्रीय छिद्र और द्वार कोशिकाएँ
उत्तरमाला:
- (ख)
- (ग)
- (ग)
- (ख)
- (ग)
- (ख)
- (ख)
- (ग)
- (ख)
- (ग)
इन नोट्स का ध्यानपूर्वक अध्ययन करें और दिए गए MCQs का अभ्यास करें। परीक्षा के लिए शुभकामनाएँ!