Class 11 Chemistry Notes Chapter 10 (Chapter 10) – Examplar Problems (Hindi) Book

नमस्ते विद्यार्थियों।
आज हम कक्षा 11 रसायन विज्ञान के अध्याय 10, 's-ब्लॉक तत्व' का अध्ययन करेंगे, जो आपकी सरकारी परीक्षाओं की तैयारी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। आइए, इस अध्याय के मुख्य बिंदुओं और महत्वपूर्ण तथ्यों को विस्तार से समझें।
अध्याय 10: s-ब्लॉक तत्व (s-Block Elements)
परिचय:
वे तत्व जिनके परमाणुओं के बाह्यतम कोश का अंतिम इलेक्ट्रॉन s-उपकोश में प्रवेश करता है, s-ब्लॉक तत्व कहलाते हैं। आवर्त सारणी में वर्ग 1 (क्षार धातुएँ) और वर्ग 2 (क्षारीय मृदा धातुएँ) के तत्व s-ब्लॉक तत्व हैं।
वर्ग 1: क्षार धातुएँ (Alkali Metals)
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तत्व: लीथियम (Li), सोडियम (Na), पोटैशियम (K), रूबिडियम (Rb), सीज़ियम (Cs) और फ्रैंशियम (Fr - रेडियोधर्मी)।
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इलेक्ट्रॉनिक विन्यास: बाह्यतम कोश का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास ns¹ होता है (जहाँ n = मुख्य क्वांटम संख्या)।
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परमाण्विक एवं आयनिक त्रिज्या: वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर परमाण्विक एवं आयनिक त्रिज्या बढ़ती है क्योंकि कोशों की संख्या बढ़ती है।
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आयनन एन्थैल्पी: इनकी आयनन एन्थैल्पी बहुत कम होती है और वर्ग में नीचे जाने पर घटती है (परमाणु आकार बढ़ने के कारण)। ये आसानी से एक इलेक्ट्रॉन त्यागकर +1 आयन बनाते हैं।
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जलयोजन एन्थैल्पी: आयनों की जलयोजन एन्थैल्पी वर्ग में नीचे जाने पर घटती है (आयनिक आकार बढ़ने के कारण)। Li⁺ की जलयोजन एन्थैल्पी सर्वाधिक होती है।
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भौतिक गुण:
- ये नरम, चाँदी के समान श्वेत धातुएँ होती हैं।
- घनत्व कम होता है (Li, Na, K का घनत्व जल से कम)। वर्ग में नीचे जाने पर सामान्यतः घनत्व बढ़ता है (अपवाद: K का घनत्व Na से कम)।
- गलनांक और क्वथनांक कम होते हैं और वर्ग में नीचे जाने पर घटते हैं (धात्विक बंध दुर्बल होने के कारण)।
- ज्वाला को विशिष्ट रंग प्रदान करते हैं (जैसे Li - किरमिजी लाल, Na - सुनहरा पीला, K - बैंगनी)। इसका कारण बाह्यतम इलेक्ट्रॉन का उत्तेजित होकर वापस निम्न ऊर्जा स्तर में आते समय दृश्य प्रकाश का उत्सर्जन करना है। Cs और Rb प्रकाश वैद्युत प्रभाव दर्शाते हैं।
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रासायनिक गुण:
- अत्यधिक क्रियाशील: इनकी क्रियाशीलता वर्ग में नीचे जाने पर बढ़ती है।
- वायु से क्रिया: वायु की उपस्थिति में मलिन हो जाती हैं। ऑक्सीजन से क्रिया कर ऑक्साइड (Li₂O), परॉक्साइड (Na₂O₂) तथा सुपरऑक्साइड (KO₂, RbO₂, CsO₂) बनाती हैं। नाइट्रोजन से केवल लीथियम (Li₃N) सीधे क्रिया करता है।
- जल से क्रिया: जल से तीव्रता से क्रिया कर हाइड्रोजन गैस मुक्त करती हैं तथा हाइड्रॉक्साइड बनाती हैं (2M + 2H₂O → 2MOH + H₂)। क्रियाशीलता नीचे जाने पर बढ़ती है।
- डाइहाइड्रोजन से क्रिया: उच्च ताप पर हाइड्रोजन से क्रिया कर आयनिक हाइड्राइड (MH) बनाती हैं।
- हैलोजन से क्रिया: हैलोजन से तीव्रता से क्रिया कर आयनिक हैलाइड (MX) बनाती हैं (LiX कुछ सहसंयोजी होता है)।
- प्रबल अपचायक: इनकी मानक इलेक्ट्रोड विभव (E°) के मान अत्यधिक ऋणात्मक होते हैं, अतः ये प्रबल अपचायक हैं। Li सबसे प्रबल अपचायक है (इसकी उच्च जलयोजन एन्थैल्पी के कारण)।
- द्रव अमोनिया में विलयन: द्रव अमोनिया में घुलकर गहरे नीले रंग का विलयन बनाते हैं जो विद्युत का सुचालक और अनुचुंबकीय होता है। यह रंग अमोनियाकृत इलेक्ट्रॉन (ammoniated electron) के कारण होता है। सांद्र विलयन का रंग कांस्य (bronze) जैसा होता है और यह प्रतिचुंबकीय होता है।
M + (x+y)NH₃ → [M(NH₃)ₓ]⁺ + [e(NH₃)y]⁻ (अमोनियाकृत इलेक्ट्रॉन)
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लीथियम का असंगत व्यवहार: अपने छोटे आकार, उच्च ध्रुवण क्षमता, उच्च आयनन एन्थैल्पी और उच्च विद्युत ऋणात्मकता के कारण Li अपने वर्ग के अन्य सदस्यों से भिन्न व्यवहार दर्शाता है। जैसे: यह अधिक कठोर है, वायु में जलाने पर केवल मोनोऑक्साइड (Li₂O) बनाता है, नाइट्रोजन से सीधे क्रिया कर नाइट्राइड (Li₃N) बनाता है, इसके हैलाइड सहसंयोजी प्रकृति के होते हैं, LiHCO₃ ठोस अवस्था में नहीं पाया जाता।
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विकर्ण संबंध (Li तथा Mg): Li के गुण वर्ग 2 के मैग्नीशियम (Mg) से मिलते-जुलते हैं। कारण: समान आयनिक त्रिज्या और समान आवेश/त्रिज्या अनुपात (ध्रुवण क्षमता)। समानताएँ: दोनों कठोर हैं, जल से धीमी क्रिया करते हैं, ऑक्साइड व नाइट्राइड बनाते हैं, इनके कार्बोनेट गर्म करने पर विघटित होते हैं, हैलाइड सहसंयोजी होते हैं और एथेनॉल में विलेय हैं।
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सोडियम के कुछ महत्वपूर्ण यौगिक:
- सोडियम कार्बोनेट (धावन सोडा - Na₂CO₃·10H₂O):
- निर्माण: सॉल्वे प्रक्रम (अमोनिया-सोडा प्रक्रम) द्वारा। अमोनियाकृत ब्राइन (NaCl का संतृप्त जलीय विलयन) में CO₂ प्रवाहित करने पर पहले सोडियम हाइड्रोजनकार्बोनेट (NaHCO₃) अवक्षेपित होता है, जिसे गर्म करने पर सोडियम कार्बोनेट प्राप्त होता है।
NH₃ + H₂O + CO₂ → NH₄HCO₃
NaCl + NH₄HCO₃ → NaHCO₃(s) + NH₄Cl
2NaHCO₃ → Na₂CO₃ + H₂O + CO₂ - गुण: श्वेत क्रिस्टलीय ठोस, जल में विलेय, विलयन क्षारीय (जल-अपघटन के कारण)।
- उपयोग: जल के मृदुकरण, धुलाई, काँच, साबुन, बोरेक्स तथा कास्टिक सोडा के निर्माण में, कागज, पेंट तथा वस्त्र उद्योग में, प्रयोगशाला अभिकर्मक के रूप में।
- निर्माण: सॉल्वे प्रक्रम (अमोनिया-सोडा प्रक्रम) द्वारा। अमोनियाकृत ब्राइन (NaCl का संतृप्त जलीय विलयन) में CO₂ प्रवाहित करने पर पहले सोडियम हाइड्रोजनकार्बोनेट (NaHCO₃) अवक्षेपित होता है, जिसे गर्म करने पर सोडियम कार्बोनेट प्राप्त होता है।
- सोडियम क्लोराइड (साधारण नमक - NaCl): समुद्री जल या खारी झीलों से वाष्पीकरण द्वारा प्राप्त। उपयोग भोजन, परिरक्षक, Na₂CO₃, NaOH आदि के निर्माण में।
- सोडियम हाइड्रॉक्साइड (कास्टिक सोडा - NaOH):
- निर्माण: का्स्टनर-केल्नर सेल विधि (मरकरी कैथोड प्रक्रम) द्वारा NaCl के विद्युत-अपघटन से।
- गुण: श्वेत पारभासी ठोस, जल में अत्यधिक विलेय, प्रबल क्षार, त्वचा पर फफोले डालता है। वायुमंडलीय CO₂ को अवशोषित कर Na₂CO₃ बनाता है।
- उपयोग: साबुन, कागज, कृत्रिम रेशम (रेयॉन) के निर्माण में, पेट्रोलियम शोधन में, बॉक्साइट के शुद्धिकरण में, प्रयोगशाला अभिकर्मक के रूप में।
- सोडियम हाइड्रोजनकार्बोनेट (बेकिंग सोडा - NaHCO₃): सॉल्वे प्रक्रम में मध्यवर्ती के रूप में बनता है। Na₂CO₃ के जलीय विलयन में CO₂ प्रवाहित करने पर भी बनता है। उपयोग बेकिंग पाउडर बनाने में, पेट की अम्लता (एंटासिड) दूर करने में, अग्निशामक यंत्रों में।
- सोडियम कार्बोनेट (धावन सोडा - Na₂CO₃·10H₂O):
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सोडियम तथा पोटैशियम की जैविक महत्ता: Na⁺ आयन मुख्यतः बाह्यकोशिकीय द्रवों में पाए जाते हैं और तंत्रिका आवेगों के संचरण, कोशिका झिल्ली के आर-पार जल के प्रवाह के नियमन तथा शर्करा और अमीनो अम्लों के परिवहन में भाग लेते हैं। K⁺ आयन कोशिका के अंदर पाए जाने वाले मुख्य धनायन हैं, जो एंजाइमों को सक्रिय करते हैं, ग्लूकोस के ऑक्सीकरण से ATP उत्पादन में तथा तंत्रिका आवेगों के संचरण में भाग लेते हैं। सोडियम-पोटैशियम पम्प कोशिका झिल्लियों में आयनों का संतुलन बनाए रखता है।
वर्ग 2: क्षारीय मृदा धातुएँ (Alkaline Earth Metals)
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तत्व: बेरिलियम (Be), मैग्नीशियम (Mg), कैल्सियम (Ca), स्ट्रॉन्शियम (Sr), बेरियम (Ba) और रेडियम (Ra - रेडियोधर्मी)।
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इलेक्ट्रॉनिक विन्यास: बाह्यतम कोश का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास ns² होता है।
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परमाण्विक एवं आयनिक त्रिज्या: क्षार धातुओं से छोटी होती हैं। वर्ग में नीचे जाने पर बढ़ती हैं।
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आयनन एन्थैल्पी: क्षार धातुओं से अधिक होती है (छोटे आकार और पूर्ण भरे s-उपकोश के कारण)। वर्ग में नीचे जाने पर घटती है। द्वितीय आयनन एन्थैल्पी (IE₂) का मान प्रथम (IE₁) से काफी अधिक होता है, फिर भी ये +2 आयन बनाते हैं क्योंकि आयनों की उच्च जलयोजन एन्थैल्पी या जालक एन्थैल्पी इस ऊर्जा की क्षतिपूर्ति कर देती है।
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जलयोजन एन्थैल्पी: क्षार धातुओं के आयनों से अधिक होती है (छोटे आकार और अधिक आवेश के कारण)। वर्ग में नीचे जाने पर घटती है। Be²⁺ की जलयोजन एन्थैल्पी सर्वाधिक होती है।
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भौतिक गुण:
- ये भी चाँदी के समान श्वेत, परंतु क्षार धातुओं से कठोर होती हैं।
- घनत्व क्षार धातुओं से अधिक होता है। वर्ग में नीचे जाने पर सामान्यतः बढ़ता है (अपवाद: Ca का घनत्व Mg से कम)।
- गलनांक और क्वथनांक क्षार धातुओं से उच्च होते हैं, परन्तु वर्ग में नीचे जाने पर कोई निश्चित क्रम नहीं है (Be > Ca > Sr > Ba > Mg)।
- ज्वाला को विशिष्ट रंग प्रदान करते हैं (Be और Mg नहीं देते, क्योंकि इनके इलेक्ट्रॉन मजबूती से बंधे होते हैं)। Ca - ईंट जैसा लाल, Sr - किरमिजी लाल, Ba - सेब जैसा हरा।
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रासायनिक गुण:
- क्रियाशीलता: क्षार धातुओं से कम क्रियाशील होती हैं, परन्तु क्रियाशीलता वर्ग में नीचे जाने पर बढ़ती है।
- वायु से क्रिया: Be और Mg गतिज रूप से निष्क्रिय हैं (ऑक्साइड की परत बनने के कारण)। अन्य धातुएँ वायु से क्रिया कर ऑक्साइड (MO) और नाइट्राइड (M₃N₂) बनाती हैं।
- जल से क्रिया: Be जल से क्रिया नहीं करता। Mg गर्म जल से क्रिया करता है। Ca, Sr, Ba ठंडे जल से भी क्रिया कर हाइड्रोजन गैस मुक्त करते हैं तथा हाइड्रॉक्साइड बनाते हैं (M + 2H₂O → M(OH)₂ + H₂)।
- डाइहाइड्रोजन से क्रिया: Be को छोड़कर अन्य धातुएँ गर्म करने पर हाइड्रोजन से क्रिया कर हाइड्राइड (MH₂) बनाती हैं। BeH₂ सहसंयोजी होता है।
- हैलोजन से क्रिया: हैलोजन से तीव्रता से क्रिया कर हैलाइड (MX₂) बनाती हैं। BeX₂ मुख्यतः सहसंयोजी होता है।
- अपचायक प्रकृति: ये भी प्रबल अपचायक हैं, परन्तु क्षार धातुओं से दुर्बल। अपचायक क्षमता वर्ग में नीचे जाने पर बढ़ती है।
- द्रव अमोनिया में विलयन: क्षार धातुओं की तरह ही द्रव अमोनिया में घुलकर गहरे नीले रंग का विलयन बनाते हैं।
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बेरिलियम का असंगत व्यवहार: अपने अत्यंत छोटे आकार, उच्च आयनन एन्थैल्पी, उच्च विद्युत ऋणात्मकता और रिक्त d-कक्षकों की अनुपस्थिति के कारण Be अपने वर्ग के अन्य सदस्यों से भिन्न व्यवहार दर्शाता है। जैसे: यह अत्यधिक कठोर है, इसका गलनांक उच्च है, यह जल से क्रिया नहीं करता, इसके ऑक्साइड व हाइड्रॉक्साइड उभयधर्मी होते हैं (अन्य के क्षारीय), इसके यौगिक मुख्यतः सहसंयोजी होते हैं, यह अधिकतम 4 उपसहसंयोजन संख्या दर्शाता है (अन्य 6 दर्शा सकते हैं)।
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विकर्ण संबंध (Be तथा Al): Be के गुण वर्ग 13 के एल्युमिनियम (Al) से मिलते-जुलते हैं। कारण: समान आवेश/त्रिज्या अनुपात। समानताएँ: दोनों पर ऑक्साइड की रक्षक परत बनती है, दोनों के हाइड्रॉक्साइड उभयधर्मी हैं, दोनों के क्लोराइड सहसंयोजी और लुईस अम्ल हैं, दोनों कार्बाइड जल-अपघटन पर मेथेन देते हैं।
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कैल्सियम के कुछ महत्वपूर्ण यौगिक:
- कैल्सियम ऑक्साइड (बिना बुझा चूना - CaO): चूना पत्थर (CaCO₃) को उच्च ताप (1070-1270 K) पर गर्म करके बनाया जाता है (CaCO₃ ⇌ CaO + CO₂)। यह एक उत्क्रमणीय अभिक्रिया है, CO₂ को लगातार हटाना पड़ता है।
- गुण: श्वेत अक्रिस्टलीय ठोस, उच्च गलनांक, जल से क्रिया कर बुझा चूना (Ca(OH)₂) बनाता है और ऊष्मा निकलती है (चूने का बुझना)। अम्लीय ऑक्साइडों से क्रिया कर लवण बनाता है।
- उपयोग: सीमेंट का मुख्य घटक, शर्करा के शोधन में, सोडियम कार्बोनेट तथा कास्टिक सोडा बनाने में, रंजकों के निर्माण में।
- कैल्सियम हाइड्रॉक्साइड (बुझा चूना - Ca(OH)₂): CaO की जल से क्रिया द्वारा बनता है। यह श्वेत अक्रिस्टलीय चूर्ण है, जल में अल्प विलेय। इसके जलीय विलयन को 'चूने का पानी' तथा निलंबन को 'दूधिया चूना' कहते हैं। CO₂ प्रवाहित करने पर पहले CaCO₃ बनने से दूधिया हो जाता है, अधिक CO₂ प्रवाहित करने पर विलेय Ca(HCO₃)₂ बनने से दूधियापन समाप्त हो जाता है।
Ca(OH)₂ + CO₂ → CaCO₃(s) + H₂O
CaCO₃ + H₂O + CO₂ → Ca(HCO₃)₂(aq)- उपयोग: गारा (mortar) बनाने में, सफेदी करने में, चमड़ा शोधन में, शर्करा शोधन में, ब्लीचिंग पाउडर बनाने में।
- कैल्सियम सल्फेट (CaSO₄): प्रकृति में जिप्सम (CaSO₄·2H₂O) के रूप में पाया जाता है।
- प्लास्टर ऑफ पेरिस (POP - CaSO₄·½H₂O): जिप्सम को 393 K पर गर्म करने पर बनता है (2(CaSO₄·2H₂O) → 2(CaSO₄·½H₂O) + 3H₂O)। यदि 393 K से अधिक ताप पर गर्म किया जाए तो निर्जल CaSO₄ ('मृत तापित प्लास्टर') बनता है जिसकी जमने की क्षमता समाप्त हो जाती है।
- गुण: श्वेत चूर्ण, जल मिलाने पर पुनः जिप्सम बनकर कठोर हो जाता है।
- उपयोग: टूटी हड्डियों को जोड़ने के लिए प्लास्टर चढ़ाने में, मूर्तियाँ व सजावटी सामान बनाने में, दंत चिकित्सा में, भवन निर्माण में।
- कैल्सियम कार्बोनेट (CaCO₃): प्रकृति में चूना पत्थर, खड़िया, संगमरमर आदि के रूप में पाया जाता है। Ca(OH)₂ में CO₂ प्रवाहित करके या CaCl₂ में Na₂CO₃ मिलाकर बनाया जा सकता है।
- गुण: श्वेत ठोस, जल में अविलेय। गर्म करने पर (≈1200 K) CaO और CO₂ में विघटित हो जाता है। तनु अम्लों से क्रिया कर CO₂ देता है।
- उपयोग: संगमरमर के रूप में भवन निर्माण में, बुझे चूने, सीमेंट, धावन सोडा के निर्माण में, धातु कर्म में फ्लक्स के रूप में, टूथपेस्ट, च्यूइंग गम में, एंटासिड के रूप में।
- सीमेंट: यह कैल्सियम के सिलिकेटों और एलुमिनेटों का मिश्रण है। मुख्य घटक डाइकैल्सियम सिलिकेट (C₂S), ट्राइकैल्सियम सिलिकेट (C₃S) और ट्राइकैल्सियम एलुमिनेट (C₃A) हैं। पोर्टलैंड सीमेंट का औसत संघटन: CaO (50-60%), SiO₂ (20-25%), Al₂O₃ (5-10%), MgO (2-3%), Fe₂O₃ (1-2%) तथा SO₃ (1-2%)। सीमेंट का जमना एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें विभिन्न घटकों का जलयोजन और जेल बनना शामिल है।
- कैल्सियम ऑक्साइड (बिना बुझा चूना - CaO): चूना पत्थर (CaCO₃) को उच्च ताप (1070-1270 K) पर गर्म करके बनाया जाता है (CaCO₃ ⇌ CaO + CO₂)। यह एक उत्क्रमणीय अभिक्रिया है, CO₂ को लगातार हटाना पड़ता है।
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मैग्नीशियम तथा कैल्सियम की जैविक महत्ता: Mg²⁺ आयन क्लोरोफिल (पौधों में प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यक वर्णक) का मुख्य संघटक है। यह अनेक एंजाइमों (विशेषकर फॉस्फेट स्थानांतरण वाले, जैसे ATP) के कार्य के लिए आवश्यक है। Ca²⁺ आयन हड्डियों और दाँतों (हाइड्रॉक्सीएपेटाइट के रूप में) का मुख्य घटक है। यह रक्त का थक्का जमने, मांसपेशियों के संकुचन, तंत्रिका आवेग संचरण तथा कोशिका झिल्ली की अखंडता बनाए रखने के लिए आवश्यक है।
अभ्यास हेतु बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs):
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निम्नलिखित में से कौन सी क्षार धातु वायु में गर्म करने पर मुख्यतः सुपरऑक्साइड बनाती है?
(क) Li
(ख) Na
(ग) K
(घ) Mg -
क्षार धातुओं की जलयोजन एन्थैल्पी का सही क्रम है:
(क) Li⁺ > Na⁺ > K⁺ > Rb⁺
(ख) Rb⁺ > K⁺ > Na⁺ > Li⁺
(ग) Na⁺ > K⁺ > Rb⁺ > Li⁺
(घ) Li⁺ > Rb⁺ > K⁺ > Na⁺ -
सॉल्वे प्रक्रम का उपयोग किसके निर्माण के लिए किया जाता है?
(क) NaOH
(ख) Na₂CO₃
(ग) NaCl
(घ) NaHCO₃ (अंतिम उत्पाद के रूप में नहीं) -
निम्नलिखित में से किसका गलनांक उच्चतम होता है?
(क) Be
(ख) Mg
(ग) Ca
(घ) Sr -
कौन सी क्षारीय मृदा धातु ज्वाला परीक्षण नहीं देती है?
(क) Ca
(ख) Sr
(ग) Ba
(घ) Be -
प्लास्टर ऑफ पेरिस का रासायनिक सूत्र है:
(क) CaSO₄·2H₂O
(ग) CaSO₄·½H₂O
(ख) CaSO₄
(घ) 2CaSO₄·H₂O -
लीथियम और मैग्नीशियम के बीच विकर्ण संबंध का कारण है:
(क) समान विद्युत ऋणात्मकता
(ख) समान आयनन एन्थैल्पी
(ग) समान आवेश/त्रिज्या अनुपात
(घ) समान इलेक्ट्रॉनिक विन्यास -
द्रव अमोनिया में क्षार धातु का नीला रंग किसके कारण होता है?
(क) अमोनियाकृत धातु आयन
(ख) अमोनियाकृत इलेक्ट्रॉन
(ग) धातु परमाणु
(घ) अमोनिया अणु -
निम्नलिखित में से कौन सा हाइड्रॉक्साइड उभयधर्मी प्रकृति का है?
(क) NaOH
(ख) Mg(OH)₂
(ग) Be(OH)₂
(घ) Ca(OH)₂ -
क्लोरोफिल में उपस्थित धातु आयन है:
(क) Ca²⁺
(ख) Mg²⁺
(ग) Fe²⁺
(घ) K⁺
उत्तर कुंजी:
- (ग) K (K, Rb, Cs सुपरऑक्साइड बनाते हैं)
- (क) Li⁺ > Na⁺ > K⁺ > Rb⁺ (आयनिक आकार बढ़ने पर जलयोजन एन्थैल्पी घटती है)
- (ख) Na₂CO₃
- (क) Be (वर्ग 2 में गलनांक का क्रम अनियमित है, Be का सर्वाधिक)
- (घ) Be (और Mg भी, छोटे आकार और उच्च आयनन एन्थैल्पी के कारण इलेक्ट्रॉन उत्तेजित नहीं होते)
- (ग) CaSO₄·½H₂O (इसे 2CaSO₄·H₂O भी लिखा जाता है)
- (ग) समान आवेश/त्रिज्या अनुपात (या समान ध्रुवण क्षमता)
- (ख) अमोनियाकृत इलेक्ट्रॉन
- (ग) Be(OH)₂ (Be और Al के हाइड्रॉक्साइड उभयधर्मी होते हैं)
- (ख) Mg²⁺
इन नोट्स का अच्छी तरह अध्ययन करें और दिए गए प्रश्नों का अभ्यास करें। यह आपकी परीक्षा की तैयारी में सहायक होगा। शुभकामनाएँ!