Class 11 Chemistry Notes Chapter 15 (Chapter 15) – Examplar Problems (Hindi) Book

नमस्ते विद्यार्थियों।
आज हम रसायन विज्ञान के एक बहुत ही महत्वपूर्ण अध्याय - अध्याय 15: हाइड्रोकार्बन - का अध्ययन करेंगे। यह अध्याय सरकारी परीक्षाओं की तैयारी के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि कार्बनिक रसायन की समझ यहीं से विकसित होती है। हम NCERT Exemplar में दिए गए अवधारणाओं और प्रश्नों को ध्यान में रखते हुए इसके विस्तृत नोट्स देखेंगे।
अध्याय 15: हाइड्रोकार्बन (Hydrocarbons)
परिचय:
हाइड्रोकार्बन केवल कार्बन (C) और हाइड्रोजन (H) से बने कार्बनिक यौगिक होते हैं। ये कार्बनिक रसायन विज्ञान का आधार हैं। इन्हें मुख्य रूप से उनकी संरचना और बंधन के प्रकार के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है।
वर्गीकरण:
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विवृत श्रृंखला (एलिफैटिक) हाइड्रोकार्बन (Acyclic/Aliphatic Hydrocarbons):
- संतृप्त हाइड्रोकार्बन (ऐल्केन - Alkanes): इनमें कार्बन-कार्बन एकल बंध (C-C) होते हैं। सामान्य सूत्र C<0xE2><0x82><0x99>H₂<0xE2><0x82><0x99>₊₂ है। उदाहरण: मेथेन (CH₄), एथेन (C₂H₆)। इन्हें पैराफिन (Paraffins - कम क्रियाशील) भी कहते हैं।
- असंतृप्त हाइड्रोकार्बन (Unsaturated Hydrocarbons): इनमें कार्बन-कार्बन द्वि-बंध (C=C) या त्रि-बंध (C≡C) होते हैं।
- ऐल्कीन (Alkenes): कम से कम एक कार्बन-कार्बन द्वि-बंध होता है। सामान्य सूत्र C<0xE2><0x82><0x99>H₂<0xE2><0x82><0x99> है। उदाहरण: एथीन (C₂H₄), प्रोपीन (C₃H₆)। इन्हें ओलिफिन (Olefins) भी कहते हैं।
- ऐल्काइन (Alkynes): कम से कम एक कार्बन-कार्बन त्रि-बंध होता है। सामान्य सूत्र C<0xE2><0x82><0x99>H₂<0xE2><0x82><0x99>₋₂ है। उदाहरण: एथाइन (C₂H₂), प्रोपाइन (C₃H₄)।
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संवृत श्रृंखला या चक्रीय हाइड्रोकार्बन (Closed Chain/Cyclic Hydrocarbons):
- ऐलिसाइक्लिक हाइड्रोकार्बन (Alicyclic Hydrocarbons): ये चक्रीय होते हैं लेकिन गुण एलिफैटिक हाइड्रोकार्बन जैसे होते हैं। उदाहरण: साइक्लोप्रोपेन, साइक्लोहेक्सेन, साइक्लोहेक्सीन।
- ऐरोमैटिक हाइड्रोकार्बन (Aromatic Hydrocarbons): इनमें विशेष स्थायित्व और गुण होते हैं, जिन्हें ऐरोमैटिकता कहते हैं। इनमें सामान्यतः बेंजीन वलय (Benzene ring) होती है। उदाहरण: बेंजीन (C₆H₆), टॉलूईन (C₆H₅CH₃), नैफ़्थैलीन।
I. ऐल्केन (Alkanes)
- संरचना: कार्बन sp³ संकरित होता है, चतुष्फलकीय ज्यामिति, बंध कोण ≈ 109.5°।
- नामपद्धति (Nomenclature): IUPAC नियमों का पालन किया जाता है।
- समावयवता (Isomerism):
- श्रृंखला समावयवता: कार्बन श्रृंखला में भिन्नता (जैसे, n-ब्यूटेन और आइसोब्यूटेन)।
- संरुपण समावयवता (Conformational Isomerism): C-C एकल बंध के परितः घूर्णन से उत्पन्न विभिन्न त्रिविम व्यवस्थाएँ (जैसे, एथेन के सांतरित (staggered) और ग्रस्त (eclipsed) संरूपण)। सांतरित रूप अधिक स्थायी होता है। साइक्लोहेक्सेन में कुर्सी (chair) और नौका (boat) संरूपण होते हैं, जिनमें कुर्सी रूप अधिक स्थायी होता है।
- विरचन की विधियाँ (Methods of Preparation):
- असंतृप्त हाइड्रोकार्बन के हाइड्रोजनीकरण द्वारा (H₂/Ni, Pt या Pd)।
- ऐल्किल हैलाइडों के अपचयन द्वारा (Zn/HCl, LiAlH₄ आदि)।
- वुर्ट्ज़ अभिक्रिया (Wurtz Reaction): ऐल्किल हैलाइड की सोडियम (Na) के साथ शुष्क ईथर में अभिक्रिया (सम संख्या वाले कार्बन के ऐल्केन बनाने के लिए उत्तम)।
- कार्बोक्सिलिक अम्लों से:
- विकोर्बोक्सिलीकरण (Decarboxylation): सोडियम लवण को सोडालाइम (NaOH + CaO) के साथ गर्म करने पर।
- कोल्बे वैद्युतअपघटन (Kolbe's Electrolysis): कार्बोक्सिलिक अम्ल के सोडियम या पोटैशियम लवण के जलीय विलयन का वैद्युतअपघटन।
- भौतिक गुण: अध्रुवीय, जल में अविलेय, कार्बनिक विलायकों में विलेय। अणुभार बढ़ने पर क्वथनांक बढ़ता है। शाखन बढ़ने पर पृष्ठीय क्षेत्रफल कम होने से क्वथनांक घटता है।
- रासायनिक गुण:
- प्रतिस्थापन अभिक्रियाएँ (Substitution Reactions):
- हैलोजनीकरण (Halogenation): सूर्य के प्रकाश या उच्च ताप पर Cl₂ या Br₂ से मुक्त मूलक क्रियाविधि द्वारा अभिक्रिया। (क्रियाविधि महत्वपूर्ण है: श्रृंखला प्रारंभन, संचरण, समापन पद)।
- दहन (Combustion): वायु या ऑक्सीजन में जलकर CO₂ और H₂O बनाते हैं तथा ऊष्मा उत्पन्न करते हैं।
- नियंत्रित ऑक्सीकरण: उत्प्रेरकों की उपस्थिति में ऐल्कोहॉल, ऐल्डिहाइड या कार्बोक्सिलिक अम्ल बनते हैं।
- समावयवीकरण (Isomerization): निर्जल AlCl₃/HCl की उपस्थिति में गर्म करने पर अशाखित ऐल्केन शाखित ऐल्केन में बदलते हैं।
- ऐरोमैटीकरण (Aromatization): 6 या अधिक कार्बन वाले ऐल्केन उच्च ताप व उत्प्रेरक (Cr₂O₃, V₂O₅, Mo₂O₃) पर बेंजीन या उसके व्युत्पन्न बनाते हैं।
- ताप अपघटन (Pyrolysis) या भंजन (Cracking): उच्च ताप पर बड़े अणु वाले हाइड्रोकार्बन छोटे अणुओं (ऐल्केन, ऐल्कीन) में टूट जाते हैं।
- प्रतिस्थापन अभिक्रियाएँ (Substitution Reactions):
II. ऐल्कीन (Alkenes)
- संरचना: द्वि-बंध वाले कार्बन sp² संकरित होते हैं, त्रिकोणीय समतलीय ज्यामिति, बंध कोण ≈ 120°। C=C बंध में एक सिग्मा (σ) और एक पाई (π) बंध होता है। पाई बंध दुर्बल होता है।
- नामपद्धति: जनक श्रृंखला में द्वि-बंध शामिल होना चाहिए, अंकन उधर से करते हैं जिधर से द्वि-बंध निकट हो। अनुलग्न '-ईन' (-ene) लगाते हैं।
- समावयवता:
- श्रृंखला समावयवता: जैसे, ब्यूट-1-ईन और 2-मेथिलप्रोप-1-ईन।
- स्थान समावयवता: द्वि-बंध की स्थिति में भिन्नता (जैसे, ब्यूट-1-ईन और ब्यूट-2-ईन)।
- ज्यामितीय (सिस-ट्रांस) समावयवता (Geometrical Isomerism): द्वि-बंधित कार्बन परमाणुओं से जुड़े समूहों की भिन्न व्यवस्था के कारण। सिस (cis) में समान समूह एक तरफ, ट्रांस (trans) में विपरीत तरफ होते हैं। यह प्रतिबंधित घूर्णन के कारण होती है।
- विरचन की विधियाँ:
- ऐल्काइनों के आंशिक हाइड्रोजनीकरण द्वारा (लिंडलार उत्प्रेरक - सिस-ऐल्कीन; Na/द्रव NH₃ (बिर्च अपचयन) - ट्रांस-ऐल्कीन)।
- ऐल्किल हैलाइडों के विहाइड्रोहैलोजनीकरण (Dehydrohalogenation) द्वारा (ऐल्कोहॉलीय KOH के साथ गर्म करने पर, सेट्जेफ नियम (Saytzeff's rule) लागू होता है - अधिक प्रतिस्थापित ऐल्कीन मुख्य उत्पाद होता है)।
- विसिनल डाइहैलाइड (Vicinal dihalides) के विहैलोजनीकरण द्वारा (Zn चूर्ण के साथ)।
- ऐल्कोहॉलों के निर्जलीकरण (Dehydration) द्वारा (सांद्र H₂SO₄ या Al₂O₃ के साथ गर्म करने पर, सेट्जेफ नियम लागू)।
- भौतिक गुण: ऐल्केन के समान।
- रासायनिक गुण (मुख्यतः इलेक्ट्रॉनस्नेही योगात्मक अभिक्रियाएँ - Electrophilic Addition Reactions): पाई (π) इलेक्ट्रॉन अभ्र की उपस्थिति के कारण।
- डाइहाइड्रोजन का योग (Addition of H₂): हाइड्रोजनीकरण (ऐल्केन बनते हैं)।
- हैलोजनों का योग (Addition of X₂): विसिनल डाइहैलाइड बनते हैं। (Br₂ जल का रंग उड़ना असंतृप्तता का परीक्षण है)।
- हाइड्रोजन हैलाइडों का योग (Addition of HX): ऐल्किल हैलाइड बनते हैं। मार्कोनीकॉफ नियम (Markovnikov's Rule) लागू होता है - अभिकर्मक का ऋणात्मक भाग उस द्वि-बंधित कार्बन से जुड़ता है जिस पर हाइड्रोजन परमाणुओं की संख्या कम होती है। (क्रियाविधि: कार्बधनायन मध्यवर्ती)।
- परॉक्साइड प्रभाव या खैराश प्रभाव (Peroxide/Kharasch Effect): केवल HBr के योग में परॉक्साइड की उपस्थिति में योग एंटी-मार्कोनीकॉफ नियम (Anti-Markovnikov's rule) के अनुसार होता है (मुक्त मूलक क्रियाविधि)।
- जल का योग (Addition of H₂O): अम्ल उत्प्रेरक की उपस्थिति में ऐल्कोहॉल बनते हैं (मार्कोनीकॉफ नियम)।
- ऑक्सीकरण (Oxidation):
- ठंडे, तनु, क्षारीय KMnO₄ (बेयर अभिकर्मक - Baeyer's reagent) से - विसिनल डाइऑल (ग्लाइकॉल) बनते हैं (असंतृप्तता का परीक्षण - गुलाबी रंग उड़ जाता है)।
- अम्लीय या प्रबल क्षारीय KMnO₄ से - कीटोनों या अम्लों में विदलन।
- ओजोनी अपघटन (Ozonolysis): O₃ से क्रिया के बाद Zn/H₂O से अपचयन पर ऐल्डिहाइड या कीटोन बनते हैं। यह द्वि-बंध की स्थिति ज्ञात करने में महत्वपूर्ण है।
- बहुलकीकरण (Polymerization): उच्च ताप व दाब पर उत्प्रेरक की उपस्थिति में छोटे ऐल्कीन अणु जुड़कर बहुलक (जैसे पॉलीथीन) बनाते हैं।
III. ऐल्काइन (Alkynes)
- संरचना: त्रि-बंध वाले कार्बन sp संकरित होते हैं, रैखिक ज्यामिति, बंध कोण 180°। C≡C बंध में एक सिग्मा (σ) और दो पाई (π) बंध होते हैं।
- नामपद्धति: जनक श्रृंखला में त्रि-बंध शामिल, अंकन त्रि-बंध की निकटता से, अनुलग्न '-आइन' (-yne)।
- समावयवता: श्रृंखला, स्थान और क्रियात्मक समूह समावयवता (ऐल्काडाईन के साथ)। ज्यामितीय समावयवता नहीं दर्शाते।
- विरचन की विधियाँ:
- कैल्सियम कार्बाइड (CaC₂) से (जल के साथ क्रिया द्वारा एथाइन)।
- विसिनल डाइहैलाइडों के विहाइड्रोहैलोजनीकरण द्वारा (पहले ऐल्कोहॉलीय KOH, फिर सोडामाइड NaNH₂)।
- भौतिक गुण: प्रथम तीन सदस्य गैस, अगले आठ द्रव, उच्चतर ठोस। अध्रुवीय, जल में अविलेय।
- रासायनिक गुण:
- अम्लीय प्रकृति (Acidic Character): केवल टर्मिनल ऐल्काइन (जिनमें ≡C-H बंध हो) sp संकरित कार्बन की उच्च विद्युत ऋणात्मकता के कारण अम्लीय हाइड्रोजन दर्शाते हैं। ये प्रबल क्षारों (जैसे NaNH₂) और टॉलेन अभिकर्मक या अमोनियामय क्यूप्रस क्लोराइड से अभिक्रिया करते हैं।
- योगात्मक अभिक्रियाएँ: ऐल्कीन की तरह, दो पदों में हो सकती हैं।
- H₂, X₂, HX का योग (मार्कोनीकॉफ नियम लागू)।
- जल का योग (HgSO₄/तनु H₂SO₄ की उपस्थिति में, कुचेरोव अभिक्रिया - Kucherov reaction) - पहले इनॉल बनता है जो चलावयवता द्वारा कीटोन (या केवल एथाइन से ऐल्डिहाइड) में बदल जाता है।
- बहुलकीकरण:
- रैखिक बहुलकीकरण (जैसे, एथाइन से पॉलीएथाइन)।
- चक्रीय बहुलकीकरण (जैसे, एथाइन को रक्त तप्त लोहे की नली से गुजारने पर बेंजीन बनता है)।
IV. ऐरोमैटिक हाइड्रोकार्बन (Aromatic Hydrocarbons)
- ऐरोमैटिकता (Aromaticity): विशेष स्थायित्व का गुण। शर्तें (ह्यूकेल नियम - Hückel's Rule):
- चक्रीय (Cyclic)
- समतलीय (Planar)
- पूर्ण संयुग्मन (Complete conjugation - वलय में π इलेक्ट्रॉन विस्थानिकृत हों)
- (4n + 2) π इलेक्ट्रॉन हों, जहाँ n = 0, 1, 2, ... (पूर्णांक)।
- बेंजीन (Benzene):
- संरचना: षट्कोणीय समतलीय वलय, सभी C-C बंध लंबाई समान (एकल और द्वि-बंध के मध्य की), अनुनाद (Resonance) दर्शाता है। सभी कार्बन sp² संकरित।
- विरचन:
- एथाइन के चक्रीय बहुलकीकरण द्वारा।
- ऐरोमैटिक अम्लों के विकोर्बोक्सिलीकरण द्वारा।
- फीनॉल के अपचयन द्वारा (Zn चूर्ण के साथ)।
- रासायनिक गुण (मुख्यतः इलेक्ट्रॉनस्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रियाएँ - Electrophilic Substitution Reactions):
- क्रियाविधि: 3 पद - (i) इलेक्ट्रॉनस्नेही (Electrophile, E⁺) का निर्माण, (ii) कार्बधनायन (सिग्मा संकुल) मध्यवर्ती का बनना (अनुनाद स्थायी), (iii) प्रोटॉन (H⁺) का विलोपन।
- नाइट्रीकरण (Nitration): सांद्र HNO₃ + सांद्र H₂SO₄ (नाइट्रोबेंजीन)। इलेक्ट्रॉनस्नेही: NO₂⁺ (नाइट्रोनियम आयन)।
- हैलोजनीकरण (Halogenation): X₂ + निर्जल AlCl₃/FeCl₃/FeBr₃ (हैलोजनवाहक) (क्लोरोबेंजीन/ब्रोमोबेंजीन)। इलेक्ट्रॉनस्नेही: Cl⁺, Br⁺।
- सल्फोनीकरण (Sulphonation): सधूम H₂SO₄ (फ्यूमिंग सल्फ्यूरिक अम्ल) (बेंजीनसल्फोनिक अम्ल)। इलेक्ट्रॉनस्नेही: SO₃। यह उत्क्रमणीय अभिक्रिया है।
- फ्रीडेल-क्राफ्ट्स ऐल्किलीकरण (Friedel-Crafts Alkylation): R-X + निर्जल AlCl₃ (ऐल्किलबेंजीन)। इलेक्ट्रॉनस्नेही: R⁺ (कार्बधनायन)। सीमाएँ: पुनर्विन्यास संभव, प्रबल निष्क्रियक समूह होने पर अभिक्रिया नहीं होती, पॉलीऐल्किलीकरण संभव।
- फ्रीडेल-क्राफ्ट्स ऐसीलीकरण (Friedel-Crafts Acylation): RCOCl या (RCO)₂O + निर्जल AlCl₃ (ऐसिलबेंजीन/कीटोन)। इलेक्ट्रॉनस्नेही: RCO⁺ (ऐसीलियम आयन)। पुनर्विन्यास नहीं होता।
- एकल प्रतिस्थापित बेंजीन में द्वितीय प्रतिस्थापन की दिशिक प्रकृति (Directive Influence of Substituents):
- सक्रियणकारी (Activating) और ऑर्थो-, पैरा- निर्देशक समूह (Ortho-, Para- directing): ये समूह बेंजीन वलय को इलेक्ट्रॉनस्नेही प्रतिस्थापन के प्रति सक्रिय करते हैं और आने वाले समूह को ऑर्थो (o-) व पैरा (p-) स्थितियों पर निर्देशित करते हैं। उदाहरण: -OH, -NH₂, -NHR, -NR₂, -OCH₃, -CH₃, -C₂H₅ आदि। (ये +R या +I प्रभाव द्वारा वलय में इलेक्ट्रॉन घनत्व बढ़ाते हैं)।
- निष्क्रियणकारी (Deactivating) और मेटा- निर्देशक समूह (Meta- directing): ये समूह वलय को निष्क्रिय करते हैं और आने वाले समूह को मेटा (m-) स्थिति पर निर्देशित करते हैं। उदाहरण: -NO₂, -CN, -CHO, -COR, -COOH, -COOR, -SO₃H आदि। (ये -R या -I प्रभाव द्वारा वलय से इलेक्ट्रॉन घनत्व खींचते हैं)।
- अपवाद - हैलोजन (Halogens): ये निष्क्रियणकारी (-I प्रभाव > +R प्रभाव) होते हैं, परन्तु अनुनाद (+R प्रभाव) के कारण ऑर्थो-, पैरा- निर्देशक होते हैं।
- कैंसरजन्य गुण (Carcinogenicity) और विषाक्तता (Toxicity): कुछ पॉलीसाइक्लिक ऐरोमैटिक हाइड्रोकार्बन (जैसे बेंजो(a)पाइरीन) कैंसरजन्य होते हैं।
परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण बिंदु:
- सभी नाम अभिक्रियाएँ (वुर्ट्ज़, कोल्बे, फ्रीडेल-क्राफ्ट्स आदि) और उनकी क्रियाविधि।
- मार्कोनीकॉफ और एंटी-मार्कोनीकॉफ नियम (कारण सहित)।
- सेट्जेफ नियम।
- ऐल्कीन/ऐल्काइन की संरचना निर्धारण में ओजोनी अपघटन का अनुप्रयोग।
- संरुपण समावयवता (एथेन, साइक्लोहेक्सेन) और उनका स्थायित्व।
- ज्यामितीय समावयवता की शर्तें और उदाहरण।
- ऐरोमैटिकता (ह्यूकेल नियम) की पहचान।
- बेंजीन में इलेक्ट्रॉनस्नेही प्रतिस्थापन की क्रियाविधि।
- प्रतिस्थापियों का दिशिक प्रभाव (ऑर्थो/पैरा/मेटा निर्देशन) और उसका कारण (इलेक्ट्रॉनिक प्रभाव)।
- असंतृप्तता के परीक्षण (Br₂ जल, बेयर अभिकर्मक)।
- टर्मिनल ऐल्काइन की अम्लीय प्रकृति।
अभ्यास हेतु बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs):
प्रश्न 1: निम्न में से कौन सा यौगिक ज्यामितीय समावयवता प्रदर्शित करेगा?
(क) ब्यूट-1-ईन
(ख) 2-मेथिलप्रोप-1-ईन
(ग) ब्यूट-2-ईन
(घ) 2-मेथिलब्यूट-2-ईन
प्रश्न 2: प्रोपीन की HBr के साथ परॉक्साइड की उपस्थिति में अभिक्रिया का मुख्य उत्पाद क्या है?
(क) 1-ब्रोमोप्रोपेन
(ख) 2-ब्रोमोप्रोपेन
(ग) 1,2-डाइब्रोमोप्रोपेन
(घ) 2,2-डाइब्रोमोप्रोपेन
प्रश्न 3: रक्त तप्त लोहे की नली से एथाइन गैस प्रवाहित करने पर प्राप्त होता है:
(क) एथेन
(ख) बेंजीन
(ग) एथीन
(घ) पॉलीएथाइन
प्रश्न 4: निम्न में से कौन सा समूह बेंजीन वलय को इलेक्ट्रॉनस्नेही प्रतिस्थापन के प्रति निष्क्रिय करता है परन्तु ऑर्थो-, पैरा- निर्देशक है?
(क) -OH
(ख) -CH₃
(ग) -NO₂
(घ) -Cl
प्रश्न 5: ऐल्केन के हैलोजनीकरण की क्रियाविधि होती है:
(क) इलेक्ट्रॉनस्नेही प्रतिस्थापन
(ख) नाभिकस्नेही प्रतिस्थापन
(ग) मुक्त मूलक प्रतिस्थापन
(घ) इलेक्ट्रॉनस्नेही योगात्मक
प्रश्न 6: ओजोनी अपघटन पर एक ऐल्कीन केवल प्रोपेनोन (एसीटोन) देती है। ऐल्कीन है:
(क) प्रोपीन
(ख) ब्यूट-2-ईन
(ग) 2-मेथिलप्रोप-1-ईन
(घ) 2,3-डाइमेथिलब्यूट-2-ईन
प्रश्न 7: निम्न में से कौन ह्यूकेल के (4n+2)π इलेक्ट्रॉन नियम का पालन करता है?
(क) साइक्लोब्यूटाडाईन
(ख) साइक्लोऑक्टाटेट्राईन
(ग) बेंजीन
(घ) साइक्लोपेंटाडाईन
प्रश्न 8: वुर्ट्ज़ अभिक्रिया द्वारा निम्न में से कौन सा ऐल्केन दक्षतापूर्वक नहीं बनाया जा सकता?
(क) n-ब्यूटेन
(ख) n-हेक्सेन
(ग) 2,3-डाइमेथिलब्यूटेन
(घ) n-हेप्टेन
प्रश्न 9: एथाइन की अम्लीय प्रकृति का कारण है:
(क) sp³ संकरित कार्बन
(ख) sp² संकरित कार्बन
(ग) sp संकरित कार्बन की उच्च विद्युत ऋणात्मकता
(घ) सिग्मा बंध की उपस्थिति
प्रश्न 10: मार्कोनीकॉफ नियम किसके योग पर लागू नहीं होता है?
(क) HCl का प्रोपीन पर
(ख) HBr का प्रोपीन पर परॉक्साइड की उपस्थिति में
(ग) H₂O का प्रोपीन पर अम्ल की उपस्थिति में
(घ) HBr का ब्यूट-1-ईन पर
उत्तर कुंजी:
- (ग)
- (क)
- (ख)
- (घ)
- (ग)
- (घ)
- (ग)
- (घ) (विषम संख्या कार्बन वाले ऐल्केन मिश्रण देते हैं)
- (ग)
- (ख) (यहाँ एंटी-मार्कोनीकॉफ नियम लगता है)
इन नोट्स का अच्छी तरह से अध्ययन करें और दिए गए प्रश्नों को हल करने का प्रयास करें। कोई शंका हो तो अवश्य पूछें। शुभकामनाएँ!