Class 11 Biology Notes Chapter 8 (Chapter 8) – Examplar Problems (Hindi) Book

Examplar Problems (Hindi)
चलिए, आज हम कक्षा 11 जीव विज्ञान के अध्याय 8, 'कोशिका: जीवन की इकाई' के विस्तृत नोट्स का अध्ययन करेंगे जो सरकारी परीक्षाओं की तैयारी के लिए महत्वपूर्ण हैं। यह अध्याय जीव विज्ञान की मूलभूत समझ के लिए अत्यंत आवश्यक है।

अध्याय 8: कोशिका : जीवन की इकाई (Cell: The Unit of Life)

1. कोशिका क्या है?

  • सभी जीव कोशिकाओं से बने होते हैं।
  • कोशिका जीवन की मूलभूत संरचनात्मक और क्रियात्मक इकाई है।
  • सभी कोशिकाएँ पूर्ववर्ती कोशिकाओं से निर्मित होती हैं (रुडोल्फ विरचो)।
  • एंटोन वॉन ल्यूवेनहॉक ने पहली बार जीवित कोशिका को देखा व इसका वर्णन किया।
  • रॉबर्ट हुक ने कॉर्क में मृत कोशिकाओं की खोज की और उन्हें 'सेल' नाम दिया।
  • रॉबर्ट ब्राउन ने बाद में केंद्रक की खोज की।

2. कोशिका सिद्धांत (Cell Theory):

  • श्लाइडेन (वनस्पतिशास्त्री) और श्वान (जंतुशास्त्री) ने मिलकर कोशिका सिद्धांत प्रतिपादित किया।
  • मुख्य बिंदु:
    • सभी जीव (पौधे और जंतु) कोशिकाओं और उनके उत्पादों से मिलकर बने होते हैं।
  • कमियाँ: यह सिद्धांत यह बताने में असफल रहा कि नई कोशिकाएँ कैसे बनती हैं।
  • रुडोल्फ विरचो (1855): ने स्पष्ट किया कि कोशिकाएँ विभाजित होती हैं और नई कोशिकाएँ पूर्व-स्थित कोशिकाओं से बनती हैं ("Omnis cellula-e cellula")।
  • आधुनिक कोशिका सिद्धांत:
    • सभी जीव कोशिका व कोशिका उत्पाद से बने होते हैं।
    • सभी कोशिकाएँ पूर्व स्थित कोशिकाओं से निर्मित होती हैं।
    • सभी कोशिकाओं का रासायनिक संघटन व उपापचयी क्रियाएँ लगभग समान होती हैं।
    • आनुवंशिक सूचना कोशिका के केंद्रक में होती है और कोशिका विभाजन के समय एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानांतरित होती है।

3. कोशिका का समग्र अवलोकन:

  • आकार और आकृति: कोशिकाएँ आकार और आकृति में भिन्न होती हैं (जैसे, माइकोप्लाज्मा सबसे छोटी कोशिका, शुतुरमुर्ग का अंडा सबसे बड़ी कोशिका, तंत्रिका कोशिका सबसे लंबी)।
  • प्रोकैरियोटिक कोशिका (Prokaryotic Cell):
    • आदिम कोशिकाएँ।
    • कोई सुस्पष्ट केंद्रक नहीं होता (केंद्रक झिल्ली अनुपस्थित)। आनुवंशिक पदार्थ (नग्न DNA) कोशिकाद्रव्य में बिखरा रहता है, जिसे केंद्रकाभ (Nucleoid) कहते हैं।
    • झिल्ली-बद्ध कोशिकांग (जैसे माइटोकॉन्ड्रिया, गॉल्जीकाय, अंतर्द्रव्यी जालिका आदि) अनुपस्थित होते हैं।
    • राइबोसोम 70S प्रकार के होते हैं।
    • उदाहरण: जीवाणु (Bacteria), नील-हरित शैवाल (Blue-green algae/Cyanobacteria), माइकोप्लाज्मा (Mycoplasma), PPLO (Pleuro Pneumonia Like Organisms)।
  • यूकैरियोटिक कोशिका (Eukaryotic Cell):
    • विकसित कोशिकाएँ।
    • सुस्पष्ट केंद्रक होता है (केंद्रक झिल्ली उपस्थित)।
    • झिल्ली-बद्ध कोशिकांग उपस्थित होते हैं।
    • राइबोसोम 80S (कोशिकाद्रव्य में) और 70S (माइटोकॉन्ड्रिया और क्लोरोप्लास्ट में) प्रकार के होते हैं।
    • उदाहरण: प्रोटिस्टा, कवक, पादप, जंतु।

4. प्रोकैरियोटिक कोशिका की संरचना:

  • कोशिका आवरण (Cell Envelope):
    • यह 3 परतों का बना होता है:
      • ग्लाइकोकैलिक्स (Glycocalyx): सबसे बाहरी परत। यह ढीली परत (अवपंक परत - Slime layer) या मोटी व कठोर परत (संपुटिका - Capsule) हो सकती है।
      • कोशिका भित्ति (Cell Wall): कोशिका को आकार देती है और फटने से बचाती है। जीवाणु में पेप्टिडोग्लाइकन की बनी होती है।
      • जीवद्रव्य झिल्ली (Plasma Membrane): वर्णात्मक पारगम्य होती है, कोशिका में पदार्थों के परिवहन को नियंत्रित करती है।
    • ग्राम अभिरंजन (Gram Staining) के आधार पर जीवाणु दो प्रकार के होते हैं: ग्राम धनात्मक (Gram Positive) और ग्राम ऋणात्मक (Gram Negative)। यह कोशिका आवरण की संरचना में भिन्नता के कारण होता है।
  • मीसोसोम (Mesosome): जीवद्रव्य झिल्ली के अंतर्वलन (infoldings) से बनी संरचना। श्वसन, DNA प्रतिकृति, कोशिका भित्ति निर्माण और पुत्री कोशिकाओं में वितरण में सहायक।
  • कोशिकाद्रव्य (Cytoplasm): झिल्ली रहित क्षेत्र जिसमें आनुवंशिक पदार्थ, राइबोसोम और अंतर्विष्ट पिंड होते हैं।
  • केंद्रकाभ (Nucleoid): नग्न, वृत्ताकार DNA वाला क्षेत्र।
  • प्लाज्मिड (Plasmid): मुख्य गुणसूत्री DNA के अतिरिक्त छोटे, वृत्ताकार DNA अणु। ये जीवाणु को विशेष लक्षण (जैसे प्रतिजैविक प्रतिरोध) प्रदान करते हैं।
  • राइबोसोम (Ribosome): 70S प्रकार (50S और 30S उपइकाइयों से बने)। प्रोटीन संश्लेषण का स्थल। कई राइबोसोम एक mRNA से जुड़कर पॉलीराइबोसोम या पॉलिसोम बनाते हैं।
  • अंतर्विष्ट पिंड (Inclusion Bodies): कोशिकाद्रव्य में पाए जाने वाले कण जो खाद्य पदार्थों (फॉस्फेट कणिका, साइनोफाइसियन कणिका, ग्लाइकोजन कणिका) या गैस (गैस रसधानी) का संग्रह करते हैं। झिल्ली रहित होते हैं।
  • कशाभिका (Flagella), पक्ष्माभ (Pili), झालर (Fimbriae):
    • कशाभिका: जीवाणु की गतिशीलता में सहायक। इसके तीन भाग होते हैं - तंतु, अंकुश, आधारीय शरीर।
    • पक्ष्माभ (पाइली): लम्बी नलिकाकार संरचना, संयुग्मन में सहायक।
    • झालर (फिम्ब्री): छोटी शूक जैसी संरचना, जीवाणु को चट्टानों या पोषक ऊतकों से चिपकने में सहायक।

5. यूकैरियोटिक कोशिका की संरचना:

  • कोशिका झिल्ली (Cell Membrane):
    • संरचना: सिंगर व निकोल्सन (1972) द्वारा प्रतिपादित तरल किर्मीर नमूना (Fluid Mosaic Model) सर्वमान्य है।
    • इसके अनुसार, प्रोटीन अणु फॉस्फोलिपिड की द्वि-सतह में आइसबर्ग की तरह धंसे रहते हैं (प्रोटीन आइसबर्ग इन ए सी ऑफ लिपिड)।
    • लिपिड (मुख्यतः फॉस्फोग्लिसराइड) द्वि-सतह बनाते हैं जिसमें ध्रुवीय सिरा बाहर की ओर और जलविरागी (हाइड्रोफोबिक) पूंछ अंदर की ओर होती है। कोलेस्ट्रॉल भी पाया जाता है।
    • प्रोटीन दो प्रकार के होते हैं: परिधीय (सतही) और समाकल (आंतरिक, जो आंशिक या पूर्ण रूप से धंसे होते हैं)।
    • प्रकृति: अर्ध-तरल (Quasi-fluid) प्रकृति के कारण झिल्ली के भीतर प्रोटीन पार्श्व गति कर सकते हैं।
    • कार्य: कोशिका वृद्धि, अंतरकोशिकीय संयोजन, स्रवण, कोशिका विभाजन, पदार्थों का परिवहन (निष्क्रिय परिवहन - विसरण, परासरण; सक्रिय परिवहन - ऊर्जा (ATP) की आवश्यकता)।
  • कोशिका भित्ति (Cell Wall):
    • पादप कोशिकाओं, कवक और कुछ प्रोटिस्टा में पाई जाती है। जंतु कोशिका में अनुपस्थित।
    • कार्य: कोशिका को निश्चित आकृति देना, यांत्रिक सहारा प्रदान करना, संक्रमण से रक्षा करना, अवांछनीय वृहत् अणुओं को रोकना।
    • संघटन: शैवाल में सेल्युलोज, गैलेक्टैन्स, मैनन्स, कैल्शियम कार्बोनेट; अन्य पौधों में सेल्युलोज, हेमिसेल्युलोज, पेक्टिन, प्रोटीन; कवक में काइटिन।
    • पादप कोशिका भित्ति: प्राथमिक भित्ति (पतली, लचीली), द्वितीयक भित्ति (प्राथमिक भित्ति के अंदर मोटी, दृढ़), मध्य पटलिका (कैल्शियम पेक्टेट की बनी, आसन्न कोशिकाओं को जोड़े रखती है)। प्लाज्मोडेस्मेटा (Plasmodesmata) आसन्न कोशिकाओं के कोशिकाद्रव्य को जोड़ते हैं।
  • अंतः झिल्ली तंत्र (Endomembrane System):
    • ऐसे कोशिकांग जिनके कार्य एक-दूसरे से समन्वित होते हैं।
    • इसमें शामिल हैं: अंतर्द्रव्यी जालिका (ER), गॉल्जीकाय (Golgi apparatus), लयनकाय (Lysosome), रसधानी (Vacuole)।
    • माइटोकॉन्ड्रिया, क्लोरोप्लास्ट और परऑक्सीसोम इसके भाग नहीं हैं क्योंकि इनके कार्य समन्वित नहीं होते।
    • अंतर्द्रव्यी जालिका (Endoplasmic Reticulum - ER):
      • झिल्लीयुक्त नलिकाओं तथा शीट का जाल जो केंद्रक झिल्ली से कोशिका झिल्ली तक फैला हो सकता है।
      • प्रकार:
        • खुरदरी अंतर्द्रव्यी जालिका (Rough ER - RER): सतह पर राइबोसोम उपस्थित। प्रोटीन संश्लेषण व स्रवण में सक्रिय।
        • चिकनी अंतर्द्रव्यी जालिका (Smooth ER - SER): सतह पर राइबोसोम अनुपस्थित। लिपिड संश्लेषण (स्टेरॉइड हॉर्मोन), ग्लाइकोजन उपापचय, विषहरण (Detoxification) में सहायक।
    • गॉल्जी उपकरण/गॉल्जीकाय (Golgi Apparatus):
      • कैमिलो गॉल्जी (1898) द्वारा खोज।
      • चपटे, कुंडों (Cisternae) का ढेर। व्यास 0.5 µm से 1.0 µm।
      • ER से प्राप्त पदार्थों की पैकेजिंग, रूपांतरण और उन्हें कोशिका के अंदर या बाहर भेजना।
      • ग्लाइकोप्रोटीन और ग्लाइकोलिपिड निर्माण का प्रमुख स्थल।
      • लयनकाय का निर्माण।
    • लयनकाय (Lysosome):
      • गॉल्जीकाय में पुटिकाओं के रूप में बनते हैं।
      • एकल झिल्ली युक्त थैली जिसमें जल अपघटकीय एंजाइम (हाइड्रोलेजेज - लाइपेज, प्रोटीएज, कार्बोहाइड्रेडेज) होते हैं जो अम्लीय pH (लगभग 5) पर सक्रिय होते हैं।
      • कार्य: अंतःकोशिकीय पाचन (बाहरी पदार्थ, पुराने कोशिकांग)। इन्हें 'आत्मघाती थैली' (Suicidal bags) भी कहते हैं क्योंकि कोशिका के क्षतिग्रस्त होने पर ये फटकर अपनी ही कोशिका को पाचित कर सकते हैं।
    • रसधानी (Vacuole):
      • एकल झिल्ली (टोनोप्लास्ट - Tonoplast) से घिरी थैली।
      • पादप कोशिका में एक बड़ी केंद्रीय रसधानी होती है जो कोशिका का 90% आयतन घेर सकती है।
      • कार्य: जल, उत्सर्जी पदार्थ, आयन, वर्णक आदि का संग्रह। टोनोप्लास्ट आयनों व अन्य पदार्थों का सांद्रण प्रवणता के विपरीत सक्रिय परिवहन द्वारा रसधानी में बनाए रखती है।
      • अमीबा में संकुचनशील रसधानी (उत्सर्जन व परासरणनियमन) और खाद्य रसधानी होती है।
  • सूत्रकणिका (Mitochondria):
    • दोहरी झिल्ली युक्त कोशिकांग। बाहरी झिल्ली सपाट, आंतरिक झिल्ली अंतर्वलित होकर क्रिस्टी (Cristae) बनाती है।
    • क्रिस्टी सतह क्षेत्र बढ़ाते हैं। आंतरिक झिल्ली के अंदर के स्थान को आधात्री (Matrix) कहते हैं।
    • आधात्री में वृत्ताकार DNA अणु, कुछ RNA अणु, 70S राइबोसोम तथा प्रोटीन संश्लेषण के लिए आवश्यक घटक होते हैं।
    • कार्य: वायवीय श्वसन का स्थल, ATP (ऊर्जा मुद्रा) का उत्पादन। इसलिए इसे 'कोशिका का शक्ति गृह' (Powerhouse of the cell) कहते हैं।
    • विभाजन: विखंडन द्वारा।
  • लवक (Plastids):
    • सभी पादप कोशिकाओं और कुछ प्रोटोजोआ (जैसे यूग्लीना) में पाए जाते हैं।
    • वर्णकों के आधार पर प्रकार:
      • क्लोरोप्लास्ट (हरितलवक): हरे रंग के, पर्णहरित (Chlorophyll) और कैरोटिनॉइड वर्णक युक्त। प्रकाश संश्लेषण द्वारा खाद्य निर्माण।
      • क्रोमोप्लास्ट (वर्णीलवक): वसा विलेय कैरोटिनॉइड वर्णक (कैरोटीन, जैंथोफिल) युक्त। पीले, नारंगी या लाल रंग के। पुष्पों और फलों को रंग प्रदान करते हैं।
      • ल्यूकोप्लास्ट (अवर्णीलवक): रंगहीन। खाद्य संचय। प्रकार: एमाइलोप्लास्ट (स्टार्च), इलायोप्लास्ट (तेल/वसा), एल्यूरोप्लास्ट (प्रोटीन)।
    • क्लोरोप्लास्ट की संरचना:
      • दोहरी झिल्ली युक्त। आंतरिक झिल्ली कम पारगम्य।
      • अंदर का स्थान पीठिका (Stroma) कहलाता है।
      • पीठिका में चपटे, झिल्ली युक्त थैली जैसे संरचना थाइलेकॉइड (Thylakoid) होते हैं।
      • थाइलेकॉइड सिक्कों के चट्टों के रूप में व्यवस्थित होकर ग्रैना (Grana) बनाते हैं। कई ग्रैना पीठिका पटलिकाओं (Stroma lamellae) द्वारा जुड़े रहते हैं।
      • थाइलेकॉइड झिल्ली में पर्णहरित वर्णक होते हैं।
      • पीठिका में वृत्ताकार DNA, 70S राइबोसोम और प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यक एंजाइम होते हैं।
  • राइबोसोम (Ribosome):
    • जॉर्ज पैलाडे (1953) द्वारा खोज।
    • झिल्ली रहित कणिकाएँ। राइबोन्यूक्लिक एसिड (rRNA) और प्रोटीन से बने होते हैं।
    • यूकैरियोटिक राइबोसोम 80S (60S और 40S उपइकाइयों से बने)।
    • माइटोकॉन्ड्रिया और क्लोरोप्लास्ट में 70S राइबोसोम होते हैं।
    • कार्य: प्रोटीन संश्लेषण का स्थल। ('S' स्वीडबर्ग इकाई है, जो अवसादन गुणांक को दर्शाती है)।
  • साइटोपंजर (Cytoskeleton):
    • कोशिकाद्रव्य में मिलने वाला प्रोटीनयुक्त तंतुओं का जाल।
    • कार्य: यांत्रिक सहायता, गति, कोशिका के आकार को बनाए रखना।
    • घटक: सूक्ष्म तंतु (Microfilaments), मध्यवर्ती तंतु (Intermediate filaments), सूक्ष्म नलिकाएँ (Microtubules)।
  • पक्ष्माभ (Cilia) और कशाभिका (Flagella):
    • कोशिका झिल्ली पर मिलने वाली रोम सदृश अपवृद्धि।
    • संरचनात्मक रूप से समान। कशाभिका लंबी, संख्या में कम; पक्ष्माभ छोटे, संख्या में अधिक।
    • कार्य: कोशिका गति, तरल माध्यम की गति।
    • कोर (Axoneme) 9+2 व्यवस्था (9 परिधीय द्विक + 2 केंद्रीय एकल सूक्ष्म नलिकाएँ) दिखाता है।
    • आधार काय (Basal body) से निकलते हैं, जिसकी संरचना तारककाय (Centriole) जैसी (9+0 व्यवस्था) होती है।
  • तारककाय (Centrosome) और तारककेंद्र (Centriole):
    • तारककाय: दो बेलनाकार तारककेंद्रों से बना होता है जो एक-दूसरे के लंबवत होते हैं।
    • तारककेंद्र: कार्टव्हील (बैलगाड़ी के पहिये) जैसी संरचना। 9 परिधीय त्रिक (triplets) होते हैं, केंद्र में कोई नलिका नहीं (9+0 व्यवस्था)।
    • अक्रिस्टलीय परिकेंद्रीय द्रव्य (Pericentriolar material) से घिरा रहता है।
    • कार्य: जंतु कोशिकाओं में कोशिका विभाजन के दौरान तर्कु तंतु (Spindle fibres) बनाना। पक्ष्माभ/कशाभिका के आधार काय का निर्माण। (उच्च पादपों में अनुपस्थित)।
  • केंद्रक (Nucleus):
    • रॉबर्ट ब्राउन (1831) द्वारा खोज। फ्लेमिंग ने क्रोमेटिन नाम दिया।
    • यूकैरियोटिक कोशिका का नियंत्रक केंद्र।
    • घटक:
      • केंद्रक झिल्ली (Nuclear Envelope): दोहरी झिल्ली (बाह्य व आंतरिक), बीच में परिकेंद्रकीय अवकाश (Perinuclear space)। बाह्य झिल्ली ER से सतत हो सकती है और राइबोसोम युक्त होती है। अनेक केंद्रक छिद्र (Nuclear pores) होते हैं जो कोशिकाद्रव्य और केंद्रकद्रव्य के बीच पदार्थों का आवागमन नियंत्रित करते हैं।
      • केंद्रक द्रव्य (Nucleoplasm/Karyolymph): इसमें केंद्रिका और क्रोमेटिन होते हैं।
      • केंद्रिका (Nucleolus): झिल्ली रहित गोलाकार संरचना। राइबोसोमल RNA (rRNA) संश्लेषण का सक्रिय स्थल।
      • क्रोमेटिन (Chromatin): DNA और हिस्टोन प्रोटीन (क्षारीय) तथा कुछ नॉन-हिस्टोन प्रोटीन व RNA से बना धागेनुमा जाल। कोशिका विभाजन के समय संघनित होकर गुणसूत्र (Chromosome) बनाता है।
  • गुणसूत्र (Chromosome):
    • प्रत्येक गुणसूत्र में एक प्राथमिक संकीर्णन या गुणसूत्र बिंदु (Centromere) होता है। सेंट्रोमियर पर काइनेटोकोर (Kinetochore) नामक संरचना मिलती है जहाँ तर्कु तंतु जुड़ते हैं।
    • सेंट्रोमियर की स्थिति के आधार पर गुणसूत्रों के प्रकार:
      • मध्यकेंद्री (Metacentric): सेंट्रोमियर मध्य में, दोनों भुजाएँ बराबर।
      • उप-मध्यकेंद्री (Sub-metacentric): सेंट्रोमियर मध्य से थोड़ा हटकर, एक भुजा छोटी, एक बड़ी।
      • अग्रबिंदु (Acrocentric): सेंट्रोमियर किनारे के पास, एक भुजा अत्यंत छोटी, एक बहुत बड़ी।
      • अंत्यकेंद्री (Telocentric): सेंट्रोमियर शीर्ष पर।
    • कुछ गुणसूत्रों में द्वितीयक संकीर्णन (Secondary constriction) भी होता है, जो अभिरंजित नहीं होता। कुछ में यह सैटेलाइट (Satellite) नामक छोटा खंड बनाता है।
  • सूक्ष्मकाय (Microbodies):
    • अनेक झिल्ली आवृत सूक्ष्म थैलियाँ जिनमें विभिन्न एंजाइम मिलते हैं।
    • उदाहरण: परऑक्सीसोम (Peroxisome - H₂O₂ उपापचय), ग्लाइऑक्सीसोम (Glyoxysome - वसा का कार्बोहाइड्रेट में परिवर्तन, केवल पादपों में)।

पादप कोशिका vs जंतु कोशिका (मुख्य अंतर):

लक्षण पादप कोशिका जंतु कोशिका
कोशिका भित्ति उपस्थित (सेल्युलोज निर्मित) अनुपस्थित
लवक (Plastids) उपस्थित (क्लोरोप्लास्ट आदि) अनुपस्थित
रसधानी (Vacuole) बड़ी, केंद्रीय छोटी, अनेक या अनुपस्थित
तारककाय/केंद्रक अनुपस्थित (उच्च पादपों में) उपस्थित
गॉल्जीकाय डिक्टियोसोम ( बिखरे हुए) सुविकसित, एकल सम्मिश्र
आकार प्रायः निश्चित (भित्ति कारण) प्रायः अनिश्चित
संचित भोजन प्रायः स्टार्च प्रायः ग्लाइकोजन, वसा

अभ्यास हेतु बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs):

प्रश्न 1: कोशिका सिद्धांत किसने प्रतिपादित किया?
(क) श्लाइडेन व श्वान
(ख) वॉटसन व क्रिक
(ग) रॉबर्ट हुक
(घ) रुडोल्फ विरचो

उत्तर: (क) श्लाइडेन व श्वान

प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सा कोशिकांग प्रोकैरियोटिक कोशिका में नहीं पाया जाता है?
(क) राइबोसोम
(ख) कोशिका झिल्ली
(ग) केंद्रकाभ
(घ) माइटोकॉन्ड्रिया

उत्तर: (घ) माइटोकॉन्ड्रिया

प्रश्न 3: कोशिका का 'शक्ति गृह' किसे कहा जाता है?
(क) केंद्रक
(ख) राइबोसोम
(ग) माइटोकॉन्ड्रिया
(घ) हरितलवक

उत्तर: (ग) माइटोकॉन्ड्रिया

प्रश्न 4: तरल किर्मीर नमूना (Fluid Mosaic Model) कोशिका के किस भाग की संरचना को बताता है?
(क) कोशिका भित्ति
(ख) केंद्रक झिल्ली
(ग) कोशिका झिल्ली
(घ) टोनोप्लास्ट

उत्तर: (ग) कोशिका झिल्ली

प्रश्न 5: पादप कोशिका भित्ति मुख्य रूप से किसकी बनी होती है?
(क) काइटिन
(ख) पेप्टिडोग्लाइकन
(ग) सेल्युलोज
(घ) लिपिड

उत्तर: (ग) सेल्युलोज

प्रश्न 6: निम्नलिखित में से कौन अंतः झिल्ली तंत्र (Endomembrane system) का हिस्सा नहीं है?
(क) गॉल्जीकाय
(ख) लयनकाय
(ग) रसधानी
(घ) परऑक्सीसोम

उत्तर: (घ) परऑक्सीसोम

प्रश्न 7: 70S प्रकार के राइबोसोम पाए जाते हैं:
(क) केवल प्रोकैरियोटिक कोशिका में
(ख) केवल यूकैरियोटिक कोशिका के कोशिकाद्रव्य में
(ग) प्रोकैरियोटिक कोशिका, माइटोकॉन्ड्रिया और हरितलवक में
(घ) केवल माइटोकॉन्ड्रिया और हरितलवक में

उत्तर: (ग) प्रोकैरियोटिक कोशिका, माइटोकॉन्ड्रिया और हरितलवक में

प्रश्न 8: प्रोटीन संश्लेषण का स्थल है:
(क) लयनकाय
(ख) राइबोसोम
(ग) गॉल्जीकाय
(घ) चिकनी अंतर्द्रव्यी जालिका

उत्तर: (ख) राइबोसोम

प्रश्न 9: जंतु कोशिका में कोशिका विभाजन के समय तर्कु तंतुओं का निर्माण कौन करता है?
(क) केंद्रिका
(ख) तारककाय
(ग) राइबोसोम
(घ) गॉल्जीकाय

उत्तर: (ख) तारककाय

प्रश्न 10: गुणसूत्र बिंदु (Centromere) की स्थिति के आधार पर, यदि गुणसूत्र की दोनों भुजाएँ लगभग बराबर हों, तो उसे कहते हैं:
(क) एक्रोसेंट्रिक (अग्रबिंदु)
(ख) टीलोसेंट्रिक (अंत्यकेंद्री)
(ग) सब-मेटासेंट्रिक (उप-मध्यकेंद्री)
(घ) मेटासेंट्रिक (मध्यकेंद्री)

उत्तर: (घ) मेटासेंट्रिक (मध्यकेंद्री)


ये नोट्स और प्रश्न आपको अध्याय 8 की महत्वपूर्ण अवधारणाओं को समझने और सरकारी परीक्षाओं के लिए तैयारी करने में मदद करेंगे। ध्यानपूर्वक अध्ययन करें और अभ्यास करते रहें।

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