Class 11 Biology Notes Chapter 9 (जैव अणु) – Jeev Vigyan Book

चलिए, आज हम कक्षा 11 जीव विज्ञान के अध्याय 9 'जैव अणु' (Biomolecules) का विस्तृत अध्ययन करेंगे, जो आपकी सरकारी परीक्षाओं की तैयारी के लिए महत्वपूर्ण है।
अध्याय 9: जैव अणु (Biomolecules)
परिचय:
जीवित जीवों में पाए जाने वाले सभी कार्बनिक यौगिकों को जैव अणु कहा जाता है। ये जीवन के निर्माण खंड हैं और विभिन्न जैविक प्रक्रियाओं के लिए आवश्यक हैं। जीव ऊतकों और कोशिकाओं की रासायनिक संरचना का विश्लेषण करके हम इन अणुओं के बारे में जान सकते हैं।
जीव ऊतकों का रासायनिक विश्लेषण:
- विधि: जीवित ऊतक (जैसे यकृत का टुकड़ा या पौधा) को ट्राईक्लोरोएसिटिक एसिड (Cl₃CCOOH) के साथ खरल और मूसल का उपयोग करके पीसा जाता है।
- निस्यंदन (Filtration): प्राप्त घोल को महीन कपड़े या फिल्टर पेपर से छाना जाता है।
- दो अंश प्राप्त होते हैं:
- अम्ल विलेय अंश (Acid-soluble pool): यह निस्यंद (filtrate) होता है। इसमें छोटे अणु (अणुभार 18 से 800 डाल्टन) होते हैं, जिन्हें सूक्ष्म अणु (Micromolecules) या जैव अणु कहते हैं। उदाहरण: अमीनो अम्ल, शर्करा, न्यूक्लियोटाइड, ग्लिसरॉल, वसीय अम्ल।
- अम्ल अविलेय अंश (Acid-insoluble fraction): यह धारित (retentate) होता है, यानी जो फिल्टर पेपर पर रह जाता है। इसमें बड़े अणु (अणुभार 1000 डाल्टन से अधिक) होते हैं, जिन्हें बृहत् अणु (Macromolecules) या जैव वृहत् अणु कहते हैं। उदाहरण: प्रोटीन, पॉलीसेकेराइड, न्यूक्लिक अम्ल। लिपिड (वसा) का अणुभार कम (800 Da से कम) होता है, फिर भी वे अम्ल अविलेय अंश में पाए जाते हैं क्योंकि वे कोशिका झिल्ली के घटक होते हैं और पीसने पर झिल्ली के टुकड़े पुटिकाओं (vesicles) के रूप में अलग हो जाते हैं जो अम्ल में अघुलनशील होते हैं।
अकार्बनिक तत्वों का विश्लेषण:
जीवित ऊतक के नमूने को सुखाकर (सारा पानी वाष्पित करके) उसका शुष्क भार ज्ञात करते हैं। फिर इसे पूरी तरह जलाया जाता है, जिससे सभी कार्बनिक यौगिक ऑक्सीकृत होकर गैसीय रूप (CO₂, जलवाष्प) में निकल जाते हैं। शेष बची 'राख' (ash) में अकार्बनिक तत्व (जैसे कैल्शियम, मैग्नीशियम, सोडियम, पोटेशियम आदि) होते हैं।
जैव अणुओं के प्रकार:
1. सूक्ष्म अणु (Micromolecules):
-
अमीनो अम्ल (Amino Acids):
- ये प्रोटीन की संरचनात्मक इकाइयाँ हैं।
- इनमें एक अमीनो समूह (-NH₂), एक कार्बोक्सिल समूह (-COOH), एक हाइड्रोजन परमाणु (H) और एक चर पार्श्व श्रृंखला (R समूह) होती है, जो सभी एक केंद्रीय कार्बन परमाणु (α-कार्बन) से जुड़े होते हैं।
- R समूह के आधार पर 20 विभिन्न प्रकार के मानक अमीनो अम्ल होते हैं जो प्रोटीन बनाते हैं।
- आवश्यक अमीनो अम्ल: शरीर इन्हें संश्लेषित नहीं कर सकता, भोजन से प्राप्त करना आवश्यक है।
- अनावश्यक अमीनो अम्ल: शरीर इन्हें संश्लेषित कर सकता है।
- ज्विटर आयन (Zwitterion): जलीय विलयन में, अमीनो अम्ल आयनित रूप में मौजूद होते हैं, जिसमें अमीनो समूह प्रोटॉन ग्रहण कर (-NH₃⁺) और कार्बोक्सिल समूह प्रोटॉन त्याग कर (-COO⁻) बनाता है। इस द्विध्रुवीय आयन को ज्विटर आयन कहते हैं।
- उदाहरण: ग्लाइसिन, एलेनिन, वेलिन, ल्यूसीन, लाइसिन, सेरीन, सिस्टीन, ट्रिप्टोफैन आदि।
-
शर्करा (Sugars) / कार्बोहाइड्रेट (सरल):
- ये पॉलीहाइड्रॉक्सी एल्डिहाइड या कीटोन होते हैं।
- मोनोसैकेराइड (Monosaccharides): सरलतम शर्करा, जिनका जल-अपघटन नहीं हो सकता। उदाहरण: ग्लूकोज (aldohexose), फ्रुक्टोज (ketohexose), राइबोज (aldopentose), गैलेक्टोज।
- डाइसैकेराइड (Disaccharides): दो मोनोसैकेराइड इकाइयों के ग्लाइकोसिडिक बंध द्वारा जुड़ने से बनते हैं। उदाहरण: सुक्रोज (ग्लूकोज + फ्रुक्टोज), लैक्टोज (ग्लूकोज + गैलेक्टोज), माल्टोज (ग्लूकोज + ग्लूकोज)।
-
न्यूक्लियोटाइड (Nucleotides):
- ये न्यूक्लिक अम्ल (DNA और RNA) की इकाइयाँ हैं।
- प्रत्येक न्यूक्लियोटाइड में तीन घटक होते हैं:
- नाइट्रोजनी क्षार (Nitrogenous Base): प्यूरीन (एडीनीन-A, ग्वानीन-G) और पिरिमिडीन (साइटोसीन-C, थायमीन-T (DNA में), यूरेसिल-U (RNA में))।
- पेंटोज शर्करा (Pentose Sugar): राइबोज (RNA में) या डीऑक्सीराइबोज (DNA में)।
- फॉस्फेट समूह (Phosphate Group)।
- न्यूक्लियोसाइड (Nucleoside): नाइट्रोजनी क्षार + पेंटोज शर्करा। (उदाहरण: एडिनोसीन, ग्वानोसीन, साइटिडीन, थाइमिडीन, यूरीडीन)।
- न्यूक्लियोटाइड = न्यूक्लियोसाइड + फॉस्फेट समूह। (उदाहरण: एडिनिलिक एसिड, ग्वानिलिक एसिड)। ATP (एडेनोसिन ट्राइफॉस्फेट) एक महत्वपूर्ण ऊर्जा मुद्रा है।
-
वसा अम्ल (Fatty Acids) और ग्लिसरॉल (Glycerol):
- ये लिपिड के घटक हैं।
- वसा अम्ल: एक कार्बोक्सिल समूह (-COOH) से जुड़ी एक लंबी हाइड्रोकार्बन श्रृंखला (R)।
- संतृप्त (Saturated): हाइड्रोकार्बन श्रृंखला में केवल एकल बंध होते हैं। उदाहरण: पामिटिक एसिड (16 कार्बन), स्टीयरिक एसिड (18 कार्बन)।
- असंतृप्त (Unsaturated): हाइड्रोकार्बन श्रृंखला में एक या अधिक द्वि-बंध होते हैं। उदाहरण: ओलिक एसिड (18 कार्बन, 1 द्वि-बंध), लिनोलिक एसिड (2 द्वि-बंध), एरेकिडोनिक एसिड (20 कार्बन, 4 द्वि-बंध)।
- ग्लिसरॉल (Glycerol): एक सरल अल्कोहल (ट्राईहाइड्रॉक्सीप्रोपेन)।
2. बृहत् अणु (Macromolecules):
-
प्रोटीन (Proteins):
- अमीनो अम्लों के रैखिक बहुलक (polymers) होते हैं, जो पेप्टाइड बंध (Peptide bond) द्वारा जुड़े होते हैं। पेप्टाइड बंध एक अमीनो अम्ल के -COOH समूह और अगले अमीनो अम्ल के -NH₂ समूह के बीच बनता है, जिसमें जल का एक अणु निकलता है।
- प्रोटीन की संरचना के स्तर:
- प्राथमिक संरचना (Primary Structure): अमीनो अम्लों का रैखिक अनुक्रम।
- द्वितीयक संरचना (Secondary Structure): पॉलीपेप्टाइड श्रृंखला का स्थानीय वलन (folding), जैसे α-हेलिक्स (alpha-helix) और β-प्लीटेड शीट (beta-pleated sheet)। यह हाइड्रोजन बंधों द्वारा स्थिर होती है।
- तृतीयक संरचना (Tertiary Structure): पॉलीपेप्टाइड श्रृंखला का समग्र त्रिविमीय वलन, जिससे एक गोलाकार या रेशेदार संरचना बनती है। यह हाइड्रोजन बंध, आयनिक बंध, हाइड्रोफोबिक अंतःक्रिया और डाइसल्फाइड बंधों द्वारा स्थिर होती है। एंजाइमों की क्रियाशीलता के लिए यह आवश्यक है।
- चतुष्क संरचना (Quaternary Structure): दो या अधिक पॉलीपेप्टाइड उपइकाइयों (subunits) का संयोजन। उदाहरण: हीमोग्लोबिन (4 उपइकाइयाँ)।
- कार्य: एंजाइम (जैसे ट्रिप्सिन), हार्मोन (जैसे इंसुलिन), संरचनात्मक घटक (जैसे कोलेजन, केराटिन), परिवहन (जैसे हीमोग्लोबिन), प्रतिरक्षा (एंटीबॉडी), ग्राही (receptors) आदि।
-
पॉलीसेकेराइड (Polysaccharides):
- मोनोसैकेराइड इकाइयों के लंबे बहुलक, जो ग्लाइकोसिडिक बंध (Glycosidic bond) द्वारा जुड़े होते हैं। यह बंध दो आसन्न मोनोसैकेराइड के बीच निर्जलीकरण द्वारा बनता है।
- समबहुलक (Homopolymer): एक ही प्रकार की मोनोसैकेराइड इकाई से बने होते हैं।
- स्टार्च (Starch): पौधों में संग्रहित भोजन (ग्लूकोज का बहुलक - एमाइलोज और एमाइलोपेक्टिन)। आयोडीन के साथ नीला रंग देता है।
- ग्लाइकोजन (Glycogen): जंतुओं में संग्रहित भोजन (ग्लूकोज का शाखित बहुलक)। आयोडीन के साथ लाल रंग देता है।
- सेलूलोज (Cellulose): पौधों की कोशिका भित्ति का मुख्य घटक (ग्लूकोज का रैखिक बहुलक, β-1,4 लिंकेज)। आयोडीन के साथ रंग नहीं देता।
- काइटिन (Chitin): कवकों की कोशिका भित्ति और आर्थ्रोपोड्स के बाह्यकंकाल में पाया जाने वाला संरचनात्मक पॉलीसेकेराइड (N-एसिटाइलग्लूकोसैमीन का बहुलक)।
- विषमबहुलक (Heteropolymer): विभिन्न प्रकार की मोनोसैकेराइड इकाइयों से बने होते हैं।
-
न्यूक्लिक अम्ल (Nucleic Acids):
- न्यूक्लियोटाइड के बहुलक, जो फॉस्फोडाइएस्टर बंध (Phosphodiester bond) द्वारा जुड़े होते हैं। यह बंध एक न्यूक्लियोटाइड की शर्करा के 5'-कार्बन से जुड़े फॉस्फेट और अगले न्यूक्लियोटाइड की शर्करा के 3'-कार्बन के बीच बनता है।
- डीएनए (DNA - Deoxyribonucleic Acid):
- आनुवंशिक पदार्थ।
- डीऑक्सीराइबोज शर्करा।
- क्षार: A, G, C, T.
- आमतौर पर द्विरज्जुक (double-stranded), हेलिक्स संरचना (वाटसन-क्रिक मॉडल)। दोनों रज्जुक प्रतिसमांतर (antiparallel) होते हैं और हाइड्रोजन बंधों द्वारा जुड़े होते हैं (A=T, G≡C)।
- आरएनए (RNA - Ribonucleic Acid):
- प्रोटीन संश्लेषण और अन्य कार्यों में शामिल।
- राइबोज शर्करा।
- क्षार: A, G, C, U.
- आमतौर पर एकरज्जुक (single-stranded)। विभिन्न प्रकार: mRNA, tRNA, rRNA।
-
लिपिड (Lipids):
- ये पानी में अघुलनशील होते हैं लेकिन कार्बनिक विलायकों में घुलनशील होते हैं।
- ये बृहत् अणु नहीं हैं, लेकिन अम्ल अविलेय अंश में पाए जाते हैं।
- सरल लिपिड: वसा अम्ल और अल्कोहल के एस्टर।
- वसा और तेल (Triglycerides/Triacylglycerols): ग्लिसरॉल के तीन अणुओं के साथ वसा अम्लों के एस्टर। ऊर्जा भंडारण का मुख्य रूप। तेलों में असंतृप्त वसा अम्ल अधिक होते हैं (कम गलनांक), वसा में संतृप्त वसा अम्ल अधिक होते हैं (उच्च गलनांक)।
- संयुक्त लिपिड: इनमें लिपिड के अलावा अन्य समूह भी होते हैं।
- फॉस्फोलिपिड (Phospholipids): ग्लिसरॉल, दो वसा अम्ल, एक फॉस्फेट समूह और एक नाइट्रोजनी समूह से बने होते हैं। कोशिका झिल्ली के मुख्य घटक। (उदाहरण: लेसिथिन)।
- व्युत्पन्न लिपिड: सरल और संयुक्त लिपिड के जल-अपघटन से प्राप्त होते हैं।
- स्टेरॉयड (Steroids): इनमें विशेष चार वलय वाली संरचना होती है। उदाहरण: कोलेस्ट्रॉल (कोशिका झिल्ली का घटक, स्टेरॉयड हार्मोन का अग्रदूत), स्टेरॉयड हार्मोन (जैसे टेस्टोस्टेरोन, एस्ट्रोजन)।
प्राथमिक और द्वितीयक उपापचयज (Primary and Secondary Metabolites):
- प्राथमिक उपापचयज: वे अणु जो सामान्य वृद्धि, विकास और प्रजनन में सीधे शामिल होते हैं। सभी जीवों में लगभग समान होते हैं। उदाहरण: अमीनो अम्ल, शर्करा, न्यूक्लिक अम्ल, लिपिड।
- द्वितीयक उपापचयज: वे अणु जो सीधे वृद्धि या विकास में शामिल नहीं होते, लेकिन जीवों के लिए पारिस्थितिक रूप से महत्वपूर्ण हो सकते हैं (जैसे रक्षा, आकर्षण)। ये सभी जीवों में नहीं पाए जाते।
- उदाहरण:
- एल्केलॉइड (Alkaloids): मॉर्फीन, कोडीन (औषधीय)
- टर्पीनॉइड (Terpenoids): मोनोटर्पीन, डायटर्पीन (जैसे आवश्यक तेल)
- आवश्यक तेल (Essential Oils): नींबू घास का तेल
- विष (Toxins): एब्रिन, रिसिन
- लेक्टिन (Lectins): कॉनकैनेवेलिन A (कोशिका समूहन)
- औषधि (Drugs): विनब्लास्टिन, करक्यूमिन (कैंसर रोधी, एंटीसेप्टिक)
- बहुलक पदार्थ (Polymeric Substances): रबर, गोंद, सेलूलोज
- वर्णक (Pigments): कैरोटीनॉयड, एंथोसायनिन
- उदाहरण:
एंजाइम (Enzymes):
- ये जैविक उत्प्रेरक (biological catalysts) हैं जो जैव रासायनिक अभिक्रियाओं की दर को बढ़ाते हैं।
- लगभग सभी एंजाइम प्रोटीन होते हैं (अपवाद: राइबोजाइम - RNA एंजाइम)।
- सक्रिय स्थल (Active Site): एंजाइम पर वह विशिष्ट क्षेत्र जहाँ सब्सट्रेट (क्रियाधार) जुड़ता है।
- क्रियाविधि: एंजाइम अभिक्रिया की सक्रियण ऊर्जा (Activation Energy) को कम करके अभिक्रिया दर बढ़ाते हैं। वे सब्सट्रेट से जुड़कर एंजाइम-सब्सट्रेट कॉम्प्लेक्स (ES) बनाते हैं, जो फिर एंजाइम-उत्पाद कॉम्प्लेक्स (EP) में बदलता है, और अंत में उत्पाद (P) मुक्त हो जाता है तथा एंजाइम अपरिवर्तित रहता है।
- E + S ⇌ ES → EP → E + P
- एंजाइम क्रिया को प्रभावित करने वाले कारक:
- तापमान (Temperature): प्रत्येक एंजाइम एक इष्टतम तापमान (optimum temperature) पर सर्वाधिक सक्रिय होता है। तापमान कम या बहुत अधिक होने पर क्रियाशीलता कम हो जाती है (उच्च तापमान पर विकृतिकरण/denaturation)।
- pH: प्रत्येक एंजाइम एक इष्टतम pH (optimum pH) पर सर्वाधिक सक्रिय होता है। pH में परिवर्तन आयनीकरण स्थिति को बदलकर क्रियाशीलता को प्रभावित करता है।
- सब्सट्रेट सांद्रता (Substrate Concentration): सब्सट्रेट सांद्रता बढ़ाने पर अभिक्रिया वेग बढ़ता है, जब तक कि सभी एंजाइम अणु संतृप्त न हो जाएं (Vmax)।
- संदमक (Inhibitors): वे पदार्थ जो एंजाइम की क्रिया को कम या बंद कर देते हैं।
- प्रतिस्पर्धी संदमन (Competitive Inhibition): संदमक की संरचना सब्सट्रेट के समान होती है और यह सक्रिय स्थल के लिए प्रतिस्पर्धा करता है। (उदाहरण: सक्सिनिक डिहाइड्रोजनेज का मेलोनेट द्वारा संदमन)।
- अप्रतिस्पर्धी संदमन (Non-competitive Inhibition): संदमक सक्रिय स्थल के अलावा किसी अन्य स्थल पर जुड़ता है और एंजाइम की संरचना बदल देता है।
- एंजाइम का वर्गीकरण और नामकरण: एंजाइमों को उनके द्वारा उत्प्रेरित अभिक्रिया के प्रकार के आधार पर 6 वर्गों में बांटा गया है:
- ऑक्सीडोरडक्टेस / डिहाइड्रोजिनेस (Oxidoreductases/dehydrogenases): ऑक्सीकरण-अपचयन अभिक्रियाएं।
- ट्रांसफरेस (Transferases): एक समूह का स्थानांतरण (फॉस्फेट, अमीनो आदि)।
- हाइड्रोलेस (Hydrolases): जल-अपघटन (एस्टर, पेप्टाइड, ग्लाइकोसिडिक बंध तोड़ना)।
- लायेस (Lyases): जल-अपघटन के बिना समूहों को हटाना, द्वि-बंध बनाना।
- आइसोमरेस (Isomerases): अंतरा-आणविक पुनर्व्यवस्था (आइसोमर बनाना)।
- लाइगेस / सिंथेटेस (Ligases/Synthetases): दो अणुओं को जोड़ना (नए बंध बनाना, जैसे C-O, C-S, C-N), अक्सर ATP का उपयोग होता है।
- सह-कारक (Cofactors): एंजाइम के क्रियाशील होने के लिए आवश्यक गैर-प्रोटीन भाग।
- प्रोस्थेटिक समूह (Prosthetic Group): कार्बनिक अणु जो एंजाइम (एपोएंजाइम) से दृढ़ता से बंधे होते हैं। (उदाहरण: हीम)।
- सह-एंजाइम (Coenzyme): कार्बनिक अणु जो केवल अभिक्रिया के दौरान अस्थायी रूप से एपोएंजाइम से जुड़ते हैं। कई विटामिन सह-एंजाइम के घटक होते हैं (जैसे NAD, FAD)।
- धातु आयन (Metal Ions): एंजाइम और सब्सट्रेट के बीच समन्वय बंध बनाते हैं (जैसे Zn²⁺, Mg²⁺, Fe²⁺)।
- एपोएंजाइम (प्रोटीन भाग) + सह-कारक = होलोएंजाइम (Holoenzyme) (सक्रिय एंजाइम)।
महत्वपूर्ण बंध:
- पेप्टाइड बंध: अमीनो अम्लों के बीच (प्रोटीन में)।
- ग्लाइकोसिडिक बंध: मोनोसैकेराइड के बीच (पॉलीसेकेराइड में) और शर्करा व क्षार के बीच (न्यूक्लियोसाइड में)।
- फॉस्फोडाइएस्टर बंध: न्यूक्लियोटाइड के बीच (न्यूक्लिक अम्ल में)।
- एस्टर बंध: वसा अम्ल और ग्लिसरॉल के बीच (लिपिड में)।
यह अध्याय जैव रसायन की नींव रखता है और कोशिका संरचना, कार्य और चयापचय को समझने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
अभ्यास हेतु बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs):
प्रश्न 1: जीवित ऊतक को ट्राईक्लोरोएसिटिक एसिड के साथ पीसने पर, अम्ल विलेय अंश में निम्नलिखित में से कौन सा अणु नहीं पाया जाएगा?
(a) ग्लूकोज
(b) अमीनो अम्ल
(c) न्यूक्लियोटाइड
(d) प्रोटीन
प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सा एक पॉलीसेकेराइड का उदाहरण नहीं है?
(a) स्टार्च
(b) ग्लाइकोजन
(c) इंसुलिन
(d) सेलूलोज
प्रश्न 3: प्रोटीन की द्वितीयक संरचना (जैसे α-हेलिक्स) को स्थायित्व प्रदान करने वाला मुख्य बंध कौन सा है?
(a) पेप्टाइड बंध
(b) हाइड्रोजन बंध
(c) डाइसल्फाइड बंध
(d) आयनिक बंध
प्रश्न 4: न्यूक्लियोटाइड के तीन घटक कौन से हैं?
(a) नाइट्रोजनी क्षार, हेक्सोज शर्करा, फॉस्फेट समूह
(b) नाइट्रोजनी क्षार, पेंटोज शर्करा, फॉस्फेट समूह
(c) प्यूरीन, पिरिमिडीन, फॉस्फेट समूह
(d) अमीनो अम्ल, शर्करा, फॉस्फेट समूह
प्रश्न 5: लिपिड अम्ल अविलेय अंश में क्यों पाए जाते हैं, जबकि उनका अणुभार कम होता है?
(a) वे प्रोटीन से जुड़े होते हैं।
(b) वे जल में अत्यधिक घुलनशील होते हैं।
(c) वे कोशिका झिल्ली के घटक हैं और पुटिकाओं के रूप में अलग होते हैं।
(d) वे न्यूक्लिक अम्ल के साथ जटिल बनाते हैं।
प्रश्न 6: निम्नलिखित में से कौन सा एक द्वितीयक उपापचयज का उदाहरण है?
(a) ग्लूकोज
(b) लाइसिन (अमीनो अम्ल)
(c) मॉर्फीन (एल्केलॉइड)
(d) लेसिथिन (फॉस्फोलिपिड)
प्रश्न 7: एंजाइम जैव रासायनिक अभिक्रिया की दर को कैसे बढ़ाते हैं?
(a) उत्पाद की ऊर्जा को बढ़ाकर
(b) सक्रियण ऊर्जा को कम करके
(c) अभिक्रिया की ऊष्मा को बदलकर
(d) सब्सट्रेट की ऊर्जा को कम करके
प्रश्न 8: DNA और RNA में मुख्य अंतर क्या है?
(a) शर्करा का प्रकार और एक नाइट्रोजनी क्षार
(b) केवल शर्करा का प्रकार
(c) केवल नाइट्रोजनी क्षार का प्रकार
(d) फॉस्फेट समूह की उपस्थिति
प्रश्न 9: अमीनो अम्ल जलीय विलयन में किस रूप में मौजूद होते हैं?
(a) केवल धनायन
(b) केवल ऋणायन
(c) ज्विटर आयन
(d) अनावेशित अणु
प्रश्न 10: एंजाइमों के वर्गीकरण में, हाइड्रोलेस वर्ग के एंजाइम कौन सी अभिक्रिया उत्प्रेरित करते हैं?
(a) ऑक्सीकरण-अपचयन
(b) समूहों का स्थानांतरण
(c) जल-अपघटन द्वारा बंधों का टूटना
(d) अणुओं का जुड़ना
उत्तर कुंजी:
- (d) प्रोटीन
- (c) इंसुलिन (यह एक प्रोटीन हार्मोन है)
- (b) हाइड्रोजन बंध
- (b) नाइट्रोजनी क्षार, पेंटोज शर्करा, फॉस्फेट समूह
- (c) वे कोशिका झिल्ली के घटक हैं और पुटिकाओं के रूप में अलग होते हैं।
- (c) मॉर्फीन (एल्केलॉइड)
- (b) सक्रियण ऊर्जा को कम करके
- (a) शर्करा का प्रकार (डीऑक्सीराइबोज बनाम राइबोज) और एक नाइट्रोजनी क्षार (थायमीन बनाम यूरेसिल)
- (c) ज्विटर आयन
- (c) जल-अपघटन द्वारा बंधों का टूटना
इन नोट्स और प्रश्नों का अच्छी तरह से अध्ययन करें। शुभकामनाएँ!