Class 11 Chemistry Notes Chapter 7 (Chapter 7) – Lab Manual (Hindi) Book

नमस्ते विद्यार्थियों!
आज हम कक्षा 11 रसायन विज्ञान की प्रयोगशाला पुस्तिका के उन प्रयोगों और उनसे जुड़ी अवधारणाओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे जो आपके सिद्धांत वाले अध्याय 7, 'साम्यावस्था' (Equilibrium) से संबंधित हैं। ये प्रयोगात्मक पहलू सरकारी परीक्षाओं की तैयारी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ये सैद्धांतिक ज्ञान को व्यावहारिक समझ प्रदान करते हैं। प्रयोगशाला पुस्तिका सीधे तौर पर अध्याय 7 के नोट्स नहीं देती, बल्कि प्रयोगों के माध्यम से उस अध्याय की अवधारणाओं को दर्शाती है।
अध्याय 7: साम्यावस्था (Equilibrium) - प्रयोगशाला पुस्तिका आधारित महत्वपूर्ण बिंदु
प्रयोगशाला में हम साम्यावस्था से संबंधित कई महत्वपूर्ण अवधारणाओं का अध्ययन करते हैं, जिनमें मुख्य रूप से आयनिक साम्यावस्था (Ionic Equilibrium) और ला-शातेलिए का सिद्धांत (Le Chatelier's Principle) शामिल हैं।
1. pH का अध्ययन (Study of pH):
- अवधारणा: pH किसी विलयन की अम्लता या क्षारकता का माप है। यह हाइड्रोजन आयन (H⁺) सांद्रता के ऋणात्मक लघुगणक (negative logarithm) के बराबर होता है: pH = -log[H⁺]।
- प्रयोगशाला कार्य:
- pH पत्र या सार्वत्रिक सूचक (Universal Indicator) का उपयोग: विभिन्न पदार्थों (जैसे फलों का रस, साबुन का विलयन, अम्ल, क्षार, लवण के विलयन) का pH ज्ञात करना। pH पत्र या सूचक के रंग परिवर्तन को मानक रंग चार्ट से मिलाकर pH का अनुमान लगाया जाता है।
- प्रबल और दुर्बल अम्ल/क्षार के pH की तुलना: समान सांद्रता (जैसे 0.1 M) वाले HCl (प्रबल अम्ल) और CH₃COOH (दुर्बल अम्ल) के विलयनों के pH की तुलना करना। इसी प्रकार NaOH (प्रबल क्षार) और NH₄OH (दुर्बल क्षार) के pH की तुलना करना।
- निष्कर्ष: प्रबल अम्ल/क्षार पूर्णतः आयनित होते हैं, अतः H⁺/OH⁻ आयनों की सांद्रता अधिक होती है, जिससे प्रबल अम्ल का pH बहुत कम (0-2) और प्रबल क्षार का pH बहुत अधिक (12-14) होता है। दुर्बल अम्ल/क्षार आंशिक रूप से आयनित होते हैं, इसलिए उनके pH मान क्रमशः कम अम्लीय (3-6) और कम क्षारीय (8-11) होते हैं।
2. बफर विलयन का अध्ययन (Study of Buffer Solutions):
- अवधारणा: बफर विलयन ऐसे विलयन होते हैं जिनमें थोड़ी मात्रा में अम्ल या क्षार मिलाने पर उनके pH में नगण्य परिवर्तन होता है। ये सामान्यतः एक दुर्बल अम्ल और उसके संयुग्मी क्षार (जैसे CH₃COOH + CH₃COONa) या एक दुर्बल क्षार और उसके संयुग्मी अम्ल (जैसे NH₄OH + NH₄Cl) के मिश्रण होते हैं।
- प्रयोगशाला कार्य:
- एक ज्ञात pH का बफर विलयन (जैसे एसीटेट बफर) तैयार करना।
- बफर विलयन और शुद्ध जल के समान आयतन लेना।
- दोनों में तनु अम्ल (जैसे HCl) की कुछ बूँदें डालना और pH परिवर्तन का निरीक्षण करना (pH पत्र/सूचक द्वारा)।
- इसी प्रकार, दोनों में तनु क्षार (जैसे NaOH) की कुछ बूँदें डालना और pH परिवर्तन का निरीक्षण करना।
- निष्कर्ष: बफर विलयन pH परिवर्तन का प्रतिरोध करता है, जबकि शुद्ध जल का pH अम्ल या क्षार मिलाने पर तेजी से बदल जाता है। यह बफर की क्रियाविधि (Mechanism of Buffer Action) को दर्शाता है, जो सम आयन प्रभाव (Common Ion Effect) और आयनिक साम्यावस्था पर आधारित है।
3. अम्ल-क्षार अनुमापन में pH परिवर्तन का अध्ययन (Study of pH change during Acid-Base Titration):
- अवधारणा: अनुमापन (Titration) में, एक ज्ञात सांद्रता वाले विलयन (मानक विलयन) का उपयोग करके दूसरे अज्ञात सांद्रता वाले विलयन की सांद्रता ज्ञात की जाती है। अम्ल-क्षार अनुमापन में, उदासीनीकरण (Neutralization) होता है और तुल्यता बिंदु (Equivalence Point) के आसपास pH में तेजी से परिवर्तन होता है।
- प्रयोगशाला कार्य: (मुख्यतः सैद्धांतिक समझ या प्रदर्शन के लिए)
- प्रबल अम्ल बनाम प्रबल क्षार (जैसे HCl vs NaOH) अनुमापन में pH परिवर्तन का ग्राफिकल अध्ययन। तुल्यता बिंदु पर pH = 7 होता है और इसके निकट pH में तीव्र परिवर्तन होता है।
- दुर्बल अम्ल बनाम प्रबल क्षार (जैसे CH₃COOH vs NaOH) अनुमापन में pH परिवर्तन। तुल्यता बिंदु पर pH > 7 होता है।
- प्रबल अम्ल बनाम दुर्बल क्षार (जैसे HCl vs NH₄OH) अनुमापन में pH परिवर्तन। तुल्यता बिंदु पर pH < 7 होता है।
- निष्कर्ष: अनुमापन वक्र (Titration Curve) साम्यावस्था स्थिरांक (Ka, Kb) और उदासीनीकरण प्रक्रिया को समझने में मदद करता है।
4. ला-शातेलिए का सिद्धांत का प्रयोगात्मक सत्यापन (Experimental Verification of Le Chatelier's Principle):
-
अवधारणा: यदि किसी साम्यावस्था पर स्थित निकाय के सांद्रण, ताप या दाब में परिवर्तन किया जाता है, तो साम्यावस्था उस दिशा में विस्थापित हो जाती है जिधर किए गए परिवर्तन का प्रभाव निरस्त होता है।
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प्रयोगशाला कार्य:
- सांद्रण का प्रभाव:
- फेरिक आयन और थायोसायनेट आयन के बीच साम्यावस्था:
Fe³⁺(aq) (पीला) + SCN⁻(aq) (रंगहीन) ⇌ [Fe(SCN)]²⁺(aq) (गहरा लाल)
इस साम्यावस्था मिश्रण में Fe³⁺ या SCN⁻ आयन मिलाने पर, अग्र अभिक्रिया की दर बढ़ जाती है और विलयन का लाल रंग गहरा हो जाता है (साम्यावस्था दाईं ओर विस्थापित)। F⁻ आयन (जो Fe³⁺ से क्रिया कर स्थायी संकुल बनाता है) मिलाने पर Fe³⁺ की सांद्रता कम हो जाती है, जिससे साम्यावस्था बाईं ओर विस्थापित होती है और लाल रंग हल्का हो जाता है। - क्रोमेट-डाइक्रोमेट साम्यावस्था:
2CrO₄²⁻(aq) (पीला) + 2H⁺(aq) ⇌ Cr₂O₇²⁻(aq) (नारंगी) + H₂O(l)
अम्ल (H⁺) मिलाने पर साम्यावस्था दाईं ओर विस्थापित होती है (नारंगी रंग)। क्षार (OH⁻, जो H⁺ को उदासीन करता है) मिलाने पर साम्यावस्था बाईं ओर विस्थापित होती है (पीला रंग)।
- फेरिक आयन और थायोसायनेट आयन के बीच साम्यावस्था:
- ताप का प्रभाव:
- कॉपर सल्फेट का जलयोजन/निर्जलीकरण:
CuSO₄·5H₂O(s) (नीला) ⇌ CuSO₄(s) (सफेद) + 5H₂O(g) (ऊष्माशोषी अभिक्रिया)
गर्म करने पर (ताप बढ़ाने पर), साम्यावस्था दाईं ओर विस्थापित होती है और नीला क्रिस्टल सफेद हो जाता है। ठंडा करने पर साम्यावस्था बाईं ओर विस्थापित होती है। - N₂O₄ का विघटन:
N₂O₄(g) (रंगहीन) ⇌ 2NO₂(g) (भूरा) (ऊष्माशोषी अभिक्रिया)
ताप बढ़ाने पर साम्यावस्था दाईं ओर विस्थापित होती है, जिससे भूरा रंग गहरा होता है।
- कॉपर सल्फेट का जलयोजन/निर्जलीकरण:
- सांद्रण का प्रभाव:
-
निष्कर्ष: ये प्रयोग दर्शाते हैं कि सांद्रण और ताप में परिवर्तन करके साम्यावस्था की दिशा को नियंत्रित किया जा सकता है, जैसा कि ला-शातेलिए के सिद्धांत में बताया गया है।
5. विलेयता गुणनफल और सम आयन प्रभाव (Solubility Product and Common Ion Effect):
- अवधारणा: किसी अल्प विलेय लवण (Sparingly Soluble Salt) के संतृप्त विलयन में उसके आयनों की सांद्रताओं का गुणनफल एक स्थिरांक होता है, जिसे विलेयता गुणनफल (Ksp) कहते हैं। यदि विलयन में कोई ऐसा आयन मिलाया जाए जो लवण में उपस्थित आयन के समान हो (सम आयन), तो लवण की विलेयता कम हो जाती है (सम आयन प्रभाव)।
- प्रयोगशाला कार्य:
- AgCl या BaSO₄ जैसे अल्प विलेय लवणों के अवक्षेपण (Precipitation) का अध्ययन।
- AgCl के संतृप्त विलयन में NaCl (जिसमें सम आयन Cl⁻ है) या AgNO₃ (जिसमें सम आयन Ag⁺ है) मिलाने पर AgCl का और अधिक अवक्षेपण होना।
- निष्कर्ष: सम आयन मिलाने पर आयनिक गुणनफल (Ionic Product) विलेयता गुणनफल (Ksp) से अधिक हो जाता है, जिससे साम्यावस्था बाईं ओर (अविलेय लवण की ओर) विस्थापित होती है और अवक्षेपण होता है। यह गुणात्मक विश्लेषण (Qualitative Analysis) में आयनों के पृथक्करण का आधार है।
परीक्षा हेतु सुझाव:
- इन प्रयोगों के प्रेक्षण (Observations) और निष्कर्षों को ध्यान से समझें।
- pH, बफर क्रिया, ला-शातेलिए सिद्धांत और सम आयन प्रभाव की परिभाषाएँ और अनुप्रयोग याद रखें।
- विभिन्न सूचकों के रंग परिवर्तन (विशेषकर सार्वत्रिक सूचक) और pH परास का ध्यान रखें।
- प्रयोगों में शामिल रासायनिक समीकरणों को संतुलित करना सीखें।
अभ्यास हेतु बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs):
प्रश्न 1: समान सांद्रता (0.1 M) पर, निम्नलिखित में से किस विलयन का pH मान न्यूनतम होगा?
(a) CH₃COOH
(b) HCl
(c) NH₄OH
(d) NaOH
प्रश्न 2: सार्वत्रिक सूचक (Universal Indicator) का उपयोग करके किसी विलयन का pH ज्ञात करने पर गहरा नीला रंग प्राप्त होता है। यह विलयन है:
(a) प्रबल अम्लीय
(b) दुर्बल अम्लीय
(c) उदासीन
(d) प्रबल क्षारीय
प्रश्न 3: एसीटिक अम्ल (CH₃COOH) और सोडियम एसीटेट (CH₃COONa) का मिश्रण किसका उदाहरण है?
(a) प्रबल अम्ल
(b) प्रबल क्षार
(c) बफर विलयन
(d) लवण सेतु
प्रश्न 4: बफर विलयन का मुख्य गुण क्या है?
(a) इसका pH हमेशा 7 होता है।
(b) यह अम्ल या क्षार मिलाने पर pH परिवर्तन का प्रतिरोध करता है।
(c) यह केवल अम्लीय होता है।
(d) यह केवल क्षारीय होता है।
प्रश्न 5: साम्यावस्था Fe³⁺(aq) + SCN⁻(aq) ⇌ [Fe(SCN)]²⁺(aq) (लाल रंग) में, यदि पोटैशियम थायोसायनेट (KSCN) मिलाया जाए, तो:
(a) लाल रंग हल्का हो जायेगा।
(b) लाल रंग गहरा हो जायेगा।
(c) विलयन रंगहीन हो जायेगा।
(d) कोई परिवर्तन नहीं होगा।
प्रश्न 6: ला-शातेलिए के सिद्धांत के अनुसार, ऊष्माशोषी (Endothermic) अभिक्रिया के लिए ताप बढ़ाने पर साम्यावस्था किस दिशा में विस्थापित होगी?
(a) अग्र दिशा (Forward direction)
(b) पश्च दिशा (Backward direction)
(c) कोई विस्थापन नहीं होगा।
(d) पहले अग्र फिर पश्च दिशा में।
प्रश्न 7: साम्यावस्था 2CrO₄²⁻(aq) (पीला) + 2H⁺(aq) ⇌ Cr₂O₇²⁻(aq) (नारंगी) + H₂O(l) में, सोडियम हाइड्रोक्साइड (NaOH) मिलाने पर विलयन का रंग कैसा हो जायेगा?
(a) नारंगी
(b) पीला
(c) हरा
(d) रंगहीन
प्रश्न 8: AgCl के संतृप्त विलयन में NaCl मिलाने पर AgCl की विलेयता:
(a) बढ़ जाती है।
(b) कम हो जाती है।
(c) अपरिवर्तित रहती है।
(d) पहले बढ़ती है फिर कम होती है।
प्रश्न 9: सम आयन प्रभाव (Common Ion Effect) किस सिद्धांत पर आधारित है?
(a) हाइजेनबर्ग का अनिश्चितता सिद्धांत
(b) ऑफबाऊ सिद्धांत
(c) ला-शातेलिए का सिद्धांत
(d) हुंड का नियम
प्रश्न 10: प्रबल अम्ल और प्रबल क्षार के अनुमापन में तुल्यता बिंदु (Equivalence Point) पर विलयन का pH मान लगभग कितना होता है?
(a) 7 से कम
(b) 7
(c) 7 से अधिक
(d) 0
उत्तर कुंजी (Answer Key):
- (b) HCl (प्रबल अम्ल होने के कारण H⁺ सांद्रता सर्वाधिक होगी, अतः pH न्यूनतम होगा)
- (d) प्रबल क्षारीय (सार्वत्रिक सूचक प्रबल क्षार में नीला/बैंगनी रंग देता है)
- (c) बफर विलयन (दुर्बल अम्ल और उसका संयुग्मी क्षार)
- (b) यह अम्ल या क्षार मिलाने पर pH परिवर्तन का प्रतिरोध करता है।
- (b) लाल रंग गहरा हो जायेगा (SCN⁻ की सांद्रता बढ़ने से साम्यावस्था दाईं ओर विस्थापित होगी)
- (a) अग्र दिशा (ताप बढ़ाने पर ऊष्माशोषी अभिक्रिया अग्र दिशा में जाती है)
- (b) पीला (NaOH मिलाने से H⁺ उदासीन होगा, साम्यावस्था बाईं ओर विस्थापित होगी)
- (b) कम हो जाती है (सम आयन Cl⁻ के कारण)
- (c) ला-शातेलिए का सिद्धांत (साम्यावस्था पर सांद्रण परिवर्तन का प्रभाव)
- (b) 7
इन नोट्स और प्रश्नों का अच्छे से अध्ययन करें। शुभकामनाएँ!