Class 11 Chemistry Notes Chapter 1 (Chapter 1) – Rasayan Vigyan Bhag-II Book

Rasayan Vigyan Bhag-II
नमस्ते। कक्षा 11वीं के रसायन विज्ञान भाग-II के अध्ययन में आपका स्वागत है। सरकारी परीक्षाओं की तैयारी के लिए, हमें अध्यायों को गहराई से समझना होगा।

जैसा कि आपने भाग-II के 'अध्याय 1' के नोट्स मांगे हैं, यहाँ ध्यान देने योग्य बात है कि NCERT की नवीनतम (2023-24) पाठ्यपुस्तक के अनुसार, भाग-II अध्याय 6: ऊष्मागतिकी (Thermodynamics) से शुरू होता है। हालाँकि, पुराने संस्करणों में भाग-II अक्सर अध्याय 8: अपचयोपचय अभिक्रियाएँ (Redox Reactions) से शुरू होता था, जिसे भाग-II का पहला अध्याय माना जाता था।

चूंकि 'अपचयोपचय अभिक्रियाएँ' प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण अध्याय है और अक्सर इसे भाग-II का प्रारंभिक अध्याय माना जाता रहा है, मैं आपको इसी अध्याय के विस्तृत नोट्स और MCQ प्रदान कर रहा हूँ। यदि आप 'ऊष्मागतिकी' या किसी अन्य अध्याय के नोट्स चाहते हैं, तो कृपया स्पष्ट करें।


अध्याय 8: अपचयोपचय अभिक्रियाएँ (Redox Reactions)

परिचय (Introduction)
वे रासायनिक अभिक्रियाएँ जिनमें ऑक्सीकरण (Oxidation) तथा अपचयन (Reduction) साथ-साथ होता है, अपचयोपचय अभिक्रियाएँ या रेडॉक्स अभिक्रियाएँ कहलाती हैं। इन अभिक्रियाओं में इलेक्ट्रॉनों का स्थानांतरण होता है।

ऑक्सीकरण तथा अपचयन की अवधारणाएँ (Concepts of Oxidation and Reduction)

  1. चिरसम्मत या पुरानी अवधारणा (Classical Concept):

    • ऑक्सीकरण (Oxidation):
      • ऑक्सीजन या किसी अन्य ऋणविद्युती तत्व का योग। (जैसे, C + O₂ → CO₂)
      • हाइड्रोजन या किसी अन्य धनविद्युती तत्व का निकलना। (जैसे, H₂S + Cl₂ → 2HCl + S)
    • अपचयन (Reduction):
      • हाइड्रोजन या किसी अन्य धनविद्युती तत्व का योग। (जैसे, Cl₂ + H₂ → 2HCl)
      • ऑक्सीजन या किसी अन्य ऋणविद्युती तत्व का निकलना। (जैसे, CuO + H₂ → Cu + H₂O)
  2. इलेक्ट्रॉनिक अवधारणा (Electronic Concept): यह आधुनिक और अधिक व्यापक अवधारणा है।

    • ऑक्सीकरण (Oxidation): वह प्रक्रम जिसमें कोई परमाणु, आयन या अणु एक या अधिक इलेक्ट्रॉन त्यागता है। इसमें ऑक्सीकरण संख्या में वृद्धि होती है। (जैसे, Na → Na⁺ + e⁻)
    • अपचयन (Reduction): वह प्रक्रम जिसमें कोई परमाणु, आयन या अणु एक या अधिक इलेक्ट्रॉन ग्रहण करता है। इसमें ऑक्सीकरण संख्या में कमी होती है। (जैसे, Cl₂ + 2e⁻ → 2Cl⁻)
    • ऑक्सीकारक (Oxidising Agent/Oxidant): वह पदार्थ जो दूसरों को ऑक्सीकृत करता है और स्वयं अपचयित होता है (इलेक्ट्रॉन ग्रहण करता है)। उदाहरण: O₂, Cl₂, KMnO₄, K₂Cr₂O₇.
    • अपचायक (Reducing Agent/Reductant): वह पदार्थ जो दूसरों को अपचयित करता है और स्वयं ऑक्सीकृत होता है (इलेक्ट्रॉन त्यागता है)। उदाहरण: H₂, C, Na, H₂S.

ऑक्सीकरण संख्या या ऑक्सीकरण अवस्था (Oxidation Number or Oxidation State)

किसी यौगिक में उपस्थित किसी तत्व के परमाणु पर उपस्थित वास्तविक या काल्पनिक आवेश को उसकी ऑक्सीकरण संख्या कहते हैं। यह मानते हुए कि साझे के इलेक्ट्रॉन युग्म अधिक ऋणविद्युती परमाणु पर पूर्ण रूप से स्थानांतरित हो गए हैं।

ऑक्सीकरण संख्या ज्ञात करने के नियम (Rules for Assigning Oxidation Number):

  1. मुक्त अवस्था में तत्व: किसी तत्व की मुक्त या असंयुक्त अवस्था में ऑक्सीकरण संख्या शून्य होती है। (जैसे, H₂, O₂, Cl₂, Na, Mg, Al)
  2. एकल परमाणुक आयन: आयन पर उपस्थित आवेश ही उसकी ऑक्सीकरण संख्या होती है। (जैसे, Na⁺ में Na की +1, Cl⁻ में Cl की -1, Mg²⁺ में Mg की +2)
  3. ऑक्सीजन: अधिकांश यौगिकों में ऑक्सीजन की ऑक्सीकरण संख्या -2 होती है।
    • अपवाद: परॉक्साइडों (जैसे H₂O₂, Na₂O₂) में -1, सुपरऑक्साइडों (जैसे KO₂) में -½, तथा OF₂ में +2 और O₂F₂ में +1 होती है।
  4. हाइड्रोजन: अधिकांश यौगिकों में हाइड्रोजन की ऑक्सीकरण संख्या +1 होती है।
    • अपवाद: धातु हाइड्राइडों (जैसे NaH, CaH₂) में -1 होती है।
  5. हैलोजन (F, Cl, Br, I):
    • फ्लोरीन (F) की ऑक्सीकरण संख्या सभी यौगिकों में सदैव -1 होती है (सर्वाधिक ऋणविद्युती तत्व)।
    • अन्य हैलोजनों (Cl, Br, I) की ऑक्सीकरण संख्या सामान्यतः -1 होती है, परन्तु जब ये ऑक्सीजन या अधिक ऋणविद्युती हैलोजन से जुड़ते हैं, तो इनकी ऑक्सीकरण संख्या धनात्मक (+1, +3, +5, +7) हो सकती है।
  6. क्षार धातुएँ (Li, Na, K आदि): इनके यौगिकों में सदैव +1 होती है।
  7. क्षारीय मृदा धातुएँ (Be, Mg, Ca आदि): इनके यौगिकों में सदैव +2 होती है।
  8. उदासीन अणु: किसी उदासीन अणु में उपस्थित सभी परमाणुओं की ऑक्सीकरण संख्याओं का योग शून्य होता है। (जैसे, H₂SO₄ में 2(+1) + S + 4(-2) = 0)
  9. बहुपरमाणुक आयन: किसी आयन में उपस्थित सभी परमाणुओं की ऑक्सीकरण संख्याओं का योग आयन पर उपस्थित आवेश के बराबर होता है। (जैसे, SO₄²⁻ में S + 4(-2) = -2)

ऑक्सीकरण संख्या के आधार पर ऑक्सीकरण एवं अपचयन:

  • ऑक्सीकरण: ऑक्सीकरण संख्या में वृद्धि।
  • अपचयन: ऑक्सीकरण संख्या में कमी।

अपचयोपचय अभिक्रियाओं के प्रकार (Types of Redox Reactions)

  1. संयोजन अभिक्रियाएँ (Combination Reactions): जब दो या दो से अधिक पदार्थ (जिनमें कम से कम एक तत्वीय रूप में हो) मिलकर एक यौगिक बनाते हैं। (जैसे, C(s) + O₂(g) → CO₂(g))
  2. अपघटन अभिक्रियाएँ (Decomposition Reactions): जब कोई यौगिक दो या दो से अधिक सरल पदार्थों में टूटता है। ये संयोजन के विपरीत होती हैं। (जैसे, 2H₂O(l) → 2H₂(g) + O₂(g))
  3. विस्थापन अभिक्रियाएँ (Displacement Reactions): जब किसी यौगिक में उपस्थित किसी आयन (या परमाणु) को किसी अन्य अधिक क्रियाशील तत्व के आयन (या परमाणु) द्वारा विस्थापित कर दिया जाता है।
    • धातु विस्थापन: Zn(s) + CuSO₄(aq) → ZnSO₄(aq) + Cu(s)
    • अधातु विस्थापन: 2Na(s) + 2H₂O(l) → 2NaOH(aq) + H₂(g)
  4. असमानुपातन अभिक्रियाएँ (Disproportionation Reactions): वे विशिष्ट रेडॉक्स अभिक्रियाएँ जिनमें एक ही तत्व (जो मध्यवर्ती ऑक्सीकरण अवस्था में हो) का ऑक्सीकरण तथा अपचयन दोनों होता है।
    • उदाहरण: P₄(s) + 3OH⁻(aq) + 3H₂O(l) → PH₃(g) + 3H₂PO₂⁻(aq)
      (यहाँ P की ऑक्सीकरण अवस्था 0 से -3 (PH₃ में) और +1 (H₂PO₂⁻ में) बदलती है।)
    • उदाहरण: 2H₂O₂(aq) → 2H₂O(l) + O₂(g)
      (यहाँ O की ऑक्सीकरण अवस्था -1 से -2 (H₂O में) और 0 (O₂ में) बदलती है।)

रेडॉक्स अभिक्रियाओं का संतुलन (Balancing of Redox Reactions)

रेडॉक्स अभिक्रियाओं को संतुलित करने के लिए दो मुख्य विधियाँ हैं:

  1. ऑक्सीकरण संख्या विधि (Oxidation Number Method):

    • चरण 1: कंकाली समीकरण लिखें।
    • चरण 2: सभी परमाणुओं की ऑक्सीकरण संख्या ज्ञात करें और उन परमाणुओं को पहचानें जिनकी ऑक्सीकरण संख्या बदल रही है।
    • चरण 3: ऑक्सीकरण संख्या में कुल वृद्धि और कुल कमी की गणना करें।
    • चरण 4: ऑक्सीकरण संख्या में वृद्धि और कमी को बराबर करने के लिए ऑक्सीकारक और अपचायक को उचित गुणांकों से गुणा करें।
    • चरण 5: हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को छोड़कर अन्य सभी परमाणुओं को संतुलित करें।
    • चरण 6: आवेश और हाइड्रोजन/ऑक्सीजन परमाणुओं को संतुलित करें।
      • अम्लीय माध्यम: H⁺ आयन और H₂O अणु जोड़कर। पहले ऑक्सीजन को H₂O से, फिर हाइड्रोजन को H⁺ से संतुलित करें।
      • क्षारीय माध्यम: OH⁻ आयन और H₂O अणु जोड़कर। पहले ऑक्सीजन को H₂O से, फिर हाइड्रोजन को H₂O जोड़कर और उतने ही OH⁻ विपरीत दिशा में जोड़कर संतुलित करें।
  2. आयन-इलेक्ट्रॉन विधि या अर्ध-अभिक्रिया विधि (Ion-Electron Method or Half-Reaction Method):

    • चरण 1: कंकाली आयनिक समीकरण लिखें।
    • चरण 2: समीकरण को दो अर्ध-अभिक्रियाओं (ऑक्सीकरण और अपचयन) में विभाजित करें।
    • चरण 3: प्रत्येक अर्ध-अभिक्रिया में H और O को छोड़कर अन्य परमाणुओं को संतुलित करें।
    • चरण 4: ऑक्सीजन और हाइड्रोजन परमाणुओं को संतुलित करें (अम्लीय/क्षारीय माध्यम के अनुसार H₂O, H⁺/OH⁻ का उपयोग करके)।
    • चरण 5: आवेश को संतुलित करने के लिए इलेक्ट्रॉन (e⁻) जोड़ें। ऑक्सीकरण अर्ध-अभिक्रिया में इलेक्ट्रॉन दाईं ओर और अपचयन अर्ध-अभिक्रिया में बाईं ओर जुड़ेंगे।
    • चरण 6: दोनों अर्ध-अभिक्रियाओं में इलेक्ट्रॉनों की संख्या को बराबर करने के लिए उन्हें उचित गुणांकों से गुणा करें।
    • चरण 7: दोनों संतुलित अर्ध-अभिक्रियाओं को जोड़ दें और समान स्पीशीज को दोनों तरफ से काट दें।
    • चरण 8: अंतिम समीकरण की परमाणु और आवेश संतुलन की जाँच करें।

रेडॉक्स अभिक्रियाएँ तथा इलेक्ट्रोड प्रक्रम (Redox Reactions and Electrode Processes)
रेडॉक्स अभिक्रियाएँ विद्युत रासायनिक सेलों (जैसे गैल्वेनी सेल, विद्युत अपघटनी सेल) का आधार हैं। इलेक्ट्रोडों पर ऑक्सीकरण (एनोड पर) और अपचयन (कैथोड पर) होता है, जिससे रासायनिक ऊर्जा विद्युत ऊर्जा में या विद्युत ऊर्जा रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तित होती है।

रेडॉक्स अनुमापन (Redox Titration)
यह आयतनी विश्लेषण की एक विधि है जिसमें किसी अज्ञात सांद्रता वाले अपचायक या ऑक्सीकारक का निर्धारण ज्ञात सांद्रता वाले ऑक्सीकारक या अपचायक के विलयन से अनुमापन द्वारा किया जाता है। सूचक (Indicator) या स्वयं अभिकारक (जैसे KMnO₄) अंतिम बिंदु (End point) पहचानने में मदद करते हैं।


अभ्यास हेतु बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs)

प्रश्न 1: अभिक्रिया Zn(s) + CuSO₄(aq) → ZnSO₄(aq) + Cu(s) में, अपचायक कौन है?
(क) Zn
(ख) CuSO₄
(ग) ZnSO₄
(घ) Cu

प्रश्न 2: K₂Cr₂O₇ में क्रोमियम (Cr) की ऑक्सीकरण संख्या क्या है?
(क) +3
(ख) +6
(ग) +7
(घ) +4

प्रश्न 3: निम्नलिखित में से कौन सी अभिक्रिया एक असमानुपातन अभिक्रिया का उदाहरण है?
(क) 2KClO₃ → 2KCl + 3O₂
(ख) Cl₂ + 2OH⁻ → Cl⁻ + ClO⁻ + H₂O
(ग) Mg + Cl₂ → MgCl₂
(घ) Fe + S → FeS

प्रश्न 4: ऑक्सीकरण वह प्रक्रम है जिसमें:
(क) इलेक्ट्रॉन ग्रहण किए जाते हैं
(ख) ऑक्सीकरण संख्या घटती है
(ग) इलेक्ट्रॉन त्यागे जाते हैं
(घ) हाइड्रोजन का योग होता है

प्रश्न 5: OF₂ में ऑक्सीजन की ऑक्सीकरण संख्या है:
(क) -2
(ख) -1
(ग) +1
(घ) +2

प्रश्न 6: NaH में हाइड्रोजन की ऑक्सीकरण अवस्था क्या है?
(क) +1
(ख) -1
(ग) 0
(घ) +2

प्रश्न 7: वह पदार्थ जो किसी अभिक्रिया में इलेक्ट्रॉन ग्रहण करता है, कहलाता है:
(क) अपचायक
(ख) ऑक्सीकारक
(ग) उत्प्रेरक
(घ) इनमें से कोई नहीं

प्रश्न 8: अम्लीय माध्यम में, MnO₄⁻ आयन के अपचयन से सामान्यतः बनता है:
(क) MnO₂
(ख) Mn²⁺
(ग) Mn₂O₃
(घ) MnO

प्रश्न 9: H₂S + Cl₂ → 2HCl + S अभिक्रिया में, किसका ऑक्सीकरण हो रहा है?
(क) H₂S
(ख) Cl₂
(ग) HCl
(घ) S

प्रश्न 10: आयन-इलेक्ट्रॉन विधि का उपयोग किस लिए किया जाता है?
(क) ऑक्सीकरण संख्या ज्ञात करने के लिए
(ख) रेडॉक्स अभिक्रियाओं को संतुलित करने के लिए
(ग) अभिक्रिया की दर ज्ञात करने के लिए
(घ) यौगिकों का नामकरण करने के लिए


उत्तरमाला (Answer Key):

  1. (क) Zn (Zn का ऑक्सीकरण हो रहा है, Zn → Zn²⁺ + 2e⁻)
  2. (ख) +6 (2(+1) + 2(Cr) + 7(-2) = 0 => 2Cr - 12 = 0 => Cr = +6)
  3. (ख) Cl₂ + 2OH⁻ → Cl⁻ + ClO⁻ + H₂O (Cl की ऑक्सीकरण अवस्था 0 से -1 और +1 में बदल रही है)
  4. (ग) इलेक्ट्रॉन त्यागे जाते हैं
  5. (घ) +2 (F की -1 होती है, O + 2(-1) = 0 => O = +2)
  6. (ख) -1 (यह एक धातु हाइड्राइड है)
  7. (ख) ऑक्सीकारक
  8. (ख) Mn²⁺ (MnO₄⁻ + 8H⁺ + 5e⁻ → Mn²⁺ + 4H₂O)
  9. (क) H₂S (S की ऑक्सीकरण संख्या -2 से 0 हो रही है)
  10. (ख) रेडॉक्स अभिक्रियाओं को संतुलित करने के लिए

इन नोट्स को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का अभ्यास करें। यह अध्याय आपकी परीक्षा की तैयारी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। शुभकामनाएँ!

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