Class 11 Chemistry Notes Chapter 2 (Chapter 2) – Lab Manual (Hindi) Book

Lab Manual (Hindi)
नमस्ते विद्यार्थियों।

आज हम कक्षा 11 की रसायन विज्ञान प्रयोगशाला पुस्तिका के अध्याय 2, 'मूलभूत प्रयोगशाला तकनीकें (Basic Laboratory Techniques)' के अंतर्गत आने वाले कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे, जो आपकी सरकारी परीक्षाओं की तैयारी में सहायक होंगे। इस अध्याय में मुख्य रूप से पदार्थों के अभिलक्षणन और शुद्धिकरण की तकनीकों पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

अध्याय 2: पदार्थों का अभिलक्षणन एवं शुद्धिकरण (Characterization and Purification of Chemical Substances)

इस अध्याय की मुख्य तकनीकें हैं:

  1. कार्बनिक यौगिक का गलनांक निर्धारण (Determination of Melting Point of an Organic Compound)
  2. कार्बनिक यौगिक का क्वथनांक निर्धारण (Determination of Boiling Point of an Organic Compound)
  3. क्रिस्टलीकरण द्वारा अशुद्ध नमूने का शुद्धिकरण (Purification of Impure Sample by Crystallization)

आइये, इन तकनीकों को विस्तार से समझें:

1. गलनांक निर्धारण (Melting Point Determination)

  • परिभाषा: गलनांक वह निश्चित तापमान होता है जिस पर कोई ठोस पदार्थ अपनी ठोस अवस्था से द्रव अवस्था में परिवर्तित होता है (वायुमंडलीय दाब पर)। शुद्ध क्रिस्टलीय ठोसों का गलनांक निश्चित एवं तीक्ष्ण (sharp) होता है, अर्थात वे एक बहुत छोटे ताप परिसर (0.5-1°C) में पिघलते हैं।
  • महत्व:
    • शुद्धता की जाँच: किसी ठोस यौगिक का गलनांक उसकी शुद्धता का एक महत्वपूर्ण मापदंड है। अशुद्धियों की उपस्थिति में गलनांक कम हो जाता है और उसका परिसर (range) बढ़ जाता है। उदाहरण के लिए, यदि शुद्ध नैफ्थलीन का गलनांक 80°C है, तो अशुद्ध नैफ्थलीन 76-79°C जैसे कम और विस्तृत परिसर में पिघलेगा।
    • पहचान: यदि किसी अज्ञात यौगिक का गलनांक किसी ज्ञात यौगिक के गलनांक के समान आता है, तो यह उसकी पहचान में सहायक हो सकता है (हालांकि यह एकमात्र प्रमाण नहीं है)। मिश्रित गलनांक (Mixed melting point) तकनीक पहचान की पुष्टि में मदद करती है।
  • सिद्धांत: पदार्थ को धीरे-धीरे गर्म किया जाता है और उस तापमान को नोट किया जाता है जिस पर वह पिघलना शुरू करता है और जिस तापमान पर वह पूरी तरह पिघल जाता है।
  • विधि (संक्षेप में):
    • पदार्थ का महीन चूर्ण बनाकर केशिका नली (capillary tube) में भरते हैं।
    • केशिका नली को थर्मामीटर के साथ बांधकर थिले ट्यूब (Thiele's tube) या गलनांक उपकरण में रखते हैं, जिसमें उपयुक्त द्रव (जैसे पैराफिन तेल या सल्फ्यूरिक एसिड) होता है।
    • उपकरण को धीरे-धीरे गर्म करते हैं (ताप वृद्धि दर 1-2°C प्रति मिनट होनी चाहिए)।
    • तापमान नोट करते हैं जब पदार्थ पिघलना शुरू होता है (T1) और जब पूरी तरह पिघल जाता है (T2)। गलनांक परिसर T1-T2 होता है।
  • सावधानियां:
    • पदार्थ महीन चूर्ण होना चाहिए और केशिका नली में अच्छी तरह भरा होना चाहिए।
    • धीरे-धीरे और समान रूप से गर्म करना चाहिए।
    • थर्मामीटर का बल्ब और केशिका नली का निचला सिरा एक ही स्तर पर होना चाहिए।
    • तापमान नोट करते समय आँख का स्तर थर्मामीटर के पारे के स्तर पर होना चाहिए।

2. क्वथनांक निर्धारण (Boiling Point Determination)

  • परिभाषा: क्वथनांक वह निश्चित तापमान होता है जिस पर किसी द्रव का वाष्प दाब (vapour pressure) बाहरी वायुमंडलीय दाब के बराबर हो जाता है। इस ताप पर द्रव उबलने लगता है। शुद्ध द्रवों का क्वथनांक निश्चित होता है (दिए गए दाब पर)।
  • महत्व:
    • शुद्धता की जाँच: शुद्ध द्रव एक निश्चित तापमान पर उबलते हैं। अवाष्पशील (non-volatile) अशुद्धियों की उपस्थिति में द्रव का क्वथनांक बढ़ जाता है। वाष्पशील (volatile) अशुद्धियों की उपस्थिति में क्वथनांक बदल सकता है (बढ़ या घट सकता है)।
    • पहचान: किसी द्रव का क्वथनांक उसकी पहचान का एक महत्वपूर्ण गुण है।
  • सिद्धांत: द्रव को गर्म करने पर उसका वाष्प दाब बढ़ता है। जब वाष्प दाब वायुमंडलीय दाब के बराबर हो जाता है, तो द्रव उबलने लगता है।
  • विधि (संक्षेप में - केशिका नली विधि):
    • थोड़ी मात्रा में द्रव को एक छोटी परखनली (fusion tube) में लेते हैं।
    • एक केशिका नली को एक सिरे से बंद करके उल्टी करके द्रव में डुबो देते हैं।
    • इस परखनली को थर्मामीटर के साथ बांधकर थिले ट्यूब या क्वथनांक उपकरण में रखते हैं।
    • धीरे-धीरे गर्म करते हैं। केशिका नली के खुले सिरे से हवा के बुलबुले निकलते हैं।
    • जब बुलबुलों का निकलना बंद हो जाता है और द्रव केशिका नली में ऊपर चढ़ना शुरू करता है, उस समय का तापमान ही द्रव का क्वथनांक होता है।
  • दाब का प्रभाव: बाहरी दाब बदलने पर क्वथनांक बदल जाता है। दाब बढ़ने पर क्वथनांक बढ़ता है और दाब कम होने पर क्वथनांक घटता है। इसलिए क्वथनांक बताते समय दाब का उल्लेख करना आवश्यक होता है (मानक क्वथनांक 1 atm दाब पर मापा जाता है)।
  • सावधानियां:
    • धीरे-धीरे और समान रूप से गर्म करना चाहिए।
    • केशिका नली का बंद सिरा ऊपर और खुला सिरा द्रव में डूबा होना चाहिए।
    • तापमान सही ढंग से नोट करना चाहिए जब द्रव केशिका में चढ़ना शुरू करे।
    • वायुमंडलीय दाब नोट करना चाहिए यदि मानक क्वथनांक से तुलना करनी हो।

3. क्रिस्टलीकरण (Crystallization)

  • परिभाषा: क्रिस्टलीकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा किसी अशुद्ध ठोस कार्बनिक यौगिक को उपयुक्त विलायक (solvent) में घोलकर उसके शुद्ध क्रिस्टल प्राप्त किए जाते हैं।
  • सिद्धांत: यह विधि इस तथ्य पर आधारित है कि अधिकांश ठोस पदार्थों की विलेयता (solubility) तापमान बढ़ाने पर बढ़ती है। साथ ही, अशुद्धियाँ या तो उस विलायक में बहुत अधिक विलेय होती हैं या बहुत कम विलेय होती हैं।
  • प्रक्रिया के चरण:
    1. उपयुक्त विलायक का चयन: ऐसा विलायक चुनें जिसमें यौगिक कमरे के ताप पर कम विलेय हो परन्तु उच्च ताप (विलायक के क्वथनांक के पास) पर अधिक विलेय हो। विलायक यौगिक से रासायनिक क्रिया न करे और आसानी से हटाया जा सके। अशुद्धियाँ या तो अविलेय हों (जिन्हें गर्म छानकर हटाया जा सके) या अत्यधिक विलेय हों (जो ठंडा करने पर विलयन में ही रहें)।
    2. विलयन बनाना: यौगिक की न्यूनतम मात्रा को विलायक में गर्म करके संतृप्त विलयन (saturated solution) बनाते हैं।
    3. गर्म विलयन को छानना: यदि अविलेय अशुद्धियाँ हैं, तो गर्म विलयन को कीप (funnel) और फिल्टर पत्र (filter paper) की सहायता से छान लेते हैं ताकि अशुद्धियाँ अलग हो जाएँ।
    4. विलयन को ठंडा करना: छने हुए गर्म विलयन को धीरे-धीरे ठंडा होने देते हैं। ठंडा होने पर शुद्ध यौगिक की विलेयता कम हो जाती है और वह क्रिस्टल के रूप में पृथक हो जाता है, जबकि अधिक विलेय अशुद्धियाँ विलयन में ही रह जाती हैं।
    5. क्रिस्टलों को पृथक करना: क्रिस्टलों को विलयन (मातृ द्रव - mother liquor) से छानकर अलग कर लेते हैं।
    6. क्रिस्टलों को धोना: क्रिस्टलों को विलायक की थोड़ी मात्रा से धोते हैं ताकि मातृ द्रव हट जाए।
    7. क्रिस्टलों को सुखाना: क्रिस्टलों को फिल्टर पत्र के बीच दबाकर या ओवन में (गलनांक से कम ताप पर) सुखा लेते हैं।
  • प्रभाजी क्रिस्टलीकरण (Fractional Crystallization): यदि मिश्रण में दो या अधिक ठोस यौगिक हों जिनकी विलेयता भिन्न हो, तो उन्हें इस विधि द्वारा पृथक किया जा सकता है।
  • सावधानियां:
    • विलायक का चयन सावधानीपूर्वक करें।
    • विलयन बनाने के लिए विलायक की न्यूनतम मात्रा का प्रयोग करें।
    • तेजी से ठंडा करने से छोटे और अशुद्ध क्रिस्टल बन सकते हैं, अतः धीरे-धीरे ठंडा होने दें।
    • क्रिस्टलों को पूरी तरह सुखाएं।

परीक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण बिंदु:

  • गलनांक और क्वथनांक पर अशुद्धियों का प्रभाव।
  • गलनांक और क्वथनांक निर्धारण का सिद्धांत और प्रयुक्त उपकरण (थिले ट्यूब)।
  • क्रिस्टलीकरण का सिद्धांत।
  • क्रिस्टलीकरण के लिए उपयुक्त विलायक चुनने के मापदंड।
  • क्रिस्टलीकरण प्रक्रिया के विभिन्न चरण।
  • दाब का क्वथनांक पर प्रभाव।

अभ्यास हेतु बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs):

प्रश्न 1: शुद्ध क्रिस्टलीय ठोस का गलनांक कैसा होता है?
(a) अनिश्चित और विस्तृत परिसर वाला
(b) निश्चित और तीक्ष्ण (कम परिसर वाला)
(c) अशुद्धियों पर निर्भर नहीं करता
(d) हमेशा 100°C होता है

प्रश्न 2: किसी ठोस यौगिक में अशुद्धि मिलाने पर उसके गलनांक पर क्या प्रभाव पड़ता है?
(a) गलनांक बढ़ जाता है
(b) गलनांक कम हो जाता है और परिसर बढ़ जाता है
(c) गलनांक अपरिवर्तित रहता है
(d) गलनांक पहले बढ़ता है फिर घटता है

प्रश्न 3: गलनांक निर्धारण में थिले ट्यूब का प्रयोग क्यों किया जाता है?
(a) तेजी से गर्म करने के लिए
(b) समान रूप से गर्म करने के लिए
(c) दाब बढ़ाने के लिए
(d) पदार्थ को घोलने के लिए

प्रश्न 4: किसी द्रव का क्वथनांक वह ताप है जिस पर उसका वाष्प दाब _________ के बराबर हो जाता है।
(a) आंतरिक दाब
(b) वायुमंडलीय दाब
(c) 1 mm Hg
(d) गलनांक दाब

प्रश्न 5: बाहरी वायुमंडलीय दाब कम करने पर किसी द्रव के क्वथनांक पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
(a) क्वथनांक बढ़ जाएगा
(b) क्वथनांक कम हो जाएगा
(c) क्वथनांक अपरिवर्तित रहेगा
(d) द्रव जमेगा

प्रश्न 6: किसी द्रव में अवाष्पशील (non-volatile) अशुद्धि मिलाने पर उसका क्वथनांक:
(a) कम हो जाता है
(b) बढ़ जाता है
(c) अपरिवर्तित रहता है
(d) पहले कम होता है फिर बढ़ता है

प्रश्न 7: क्रिस्टलीकरण तकनीक किस सिद्धांत पर आधारित है?
(a) क्वथनांक में अंतर
(b) गलनांक में अंतर
(c) विलेयता में अंतर (ताप के साथ)
(d) घनत्व में अंतर

प्रश्न 8: क्रिस्टलीकरण के लिए एक आदर्श विलायक वह है जिसमें शुद्ध किया जाने वाला यौगिक:
(a) कमरे के ताप पर अधिक विलेय हो और गर्म करने पर कम
(b) कमरे के ताप पर कम विलेय हो और गर्म करने पर अधिक
(c) सभी ताप पर अविलेय हो
(d) सभी ताप पर अत्यधिक विलेय हो

प्रश्न 9: क्रिस्टलीकरण प्रक्रिया में गर्म संतृप्त विलयन को छानने का उद्देश्य क्या है?
(a) विलेय अशुद्धियों को हटाना
(b) अविलेय अशुद्धियों को हटाना
(c) क्रिस्टल प्राप्त करना
(d) विलायक को हटाना

प्रश्न 10: दो ऐसे ठोस पदार्थों के मिश्रण को पृथक करने के लिए जिनकी विलेयता भिन्न-भिन्न है, कौन सी विधि उपयुक्त है?
(a) साधारण क्रिस्टलीकरण
(b) प्रभाजी क्रिस्टलीकरण
(c) उर्ध्वपातन
(d) वर्णलेखिकी


उत्तर कुंजी:

  1. (b)
  2. (b)
  3. (b)
  4. (b)
  5. (b)
  6. (b)
  7. (c)
  8. (b)
  9. (b)
  10. (b)

इन नोट्स का ध्यानपूर्वक अध्ययन करें और सम्बंधित प्रयोगों को समझने का प्रयास करें। यह आपकी परीक्षा की तैयारी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। शुभकामनाएँ!

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