Class 11 Biology Notes Chapter 9 (Chapter 9) – Examplar Problems (Hindi) Book

Examplar Problems (Hindi)
चलिए, आज हम कक्षा 11 जीव विज्ञान के अध्याय 9 - 'जैव अणु' (Biomolecules) के महत्वपूर्ण बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा करते हैं, जो आपकी सरकारी परीक्षाओं की तैयारी में सहायक होंगे। यह अध्याय जीव विज्ञान की मूलभूत समझ के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

अध्याय 9: जैव अणु (Biomolecules) - विस्तृत नोट्स

परिचय:

  • जीवित जीवों के शरीर में पाए जाने वाले कार्बनिक यौगिकों को जैव अणु कहते हैं।
  • इनमें मुख्य रूप से कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, सल्फर और फास्फोरस तत्व पाए जाते हैं।
  • जीवित ऊतकों का रासायनिक विश्लेषण करने पर दो अंश प्राप्त होते हैं:
    • अम्ल-विलेय अंश (Acid-soluble pool): इसमें छोटे अणु (अणुभार 18 से 800 डाल्टन) होते हैं, जिन्हें सूक्ष्म अणु (Micromolecules) या जैव सूक्ष्म अणु कहते हैं। उदाहरण: अमीनो अम्ल, शर्करा, न्यूक्लियोटाइड, ग्लिसरॉल, वसीय अम्ल।
    • अम्ल-अविलेय अंश (Acid-insoluble pool): इसमें बड़े अणु (अणुभार 10,000 डाल्टन से अधिक) होते हैं, जिन्हें वृहद अणु (Macromolecules) या जैव वृहद अणु कहते हैं। उदाहरण: प्रोटीन, पॉलीसेकेराइड, न्यूक्लिक अम्ल, लिपिड (लिपिड का अणुभार कम होता है पर यह झिल्ली का भाग होने के कारण अविलेय अंश में आता है)।

1. कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrates):

  • ये कार्बन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन से बने यौगिक हैं, जिनमें हाइड्रोजन और ऑक्सीजन का अनुपात सामान्यतः 2:1 होता है (जैसे जल में)। इन्हें 'हाइड्रेट्स ऑफ कार्बन' भी कहते हैं।
  • वर्गीकरण:
    • मोनोसेकेराइड (Monosaccharides): सरलतम शर्कराएं, जिनका जल-अपघटन नहीं हो सकता। स्वाद में मीठी होती हैं। उदाहरण: ग्लूकोज (रक्त शर्करा, अंगूर शर्करा), फ्रक्टोज (फल शर्करा - सबसे मीठी प्राकृतिक शर्करा), गैलेक्टोज, राइबोज (RNA में), डीऑक्सीराइबोज (DNA में)।
    • ओलिगोसेकेराइड (Oligosaccharides): 2 से 10 मोनोसेकेराइड इकाइयों के जुड़ने से बनते हैं (ग्लाइकोसिडिक बंध द्वारा)। उदाहरण: सुक्रोज (गन्ना शर्करा - ग्लूकोज + फ्रक्टोज), लैक्टोज (दुग्ध शर्करा - ग्लूकोज + गैलेक्टोज), माल्टोज (माल्ट शर्करा - ग्लूकोज + ग्लूकोज)।
    • पॉलीसेकेराइड (Polysaccharides): अनेक (10 से अधिक) मोनोसेकेराइड इकाइयों के जुड़ने से बनते हैं। ये स्वादहीन और जल में अघुलनशील या कम घुलनशील होते हैं।
      • समपॉलीसेकेराइड (Homopolysaccharides): एक ही प्रकार की मोनोसेकेराइड इकाई से बने होते हैं।
        • स्टार्च (मंड): पौधों का संचित भोजन (अमाइलोज + अमाइलोपेक्टिन)। आयोडीन के साथ नीला रंग देता है।
        • ग्लाइकोजन: जंतुओं और कवकों का संचित भोजन (यकृत और मांसपेशियों में)। आयोडीन के साथ लाल-भूरा रंग देता है। 'एनिमल स्टार्च' भी कहते हैं।
        • सेलूलोज: पौधों की कोशिका भित्ति का मुख्य घटक। पृथ्वी पर सबसे प्रचुर कार्बनिक पदार्थ। सीधी, अशाखित श्रृंखला। आयोडीन के साथ रंग नहीं देता।
        • काइटिन: कवकों की कोशिका भित्ति और आर्थ्रोपोडा के बाह्य कंकाल में पाया जाने वाला विषमपॉलीसेकेराइड (N-एसिटिलग्लूकोसैमीन की इकाइयां)।
      • विषमपॉलीसेकेराइड (Heteropolysaccharides): विभिन्न प्रकार की मोनोसेकेराइड इकाइयों या उनके व्युत्पन्नों से बने होते हैं। उदाहरण: हाइल्यूरोनिक अम्ल, हिपैरिन।
  • कार्य: ऊर्जा का मुख्य स्रोत, संरचनात्मक घटक (सेलूलोज, काइटिन), संचित भोजन (स्टार्च, ग्लाइकोजन)।

2. प्रोटीन (Proteins):

  • ये अमीनो अम्लों के बहुलक (Polymers) होते हैं, जो पेप्टाइड बंध (Peptide bond) द्वारा जुड़े रहते हैं।
  • अमीनो अम्ल (Amino Acids): प्रोटीन की संरचनात्मक इकाई। इनमें एक अमीनो समूह (-NH2), एक कार्बोक्सिल समूह (-COOH), एक हाइड्रोजन परमाणु (H) और एक पार्श्व श्रृंखला (R-समूह) एक ही कार्बन (α-कार्बन) से जुड़े होते हैं। R-समूह भिन्न होने के कारण अमीनो अम्ल भिन्न होते हैं।
  • प्रकृति में 20 प्रकार के मानक अमीनो अम्ल प्रोटीन निर्माण में भाग लेते हैं।
  • ज्विटर आयन (Zwitterion): जलीय विलयन में अमीनो अम्ल आयनित रूप में रहते हैं, जिसमें अमीनो समूह प्रोटॉन ग्रहण कर (-NH3+) और कार्बोक्सिल समूह प्रोटॉन त्याग कर (-COO-) आयन बनाता है। इस द्विध्रुवीय आयन को ज्विटर आयन कहते हैं।
  • प्रोटीन की संरचना के स्तर:
    • प्राथमिक संरचना (Primary Structure): अमीनो अम्लों का रैखिक अनुक्रम (पेप्टाइड बंध द्वारा)।
    • द्वितीयक संरचना (Secondary Structure): पॉलीपेप्टाइड श्रृंखला का कुंडलन या वलन। हाइड्रोजन बंधों द्वारा स्थायित्व। प्रकार: α-हेलिक्स (कुंडलिनी) और β-प्लीटेड शीट (परत)।
    • तृतीयक संरचना (Tertiary Structure): पॉलीपेप्टाइड श्रृंखला का त्रिविमीय वलन (3D folding), जिससे प्रोटीन एक खोखली ऊनी गेंद जैसी संरचना बनाती है। इसमें हाइड्रोजन बंध, आयनिक बंध, डाईसल्फाइड बंध और जलविरागी अन्योन्यक्रियाएं भाग लेती हैं। यह प्रोटीन की जैविक क्रियाशीलता के लिए आवश्यक है।
    • चतुष्क संरचना (Quaternary Structure): जब दो या अधिक पॉलीपेप्टाइड श्रृंखलाएं (उपइकाइयां) मिलकर एक क्रियाशील प्रोटीन बनाती हैं। उदाहरण: हीमोग्लोबिन (4 उपइकाइयां)।
  • कार्य: एंजाइम (जैव उत्प्रेरक), हार्मोन (इंसुलिन), संरचनात्मक घटक (कोलेजन - जंतु जगत में सबसे प्रचुर प्रोटीन, केरेटिन), परिवहन (हीमोग्लोबिन), प्रतिरक्षा (एंटीबॉडी), संकुचन (एक्टिन, मायोसिन)।

3. लिपिड (Lipids):

  • ये जल में अघुलनशील परन्तु कार्बनिक विलायकों (ईथर, बेंजीन, क्लोरोफॉर्म) में घुलनशील होते हैं।
  • ये मुख्य रूप से वसीय अम्लों और ग्लिसरॉल के एस्टर होते हैं।
  • वसीय अम्ल (Fatty Acids): लंबी हाइड्रोकार्बन श्रृंखला वाले कार्बोक्सिलिक अम्ल (-COOH समूह)।
    • संतृप्त वसीय अम्ल (Saturated): कार्बन श्रृंखला में केवल एकल बंध होते हैं। उदाहरण: पामिटिक अम्ल, स्टीयरिक अम्ल। सामान्यतः कमरे के ताप पर ठोस (वसा)।
    • असंतृप्त वसीय अम्ल (Unsaturated): कार्बन श्रृंखला में एक या अधिक द्वि-बंध होते हैं। उदाहरण: ओलिक अम्ल, लिनोलिक अम्ल, लिनोलेनिक अम्ल (आवश्यक वसीय अम्ल)। सामान्यतः कमरे के ताप पर द्रव (तेल)।
  • सरल लिपिड (Simple Lipids): वसीय अम्ल + अल्कोहल।
    • ट्राइग्लिसराइड (Triglycerides): वसा और तेल। ग्लिसरॉल के तीन हाइड्रॉक्सिल समूहों से तीन वसीय अम्लों का एस्टर बंध द्वारा जुड़ना। ऊर्जा संचय का मुख्य रूप।
  • संयुक्त लिपिड (Compound Lipids): लिपिड + अन्य समूह।
    • फॉस्फोलिपिड (Phospholipids): ग्लिसरॉल + 2 वसीय अम्ल + फॉस्फेट समूह (+ नाइट्रोजन युक्त यौगिक)। कोशिका झिल्ली का मुख्य घटक। उदाहरण: लेसिथिन।
  • व्युत्पन्न लिपिड (Derived Lipids): सरल और संयुक्त लिपिड के जल-अपघटन से प्राप्त।
    • स्टेरॉयड (Steroids): इनमें विशिष्ट चार वलय वाली संरचना होती है। उदाहरण: कोलेस्ट्रॉल (कोशिका झिल्ली का घटक, स्टेरॉयड हार्मोन का पूर्वगामी), स्टेरॉयड हार्मोन (टेस्टोस्टेरोन, एस्ट्रोजन, कॉर्टिसोल)।
  • कार्य: ऊर्जा संचय, कोशिका झिल्ली की संरचना, तापरोधन, अंगों को सुरक्षा, हार्मोन निर्माण, वसा-विलेय विटामिनों (A, D, E, K) का अवशोषण।

4. न्यूक्लिक अम्ल (Nucleic Acids):

  • ये न्यूक्लियोटाइड के बहुलक होते हैं।
  • न्यूक्लियोटाइड (Nucleotide): न्यूक्लिक अम्ल की इकाई। इसके तीन घटक होते हैं:
    • पेंटोज शर्करा (Pentose Sugar): राइबोज (RNA में) या डीऑक्सीराइबोज (DNA में)।
    • नाइट्रोजनी क्षारक (Nitrogenous Base):
      • प्यूरीन (Purines): एडिनीन (A), ग्वानीन (G)। (द्वि-वलयी संरचना)
      • पिरिमिडीन (Pyrimidines): साइटोसीन (C), थायमीन (T - केवल DNA में), यूरेसिल (U - केवल RNA में)। (एकल-वलयी संरचना)
    • फॉस्फेट समूह (Phosphate Group):
  • न्यूक्लियोसाइड (Nucleoside): शर्करा + नाइट्रोजनी क्षारक।
  • प्रकार:
    • डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक अम्ल (DNA): आनुवंशिक पदार्थ। डीऑक्सीराइबोज शर्करा, A, G, C, T क्षारक। सामान्यतः द्वि-रज्जुकी (Double helix) संरचना (वाटसन एवं क्रिक मॉडल)। दोनों रज्जुक प्रतिसमानांतर होते हैं और फॉस्फोडाइएस्टर बंध (Phosphodiester bond) द्वारा जुड़े न्यूक्लियोटाइड से बने होते हैं। दोनों रज्जुकों के क्षारक हाइड्रोजन बंधों द्वारा जुड़े होते हैं (A=T, G≡C)।
    • राइबोन्यूक्लिक अम्ल (RNA): प्रोटीन संश्लेषण और आनुवंशिक सूचना के वाहक (कुछ विषाणुओं में)। राइबोज शर्करा, A, G, C, U क्षारक। सामान्यतः एक-रज्जुकी (Single-stranded)। प्रकार: mRNA, tRNA, rRNA।
  • कार्य: आनुवंशिक सूचना का संग्रहण और स्थानांतरण (DNA), प्रोटीन संश्लेषण (RNA)।

5. एंजाइम (Enzymes):

  • ये प्रोटीन प्रकृति के जैव-उत्प्रेरक (Biocatalysts) होते हैं (कुछ RNA अणु भी एंजाइम की तरह कार्य करते हैं - राइबोजाइम)।
  • ये अभिक्रिया की सक्रियण ऊर्जा (Activation energy) को कम करके अभिक्रिया की दर को अत्यधिक बढ़ा देते हैं।
  • ये अभिक्रिया के अंत में अपरिवर्तित रहते हैं और पुनः उपयोग किए जा सकते हैं।
  • ये क्रियाधार-विशिष्ट (Substrate-specific) होते हैं। एंजाइम का वह स्थान जहाँ क्रियाधार जुड़ता है, सक्रिय स्थल (Active site) कहलाता है।
  • एंजाइम क्रिया को प्रभावित करने वाले कारक:
    • तापमान: प्रत्येक एंजाइम एक इष्टतम तापमान (Optimum temperature) पर सर्वाधिक क्रियाशील होता है। तापमान कम या अधिक होने पर क्रियाशीलता घट जाती है। उच्च ताप पर एंजाइम विकृत (Denatured) हो जाते हैं।
    • pH: प्रत्येक एंजाइम एक इष्टतम pH पर सर्वाधिक क्रियाशील होता है। pH में परिवर्तन आयनिक अवस्था को बदलकर क्रियाशीलता प्रभावित करता है।
    • क्रियाधार की सांद्रता: क्रियाधार की सांद्रता बढ़ाने पर अभिक्रिया की दर बढ़ती है, लेकिन एक सीमा (Vmax) के बाद स्थिर हो जाती है क्योंकि सभी सक्रिय स्थल संतृप्त हो जाते हैं।
    • संदमक (Inhibitors): कुछ रसायन एंजाइम की क्रिया को कम या बंद कर देते हैं।
      • स्पर्धी संदमन (Competitive Inhibition): संदमक की संरचना क्रियाधार के समान होती है और यह सक्रिय स्थल के लिए प्रतिस्पर्धा करता है।
      • अस्पर्धी संदमन (Non-competitive Inhibition): संदमक सक्रिय स्थल के अलावा किसी अन्य स्थल पर जुड़कर एंजाइम की संरचना बदल देता है।
  • सहकारक (Cofactors): एंजाइम के प्रोटीन भाग (एपोएंजाइम) से जुड़ने वाला अप्रोटीन भाग, जो क्रियाशीलता के लिए आवश्यक होता है। पूर्ण क्रियाशील एंजाइम = होलोएंजाइम (Holoenzyme) = एपोएंजाइम (Apoenzyme) + सहकारक (Cofactor)।
    • प्रोस्थेटिक समूह (Prosthetic group): कार्बनिक अणु जो एपोएंजाइम से दृढ़ता से जुड़े होते हैं (जैसे, हीम)।
    • सह-एंजाइम (Coenzyme): कार्बनिक अणु जो क्षणिक रूप से जुड़ते हैं (जैसे, NAD, FAD, विटामिन)।
    • धातु आयन (Metal ions): सक्रिय स्थल और क्रियाधार के बीच बंध बनाने में सहायक (जैसे, Zn++, Mg++)।
  • एंजाइमों का वर्गीकरण: क्रिया के आधार पर 6 प्रमुख वर्गों में बांटा गया है (ऑक्सीडोरिडक्टेज, ट्रांसफरेज, हाइड्रोलेज, लाइएज, आइसोमरेज, लाइगेज)।

उपापचय (Metabolism):

  • जीवित जीवों में होने वाली सभी रासायनिक अभिक्रियाओं का योग उपापचय कहलाता है।
  • अपचय (Catabolism): जटिल अणुओं का सरल अणुओं में टूटना, ऊर्जा मुक्त होती है (जैसे, श्वसन)।
  • उपचय (Anabolism): सरल अणुओं से जटिल अणुओं का निर्माण, ऊर्जा का उपयोग होता है (जैसे, प्रकाश संश्लेषण, प्रोटीन संश्लेषण)।
  • ATP (एडेनोसिन ट्राइफॉस्फेट) कोशिका की ऊर्जा मुद्रा है।

अभ्यास हेतु बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs):

  1. निम्नलिखित में से कौन सा एक पॉलीसेकेराइड नहीं है?
    (a) स्टार्च
    (b) सुक्रोज
    (c) ग्लाइकोजन
    (d) सेलूलोज
    उत्तर: (b) सुक्रोज (सुक्रोज एक डाइसेकेराइड है)

  2. प्रोटीन की प्राथमिक संरचना किसके द्वारा निर्धारित होती है?
    (a) हाइड्रोजन बंध
    (b) पेप्टाइड बंध
    (c) डाईसल्फाइड बंध
    (d) आयनिक बंध
    उत्तर: (b) पेप्टाइड बंध (यह अमीनो अम्लों के अनुक्रम को जोड़ता है)

  3. कोशिका झिल्ली का मुख्य लिपिड घटक क्या है?
    (a) ट्राइग्लिसराइड
    (b) कोलेस्ट्रॉल
    (c) फॉस्फोलिपिड
    (d) स्टेरॉयड हार्मोन
    उत्तर: (c) फॉस्फोलिपिड

  4. DNA में कौन सा नाइट्रोजनी क्षारक RNA में उपस्थित यूरेसिल (U) के स्थान पर पाया जाता है?
    (a) एडिनीन (A)
    (b) ग्वानीन (G)
    (c) साइटोसीन (C)
    (d) थायमीन (T)
    उत्तर: (d) थायमीन (T)

  5. एंजाइम अपनी क्रिया में क्या करते हैं?
    (a) सक्रियण ऊर्जा बढ़ाते हैं
    (b) सक्रियण ऊर्जा घटाते हैं
    (c) अभिक्रिया के उत्पाद को बदलते हैं
    (d) अभिक्रिया के संतुलन को बदलते हैं
    उत्तर: (b) सक्रियण ऊर्जा घटाते हैं

  6. अमीनो अम्ल जलीय विलयन में किस रूप में पाए जाते हैं?
    (a) धनायन
    (b) ऋणायन
    (c) ज्विटर आयन
    (d) उदासीन अणु
    उत्तर: (c) ज्विटर आयन

  7. निम्नलिखित में से कौन सा एक आवश्यक वसीय अम्ल है?
    (a) पामिटिक अम्ल
    (b) स्टीयरिक अम्ल
    (c) ओलिक अम्ल
    (d) लिनोलिक अम्ल
    उत्तर: (d) लिनोलिक अम्ल (आवश्यक वसीय अम्ल शरीर में संश्लेषित नहीं होते, आहार से लेने पड़ते हैं)

  8. प्रोटीन की द्वितीयक संरचना (α-हेलिक्स और β-शीट) का स्थायित्व मुख्य रूप से किसके द्वारा होता है?
    (a) पेप्टाइड बंध
    (b) हाइड्रोजन बंध
    (c) आयनिक बंध
    (d) जलविरागी अन्योन्यक्रिया
    उत्तर: (b) हाइड्रोजन बंध

  9. NAD और FAD किस प्रकार के सहकारक के उदाहरण हैं?
    (a) प्रोस्थेटिक समूह
    (b) सह-एंजाइम
    (c) धातु आयन
    (d) एपोएंजाइम
    उत्तर: (b) सह-एंजाइम (ये विटामिन व्युत्पन्न होते हैं और क्षणिक रूप से जुड़ते हैं)

  10. जंतु जगत में पाया जाने वाला सबसे प्रचुर प्रोटीन कौन सा है?
    (a) इंसुलिन
    (b) हीमोग्लोबिन
    (c) कोलेजन
    (d) केरेटिन
    उत्तर: (c) कोलेजन (यह संयोजी ऊतकों का मुख्य घटक है)

इन नोट्स और प्रश्नों का अच्छी तरह से अध्ययन करें। ये आपकी परीक्षा की तैयारी के लिए एक ठोस आधार प्रदान करेंगे। शुभकामनाएँ!

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