Class 11 Biology Notes Chapter 7 (प्राणियों में संरचनात्मक संगठन) – Jeev Vigyan Book

चलिए, आज हम कक्षा 11 जीव विज्ञान के अध्याय 7, 'प्राणियों में संरचनात्मक संगठन' का विस्तृत अध्ययन करेंगे। यह अध्याय सरकारी परीक्षाओं की दृष्टि से महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें प्राणियों के ऊतकों, अंगों और अंग तंत्रों की मूलभूत समझ विकसित होती है, साथ ही केंचुआ, तिलचट्टा और मेंढक जैसे प्रतिनिधि प्राणियों की आकारिकी और शारीरिकी का वर्णन है।
अध्याय 7: प्राणियों में संरचनात्मक संगठन (Structural Organisation in Animals)
1. प्राणी ऊतक (Animal Tissues)
कोशिकाओं का समूह जिनकी उत्पत्ति समान होती है तथा वे एक या अधिक विशिष्ट कार्य करते हैं, ऊतक कहलाते हैं। प्राणियों में मुख्य रूप से चार प्रकार के ऊतक पाए जाते हैं:
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(क) उपकला ऊतक (Epithelial Tissue):
- यह ऊतक शरीर और अंगों के बाहरी व भीतरी आवरण का निर्माण करता है।
- कोशिकाएं एक-दूसरे से सटी हुई होती हैं और इनके बीच अंतरकोशिकीय पदार्थ (मैट्रिक्स) बहुत कम या अनुपस्थित होता है।
- यह एक अकोशिकीय आधार कला (Basement membrane) पर स्थित होता है।
- प्रकार:
- सरल उपकला (Simple Epithelium): कोशिकाओं की एक परत।
- शल्की (Squamous): चपटी कोशिकाएं। उदाहरण: रक्त वाहिकाओं की भित्ति, फेफड़ों के वायु कूपिका। कार्य: विसरण सीमा बनाना।
- घनाकार (Cuboidal): घन जैसी कोशिकाएं। उदाहरण: वृक्क नलिकाओं के नलिकाकार भाग, ग्रंथियों की वाहिनियाँ। कार्य: स्रवण और अवशोषण।
- स्तंभाकार (Columnar): लंबी और पतली कोशिकाएं, केंद्रक आधार भाग में। उदाहरण: आमाशय, आंत्र का अस्तर। कार्य: स्रवण और अवशोषण। (यदि मुक्त सतह पर पक्ष्माभ हों तो पक्ष्माभी उपकला (Ciliated Epithelium) कहलाती है, जैसे श्वसनिका, डिंबवाहिनी नलिका)।
- ग्रंथिल उपकला (Glandular Epithelium): स्रवण के लिए विशिष्ट। कोशिकाएं अंतर्वलित होकर बहुकोशिकीय ग्रंथि बनाती हैं (जैसे लार ग्रंथि)। एककोशिकीय ग्रंथि (जैसे आहारनाल की कलश कोशिकाएं/गोब्लेट सेल्स)।
- संयुक्त उपकला (Compound Epithelium): कोशिकाओं की एक से अधिक परतें।
- कार्य: रासायनिक व यांत्रिक प्रतिबलों से सुरक्षा।
- उदाहरण: त्वचा की शुष्क सतह, मुखगुहा की नम सतह, ग्रसनी।
- सरल उपकला (Simple Epithelium): कोशिकाओं की एक परत।
- कोशिका संधि (Cell Junctions): कोशिकाओं के बीच संरचनात्मक और कार्यात्मक संधि।
- दृढ़ संधि (Tight Junction): पदार्थों को ऊतक से बाहर निकालने से रोकती है।
- आसंजी संधि (Adhering Junction): पड़ोसी कोशिकाओं को चिपकाए रखती है।
- अंतराली संधि (Gap Junction): आयनों और छोटे अणुओं के स्थानांतरण हेतु। कोशिकाओं के बीच संचार में मदद।
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(ख) संयोजी ऊतक (Connective Tissue):
- शरीर में सबसे अधिक मात्रा में पाया जाने वाला और विस्तृत रूप से फैला हुआ ऊतक।
- कार्य: शरीर के अन्य ऊतकों और अंगों को जोड़ने, सहारा देने का कार्य।
- इसकी कोशिकाओं के बीच अत्यधिक अंतरकोशिकीय पदार्थ (मैट्रिक्स) होता है, जिसमें तंतु (फाइबर) और आधात्री (ग्राउंड सब्सटेंस) होते हैं।
- प्रकार:
- शिथिल संयोजी ऊतक (Loose Connective Tissue): कोशिकाएं और तंतु आधात्री में ढीले रूप से व्यवस्थित।
- त्वक्योजी/एरिओलर ऊतक (Areolar Tissue): त्वचा के नीचे पाया जाता है। उपकला के लिए आधार ढाँचा प्रदान करता है। इसमें तंतुकोरक (Fibroblasts), महाभक्षकाणु (Macrophages), मास्ट कोशिकाएं होती हैं।
- वसा ऊतक (Adipose Tissue): त्वचा के नीचे स्थित। वसा संग्रहण के लिए विशिष्ट। अतिरिक्त पोषक पदार्थों को वसा में बदलकर संग्रहित करता है।
- सघन संयोजी ऊतक (Dense Connective Tissue): तंतु और तंतुकोरक दृढ़ता से व्यवस्थित।
- सघन नियमित (Dense Regular): कोलेजन तंतु समानांतर गुच्छों में। उदाहरण: कंडरा (Tendon - पेशी को अस्थि से जोड़ती है), स्नायु (Ligament - अस्थि को अस्थि से जोड़ता है)।
- सघन अनियमित (Dense Irregular): तंतुकोरक और तंतु अनियमित रूप से व्यवस्थित। उदाहरण: त्वचा।
- विशिष्ट संयोजी ऊतक (Specialized Connective Tissue):
- उपास्थि (Cartilage): अंतरकोशिकीय पदार्थ ठोस, लचीला और संपीड़न रोधी। कोशिकाएं (उपास्थि अणु/कॉन्ड्रोसाइट्स) छोटी गुहिकाओं में बंद। उदाहरण: नाक की नोक, बाह्य कर्ण, कशेरुक दंड की अस्थियों के मध्य, पैर और हाथ की अस्थियाँ।
- अस्थि (Bone): कठोर और मजबूत। आधात्री कैल्शियम लवण और कोलेजन तंतुओं से युक्त। अस्थि कोशिकाएं (ऑस्टियोसाइट्स) गर्तिकाओं (लैक्यूनी) में उपस्थित। लंबी अस्थियों के सिरे पर अस्थि मज्जा (Bone marrow) होता है जो रक्त कोशिकाओं का उत्पादन करता है।
- रक्त (Blood): तरल संयोजी ऊतक। प्लाज्मा (तरल आधात्री), लाल रक्त कणिकाएं (RBC), श्वेत रक्त कणिकाएं (WBC) और पट्टिकाणु (Platelets) से बना होता है। मुख्य कार्य पदार्थों का परिवहन।
- शिथिल संयोजी ऊतक (Loose Connective Tissue): कोशिकाएं और तंतु आधात्री में ढीले रूप से व्यवस्थित।
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(ग) पेशी ऊतक (Muscular Tissue):
- लंबी कोशिकाओं (पेशी तंतुओं) से बना होता है।
- संकुचन और शिथिलन की क्षमता के कारण गति में सहायक।
- प्रकार:
- कंकाल पेशी (Skeletal Muscle): अस्थियों से जुड़ी होती है। ऐच्छिक (Voluntary) नियंत्रण में। बहुकेंद्रकीय, रेखाएं (धारियां) उपस्थित। उदाहरण: हाथ, पैर की पेशियां।
- चिकनी पेशी (Smooth Muscle): आंतरिक अंगों (आहारनाल, रक्त वाहिका) की भित्ति में। अनैच्छिक (Involuntary)। तर्कुरूपी, एककेंद्रकीय, रेखाएं अनुपस्थित।
- हृदय पेशी (Cardiac Muscle): केवल हृदय की भित्ति में। अनैच्छिक। शाखित, एककेंद्रकीय, हल्की रेखाएं उपस्थित। कोशिकाओं के बीच संचार संधियाँ (Intercalated discs) पाई जाती हैं, जो संकुचन में मदद करती हैं।
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(घ) तंत्रिका ऊतक (Neural Tissue):
- शरीर की उद्दीपनों के प्रति अनुक्रियाशीलता के नियंत्रण के लिए उत्तरदायी।
- तंत्रिका कोशिका/न्यूरॉन (Neuron): तंत्रिका तंत्र की इकाई। कोशिका काय (साइटोन), प्रवर्ध - द्रुमिका (डेंड्राइट) और तंत्रिकाक्ष (एक्सॉन) से बनी होती है।
- तंत्रिबंध/न्यूरोग्लिया (Neuroglia): तंत्रिका ऊतक का शेष भाग। न्यूरॉन्स को सहारा और सुरक्षा प्रदान करती हैं। तंत्रिका तंत्र के आयतन का आधे से अधिक भाग बनाती हैं।
2. अंग एवं अंग तंत्र (Organ and Organ System)
- दो या अधिक प्रकार के ऊतक संगठित होकर अंग (Organ) बनाते हैं (जैसे- आमाशय, हृदय, वृक्क)।
- जब दो या अधिक अंग एक समान कार्य करते हैं और भौतिक या रासायनिक रूप से जुड़े होते हैं, तो वे अंग तंत्र (Organ System) बनाते हैं (जैसे- पाचन तंत्र, परिसंचरण तंत्र)।
- ऊतक, अंग और अंग तंत्र के संगठन से जीव का शरीर बनता है और कार्य करता है।
3. केंचुआ (Earthworm - फेरेटिमा पोस्थुमा)
- आवास: नम मिट्टी की ऊपरी सतह। रात्रिचर।
- आकारिकी (Morphology):
- लंबा, बेलनाकार शरीर, 100-120 खंडों (मेटामियर्स) में बंटा।
- पृष्ठ सतह पर मध्य पृष्ठ रेखा (रक्त वाहिका)।
- अधर तल पर जनन छिद्र।
- अग्र सिरे पर मुख एवं पुरोमुख (प्रोस्टोमियम - संवेदी)।
- प्रथम खंड परितुंड (पेरिस्टोमियम) कहलाता है, जिसमें मुख होता है।
- प्रौढ़ कृमि में 14वें-16वें खंड में ग्रंथिल ऊतक की मोटी पट्टी - पर्याणिका (Clitellum)। शरीर तीन भागों में बंटा - पूर्व-पर्याणिक, पर्याणिक, पश्च-पर्याणिक।
- प्रत्येक खंड के मध्य में शूक (Setae) की पंक्ति (प्रथम, अंतिम और क्लाइटेलम खंडों को छोड़कर)। शूक चलन में सहायक।
- श्वसन नम त्वचा से (त्वचीय श्वसन)।
- शारीरिकी (Anatomy):
- आहार नाल: सीधी नलिका। मुख -> ग्रसनी -> ग्रसिका -> पेषणी (Gizzard - भोजन पीसना) -> आमाशय -> आंत्र -> गुदा। आंत्र में एक आंतरिक वलन - आंत्र वलन (Typhlosole), जो अवशोषण सतह को बढ़ाता है।
- परिसंचरण तंत्र: बंद प्रकार का। हृदय, रक्त वाहिकाएं और केशिकाएं। हीमोग्लोबिन प्लाज्मा में घुला होता है।
- उत्सर्जन तंत्र: वृक्कक (Nephridia) द्वारा। पटीय (सेप्टल), अध्यावरणी (इंटेगुमेंटरी) और ग्रसनीय (फैरिन्जियल) वृक्कक।
- तंत्रिका तंत्र: अधर तंत्रिका रज्जु।
- जनन तंत्र: उभयलिंगी (Hermaphrodite)। शुक्राणु और अंडाणु दोनों बनते हैं। मैथुन द्वारा शुक्राणुओं का आदान-प्रदान होता है। निषेचन कोकून (Cocoon) के अंदर होता है (बाह्य निषेचन)।
4. तिलचट्टा (Cockroach - पेरिप्लैनेटा अमेरिकाना)
- आवास: नम, अंधेरे स्थान। रात्रिचर, सर्वाहारी।
- आकारिकी (Morphology):
- चपटा, खंडयुक्त शरीर। वयस्क लगभग 34-53 मिमी लंबा।
- शरीर सिर, वक्ष और उदर में विभक्त।
- बाह्य कंकाल काइटिन (Chitin) का बना। प्रत्येक खंड में कठोर प्लेटें - स्क्लेराइट (पृष्ठ वाली टरगाइट, अधर वाली स्टर्नाइट, पार्श्व वाली प्लूराइट)।
- सिर: त्रिकोणीय, शरीर से समकोण पर। 6 खंडों के मिलने से बना। गतिशील। एक जोड़ी संयुक्त नेत्र (Compound eyes), एक जोड़ी धागेनुमा श्रृंगिकाएं (Antennae)। मुख उपांग (काटने-चबाने वाले): अधरोष्ठ (लेब्रम), एक जोड़ी चिबुक (मैंडिबल), एक जोड़ी जंभिका (मैक्सिला), अधो जिह्वा (लेबियम), हाइपोफैरिंक्स (जिह्वा)।
- वक्ष: तीन भाग - अग्रवक्ष, मध्यवक्ष, पश्चवक्ष। प्रत्येक भाग में एक जोड़ी टांगें। दो जोड़ी पंख: अग्र पंख (टैगमिना) मध्यवक्ष से, अपारदर्शी, सुरक्षात्मक; पश्च पंख पश्चवक्ष से, पारदर्शी, उड़ने में सहायक।
- उदर: 10 खंड। नर में 9वीं स्टर्नाइट पर एक जोड़ी गुदीय शूक (Anal styles) (मादा में अनुपस्थित)। नर व मादा दोनों में 10वें खंड पर एक जोड़ी गुदीय लूम (Anal cerci) (संवेदी)।
- शारीरिकी (Anatomy):
- आहार नाल: तीन भाग - अग्र आंत्र (फोरगट), मध्य आंत्र (मिडगट), पश्च आंत्र (हाइंडगट)।
- अग्र आंत्र: मुख -> ग्रसनी -> ग्रसिका -> अन्नपुट (Crop - भोजन संग्रह) -> पेषणी (Gizzard/Proventriculus - भोजन पीसना)।
- मध्य आंत्र: यकृतीय या जठरीय अंधनाल (Hepatic or Gastric caeca) (अग्र व मध्य आंत्र के संधि स्थल पर) पाचक रस स्रावित करती हैं।
- पश्च आंत्र: मध्य व पश्च आंत्र के संधि स्थल पर 100-150 पतली पीली नलिकाएं - मैल्पीगी नलिकाएं (Malpighian tubules) - उत्सर्जन अंग। पश्च आंत्र -> क्षुद्रांत्र -> वृहदांत्र -> मलाशय -> गुदा।
- परिसंचरण तंत्र: खुला प्रकार (Open type)। रक्त (हीमोलिंफ) देहगुहा (हीमोसील) में बहता है। हृदय लंबी पेशीय नलिका, 13 कक्षों का। रक्त रंगहीन (हीमोग्लोबिन अनुपस्थित)।
- श्वसन तंत्र: श्वास नलिकाओं (Tracheae) का जाल। श्वास रंध्र (Spiracles) द्वारा बाहरी वायु प्रवेश करती है (पार्श्व में 10 जोड़ी)।
- उत्सर्जन तंत्र: मैल्पीगी नलिकाएं (यूरिक अम्ल उत्सर्जी - यूरिकोटेलिक), वसा पिंड, यूरीकोज ग्रंथियां।
- तंत्रिका तंत्र: श्रेणीबद्ध गुच्छिकाएं (गैंग्लिया) जो अधर तल पर युग्मित अनुदैर्ध्य संयोजक से जुड़ी होती हैं। मस्तिष्क (अधिग्रसिकीय गुच्छिका) सिर में।
- जनन तंत्र: एकलिंगी (Dioecious)।
- नर: एक जोड़ी वृषण, शुक्रवाहिका, स्खलनीय वाहिनी, नर जनन रंध्र, छत्रक ग्रंथि (सहायक ग्रंथि)। शुक्राणु शुक्राणुधर (स्पर्मेटोफोर) के रूप में स्थानांतरित।
- मादा: दो बड़े अंडाशय, अंडवाहिनी, जनन कक्ष, युग्मित शुक्राणुधानी (स्पर्मेथिका)। निषेचित अंडे अंडकवच (Ootheca) में बंद होते हैं। पॉरोमेटाबोला (Paurometabola) प्रकार का परिवर्धन (निंफ अवस्था द्वारा)।
- आहार नाल: तीन भाग - अग्र आंत्र (फोरगट), मध्य आंत्र (मिडगट), पश्च आंत्र (हाइंडगट)।
5. मेंढक (Frog - राना टिग्रिना)
- आवास: उभयचर (Amphibian) - स्वच्छ जल और स्थल दोनों पर। असमतापी (Poikilothermous) - शरीर का तापमान वातावरण के अनुसार बदलता है। ग्रीष्म निष्क्रियता (Aestivation) और शीत निष्क्रियता (Hibernation) दर्शाता है।
- आकारिकी (Morphology):
- त्वचा: नम, चिकनी, श्लेष्म युक्त। श्वसन और जल अवशोषण में सहायक। रंग परिवर्तन की क्षमता (Mimicry)।
- शरीर सिर और धड़ में विभक्त (गर्दन और पूंछ अनुपस्थित)।
- सिर: मुख, एक जोड़ी नासाछिद्र, उभरे हुए नेत्र (निक्टिटेटिंग झिल्ली द्वारा ढके), कर्ण पटह (Tympanum - कान का बाहरी पर्दा)।
- धड़: दो जोड़ी पाद। अग्रपाद (4 अंगुलियां), पश्चपाद (5 अंगुलियां, झिल्ली युक्त - तैरने में सहायक)।
- लैंगिक द्विरूपता: नर में अग्रपाद की पहली अंगुली पर मैथुन अंकुश (Copulatory pad) और वाक् कोष (Vocal sacs) होते हैं।
- शारीरिकी (Anatomy):
- आहार नाल: छोटी। मुख -> मुखगुहा -> ग्रसनी -> ग्रसिका -> आमाशय -> आंत्र (ग्रहणी, क्षुद्रांत्र) -> मलाशय -> अवस्कर (Cloaca)। यकृत पित्त रस स्रावित करता है (पित्ताशय में संग्रहित)। अग्न्याशय अग्न्याशयी रस स्रावित करता है। भोजन का पाचन आमाशय और आंत्र में। अवशोषण आंत्र के रसांकुरों (Villi) द्वारा। अवस्कर वह सामान्य कक्ष है जिसमें आहारनाल, मूत्रमार्ग और जनन मार्ग खुलते हैं।
- श्वसन तंत्र: त्वचा (त्वचीय श्वसन - जल में), मुखगुहा (स्थलीय), फेफड़े (फुफ्फुसीय श्वसन - स्थल पर)।
- परिसंचरण तंत्र: बंद प्रकार का, सुविकसित। हृदय त्रिकक्षीय (3-chambered) - दो अलिंद, एक निलय। धमनी तंत्र और शिरा तंत्र। यकृत निवाहिका तंत्र और वृक्क निवाहिका तंत्र उपस्थित। रक्त में प्लाज्मा, RBC (केंद्रक युक्त, अंडाकार), WBC, प्लेटलेट्स। लसीका तंत्र भी उपस्थित।
- उत्सर्जन तंत्र: एक जोड़ी वृक्क (Kidney), मूत्रवाहिनी (Ureter), मूत्राशय (Urinary bladder), अवस्कर। मुख्य उत्सर्जी पदार्थ यूरिया (Ureotelic)।
- तंत्रिका तंत्र: केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (मस्तिष्क, मेरुरज्जु), परिधीय तंत्रिका तंत्र (कपालीय व मेरु तंत्रिकाएं), स्वायत्त तंत्रिका तंत्र (अनुकंपी, परानुकंपी)। मस्तिष्क अग्र, मध्य और पश्च मस्तिष्क में बंटा। 10 जोड़ी कपालीय तंत्रिकाएं। संवेदी अंग: स्पर्श, स्वाद, गंध, दृष्टि, श्रवण।
- जनन तंत्र: एकलिंगी (Dioecious)।
- नर: एक जोड़ी वृषण (वृक्क से वसा पिंड द्वारा जुड़े), शुक्र वाहिकाएं, मूत्र-जनन नलिका, अवस्कर।
- मादा: एक जोड़ी अंडाशय (वृक्क से जुड़े नहीं), अंडवाहिनी, अवस्कर।
- निषेचन बाह्य (External), जल में होता है। परिवर्धन लार्वा अवस्था (टेडपोल - Tadpole) द्वारा होता है, जिसमें कायांतरण (Metamorphosis) होता है।
परीक्षा हेतु महत्वपूर्ण बिंदु:
- विभिन्न उपकला ऊतकों के प्रकार, स्थान और कार्य।
- संयोजी ऊतकों के प्रकार (विशेषकर कंडरा, स्नायु, उपास्थि, अस्थि, रक्त)।
- पेशी ऊतकों (रेखित, अरेखित, हृदयक) में अंतर।
- न्यूरॉन की संरचना।
- केंचुए में क्लाइटेलम, नेफ्रीडिया, बंद परिसंचरण, आंत्र वलन।
- तिलचट्टे में काइटिन, संयुक्त नेत्र, मुखांग, टैगमिना, मैल्पीगी नलिकाएं, खुला परिसंचरण, श्वास रंध्र, गुदीय शूक व लूम, अंडकवच।
- मेंढक में त्वचा का कार्य, 3-कक्षीय हृदय, अवस्कर, बाह्य निषेचन, टेडपोल लार्वा, शीत/ग्रीष्म निष्क्रियता, यूरिया उत्सर्जन।
अभ्यास हेतु बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs):
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रक्त वाहिकाओं की भित्ति किस प्रकार की उपकला से बनी होती है?
(क) घनाकार उपकला
(ख) स्तंभाकार उपकला
(ग) शल्की उपकला
(घ) ग्रंथिल उपकला -
पेशी को अस्थि से जोड़ने वाला संयोजी ऊतक है:
(क) स्नायु (Ligament)
(ख) कंडरा (Tendon)
(ग) उपास्थि (Cartilage)
(घ) त्वक्योजी ऊतक (Areolar tissue) -
तिलचट्टे में उत्सर्जन का कार्य किसके द्वारा होता है?
(क) नेफ्रीडिया
(ख) मैल्पीगी नलिकाएं
(ग) हरित ग्रंथियां
(घ) ज्वाला कोशिकाएं -
केंचुए में पर्याणिका (Clitellum) किन खंडों में पाई जाती है?
(क) 4, 5, 6
(ख) 10, 11, 12
(ग) 14, 15, 16
(घ) अंतिम तीन खंड -
मेंढक का हृदय होता है:
(क) दो कक्षीय
(ख) तीन कक्षीय
(ग) चार कक्षीय
(घ) अपूर्ण चार कक्षीय -
खुला परिसंचरण तंत्र किसमें पाया जाता है?
(क) केंचुआ
(ख) मेंढक
(ग) तिलचट्टा
(घ) मनुष्य -
तंत्रिका ऊतक की कोशिकाएं जो न्यूरॉन्स को सहारा और पोषण देती हैं, कहलाती हैं:
(क) एक्सॉन
(ख) डेंड्राइट
(ग) न्यूरोग्लिया
(घ) श्वान कोशिकाएं -
चिकनी पेशियां पाई जाती हैं:
(क) हाथ की पेशियों में
(ख) हृदय की भित्ति में
(ग) आंतरिक अंगों की भित्ति में
(घ) जीभ में -
मेंढक में टेडपोल लार्वा का वयस्क में रूपांतरण कहलाता है:
(क) पुनर्जनन
(ख) कायांतरण
(ग) अनिषेक जनन
(घ) बीजाणु जनन -
तिलचट्टे के मुख उपांग किस प्रकार के होते हैं?
(क) चूसने वाले
(ख) काटने और चबाने वाले
(ग) स्पंजी
(घ) साइफनी
उत्तरमाला:
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- (ख)
- (ग)
- (ख)
- (ग)
- (ग)
- (ग)
- (ख)
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इन नोट्स और प्रश्नों का अच्छे से अध्ययन करें। यह आपकी परीक्षा की तैयारी में सहायक सिद्ध होगा। शुभकामनाएं!