Class 11 Business Studies Notes Chapter 3 (निजी; सार्वजनिक एव भू्मंडलीय उपक्रम) – Vyavsay Adhyayan Book

Vyavsay Adhyayan
प्रिय विद्यार्थियों,

आज हम कक्षा 11 के व्यावसायिक अध्ययन के अध्याय 3, 'निजी; सार्वजनिक एवं भूमंडलीय उपक्रम' का विस्तृत अध्ययन करेंगे। यह अध्याय भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न व्यावसायिक संगठनों और उनके संचालन के तरीकों को समझने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। सरकारी परीक्षाओं की तैयारी के लिए इसके हर पहलू को ध्यान से समझना आवश्यक है।


अध्याय 3: निजी; सार्वजनिक एवं भूमंडलीय उपक्रम

यह अध्याय हमें व्यावसायिक संगठनों के तीन मुख्य प्रकारों से परिचित कराता है: निजी क्षेत्र, सार्वजनिक क्षेत्र और भूमंडलीय उपक्रम।


1. निजी उपक्रम (Private Enterprises)

निजी उपक्रम वे व्यावसायिक संगठन होते हैं जिनका स्वामित्व, प्रबंधन और नियंत्रण व्यक्तियों या व्यक्तियों के समूह के हाथों में होता है। इनका मुख्य उद्देश्य लाभ कमाना होता है।

विशेषताएँ:

  • निजी स्वामित्व: इनका स्वामित्व निजी व्यक्तियों या संस्थाओं के पास होता है।
  • लाभ का उद्देश्य: इनका प्राथमिक उद्देश्य लाभ कमाना होता है।
  • निजी प्रबंधन: इनका प्रबंधन और नियंत्रण निजी व्यक्तियों द्वारा किया जाता है।
  • स्वतंत्र संचालन: सरकारी हस्तक्षेप कम होता है।
  • पूँजी का स्रोत: पूँजी का स्रोत निजी बचत, ऋण या शेयरधारकों से आता है।

निजी क्षेत्र के संगठन के प्रारूप (Forms of Private Sector Organizations):
(यह प्रारूप अध्याय 2 में विस्तृत रूप से पढ़ाए गए हैं, यहाँ केवल स्मरण के लिए उल्लेख किया गया है।)

  1. एकल स्वामित्व (Sole Proprietorship): एक व्यक्ति द्वारा स्वामित्व और प्रबंधित।
  2. साझेदारी (Partnership): दो या दो से अधिक व्यक्तियों द्वारा मिलकर चलाया जाने वाला व्यवसाय।
  3. संयुक्त हिन्दू परिवार व्यवसाय (Hindu Undivided Family - HUF): हिन्दू अविभाजित परिवार द्वारा चलाया जाने वाला व्यवसाय।
  4. सहकारी समितियाँ (Co-operative Societies): सदस्यों के आपसी लाभ के लिए गठित।
  5. संयुक्त पूँजी कंपनी (Joint Stock Company): कृत्रिम व्यक्ति, जिसका पृथक वैधानिक अस्तित्व होता है।

2. सार्वजनिक उपक्रम (Public Enterprises)

सार्वजनिक उपक्रम वे व्यावसायिक संगठन होते हैं जिनका स्वामित्व, प्रबंधन और नियंत्रण सरकार (केन्द्रीय, राज्य या स्थानीय) के हाथों में होता है। इनका मुख्य उद्देश्य जन कल्याण और सामाजिक सेवा होता है, हालांकि ये लाभ भी कमा सकते हैं।

विशेषताएँ:

  • सरकारी स्वामित्व: इनका स्वामित्व पूर्णतः या आंशिक रूप से सरकार के पास होता है।
  • सेवा का उद्देश्य: इनका प्राथमिक उद्देश्य जन कल्याण और सामाजिक सेवा होता है।
  • सरकारी नियंत्रण: इनका प्रबंधन और नियंत्रण सरकार द्वारा नियुक्त अधिकारियों द्वारा किया जाता है।
  • पूँजी का स्रोत: पूँजी का मुख्य स्रोत सरकारी बजट होता है।
  • एकाधिकार: कुछ क्षेत्रों में इनका एकाधिकार होता है (जैसे रेलवे, परमाणु ऊर्जा)।

सार्वजनिक क्षेत्र के संगठन के प्रारूप (Forms of Public Sector Organizations):

अ) विभागीय उपक्रम (Departmental Undertakings):
ये सार्वजनिक उपक्रम सरकार के किसी मंत्रालय के एक विभाग के रूप में स्थापित और संचालित होते हैं। ये सीधे मंत्रालय के अधीन काम करते हैं और सरकारी कर्मचारियों द्वारा प्रबंधित होते हैं।

  • उदाहरण: भारतीय रेलवे, डाक एवं तार विभाग, दूरदर्शन।

विशेषताएँ:

  • मंत्रालय का भाग: ये सीधे किसी सरकारी मंत्रालय का हिस्सा होते हैं।
  • सरकारी वित्त पोषण: इनका वित्त पोषण सरकारी बजट से होता है।
  • सरकारी कर्मचारी: इनके कर्मचारी सरकारी कर्मचारी होते हैं और सरकारी सेवा नियमों के अधीन होते हैं।
  • लेखा-परीक्षा: इनकी लेखा-परीक्षा सरकारी लेखा-परीक्षा विभाग द्वारा की जाती है।
  • सीधा नियंत्रण: इन पर सरकार का सीधा और कड़ा नियंत्रण होता है।

गुण (Advantages):

  • सीधा सरकारी नियंत्रण: राष्ट्रीय सुरक्षा और महत्वपूर्ण सेवाओं के लिए उपयुक्त।
  • राजस्व का सीधा स्रोत: इनका राजस्व सीधे सरकारी खजाने में जाता है।
  • जवाबदेही: संसद या राज्य विधानसभा के प्रति सीधी जवाबदेही होती है।
  • गोपनीयता: संवेदनशील मामलों में गोपनीयता बनाए रखी जा सकती है।

दोष (Disadvantages):

  • अकुशलता: अत्यधिक लालफीताशाही और नौकरशाही के कारण अकुशलता।
  • लचीलेपन का अभाव: कठोर सरकारी नियमों और प्रक्रियाओं के कारण लचीलेपन की कमी।
  • राजनीतिक हस्तक्षेप: राजनीतिक हस्तक्षेप की संभावना अधिक होती है।
  • प्रेरणा का अभाव: कर्मचारियों में लाभ कमाने या बेहतर प्रदर्शन करने की प्रेरणा कम होती है।

ब) वैधानिक निगम या सार्वजनिक निगम (Statutory Corporations or Public Corporations):
ये उपक्रम संसद या राज्य विधानसभा के एक विशेष अधिनियम द्वारा स्थापित किए जाते हैं। अधिनियम में इसके उद्देश्य, शक्तियाँ, कार्य और प्रबंधन के नियम स्पष्ट रूप से परिभाषित होते हैं।

  • उदाहरण: भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC), भारतीय स्टेट बैंक (SBI), भारतीय खाद्य निगम (FCI), भारतीय रिजर्व बैंक (RBI)।

विशेषताएँ:

  • विशेष अधिनियम द्वारा स्थापना: इनकी स्थापना संसद या राज्य विधानसभा के एक विशेष अधिनियम द्वारा होती है।
  • पृथक वैधानिक अस्तित्व: इनका सरकार से पृथक वैधानिक अस्तित्व होता है।
  • स्व-वित्त पोषण: ये सामान्यतः अपने वित्त का प्रबंधन स्वयं करते हैं, हालांकि सरकार से ऋण भी ले सकते हैं।
  • स्वतंत्र प्रबंधन: इन्हें अपने दैनिक कार्यों में काफी स्वायत्तता होती है।
  • सरकारी कर्मचारी नहीं: इनके कर्मचारी सरकारी कर्मचारी नहीं होते हैं, बल्कि निगम के कर्मचारी होते हैं।

गुण (Advantages):

  • लचीलापन: विभागीय उपक्रमों की तुलना में अधिक लचीलापन होता है।
  • स्वायत्तता: अपने कार्यों में अधिक स्वायत्तता और निर्णय लेने की स्वतंत्रता होती है।
  • विशेषज्ञता: विशेषज्ञों को आकर्षित कर सकते हैं।
  • संसद के प्रति जवाबदेह: इनकी जवाबदेही संसद या विधानसभा के प्रति होती है, न कि सीधे मंत्रालय के प्रति।

दोष (Disadvantages):

  • वास्तविक स्वायत्तता का अभाव: व्यवहार में अक्सर सरकारी और राजनीतिक हस्तक्षेप का सामना करना पड़ता है।
  • अकुशलता: कई बार ये भी लालफीताशाही और अकुशलता का शिकार हो जाते हैं।
  • एकाधिकार का दुरुपयोग: एकाधिकार होने पर अपनी शक्ति का दुरुपयोग कर सकते हैं।
  • कठोर अधिनियम: अधिनियम में परिवर्तन करना कठिन होता है।

स) सरकारी कंपनी (Government Company):
कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 2(45) के अनुसार, एक सरकारी कंपनी वह कंपनी है जिसमें कम से कम 51% प्रदत्त शेयर पूँजी (Paid-up share capital) केंद्र सरकार, या किसी राज्य सरकार, या सरकारों द्वारा संयुक्त रूप से, या केंद्र सरकार और एक या अधिक राज्य सरकारों द्वारा संयुक्त रूप से धारित होती है।

  • उदाहरण: हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL), स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (SAIL), भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL)।

विशेषताएँ:

  • कंपनी अधिनियम के तहत पंजीकरण: इनका पंजीकरण कंपनी अधिनियम के तहत होता है।
  • सरकारी स्वामित्व: कम से कम 51% शेयर पूँजी सरकार के पास होती है।
  • पृथक वैधानिक अस्तित्व: इनका भी पृथक वैधानिक अस्तित्व होता है।
  • निजी कंपनियों के समान: ये निजी कंपनियों के समान ही कार्य करती हैं, केवल स्वामित्व का आधार अलग होता है।
  • बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स: इनका प्रबंधन बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स द्वारा किया जाता है, जिसमें सरकार द्वारा नियुक्त सदस्य होते हैं।

गुण (Advantages):

  • लचीलापन: निजी कंपनियों के समान लचीलेपन का लाभ उठा सकती हैं।
  • शीघ्र निर्णय: त्वरित निर्णय लेने में सक्षम।
  • विशेषज्ञों की नियुक्ति: निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों को आकर्षित कर सकती हैं।
  • पूँजी जुटाना: निजी निवेशकों से भी पूँजी जुटा सकती हैं।

दोष (Disadvantages):

  • वास्तविक स्वायत्तता का अभाव: अक्सर सरकारी और राजनीतिक हस्तक्षेप का शिकार होती हैं।
  • बोर्ड की संरचना: बोर्ड में सरकारी अधिकारियों की अधिकता से व्यावसायिक दृष्टिकोण का अभाव।
  • संसदीय नियंत्रण का अभाव: सीधे संसद के प्रति जवाबदेह नहीं होतीं, जिससे जवाबदेही कम होती है।
  • निजी क्षेत्र के साथ प्रतिस्पर्धा: निजी क्षेत्र के साथ प्रतिस्पर्धा में कभी-कभी नुकसान होता है।

सार्वजनिक क्षेत्र की बदलती भूमिका (Changing Role of Public Sector):
1991 के आर्थिक सुधारों के बाद सार्वजनिक क्षेत्र की भूमिका में महत्वपूर्ण बदलाव आया है।

  • विनिवेश (Disinvestment): सरकार ने कई सार्वजनिक उपक्रमों में अपनी हिस्सेदारी बेची है।
  • निजीकरण (Privatisation): कुछ उपक्रमों का पूर्ण निजीकरण किया गया है।
  • उदारीकरण (Liberalisation): कई क्षेत्रों को निजी क्षेत्र के लिए खोला गया है।
  • भूमिका का पुनर्गठन: अब सार्वजनिक क्षेत्र मुख्य रूप से रणनीतिक क्षेत्रों, बुनियादी ढाँचे और सामाजिक कल्याण पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।

3. भूमंडलीय उपक्रम (Global Enterprises / Multinational Corporations - MNCs)

भूमंडलीय उपक्रम या बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ (MNCs) वे कंपनियाँ होती हैं जो अपने मूल देश के अलावा एक या एक से अधिक अन्य देशों में व्यावसायिक गतिविधियाँ संचालित करती हैं।

विशेषताएँ:

  • विशाल आकार: ये कंपनियाँ आमतौर पर बहुत बड़ी होती हैं और इनके पास विशाल संपत्ति और राजस्व होता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय संचालन: ये कई देशों में उत्पादन, विपणन और अनुसंधान गतिविधियाँ करती हैं।
  • केन्द्रीयकृत नियंत्रण: इनका नियंत्रण आमतौर पर मूल देश में स्थित मुख्यालय से होता है।
  • उन्नत प्रौद्योगिकी: ये नवीनतम और उन्नत प्रौद्योगिकी का उपयोग करती हैं।
  • उत्पाद नवाचार: ये लगातार नए उत्पादों और सेवाओं का विकास करती हैं।
  • विशाल विपणन नेटवर्क: इनके पास व्यापक और प्रभावी विपणन नेटवर्क होता है।
  • पेशेवर प्रबंधन: इनका प्रबंधन उच्च प्रशिक्षित पेशेवरों द्वारा किया जाता है।
  • विदेशी सहयोग: ये अक्सर विदेशी कंपनियों के साथ सहयोग करती हैं।

संयुक्त उपक्रम (Joint Ventures):
संयुक्त उपक्रम तब होता है जब दो या दो से अधिक कंपनियाँ (निजी, सार्वजनिक या विदेशी) किसी विशेष परियोजना या व्यवसाय के लिए एक साथ आती हैं और एक नई इकाई बनाती हैं।

  • उदाहरण: मारुति सुजुकी (भारत सरकार और सुजुकी, जापान का संयुक्त उपक्रम था), हीरो होंडा (हीरो साइकिल्स और होंडा मोटर्स का संयुक्त उपक्रम था)।

विशेषताएँ:

  • संसाधनों का एकीकरण: विभिन्न भागीदारों के संसाधनों (पूँजी, प्रौद्योगिकी, विशेषज्ञता) का एकीकरण।
  • जोखिम साझा करना: व्यावसायिक जोखिमों को भागीदारों के बीच साझा किया जाता है।
  • प्रौद्योगिकी हस्तांतरण: विदेशी भागीदार से नई प्रौद्योगिकी प्राप्त करने का अवसर।
  • बाजार तक पहुँच: नए बाजारों तक पहुँचने में मदद करता है।
  • नया कानूनी अस्तित्व: आमतौर पर एक नया कानूनी अस्तित्व (कंपनी) बनता है।

गुण (Advantages):

  • बढ़ी हुई पूँजी और संसाधन: अधिक पूँजी और संसाधनों तक पहुँच।
  • प्रौद्योगिकी का लाभ: नवीनतम प्रौद्योगिकी तक पहुँच।
  • जोखिम का बँटवारा: व्यावसायिक जोखिमों को कम करता है।
  • नए बाजारों तक पहुँच: नए बाजारों में प्रवेश आसान बनाता है।
  • लागत में कमी: उत्पादन की लागत को कम करने में मदद कर सकता है।

दोष (Disadvantages):

  • नियंत्रण का बँटवारा: नियंत्रण और निर्णय लेने की शक्ति का बँटवारा।
  • सांस्कृतिक मतभेद: विभिन्न भागीदारों के बीच सांस्कृतिक और प्रबंधकीय मतभेद।
  • लक्ष्यों में भिन्नता: भागीदारों के लक्ष्यों में भिन्नता से संघर्ष।
  • गोपनीयता का नुकसान: व्यावसायिक गोपनीयता का जोखिम।

सार्वजनिक-निजी भागीदारी (Public-Private Partnership - PPP):
PPP एक ऐसा समझौता है जहाँ सार्वजनिक क्षेत्र (सरकार) और निजी क्षेत्र के बीच बुनियादी ढाँचे और सेवाओं के प्रावधान के लिए सहयोग होता है। इसमें निजी क्षेत्र अपनी विशेषज्ञता और वित्तीय संसाधन लाता है, जबकि सार्वजनिक क्षेत्र नियामक ढाँचा और सामाजिक उद्देश्य प्रदान करता है।

  • उदाहरण: टोल सड़कें, हवाई अड्डे, बिजली परियोजनाएँ, मेट्रो रेल परियोजनाएँ।

विशेषताएँ:

  • दीर्घकालिक अनुबंध: आमतौर पर दीर्घकालिक अनुबंध होते हैं।
  • जोखिम और पुरस्कार साझा करना: जोखिमों और पुरस्कारों को सार्वजनिक और निजी भागीदारों के बीच साझा किया जाता है।
  • निजी क्षेत्र की दक्षता: निजी क्षेत्र की प्रबंधन दक्षता और नवाचार का लाभ।
  • सार्वजनिक सेवा: सार्वजनिक सेवा प्रदान करना मुख्य उद्देश्य होता है।
  • धन का स्रोत: निजी निवेश और सरकारी सहायता दोनों का उपयोग होता है।

निजी और सार्वजनिक क्षेत्र में अंतर (Differences between Private and Public Sector):

अंतर का आधार निजी क्षेत्र (Private Sector) सार्वजनिक क्षेत्र (Public Sector)
स्वामित्व व्यक्तियों या निजी संस्थाओं के पास। सरकार (केंद्र, राज्य या स्थानीय) के पास।
उद्देश्य लाभ कमाना। जन कल्याण और सामाजिक सेवा।
वित्त पोषण निजी पूँजी, शेयर, ऋण, निजी बचत। सरकारी बजट, सरकारी ऋण।
प्रबंधन निजी व्यक्तियों या उनके द्वारा नियुक्त पेशेवरों द्वारा। सरकार द्वारा नियुक्त अधिकारियों या बोर्ड द्वारा।
जवाबदेही शेयरधारकों और मालिकों के प्रति। संसद या राज्य विधानसभा के प्रति।
कर्मचारी निजी कंपनियों के नियम और शर्तों के अनुसार। सरकारी सेवा नियमों या निगम के नियमों के अनुसार।
लचीलापन अधिक लचीलापन। सरकारी नियमों के कारण कम लचीलापन।
उदाहरण रिलायंस इंडस्ट्रीज, टाटा मोटर्स, विप्रो। भारतीय रेलवे, LIC, SAIL, BHEL।

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions - MCQs)

1. निम्नलिखित में से कौन-सा सार्वजनिक क्षेत्र के संगठन का प्रारूप नहीं है?
अ) विभागीय उपक्रम
ब) वैधानिक निगम
स) सरकारी कंपनी
द) साझेदारी फर्म

2. एक वैधानिक निगम की स्थापना किसके द्वारा की जाती है?
अ) कंपनी अधिनियम के तहत पंजीकरण
ब) संसद या राज्य विधानसभा के एक विशेष अधिनियम द्वारा
स) सरकार के कार्यकारी आदेश द्वारा
द) निजी व्यक्तियों के समझौते द्वारा

3. सरकारी कंपनी में सरकार की न्यूनतम प्रदत्त शेयर पूँजी कितनी होनी चाहिए?
अ) 49%
ब) 50%
स) 51%
द) 75%

4. भारतीय रेलवे किस प्रकार के सार्वजनिक उपक्रम का उदाहरण है?
अ) वैधानिक निगम
ब) सरकारी कंपनी
स) विभागीय उपक्रम
द) संयुक्त उपक्रम

5. बहुराष्ट्रीय कंपनियों (MNCs) की एक प्रमुख विशेषता क्या है?
अ) केवल एक देश में संचालन
ब) छोटे पैमाने पर संचालन
स) अंतर्राष्ट्रीय संचालन और विशाल संसाधन
द) केवल सरकारी स्वामित्व

6. सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) का मुख्य उद्देश्य क्या है?
अ) केवल निजी लाभ कमाना
ब) केवल सरकारी नियंत्रण स्थापित करना
स) बुनियादी ढाँचे और सेवाओं के प्रावधान में निजी क्षेत्र की दक्षता का लाभ उठाना
द) विदेशी निवेश को पूरी तरह से रोकना

7. निम्नलिखित में से कौन-सा निजी क्षेत्र का मुख्य उद्देश्य है?
अ) सामाजिक सेवा
ब) जन कल्याण
स) लाभ कमाना
द) एकाधिकार स्थापित करना

8. संयुक्त उपक्रम (Joint Venture) का एक मुख्य लाभ क्या है?
अ) एकल नियंत्रण और निर्णय लेना
ब) संसाधनों और जोखिमों का बँटवारा
स) अत्यधिक सरकारी हस्तक्षेप
द) केवल घरेलू बाजार तक पहुँच

9. सार्वजनिक क्षेत्र में विनिवेश (Disinvestment) का क्या अर्थ है?
अ) सार्वजनिक उपक्रमों में सरकारी निवेश बढ़ाना
ब) सार्वजनिक उपक्रमों में अपनी हिस्सेदारी बेचना
स) नए सार्वजनिक उपक्रम स्थापित करना
द) सार्वजनिक उपक्रमों का राष्ट्रीयकरण करना

10. निम्नलिखित में से कौन-सा कथन विभागीय उपक्रमों के बारे में सही नहीं है?
अ) वे सीधे मंत्रालय का हिस्सा होते हैं।
ब) उनके कर्मचारी सरकारी कर्मचारी होते हैं।
स) वे कंपनी अधिनियम के तहत पंजीकृत होते हैं।
द) उनका वित्त पोषण सरकारी बजट से होता है।


उत्तरमाला:

  1. द) साझेदारी फर्म
  2. ब) संसद या राज्य विधानसभा के एक विशेष अधिनियम द्वारा
  3. स) 51%
  4. स) विभागीय उपक्रम
  5. स) अंतर्राष्ट्रीय संचालन और विशाल संसाधन
  6. स) बुनियादी ढाँचे और सेवाओं के प्रावधान में निजी क्षेत्र की दक्षता का लाभ उठाना
  7. स) लाभ कमाना
  8. ब) संसाधनों और जोखिमों का बँटवारा
  9. ब) सार्वजनिक उपक्रमों में अपनी हिस्सेदारी बेचना
  10. स) वे कंपनी अधिनियम के तहत पंजीकृत होते हैं।

मुझे आशा है कि ये विस्तृत नोट्स और बहुविकल्पीय प्रश्न आपकी सरकारी परीक्षाओं की तैयारी में सहायक सिद्ध होंगे। इस अध्याय को गहराई से समझने के लिए पाठ्यपुस्तक का भी नियमित अध्ययन करते रहें। शुभकामनाएँ!

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