Class 11 Chemistry Notes Chapter 3 (Chapter 3) – Examplar Problems (Hindi) Book

चलिए, आज हम रसायन विज्ञान के एक बहुत ही महत्वपूर्ण अध्याय - 'तत्वों का वर्गीकरण एवं गुणधर्मों में आवर्तिता' का अध्ययन करेंगे, जो आपकी सरकारी परीक्षाओं की तैयारी के लिए अत्यंत उपयोगी है। इस अध्याय से तत्वों के गुणों और उनके आवर्ती व्यवहार को समझने में मदद मिलती है।
अध्याय 3: तत्वों का वर्गीकरण एवं गुणधर्मों में आवर्तिता
विस्तृत नोट्स (सरकारी परीक्षा तैयारी हेतु)
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आवर्त सारणी की आवश्यकता एवं ऐतिहासिक विकास:
- प्रारंभिक प्रयास: तत्वों की बढ़ती संख्या के साथ, उनके गुणों का अध्ययन व्यवस्थित करने की आवश्यकता महसूस हुई।
 - डोबेराइनर के त्रिक (Dobereiner's Triads): इन्होंने समान गुण वाले तीन-तीन तत्वों के समूह बनाए, जिनमें बीच वाले तत्व का परमाणु भार अन्य दो तत्वों के परमाणु भार का लगभग औसत होता था (जैसे Li, Na, K)। यह कुछ ही तत्वों तक सीमित रहा।
 - न्यूलैंड्स का अष्टक नियम (Newlands' Law of Octaves): तत्वों को उनके बढ़ते परमाणु भार के क्रम में व्यवस्थित करने पर पाया कि प्रत्येक आठवें तत्व के गुण पहले तत्व के समान थे, जैसे संगीत में आठवां स्वर। यह नियम कैल्शियम तक ही लागू हो पाया और भारी तत्वों के लिए विफल रहा।
 - मेंडेलीफ़ की आवर्त सारणी (Mendeleev's Periodic Table):
- आवर्त नियम: "तत्वों के भौतिक तथा रासायनिक गुण उनके परमाणु भारों के आवर्ती फलन होते हैं।"
 - विशेषताएँ:
- तत्वों को बढ़ते परमाणु भार के क्रम में व्यवस्थित किया।
 - समान गुण वाले तत्वों को एक ही ऊर्ध्वाधर स्तंभ (समूह) में रखा।
 - सारणी में रिक्त स्थान छोड़े और अज्ञात तत्वों के गुणों की भविष्यवाणी की (जैसे, एका-एलुमिनियम बाद में गैलियम (Ga) और एका-सिलिकॉन बाद में जर्मेनियम (Ge) के रूप में खोजे गए)।
 - कुछ तत्वों के परमाणु भारों को सही किया।
 
 - कमियाँ:
- कुछ स्थानों पर अधिक परमाणु भार वाले तत्व को कम परमाणु भार वाले तत्व से पहले रखना पड़ा (जैसे, Ar और K, Co और Ni, Te और I)।
 - समस्थानिकों का स्थान निश्चित नहीं था।
 - हाइड्रोजन का स्थान अनिश्चित था।
 
 
 
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आधुनिक आवर्त नियम एवं आवर्त सारणी का वर्तमान स्वरूप:
- मोजले का कार्य: एक्स-किरण स्पेक्ट्रा के अध्ययन से पता चला कि तत्व का मौलिक गुण परमाणु भार न होकर परमाणु क्रमांक (Z) है।
 - आधुनिक आवर्त नियम: "तत्वों के भौतिक तथा रासायनिक गुण उनके परमाणु क्रमांकों के आवर्ती फलन होते हैं।"
 - आवर्त सारणी का दीर्घ या वर्तमान स्वरूप:
- यह आधुनिक आवर्त नियम पर आधारित है।
 - तत्वों को बढ़ते परमाणु क्रमांक के क्रम में व्यवस्थित किया गया है।
 - आवर्त (Periods): 7 क्षैतिज पंक्तियाँ हैं। आवर्त संख्या तत्व के बाह्यतम कोश की मुख्य क्वांटम संख्या (n) को दर्शाती है।
- पहला आवर्त (n=1): 2 तत्व (H, He) - अति लघु आवर्त
 - दूसरा आवर्त (n=2): 8 तत्व (Li से Ne) - लघु आवर्त
 - तीसरा आवर्त (n=3): 8 तत्व (Na से Ar) - लघु आवर्त
 - चौथा आवर्त (n=4): 18 तत्व (K से Kr) - दीर्घ आवर्त
 - पाँचवाँ आवर्त (n=5): 18 तत्व (Rb से Xe) - दीर्घ आवर्त
 - छठा आवर्त (n=6): 32 तत्व (Cs से Rn) - अति दीर्घ आवर्त (इसमें लैंथेनॉइड श्रेणी शामिल है)
 - सातवाँ आवर्त (n=7): शेष तत्व (Fr से आगे) - अपूर्ण आवर्त (इसमें एक्टिनॉइड श्रेणी शामिल है)
 
 - समूह (Groups): 18 ऊर्ध्वाधर स्तंभ हैं। एक ही समूह के तत्वों के बाह्यतम कोश का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास समान होता है, जिसके कारण उनके रासायनिक गुण समान होते हैं।
- समूह 1: क्षार धातुएँ (Alkali metals) - ns¹
 - समूह 2: क्षारीय मृदा धातुएँ (Alkaline earth metals) - ns²
 - समूह 13: बोरॉन परिवार - ns²np¹
 - समूह 14: कार्बन परिवार - ns²np²
 - समूह 15: निक्टोजेन (Nitrogen family) - ns²np³
 - समूह 16: चाल्कोजेन (Oxygen family) - ns²np⁴
 - समूह 17: हैलोजन (Halogens) - ns²np⁵
 - समूह 18: उत्कृष्ट या अक्रिय गैसें (Noble gases) - ns²np⁶ (He को छोड़कर - 1s²)
 - समूह 3 से 12: संक्रमण तत्व (d-ब्लॉक)
 - लैंथेनॉइड और एक्टिनॉइड: आंतरिक संक्रमण तत्व (f-ब्लॉक)
 
 
 
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100 से अधिक परमाणु क्रमांक वाले तत्वों का नामकरण (IUPAC Nomenclature):
- अंकों के लिए मूल (Root) निर्धारित किए गए हैं: 0(nil), 1(un), 2(bi), 3(tri), 4(quad), 5(pent), 6(hex), 7(sept), 8(oct), 9(enn)।
 - अंकों के मूलों को क्रम में लिखकर अंत में 'ium' जोड़ा जाता है।
 - उदाहरण: Z=101 (Unnilunium - Unu), Z=118 (Ununoctium - Uuo)
 
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तत्वों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास एवं आवर्त सारणी:
- s-ब्लॉक तत्व: अंतिम इलेक्ट्रॉन s-उपकोश में प्रवेश करता है (समूह 1 और 2)। ये नरम धातुएँ, क्रियाशील, निम्न आयनन एन्थैल्पी वाले होते हैं।
 - p-ब्लॉक तत्व: अंतिम इलेक्ट्रॉन p-उपकोश में प्रवेश करता है (समूह 13 से 18)। इनमें धातु, अधातु और उपधातु सभी शामिल हैं। सामान्यतः ये सहसंयोजी यौगिक बनाते हैं।
 - d-ब्लॉक तत्व (संक्रमण तत्व): अंतिम इलेक्ट्रॉन (n-1)d उपकोश में प्रवेश करता है (समूह 3 से 12)। ये सभी धातुएँ हैं, रंगीन आयन बनाते हैं, परिवर्ती ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाते हैं, उत्प्रेरकीय गुण रखते हैं।
 - f-ब्लॉक तत्व (आंतरिक संक्रमण तत्व): अंतिम इलेक्ट्रॉन (n-2)f उपकोश में प्रवेश करता है।
- लैंथेनॉइड (4f श्रेणी): Ce (58) से Lu (71) तक।
 - एक्टिनॉइड (5f श्रेणी): Th (90) से Lr (103) तक। ये अधिकतर रेडियोधर्मी तत्व हैं।
 
 
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तत्वों के गुणों में आवर्तिता (Periodicity in Properties):
- परमाणु त्रिज्या (Atomic Radius):
- सहसंयोजी त्रिज्या: एकल बंध से जुड़े समान तत्व के दो परमाणुओं के नाभिकों के बीच की दूरी का आधा।
 - वान्डर वाल्स त्रिज्या: ठोस अवस्था में पास-पास स्थित दो अनाबंधित परमाणुओं के नाभिकों के बीच की दूरी का आधा (उत्कृष्ट गैसों और अणुओं के लिए)।
 - धात्विक त्रिज्या: धात्विक क्रिस्टल में दो निकटतम परमाणुओं के नाभिकों के बीच की दूरी का आधा।
 - आवर्तिता:
- आवर्त में (बाएँ से दाएँ): परमाणु त्रिज्या घटती है क्योंकि प्रभावी नाभिकीय आवेश (Zeff) बढ़ता है और इलेक्ट्रॉन उसी कोश में जुड़ते हैं।
 - समूह में (ऊपर से नीचे): परमाणु त्रिज्या बढ़ती है क्योंकि कोशों की संख्या (n) बढ़ती है, जिससे परिरक्षण प्रभाव (Shielding effect) बढ़ता है और प्रभावी नाभिकीय आवेश कम हो जाता है।
 
 
 - आयनिक त्रिज्या (Ionic Radius):
- धनायन की त्रिज्या अपने जनक परमाणु से छोटी होती है (प्रभावी नाभिकीय आवेश बढ़ता है)।
 - ऋणायन की त्रिज्या अपने जनक परमाणु से बड़ी होती है (इलेक्ट्रॉन-इलेक्ट्रॉन प्रतिकर्षण बढ़ता है, प्रभावी नाभिकीय आवेश घटता है)।
 - समइलेक्ट्रॉनिक स्पीशीज (Isoelectronic Species): समान इलेक्ट्रॉन संख्या वाले आयन/परमाणु। इनमें, जैसे-जैसे नाभिकीय आवेश (Z) बढ़ता है, त्रिज्या घटती जाती है (जैसे, O²⁻ > F⁻ > Ne > Na⁺ > Mg²⁺)।
 
 - आयनन एन्थैल्पी (Ionization Enthalpy - IE / ΔᵢH):
- किसी विलगित गैसीय परमाणु के बाह्यतम कोश से एक इलेक्ट्रॉन निकालने के लिए आवश्यक न्यूनतम ऊर्जा।
 - इकाई: kJ/mol या eV/atom।
 - हमेशा धनात्मक होती है (ऊर्जा देनी पड़ती है)।
 - प्रभावित करने वाले कारक: परमाणु आकार (बढ़ने पर IE घटती है), नाभिकीय आवेश (बढ़ने पर IE बढ़ती है), परिरक्षण प्रभाव (बढ़ने पर IE घटती है), इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (अर्ध-पूरित और पूर्ण-पूरित कक्षक अधिक स्थायी होते हैं, अतः उनकी IE अधिक होती है), कक्षक का वेधन प्रभाव (s>p>d>f)।
 - आवर्तिता:
- आवर्त में (बाएँ से दाएँ): सामान्यतः बढ़ती है (परमाणु आकार घटता है, Zeff बढ़ता है)। अपवाद: Be > B, N > O (स्थायी विन्यास के कारण)।
 - समूह में (ऊपर से नीचे): घटती है (परमाणु आकार और परिरक्षण प्रभाव बढ़ता है)।
 
 - क्रमिक आयनन एन्थैल्पी: IE₁ < IE₂ < IE₃ < ... (क्योंकि प्रत्येक अगले इलेक्ट्रॉन को निकालने के लिए अधिक धनावेशित आयन से निकालना पड़ता है)।
 
 - इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी (Electron Gain Enthalpy - EGE / Δ<0xE2><0x82><0x9A>H):
- जब कोई विलगित गैसीय परमाणु एक इलेक्ट्रॉन ग्रहण कर ऋणायन बनाता है, तो होने वाला एन्थैल्पी परिवर्तन।
 - यह ऋणात्मक (ऊष्माक्षेपी) या धनात्मक (ऊष्माशोषी) हो सकती है।
 - अधिक ऋणात्मक मान इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृत्ति को दर्शाता है।
 - प्रभावित करने वाले कारक: परमाणु आकार, नाभिकीय आवेश, इलेक्ट्रॉनिक विन्यास।
 - आवर्तिता:
- आवर्त में (बाएँ से दाएँ): सामान्यतः अधिक ऋणात्मक होती जाती है (Zeff बढ़ता है, आकार घटता है)। उत्कृष्ट गैसों के लिए धनात्मक होती है।
 - समूह में (ऊपर से नीचे): कम ऋणात्मक होती जाती है (आकार बढ़ता है)। अपवाद: समूह 17 में Cl की EGE, F से अधिक ऋणात्मक होती है (F के छोटे आकार के कारण 2p उपकोश में इलेक्ट्रॉन घनत्व अधिक होता है, जिससे आने वाले इलेक्ट्रॉन के प्रति प्रतिकर्षण होता है)। इसी प्रकार समूह 16 में S की EGE, O से अधिक ऋणात्मक होती है।
 
 
 - विद्युत ऋणात्मकता (Electronegativity - EN):
- किसी सहसंयोजी बंध में साझे के इलेक्ट्रॉन युग्म को अपनी ओर आकर्षित करने की परमाणु की सापेक्ष क्षमता।
 - यह एक सापेक्षिक मान है, मात्रक रहित।
 - पैमाने: पॉलिंग पैमाना (सर्वाधिक प्रयुक्त), मुलिकन पैमाना।
 - प्रभावित करने वाले कारक: परमाणु आकार (बढ़ने पर EN घटती है), नाभिकीय आवेश (बढ़ने पर EN बढ़ती है), संकरण अवस्था (%s लक्षण बढ़ने पर EN बढ़ती है: sp > sp² > sp³)।
 - आवर्तिता:
- आवर्त में (बाएँ से दाएँ): बढ़ती है।
 - समूह में (ऊपर से नीचे): घटती है।
 
 - सर्वाधिक विद्युत ऋणात्मक तत्व फ्लोरीन (F) है।
 
 - संयोजकता (Valency) एवं ऑक्सीकरण अवस्था (Oxidation State):
- संयोजकता: तत्व की संयोजन क्षमता, सामान्यतः बाह्यतम कोश में उपस्थित इलेक्ट्रॉन या (8 - बाह्यतम इलेक्ट्रॉन) के बराबर होती है। s और p ब्लॉक के प्रतिनिधि तत्वों के लिए समूह संख्या या (8 - समूह संख्या) के बराबर।
 - ऑक्सीकरण अवस्था: किसी यौगिक में तत्व पर उपस्थित आवेश (यदि अन्य परमाणुओं को आयन मानकर हटाया जाए)। एक तत्व परिवर्ती ऑक्सीकरण अवस्था दर्शा सकता है (विशेषकर d और f ब्लॉक)।
 - आवर्तिता: समूह में संयोजकता समान रहती है। आवर्त में ऑक्सीजन या हाइड्रोजन के सापेक्ष संयोजकता बदलती है।
 
 - रासायनिक गुणों में आवर्तिता:
- धात्विक/अधात्विक गुण:
- आवर्त में बाएँ से दाएँ धात्विक गुण घटता है, अधात्विक गुण बढ़ता है।
 - समूह में नीचे जाने पर धात्विक गुण बढ़ता है, अधात्विक गुण घटता है।
 
 - ऑक्साइडों की प्रकृति:
- आवर्त में बाएँ से दाएँ ऑक्साइडों की अम्लीय प्रकृति बढ़ती है (क्षारीय → उभयधर्मी → अम्लीय)। Na₂O (प्रबल क्षारीय), MgO (क्षारीय), Al₂O₃ (उभयधर्मी), SiO₂ (अम्लीय), P₄O₁₀ (अधिक अम्लीय), SO₃ (प्रबल अम्लीय), Cl₂O₇ (अति प्रबल अम्लीय)।
 - समूह में नीचे जाने पर ऑक्साइडों की क्षारीय प्रकृति बढ़ती है।
 
 - द्वितीय आवर्त के तत्वों का असंगत व्यवहार (Anomalous Behaviour): Li, Be, B, C, N, O, F अपने समूह के अन्य सदस्यों से भिन्न व्यवहार दर्शाते हैं। कारण: छोटा आकार, उच्च विद्युत ऋणात्मकता, उच्च आयनन एन्थैल्पी, d-कक्षकों की अनुपलब्धता।
 - विकर्ण संबंध (Diagonal Relationship): द्वितीय आवर्त के कुछ तत्व (Li, Be, B) तृतीय आवर्त के विकर्णतः स्थित तत्वों (Mg, Al, Si) से गुणों में समानता दर्शाते हैं। कारण: लगभग समान आयनिक त्रिज्या और समान विद्युत ऋणात्मकता या आवेश/त्रिज्या अनुपात। (Li-Mg, Be-Al, B-Si)।
 
 - धात्विक/अधात्विक गुण:
 
 - परमाणु त्रिज्या (Atomic Radius):
 
अभ्यास हेतु बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs):
प्रश्न 1: आधुनिक आवर्त नियम के अनुसार, तत्वों के गुण आवर्ती फलन होते हैं उनके _________ के।
(क) परमाणु भार
(ख) परमाणु क्रमांक
(ग) परमाणु त्रिज्या
(घ) संयोजकता
प्रश्न 2: आवर्त सारणी के किसी आवर्त में बाएँ से दाएँ जाने पर सामान्यतः परमाणु त्रिज्या _________ है।
(क) बढ़ती है
(ख) घटती है
(ग) अपरिवर्तित रहती है
(घ) पहले बढ़ती है फिर घटती है
प्रश्न 3: निम्नलिखित में से किसकी आयनन एन्थैल्पी का मान सर्वाधिक होगा?
(क) Na
(ख) Mg
(ग) Al
(घ) Ne
प्रश्न 4: किस तत्व की इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी का मान सर्वाधिक ऋणात्मक होता है?
(क) F
(ख) Cl
(ग) Br
(घ) O
प्रश्न 5: निम्नलिखित समइलेक्ट्रॉनिक स्पीशीज में सबसे छोटा आकार किसका है?
(क) N³⁻
(ख) O²⁻
(ग) F⁻
(घ) Na⁺
प्रश्न 6: तत्व जिसका परमाणु क्रमांक 114 है, का IUPAC प्रतीक क्या होगा?
(क) Uub
(ख) Uuq
(ग) Uup
(घ) Uuh
प्रश्न 7: निम्नलिखित में से कौन सा ऑक्साइड उभयधर्मी प्रकृति का है?
(क) Na₂O
(ख) MgO
(ग) Al₂O₃
(घ) SO₂
प्रश्न 8: विकर्ण संबंध दर्शाने वाला युग्म है:
(क) Li और Na
(ख) Be और Mg
(ग) B और Si
(घ) C और P
प्रश्न 9: समूह 16 के तत्वों को _________ भी कहा जाता है।
(क) हैलोजन
(ख) निक्टोजेन
(ग) चाल्कोजेन
(घ) उत्कृष्ट गैसें
प्रश्न 10: द्वितीय आवर्त के तत्वों के अपने समूह के अन्य तत्वों से भिन्न व्यवहार का मुख्य कारण नहीं है:
(क) छोटा परमाणु आकार
(ख) उच्च विद्युत ऋणात्मकता
(ग) d-कक्षकों की अनुपलब्धता
(घ) कम आयनन एन्थैल्पी
उत्तरमाला:
- (ख)
 - (ख)
 - (घ) (उत्कृष्ट गैस का स्थायी विन्यास)
 - (ख) (अपवाद: Cl > F)
 - (घ) (धनायन पर नाभिकीय आवेश सर्वाधिक प्रभावी)
 - (ख) (1-un, 1-un, 4-quad → Uuq)
 - (ग)
 - (ग)
 - (ग)
 - (घ) (द्वितीय आवर्त के तत्वों की आयनन एन्थैल्पी सामान्यतः उच्च होती है)
 
इन नोट्स का ध्यानपूर्वक अध्ययन करें और दिए गए प्रश्नों को हल करने का प्रयास करें। यह आपकी परीक्षा की तैयारी में निश्चित रूप से सहायक होगा। यदि कोई शंका हो तो पूछ सकते हैं।