Class 11 Chemistry Notes Chapter 7 () – Rasayan Vigyan Bhag-I Book

चलिए, आज हम रसायन विज्ञान के एक बहुत महत्वपूर्ण अध्याय - अध्याय 7: 'साम्यावस्था' (Equilibrium) का विस्तृत अध्ययन करेंगे, जो आपकी सरकारी परीक्षाओं की तैयारी के लिए अत्यंत उपयोगी होगा।
अध्याय 7: साम्यावस्था (Equilibrium)
परिचय:
साम्यावस्था प्रकृति में और रासायनिक प्रणालियों में एक मौलिक अवधारणा है। यह वह अवस्था है जब किसी प्रक्रम (भौतिक या रासायनिक) में मापने योग्य गुणों (जैसे दाब, सांद्रता, तापमान, रंग) में समय के साथ कोई परिवर्तन नहीं होता है। यह स्थिरता स्थैतिक नहीं होती, बल्कि गतिक (dynamic) होती है, जिसका अर्थ है कि अग्र (forward) और प्रतीप (backward) प्रक्रम समान दर से हो रहे होते हैं।
1. भौतिक प्रक्रमों में साम्यावस्था (Equilibrium in Physical Processes):
इनमें पदार्थ की अवस्थाओं के बीच साम्य शामिल होता है।
- ठोस-द्रव साम्यावस्था: गलनांक पर, ठोस के पिघलने की दर और द्रव के जमने की दर बराबर होती है। उदाहरण: बर्फ ⇌ पानी (0°C, 1 atm पर)।
- द्रव-वाष्प साम्यावस्था: क्वथनांक पर (बंद पात्र में), वाष्पन की दर और संघनन की दर बराबर होती है। उदाहरण: पानी (द्रव) ⇌ पानी (वाष्प) (100°C, 1 atm पर)।
- ठोस-वाष्प साम्यावस्था: कुछ ठोस सीधे वाष्प में बदलते हैं (ऊर्ध्वपातन)। बंद पात्र में, ऊर्ध्वपातन की दर और निक्षेपण (deposition) की दर बराबर होती है। उदाहरण: आयोडीन (ठोस) ⇌ आयोडीन (वाष्प)।
भौतिक साम्यावस्था के सामान्य अभिलक्षण:
- केवल बंद निकाय (closed system) में ही स्थापित होती है।
- साम्यावस्था गतिक प्रकृति की होती है।
- सभी मापने योग्य गुण स्थिर हो जाते हैं।
- दिए गए तापमान पर साम्यावस्था पर किसी पदार्थ की विभिन्न प्रावस्थाओं की सांद्रता स्थिर होती है।
2. रासायनिक प्रक्रमों में साम्यावस्था - गतिक साम्यावस्था (Equilibrium in Chemical Processes - Dynamic Equilibrium):
उत्क्रमणीय (Reversible) रासायनिक अभिक्रियाओं में साम्यावस्था स्थापित होती है।
- उत्क्रमणीय अभिक्रियाएँ: वे अभिक्रियाएँ जो अग्र और प्रतीप दोनों दिशाओं में हो सकती हैं। उदाहरण: N₂(g) + 3H₂(g) ⇌ 2NH₃(g)
- अनुत्क्रमणीय अभिक्रियाएँ: वे अभिक्रियाएँ जो केवल एक दिशा में होती हैं।
रासायनिक साम्यावस्था: वह अवस्था जब किसी उत्क्रमणीय रासायनिक अभिक्रिया में अग्र अभिक्रिया की दर (rate of forward reaction) प्रतीप अभिक्रिया की दर (rate of backward reaction) के बराबर हो जाती है। इस अवस्था पर अभिकारकों और उत्पादों की सांद्रताएँ स्थिर हो जाती हैं।
द्रव्य अनुपाती क्रिया का नियम (Law of Mass Action) (गुल्डबर्ग एवं वागे):
किसी निश्चित ताप पर, किसी पदार्थ के क्रिया करने की दर उसके सक्रिय द्रव्यमान (active mass - सामान्यतः मोलर सांद्रता) के समानुपाती होती है तथा किसी रासायनिक अभिक्रिया की दर अभिकारी पदार्थों के सक्रिय द्रव्यमानों के गुणनफल के समानुपाती होती है।
माना एक सामान्य उत्क्रमणीय अभिक्रिया: aA + bB ⇌ cC + dD
- अग्र अभिक्रिया की दर (Rf) ∝ [A]ᵃ[B]ᵇ => Rf = kf [A]ᵃ[B]ᵇ
- प्रतीप अभिक्रिया की दर (Rb) ∝ [C]ᶜ[D]ᵈ => Rb = kb [C]ᶜ[D]ᵈ
(यहाँ kf और kb क्रमशः अग्र और प्रतीप अभिक्रिया के वेग स्थिरांक हैं।)
साम्यावस्था पर, Rf = Rb
kf [A]ᵃ[B]ᵇ = kb [C]ᶜ[D]ᵈ
या, kf / kb = ([C]ᶜ[D]ᵈ) / ([A]ᵃ[B]ᵇ)
साम्य स्थिरांक (Equilibrium Constant), Kc:
Kc = kf / kb = ([C]ᶜ[D]ᵈ) / ([A]ᵃ[B]ᵇ)
Kc सांद्रता के पदों में साम्य स्थिरांक है। इसका मान केवल तापमान पर निर्भर करता है।
गैसीय अभिक्रियाओं के लिए साम्य स्थिरांक, Kp:
गैसीय अभिक्रियाओं के लिए, सांद्रता के स्थान पर आंशिक दाब का उपयोग करना अधिक सुविधाजनक होता है।
Kp = (P<0xE1><0xB5><0xAEC>)ᶜ (P<0xE1><0xB5><0xABD>)ᵈ / (P<0xE1><0xB5><0xAA>)ᵃ (P<0xE1><0xB5><0xAB>)ᵇ
(यहाँ P<0xE1><0xB5><0xAA>, P<0xE1><0xB5><0xAB>, P<0xE1><0xB5><0xAEC>, P<0xE1><0xB5><0xABD> क्रमशः A, B, C, D के साम्यावस्था पर आंशिक दाब हैं।)
Kp तथा Kc में संबंध:
Kp = Kc (RT)^Δng
जहाँ:
- R = गैस स्थिरांक (0.0831 L bar mol⁻¹ K⁻¹ या 0.0821 L atm mol⁻¹ K⁻¹)
- T = परम ताप (केल्विन में)
- Δng = (उत्पादों के गैसीय मोलों की संख्या) - (अभिकारकों के गैसीय मोलों की संख्या)
= (c + d) - (a + b) (केवल गैसीय प्रजातियों के लिए)
साम्य स्थिरांक के अभिलक्षण:
- इसका मान केवल तापमान पर निर्भर करता है।
- यह अभिकारकों या उत्पादों की प्रारंभिक सांद्रता पर निर्भर नहीं करता है।
- उत्प्रेरक साम्यावस्था को प्रभावित नहीं करता है, यह केवल साम्यावस्था तक पहुँचने के समय को कम करता है।
- यदि अभिक्रिया को उलट दिया जाए, तो नया साम्य स्थिरांक मूल स्थिरांक का व्युत्क्रम होता है (K'c = 1/Kc)।
- यदि अभिक्रिया को n से गुणा किया जाए, तो नया साम्य स्थिरांक (Kc)ⁿ हो जाता है।
समांगी तथा विषमांगी साम्यावस्था (Homogeneous and Heterogeneous Equilibria):
- समांगी साम्यावस्था: जब सभी अभिकारक और उत्पाद समान प्रावस्था (phase) में होते हैं। उदाहरण: N₂(g) + 3H₂(g) ⇌ 2NH₃(g)
- विषमांगी साम्यावस्था: जब अभिकारक और उत्पाद भिन्न प्रावस्थाओं में होते हैं। उदाहरण: CaCO₃(s) ⇌ CaO(s) + CO₂(g)
- विषमांगी साम्यावस्था के लिए Kp या Kc लिखते समय, शुद्ध ठोसों और शुद्ध द्रवों की सांद्रता (या आंशिक दाब) को इकाई (1) माना जाता है क्योंकि उनकी सांद्रता स्थिर रहती है।
- CaCO₃(s) ⇌ CaO(s) + CO₂(g) के लिए, Kc = [CO₂(g)] और Kp = P<0xE1><0xB5><0xAB><0xE1><0xB5><0x8A>₂
साम्य स्थिरांक के अनुप्रयोग:
- अभिक्रिया की सीमा का अनुमान: Kc का उच्च मान (>>1) इंगित करता है कि साम्यावस्था पर उत्पादों की सांद्रता अधिक है (अभिक्रिया लगभग पूर्णता की ओर अग्रसर)। Kc का निम्न मान (<<1) इंगित करता है कि अभिकारकों की सांद्रता अधिक है (अभिक्रिया मुश्किल से आगे बढ़ती है)।
- अभिक्रिया की दिशा का अनुमान: अभिक्रिया भागफल (Reaction Quotient, Qc) की गणना करके अभिक्रिया की दिशा का अनुमान लगाया जा सकता है। Qc का व्यंजक Kc के समान होता है, लेकिन इसमें सांद्रताएँ साम्यावस्था पर आवश्यक नहीं हैं।
- यदि Qc < Kc: अभिक्रिया अग्र दिशा में जाएगी।
- यदि Qc > Kc: अभिक्रिया प्रतीप दिशा में जाएगी।
- यदि Qc = Kc: अभिक्रिया साम्यावस्था में है।
- साम्य सांद्रताओं की गणना: यदि प्रारंभिक सांद्रताएँ और Kc ज्ञात हों, तो साम्य सांद्रताओं की गणना की जा सकती है।
3. साम्यावस्था को प्रभावित करने वाले कारक - ली-शातेलिए का सिद्धांत (Le Chatelier's Principle):
यदि साम्यावस्था में स्थित किसी निकाय पर अवस्था परिवर्तन (जैसे सांद्रता, ताप या दाब में परिवर्तन) किया जाता है, तो साम्यावस्था उस दिशा में विस्थापित हो जाती है जिधर उस परिवर्तन का प्रभाव निरस्त होता है।
- सांद्रता परिवर्तन का प्रभाव:
- अभिकारक की सांद्रता बढ़ाने पर: साम्यावस्था अग्र दिशा में विस्थापित होती है।
- उत्पाद की सांद्रता बढ़ाने पर: साम्यावस्था प्रतीप दिशा में विस्थापित होती है।
- दाब परिवर्तन का प्रभाव (केवल गैसीय अभिक्रियाओं के लिए):
- दाब बढ़ाने पर: साम्यावस्था उस दिशा में विस्थापित होती है जिधर गैस के मोलों की संख्या कम होती है (Δng < 0)।
- दाब कम करने पर: साम्यावस्था उस दिशा में विस्थापित होती है जिधर गैस के मोलों की संख्या अधिक होती है (Δng > 0)।
- यदि Δng = 0, तो दाब परिवर्तन का कोई प्रभाव नहीं होता है।
- ताप परिवर्तन का प्रभाव:
- ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया (Exothermic, ΔH < 0): ताप बढ़ाने पर साम्यावस्था प्रतीप दिशा में (ऊष्मा अवशोषित करने वाली दिशा) विस्थापित होती है (Kc घटता है)। ताप कम करने पर अग्र दिशा में विस्थापित होती है (Kc बढ़ता है)।
- ऊष्माशोषी अभिक्रिया (Endothermic, ΔH > 0): ताप बढ़ाने पर साम्यावस्था अग्र दिशा में (ऊष्मा अवशोषित करने वाली दिशा) विस्थापित होती है (Kc बढ़ता है)। ताप कम करने पर प्रतीप दिशा में विस्थापित होती है (Kc घटता है)।
- उत्प्रेरक का प्रभाव: उत्प्रेरक अग्र और प्रतीप दोनों अभिक्रियाओं की दर को समान रूप से बढ़ाता है। यह साम्यावस्था की स्थिति या Kc को परिवर्तित नहीं करता है, केवल साम्यावस्था शीघ्र स्थापित करने में मदद करता है।
- अक्रिय गैस मिलाने का प्रभाव:
- स्थिर आयतन पर: अक्रिय गैस मिलाने से कुल दाब बढ़ता है, लेकिन अभिकारकों और उत्पादों के आंशिक दाब अपरिवर्तित रहते हैं। अतः साम्यावस्था पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
- स्थिर दाब पर: अक्रिय गैस मिलाने से कुल आयतन बढ़ता है, जिससे प्रत्येक अभिकारक और उत्पाद का आंशिक दाब (या सांद्रता) कम हो जाता है। साम्यावस्था उस दिशा में विस्थापित होती है जिधर गैस के मोलों की संख्या अधिक होती है (Δng > 0)।
4. आयनिक साम्यावस्था (Ionic Equilibrium):
यह विलयनों में आयनों के बीच स्थापित साम्यावस्था से संबंधित है, विशेषकर दुर्बल विद्युत अपघट्यों (weak electrolytes) के आयनन में।
-
विद्युत अपघट्य: वे पदार्थ जो गलित अवस्था में या जलीय विलयन में आयनों में वियोजित हो जाते हैं और विद्युत का चालन करते हैं (जैसे अम्ल, क्षार, लवण)।
- प्रबल विद्युत अपघट्य: लगभग पूर्णतः आयनित हो जाते हैं (जैसे HCl, NaOH, NaCl)।
- दुर्बल विद्युत अपघट्य: आंशिक रूप से आयनित होते हैं और आयनों तथा अनआयनित अणुओं के बीच साम्यावस्था स्थापित करते हैं (जैसे CH₃COOH, NH₄OH)।
-
अम्ल, क्षारक एवं लवण (Acids, Bases and Salts):
- आरेनियस संकल्पना: अम्ल वे पदार्थ हैं जो जल में H⁺ आयन देते हैं। क्षारक वे पदार्थ हैं जो जल में OH⁻ आयन देते हैं।
- ब्रान्स्टेड-लॉरी संकल्पना: अम्ल प्रोटॉन (H⁺) दाता होते हैं। क्षारक प्रोटॉन ग्राही होते हैं।
- संयुग्मी अम्ल-क्षारक युग्म (Conjugate acid-base pair): एक अम्ल और एक क्षारक जो केवल एक प्रोटॉन द्वारा भिन्न होते हैं। (जैसे HCl/Cl⁻, NH₄⁺/NH₃)।
- लूइस संकल्पना: अम्ल इलेक्ट्रॉन युग्म ग्राही होते हैं। क्षारक इलेक्ट्रॉन युग्म दाता होते हैं। (जैसे BF₃ अम्ल है, NH₃ क्षारक है)।
-
अम्लों एवं क्षारकों का आयनन (Ionization of Acids and Bases):
- दुर्बल अम्ल का आयनन: HA(aq) + H₂O(l) ⇌ H₃O⁺(aq) + A⁻(aq)
आयनन स्थिरांक, Ka = [H₃O⁺][A⁻] / [HA]
Ka का मान जितना अधिक होता है, अम्ल उतना ही प्रबल होता है। pKa = -log(Ka) (pKa कम, अम्ल प्रबल)। - दुर्बल क्षारक का आयनन: B(aq) + H₂O(l) ⇌ BH⁺(aq) + OH⁻(aq)
आयनन स्थिरांक, Kb = [BH⁺][OH⁻] / [B]
Kb का मान जितना अधिक होता है, क्षारक उतना ही प्रबल होता है। pKb = -log(Kb) (pKb कम, क्षारक प्रबल)।
- दुर्बल अम्ल का आयनन: HA(aq) + H₂O(l) ⇌ H₃O⁺(aq) + A⁻(aq)
-
जल का आयनिक गुणनफल (Ionic Product of Water), Kw:
H₂O(l) + H₂O(l) ⇌ H₃O⁺(aq) + OH⁻(aq)
Kw = [H₃O⁺][OH⁻]
25°C (298 K) पर, Kw = 1.0 x 10⁻¹⁴
शुद्ध जल में, [H₃O⁺] = [OH⁻] = 1.0 x 10⁻⁷ M (उदासीन)
अम्लीय विलयन में: [H₃O⁺] > [OH⁻]
क्षारीय विलयन में: [H₃O⁺] < [OH⁻]
किसी संयुग्मी अम्ल-क्षारक युग्म के लिए: Ka × Kb = Kw -
pH स्केल:
pH = -log[H₃O⁺] या pH = -log[H⁺]
pOH = -log[OH⁻]
pH + pOH = pKw = 14 (25°C पर)- pH < 7: अम्लीय विलयन
- pH = 7: उदासीन विलयन
- pH > 7: क्षारीय विलयन
-
सम आयन प्रभाव (Common Ion Effect):
किसी दुर्बल विद्युत अपघट्य के विलयन में, यदि कोई ऐसा प्रबल विद्युत अपघट्य मिलाया जाए जिसमें एक आयन उभयनिष्ठ (common) हो, तो दुर्बल विद्युत अपघट्य का आयनन कम हो जाता है। उदाहरण: CH₃COOH के विलयन में CH₃COONa मिलाने पर CH₃COOH का आयनन घट जाता है। -
लवणों का जल-अपघटन (Hydrolysis of Salts):
लवण के धनायन या ऋणायन (या दोनों) का जल के साथ अभिक्रिया करके H₃O⁺ या OH⁻ आयन उत्पन्न करने का प्रक्रम।- प्रबल अम्ल-प्रबल क्षारक के लवण (जैसे NaCl): जल-अपघटन नहीं होता, विलयन उदासीन (pH=7)।
- प्रबल अम्ल-दुर्बल क्षारक के लवण (जैसे NH₄Cl): धनायन का जल-अपघटन होता है, विलयन अम्लीय (pH<7)।
- दुर्बल अम्ल-प्रबल क्षारक के लवण (जैसे CH₃COONa): ऋणायन का जल-अपघटन होता है, विलयन क्षारीय (pH>7)।
- दुर्बल अम्ल-दुर्बल क्षारक के लवण (जैसे CH₃COONH₄): दोनों आयनों का जल-अपघटन होता है, विलयन की प्रकृति Ka और Kb के आपेक्षिक मानों पर निर्भर करती है। (यदि Ka > Kb, अम्लीय; यदि Kb > Ka, क्षारीय; यदि Ka ≈ Kb, उदासीन)।
-
बफर विलयन (Buffer Solutions):
वे विलयन जो अल्प मात्रा में अम्ल या क्षारक मिलाने पर अपने pH मान में परिवर्तन का प्रतिरोध करते हैं।- अम्लीय बफर: एक दुर्बल अम्ल और उसी अम्ल का किसी प्रबल क्षारक के साथ बने लवण का मिश्रण (जैसे CH₃COOH + CH₃COONa)।
- क्षारीय बफर: एक दुर्बल क्षारक और उसी क्षारक का किसी प्रबल अम्ल के साथ बने लवण का मिश्रण (जैसे NH₄OH + NH₄Cl)।
- बफर क्रिया: उभयनिष्ठ आयन प्रभाव और अतिरिक्त अम्ल/क्षारक के साथ अभिक्रिया द्वारा।
- हेन्डरसन-हेसलबाल्ख समीकरण (Henderson-Hasselbalch Equation):
- अम्लीय बफर के लिए: pH = pKa + log ([लवण]/[अम्ल])
- क्षारीय बफर के लिए: pOH = pKb + log ([लवण]/[क्षारक])
-
अल्प विलेय लवणों की विलेयता साम्यावस्था (Solubility Equilibria of Sparingly Soluble Salts):
अल्प विलेय लवण (जैसे AgCl, BaSO₄) अपने संतृप्त विलयन में आयनों और अनआयनित ठोस के बीच साम्यावस्था स्थापित करते हैं।
उदाहरण: AgCl(s) ⇌ Ag⁺(aq) + Cl⁻(aq)
विलेयता गुणनफल स्थिरांक (Solubility Product Constant), Ksp:
Ksp = [Ag⁺][Cl⁻]
सामान्य लवण AxBy के लिए: AxBy(s) ⇌ xAʸ⁺(aq) + yBˣ⁻(aq)
Ksp = [Aʸ⁺]ˣ [Bˣ⁻]ʸ
Ksp का मान केवल तापमान पर निर्भर करता है।
विलेयता (Solubility, s): संतृप्त विलयन बनाने के लिए प्रति लीटर विलयन में घुले लवण के मोलों की संख्या।
AxBy के लिए, Ksp = (xs)ˣ (ys)ʸ = xˣ yʸ s⁽ˣ⁺ʸ⁾
अनुप्रयोग:- अवक्षेपण की भविष्यवाणी: आयनिक गुणनफल (Ionic Product, Qsp) की गणना करके।
- यदि Qsp < Ksp: विलयन असंतृप्त, कोई अवक्षेप नहीं।
- यदि Qsp = Ksp: विलयन संतृप्त, साम्यावस्था।
- यदि Qsp > Ksp: विलयन अतिसंतृप्त, अवक्षेपण होगा जब तक Qsp = Ksp न हो जाए।
- सम आयन प्रभाव द्वारा विलेयता पर प्रभाव: सम आयन की उपस्थिति में अल्प विलेय लवण की विलेयता घट जाती है।
- अवक्षेपण की भविष्यवाणी: आयनिक गुणनफल (Ionic Product, Qsp) की गणना करके।
यह अध्याय रासायनिक और आयनिक दोनों प्रकार की साम्यावस्थाओं की विस्तृत समझ प्रदान करता है, जो विभिन्न रासायनिक प्रणालियों और विश्लेषणात्मक तकनीकों के लिए आधार है।
अभ्यास हेतु बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs):
प्रश्न 1: अभिक्रिया N₂(g) + 3H₂(g) ⇌ 2NH₃(g) के लिए, Kp और Kc के बीच सही संबंध है:
(a) Kp = Kc
(b) Kp = Kc (RT)⁻²
(c) Kp = Kc (RT)²
(d) Kp = Kc (RT)
प्रश्न 2: ली-शातेलिए सिद्धांत के अनुसार, ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया A(g) + B(g) ⇌ C(g) (ΔH = -ve) में उत्पाद C की अधिक मात्रा प्राप्त करने के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ हैं:
(a) निम्न ताप, उच्च दाब
(b) उच्च ताप, निम्न दाब
(c) निम्न ताप, निम्न दाब
(d) उच्च ताप, उच्च दाब
प्रश्न 3: जल का आयनिक गुणनफल (Kw) किस पर निर्भर करता है?
(a) केवल दाब पर
(b) केवल आयतन पर
(c) केवल ताप पर
(d) ताप और दाब दोनों पर
प्रश्न 4: 0.01 M HCl विलयन का pH मान क्या होगा?
(a) 1
(b) 2
(c) 0.01
(d) 12
प्रश्न 5: निम्नलिखित में से कौन सा लूइस अम्ल नहीं है?
(a) BF₃
(b) AlCl₃
(c) NH₃
(d) H⁺
प्रश्न 6: CH₃COOH और CH₃COONa का मिश्रण किसका उदाहरण है?
(a) अम्लीय बफर
(b) क्षारीय बफर
(c) उदासीन विलयन
(d) लवण विलयन
प्रश्न 7: AgCl के संतृप्त विलयन में NaCl मिलाने पर AgCl की विलेयता:
(a) बढ़ जाती है
(b) घट जाती है
(c) अपरिवर्तित रहती है
(d) पहले बढ़ती है फिर घटती है
प्रश्न 8: अभिक्रिया H₂(g) + I₂(g) ⇌ 2HI(g) के लिए, यदि आयतन को आधा कर दिया जाए तो साम्य स्थिरांक Kc:
(a) आधा हो जाएगा
(b) दोगुना हो जाएगा
(c) चार गुना हो जाएगा
(d) अपरिवर्तित रहेगा
प्रश्न 9: किसी दुर्बल अम्ल (HA) के लिए, यदि वियोजन की मात्रा (α) बहुत कम हो (α << 1), तो [H⁺] आयन सांद्रता लगभग बराबर होती है (जहाँ C अम्ल की प्रारंभिक सांद्रता है):
(a) Cα
(b) Cα²
(c) √(Ka * C)
(d) Ka / C
प्रश्न 10: संयुग्मी अम्ल-क्षारक युग्म क्या है?
(a) HCl / NaOH
(b) H₂SO₄ / SO₄²⁻
(c) NH₄⁺ / NH₃
(d) H₂O / OH⁻
उत्तरमाला (MCQs):
- (b) [Δng = 2 - (1+3) = -2]
- (a) [ऊष्माक्षेपी के लिए निम्न ताप, Δng < 0 के लिए उच्च दाब]
- (c)
- (b) [HCl प्रबल अम्ल है, [H⁺] = 0.01 M = 10⁻² M, pH = -log(10⁻²) = 2]
- (c) [NH₃ लूइस क्षारक है क्योंकि इसमें एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म होता है]
- (a) [दुर्बल अम्ल + उसी अम्ल का प्रबल क्षारक से बना लवण]
- (b) [सम आयन प्रभाव (Cl⁻)]
- (d) [Kc केवल ताप पर निर्भर करता है, आयतन परिवर्तन से नहीं]
- (c) [Ka = (Cα)(Cα) / C(1-α) ≈ Cα², तो α ≈ √(Ka/C), [H⁺] = Cα ≈ C√(Ka/C) = √(Ka*C)]
- (c) [NH₄⁺ और NH₃ केवल एक प्रोटॉन (H⁺) से भिन्न हैं]
इन नोट्स और प्रश्नों का ध्यानपूर्वक अध्ययन करें। यह आपकी परीक्षा की तैयारी में सहायक सिद्ध होगा। शुभकामनाएँ!