Class 11 Chemistry Notes Chapter 7 (Chapter 7) – Examplar Problems (Hindi) Book

Examplar Problems (Hindi)
नमस्ते विद्यार्थियों!

आज हम कक्षा 11 रसायन विज्ञान के अध्याय 7, 'साम्यावस्था' (Equilibrium) का अध्ययन करेंगे। यह अध्याय प्रतियोगी परीक्षाओं की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। आइए, इसके मुख्य बिंदुओं को विस्तार से समझते हैं:

अध्याय 7: साम्यावस्था (Equilibrium)

1. साम्यावस्था का परिचय:

  • भौतिक प्रक्रमों में साम्यावस्था: यह अवस्था तब प्राप्त होती है जब किसी भौतिक प्रक्रम में विपरीत दिशाओं में होने वाले परिवर्तनों की दर समान हो जाती है। उदाहरण:
    • ठोस ⇌ द्रव (गलनांक पर बर्फ और जल)
    • द्रव ⇌ गैस (क्वथनांक पर जल और वाष्प)
    • ठोस ⇌ गैस (ऊर्ध्वपातन)
    • ठोस/गैस ⇌ विलयन (संतृप्त विलयन)
  • रासायनिक प्रक्रमों में साम्यावस्था: उत्क्रमणीय (Reversible) रासायनिक अभिक्रियाओं में वह अवस्था जब अग्र (Forward) अभिक्रिया की दर, पश्च (Backward) अभिक्रिया की दर के बराबर हो जाती है, रासायनिक साम्यावस्था कहलाती है। इस अवस्था पर अभिकारकों और उत्पादों की सांद्रताएँ समय के साथ स्थिर हो जाती हैं।

2. रासायनिक साम्यावस्था के अभिलक्षण:

  • साम्यावस्था केवल बंद पात्र में ही स्थापित हो सकती है (विशेषकर गैसीय अभिक्रियाओं के लिए)।
  • यह गतिक प्रकृति की होती है, अर्थात अग्र और पश्च दोनों अभिक्रियाएँ समान दर से चलती रहती हैं।
  • साम्यावस्था पर अभिक्रिया मिश्रण के सभी मापने योग्य गुण (जैसे दाब, सांद्रता, रंग, घनत्व) स्थिर हो जाते हैं।
  • रासायनिक साम्यावस्था किसी भी दिशा से प्राप्त की जा सकती है (अभिकारकों से शुरू करके या उत्पादों से शुरू करके)।
  • उत्प्रेरक साम्यावस्था को शीघ्र स्थापित करने में मदद करता है, लेकिन साम्यावस्था स्थिरांक (K) के मान को परिवर्तित नहीं करता है।

3. साम्यावस्था का नियम तथा साम्यावस्था स्थिरांक (K):

  • द्रव्य अनुपाती क्रिया का नियम (Law of Mass Action): गुल्डबर्ग और वागे के अनुसार, किसी पदार्थ के क्रिया करने की दर उसके सक्रिय द्रव्यमान (मोलर सांद्रता) के समानुपाती होती है तथा किसी रासायनिक अभिक्रिया की दर अभिकारकों के सक्रिय द्रव्यमानों के गुणनफल के समानुपाती होती है।
  • साम्यावस्था स्थिरांक (Kc): स्थिर ताप पर, किसी उत्क्रमणीय अभिक्रिया की साम्यावस्था पर, उत्पादों की मोलर सांद्रताओं के गुणनफल तथा अभिकारकों की मोलर सांद्रताओं के गुणनफल का अनुपात स्थिर रहता है।
    • माना अभिक्रिया: aA + bB ⇌ cC + dD
    • Kc = ([C]^c [D]^d) / ([A]^a [B]^b)
    • Kc का मान केवल ताप पर निर्भर करता है।
  • गैसीय अभिक्रियाओं के लिए साम्यावस्था स्थिरांक (Kp): जब अभिकारक और उत्पाद गैसीय अवस्था में हों, तो सांद्रता के स्थान पर आंशिक दाब का प्रयोग किया जाता है।
    • Kp = (P_C^c * P_D^d) / (P_A^a * P_B^b)
  • Kp तथा Kc में संबंध:
    • Kp = Kc (RT)^Δn
    • जहाँ R = गैस स्थिरांक, T = परम ताप (केल्विन में), Δn = (गैसीय उत्पादों के मोलों की संख्या) - (गैसीय अभिकारकों के मोलों की संख्या)
    • यदि Δn = 0, तो Kp = Kc
    • यदि Δn > 0, तो Kp > Kc
    • यदि Δn < 0, तो Kp < Kc

4. साम्यावस्था स्थिरांक के अनुप्रयोग:

  • अभिक्रिया की सीमा का अनुमान: K का मान अधिक होने पर अभिक्रिया लगभग पूर्णता की ओर अग्रसर होती है (उत्पाद अधिक)। K का मान बहुत कम होने पर अभिक्रिया मुश्किल से ही आगे बढ़ती है (अभिकारक अधिक)।
  • अभिक्रिया की दिशा का अनुमान: अभिक्रिया भागफल (Reaction Quotient, Q) की तुलना K से करके अभिक्रिया की दिशा का पता लगाया जा सकता है।
    • Qc = ([C]^c [D]^d) / ([A]^a [B]^b) (किसी भी समय पर सांद्रताएँ)
    • यदि Qc < Kc, अभिक्रिया अग्र दिशा में जाएगी।
    • यदि Qc > Kc, अभिक्रिया पश्च दिशा में जाएगी।
    • यदि Qc = Kc, अभिक्रिया साम्यावस्था में है।

5. साम्यावस्था को प्रभावित करने वाले कारक (ला-शातेलिए का सिद्धांत - Le Chatelier's Principle):

  • इस सिद्धांत के अनुसार, यदि साम्यावस्था में स्थित किसी निकाय पर सांद्रता, ताप या दाब में परिवर्तन किया जाता है, तो साम्यावस्था उस दिशा में विस्थापित हो जाती है जिधर उस परिवर्तन का प्रभाव निरस्त होता है।
  • सांद्रता का प्रभाव: अभिकारक की सांद्रता बढ़ाने पर साम्यावस्था अग्र दिशा में, उत्पाद की सांद्रता बढ़ाने पर पश्च दिशा में विस्थापित होती है।
  • दाब का प्रभाव (केवल गैसीय अभिक्रियाओं के लिए): दाब बढ़ाने पर साम्यावस्था उस दिशा में विस्थापित होती है जिधर गैस के मोलों की संख्या कम होती है। दाब कम करने पर उस दिशा में जिधर गैस के मोलों की संख्या अधिक होती है। यदि Δn = 0, तो दाब परिवर्तन का कोई प्रभाव नहीं होता।
  • ताप का प्रभाव:
    • ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया (ΔH = -ve) में ताप बढ़ाने पर साम्यावस्था पश्च दिशा में (K घटता है)।
    • ऊष्माशोषी अभिक्रिया (ΔH = +ve) में ताप बढ़ाने पर साम्यावस्था अग्र दिशा में (K बढ़ता है)।
  • उत्प्रेरक का प्रभाव: उत्प्रेरक अग्र और पश्च दोनों अभिक्रियाओं की दर को समान रूप से बढ़ाता है, जिससे साम्यावस्था शीघ्र प्राप्त होती है, परन्तु साम्यावस्था की स्थिति या K के मान को परिवर्तित नहीं करता।
  • अक्रिय गैस मिलाने का प्रभाव:
    • स्थिर आयतन पर: कोई प्रभाव नहीं।
    • स्थिर दाब पर: साम्यावस्था उस दिशा में विस्थापित होती है जिधर गैस के मोलों की संख्या अधिक होती है।

6. आयनिक साम्यावस्था (Ionic Equilibrium):

  • विद्युत-अपघट्यों (Electrolytes) के जलीय विलयनों में आयनों तथा अनआयनित अणुओं के मध्य स्थापित साम्यावस्था।
  • अम्ल, क्षारक एवं लवण:
    • आरहीनियस संकल्पना: अम्ल (H+ देते हैं), क्षारक (OH- देते हैं)।
    • ब्रान्स्टेड-लॉरी संकल्पना: अम्ल (प्रोटॉन दाता), क्षारक (प्रोटॉन ग्राही)। संयुग्मी अम्ल-क्षारक युग्म (Conjugate acid-base pair)।
    • लुईस संकल्पना: अम्ल (इलेक्ट्रॉन युग्म ग्राही), क्षारक (इलेक्ट्रॉन युग्म दाता)।
  • अम्लों एवं क्षारकों का आयनन:
    • प्रबल विद्युत-अपघट्य: जल में लगभग पूर्णतः आयनित।
    • दुर्बल विद्युत-अपघट्य: जल में आंशिक रूप से आयनित। आयनन की मात्रा (α) कम होती है।
    • आयनन स्थिरांक (Ka, Kb): दुर्बल अम्लों और क्षारकों की प्रबलता मापने के लिए। Ka या Kb का मान जितना अधिक, अम्ल या क्षारक उतना ही प्रबल।
    • ओस्टवाल्ड का तनुता नियम: दुर्बल विद्युत-अपघट्य के लिए, α = √(K/C) (जहाँ K = Ka या Kb, C = सांद्रता)। तनुता बढ़ाने पर (C कम होने पर) α बढ़ता है।
  • जल का आयनिक गुणनफल (Kw): Kw = [H+][OH-] = 1.0 x 10⁻¹⁴ (298 K पर)। Kw का मान ताप पर निर्भर करता है।
  • pH स्केल: विलयन की अम्लता या क्षारकता व्यक्त करने का पैमाना।
    • pH = -log[H+]
    • pOH = -log[OH-]
    • pH + pOH = pKw = 14 (298 K पर)
    • pH < 7: अम्लीय, pH = 7: उदासीन, pH > 7: क्षारीय।
  • लवणों का जल-अपघटन (Salt Hydrolysis): लवण के आयनों की जल के साथ अभिक्रिया करके H+ या OH- आयन उत्पन्न करना, जिससे विलयन अम्लीय या क्षारीय हो जाता है।
    • प्रबल अम्ल-प्रबल क्षारक लवण: जल-अपघटन नहीं, विलयन उदासीन (pH=7)।
    • दुर्बल अम्ल-प्रबल क्षारक लवण: ऋणायन का जल-अपघटन, विलयन क्षारीय (pH>7)।
    • प्रबल अम्ल-दुर्बल क्षारक लवण: धनायन का जल-अपघटन, विलयन अम्लीय (pH<7)।
    • दुर्बल अम्ल-दुर्बल क्षारक लवण: दोनों आयनों का जल-अपघटन, विलयन की प्रकृति Ka और Kb पर निर्भर करती है।
  • बफर विलयन (Buffer Solution): वह विलयन जो अल्प मात्रा में अम्ल या क्षारक मिलाने पर अपने pH मान में परिवर्तन का प्रतिरोध करता है।
    • अम्लीय बफर: दुर्बल अम्ल + उसी अम्ल का प्रबल क्षारक के साथ बना लवण (जैसे, CH₃COOH + CH₃COONa)।
    • क्षारीय बफर: दुर्बल क्षारक + उसी क्षारक का प्रबल अम्ल के साथ बना लवण (जैसे, NH₄OH + NH₄Cl)।
    • हेंडरसन-हेसलबाल्च समीकरण:
      • अम्लीय बफर: pH = pKa + log([लवण]/[अम्ल])
      • क्षारीय बफर: pOH = pKb + log([लवण]/[क्षारक])
  • विलेयता गुणनफल (Solubility Product, Ksp): किसी अल्प विलेय लवण के संतृप्त विलयन में उसके आयनों की सांद्रताओं का गुणनफल (उचित घातों के साथ) स्थिर ताप पर स्थिर रहता है।
    • AxBy(s) ⇌ xA^(y+)(aq) + yB^(x-)(aq)
    • Ksp = [A(y+)]x [B(x-)]y
    • Ksp का मान जितना कम, विलेयता उतनी ही कम।
  • समान आयन प्रभाव (Common Ion Effect): किसी दुर्बल विद्युत-अपघट्य के विलयन में समान आयन वाला कोई प्रबल विद्युत-अपघट्य मिलाने पर दुर्बल विद्युत-अपघट्य का आयनन कम हो जाता है। इसका उपयोग गुणात्मक विश्लेषण में अवक्षेपण तथा बफर विलयन बनाने में होता है।

अभ्यास हेतु बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs):

प्रश्न 1: अभिक्रिया N₂(g) + 3H₂(g) ⇌ 2NH₃(g) के लिए Kp तथा Kc में सही संबंध है:
(क) Kp = Kc
(ख) Kp = Kc (RT)⁻²
(ग) Kp = Kc (RT)²
(घ) Kp = Kc (RT)

प्रश्न 2: ला-शातेलिए सिद्धांत के अनुसार, ऊष्माशोषी अभिक्रिया (ΔH > 0) के लिए साम्यावस्था पर ताप बढ़ाने से:
(क) साम्यावस्था स्थिरांक (K) घटता है।
(ख) अभिक्रिया पश्च दिशा में जाती है।
(ग) अभिक्रिया अग्र दिशा में जाती है।
(घ) कोई प्रभाव नहीं पड़ता।

प्रश्न 3: जल का आयनिक गुणनफल (Kw) किस पर निर्भर करता है?
(क) दाब
(ख) आयतन
(ग) ताप
(घ) सांद्रता

प्रश्न 4: निम्नलिखित में से कौन सा लुईस अम्ल नहीं है?
(क) BF₃
(ख) AlCl₃
(ग) H₂O
(घ) Fe³⁺

प्रश्न 5: 0.01 M NaOH विलयन का pH मान क्या होगा?
(क) 2
(ख) 12
(ग) 1
(घ) 13

प्रश्न 6: एक बफर विलयन किसके मिश्रण से बनता है?
(क) प्रबल अम्ल और प्रबल क्षारक
(ख) दुर्बल अम्ल और उसका संयुग्मी क्षारक
(ग) प्रबल अम्ल और उसका संयुग्मी क्षारक
(घ) दुर्बल क्षारक और उसका संयुग्मी अम्ल

प्रश्न 7: AgCl के संतृप्त विलयन में NaCl मिलाने पर AgCl की विलेयता:
(क) बढ़ जाती है
(ख) घट जाती है
(ग) अपरिवर्तित रहती है
(घ) पहले बढ़ती है फिर घटती है

प्रश्न 8: अभिक्रिया H₂(g) + I₂(g) ⇌ 2HI(g) के लिए, यदि Δn = 0 हो तो:
(क) Kp > Kc
(ख) Kp < Kc
(ग) Kp = Kc
(घ) Kp = 1/Kc

प्रश्न 9: संयुग्मी अम्ल-क्षारक युग्म में अंतर होता है:
(क) एक इलेक्ट्रॉन का
(ख) एक प्रोटॉन का
(ग) एक न्यूट्रॉन का
(घ) एक हाइड्रॉक्साइड आयन का

प्रश्न 10: किसी अभिक्रिया का साम्यावस्था स्थिरांक (K) बहुत अधिक है। यह इंगित करता है कि साम्यावस्था पर:
(क) अभिकारकों की सांद्रता बहुत अधिक होगी।
(ख) उत्पादों की सांद्रता बहुत अधिक होगी।
(ग) अभिकारक और उत्पाद बराबर मात्रा में होंगे।
(घ) अभिक्रिया बहुत धीमी होगी।


उत्तरमाला:

  1. (ख) Kp = Kc (RT)⁻² (क्योंकि Δn = 2 - (1+3) = -2)
  2. (ग) अभिक्रिया अग्र दिशा में जाती है।
  3. (ग) ताप
  4. (ग) H₂O (यह लुईस क्षारक की तरह व्यवहार कर सकता है)
  5. (ख) 12 ([OH⁻] = 0.01 M = 10⁻² M, pOH = -log(10⁻²) = 2, pH = 14 - pOH = 14 - 2 = 12)
  6. (ख) दुर्बल अम्ल और उसका संयुग्मी क्षारक (या दुर्बल क्षारक और उसका संयुग्मी अम्ल)
  7. (ख) घट जाती है (समान आयन प्रभाव के कारण)
  8. (ग) Kp = Kc
  9. (ख) एक प्रोटॉन का
  10. (ख) उत्पादों की सांद्रता बहुत अधिक होगी।

इन नोट्स को ध्यानपूर्वक पढ़ें और संबंधित प्रश्नों का अभ्यास करें। सरकारी परीक्षाओं में इस अध्याय से संकल्पनात्मक और आंकिक दोनों प्रकार के प्रश्न पूछे जाते हैं। विशेष रूप से ला-शातेलिए सिद्धांत, Kp व Kc संबंध, pH गणना, बफर विलयन और विलेयता गुणनफल पर आधारित प्रश्न महत्वपूर्ण हैं। शुभकामनाएँ!

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