Class 11 Business Studies Notes Chapter 9 (लघु व्यवसाय) – Vyavsay Adhyayan Book

Vyavsay Adhyayan
प्रिय विद्यार्थियों,

आज हम आपकी कक्षा 11 की व्यावसायिक अध्ययन की पाठ्यपुस्तक के अध्याय 9 'लघु व्यवसाय' का विस्तार से अध्ययन करेंगे। यह अध्याय सरकारी परीक्षाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें भारतीय अर्थव्यवस्था में लघु व्यवसायों की भूमिका, उनके समक्ष चुनौतियाँ और सरकार द्वारा उन्हें दिए जाने वाले समर्थन पर प्रकाश डाला गया है। आइए, एक-एक करके सभी महत्वपूर्ण बिंदुओं को समझते हैं।


अध्याय 9: लघु व्यवसाय (Small Business)

1. परिचय (Introduction)

भारत जैसे विकासशील देश में, लघु व्यवसाय (Small Business) अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। ये न केवल बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार प्रदान करते हैं, बल्कि ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये उद्योग कम पूंजी में अधिक रोजगार सृजित करते हैं और स्थानीय संसाधनों का प्रभावी ढंग से उपयोग करते हैं।

2. लघु व्यवसाय की अवधारणा (Concept of Small Business)

भारत में लघु व्यवसायों को 'सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विकास (MSMED) अधिनियम, 2006' के तहत परिभाषित किया गया है। इस अधिनियम के तहत, उद्यमों को विनिर्माण (Manufacturing) और सेवा (Service) उद्यमों के रूप में वर्गीकृत किया गया था।
हालांकि, 1 जुलाई 2020 से, भारत सरकार ने MSMEs के वर्गीकरण को संशोधित किया है। अब विनिर्माण और सेवा उद्यमों के लिए एक एकीकृत मानदंड (निवेश और वार्षिक टर्नओवर) लागू होता है।

संशोधित वर्गीकरण (जुलाई 2020 से प्रभावी):

  • सूक्ष्म उद्यम (Micro Enterprise):

    • संयंत्र और मशीनरी या उपकरण में निवेश ₹1 करोड़ से अधिक नहीं।
    • वार्षिक टर्नओवर ₹5 करोड़ से अधिक नहीं।
  • लघु उद्यम (Small Enterprise):

    • संयंत्र और मशीनरी या उपकरण में निवेश ₹10 करोड़ से अधिक नहीं।
    • वार्षिक टर्नओवर ₹50 करोड़ से अधिक नहीं।
  • मध्यम उद्यम (Medium Enterprise):

    • संयंत्र और मशीनरी या उपकरण में निवेश ₹50 करोड़ से अधिक नहीं।
    • वार्षिक टर्नओवर ₹250 करोड़ से अधिक नहीं।

विशेष बिंदु:

  • यह वर्गीकरण विनिर्माण और सेवा दोनों प्रकार के उद्यमों पर समान रूप से लागू होता है।
  • निवेश की गणना में भूमि और भवन की लागत शामिल नहीं होती।
  • टर्नओवर की गणना में निर्यात टर्नओवर को शामिल नहीं किया जाता है।

3. भारतीय अर्थव्यवस्था में लघु व्यवसाय की भूमिका (Role of Small Business in Indian Economy)

लघु व्यवसाय भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं:

  1. रोजगार सृजन (Employment Generation): ये श्रम-गहन होते हैं, जिससे बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिलता है, खासकर ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में। यह बेरोजगारी की समस्या को कम करने में सहायक है।
  2. संतुलित क्षेत्रीय विकास (Balanced Regional Development): लघु उद्योग देश के विभिन्न हिस्सों में स्थापित किए जा सकते हैं, जिससे औद्योगिक विकास का विकेंद्रीकरण होता है और क्षेत्रीय असमानताएं कम होती हैं।
  3. आय और धन का समान वितरण (Equitable Distribution of Income and Wealth): बड़े उद्योगों की तुलना में, लघु उद्योगों में स्वामित्व और नियंत्रण का फैलाव अधिक होता है, जिससे आय और धन का अधिक समान वितरण होता है।
  4. कम पूंजी की आवश्यकता (Less Capital Requirement): इन्हें स्थापित करने के लिए बड़े उद्योगों की तुलना में कम पूंजी की आवश्यकता होती है, जिससे उद्यमिता को बढ़ावा मिलता है।
  5. स्थानीय संसाधनों का उपयोग (Utilization of Local Resources): ये स्थानीय रूप से उपलब्ध कच्चे माल और कौशल का उपयोग करते हैं, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलता है और संसाधनों का इष्टतम उपयोग होता है।
  6. उपभोक्ता वस्तुओं का उत्पादन (Production of Consumer Goods): ये बड़ी मात्रा में विभिन्न प्रकार की उपभोक्ता वस्तुएँ (जैसे कपड़ा, जूते, खाद्य उत्पाद) का उत्पादन करते हैं, जो आम जनता की जरूरतों को पूरा करती हैं।
  7. निर्यात संवर्धन (Export Promotion): कई लघु उद्योग विभिन्न उत्पादों का निर्यात करते हैं, जिससे विदेशी मुद्रा अर्जित होती है और देश के निर्यात में वृद्धि होती है।
  8. बड़े उद्योगों का पूरक (Ancillary to Large Industries): कई लघु उद्योग बड़े उद्योगों के लिए सहायक इकाइयाँ (ancillary units) के रूप में कार्य करते हैं, उनके लिए पुर्जे, घटक और उप-असेंबली का उत्पादन करते हैं।
  9. नवाचार और अनुकूलनशीलता (Innovation and Adaptability): लघु व्यवसाय अक्सर नए विचारों और तकनीकों को अपनाने में अधिक लचीले होते हैं और बाजार की बदलती मांगों के अनुसार जल्दी अनुकूलन कर सकते हैं।
  10. उद्यमिता को बढ़ावा (Promotion of Entrepreneurship): ये व्यक्तियों को अपना व्यवसाय शुरू करने और आत्मनिर्भर बनने के अवसर प्रदान करते हैं।

4. लघु व्यवसाय के समक्ष चुनौतियाँ (Challenges Faced by Small Business)

लघु व्यवसायों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जो उनके विकास में बाधा डालती हैं:

  1. वित्त की समस्या (Problem of Finance):
    • पर्याप्त पूंजी की कमी।
    • बैंकों और वित्तीय संस्थानों से ऋण प्राप्त करने में कठिनाई (जमानत की कमी)।
    • उच्च ब्याज दरें।
    • कार्यशील पूंजी की कमी।
  2. कच्चे माल की समस्या (Problem of Raw Materials):
    • गुणवत्ता वाले कच्चे माल की उपलब्धता में कमी।
    • कच्चे माल की उच्च लागत।
    • आपूर्ति में अनियमितता।
    • बड़ी मात्रा में खरीद करने में असमर्थता (जिससे छूट नहीं मिलती)।
  3. प्रबंधकीय कौशल की कमी (Lack of Managerial Skills):
    • अक्सर मालिक ही प्रबंधक होता है और उसके पास सभी क्षेत्रों (उत्पादन, विपणन, वित्त, मानव संसाधन) में विशेषज्ञता नहीं होती।
    • पेशेवर प्रबंधकों को नियुक्त करने के लिए संसाधनों की कमी।
  4. तकनीकी अप्रचलन (Technological Obsolescence):
    • पुरानी और अक्षम तकनीकों का उपयोग।
    • नई और उन्नत मशीनरी खरीदने के लिए पूंजी की कमी।
    • अनुसंधान और विकास में निवेश करने में असमर्थता।
  5. विपणन की समस्या (Problem of Marketing):
    • बड़े पैमाने पर विज्ञापन और प्रचार करने में असमर्थता।
    • वितरण चैनलों तक सीमित पहुंच।
    • बड़े प्रतिस्पर्धियों से प्रतिस्पर्धा।
    • बाजार अनुसंधान की कमी।
  6. गुणवत्ता की समस्या (Problem of Quality):
    • कम गुणवत्ता वाले कच्चे माल और पुरानी तकनीक के कारण उत्पादों की गुणवत्ता पर असर।
    • गुणवत्ता नियंत्रण उपायों को लागू करने में कठिनाई।
  7. क्षमताओं का कम उपयोग (Under-utilization of Capacity):
    • मांग की कमी, कच्चे माल की अनुपलब्धता या बिजली कटौती के कारण उत्पादन क्षमता का पूरा उपयोग न हो पाना।
  8. श्रम की समस्या (Problem of Labour):
    • कुशल श्रमिकों को आकर्षित करने और बनाए रखने में कठिनाई (कम वेतन, खराब कार्य परिस्थितियाँ)।
    • श्रम कानूनों का पालन करने में जटिलता।
  9. आधारभूत संरचना की कमी (Lack of Infrastructure):
    • बिजली, पानी, सड़क और संचार जैसी बुनियादी सुविधाओं की अपर्याप्तता।
  10. वैश्विक प्रतिस्पर्धा (Global Competition):
    • उदारीकरण और वैश्वीकरण के कारण विदेशी कंपनियों से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है।

5. सरकारी सहायता और योजनाएँ (Government Assistance and Schemes)

भारत सरकार लघु व्यवसायों को बढ़ावा देने और उनकी चुनौतियों का समाधान करने के लिए विभिन्न योजनाएँ और सहायता प्रदान करती है:

A. संस्थागत सहायता (Institutional Support):

  1. राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम (National Small Industries Corporation - NSIC):
    • स्थापना: 1955
    • कार्य: लघु उद्योगों को मशीनरी किराए पर खरीदने, कच्चे माल की आपूर्ति, विपणन सहायता, निर्यात संवर्धन और तकनीकी सहायता प्रदान करना।
  2. जिला उद्योग केंद्र (District Industries Centres - DICs):
    • स्थापना: 1978
    • कार्य: जिला स्तर पर लघु उद्योगों को सभी प्रकार की सहायता (पंजीकरण, ऋण आवेदन, भूमि आवंटन, तकनीकी मार्गदर्शन) एक ही स्थान पर प्रदान करना।
  3. भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (Small Industries Development Bank of India - SIDBI):
    • स्थापना: 1990
    • कार्य: सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को वित्तपोषण और विकास सहायता प्रदान करने वाली प्रमुख वित्तीय संस्था। यह अप्रत्यक्ष रूप से वाणिज्यिक बैंकों और राज्य वित्तीय निगमों के माध्यम से ऋण प्रदान करता है।
  4. राष्ट्रीय उद्यमिता एवं लघु व्यवसाय विकास संस्थान (National Institute for Entrepreneurship and Small Business Development - NIESBUD):
    • स्थापना: 1983
    • कार्य: उद्यमिता विकास कार्यक्रमों का प्रशिक्षण, अनुसंधान और परामर्श प्रदान करना।
  5. भारतीय उद्यमिता संस्थान (Indian Institute of Entrepreneurship - IIE):
    • स्थापना: 1993 (गुवाहाटी में)
    • कार्य: पूर्वोत्तर क्षेत्र में उद्यमिता विकास को बढ़ावा देना।

B. सरकारी योजनाएँ (Government Schemes):

  1. प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (Prime Minister's Employment Generation Programme - PMEGP):
    • उद्देश्य: ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में स्वरोजगार के अवसर पैदा करना।
    • विशेषता: नए सूक्ष्म उद्यमों की स्थापना के लिए वित्तीय सहायता (सब्सिडी)।
  2. ग्रामीण उद्यमिता विकास कार्यक्रम (Rural Entrepreneurship Development Programme - REDP):
    • उद्देश्य: ग्रामीण युवाओं को उद्यमिता के लिए प्रशिक्षित करना और उन्हें अपना व्यवसाय शुरू करने में मदद करना।
  3. क्रेडिट गारंटी फंड स्कीम (Credit Guarantee Fund Scheme - CGS):
    • उद्देश्य: सूक्ष्म और लघु उद्यमों को बिना किसी तृतीय-पक्ष गारंटी या संपार्श्विक (collateral) के ऋण सुविधा प्रदान करना।
    • विशेषता: क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट फॉर माइक्रो एंड स्मॉल एंटरप्राइजेज (CGTMSE) द्वारा संचालित।
  4. सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए क्रेडिट लिंक्ड कैपिटल सब्सिडी स्कीम (Credit Linked Capital Subsidy Scheme for Micro and Small Enterprises - CLCSS):
    • उद्देश्य: सूक्ष्म और लघु उद्यमों को प्रौद्योगिकी उन्नयन के लिए पूंजीगत सब्सिडी प्रदान करना।
  5. मेक इन इंडिया (Make in India):
    • उद्देश्य: भारत को एक वैश्विक विनिर्माण हब बनाना, जिससे लघु उद्योगों को भी बढ़ावा मिले।
  6. स्टार्ट-अप इंडिया (Start-up India):
    • उद्देश्य: नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देना, विशेष रूप से नए व्यवसायों के लिए।
  7. स्टैंड-अप इंडिया (Stand-up India):
    • उद्देश्य: महिला उद्यमियों और अनुसूचित जाति/जनजाति के उद्यमियों को विनिर्माण या सेवा क्षेत्र में नया उद्यम स्थापित करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना।
  8. स्फूर्ति (SFURTI - Scheme of Fund for Regeneration of Traditional Industries):
    • उद्देश्य: पारंपरिक उद्योगों और कारीगरों के समूहों को प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए उन्हें समर्थन देना।
  9. ASPIRE (A Scheme for Promoting Innovation, Rural Industry & Entrepreneurship):
    • उद्देश्य: कृषि आधारित उद्योगों को बढ़ावा देना, नवाचार और ग्रामीण उद्यमिता को प्रोत्साहित करना।

6. बौद्धिक संपदा अधिकार (Intellectual Property Rights - IPRs)

बौद्धिक संपदा अधिकार वे कानूनी अधिकार हैं जो रचनाकारों को उनके बौद्धिक सृजन के लिए दिए जाते हैं। लघु व्यवसायों के लिए ये अधिकार महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ये उनके नवाचारों, ब्रांड पहचान और रचनात्मक कार्यों की रक्षा करते हैं।

मुख्य प्रकार के IPRs:

  1. पेटेंट (Patent): किसी नए आविष्कार (उत्पाद या प्रक्रिया) के लिए दिया गया अनन्य अधिकार, जो आविष्कारक को एक निश्चित अवधि के लिए दूसरों को अपने आविष्कार का उपयोग करने, बनाने या बेचने से रोकने की अनुमति देता है।
  2. ट्रेडमार्क (Trademark): एक विशिष्ट चिह्न, शब्द, प्रतीक या डिज़ाइन जो किसी उद्यम के उत्पादों या सेवाओं को दूसरों से अलग करता है। यह ब्रांड पहचान बनाने में मदद करता है।
  3. कॉपीराइट (Copyright): साहित्यिक, कलात्मक, नाटकीय या संगीत कार्यों के मूल रचनाकारों को दिया गया कानूनी अधिकार। यह उन्हें अपने काम को पुनरुत्पादित करने, वितरित करने, प्रदर्शित करने या अनुकूलित करने का अनन्य अधिकार देता है।
  4. औद्योगिक डिजाइन (Industrial Design): किसी उत्पाद की बाहरी बनावट, आकार, पैटर्न या अलंकरण से संबंधित अधिकार। यह उत्पाद के सौंदर्य मूल्य की रक्षा करता है।
  5. भौगोलिक संकेत (Geographical Indication - GI): उन उत्पादों पर उपयोग किया जाने वाला एक संकेत जिनकी एक विशिष्ट भौगोलिक उत्पत्ति होती है और जिनमें उस उत्पत्ति के कारण गुण या प्रतिष्ठा होती है (जैसे दार्जिलिंग चाय, तिरुपति लड्डू)।

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions - MCQs)

यहाँ इस अध्याय पर आधारित 10 बहुविकल्पीय प्रश्न दिए गए हैं:

1. सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विकास (MSMED) अधिनियम किस वर्ष पारित किया गया था?
a) 2000
b) 2006
c) 2010
d) 2014

2. संशोधित वर्गीकरण (जुलाई 2020) के अनुसार, एक लघु उद्यम के लिए संयंत्र और मशीनरी या उपकरण में अधिकतम निवेश कितना होना चाहिए?
a) ₹1 करोड़
b) ₹5 करोड़
c) ₹10 करोड़
d) ₹50 करोड़

3. निम्नलिखित में से कौन सा लघु व्यवसाय की एक विशेषता नहीं है?
a) श्रम-गहन
b) स्थानीय संसाधनों का उपयोग
c) अत्यधिक पूंजी-गहन
d) उद्यमिता को बढ़ावा

4. लघु व्यवसायों के समक्ष सबसे महत्वपूर्ण चुनौतियों में से एक क्या है?
a) पर्याप्त सरकारी सहायता
b) वित्त की आसान उपलब्धता
c) प्रबंधकीय कौशल की कमी
d) बड़ी कंपनियों से कोई प्रतिस्पर्धा नहीं

5. जिला उद्योग केंद्र (DICs) की स्थापना का मुख्य उद्देश्य क्या था?
a) लघु उद्योगों को वित्तीय सहायता प्रदान करना
b) जिला स्तर पर लघु उद्योगों को एकीकृत सहायता प्रदान करना
c) लघु उद्योगों के उत्पादों का निर्यात करना
d) लघु उद्योगों के लिए अनुसंधान और विकास करना

6. भारत में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) को वित्तपोषण और विकास सहायता प्रदान करने वाली प्रमुख वित्तीय संस्था कौन सी है?
a) भारतीय रिजर्व बैंक (RBI)
b) भारतीय स्टेट बैंक (SBI)
c) भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (SIDBI)
d) राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (NABARD)

7. प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP) का मुख्य उद्देश्य क्या है?
a) बड़े उद्योगों को वित्तीय सहायता प्रदान करना
b) ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में स्वरोजगार के अवसर पैदा करना
c) केवल शहरी क्षेत्रों में रोजगार सृजित करना
d) सरकारी कर्मचारियों को प्रशिक्षण प्रदान करना

8. निम्नलिखित में से कौन सा बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) किसी उत्पाद की बाहरी बनावट, आकार या पैटर्न से संबंधित है?
a) पेटेंट
b) ट्रेडमार्क
c) कॉपीराइट
d) औद्योगिक डिजाइन

9. 'मेक इन इंडिया' पहल का मुख्य उद्देश्य क्या है?
a) भारत में विदेशी निवेश को हतोत्साहित करना
b) भारत को एक वैश्विक विनिर्माण हब बनाना
c) केवल सेवा क्षेत्र को बढ़ावा देना
d) आयात को बढ़ावा देना

10. वह योजना जो महिला उद्यमियों और अनुसूचित जाति/जनजाति के उद्यमियों को नया उद्यम स्थापित करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है?
a) प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम
b) क्रेडिट लिंक्ड कैपिटल सब्सिडी स्कीम
c) स्टैंड-अप इंडिया
d) स्फूर्ति


उत्तर कुंजी (Answer Key):

  1. b) 2006
  2. c) ₹10 करोड़
  3. c) अत्यधिक पूंजी-गहन
  4. c) प्रबंधकीय कौशल की कमी
  5. b) जिला स्तर पर लघु उद्योगों को एकीकृत सहायता प्रदान करना
  6. c) भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (SIDBI)
  7. b) ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में स्वरोजगार के अवसर पैदा करना
  8. d) औद्योगिक डिजाइन
  9. b) भारत को एक वैश्विक विनिर्माण हब बनाना
  10. c) स्टैंड-अप इंडिया

मुझे आशा है कि ये विस्तृत नोट्स और बहुविकल्पीय प्रश्न आपको अध्याय 'लघु व्यवसाय' को गहराई से समझने और सरकारी परीक्षाओं की तैयारी में मदद करेंगे। अपनी पढ़ाई जारी रखें और सफलता प्राप्त करें!

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