Class 11 Chemistry Notes Chapter 7 (Chapter 7) – Rasayan Vigyan Bhag-II Book

Rasayan Vigyan Bhag-II
चलिए, आज हम कक्षा 11वीं के रसायन विज्ञान भाग-II के अध्याय 7, 'साम्यावस्था' (Equilibrium) का अध्ययन करेंगे। यह अध्याय प्रतियोगी परीक्षाओं की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। हम इसके मुख्य बिंदुओं को विस्तार से समझेंगे और फिर कुछ बहुविकल्पीय प्रश्नों (MCQs) का अभ्यास करेंगे।

अध्याय 7: साम्यावस्था (Equilibrium)

परिचय:

  • उत्क्रमणीय (Reversible) अभिक्रियाएँ: वे रासायनिक अभिक्रियाएँ जो अग्र (forward) तथा पश्च (backward) दोनों दिशाओं में हो सकती हैं। उदाहरण: N₂(g) + 3H₂(g) ⇌ 2NH₃(g)
  • अनुत्क्रमणीय (Irreversible) अभिक्रियाएँ: वे अभिक्रियाएँ जो केवल एक ही दिशा (अग्र) में होती हैं। उदाहरण: AgNO₃(aq) + NaCl(aq) → AgCl(s) + NaNO₃(aq)
  • साम्यावस्था: किसी उत्क्रमणीय प्रक्रम की वह अवस्था जिस पर अग्र तथा पश्च अभिक्रियाओं का वेग बराबर हो जाता है तथा निकाय (system) के मापने योग्य गुणधर्म (जैसे दाब, सांद्रता, रंग) स्थिर हो जाते हैं। साम्यावस्था गतिक (dynamic) प्रकृति की होती है, अर्थात अभिक्रिया रुकती नहीं है, बल्कि अग्र व पश्च अभिक्रियाएँ समान वेग से चलती रहती हैं।

भौतिक प्रक्रमों में साम्यावस्था:

  1. ठोस-द्रव साम्य: गलनांक पर ठोस तथा द्रव प्रावस्थाएँ साम्यावस्था में होती हैं। (बर्फ ⇌ जल, 0°C, 1 atm दाब पर)
  2. द्रव-वाष्प साम्य: क्वथनांक पर द्रव तथा वाष्प प्रावस्थाएँ साम्यावस्था में होती हैं। (जल ⇌ जलवाष्प, 100°C, 1 atm दाब पर) बंद पात्र में किसी भी ताप पर द्रव और उसकी वाष्प के मध्य साम्य स्थापित हो सकता है।
  3. ठोस-वाष्प साम्य: ऊर्ध्वपातन प्रक्रिया में ठोस तथा वाष्प प्रावस्थाएँ साम्यावस्था में होती हैं। (आयोडीन(ठोस) ⇌ आयोडीन(वाष्प))
  4. ठोसों का द्रवों में विलयन: संतृप्त विलयन में अविलेय ठोस तथा विलयन में उपस्थित आयनों के मध्य साम्य स्थापित होता है। (शक्कर(ठोस) ⇌ शक्कर(विलयन))
  5. गैसों का द्रवों में विलयन: बंद पात्र में गैस तथा द्रव में घुली हुई गैस के मध्य साम्य स्थापित होता है। (CO₂(गैस) ⇌ CO₂(विलयन)) - हेनरी का नियम: स्थिर ताप पर, किसी द्रव के निश्चित आयतन में घुलने वाली गैस का द्रव्यमान (या मोल अंश) गैस के दाब के समानुपाती होता है।

रासायनिक प्रक्रमों में साम्यावस्था - गतिक साम्य:

  • रासायनिक साम्यावस्था पर, अभिकारकों तथा उत्पादों की सांद्रताएँ स्थिर हो जाती हैं।
  • यह केवल बंद निकाय में ही स्थापित हो सकती है।
  • साम्यावस्था की स्थिति उत्प्रेरक द्वारा प्रभावित नहीं होती; उत्प्रेरक केवल साम्यावस्था स्थापित होने में लगने वाले समय को कम करता है।
  • साम्यावस्था किसी भी दिशा से प्राप्त की जा सकती है (अभिकारकों से शुरू करके या उत्पादों से शुरू करके)।

रासायनिक साम्य का नियम तथा साम्य स्थिरांक (K):

  • द्रव्य अनुपाती क्रिया का नियम (गुल्डबर्ग तथा वागे): किसी रासायनिक अभिक्रिया की दर, अभिकारकों के सक्रिय द्रव्यमानों (मोलर सांद्रता या आंशिक दाब) के गुणनफल के समानुपाती होती है।
  • एक सामान्य उत्क्रमणीय अभिक्रिया: aA + bB ⇌ cC + dD
    • अग्र अभिक्रिया का वेग (Rate_f) ∝ [A]ᵃ[B]ᵇ = k_f [A]ᵃ[B]ᵇ
    • पश्च अभिक्रिया का वेग (Rate_b) ∝ [C]ᶜ[D]ᵈ = k_b [C]ᶜ[D]ᵈ
    • साम्यावस्था पर, Rate_f = Rate_b
    • k_f [A]ᵃ[B]ᵇ = k_b [C]ᶜ[D]ᵈ
    • साम्य स्थिरांक (Kc): Kc = k_f / k_b = ([C]ᶜ[D]ᵈ) / ([A]ᵃ[B]ᵇ)
      • Kc सांद्रता के पदों में साम्य स्थिरांक है।
  • गैसीय अभिक्रियाओं के लिए साम्य स्थिरांक (Kp):
    • Kp = (P_Cᶜ * P_Dᵈ) / (P_Aᵃ * P_Bᵇ)
      • यहाँ P आंशिक दाब हैं।
  • Kp तथा Kc में संबंध:
    • Kp = Kc (RT)^Δng
      • R = सार्वत्रिक गैस स्थिरांक (0.0831 L bar mol⁻¹ K⁻¹)
      • T = परम ताप (केल्विन में)
      • Δng = (गैसीय उत्पादों के मोलों की संख्या) - (गैसीय अभिकारकों के मोलों की संख्या) = (c+d) - (a+b) (केवल गैसीय स्पीशीज के लिए)
      • यदि Δng = 0, तो Kp = Kc.
      • यदि Δng > 0, तो Kp > Kc.
      • यदि Δng < 0, तो Kp < Kc.
  • समांगी साम्य (Homogeneous Equilibrium): जब अभिकारक तथा उत्पाद सभी समान प्रावस्था में हों। (उदा. N₂(g) + 3H₂(g) ⇌ 2NH₃(g))
  • विषमांगी साम्य (Heterogeneous Equilibrium): जब अभिकारक तथा उत्पाद भिन्न-भिन्न प्रावस्थाओं में हों। (उदा. CaCO₃(s) ⇌ CaO(s) + CO₂(g))
    • विषमांगी साम्य के लिए साम्य स्थिरांक व्यंजक में शुद्ध ठोसों तथा शुद्ध द्रवों की सांद्रता (या सक्रिय द्रव्यमान) को इकाई (1) माना जाता है क्योंकि यह स्थिर रहती है।
    • उपरोक्त अभिक्रिया के लिए, Kc = [CO₂] तथा Kp = P_CO₂

साम्य स्थिरांक के अनुप्रयोग:

  1. अभिक्रिया की सीमा का अनुमान: K का मान अधिक होने पर (>>1) अभिक्रिया लगभग पूर्णता की ओर अग्रसर होती है (उत्पाद अधिक)। K का मान बहुत कम होने पर (<<1) अभिक्रिया मुश्किल से ही आगे बढ़ती है (अभिकारक अधिक)।
  2. अभिक्रिया की दिशा का अनुमान:
    • अभिक्रिया भागफल (Reaction Quotient, Q): साम्यावस्था के अतिरिक्त किसी भी अवस्था पर उत्पादों तथा अभिकारकों की सांद्रता (या आंशिक दाब) के अनुपात को Q कहते हैं।
      • Qc = ([C]ᶜ[D]ᵈ) / ([A]ᵃ[B]ᵇ) (किसी भी समय पर)
    • यदि Q < K: अभिक्रिया अग्र दिशा में जाएगी।
    • यदि Q > K: अभिक्रिया पश्च दिशा में जाएगी।
    • यदि Q = K: अभिक्रिया साम्यावस्था में है।
  3. साम्य सांद्रताओं की गणना: यदि प्रारंभिक सांद्रताएँ तथा K का मान ज्ञात हो तो साम्य सांद्रताओं की गणना की जा सकती है।

साम्यावस्था को प्रभावित करने वाले कारक - ले-शातेलिए का सिद्धांत (Le Chatelier’s Principle):

  • सिद्धांत: यदि साम्यावस्था में स्थित किसी निकाय पर सांद्रता, दाब या ताप में परिवर्तन किया जाता है, तो साम्य उस दिशा में विस्थापित हो जाता है जिधर उस परिवर्तन का प्रभाव निरस्त होता है।
  1. सांद्रता परिवर्तन का प्रभाव:
    • अभिकारक की सांद्रता बढ़ाने पर: साम्य अग्र दिशा में विस्थापित होता है।
    • उत्पाद की सांद्रता बढ़ाने पर: साम्य पश्च दिशा में विस्थापित होता है।
    • अभिकारक की सांद्रता कम करने पर: साम्य पश्च दिशा में विस्थापित होता है।
    • उत्पाद की सांद्रता कम करने पर: साम्य अग्र दिशा में विस्थापित होता है।
  2. दाब परिवर्तन का प्रभाव (केवल गैसीय अभिक्रियाओं के लिए, जहाँ Δng ≠ 0):
    • दाब बढ़ाने पर: साम्य उस दिशा में विस्थापित होता है जिधर गैस के मोलों की संख्या कम होती है। (उदा. N₂(g) + 3H₂(g) ⇌ 2NH₃(g) में दाब बढ़ाने पर अग्र दिशा)
    • दाब कम करने पर: साम्य उस दिशा में विस्थापित होता है जिधर गैस के मोलों की संख्या अधिक होती है।
    • यदि Δng = 0 (उदा. H₂(g) + I₂(g) ⇌ 2HI(g)), तो दाब परिवर्तन का कोई प्रभाव नहीं होता।
  3. ताप परिवर्तन का प्रभाव:
    • ऊष्माशोषी अभिक्रिया (Endothermic, ΔH = +ve): ताप बढ़ाने पर साम्य अग्र दिशा में विस्थापित होता है (K का मान बढ़ता है)। ताप कम करने पर साम्य पश्च दिशा में विस्थापित होता है (K का मान घटता है)।
    • ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया (Exothermic, ΔH = -ve): ताप बढ़ाने पर साम्य पश्च दिशा में विस्थापित होता है (K का मान घटता है)। ताप कम करने पर साम्य अग्र दिशा में विस्थापित होता है (K का मान बढ़ता है)।
  4. अक्रिय गैस मिलाने का प्रभाव:
    • स्थिर आयतन पर: अक्रिय गैस मिलाने पर कुल दाब बढ़ जाता है, परन्तु अभिकारकों तथा उत्पादों के आंशिक दाब अपरिवर्तित रहते हैं। अतः साम्यावस्था अप्रभावित रहती है।
    • स्थिर दाब पर: अक्रिय गैस मिलाने पर कुल आयतन बढ़ जाता है, जिससे अभिकारकों तथा उत्पादों के आंशिक दाब (या सांद्रता) कम हो जाते हैं। साम्य उस दिशा में विस्थापित होता है जिधर गैस के मोलों की संख्या अधिक होती है।
  5. उत्प्रेरक का प्रभाव: उत्प्रेरक अग्र तथा पश्च दोनों अभिक्रियाओं के वेग को समान रूप से बढ़ाता है। अतः यह साम्यावस्था की स्थिति को परिवर्तित नहीं करता, केवल साम्य स्थापित होने में लगने वाले समय को कम करता है।

विलयन में आयनिक साम्य:

  • वैद्युत-अपघट्य (Electrolytes): वे पदार्थ जो गलित अवस्था या जलीय विलयन में आयनों में वियोजित हो जाते हैं तथा विद्युत का चालन करते हैं (जैसे अम्ल, क्षार, लवण)।
  • वैद्युत-अनपघट्य (Non-electrolytes): वे पदार्थ जो आयनों में वियोजित नहीं होते तथा विद्युत का चालन नहीं करते (जैसे शक्कर, यूरिया)।
  • प्रबल वैद्युत-अपघट्य: जो जलीय विलयन में लगभग पूर्णतः आयनित हो जाते हैं (जैसे HCl, NaOH, NaCl)।
  • दुर्बल वैद्युत-अपघट्य: जो जलीय विलयन में आंशिक रूप से आयनित होते हैं (जैसे CH₃COOH, NH₄OH, HCN)। इनके आयनन में साम्यावस्था स्थापित होती है।

अम्ल, क्षार तथा लवण:

  1. आर्रेनियस संकल्पना:
    • अम्ल: वे पदार्थ जो जलीय विलयन में H⁺ आयन देते हैं (जैसे HCl, H₂SO₄)।
    • क्षार: वे पदार्थ जो जलीय विलयन में OH⁻ आयन देते हैं (जैसे NaOH, KOH)।
  2. ब्रान्स्टेड-लॉरी संकल्पना:
    • अम्ल: प्रोटॉन (H⁺) दाता।
    • क्षार: प्रोटॉन (H⁺) ग्राही।
    • संयुग्मी अम्ल-क्षार युग्म (Conjugate Acid-Base Pair): एक अम्ल तथा एक क्षार का युग्म जो केवल एक प्रोटॉन द्वारा भिन्न होता है।
      • अम्ल ⇌ प्रोटॉन (H⁺) + संयुग्मी क्षार (उदा. HCl ⇌ H⁺ + Cl⁻)
      • क्षार + प्रोटॉन (H⁺) ⇌ संयुग्मी अम्ल (उदा. NH₃ + H⁺ ⇌ NH₄⁺)
  3. लुईस संकल्पना:
    • अम्ल: इलेक्ट्रॉन युग्म ग्राही (Electron pair acceptor) (उदा. BF₃, AlCl₃, H⁺)।
    • क्षार: इलेक्ट्रॉन युग्म दाता (Electron pair donor) (उदा. NH₃, H₂O, OH⁻)।

अम्लों तथा क्षारों का आयनन:

  • जल का आयनन तथा आयनिक गुणनफल (Kw):
    • H₂O(l) + H₂O(l) ⇌ H₃O⁺(aq) + OH⁻(aq)
    • Kw = [H₃O⁺][OH⁻]
    • 25°C (298 K) पर, Kw = 1.0 x 10⁻¹⁴
    • शुद्ध जल में, [H₃O⁺] = [OH⁻] = 1.0 x 10⁻⁷ M
  • pH स्केल: विलयन की अम्लता या क्षारकता व्यक्त करने का पैमाना।
    • pH = -log₁₀[H₃O⁺] या pH = -log₁₀[H⁺]
    • pOH = -log₁₀[OH⁻]
    • pH + pOH = pKw = 14 (25°C पर)
    • pH < 7: अम्लीय विलयन
    • pH > 7: क्षारीय विलयन
    • pH = 7: उदासीन विलयन
  • दुर्बल अम्लों का आयनन स्थिरांक (Ka):
    • HA(aq) + H₂O(l) ⇌ H₃O⁺(aq) + A⁻(aq)
    • Ka = ([H₃O⁺][A⁻]) / [HA]
    • pKa = -log₁₀Ka (Ka जितना अधिक या pKa जितना कम, अम्ल उतना प्रबल)
  • दुर्बल क्षारों का आयनन स्थिरांक (Kb):
    • B(aq) + H₂O(l) ⇌ BH⁺(aq) + OH⁻(aq)
    • Kb = ([BH⁺][OH⁻]) / [B]
    • pKb = -log₁₀Kb (Kb जितना अधिक या pKb जितना कम, क्षार उतना प्रबल)
  • संयुग्मी अम्ल-क्षार युग्म के लिए Ka तथा Kb में संबंध:
    • Ka * Kb = Kw
    • pKa + pKb = pKw = 14 (25°C पर)
  • आयनन की मात्रा (Degree of Ionization, α): वियोजित मोलों की संख्या / कुल मोलों की संख्या।
    • दुर्बल अम्ल के लिए: Ka = Cα² / (1-α) ≈ Cα² (यदि α << 1) => α = √(Ka/C)
    • दुर्बल क्षार के लिए: Kb = Cα² / (1-α) ≈ Cα² (यदि α << 1) => α = √(Kb/C)
    • (यहाँ C प्रारंभिक सांद्रता है)

सम आयन प्रभाव (Common Ion Effect):

  • किसी दुर्बल वैद्युत-अपघट्य के विलयन में, कोई ऐसा प्रबल वैद्युत-अपघट्य मिलाने पर जिसमें एक आयन उभयनिष्ठ (common) हो, दुर्बल वैद्युत-अपघट्य का वियोजन (आयनन) कम हो जाता है।
  • उदाहरण: CH₃COOH के विलयन में CH₃COONa मिलाने पर CH₃COOH का आयनन कम हो जाता है क्योंकि CH₃COO⁻ आयन सम आयन है।

लवणों का जल-अपघटन तथा उनके विलयनों का pH (Hydrolysis of Salts):

  • लवण के धनायन या ऋणायन (या दोनों) का जल के साथ अभिक्रिया करके H₃O⁺ या OH⁻ आयन उत्पन्न करना लवण जल-अपघटन कहलाता है।
  1. प्रबल अम्ल तथा प्रबल क्षार के लवण (जैसे NaCl, KNO₃): जल-अपघटन नहीं होता। विलयन उदासीन (pH = 7) होता है।
  2. दुर्बल अम्ल तथा प्रबल क्षार के लवण (जैसे CH₃COONa, KCN): ऋणायन का जल-अपघटन होता है। विलयन क्षारीय (pH > 7) होता है।
    • A⁻ + H₂O ⇌ HA + OH⁻
    • जल-अपघटन स्थिरांक, Kh = Kw / Ka
    • pH = 7 + ½(pKa + log C)
  3. प्रबल अम्ल तथा दुर्बल क्षार के लवण (जैसे NH₄Cl, CuSO₄): धनायन का जल-अपघटन होता है। विलयन अम्लीय (pH < 7) होता है।
    • BH⁺ + H₂O ⇌ B + H₃O⁺
    • जल-अपघटन स्थिरांक, Kh = Kw / Kb
    • pH = 7 - ½(pKb + log C)
  4. दुर्बल अम्ल तथा दुर्बल क्षार के लवण (जैसे CH₃COONH₄, NH₄CN): धनायन तथा ऋणायन दोनों का जल-अपघटन होता है। विलयन की प्रकृति Ka तथा Kb के आपेक्षिक मानों पर निर्भर करती है।
    • यदि Ka = Kb, विलयन उदासीन (pH ≈ 7)।
    • यदि Ka > Kb, विलयन अम्लीय (pH < 7)।
    • यदि Ka < Kb, विलयन क्षारीय (pH > 7)।
    • Kh = Kw / (Ka * Kb)
    • pH = 7 + ½(pKa - pKb) (यह सांद्रता पर निर्भर नहीं करता)

बफर विलयन (Buffer Solutions):

  • वे विलयन जो अल्प मात्रा में अम्ल या क्षार मिलाने पर अपने pH मान में परिवर्तन का प्रतिरोध करते हैं।
  1. अम्लीय बफर: एक दुर्बल अम्ल तथा उसी अम्ल का किसी प्रबल क्षार के साथ बने लवण का मिश्रण। (उदा. CH₃COOH + CH₃COONa)
  2. क्षारीय बफर: एक दुर्बल क्षार तथा उसी क्षार का किसी प्रबल अम्ल के साथ बने लवण का मिश्रण। (उदा. NH₄OH + NH₄Cl)
  • हेन्डरसन-हेसलबैल्ख समीकरण (Henderson-Hasselbalch Equation):
    • अम्लीय बफर के लिए: pH = pKa + log₁₀ ([लवण]/[अम्ल]) या pH = pKa + log₁₀ ([संयुग्मी क्षार]/[अम्ल])
    • क्षारीय बफर के लिए: pOH = pKb + log₁₀ ([लवण]/[क्षार]) या pOH = pKb + log₁₀ ([संयुग्मी अम्ल]/[क्षार])
  • बफर की क्रियाविधि सम आयन प्रभाव तथा अतिरिक्त अम्ल/क्षार के उदासीनीकरण पर आधारित है।

अल्प विलेय लवणों का विलेयता साम्य (Solubility Equilibria):

  • अल्प विलेय लवण (Sparingly soluble salts) जैसे AgCl, BaSO₄ जल में बहुत कम घुलते हैं। इनके संतृप्त विलयन में अविलेय ठोस तथा विलयन में उपस्थित आयनों के मध्य साम्य स्थापित होता है।
  • AxBy(s) ⇌ xAʸ⁺(aq) + yBˣ⁻(aq)
  • विलेयता गुणनफल स्थिरांक (Solubility Product Constant, Ksp):
    • Ksp = [Aʸ⁺]ˣ [Bˣ⁻]ʸ
    • Ksp केवल ताप पर निर्भर करता है।
  • विलेयता (Solubility, s): किसी निश्चित ताप पर संतृप्त विलयन में लवण की मोल प्रति लीटर में सांद्रता।
    • AxBy के लिए: [Aʸ⁺] = xs तथा [Bˣ⁻] = ys
    • Ksp = (xs)ˣ (ys)ʸ = xˣ yʸ s⁽ˣ⁺ʸ⁾
    • उदाहरण: AgCl (s) ⇌ Ag⁺(aq) + Cl⁻(aq); Ksp = [Ag⁺][Cl⁻] = s * s = s² => s = √Ksp
    • उदाहरण: Mg(OH)₂(s) ⇌ Mg²⁺(aq) + 2OH⁻(aq); Ksp = [Mg²⁺][OH⁻]² = s * (2s)² = 4s³ => s = ³√(Ksp/4)
  • विलेयता गुणनफल के अनुप्रयोग:
    • अवक्षेपण की भविष्यवाणी: यदि आयनिक गुणनफल (Ionic Product, Qsp) > Ksp, तो अवक्षेपण होगा। यदि Qsp < Ksp, तो अवक्षेपण नहीं होगा (विलयन असंतृप्त)। यदि Qsp = Ksp, तो विलयन संतृप्त है (साम्यावस्था)।
    • सम आयन प्रभाव: सम आयन की उपस्थिति में अल्प विलेय लवण की विलेयता घट जाती है।

अभ्यास हेतु बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs):

प्रश्न 1: अभिक्रिया N₂(g) + 3H₂(g) ⇌ 2NH₃(g) के लिए, Kp तथा Kc में सही संबंध है:
(a) Kp = Kc
(b) Kp = Kc (RT)
(c) Kp = Kc (RT)⁻²
(d) Kp = Kc (RT)²

प्रश्न 2: ले-शातेलिए सिद्धांत के अनुसार, ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया (ΔH = -ve) के लिए, ताप बढ़ाने पर साम्य:
(a) अग्र दिशा में विस्थापित होगा
(b) पश्च दिशा में विस्थापित होगा
(c) अप्रभावित रहेगा
(d) पहले अग्र फिर पश्च दिशा में विस्थापित होगा

प्रश्न 3: निम्नलिखित में से कौन सा लुईस अम्ल है?
(a) NH₃
(b) H₂O
(c) BF₃
(d) OH⁻

प्रश्न 4: 25°C पर शुद्ध जल का pH मान होता है:
(a) 0
(b) 14
(c) 7
(d) 1

प्रश्न 5: निम्नलिखित में से कौन सा मिश्रण एक अम्लीय बफर विलयन बनाता है?
(a) HCl + NaCl
(b) NaOH + NaCl
(c) CH₃COOH + CH₃COONa
(d) NH₄OH + NH₄Cl

प्रश्न 6: यदि AgCl के लिए विलेयता गुणनफल (Ksp) का मान 1.8 x 10⁻¹⁰ है, तो शुद्ध जल में इसकी विलेयता (s) मोल/लीटर में होगी:
(a) √(1.8 x 10⁻¹⁰)
(b) 1.8 x 10⁻¹⁰
(c) (1.8 x 10⁻¹⁰)²
(d) ³√(1.8 x 10⁻¹⁰ / 4)

प्रश्न 7: किसी उत्क्रमणीय अभिक्रिया के लिए, यदि अभिक्रिया भागफल (Q) साम्य स्थिरांक (K) से कम है (Q < K), तो:
(a) अभिक्रिया साम्यावस्था में है
(b) अभिक्रिया पश्च दिशा में अग्रसर होगी
(c) अभिक्रिया अग्र दिशा में अग्रसर होगी
(d) अभिक्रिया रुक जाएगी

प्रश्न 8: एसिटिक अम्ल (CH₃COOH) के जलीय विलयन में सोडियम एसिटेट (CH₃COONa) मिलाने पर एसिटिक अम्ल के आयनन की मात्रा:
(a) बढ़ जाती है
(b) घट जाती है
(c) अपरिवर्तित रहती है
(d) पहले बढ़ती है फिर घटती है

प्रश्न 9: अमोनियम क्लोराइड (NH₄Cl) का जलीय विलयन होता है:
(a) अम्लीय
(b) क्षारीय
(c) उदासीन
(d) उभयधर्मी

प्रश्न 10: H₂PO₄⁻ का संयुग्मी क्षार क्या है?
(a) H₃PO₄
(b) HPO₄²⁻
(c) PO₄³⁻
(d) H₂PO₃⁻


उत्तरमाला (MCQs):

  1. (c) Kp = Kc (RT)⁻² (Δng = 2 - (1+3) = -2)
  2. (b) पश्च दिशा में विस्थापित होगा
  3. (c) BF₃ (इलेक्ट्रॉन न्यून यौगिक)
  4. (c) 7
  5. (c) CH₃COOH + CH₃COONa (दुर्बल अम्ल + उसका लवण)
  6. (a) √(1.8 x 10⁻¹⁰) (Ksp = s²)
  7. (c) अभिक्रिया अग्र दिशा में अग्रसर होगी
  8. (b) घट जाती है (सम आयन प्रभाव के कारण)
  9. (a) अम्लीय (प्रबल अम्ल HCl तथा दुर्बल क्षार NH₄OH का लवण)
  10. (b) HPO₄²⁻ (H₂PO₄⁻ → H⁺ + HPO₄²⁻)

इन नोट्स को ध्यान से पढ़ें और समझें। यदि कोई शंका हो तो अवश्य पूछें। सरकारी परीक्षाओं के लिए इन अवधारणाओं की स्पष्ट समझ बहुत आवश्यक है।

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